Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Arhat Prakashan
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६८४ ] मागम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[ खण्ड : २ ११३. रायपसेणइयं : ( जैनागम ) सं० पं० बेचरदास डोसी, प्र. गुर्जर रत्न ग्रन्थ
___ कार्यालय, अहमदाबाद, १९३९ ११४. ललित बिस्तर : ( वौद्ध संस्कृत ग्रन्थावली ) सं० डा० पी० एल० वैद्य, प्र.
मिथिला विद्यापीठ, दरभंगा १९५८ ११५. ललित विस्तरा : प्राचार्य हरिभद्र ११६. लघु सिद्धान्त कौमुदी : ११७. वसुदेव हिंडी : ११८. विनयपिटक : ( पालि ) सं० भिक्षु जगदीश काश्यप, प्र० पालि प्रकाशन मंडल
नवनालन्दा महाविहार, नालन्दा, बिहार राज्य १९५६ ११६. विनयपिटक : ( भूमिका ) सं० डा० प्रोल्डन वर्ग ११०. विपाक सूत्र : १२१. विपाक श्रत : १२२. विसुद्धिमग्ग : प्राचार्य बुद्धघोष १२३. विशेषावश्यक भाष्य : (सटीक) जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, वृत्तिकार-कोट्याचार,
प्र. ऋषभदेव केशरीमल श्वे० संस्था, रतलाम, १९३६-३७ २२४. वृहदारण्य कोपनिषद् : १२५. वृष्णिदशा सूत्र : १२६. वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी : १२७. व्याख्याप्रज्ञप्ति (भगवती) सूत्र : टीका अभयदेव सूरि, प्र० ऋषभदेव
केशरीमल जैन श्वे० संस्था, रतलाम १९४७ १२८. शाकटायन : १२६. शाकटायन व्याकरण : १३०, श्रवणबेलगोला शिलालेख : १३१. श्र तावतार : १३२. श्री आवश्यक सूत्रम् : ( द्वितीय भाग ) प्राचार्य मलयगिरि १३३. श्री दुःषमाकालश्रमणसंघस्तव : धर्मघोष सूरि १३४. षट्खण्डागम : ( धवला टीका ) आचार्य वीरसेन, सं० हीरालाल जैन, प्र.
सिताबचन्द लखमीचन्द, अमरावती ( बरार ) १९४१-५७ १३५. षट्प्राभृत टीका : १३६. षड्दर्शन समुच्चय सटीक : याकिनी महत्तरा सूनू प्राचार्य सूरि
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