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पं. जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व एवं कृतित्व
राष्ट्रीयता राजनैतिक संचेतना के बिना अधूरी हैं। युगवीर जी ने अपने समय में धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्रों में जो क्रांतिकारी वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार की थी, वह आज भी जीवित दिखाई दे रही है वे जहां एक ओर जैन समाज की तथाकथित बुराईयों को प्रकाश में लाये, वहीं उन्होंने सामाजिक, कुरीतियों और राजनैतिक विचारों को भी उजागर किया। यही कारण कि उनके लेख आज भी सामयिक हैं। उनके तर्कों का आज भी कोई काट नहीं है। डॉ. ज्योति प्रसाद जैन ने शायद इसी कारण उन्हें साहित्य का भीष्मपितामह कहा है ।"
राष्ट्र की स्थिति की उन्हें सदैव चिंता रही, देश की वर्तमान परिस्थिति और हमारा कर्त्तव्य लेख में लिखे भाव मानों वर्तमान दशा को प्रगट कर रहे हों आजकल देश की हालत बहुत नाजुक हो रही है, वह चारों ओर से अनेक आपत्तियों से घिरा है, जिधर देखो उधर से ही बड़े-बड़े नेताओं और राष्ट्र के शुभचिन्तकों की गिरफ्तारी तथा जेल यात्रा के समाचार आ रहे हैं। "
इस समय सरकार का नग्न रूप बहुत कुछ दिखाई देने लगा है और यह मालूम होने लगा है कि वह भारत की कहां तक भलाई चाहने वाली है, जो लोग पहिले ऊपर के मायामय रूप को देखकर या बुरके के भीतर रूप राशि की कल्पना करके ही उस पर मोहित थे, वे भी अब पर्दा उठ जाने पर तथा आच्छाइयों के दूर हो जाने से अपनी भूल को समझने लगे हैं और यह देश के लिये बड़ा शुभ है।"
'देश की किश्ती (नौका) ' इस समय भंवर में फंसी हुई है और पार होने के लिये संयुक्त बल के सिर्फ एक ही धक्के की प्रतीक्षा कर रही है। ऐसी हालत में वह भंवर में क्यों फंसी, गहरे जल में क्यों उतारी गयी और क्यों भंवर की ओर खेई गयी, इस प्रकार के तर्क-वितर्क का, किसी के शिकवे-शिकायतें सुनने का अवसर नहीं है 120
सच कहा जाये तो मुख्तार सा. 'न भूतो न भविष्यति' व्यक्तित्व के धनी ऐसे लेखक, कवि, पत्रकार, आलोचक, विद्वान्, समाज सुधारक, क्रान्ति दृष्टा और राष्ट्रवादी थे। जिन्हें न केवल जैन समाज अपितु भारतीय समाज