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40 Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achevements रखते हैं तो हिन्दी साहित्य का जी जान से प्रचार कीजिए, स्वयं हिन्दी लिखिए, हिन्दी बोलिए हिन्दी में पत्र व्यवहार, कारोबार, और हिन्दी में वार्तालाप कीजिए, हिन्दी पत्रों और पुस्तकों को पढ़िए, उन्हें दूसरों को पढ़ने के लिए दीजिए अथवा पढ़ने की प्रेरणा दीजिए, हिन्दी में लेख लिखिए, हिन्दी में पुस्तकें निर्माण कीजिए ...'
सर्वसाधारण में हिन्दी का प्रेम उत्पन्न कीजिए सब कुछ हो जाने पर आप देखेंगे कि हिन्दी राष्ट्र भाषा बन गयी।
प्रस्तुत पंक्तियों से स्पष्ट है कि आजादी के 50 वर्ष बाद भी आज हिन्दी भाषा की समस्या जस की तस है। लेखक की यह ललकार आज भी उतनी ही सार्थक है। - भारत में विभिन्न जातियां निवास करती हैं फिर भी उनमें राष्ट्रीय एकता के भाव सदैव विद्यमान रहते हैं। मैं तो यहां तक कहना चाहती हूं कि राष्ट्रीयता के नाम पर भारत के सभी निवासी एक भारतीय बन जाते हैं। यद्यपि समय-समय पर देश में जातीयता की भावना सिर उठाती रही है, कभी-कभी तो साम्प्रदायिक दंगों जैसी भयावह स्थिति से भी देश को गुजरना पड़ा है। मुख्तार सा. ने इस बीच में अपने विचार व्यक्त करते हए लिखा है'इस गृह कलह के विष बीज विदेशियों ने चिरकाल से बो रखे हैं।"
सच्ची राष्ट्रीयता में किसी का शोषण नहीं होता, यहां विचार स्वातन्त्र्य और व्यक्ति स्वातन्त्र्य का दमन करने की चेष्टा नहीं की जाती। राष्ट्रीयता न परका कुछ छीनना चाहती है न अपना कुछ देना चाहती है। वह तो प्रत्येक नागरिक को न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। मुख्तार सा. ने मेरी भावना के दो पद्यों में इसी तथ्य को उद्घाटित किया है
देख दूसरों की बढ़ती को कभी न ईर्ष्या भाव धरूं15 कोई बुरा कहे या अच्छा लक्ष्मी आवे या जावे लाखों वर्षों तक जीऊँ या मृत्यु आज ही आ जावे। अथवा कोई कैसा भी भय या लालच देने आवे तो भी न्याय मार्ग से मेरा कभी न पग डिगने पावे।