Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
४४
व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
द्वीप - समुद्रगत द्रव्यों में वर्णादि की परस्परसम्बद्धता
२२. अत्थि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दव्वाई सवण्णाई पि अवण्णाई पि, संगधाई पि अगंधाई पि, सरसाई पि अरसाइं पि, सफासाइं पि, अफासाइं पि, अन्नमन्नबद्धाई अन्नमन्त्रपुट्ठाई जाव घडत्ताए चिट्ठति ?
हंता, अस्थि ।
[ २२ प्र.] भगवन् ! क्या जम्बूद्वीप' नामक द्वीप में वर्णसहित और वर्णरहित, गन्धसहित और गन्धरहित, सरस और अरस, सस्पर्श और अस्पर्श द्रव्य, अन्योन्यबद्ध तथा अन्योन्यस्पृष्ट यावत् अन्योन्यसम्बद्ध हैं ?
[२२ उ. ] हाँ, गौतम ! हैं ।
२३. अत्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे दव्वाई सवण्णाई पि अवण्णाई पि, संगधाई पि अगंधाई पि, सरसाई पि अरसाई पि, सफासाई पि अफासाइं पि, अन्नमन्नबद्धाई अन्नमन्नपुट्ठाई जाव घडत्ताए चिट्ठति ?
हंता, अत्थि ।
[२३ प्र.] भगवन् ! क्या लवणसमुद्र में वर्णसहित और वर्णरहित, गन्धसहित और गन्धरहित, रसयुक्त और रसरहित तथा स्पर्शयुक्त और स्पर्शरहित द्रव्य, अन्योन्यबद्ध तथा अन्योन्यस्पृष्ट यावत् अन्योन्यसम्बद्ध हैं ? [२३ उ.] हाँ, गौतम ! हैं ।
२४. अत्थि णं भंते ! धातइसंडे दीवे दव्वाई सवन्नाई पि० ।
[२४ प्र.] भगवन् ! क्या धातकीखण्डद्वीप में सवर्ण-अवर्ण आदि द्रव्य यावत् अन्योन्यसम्बद्ध हैं ?
[२४ उ.] हाँ, गौतम ! हैं ।
२५. एवं जाव सयंभुरमणसमुद्दे जाव हंता, अत्थि ।
[ २५ प्र.] इसी प्रकार यावत् स्वयम्भूरमणसमुद्र में भी यावत् द्रव्य अन्योन्यसम्बद्ध हैं ?
[ २५ उ.] हाँ, गौतम ! हैं ।
२६. तणं सा महतिमहालिया महच्चपरिसा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमठ्ठे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ० समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति वं० २ जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया ।
[२६] इसके पश्चात् वह अत्यन्त महती विशाल परिषद् श्रमण भगवान् महवीर से उपर्युक्त अर्थ (बात) सुनकर और हृदय में धारण कर हर्षित एवं सन्तुष्ट हुई और श्रमण भगवान् महावीर को वन्दना व नमस्कार करके जिस दिशा से आई थी, उसी दिशा में लौट गई।
विवेचन — द्वीप - समुद्रगत द्रव्यों में वर्णादि की परस्परसम्बद्धता — प्रस्तुत पांच सूत्रों (२२ से २६ तक) में जम्बूद्वीप, लवणसमुद्र आदि समस्त द्वीप- समुद्रों में वर्ण- गन्ध-रस-स्पर्शादि से रहित और सहित द्रव्यों