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भारत में लिपि कला का उद्भव और विकास
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मावा और साहित्य ] इन नामों में स्पष्ट रूप में मघतो, पारसी और तुरुक्की; तीन अभारतीय हैं। अन्य बहुत से नाम भारत के अन्तत प्रदेशों के आधार पर दिये हुए प्रतीत होते हैं, जिनकी भिन्न-भिन्न लिपियां ब्राह्मी से उद्भूत हुई। हंस आदि कुछ नाम ऐसे हैं, जिनका स्पष्ट आधार दिखलाई नहीं पड़ता ।
कल्पसूत्र में माये नामों में लाटी, चौड़ी', डाहाली, कानड़ी, गुजरी, सौरहठी, मरहठी, कोकणी, मागधी, हाड़ी, मालवी आदि नाम विशेषावश्यक के टीकाकार द्वारा प्रस्तुत अधिकांश नामों की तरह भारत के प्रदेशों के नामों पर आधृत लिपि-नाम हैं । उनके लिए उसी प्रकार कहा जा सकता है, जैसा विशेषावश्यक के टीकाकार द्वारा प्रस्तुत नामों के सम्बन्ध में कहा गया है। ब्राह्मी और खरोष्ठी पर अनेक लिपि-विज्ञान वेत्ताओं ने अनुशीलन और अन्वेषण किया है । उनके भिन्न-भिन्न मत हैं। उन मतों की चर्चा, विश्लेषण तथा समीक्षा करने से पूर्व यह आवश्यक है कि अब तक लिपि के उद्भव और विकास के सम्बन्ध में जो सोचा गया है, उसकी कुछ चर्चा की जाए ।
लिपि का उद्भव : कल्पना
आदि मानव का एक अबूझ उपक्रम
विद्वानों का मन्तव्य है कि आदिकालीन मानव विभिन्न देवताओं की पूजा में विश्वास करता था । टोनों-टोटकों में भी उसकी आस्था थी । तब तक उसकी तर्कणा शक्ति विकसित नहीं हो पाई थी । पर, स्वभावतः वह कल्पनाशील तो था ही । अपने इष्ट देवता का प्रतीक या चित्र बनाने का उसमें भाव जगा हो । उसने उसे पूरा करने का कुछ प्रयत्न किया हो । कुछ आड़ी-टेढ़ी रेखाएं खींची हों । इसी प्रकार सौभाग्य और शुभ की प्राप्ति, दौर्भाग्य और अशुभ की निवृत्ति के हेतु कुछ जा मन्त्र, टोने-टोटके साधने के लिए भी उसके द्वारा कुछ ऐसा ही प्रयत्न चला हो। इस प्रकार रेखाएं खींचने, कुछ चिह्न बनाने के प्रयत्न का एक अन्य कारण भी सम्भावित है । अपने बर्तन माड़े, घड़े आदि वस्तुए जब कभी किसी समादोह आदि के अवसर पर या और किसी कारण से एकत्र रखी जाती हों, तब लगभग एक जैसी होने से वे परस्पर मिल न जाए, बाद में अपनी-अपनी वस्तु की पहचान में कठिनाई म हो, इसके लिए भी हो सकता है, मानव मे कुछ चिह्न बनाये हों । यह उपक्रम, जिसके पीछे कोई गहरा चिन्तन नहीं था, तात्कालिक कम विकसित समाज के लोगों की एक भाव-प्रवण प्रेरणा थी। यह क्रम चलता रहा । मानव अपने अभिलषित की एक कल्पित. परिपूर्ति माता रहा । यह एक सन्दर्भ है, जो लिपि-कला के उद्भव से सम्बद्ध कहापोह में उपयोगी है ।
१. चौड़ी लिपि सम्भवतः बोल- राजाओं द्वारा शासित राज्य की लिपि रही हो ।
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