Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Arhat Prakashan
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६८२] . प्रागम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
[ खण्ड : २ ६७. निशीथ भाष्य : ६८. नीतिसार : प्राचार्य इन्द्रनन्दी ६६. पंचसिद्धान्तिका : वराहमिहिर ७० परिशिष्ट पर्व : प्राचार्य हेमचन्द्र, सं० सेठ हरगोविन्ददास, प्र. जैन धर्म प्रचारक
सभा, भावनगर, १९५७ ७१. परिशिष्ट पर्व : प्राचार्य हेमचन्द्र, सं० डा० हर्मन जेकोबी, प्र० एशियाटिक
सोसाइटी ऑफ बंगाल, कलकत्ता, १९३२ ७२. पाइअसद्दमहण्णवो : कर्ता पं० हरगोविन्ददास टी० सेठ, सं० डा० बासुदेवशरण
अग्रवाल, पं०दलसुखभाई मालवणिया,प्र०प्राकृत ग्रन्थ परिषद्,
वाराणसी-५, ( द्वितीय संस्करण ) १९६३ ७३. पाणिनी शिक्षा : ७४. पाणिनीय अष्टाध्यायी : ७५. पालि महाव्याकरण : ले० भिक्षु जगदीश काश्यप ७६. पालि साहित्य का इतिहास : डा. भरतसिंह उपाध्याय, प्र. हिन्दी साहित्य
सम्मेलन (द्वितीय संस्करण ) प्रयाग, १९६३ ७७. प्रभावक चरित : प्रभाचन्द्र, प्र. सिंधी ग्रन्थमाला, कलकत्ता, १९४० ७८. प्रज्ञापनोपांगम पूर्वार्द्धम् : ७६. प्रज्ञापना सूत्र : अमोलक ऋषि द्वारा अनूदित ८०. प्राकृत उपदेश पद : प्राचार्य हरिभद्र ८१. प्राकृत पट्टावली : . ८२. प्राकृत प्रकाश : वररुचि ८३. प्राकृत लक्षण : ८४. प्राचीन लिपि माला : डा० गौरीशंकर हीराचन्द अोझा ८५. बाल रामायण : राजशेखर ८६. बृहत्कथाकोष : प्राचार्य हरिषेण, सं० ए० एन० उपाध्ये, प्र. सिंधी जैन ग्रन्थ
माला, बम्बई १९४३ ८७. बृहत्कल्पभाष्य : ८८. व्रज का सांस्कृतिक इतिहास : ८९. भगवती सूत्र : ( जैनागम ) अभयदेव मूरि वृत्ति सहित, प्र० ऋषभदेवजी
केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर संस्था, रतलाम, १९३७
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