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भाषा और साहित्य !
पालि-भाषा और पिटक - वाङमय
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निकायों में जो ग्रन्थ लिये
गये हैं, वे ही इन चार निकायों में गृहीत हुए हैं । दोनों में विषयाश्रित संगति है । पांचवें खुद्दक निकाय में सुत्तपिटक के खुद्दक निकाय के पन्द्रह ग्रन्थों के अतिरिक्त विनय-पिटक तथा अभिधम्मपिटक के सभी ग्रन्थ समाविष्ट कर लिये
गये हैं ।
बुद्ध वचन का नवंगी वर्गीकरण
बुद्ध वचनों के वर्गीकरण का एक और प्रकार नवांगों के रूप में है । महायान सम्प्रदाय के संस्कृत निबद्ध साहित्य में भी नवांगात्मक विभाजन की चर्चा है । सद्धर्म पुण्डरीक-सूत्र में
बुद्ध
धर्म-संग्रह
के मुख से कहलाया गया है कि मेरा शासन - धर्मशासन नौ अंग वाला है। में भगवान् बुद्ध के प्रवचनों को नवांगात्मक कहा है ।"
वे नौ अंग इस प्रकार हैं :
१. सुत्त २. गैय्य
३. वैय्याकरण
४. गाथा
५. उदान
१. सुत्त - भगवान् बुद्ध के वे उपदेश, जो गद्य में संकलित हैं, इस विभाजन के अन्तर्गत सामान्यतः सुत्त कहे जाते हैं । जैसे, दीघनिकाय, सुत्तनिपात आदि में समाविष्ट भगवान् बुद्ध के जो गद्यात्मक वचन ।
२. गैय्य - बुद्ध वचन का गद्य-पद्य - मिश्रित भाग ।
१.
६. इतिवत्तक
७. जातक
३. वैय्याकरण-यह व्याकरण शब्द का पालि रूप है । इसका अभिप्राय धर्म-तत्त्व का व्याकरण, विश्लेषण, विमर्षण या विवेचन है | व्याख्यात्मक साहित्य इस विभाग में गृहीत किया गया है । अभिधम्मपिटक तथा बुद्ध वचन का तत्सदृश दूसरा अंश इसमें सन्निहित है ।
४. गाथा - बुद्ध वचन के केवल पद्य - बद्ध भाग 'गाथा' के अन्तर्गत हैं । गाथा शब्द
२.
अब्भुक्त धम्म ६. दल
नवांङ्गमेतन्मम शासन च ।
- सद्धमं पुण्डरीक सूत्र, पृ० ३४, डॉ० एन० एन० दत्त का देवनागरी संस्करण ।
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नवां प्रवचनानि ।
- महायानसूत्रसंग्रह, प्रथम खण्ड पृ० ३३२, मिथिला विद्यापीठ, दरभंगा
१९६१ संस्करण ।
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