Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Arhat Prakashan

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Page 735
________________ - भाषा और साहित्य ] प्रयुक्त ग्रन्थ-सूची [ ६८५ १३७. संयुक्त निकाय : • पालि ) सं० भिक्षु जगदीश, काश्यप प्र० पालि प्रकाशन मंडल, नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा, बिहार राज्य, १९५९ १३८. संस्कृत-हिन्दी-कोश : श्राप्टे, वामन शिवराम १३६. सद्धर्मपुण्डरीक सूत्र : डा० एन० एन० दत्त का देवनागरी संस्करण १४०. समन्तपासादिका : प्राचार्य बुद्धघोष, सं० जे० यकाकुसु, मकोटो नगाईं, प्र० पालि टेक्स्ट सोसायटी, लन्दन, १९४७ १४१. समवायांग सूत्र : ( जैनागम ) अभयदेव सूरि वृत्ति सहित सं० मास्टर नगीनदास नेमचन्द, प्र० सेठ माणेकलाल चुन्नीलाल, कान्तीलाल, चुन्नीलाल, अहमदाबाद, १९३८ १४२. सरस्वतीकण्ठाभरण : श्राजड़ १४३. सामान्य भाषा विज्ञान : डा० बाबूराम सक्सेना १४४. सामवेद : १४५ साहित्य दर्पण : महामहोपाध्याय पं० दुर्गाप्रसाद द्विवेदी १४६. सिद्ध हैम शब्दानुशासन : हेमचन्द्राचार्य, प्र० सिद्धचक्र साहित्य प्रचारक समिति, बम्बई १४७. सुमंगलविलासिनी : प्राचार्य बुद्धघोष, प्र० पालि टेक्स्ट सोसायटी, लन्दन, १८८६-१९३२ १४८. सूत्रकृतांग सूत्र : ( जैनागम ) शीलांकाचार्य वृत्ति सहित सं० पन्यासप्रवर श्रीचन्द्रसागरगरण, प्र० श्री गौड़ीजी पार्श्वनाथ जैन देरासर पेढ़ी, बम्बई १०९. सूत्रकृतांग नियुक्ति चूरिण : १५०. स्थविरावली चरितम् - १५१. स्थानांग टीका - प्राचार्य अभयदेब सूरि, सन् १०६३ १५२. स्थानांग सूत्र - ( जैनागम ) अभयदेव सूरि वृत्ति सहित, प्र० प्रागमोदय समिति Jain Education International 2010_05 सूरत, १९२० १५३ स्थानांग सूत्र वृत्ति : १५४. स्त्री - निर्वाण केवलि-भुक्ति प्रकरण : सं० मुनि जम्बूविजयजी, प्र० श्रात्मानन्द जैन सभा, भावनगर, सं० २०३० १५५. हिमवत् थेरावली : For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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