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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
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जीतने का उल्लेख कर "वीतरागता" का, सब जग जानने की ओर संकेत कर "सर्वज्ञता" का और मोक्षमार्ग का उपदेशक कह कर (हितोपदेशिता) नामक गुणों का सरल, सहज प्रवाह, किन्तु प्रभावशीलता सहित सच्चेदेव को एक मात्र उपास्य दर्शाने का पांडित्य अन्यत्र कम देखने को मिलता है। इसी प्रकार यथाकथित राग-द्वेषी साधु सन्यासियों की आलोचना किए बिना विषयवासना से दूर, समता भाव के धनी, स्व-पर हितकारी, निष्काम प्रवृत्ति और निष्पृहता नामक गुणों का वर्णन कर सच्चे साधु की संगति को प्राणीमात्र के दुख-दरिद्र को हरने वाली सिद्ध कर दी है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी
साहित्यकार सामान्यतः साहित्य की एक या दो विधाओं में साहित्य सृजन करते हैं। पं. जुगलकिशोर मुख्तार ने साहित्य की लगभग समस्त विधाओं में समान रूप से अधिकार पूर्वक साहित्य सृजन कर साक्षात् रूप से सरस्वती के वरदपुत्र का सम्मान प्राप्त किया है। कुछ समीक्षक उन्हें मूलतः सफल कवि की संज्ञा देते हैं तो दूसरे एक कुशल निबन्धकार, तो अन्य उन्हें एक उत्कृष्ट तटस्थ समीक्षक, मेधावी भाष्यकार, सिद्धहस्त संपादक-पत्रकार, तथ्यान्वेषी इतिहासकार, पारखी प्रस्तावना लेखक के रूप में विशेषज्ञता का प्रमाण-पत्र देते हैं। काव्यकला के कुशल कलाकार : प्रगटाते हृदयोद्गार
आपकी काव्य रचनाएँ'युगवीर' उपनाम से हैं। मुख्तार साहब मानव मनोविज्ञान के मर्मज्ञ थे। वे जानते थे कि अध्यात्म एवं दर्शन के जटिल सिद्धान्तों का संप्रेषण कविता के माध्यम से सरलतापूर्वक किया जा सकता है। कविता के माध्यम से भावों को उद्वेलित कर मनुष्य की मूल प्रवृत्तियों का मार्गान्तरीकरण एवं शोधन सरलता से संभव है। अतः उन्होंने अत्यन्त क्लिष्ट पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग किए बिना धर्म और दर्शन के गूढ़ सिद्धांतों को कविता की सरल भाषा में वर्णनकर उनके मूल भावों को हृदयंगम करा दिया है। "युग भारती" नाम से प्रकाशित उनके काव्य संग्रह में संस्कृत व हिन्दी दोनों भाषाओं की स्फुट काव्य रचनाएं हैं। समन्तभद्र स्तोत्र एवं मदीया