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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
वृद्धि होती है, उनका जन्म सार्थक माना जाता है। अपने मनुष्य जन्म को सार्थक करने वाले "युगवीर भारती" के रचयिता श्री युगवीर मुख्तार सा. आं. - सरस्वती के ऐसे वरद्पुत्र थे जिन्होंने अपने अप्रतिहत लेखन, सम्पादन एवं कवित्व प्रणयन के द्वारा मां भारती के भण्डार को समृद्ध किया। वे उन पर पुंगवो में थे जिन्होंने सामाजिक एवं साहित्यिक क्रांति के साथ-साथ अपने जीवन को भी चरितार्थ किया है। वे सही अर्थों में साहित्यकार थे। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रस्तुत नाम की सार्थकता पर डा. नेमिचन्द्र ज्योतिषाचार्य का कथन सही है कि जन कल्याण वही व्यक्ति कर सकता है, जिसकी आत्मा में सदैव किशोर की शक्ति वर्तमान रहे। किशोर के समान साहित्यकार ही अल्हड़ हो सकता है।
__ अहिंसा मन्दिर प्रकाशन दिल्ली से सन् 1960 में प्रकाशित युगवीर की "युगवीर भारती" उनकी 44 कविताओं का संग्रह है। आज से लगभग 60 - 70 वर्ष पूर्व रचित कविताओ का मूल्य आज भी उतना ही है। आज भी वे चरित्र-निर्माण और समाज देशोत्थान के कार्य में प्रेरणादायक और सहायक बनी हुई है। भावों भरे काव्य के निर्माता 'युगवीर जी' अपनी विनम्रता पुस्तक के प्रास्ताविक' में प्रकट करते हैं - "मैं कवि नहीं हूँ और नहीं काव्य शास्त्र का मैंने कोई व्यवस्थित अध्ययन ही किया है। फिर भी विद्यार्थी जीवन से पद्य रचना की ओर थोड़ी सी रुचि बनी रहने के कारण मेरे द्वारा दैवयोग से कुछ ऐसी कविताओं का निर्माण बन पड़ा है, जिन्होंने लोक रुचि को अपनी ओर आकर्षित किया है और उसके फलस्वरुप ही अनेक कविताए विभिन्न पत्रपत्रिकाओं एव स्थलों पर ग्रन्थ संग्रहों में प्रकाशित एवं उद्धृत की गई है।"
_ 'युगवीर भारती' काव्य संकलन कवि की लोकप्रियता का प्रमाण है। जो कवि के मित्रों, पाठकों, विद्वानों तथा सामाजिकों के आग्रह/अनुरोध पर चरित्र निर्माण एवं समाज देशोत्थान से सम्बन्धित रचनाओं के रूप में प्रकाशित हुआ है। युगवीर भारती' में छोटी-बड़ी 44 कविताएं हैं, विषय की दृष्टि से ये छह खण्डों में विभक्त हैं। उपासना खण्ड में 7, भावना खण्ड में 4,संबोधन खण्ड में 6, सत्प्रेरणा खण्ड मे - 7, संस्कृत-वागविलास खण्ड में - 10, प्रकीर्ण खण्ड में 10 कविताएं संकलित हैं।