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आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन
प्रस्तुत शिलालेख में गौतम नणघर के पश्चात् लोहाय तथा तदनन्तर जम्बू का उल्लेख आता है । सुधर्मा का नामोल्लेख नहीं है। इसके अनुसार गौतम के उत्तराधिकारो लोहाय' हुए और लोहाय के उत्तराधिकारी जम्बू । सुधर्मा का ही दूसरा नाम या उपनाम लौहार्य रहा हो, ऐसा अनुमान किया जाता है । यदि वस्तुतः ऐसा ही रहा हो, तो दिगम्बर-परम्परा से भिन्नता को स्थिति नहीं आती। पर, इस सम्बन्ध में कोई ठोस प्रमाण देखने में नहीं आया।
पट्टामुक्रम में अन्य नाम : भिमता
प्रस्तुत शिलालेख में क्रमशः जो और नाम दिये गये हैं, वे भी दिगम्बर-परम्परा द्वारा स्वीकृत पट्टानुक्रम से पूर्णतया मेल नहीं खाते । इस सम्बन्ध में तिलोयपण्णत्ति एक प्रामाणिक आधार माना जाता है । इसका रचना-काल सम्भवतः ईसा की दूसरी शती है। शिलालेख में वर्णित आचाय-परम्परा के समकक्ष तिलोयपण्णत्ति में वर्णित आचाय-परम्परा इस प्रकार है :
शिलालेख
तिलोयपण्णत्ति
गौतम सुधर्मा
१. गौतम २. लोहायं ३. जम्बू ४. विष्णु
जम्बू
नन्दी नन्दिमित्र
५. देव
६. अपराजित
७. गोवद्धन
८. भद्रबाहु
अपराजित गोवर्द्धन भद्रबाहु विशाल प्रोष्ठिल
क्षत्रिय
जय
९. विशाल १०. प्रोष्ठिल ११. कृत्तिकाय १२. जय १३. नाग १४. सिद्धार्थ १५. धृतिषण १६. बुदिल
नाग सिद्धार्थ धृतिषेण विजय
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