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Pandit Jugal Kishor Mukhtar "Yugveer" Personality and Achievements
उनके कवित्व रूप को व्यक्त करने वाली तीन पुस्तकों के प्रकाशन का उल्लेख पाया जाता है। मेरी भावना, युग भारती और वीर पुष्पांजलि। इनमें समाज सुधार एवं कर्त्तव्य की प्रेरणा है। लोगों को आश्चर्य है कि कवि हृदय युगवीर विद्रोही कैसे हुआ?
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(2) शोध परक साहित्य लेखन- जैन विद्या शोध के युग-पुरोधा के रूप में मुख्तार सा. (1) गवेषणात्मक निबंधकार (2) भाष्यकार (3) समीक्षक (4) इतिहासकार (5) प्रस्तावना - लेखक (6) संपादन कला विशारद एवं (7) पांडुलिपि अध्येता के रूप में हमारे समक्ष आते हैं। अनेक लेखकों ने उनके शोधपरक कार्यों का संक्षेपण किया है। मेरी दृष्टि में इन्हें दस बिंदुओं में विभाजित किया जा सकता है।
(1) उन्होंने आचार्य पात्र केसरी और आचार्य विद्यानंद के विषय में यह प्रमाणित किया है कि आ. पात्र केसरी अकलंक से भी पूर्ववर्ती हैं और आ. विद्यानंद अकलंक से उत्तरवर्ती हैं।
(2) 'पंचाध्यायी' ग्रंथ के लेखक के रूप में उन्होंने लाटी संहिता आदि ग्रंथों के लेखक कवि राजमल को प्रमाणित किया।
(3) उन्होंने समंतभद्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर दो-तीन वर्षों तक गंभीर अध्ययन किया और उनके समय आदि के विषय में ही प्रकाश नहीं डाला, अपितु उन्होंने उनके समग्र साहित्य पर टीका या भाष्य लिखे। 'जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश' के 32 लेखों में से 12 लेख समंतभद्र से ही संबंधित हैं।
(4) उमा स्वाति और तत्वार्थ सूत्र पर भी उन्होंने गवेषणापूर्ण अनेक लेख लिखे हैं। उन्होंने मूल तत्वार्थ सूत्र को दिगम्बर परम्परा एवं उमास्वामिकृत माना है। उन्होंने सिद्धसेनगणि के संदेहास्पद मतों एवं बारहवीं सदी के रत्नसिंहरि के सटिप्पण तत्वार्थाधिगम सूत्र के आधार पर तत्वार्थभाष्य की स्वोपज्ञता अमान्य की है। श्वेताम्बर विद्वानों ने इस टिप्पण का उल्लेख तक नहीं किया है। उनकी इस मान्यता पर अनेक विद्वानों ने मतभेद प्रदर्शित किया है। फूलचंद्र शास्त्री उसे गृद्धपिच्छाचार्य कृत