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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
साहित्य रचना छः उद्देश्यों के लिये की जाती है
यश के लिये ।
I
धन के लिये ।
लोक व्यवहार के लिये।
समाज कल्याण के लिये ।
स्वः आनन्द के लिये ।
मृदु सम्प्रेषण के लिये ।
डॉ. रंगनाथन ने ग्रन्थपाल के निम्नलिखित उद्देश्य बतलाए हैं
व्यक्तिगत लाभ या स्वार्थ ।
समाज कल्याण ।
सर्जनात्मक तथा विरेचनात्मक आनंद ।
देशीय धर्म ।
० ध्यान से देखने पर यह स्पष्ट हो जायगा कि मम्मट ने साहित्य रचना के तथा डॉ. रंगनाथन ने गन्थपाल के जो उद्देश्य बतलाए हैं वे एक दूसरे से मिलते-जुलते हैं ।
मुख्तार सा. कवि और साहित्यकार तो थे ही साथ में एक श्रेष्ठ ग्रन्थपाल भी थे। उन्होंने समाज कल्याण के लिये बहुत कार्य किये। आपका व्यक्तित्व साधक, स्वाध्यायी- तपस्वी का था। जिसने सदा-देना ही सीखा है लेना नहीं अपना जीवन और सम्पत्ति ज्ञानमन्दिर के निर्माण के लिये अर्पित कर दी। वे मूर्ति और मन्दिरों की अपेक्षा ज्ञानमन्दिरों के निर्माण को श्रेयस्कर समझते थे ।
(4) प्रत्युत्पन्नमतित्वता - यह सभी क्षेत्रों में उपयोगी है, लेकिन ग्रन्थपाल को पाठक की सेवा करने में अधिक सहायता करती है, तथा प्रत्येक परिस्थिति में उचित निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती है।
एक बार की घटना है कि मुख्तार सा. के कुछ अन्तरंग मित्रों को ' अनेकान्त' की कुछ पुरानी फाइलों की आवश्यकता पड़ी। वे फाइलें मुख्तार सा. के पास सुरक्षित थीं । जब उन लोगों ने उन फाइलों को दिल्ली ले जाने की