Book Title: Agam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Author(s): Nagrajmuni
Publisher: Arhat Prakashan

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Page 698
________________ ६४८ ] मागम और fafvटक : एक अनुशीलन [२ उस पट्टावली में गौतम से लोहार्य तक तो ठीक वे ही नाम हैं, जो अन्यत्र हैं। लोहार्य के बाद उसमें अर्हदुबलि, माघनन्दि, धरसेन, पुष्पदन्त तथा भूतबलि – ये पांच नाम और सद वासट्टि सुवासे गए सु-उप्पण्ण वह सुपुष्वहरा । सद-तिरासि वासाणि य एगादह मुणिवरा जादा ॥ ७ ॥ आयरिय विसाख पोट्ठल खत्तिय जयसेण नागसेण मुणी । सिद्धत्थ धित्ति विजयं बुहिलिंग देव धमसेणं ॥ ८ ॥ वह उगणीस य सत्तर इकवीस अट्ठारह सत्तर | चोदय अट्ठारह तेरहवीस चउदह कमेरयं ॥ ९ ॥ अंतिम जिण - णिव्वरणे तिय-सय- पण चालवास जादेसु । एगादहंगधारिय पंच मुणिवरा जादा ॥ १० ॥ मक्खन्तो जयपालग पंडव ध्रुवसेन कंस आयरिया | अठारह वीस वासं गुणचाल तेबीस वासे एगादह अंगधरा वासं सत्तावदिय वसंग नव अंग सुभद्द लोहाचय्यमुणीसं छह अट्ठारह वासे तेवीस वावण वास जणा चोद बत्तीसं ॥ ११ ॥ सद जादा । अट्ठधरा ॥ १२ ॥ कमेण य । जिणागमे ॥ १३ ॥ मुणिणाहं । दस णव अट्ठगधरा वास दुसदवीस सधैसु ॥ १४ ॥ पणस ट्ठे अंतिम - जिण - समय जावेसु । उप्पण्णा पंच जणा पंचसये इयंगधारी मुरव्वा ॥ १५ ॥ अहिबल्लि माघनंदि य धरसेणं पुष्कयंत भूदबली । अडवीसं इगवीस उगणीसं तीस वीस वास पुणो ॥ १६ ॥ इगसय अठार - वासे इयंगधारी य मुणिवरा जादा । छसय तिरा सिय- वासे निव्वाणा अंगद्दित्ति कहिय जिरणे ॥ १७ ॥ च भट्टबाहु जसोभद्द च कहियं च Jain Education International 2010_05 - जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग १, किरण ४, सन् १९१३ इस पट्टावली के अनुसार गौतम, सुधर्मा तथा जम्बू—इन तीन केवलियों का समय क्रमशः १२, १२ तथा ३८ = कुल ६२ वर्ष ; विष्णु, नन्दिमित्र, अपराजित, गोवर्धन तथा भद्रबाहु - इन पांच श्रत के वलियों का समय क्रमशः १४, १६, २२, १९ तथा २९ = कुल १०० वर्ष ; विशाखाचार्य, प्रोष्ठिल, क्षत्रिय, जयसेन, नागसेन, सिद्धार्थ, धृतिषेण, विजय, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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