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भाषा और साहित्य ]
आर्ष (अर्द्धमागधी प्राकृत और आगम वाङमय
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राजगृह में ऋषभदत्त नामक श्रेष्ठी था। उसके पास उसके पूर्वजों द्वारा अर्जित प्रचुर सम्पत्ति थी । वह विनयवान्, विद्वान्, कार्य-कुशल, दयावान्, सत्यप्रतिज्ञ तथा दानशील था । अर्हतु शासन ( जैन धर्म) में उसका अनुराग था । उसकी गृहणी का नाम धारिणी था । निरूपहत स्फटिक मणि के समान उसका निर्मल स्वभाव था । वह शीलअलंकृत थी । उसने एक बार सोते हुए अद्ध' जागृत अवस्था में पांच स्वप्न देखे | उठी । वे स्वप्न इस प्रकार थे :
सदाचार से
वह जाग
१. निघू अग्नि
२. विकसित कमल, कुमुद और कुचलय समूह से सुशोभित सरोषय ।
३. फल-भाग से झुका हुआ धान का खेत ।
४. जो जल - वृष्टि कर चुके हैं, ऐसे बादलों के समान धवल तथा अपने समुच्छ्रितऊर्ध्वकृत चार दांतों से युक्त गजराज ।
५. वर्ण, गन्ध तथा रस पूरित जम्बू फल ।
धारिणी ने अपने स्वप्न पति ऋषभदत्त को सुनाये। ऋषभदत्त ने कहा कि अहंत - सर्वज्ञ द्वारा ऐसे स्वप्नों का जो फल व्याकृत - व्याख्यात किया गया है, उसके अनुसार तुम्हें एक प्रभावापन्न पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। इससे धारिणी का हृदय आनन्द-विभोर हो गया और उसने यह उत्कण्ठा प्रकट को कि ऐसा ही हो, आप ठोक हो कहते हैं ।
ब्रह्मलोक से युत एक देव उसके गर्भ में आया । धारिणी को अहंतु पूजा और साधुउपासना का दोहद उत्पन्न हुआ । अपनो वेभवपूर्ण स्थिति और सम्पदा के अनुरूप दोहद की पूर्ति की गयो । नवमास पूर्ण होने पर धारिणो ने पुत्र रत्न को जन्म दिया | नव-जात शिशु शायद शशी जैसो कान्ति और भानु जैसा दीप्ति से शोभित था । शुद्ध सोने के कमल तथा कर्णिकार के यस स्निग्ध किंजल्क जैसा उसका वर्ण था । उसके हस्त, पाद तथा मुख पर अशुभ वर्जित सामुद्रिक शास्त्रानुमोदित शुभ तथा प्रशस्त चिन्ह थे । जातकर्म को सम्पन्नता के पश्चात् उसका नामकरण संस्कार हुआ । माता द्वारा स्वप्न में जम्बू फल देखे जाने तथा जम्बू द्वीप के अधिष्ठातृ-देव की सन्निधि के कारण शिशु का नाम जम्बू रखा गया । धात्री द्वारा पालित पोषित होता हुआ शिशु क्रमशः बड़ा हुआ। उसके पूर्व जन्म के संस्कार थे; अतः उसने देखते-देखते शीघ्र हो अनेक कलाएं आयत्त करा लीं ।
आर्य सुधर्मा से सम्पर्क
जम्बू युवा हुए। उन्हें देख लोगों की आंखों में प्रसन्नता fees उठती। वे प्रशंसाविलष्ट शब्दों में कहते - ये कितने दयावान्, मधुर भाषो, दूरदर्शी तथा सत्पुरूषों के प्रति आदय व सेवा के भाव रखने वाले हैं। जम्बू वास्तव में मगध देश की शोभा थे । उनका
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