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छ काय के बल ।
(४७)
असंख्यात योजन का घनवाय है ३ असंख्यात योजन का तनुवाय है ४ असंख्यात योजन का आकाशास्ति काय है इस के बारह योजन नीचे जाने पर अलोक आता है।
नरक की स्थिति जघन्य दश हजार वर्ष की, उत्कृष्ट ३३ सागरोपम की । इनका " कुल" पच्चीस लाख करोड़ जानना ।
२ तिर्यंच का विस्तार
तिथंच के पांच भेद १ जलचर २ स्थलचर ३ उरपर ४ भुजपुर ५ खेचर इन में से प्रत्येक के दो भेद १ संम्रहिम २ गर्भज ।
१ जलचर-जल में चले सो जलचर तिथंच जैसे१ मच्छ २ कच्छ ३ मगरमच्छ ४ कछुपा ५ ग्राह ६ मेंढक ७ सुसुमाल इत्यादिक जलचर के अनेक भेद हैं। इनका कुल १२॥ लाख करोड़ जानना । __२ स्थलचर-जमीन पर चले सो स्थलचर विर्यच इन के विशेष नाम:
१ एक खुरवाले-घोड़े, गधे, खच्चर इत्यादि
२ दो खुरवाले ( कटे हुए खुरवाले ) गाय मैस बैल, बकरे, हिरन रोज ससलिये आदि ।
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