SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 271
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाषा और साहित्य ! पालि-भाषा और पिटक - वाङमय [ २२१ निकायों में जो ग्रन्थ लिये गये हैं, वे ही इन चार निकायों में गृहीत हुए हैं । दोनों में विषयाश्रित संगति है । पांचवें खुद्दक निकाय में सुत्तपिटक के खुद्दक निकाय के पन्द्रह ग्रन्थों के अतिरिक्त विनय-पिटक तथा अभिधम्मपिटक के सभी ग्रन्थ समाविष्ट कर लिये गये हैं । बुद्ध वचन का नवंगी वर्गीकरण बुद्ध वचनों के वर्गीकरण का एक और प्रकार नवांगों के रूप में है । महायान सम्प्रदाय के संस्कृत निबद्ध साहित्य में भी नवांगात्मक विभाजन की चर्चा है । सद्धर्म पुण्डरीक-सूत्र में बुद्ध धर्म-संग्रह के मुख से कहलाया गया है कि मेरा शासन - धर्मशासन नौ अंग वाला है। में भगवान् बुद्ध के प्रवचनों को नवांगात्मक कहा है ।" वे नौ अंग इस प्रकार हैं : १. सुत्त २. गैय्य ३. वैय्याकरण ४. गाथा ५. उदान १. सुत्त - भगवान् बुद्ध के वे उपदेश, जो गद्य में संकलित हैं, इस विभाजन के अन्तर्गत सामान्यतः सुत्त कहे जाते हैं । जैसे, दीघनिकाय, सुत्तनिपात आदि में समाविष्ट भगवान् बुद्ध के जो गद्यात्मक वचन । २. गैय्य - बुद्ध वचन का गद्य-पद्य - मिश्रित भाग । १. ६. इतिवत्तक ७. जातक ३. वैय्याकरण-यह व्याकरण शब्द का पालि रूप है । इसका अभिप्राय धर्म-तत्त्व का व्याकरण, विश्लेषण, विमर्षण या विवेचन है | व्याख्यात्मक साहित्य इस विभाग में गृहीत किया गया है । अभिधम्मपिटक तथा बुद्ध वचन का तत्सदृश दूसरा अंश इसमें सन्निहित है । ४. गाथा - बुद्ध वचन के केवल पद्य - बद्ध भाग 'गाथा' के अन्तर्गत हैं । गाथा शब्द २. अब्भुक्त धम्म ६. दल नवांङ्गमेतन्मम शासन च । - सद्धमं पुण्डरीक सूत्र, पृ० ३४, डॉ० एन० एन० दत्त का देवनागरी संस्करण । Jain Education International 2010_05 नवां प्रवचनानि । - महायानसूत्रसंग्रह, प्रथम खण्ड पृ० ३३२, मिथिला विद्यापीठ, दरभंगा १९६१ संस्करण । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002622
Book TitleAgam aur Tripitak Ek Anushilan Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagrajmuni
PublisherArhat Prakashan
Publication Year1982
Total Pages740
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Literature
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy