Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 06
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मागमसुधा PIE . GOOD HOOMOMOS विभाग: 6 Opos संपादक: संशोधकश्य प.पन्यास प्राजिनेन्द्रविजयनी मणिवर, Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला-ग्रन्थाङ्कः-७३ __ श्री महावीर जिनेन्द्राय नमः / तपोमूर्ति पूज्याचार्यदेवश्रीविजयकर्पूरसूरिगुरुभ्यो नमः हालारदेशोद्धारक-पूज्याचार्यदेवश्रीविजयामृतसूरिगुरुभ्यो नमः / / . श्री आगम-सुधा-सिन्धुः षष्ठो विभागः 'श्रुतस्थविर-श्रीमदार्य-श्यामाचार्य-सङ्कलित श्रीप्रज्ञापना--सूत्रात्मकः संपादकः संशोधकश्च तपोमूर्ति-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयकपूरसूरीश्वर पट्टालङ्कार-हालारदेशोद्धारक... कविरत्न-पूज्याचार्यदेवश्रीमद्विजयामृतसूरीश्वर-विनेयः पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजय गणी प्रकाशिकाश्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखाबावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) . Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशिका- . श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला लाखावावल-शांतिपुरी (सौराष्ट्र) गुजरात वीर सं० 2502 ] विक्रम सं० 2032 [.सन् 1976 PAARAARAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAB ई आ आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी है सुविहित मुनिवरो छे. मूल्य रु. 45-00 गौतम आर्ट प्रिन्टर्स न्यावर (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PANONAVIGATI * संपादकीय निवेदन REATE ARRANTERVIE HIRE निष्कारणबंधु विश्ववत्सल चरमशासनपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्यजीवोना हितने माटे स्थापेल शासन आजे विद्यमान के अने विषमकालमां पण भव्य जीवोने माटे सर्वज्ञ परमात्मानुए शासन परम आलंबन रूप छे. तीर्थकरदेवोनी अविद्यमानतामा तेओश्रीनी वाणी शासनना.प्राण स्वरूप होय छे. श्री तीर्थकरदेवो अर्थथी प्ररूपेल अने गणधरदेवोओ सूत्रथी गूथेल से जिनवाणी हितकांक्षी पुन्यात्माओ माटे अमृत तुल्य छे.. विद्यमान आगम श्रुतज्ञानमा मुख्यतया 45 आगम गणाय छे. ते उपरांत पण 84 आगमनी गणतरीने हिसाबे बीजु पण केटलुक आगम रूपी श्रुतज्ञान विद्यमान छे. आगम सूत्रो उपर नियुक्तिओ, भाष्यो, चूर्णिओ अने टीकाओ रचायेल छे. अने अथी सूत्र सहित आगमनी ओ पंचांगी जैन शासनमा मान्य छे. तेना आधारे वर्तमान ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार अने वीर्याचार रूप व्यवहार प्रवर्त छ, सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान अने सम्यग्चारित्र रूप मुक्ति-मार्ग प्रवर्तमान छे. पंचांगीनो वाचना, पृच्छना, परावर्तना, अनुप्रेक्षा अने धर्मकथा रूप पंचलक्षण स्वाध्याय जेटलो जोरदार तेटली श्री संघमा सम्यग्ज्ञाननी शुद्धि जोरदार, तेनाथी ज्ञानाचार उज्वल, उज्वल ज्ञानाचारथी दर्शनाचार उज्वल, उज्वल दर्शनाचारथी चारित्राचार उज्वल, उज्वल चारित्राचारथी तपाचार उज्वल अने से चारे उज्वल आचारथी वीर्याचार उज्वल. वीर्याचारनी उज्वलताथी जैनशासन उज्वल. ए उज्वल जैन शासन सदा जयवंत वर्ते छे. आम शासननो आधार कहो के पायो कहो, मूल कहो के प्राण कहो, अ श्री जिनवाणी छे अने ते जिनवाणी 45 मूल आगम सहित पंचांगी स्वरूप छे. पंचांगीने अनुसरता प्रकरण ग्रन्थो यावत् स्तवन सज्झाय के नाना निबंध के वाक्य स्वरूप छे. उपशम विवेक संवर अ त्रिपदी स्वरूप जिनवाणीथी घोर पापी चिलातीपुत्र पतनना मार्गथी नीकली प्रगतिमार्गना मुसाफीर बनी गया हता. 45 मूल आगमना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिवरो छ, साध्वीजी महाराजो श्रीआवश्यक सूत्र आदि मूल सूत्रोना तेमज श्रीआचारांग सूत्रना योगवहन करवा Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] संपादकीय निवेदन पूर्वक अधिकारी छे. श्रावक श्राविकाओ उपधान वहन करवा पूर्वक श्री आवश्यक सूत्र उपरांत दशवेकालिकसूत्रना षड्जीव-निकाय-नामना चोथा अध्ययन पर्यंतना श्रुतना अधिकारी छे. आम आगमश्रुतना अधिकारी मुनिवरो योगवहन करवा पूर्वक योग्यता मुजब अध्ययन आदि करीने पोताना ज्ञान दर्शन चारित्रने निर्मल बनावे के अने योग्यता मुजब धर्मकथा द्वारा जिणवाणीनु पान करावी साधु-साध्वी श्रावक-श्राविका रूप चारे प्रकारना संघने तेमज मार्गाभिमुख जीवोने मुक्तिमार्ग प्रदान करे छे. 45 आगमसूत्रो 6 विभागोमां वहेंचायेल छे. (1) अंगसूत्रो-११ (2) उपांगसूत्रो-१२ (3) पयन्नासूत्रो-१० (4) छेदसूत्रो-६ (5) मूल सूत्रो-४ (6) चूलिकासूत्रो-२. आ सूत्रोनु स्वाध्याय आदि अध्ययन वधे ते माटे उपयोगी बने ते रीते 45 मूल सूत्रो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघमां सळंग मुद्रित नथी अने जेथी आगम सूत्रोना स्वाध्याय आदिनी अनुकूलता थाय ते माटे शक्य प्रयत्ने संशोधन करीने प्रगट करवानी योजना विचारवामां आवी छे, ते योजना मुजब 45 आगमसूत्रो 14 विभागमां संपादन थशे. पहेलो, बीजो, चोथो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थया पछी आ छट्ठो विभाग संपादित थयेल छे. आ विभागमा श्री प्रज्ञापना सूत्र आपवामां आवेल छे. प्रज्ञापना सूत्रनी रचना श्रुतस्थविर आर्य श्री श्यामाचार्यजी महाराजाए करी छे. आ श्री प्रज्ञापना सूत्रना संपादनमा सरिपुरंदरश्रीमलयगिरिजी महाराजा विरचित टीकानो आधार लीधो छे. उपरांत पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेवश्री सागरानंदसूरीश्वरजी महाराज संपादित श्री आगममंजूषा, श्री आगमोदय समिति प्रकाशित श्री मलयगिरिजी महाराजकृत टीका, श्री महावीर विद्यालय प्रकाशित श्री प्रज्ञापना सूत्र मूल विगेरे प्रकाशनोनो उपयोग कों के ते सौ प्रत्ये कृतज्ञता प्रगटकरु छु. टीका आदिमा रहेला पाठांतरो मेलवीने मूलपाठ जोडे कौंशमा आपेला छे. श्री श्रमण संघमा आगमो कंठस्थ करवामां, स्वाध्याय करवामां, विस्तृत टीकाओना वांचन पछी मूलसूत्रोनु पुनरावर्तन करवामां, आ मूल सूत्रोना संयुक्त संपादन थी घणी अनुकूलता रहेशे. अने अथी उत्साही मुनि भगवंतो होंशे होशे सूत्रो कंठस्थ करीने आगम श्रुतने धारण करवा माटे पण समर्थ बनी शकशे. 2, 5, के 10, 20 सूत्र कंठस्थ करनारा घणा मुनिवरो तैयार थशे अने पुरतो प्रयत्न थाय तो लगभग अक लाख श्लोक प्रमाण मूल सूत्रो कंठस्थ करी धारी राखनारा अनेक गणो मुनिवरोमां थइ शकशे. 'ज्ञानधनाः सांधवः" Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय निवेदन 'शास्त्रचक्षुषः साधवः' अ विधान मुजब श्रमण संघना प्राण समान आ आगम सूत्रोनु श्री श्रमण भगवंतो द्वारा विशेष परिशीलन थतां श्रीसंघने माटे श्री शासन ने माटे घणी उज्वलता फेलाशे अने ओ आशयथी स्वपरना श्रेयकारी आगम सूत्रोनां संशोधन संपादनमा अविरत उत्साह प्रवर्तमान छे. प्रकाशननी सगवडता माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्स (ब्यावर) ना व्यवस्थापक श्री छगनलालभाई ओ जे खंत अने उत्साह बताव्या छे तेने कारणे आ प्रकाशनो समयसर प्रकाशित थइ रह्यां छे.. चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीर देवे प्रकाशेल जिनवाणीनो प्रभाव पांचमा आराना छेडा सुधी रहेशे. अ ज्वलंत जिनवाणीनो प्रकाश आपणा आत्माने योग्यता अने अधिकार मुजब अजवालनारो बने अने जिनवाणीनी आ उपासनाभक्तिमां भावना पूर्वक रस लइ रह्यो छु तेनो भावोल्लास टकी रहे अने सौ श्रुत आराधनामा उजमाल बनीओ एज मारा अंतरनी शुभ अभिलाषा छे. वीर सं० 2502 वि० सं० 2032 / हालारदेशोद्वारक आसो सुद 10 शनिवार कविरत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद्विजयता. 2-10-76 अमृतसूरीश्वरजी महाराजानो अजित सिल्क मिल्स चरणसेवक भजन्टा कम्पाउंड धामणकर नाका पं० जिनेन्द्र विजय गणी भीवंडी (महाराष्ट्र) Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NEEDEDEDEDEDEDEDED र प्रकाशकीय निवेदन D DEDEDEDEDED अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीआगमसुधासिन्धु छट्ठो विभाग मूल प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए. हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करता आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ प्रकाशन पूर्वे श्री आगम-सुधा-सिन्धुना पहेलो, बीजो चोथो, आठमो, अग्यारमो, बारमो, तेरमो, चौदमो विभाग प्रगट थई गया छे. आ छट्ठो विभाग प्रगट थाय छे. हाल त्रीजा, अने .. पांचमा विभागर्नु मुद्रण चाली रह्य छे. आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू० आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजीमहाराजाना शिष्यरत्न पू० पंन्यासश्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल छे. कागल छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करतां वधु आवे छे. मोटा टाइपमां मुद्रित करतां पेज वधारे थाय छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे. ___ आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरूकुलवासी सुविहित मुनिओ छे. ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमां आगम वाचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूपं श्रुतभक्ति करतां अमे आनंद अनुभविए छीए. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमां श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमदन्तरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा सूत्र तैयार थइ गयां छे. मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापकोओ सारी खंत राखी छे तो तेमनो आभार मानी छीओ. . वीर संवत् 2502 वि० सं० 2032 / / आसो सुद 15 शुक्रवार ता.८-१०-७६ लिःमुलजी डायाभाई प्रेमचंद भारमल दोढिया Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ***************ssssssss .. सादर समर्पण .44 सकलागमरहस्यवेदी ज्योतिषमार्तड पूज्यपाद आचार्यदेवेश श्रीमविजयदानसूरीश्वरजी महाराजाना पट्टधर प्रशान्तमूर्ति वात्सल्यनिधि पर्यायस्थविर शांतरसनिमग्न पूज्यपाद आचार्य देव श्रीमद् विजयमेस्सूरीश्वरजी महाराजा जेओश्रीए आगम संपादनना कार्यमां सदा मार्गदर्शन प्रेरणा अने प्रोत्साहन आपी आ कार्यमां मने उत्साहित राख्यो छे, तेओ श्री आ कार्य पुरु थया पहेलांज स्वर्गे सिधावी गया छे. तो पण तेओश्रीना उपकारोनी पुण्यस्मृतिमा . in Enाम सुधा सिन् छट्ठो विभाग सादर कोटिशः वंदना साथे तेओश्रीने समर्पण करी कृतकृत्यता अनुभवुछु. गुरुचरणपदकज भृङ्गायमाण जिनेन्द्रविजय // ////////////////////////////////////////////////////////// // Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 274 284 285 263 313 324 178 328 176 क्रमाङ्कः 1 प्रज्ञापना 2 स्थान 3 भल्पबहुत्व 4 स्थिति 5 पर्याय (विशेष) ... 6 उपपात (व्युत्क्रान्ति) 7 उच्छ्वास 8 संज्ञा 6 योनि 10 चरम 11 भाषा 12 शरीर 13 परिणाम 14 कषाय 15 इन्द्रिय-उद्देशक 1 . ___ इन्द्रिय-उद्देशक 2 ... 16 प्रयोग 17 लेश्या-उद्देशक 1 ... लेश्या-उद्देशक 2 ... लेश्या-उद्देशक 3 ." लेश्या-उद्देशक 4 ... लेश्या-उद्देशक 5 # अनुक्रमणिका पृष्ठं क्रमाङ्कः पद लेश्या-उद्देशक 6... 15 कायस्थिति . 74 19 सम्यक्त्व 20 भन्तक्रिया 21 अवगाहन-संस्थान (शरीर) 154 22 क्रिया 175 23 कर्मप्रकृति-उद्देशक 1 . कर्मप्रकृति-उद्देशक 2 24 कर्मप्रकृतिबन्ध ..... 182 25 कर्मवेद 26 कर्मवेद बन्ध ... 205 27 कर्मवेदवेद ... 28 थाहार-उद्देशक 1 . 214 आहार-उद्देशक 2 ... 26 उपयोग 30 पश्यत्ता 234 31 संज्ञा परिणाम ... 247 32 संयम योग 252 33 ज्ञानपरिणाम 34 प्रविचार परिणाम ... 263 / 35 वेदना 271 / 36 समुद्घात 192 348 350 350 210 215 361 224 364 367 367 368 256 375 378 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (r) शुद्धिपत्रकम् ॐ M वप्पिणेसु पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं शुद्धम् पृष्ठं पंक्तिः अशुद्धं .. शुद्धम् 5 17 उसिणा उसिण- 158 18 -मज्झिममेग- मज्झिमगेवि१६ 1 2 विज्जग- .. उजग-. 17 11 मुणयेव्वा . मुणेयव्वा 156 23 उउवाओ उववाओ 17 12 (सेडियमविय) (सेडियमत्तिय) 166 5 वणस्सइकाइ- वणस्सइकाइए३१ 1 गिहिल . मिहिल एहिंतोवि हिंतो 32 4 12 / / 13/ 170 5 सम्मड्डिी- सम्महिट्ठी 132 171 11 पुढविकाइय- पुढविकाइयए३३ 2 132 133 एगिदिएसुवि गिदिएसु 37 9 विसुद्धि विसुद्धियः 176 20 ०देवाणं ... देवा . 43 14 विपिणेसु 187 3 अतत्तव्वयाई अवत्तव्ययाई :46 13 ०वन्नमा वन्नामा 168 13 तिरंतरं निरंतरं 63 11 सहसाई ०सहस्साई 208 18 पयरं पयरो 66 13 आहेयच्चं आहेवच्चं 218 21 फासिंदियस्सं फासिंदियस्स 71 8 गेविज्जविगाणं गेविज्जगाणं 223 21 सयंभूरमुणसमुद्दे सयंभूरमणसमुद्दे 74 22 परिछमेणं पच्छिमेणं 234 3 पुरक्खडा पुरेक्खडा 75 16 दहिणेणं दाहिणेणं 234 16 वइप्यओगेवि वइप्पओवि 84. 16 गायमा गोयमा 236 20 ०पओगोवि पओगीवि 17 3 वेमाणियाओ वेमाणिणीओ 237 7 ०मीस० मीसा 111 5 गोयगा गोयमा 238 15 मीसग० ०मीसा. 113 11/14/15 अतो० अंतो 24. 17 मिस्सा० मीसा० 124 8 सागरोवराइं . सागरोवमाई 241 4 -कायप्मओगिणो कायप्पओगिणो 124 16 एकप्पे कप्पे 246 25 पद पदम् 126 16 -वेजयंत- -वेजयंत-जयंत- 258 1 वेयाणिय. वेमाणिय० 136. 12 जहन्नठियाणं जहन्नठिझ्याणं 256 21 उव्वटर उठवट्ट - बेइंदिइयाणं वेइंदियाणं 260 2 तेउल्लेसे तेउल्लेसे 137 12 मतिअन्त्राणीवि मतिअन्नाणीवि 264 18 पउिणमइ परिणमइ 142 7 केवसदसण० केवलदंसण. 265 18 ०कुमुमे कुसुमे 152 11 गुणसोतेवि गुणसीतेवि 266 11 असंखेज्जगुण असंखेज्जगुणा 156. 15 वाणवंतराणं वाणमंतराणं / 286 15 सस? समट्टे Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10] शुद्धिपत्रकम् पृष्ठं पंक्तिः अशुद्ध शुद्धम् पृष्ठं पंक्तिः अशुद्ध शुद्धम् 261 21 इत्थिरयणंतं इत्थिरयणत्तं 340 15 असंखेइमागेणं असंखेज्जइमागेणं 300 13 ०संखेज्जा० संखेज्ज. 343 12 मोहाऊय- मोहाउयवज्जाणं 3.6 20 मिच्छट्ठी० मिच्छहिट्ठी० वज्जाणं 309 11/20 सयंभु० सयंभू० 347 13 मुहुत्तेणवि पुहुत्तेणवि 316 21 णं ण 354 15 बेइंदियाणं गं बेइंदियार्ण 320 24 ०वेरमाणे वेरमणे 361 1 अणाहारगा अणाहारगा 322 11 सत्तविहबंध- सत्तविहबंधगा य एग जेसिजेसिं - गाय अट्टविह- विहबंधगा य अढविह- 361 18 एकोनविंशत्तमं एकोनत्रिंशत्तम 323 15 जोवस्स . जीवस्स .. 363 5512 सागरोवउत्ताविसागारोवउत्तावि 323 18 ०विरयस्य विरयस्स 371 9 प्रवीचार० प्रविचार० 330 8. सूसूरनामे सूसरनामे 373 10 ०ववइया व्ववाइया 336 6 सागरोमम- -सागरोवम 373 15 रूयपरियारणा रूयपरियारणा, Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 श्रागम मूल-पुस्तक श्रेणी योजना अंगे * निवेदन . जणावतां आनद थाय छे के परम करुणानिधि चरम तीर्थपति श्रमण भगवान महावीरदेवे भव्य जीवोना श्रेयना हेतु रूप तीर्थनी स्थापना करी अने गणधर देवोने त्रिपदीनु प्रदान कयु. लब्धिनिधान श्री गणधर देवोओ द्वादशांगीनी रचना करी. जेमनी पाट परंपरा विद्यमान छे ते श्रीमत्सुधर्मस्वामीजीनी द्वादशांगी प्रवर्तमान रही अने वर्तमानमा अग्यार अंग आदि अंग प्रविष्ट अने बार उपांग दश पयन्ना, छ छेद, 4 मूल अने 2 चूलिका सूत्रो एम अंग बाह्य श्रुतज्ञान आदि विद्यमान छे ते सूत्रो उपर पूर्वाचार्य महापुरूषो बिरचित नियुक्ति, भाष्य, चूणि, टोका, अवचूरि विगेरे आगमानुसारी श्रुत विद्यमान छे. आ कल्याणकारी श्रुतना आधारे श्री महावीर परमात्मानुशासन प्रवर्तमान छे. पूज्य आचार्य भगवंतो आदि मुनिराजो आदि योगवहन, गुरुकुलवास, गुरूआज्ञा आदि योग्यता मुजब अ श्रुतना अधिकारी छे. अने अथी ओ शास्त्रीय मर्यादामा रहेता पूज्योने आ श्रुतज्ञानना स्वाध्याय आदिनी अनु. कुलता रहे ते हेतुथी श्रुत भक्तिरूपे 45 आगमो मूल तेमज केटलांक सूत्रोनी टीका आदि मुद्रित करवानुनक्को कर्यु छे तेनु संशोधन अने संपादन हालार-देशोद्धारक पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्य पूज्य पन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवर अथाग परिश्रम पूर्वक करी रह्या छे. . . आ सूत्रो श्री संघना भंडारोमा पूज्य गुरुदेवोने अर्पण करवा प्रसारित करवानो अमे निणय कर्यो छ. तेनी मर्यादित नकलो प्रकाशित थाय छे अने जे श्री संघो के श्रुतभक्ति रूपे श्रावकोओ आ प्रतिओ मेळघवी होय तेमणे पोतानी नकल नी यादी लखावी देवा विनंति छे. सूत्रोनी नकलो मर्यादित प्रकाशित थाय छ वळी बुकसेलरोने ते बैंचवा आपवानो नथी अटले पाछलथी प्रतिमो प्राप्त थवी मुश्केल पडशे. जेथी भडारोने सुध्यवस्थित अने समृद्ध बनाववा श्री संघोओ पोताना सेट तरतमा लखाधी देवा, पूज्य गुरुदेवो के संघोने अर्पण करवा या श्री शासनमी मिल्कत रूपे सुरक्षित राखी, पूज्य गुरुदेवोने स्वाध्याय आदि माटे अर्पण करवा सूधावको पण आ सेट खरीदी शकशे. तेओ आ सेट यांची के ची को नहीं. ___45 आगमो अने 4 सूत्रोनी टीकाओ आदि जे कार्य हाथ उपर घरायु छे तेनु मूल्य 20 700 थशे. .. चौद विभागमा 45 आगम प्रमर पशे. Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12] निवेदन पहोंचाडवानी सगवडता रहे ते माटे 8 थी 10 सूत्रो तैयार थयेथो रवाना कराशे. जेथी सेट मंगा बनारे पोताने मोकलवानां ग्रन्थो रेल्वे के ट्रान्सपोर्ट द्वारा प्राप्त थाय तेव सरनामुजणाववं. आ आगम श्रेणी अंगे नाम नोंधाववा तथा रकम मोकलवाना सरनामा:- . . (1) महेता मगनलाल चत्रभुज (4) शा. वेलजी हीरजी गुढका शाक मारकेट सामे निशाल फली, 52 बी एम. आझाद रोड, रंगवाला चाल, जामनगर, (सौराष्ट्र) - मुंबई-४०००११ (2) शा. मनसुखलाल जीवराज भाडलावाला (5) शा. रीखवचंद फुलचंद .. शराफ बजार, राजकोट (सौराष्ट्र) . ___ सी. पी. टेन्क पहेलो पारसीवाडो खलीफ मेन्सन, वी. पी. रोड, मुंबई-४ (3) शा. वालजी गणशी .. C/0 हीरा एम्पोरीयम, आनंदरोड, (6) नवीनचंद्र बाबुलाल शाह मलाड (वेस्ट) मुंबई-४०००६४ डली फली लालबाग सामे, जामनगर (7) संघवी जयंतिलाल त्रिभोवनदास Co महावीर स्टोर 2681 फुवारा बजार ' गांधी रोड, अमदावाद आ आगम श्रेणी उपरांत अप्रगट तथा अप्राप्य ग्रन्थोनु विशाल पाया उपर प्रकाशन करवानी पण अमारी धारणा छे. श्रुतज्ञाननी आ भक्तिना कार्यमा सौनो साथ मलशे तो अमे वहेलासर सफल थअथी आ भंगे योग्य सहकारनी अपेक्षा राखी श्रुतज्ञान भक्तिना कार्यमा साथ आपवा नम्र विनंति छे. Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // अहम् // सूरिपुरंदर-श्रीमदार्य-श्यामाचार्य-संकलितं // श्रीमत्प्रज्ञापना-सूत्रम् // // अथ प्रज्ञापनाख्यं प्रथमं पदम् // ववगय-जरमरणभये सिद्धे अभिवंदिऊण तिविहेणं / वंदामि जिणवरिंदं तेलोकगुरुं महावीरं // 1 // सुयरयणनिहाणं जिणवरेणं भवियजण-णिव्वुइकरेण / उवदंसिया भगवया पनवणा सव्वभावाणं // 2 // (वायगवर-वंसायो तेवीसइमेण धीरपुरिसेण / दुद्धरधरेण मुणिणा पुवसुय-समिद्धबुद्धीणा // 1 // सुयसागरा विणेऊण जेण सुयरयण-मुत्तमं दिन्नं। सीसगणस्स भगवो तस्स नमो अजसामस्स // 2 // प्र०) अज्झयणमिणं चित्तं सुयरयणं दिट्ठिवाय-णीसन्दं / जह वन्नियं भगवया अहमवि तह वनइस्सामि // 3 // पन्नवणा 1 ठाणाइं 2 बहुवत्तव्वं 3 ठिई 4 विसेसा 5 य / वक्वन्ती 6 ऊसासो 7 सन्ना 8 जोणी य 1 चरिमाई 10 // 4 // भासा 11 सरीर 12 परिणाम 13 कसाए 14 इन्दिए 15 पयोगे 16 य / लेसा 17 कायठिई या 18 सम्मत्ते 11 अन्तकिरिया 20 य // 5 // योगाहणसगठाणे 21 किरिया 22 कम्मे 23 इयावरे / कम्मस्स बन्धए 24 कम्मवेदए 25 वेदस्स बन्धए 26 वेयवेयए 27 // 6 // श्राहारे 28 उपयोगे 21 पासणया 30 सन्नि 31 सञ्जमे 32 चेव / श्रोही 33 पवियारण 34 वेदणा 35 य तत्तो समुग्घाए 36 // 7 // से कि तं पनवणा ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः जीव-पन्नवणा य अजीव-पन्नवणा य // सूत्रं 1 ॥से किंतं अजीवपन्नवणा ?, अजीवपन्नवणा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-रूवि-अजीवपन्नवणा य अरूविअजीवपन्नवणा य // मू० 2 // से किं तं अरुवि-अजीवपन्नवणा ?, अरूवि. अजीवपन्नवणा दसविहा पन्नत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए, धम्मस्थिकायरस देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, श्रागासत्थिकाए, अागासस्थिकायस्स देसे, अागासत्थिकायस्स पदेसा, श्रद्धासमए 10, सेतं अरूवि-अजीवपन्नवणा // सू० 3 // से किं तं रूवि-यजीवपन्नवणा ?, रूवि-अजीवपन्नवणा चउन्विहा पन्नत्ता, तंजहाखन्धा खन्धदेसा खन्धपएसा परमाणुपोग्गला 1 / ते समासयो पञ्चविहा पन्नत्ता, तंजहा-वराणपरिणया गन्धपरिणया रसपरिणया फासपरिणया सराठाणपरिणया 2 / जे वराणपरिणया ते पञ्चविहा पन्नत्ता, तंजहा-कालवराणपरिणया णीलवराणपरिणया लोहियवराणपरिणया हालिदवरणपरिणया सुकिल्लवराणपरिणया 3 / जे गन्धपरिणता ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहासुब्भि-गन्धपरिणता य दुन्भि-गन्धपरिणता य 4 / जे रसपरिणता ते पञ्चविहा पन्नत्ता, तंजहा-तित्त-रसपरिणता कडुय-रसपरिणता कसाय-रसपरिणया अम्बिल-रसपरिणता महुर-रसपरिणया 5 / जे फासपरिणया ते अट्ठविहा पनत्ता, तंजहा-कक्खडफासपरिणया मउयफासपरिणया गुरुयफासपरिणता लहुयफासपरिणया सीयफासपरिणया उसिणफासपरिणया गिद्धफासपरिणया लुक्खफासपरिणया 6 / जे सराठाणपरिणया ते पञ्चविहा पन्नत्ता, तंजहा-परिमण्डल-सण्ठगणपरिणया वट्टसराठाणपरिणया तससराठाणपरिणया चउरंससंगणपरिणया आयतसराठाणपरिणया 7 / जे वगणयो कालवराणपरिणता ते गन्धयो सुन्भि-गन्धपरिणतावि दुन्भि-गन्धपरिणतावि, रसो तित्त-रसपरिणयावि कड्डय-रसपरिणयावि कसाय-रसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्प्रज्ञापना-सूत्रम् / पदं 1 ] मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीय. फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि गिद्ध-फासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सण्ठाणपरिणयावि चउरंस-सण्टाणपरिणयावि यायतसराठाणपरिणयावि 20, 8 / जे वराणो नीलवराणपरिणता ते गन्धयो सुन्भि-गन्धपरिणयावि दुब्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणयावि कडुय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणतावि महुररसपरिणतावि, फासयो कक्खड-फासपरिणतावि मउय-फासपरिणतावि गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीत-फासपरिणतावि उसिणाफासपरिणतावि निद्ध-फासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सण्ठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि अायत-सराठाणपरिणयावि 20, 1 / जे वराणयो लोहियवराणपरिणया ते गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडुय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणतावि, फासयो कक्खड. फासपरिणतावि मउय--फासपरिणतावि गुरुय-फासपरिणयावि लाय-फासपरिणतावि सीत-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणतावि निद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि बट्टसराठाणपरिणतावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि श्रायत-मराठाणपरिणतावि 20, 10 / जे वराणयो हालिद्द-वराणपरिणया ते गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्तरसपरिणयावि कडय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणतावि महुर-रसपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि मउयफासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणयावि सीय-फास Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः परिणयावि उसिण-फासपरिणयावि णिद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सगठाणो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सगठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणतावि अायत-सराठाणपरिणतावि 20, 11 / जे वराणयो सुकिल्ल-वराणपरिणता ते गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणतावि दुन्भि-गन्धपरिणतावि, रसश्रो तित्त-रसपरिणतावि कडुय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणतावि महुर-रसपरिणतावि, फासो कक्खड-फासपरिणतावि मउय-फासपरिणतावि गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीय-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणतावि णिद्ध-फासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि पायय-सराठाणपरिणयावि 20, 100, 1, 12 / जे गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणया ते वराणयो काल-वगणपरिणयावि णील-वराणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिद्द-वराण-परिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, रसश्रो तित्त-रसपरिणयावि कडुयरसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणतावि महुररसपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणतावि मउय-फासपरिणतावि गरयफासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीत-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणयावि णिद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सण्ठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि पायय-सराठाणपरिणयावि 23, 13 / जे गन्धयो दुब्भि-गन्धपरिणया ते वराणयो काल-वरणपरिणयावि णीलवरणपरिणयावि लोहिय-वण्णपरिणयावि हालिद्द-वराणपरिणयावि सुकिल्ल. वराणपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणयावि कडय-रसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासयो Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापना-सूत्रम् / / पदं ! ] कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीय-फासपरिणयावि उसिण-फा परिणयावि णिद्ध-फास. परिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाण,परिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंत सरााणपरिणयावि अायय-सराठाणपरिणयावि 23, 46, 2, 14 / जे रसयो तित्त-रसपरिणया ते वराणो काल-वराणपरिणतावि णील-वराणपरिणयावि लोहिय-वरणपरिणयावि हालिद वरणपरिणयावि सुकिल्ल-वण्णपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुब्भि-गन्धपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणतावि गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीत-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणतावि निद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस सराठाणपरिणयावि चउरंस-सण्ठगणपरिणयावि अायय-सराठाणपरिणयावि 20, 15 | जे रसो कडुय-रसपरिणता ते वराणो काल-वराणपरिणयावि नील-वराणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुब्भिगन्धपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीत-फासपरिणयावि उसिणाफासपरिणयावि गिद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमगडल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराणपरिणयावि अायत-सराठागपरिणयावि 20, 16 / जे रसयो कसाय-रसपरिणता ते वगणयो काल वराणपरिणतावि नील-वरणपरिणतावि लोहिय-वराणपरिणतावि हालिद-बरणपरिणयावि सुकिल्लवरणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिहयावि, फासो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः लहुय-फासपरिणयावि सीत-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणयावि गिद्धफासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि पायय-सराठाणपरिणयावि 20, 17 / जे रसयो अम्बिल-रसपरिणया ते वराणो काल-वराणपरिणयावि नील-वराणपरिणयावि लोहियवरणपरिणयावि हालिद वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुब्भि-गन्धपरिणयावि, फासो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि, लहुय-फासपरिणयावि सीत-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि निद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट. सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि श्रायय-सराठाणपरिणयावि 20, 18 / जे रसश्रो महुर-रसपरिणया ते वराणयो काल-वराणपरिणयावि नील-वराणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि गन्धपरिणयावि दुब्भि-गन्धपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीतफासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि निद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठागापरिणतावि तंस-सराठाणपरिणतावि चउरंस-सण्ठाणपरिणतावि पायय-सराठाणपरिणयावि 20, 100, 3, 11 / जे फासतो कक्खड फासपरिणता ते वराणो काल-वराणपरिणयावि नील-वराणपरिणतावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिइ-बराणपरिणतावि सुकिल्ल-वराणपरिणतावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणतावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडुय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणतावि Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापना-सूत्रम् :: पदं 1] महुर-रसपरिणतावि, फासयो गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीत-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणतावि गिद्ध-फासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणतावि तंस-मराठाणपरिणलावि चउरंग-सराठाणपरिणतावि अायत-सराठाणपरिणयावि 23, 20 / जे फासयो मउयफासपरिणता ते वराणो काल-वराणपरिणतावि नील-वगणपरिणतावि लोहिय-वराणपरिणतावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुन्भि-गन्धपरिणतावि दुन्भि-गन्धपरिणतावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणतावि महुर-रसपरिणतावि, फासयो गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीत-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि गिद्धफासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सरागणपरिणयावि चउरंससराठाणपरिणयावि श्रायय-सराठाणपरिणयावि 23, 21 / जे फासयो गुरुय-फासपरिणता ते वराणयो काल-बराणपरिणतावि नील-वरणपरिणतावि लोहिय–वरणपरिणतावि हालिद-वराणपरिणतावि सुकिल्लवरणपरिणतावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणतावि दुन्भि-गन्धपरिणतावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडुय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणतावि महुर-रसपरिणतावि, फासयो कक्खड-फासपरिणतावि मउयफासपरिणतावि सीय-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणतावि गिद्ध-फासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि पायय-सरााणपरिणयावि 23, 22 / जे फासो लहुय-फासपरिणता ते वगणो काल-वगणपरिणतावि नील-वरणपरिणयावि लोहिय तावि लुक्ख-यावि तंत्र-सटाण जे का Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 [ श्रीमवागमसुधासिन्धुः / षष्ठो बिभागा वगणपरिणयावि हालिद-वगणपरिणतावि सुकिल्ल–वरणपरिणतावि, गन्धयो सुभि-गन्धपरिणयावि दुब्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्तरसपरिणतावि कडय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणतावि महुर-रसपरिणतावि, फासो कक्खड-फासपरिणतावि मउय-फासपरिणयावि सीय-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि गिद्धफासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंससराठाणपरिणयावि श्रायय-सराठाणपरिणयावि 23, 23 / जे फासयो सीय-फासपरिणता ते वराणो काल वराणपरिणयावि नील-वरणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिद्द-वगणपरिणतावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणतावि, दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसश्रो तित्त-रसपरिणयावि कडुय-रसपरिणयावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणतावि महुर-रसपरिणतावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि मध्यफासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणयावि निद्धफासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणश्रो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-मराठाणपरिणयावि चउरंससरागणपरिणयावि अायत-सराठाणपरिणयावि 23, 24 / जे फासश्रो उसिण-फासपरिणता ते वराणो काल-वरणपरिणयावि नील-वराणापरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिह-वगणपरिणयावि सुकिल्लवराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणयावि कडय-रसपरिणयावि कसाय-रसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासो कक्खड–फासपरि. णयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि निद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणश्रो Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 1 ] परिमण्डल-सण्ठाणपरिणयावि वट्ठ-सराठाणपरिणयावितंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सरायणपरिणयावि अायत-सराठाणपरिणतावि 23, 25 / जे फासयो निद्धफासपरिणता ते वराणो काल-वराणपरिणतावि नीलवराणपरिणतावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुब्भि-गन्धपरिणयावि, रसश्रो तित्त-रसपरिणयावि कडुय-रसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीत-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंससराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि अायय-सराठाणपरिणयावि 23, 26 / जे फासश्रो लुक्खफासपरिणया ते वराणो काल-वराणपरिणतावि नील-वराणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिदवराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुभि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणयावि कडुय-रसपरिणयावि कसाय-रसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासयो काखड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरि. णयावि लहुय–फासपरिणयावि सीत-फासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि सराठाणश्रो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्टसराठाणपरिणयावि तंससराठाणपरिणयावि चउरंस-सण्ठाणपरिणयावि शायय-सराठाणपरिणयावि 23, 184, 4, 27 / जे सराठाणश्रो परिमण्डल-सराठाणपरिणता ते वराणयो काल-वरणपरिणतावि नील-बरणपरिणयावि लोहिय-वरणपरिणयावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणयावि कडुय Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठी विभागः रसपरिणयावि कसाय-रसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुररमपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीय-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि निद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि 20, 28 / जे सराठाणश्रो वट्ट-सगाणपरिणता ते वगणयो काल-वराणपरिणयावि नील-वराणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्यत्रो सुन्भि-गन्ध. परिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडुयःरसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुररसपरिणतावि, फासो कक्खड-फासपरिणतावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीय-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि निद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि 20, 21 / जे सराठाणयो तंस-सराठाणपरिणता ते वराणयो कालवराणपरिणयावि नील-वराणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिदवराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुब्भि-गन्धपरिणयावि, रसश्रो तित्त-रसपरिणयावि कडुय-रसपरिणयावि कसाय-रसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरि. णयावि लहुय-फासपरिणयावि सीय-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि गिद्ध-फासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि 20, 30 / जे सराठाणश्रो चउरंस-सराठाणपरिणया ते वरणयो काल-वराणपरिणतावि नील-वगणपरिणतावि लोहिय-वराणपरिणतावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धश्रो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणयावि कडुय-रसपरिणयावि कसाय Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 1 ] रसपरिणयावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासयो कक्खड-फासपरिणतावि मउय-फासपरिणतावि गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीय-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि निद्धफासपरिणयावि लुक्ख-फासपरिणयावि 20, 31 / जे सराठाणयो अायत-सराठाणपरिणता ते वराणयो काल-वराणपरिणतावि नील-वराणपरिणयावि लोहिय-वराणपरिणयावि हालिद्द-वराणपरिणयावि, सुकिल्लवराणपरिणयावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणयावि दुन्भि-गन्धपरिणयावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडुय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिल-रसपरिणयावि महुर-रसपरिणयावि, फासो कक्खड-फासपरिणयावि मउय-फासपरिणयावि गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि णिद्ध-फासपरिणयावि लुक्खफासपरिणतावि 20, 100, 5, 32 / सेत्तं रूवियजीवपन्नवणा 33 / सेत्तं यजीवपणवणा 34 // सू० 4 // से कि तं जीवपन्नवणा ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संसार-समावराण-जीवपन्नवणा य असंसार-समावराणजीवपराणवणा य // सू०५॥ से किं तं असंसार-समावण्ण-जीवपराणवणा ?, असंसार-समावगणजीवपराणवणा दुविहा पराणत्ता, तंजहा–अणंतरसिद्ध-असंसार-समावराणजीवपगणवणा य परम्परसिद्ध--असंसार-समावराण-जीवपराणवणा य // सू० 6 // से किं तं अणंतरसिद्ध-असंसार-समावराण-जीवपराणवणा ?, अणंतरसिद्ध-असंसार-समावगण-जीवपराणवणा पराणरसविहा पराणत्ता, तंजहा-तित्थसिद्धा अतित्थसिद्धा तित्थगरसिद्धा अतित्थगरसिद्धा सयंबुद्धसिद्धा पत्तेयबुद्धसिद्धा बुद्धबोहियसिद्धा इत्थीलिङ्गसिद्धा पुरिसलिङ्गसिद्धा नपुंसकलिङ्गसिद्धा सलिङ्गसिद्धा अन्नलिङ्गसिद्धा गिहिलिङ्गसिद्धा एगसिद्धा अणेगसिद्धा, से तं अणंतरसिद्ध-असंमार-समावराण Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः जीवपरणवणा // सू० 7 // से किं तं परम्परसिद्ध-असंसार-समावराणजीवपराणवणा ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-अपढमसमयसिद्धा दुसमयसिद्धा तिसमयसिद्धा चउसमयसिद्धा जाव सङ्खिजसमयसिद्धा अप्सटिजसमयसिद्धा अणन्तसमयसिद्धा, सेत्तं परम्परसिद्धासंसार-समावराणजीवपरणवणा, सेतं असंसार-समावरण-जीवपराणवणा // सू० 8 // से किं तं संसार-समावराण-जीवपराणवणा ?, संसार-समावराण-जीवपन्नवणा पञ्चविहा पराणत्ता, तंजहा-एगेंदिय-संसारसमावराण-जीवपराणवणा बेइन्दियसंसारसमावराण-जीवपरणवणा तेइन्दिय-संसारसमावराण-जीवपराणवणा चउरिन्दिय-संसारसमावगण--जीवपरणवणा पश्चिन्दिय-संसारसमावराणजीवपराणवणा // सू० 1 // से किं तं एगेन्दिय-संसार-समावराण-जीवपराणवणा ?, एगेन्दिय-संसारसमावराण-जीवपराणवणा पञ्चविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुढविकाइया अाउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया // सू० 10 // से किं तं पुढविकाइया ?, पुढविकाइया दुविहा पराणत्ता, तंजहासुहुमपुढविकाइया य बादरपुढविकाइयाय // सू० 11 // से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्त-सुहुमपुढविकाइया य अपज्जत्तसुहुमपुढविकाइया य, सेत्तं सुहुमपुढविकाइया // सू० 12 // से किं तं बादरपुढविकाइया ?, बादरपुढविकाइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सगहबादरपुढविकाइया य खर-बादरपुढविकाइया य॥ सू० 13 // से कि तं सराह-बायरपुढविकाइया ?, सराह-बायरपुढविकाइया सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहाकिराहमत्तिया नीलमत्तिया लोहियमत्तिया हालिदमत्तिया सुकिल्लमत्तिया पाण्डुमत्तिया पणगमत्तिया, सेत्तं सराह-बादरपुढविकाइया // सू० 14 // से किं तं खर-बायरपुढविकाइया?, खर-बायरपुढविकाइया अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-पुढवी य सकरा वालुया य उवले सिला य लोणूसे / Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 13 श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 1 ] अय तंब तउय सीसय रुप्प सुवन्ने य वइरे य 14 // 8 // हरियाले हिंगुलए मणोसिला सासगंजणपवाले / अब्भपडलब्भवालुय बायरकाए मणिविहाणा 8 // 1 // गोमेजए य रुयए अंके फलिहे य लोहियक्खे य। मरगय मसारगल्ले भुयमोयग इन्दनीले य 1 // 10 // चंदण गेरुय हंसगब्भ पुलए सोगंधिए य बोद्धव्वे / चंदप्पभवेरुलिए जलकते सूरकंते य 1 // 11 // 40, 1 / जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 2 / तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थं णं जे ते पजत्तगा एतेसिणं वन्नादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखेजाइं जोणिप्पमुह. सतसहस्साई, पजत्तगणिस्साए अपजत्तगा वक्कमंति 3 / जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखेजा 4 / सेत्तं खरबायरपुढविकाइया, सेत्तं बायरपुढविकाइया, सेत्तं पुढविकाझ्या 5 // सू० 15 // से किं तं श्राउकाइया ?, अाउकाइया दुविहा पराणत्ता, तंजहासुहुमत्राउकाइया य बादरग्राउकाइया य 1 / से कि तं सुहुमत्राउकाइया ?, सुहुमग्राउकाइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्त-सुहुमत्राउकाइया य अपजत्तसुहुमाउकाइया य, सेत्तं सुहुमयाउकाइया 2 / से किं तं बादरग्राउकाइया ?, 2 अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-उस्सा हिमए महिया करए हरतणुए सुद्धोदए सीतोदए उसिणोदए खारोदए खट्टोदए अम्बिलोदए लवणोदए वारुणोदए खीरोदए घयोदए खोतोदए रसोदए 3 ।जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासयो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपज्जत्तगा य 4 / तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थ णं जे ते पजत्तगा एतेसिणं वराणादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेजाई जोणिप्पमुह-सयसहस्साई पजत्तगनिस्साए अपजत्तगा वक्कमति 5 / जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखिजा 6 / से तं बादरग्राउकाइया, से तं Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः श्राउकाइया 7 // सू० 16 // से किं तं तेउकाइया ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमतेउकाइया य बादरतेउकाइया य 1 / से किं तं सुहुमतेउकाइया ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, सेत्तं सुहुमतेउकाइया 2 / से किं तं बादरतेउकाइया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-इङ्गाले जाला मुम्मुरे अची अलाए सुद्धागणी उक्का विज्जू असणी णिग्याए संघरिससमुट्ठिए सूरकंतमणि-णिस्सिए ३।जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासो दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 4 / तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थ णं जे ते पजत्तगा एएसि णं वन्नादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेजाई जोगिप्पमुह-सयसहस्साई, पजत्तगणिस्साए अपजत्तगा वकर्मति 5 / जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखिजा 6 / सेत्तं बादरतेउकाइया, सेंत्तं तेउकाइया 7 // सू० 17 // से किं तं वाउकाइया ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहासुहुमवाउकाइया य बादरवाउकाइया य 1 / से कि तं सुहुमवाउकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तगसुहुमवाउकाइया य अपजत्तगसुहुमवाउकाइया य, सेत्तं सुहुमवाउकाइया 2 / से किं तं बादरवाउकाइया ?, 2 श्रणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-पाइणवाए पडीणवाए दाहिणवाए उदीणवाए उडवाए अहोवाए तिरियवाए विदिसीवाए वाउब्भामे वाउकलिया वायमंडलिया उकलियावाए मंडलियावाए गुंजावाए झंझावाए संवट्टवाए घणवाए तणुवाए सुद्धवाए 3 / जे यावराणे तहप्पगारा ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 4 / तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते असंपत्ता, तत्थ गां जे ते पजत्तगा एतेसि णं वराणादेसेणं गंधादेसेणं रसादेसेणं फासादेसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई संखेन्जाइं जोणिप्पमुहसयसहस्साई पजत्तगनिस्साए अपजत्तया वकमंति 5 / जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखेजा 6 / सेत्तं बादरखाउकाइया, से तं बाउकाइया 7 // सू० 18 // Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विवार से कि त एगार दुविहा पराणता / सू० 22 // उभा करंजे य१कुछ पील सेल 2 योगविहा श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 1] [ 15 से किं तं वणस्सइकाइया ?, वणस्सइकाइया दुविहा पराणत्ता, तंजहासुहुम-वणस्सइकाइया य बायर-वणस्सइकाइया य॥ सू० 11 // से कि तं सुहुमवणस्सइकाइया ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-पजत्तग-सुहुमवणस्सइ. काइया य अपजत्तग-सुहुमवणस्सइकाइया य, सेत्तं सुहुमवणस्सइकाइया // सू. 20 // से किं तं बादरवणस्सइकाइया ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहापत्तेयसरीर-बादरवणस्सइकाइया य साहारणसरीर-बादरवणस्सइकाइया य // सू० 21 // से किं तं पत्तेयसरीर-बादरवणस्सइकाइया ?, 2 दुवालसविहा पन्नत्ता, तंजहा-रुक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पव्वगा चेव / तणवलय हरिय-योसहि-जलरुह-कुहणा य बोद्धव्या // 12 // सू० 22 // से कि तं रुक्खा ?, 2 दुविहा पराणत्ता, तंजहा-एगट्टिया य बहुवीयगा य 1 / से किं तं एगट्ठिया ?, 2 अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा'णिवंब-जंबु-कोसंब-साल-अंकुल्ल पीलु सेलू य / सल्लइ-मोयइ-मालुय बउल पलासे करंजे य // 13 // पुत्तंजीवयरि? बिहेलए हरिडए य भिल्लाए / उंबेभरिया खीरिणि बोद्धव्वे धायइ पियाले // 14 // पूइय-निंब-करज्जे सुराहा तह सीसवा य असणे य। पुन्नाग-नागरुक्खे सीवरिण तहा असोगे य॥ 15 // 3 / जे यावराणे तहप्पगारा एगट्ठिया मुणेयव्वा, एएसि णं मूलावि असंखेजजीविया कंदावि खंधावि तयावि सालावि पवालावि, पत्ता पत्तेयजीविया पुप्फा अणेगजीविया फला एगट्टिया, सेत्तं एगट्टिया 4 / से किं तं बहुबीयगा ?, बहुवीयगा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-अस्थिय तेंदु कवि? अंबाडग-माउलिंग बिल्ले या / श्रामलग फणिस दालिम यासोठे(त्थे) उंबर वडे य // 16 ॥णग्गोह णंदिरुक्खे पिपरी सयरी पिलुक्खरखे य / काउंबरि कुत्यु भरि बोद्धव्वा देवदाली य // 17 // तिलए लउए छत्तोह सिरीस सत्तवन्न दहिवन्ने / लोद्ध-द्धव-चंदणज्जुण णीमे कुडए कयंबे या // 18 // 5 / जे यावन्ने तहप्पगारा बहुबीयगा Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः मुणेयव्वा 2 / एतेसि णं मूलावि असंखेजजीविया कंदावि खंधावि तयावि सालावि पवालावि, पत्ता पत्तेयजीविया पुप्फा अणेगजीविया फला बहुबीयगा 7 / सेत्तं बहुबीयगा, सेत्तं रुक्खा 8 / से कि तं गुच्छा ?, गुच्छा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-वाइगणि-सल्लइ-थुराड(बोंड)ई य तह कत्थु(च्छु)री य जीभु(जासु)मणा / रूवी श्राढइ णीली तुलसी तह माउलिंगी य // 11 // कच्छुभरि पिप्पलिया अतसी बिल्ली य काइमाईया / वुच्चू पडोलकंदे विउव्वा(चुराण) वत्थलंदेरे (वत्थुले बदरे) // 20 // पत्तउर सीयउरए हवंति तहा जवसए य बोद्धब्वे / णिग्गू मिश्रकतवरि प्रथई (णिग्गुडि अक्क तूवरि आढइ) चेव तलउदाडा // 21 // सण-पाण-कासमुद्दग अग्घाडग साम सिंदुवारे य / करमद्द-अदडूसग करीर एरावणमहित्थे // 22 // जाउलग-मीलपरिली गयमारिणी कुव्वकारिया भंडा। जीवइ केयइ तह गंज पाडला-दासि-अंकोले // 23 // जे यावन्ने तहप्पगारा गुच्छा नायब्वा, सेत्तं गुच्छा 1 / से किं तं गुम्मा ?, गुम्मा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-सेण(रि)यए णो(जो मालिय कोरंटय बंधुजीवग-मणोज्जे। पिईयं पाणं कणयर कुजय तह सिंदुवारे य // 24 // जाई मोग्गर तह जूहिया य तह मल्लिया य वासंती / वत्थुल कत्थुल सेवाल गंठी मगदंतिया चेव // 25 // चंपगजीइ णीइया कुदो (कन्दो) तहा महाजाई / एवमणेगागारा हवंति गुम्मा मुणेयव्वा // 26 // सेत्तं गुम्मा 10 / से किं तं लयायो?, लयायो अणेगविहायो पनत्तायो, तंजहा-पउमलया णागलया असोग चंपगलया य चूतलता / वणलय वासंतिलया अइमुत्तय कुंदसामलया // 2 // जे यावन्ना तहप्पगारा लया मुणेयव्वा, सेत्तं लयायो 11 / से किं तं वल्लीयो ?, वल्लीयो अणेगविहायो पन्नत्तायो, तंजहा-पूसफली कालिंगी तुबी तउसी य एलवालुकी / घोसाडई पंडोला पंचंगुलिया य णीली या // 28 // कंगूया कंडुइया ककोडई कारियलई सुभगा / कुयवा(घा) य Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 1.] [ 17 वागली पाववल्ली तह देवदाली य // 21 // अफेया अइमुत्तग-णागलया कराहसूरवल्ली य / संघट्टसुमणसावि य जासुवण कुविंदवल्ली य // 30 // मुद्दिय अंबावल्ली किराहछीरालि जयंति गोवाली। पाणी मासावल्ली गुंजावल्ली य वच्छाणी // 31 // ससिवी दुगोत्तफुसिया गिरिकराणइ मालुया य अंजणई / दहिफोल्लइ कागणि मोगली य तह अकबोंदी य // 32 // जे यावन्ने तहप्पगारा वल्लीयो मुणेयव्वा, सेत्तं वल्लीयो 12 / से कि तं पव्वगा ?, पव्वगा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-इक्खू य इक्खुवाडी वीरुणी तह एकंडे य मासे य। सुठे सरे य वेत्ते तिमिरे सतपोरग णले य॥ 33 // वंसे वेच्छू कणए कंकावंसे य चाववंसे य। उदए कुडए विसए कंडा वेल्ले य कल्लाणे // 34 // जे यावन्ने तहप्पगारा पव्वगा मुणयेव्या, सेत्तं पव्वगा 13 / से किं तं तणा ?, तणा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-संडिय मंतिय (सेडियभविय) होत्तिय दम्भकुसे पव्वए य पोडइला। अज्जुण असाढए रोहियंसे सुयवेय-खीरभु(तु)से // 35 // एरंडे कुरुविदे (कक्खड) करजर सुठे तहा विभंगू य। महुरतण छु(थु)रय (लुणय) सिप्पिय बोद्धब्बे सुकलितणे य // 36 // जे यावन्ने तहप्पगारा तणा मुणेयवा, सेतं तणा 14 / से किं तं वलया ?, वलया अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-ताल तमाले तकलि तोयली साली य सारकत्ताले (लाणे)। सरले जावति केतइ कदली तह धम्मरुक्खे य // 37 // मुयरुक्ख हिंगुरुक्खे लवंगरुक्खे य होइ बोद्धव्वे / पूयफली खज्जुरी बोद्धव्वा णालिएरी य // 38 // जे यावन्ना तहप्पगारा वलया मुणेयवा, सेत्तं वलया 15 / से किं तं हरिया ?, हरिया अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-अजोरुह वोडाणे हरितग तह तंदुलेजगतणे य / वत्थल पोरग मज्जारयाइ बिल्ली य पालका // 31 // दगपिप्पली य दव्वी सोत्तिय साए तहेव मंडुक्की / मूलग सरिसव अंबिल साएय जियंतए चेव // 40 // तुलसे कराह उराले फणिजए Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः 'अजए य भूयणए / वा(चा)रग दमणग माख रुयग सतपुष्फींदीवरे य तहा // 41 // जे यावन्ना तहप्पगारा हरिया मुणेयव्वा, सेत्तं हरिया 16 / से कि तं श्रोसहियो ?, श्रोसहियो अणेगविहायो पन्नत्तायो, तंजहा-साली वीही गोहुम जव जवजवा कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-णिप्फाव-कुलत्थथालिसंदसतीण-पलिमंथा // 42 // अयसी-कुसुभ-कोदव कंगू-रालग-मास “(वरमास)कोसा। सण-सरिसव-मूल(गा)गवीया, जे यावन्ना तहप्पगारा // 43 // सेत्तं पोसहीयो 17 / से किं तं जलरहा ?, जलरुहा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-उदए अवए पणए सेवाले कलंबुया हढे कसेरुया कच्छा भाणी उप्पले पउमे कुमुदे णलिणे सुभए सुगंधिए पोराडरीयए महापुंडरीयए सयपत्ते सहस्सपत्ते कल्हारे कोकणदे अरविदे तामरसे भिसे भिसमुणाले पोक्खले पोक्खलत्थिभुए, जे यावना तहप्पगारा जलरुहा मुणेयव्वा, से तं जलरुहा 18 / से कि तं कुहणा ?, कुहणा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-याए काए कुहणे कुणक्के दवहलिया सफाए सज्झाए छत्तोए (सित्ताए) वंसी णहिता कुरए, जे यावन्ना तहप्पगारा कुहणा मुणेयव्वा, सेत्तं कुहणा 11 / णाणाविह संठाणा रुक्खाणं एगजीविया पत्ता / खंधावि एगजीवा ताल-सरल-णालिएरीणं // 44 // जह सगल-सरिसवाणं सिलेसमिस्साण वट्टिया वट्टी / पत्तेयसरीराणं तह होंति सरीरसंघाया // 45 // जह वा तिलपप्पडिया बहुएहिं तिलेहि संहिता संती / पत्तेयसरीराणं तह होति सरीरसंघाया // 46 // सेत्तं पत्तेयसरीर-बादर-वणप्फइकाइया 20 ॥सू० 23 // से किं तं साहारणसरीर-बादर-वणस्सइकाइया ?, साहारणसरीर-बादरवणस्सइकाइया अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-अवए पणए सेवाले लोहिणी मिहुत्थु हु(मिहूत्थिइ)स्थिभागा य / अस्सकन्नि सीहकन्नी सिउंढि तत्तो मुसुदी य // 47 // रुरु कुण्डरिया जीर छीर विराली तहेव किट्टीया। हालिदा सिंगबेरे य थालुगा भूलए इ य // 48 // कंबू य कन्नुक्कड सुमत्तयो Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-मूत्रम् / / पदं 1 ] [ 19 वलइ तहेव महुसिंगी। वीरुहा सप्पसुयंधा दिन्नरुहा चेव बीयरहा // 4 // पाढा मियावालुकी महुररसा चेव रायवत्ती(ल्ली) य / पउमा य माढरी दंतीति चंडी किट्ठी(ट्टी)त्ति यावरा // 50 // मासपरिण-मुग्गपराणी जीविय रसभे य रेणुया चेव / कायोली खीरकापोली तहा भंगी नही इय // 51 // किमिरासि भद्दमुत्था णंगलई पेलुगा इय / किराहे पउले य हढे हरतणुया चेव लोयाणी // 52 // कराहे कंदे बज्जे सूरणकंदे तहेव खल्लूडे / एए अणंतजीवा जे यावन्ने तहाविहा // 53 // तणमूल कंदमूले, वंसीमूलेत्ति श्रावरे / मंखिज-मसंखिजा, बोद्धव्वाऽणंतजीवा य॥ 54 // सिंघाडगस्स गुच्छो योगजीवो उ होइ नायव्यो / पत्ता पत्तेयजीया दोन्नि य जीवा फले भणिया // 55 // जस्स मूलस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे उ से मूले, जे यावन्ने तहाविहा // 56 // जस्स कंदस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसए / अणंतजीवे उ से कंदे, जे यावन्ने तहाविहा // 57 // जस्स खंधस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे उ से खंधे, जे यावन्ने तहाविहा // 58 // जीसे तयाए भग्गाए, समो भंगो पीसइ / अणंतजीवा तया सा उ, जे यावन्ने तहाविहा // 51 // जस्स सालस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे उ से साले, जे यावन्ने तहाविहा // 60 // जस्स पवालस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे पवाले से, जे यावन्ने तहाविहा // 61 // जस्स पत्तस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे उ से पत्ते, जे यावन्ने तहाविहा // 62 // जस्स पुष्फस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे उ से पुप्फे, जे यावन्ने तहाविहा / / 63 // जस्स फलस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे फले से उ, जे यावन्ने तहाविहा // 64 // जस्स बीयस्स भग्गस्स, समो भंगो पदीसइ / अणंतजीवे उ से बीए, जे यावन्ने तहाविहा // 65 // जस्स मूलस्स भग्गस्स, हीरो भंगो(गे) पदीसए। परित्तजीवे उ से मूले, Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु / षष्ठो विभागः जे यावन्ने तहाविहा // 66 // जस्स कंदस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से कंदे, जे यावन्ने तहाविहा // 67 // जस्स खंधस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से खंधे, जे यावन्ने तहाविहा // 68 // जीसे तयाए भग्गाए, हीरो भंगो पदीसए / परित्तजीवा तया सा उ, जे यावन्ना तहाविहा // 61 // जस्स सालस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से साले, जे यावन्ने तहाविहा // 70 // जस्स पवालस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे पवाले उ, जे यावन्ने तहाविहा // 71 // जस्स पत्तस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए / परित्तजीवे उ से पत्ते, जे यावन्ने तहाविहा // 72 // जस्स पुष्फस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे उ से पुप्फे, जे यावन्ने तहाविहा // 73 // जस्स फलस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए। परित्तजीवे फले से उ, जे यावन्ने तहाविहा / / 74 // जस्स बीयस्स भग्गस्स, हीरो भंगो पदीसए / परित्तजीवे उ से बीए, जे यावन्ने तहाविहा // 75 // जस्स मूलस्स कट्ठायो, छल्ली बहुलतरी भवे / अणंतजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ने तहाविहा // 76 // जस्स कंदस्स कट्टायो, छल्ली बहलतरी भवे / अणंतजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ने तहाविहा // 77 // जस्स खंधस्स कट्ठायो, छल्ली बहलतरी भवे / अणंतजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ना तहाविहा // 78 // जीसे सालाए कट्ठायो, छल्ली बहलतरी भवे / अणंतजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ना तहाविहा // 79 // जस्स मूलस्स कट्ठायो, छल्ली तणुययरी भवे। परित्तजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ना तहाविहा // 8 // जस्स कंदस्स कट्टायो, छल्ली तणुययरी भवे / परित्तजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ना तहाविहा // 81 // जस्स खंधस्स कट्टायो, छल्ली तणुययरी भवे / परित्तजीवा उ सा छल्ली, जे यावन्ना तहाविहा // 82 // जीसे सालाए कट्ठाश्रो, छल्ली तणुययरी भवे / परित्तजीवा उ सा छल्ली, जे Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 1 ] यावना तहाविहा // 83 // सू० 24 // चक्कागं भजमाणस्स, गंठी चुन्नघणो भवे / पुढविसरिसेण भेएण, अणंतजीवं वियाणाहि // 84 // गूढसिरागं पत्तं सच्छीरं जं च होइ निच्छीरं। जंपि य पणट्टसन्धि अणंतजीवं वियाणाहि // 85 // पुष्पा जलया थलया य बिंटबद्धा य नालबद्धा य / संखिजमसंखिजा बोद्धव्वाऽणंतजीवा य // 86 // जे केइ नालियाबद्धा पुष्फा संखिजजीविया भणिया। निहुया अणंतजीवा जे यावन्ने तहाविहा // 87 // पउमुप्पलिणीकंदे अंतरकंदे तहेव भिल्ली य / एए अणंतजीवा एगो जीवो बिसमुणाले // 88 // पलंडू-लहसुणकंदे य, कंदली य कुसुंबए। एए परित्तजीवा, जे यावन्ने तहाविहा // 8 // पउमुप्पल-नलिणाणं, सुभग-सोगंधियाण य / अरविंद-कुंकणाणं, सयवत्तसहस्सपत्ताणं // 10 // बिटं बाहिरपत्ता य, कनिया चेव एगजीवस्स / अभितरगा पत्ता पत्तेयं केसरा मिजा॥११॥ वेणुनल इक्खुवाडिय समास(ममसा, गसमा, मसमा)इक्खू य इकडे रंडे / करकर सुठि विहंगू नणाण तह पव्वगाणं च // 12 // अच्छि पव्वं बलिमोडयो य ऐगस्स होति जीवस्स / पत्तेयं पत्ताई पुप्फाई अणेगजीवाइं // 13 // पूसफलं कालिंगं तु तउसेल वालुवालुकं। घोसाडय पडोलं तिंदूयं चेव तेंदूसं // 14 // बिटसमं सकडाहं एयाई हवंति एगजीवस्स / पत्तेयं पत्ताई सकेसरं केसरं मिजा // 15 // सप्फाए सज्झाए उव्वेहलिया य कुहण-कंदुक्के / एए अणंतजीवा कंदुक्के होइ भयणा उ॥ 16 // सू० 25 // बीए जोणिभूए जीवो वकमइ सो व अन्नो वा / जोवि य मूले जीवो सोऽवि य पत्ते पढमयाए // 17 // सव्वोऽवि किसलयो खलु उग्गममाणो अणंतत्रो भणियो / सो चेव विवढतो होइ परित्तो अणंतो वा // 18 // समयं कक्कंताणं समयं तेसि सरीरनिव्वत्ती। समयं प्राणुग्गहणं समयं ऊसासनीसासो // 11 // इक्कस्स उ जं गहणं बहूण साहारणाण तं चेव / जं बहुयाणं गहणं Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ :22 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः समासश्रो तंपि इक्कस्स // 100 // साहारण-माहारो साहारण-माणपाणगहणं च। साहारणजीवाणं साहारणलवखणं एवं // 101 // जह अयगोलो धंतो जायो तत्त-तवणिज्ज-संकासो / सो अगणिपरिणयो निगोयजीवे तहा जाण // 102 // एगस्स दोराह तिराह व संखिजाण व न पासिउं सका। दीसंति सरीराइं निगोय-जीवाणऽणताणं // 10 3 // लोगागासपएसे निगोयजीवं ठवेहि इकिक्कं / एवं मविजमाणा हवंति लोगा अणंता उ॥ 104 // लोगागासपएसे परित्तजीवं ठवेहि इक्किक्कं / एवं मविजमाणा हवंति लोगा असंखिज्जा // 105 // पत्तेया पजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता उ। लोगाऽसंखाऽपजत्तयाण साहारणमणंता // 106 // एएहिं सरीरेहिं पञ्चक्खं ते परूविया जीवा। सुहमा आणागिज्झा चक्खुप्फासं न ते इंति // प्र० // 107 // १।जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपज्जत्तगा य, तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा तेसि णं वन्नाएसेणं गंधाएसेणं रसाएसेणं फासाएसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखिजाई जोणिप्पमुह-सयसहस्साई, पजत्तगनीसाए अपजत्तगा वकमंति, जत्थ एगो तत्थ सिय संखिजा सिय असंखिज्जा सिय अणंता 2 / एएसि णं इमायो गाहारो घणुगंतव्वाश्रो, तंजहा-कंदा य कंदमूला य, रुक्खमूला इयावरे। गुच्छा य गुम्मवल्ली य, वेणुयाणि तणाणि य॥ 108 // पउमुप्पल संघाडे हढे य सेवाल किन्नए पणए। अवए य कच्छमाणी कंदुक्केगूणवीसइमे // 101 // तय छल्लि पदालेसु य, पत्तपुष्फफलेसु य / मूलग्ग-मज्झबीएसु, जोणी कस्सवि कित्तिया // 110 // सेत्तं साहारणसरीर-बायर-वणस्सइकाइया 3 / सेत्तं साहरणसरीरवणस्सइकाइया, सेत्तं बायर-वणस्सइकाइया; सेत्तं वणस्सइकाइया, सेत्तं एगिदिया 4 // सू० 26 // से किं तं बेइंदिय-संसारसमावरण-जीवपराणवणा ?, बेइंदिय-संसार Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 1 ) [ 23 समावराण-जीवपराणवणा गणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुलाकिमिया कुच्छिकिमिया गंडूयलगा गोलोमा णेउरा सोमंगलगा वंसीमुहा सूइमुहा गोजलोया जलोया जालाउया संखा संखणगा घुल्ला खुल्ला गुलया खंधा वराडा सोतिया मुत्तिया कलुयावासा एगोवत्ता दुहयोवत्ता नंदियावत्ता संबुक्का माइवाहा सिप्पिसंपुडा चंदणा समुहलिक्खा 1 / जे यावन्ने तहप्पगारा, सब्वे ते संमुच्छिमा नपुंसगा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 2 / एएसि णं एवमाझ्याणं बेइंदियाणं पजत्तापजत्ताणं सत्त जाइ-कुलकोडि-जोणी-पमुह-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं 3 / सेत्तं बेइंदियसंसारसमावन्न-जीवपन्नवणा 4 // सू० २७॥से किं तं तेइंदिय-संसार-समावन्न. जीवपन्नवणा ?, तेइंदिय-संसार-समावन्न-जीवपन्नवणा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-योवइया रोहिणिया कुथू पिपीलिया उद्दसगा उद्दहिया उक्कलिया उप्पाया उकडा उप्पडा तणहाराकट्टहारा मालुया पत्ताहारा तणबेंटिया पत्तबेटिया पुष्फटिया फलबेंटिया बीयबेटिया तेबुरण-मिजिया तयोसि(तउस)-मिंजिया कप्पासट्ठि-मिंजिया हिल्लिया झिल्लिया झिगिरा किंगिरिडा बाहुया लहुया सुभगा सोवत्थिया सुयबेटा इंदकाइया इंदगोवया तुरुतुबगा कुच्छ(कोत्थ)लवाहगा जूया हालाहला पिसुया सयवाझ्या गोम्ही हत्थिसोंडा 1 / जे यावन्ने तहप्पगारा, सव्वे ते समुच्छिमा नपुंसगा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 2 / एएसि णं एवमाइयाणं तेइंदियाणं पजत्तापजत्ताणं अट्ठ जाइ-कुलकोडि-जोणिप्पमुह-सयसहस्सा भवंतीति-मक्खायं 3 / सेत्तं तेइंदिय-संसार-समावन्न-जीवपन्नवणा 4 ॥सू० 28 // से किं तं चउरिदिय संसार-समावन्न-जीवपन्नवणा ?, 2 अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-पंधिय पत्तिय मच्छिय मसगा कीडे तहा पयंगे य / ढेकुण कुक्कड कुक्कुह नंदावत्ते य सिंगिरडे // 111 // किराहपत्ता नीलपत्ता लोहियपत्ता हालिद्दपत्ता सुकिल्लपत्ता चित्तपक्खा विचित्तपक्खा अोहंजलिया जलचारिया Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24] [ भीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः गंभीरा णीणिया तंतवा अच्छिरोडा अच्छिवेहा सारंगा नेउरा दोला भमरा भरिली जरुला तोट्टा विछया पत्तविच्छुया छाणविच्छुया जलविच्छुया पियंगाला कणगा गोमयकीडा 1 / जे यावन्ने तहप्पगारा, सब्वे ते समुच्छिमा नपुंसगा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 2 / एएसि णं एवमाझ्याणं चरिंदियाणं पजत्तापजत्ताणं नव जाइ-कुल-कोडि-जोणिप्पमुह-सयसहस्साई भवंतीति-मक्खायं 3 / सेत्तं चरिंदिय-संसार-समावन्न-जीवपन्नवणा 4 // सू० 21 // से किं तं पंचेंदियसंसार-समावन्न-जीवपन्नवणा ?, 2 चउन्विहा पन्नत्ता, तंजहा-नेरइय-पंचिंदियसंसार-समावन्न-जीवपन्नवणा, तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-संसार-समावन्नजीवपन्नवणा मणुस्सपंचिंदिय-संसार समावन्न-जीवपन्नवणा देवपंचिदियसंसार-समावन्न-जीवपन्नवणा // सू० 30 // से किं तं नेरइया ?, नेरइया सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा-रयणप्पभा. पुढविनेरइया 1 सक्करप्पभा-पुढविनेरइया 2 वालुयप्पभा-पुढविनेरझ्या 3 पंकप्पभा-पुढविनेरइया 4 धूमप्पभा-पुढविनेरझ्या 5 तमप्पभा-पुढविनेरइया 6 तमतमप्पभा-पुढविनेरइया 7, 1 / ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहापज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य 2 / सेत्तं नेरझ्या 3 // सू० 31 // से किं तं पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया तिविहा पनत्ता, तंजहा-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया य 1 थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया य 2 खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया य 3 // सू० 32 // से किं तं जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख. जोणिया पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा–१ मच्छा 2 कच्छभा 3 गाहा 4 मगरा 5 सुसुमारा ॥से किं तं मच्छा ?, मच्छा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-सराहमच्छा खवल्लमच्छा जुगमच्छा विज्झडियमच्छा हलिमच्छा मगरिमच्छा रोहियमच्छा हलीसागरा गागरा वडा वडगरा गब्भया Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 25 श्रीमस्त्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 1 ] उसगारा तिमितिमिगिला णका तंदुलमच्छा कणिकामच्छा सालि-संत्थियामच्छा लंभणमच्छा पडागा पडागाइपडागा, जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं मच्छा 1 / से किं वं कच्छभा ?, कच्छभा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-अट्ठिकच्छभा य मंसकच्छभा य, सेत्तं कच्छभा 2 / से किं तं गाहा ?,गाहा पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-१ दिली 2 वेढगा 3 मुद्धया 4 पुलया 5 सीमागारा, सेत्तं गाहा 3 / से किं तं मगरा ?, मगरा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-१ सोंडमगरा य 2 मट्टमगरा य, सेत्तं मगरा 4 / से किं तं सुसुमारा ?, सुसुमारा एगागारा पन्नत्ता, सेत्तं सुसुमारा 5 / जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमा य गम्भवक्कंतिया य, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा, तत्थ णं जे ते गम्भवक्कंतिया ते तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसा नपुसगा 6 / एएसि णं एवमाइयाणं जलयरपंचिदिय-तिरिक्खजोणियाणं पजत्तापज्जत्ताणं अद्धतेरस-जाइकुलकोडिजोणिप्पमुह-सयसहस्सा भवंतीति-मक्खायं 7 / सेत्तं जलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिया // सू० 33 // से किं तं थलयर-पंचिदिय-तिरिक्खजोणिया ?, थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-चउप्पयथलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणिया य परिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया य 1 / से किं तं चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणिया चउविहा पन्नत्ता, तंजहा-एगखुरा विखुरा गंडीपदा सणफदा 2 / से किं तं एगखुरा ?, एगखुरा श्रणेगविहा पनत्ता, तंजहा-अस्सा अस्सतरा घोडगा गद्दभा गोरक्खरा कंदलगा सिरिकंदलगा पावत्तगा, जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं एगखुरा 3 / से कि तं दुखुरा ?, दुखुरा अणेगविहा पत्नत्ता, तंजहा-उट्टा गोणा गवया रोज्झा पसुया महिसा मिया संबरा वराहा अया एलग-रुरु-सरभचमर-कुरंग-गोकन्नमादि जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं दुखुरा 4 / से कि तं Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः गंडीपया ?, गंडीपया अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-हत्थी हत्थीपूयणया मंकुणहत्थी खग्गा गंडा जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं गंडीपया 5 / से कि तं सणप्फया ?, सणफया अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-सीहा वग्घा दीविया अच्छा मरच्छा परस्सरा सियाला बिडाला सुणगा कोलसुणगा (ग्रंथाग्रं५००) कोकंतिया ससगा चित्तगा चिललगा जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं सणप्फया 6 / ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमा य गम्भवक्वंतिया य, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा, तत्थ णं जे ते गम्भवक्कंतिया ते तिविहा पनत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसगा नपुंसगा 7 / एएसिणं एवमाइयाणं थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पजत्तापजत्ताणं दस जाइकुलकोडि-जोणिप्पमुह-सयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं 8 / से तं चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया १॥सू० 34 // से किं तं परिसप्पथलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, परिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजो. णिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया य भुयपरिसप्प-थलयर-पंनिंदिय-तिरिक्खजोणिया य 1 / से किं तं उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिया चउब्विहा पत्नत्ता, तंजहा-ग्रही अयगरा श्रासालिया महोरगा 2 / से कि तं नही ?, अही दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-दव्वीकरा य मउलिणो य, से किं तं दव्वीकरा ?, दव्वीकरा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-- श्रासीविसा दिट्ठीविसा उग्गविसा भोगविसा तयाविसा लालाविसा उस्सासविसा नीसासविसा कराहसप्पा सेदसप्पा काोदरा दमपुष्फा कोलाहा मेलिमिंदा सेसिंदा जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं दव्वीकरा। से किं तं मउलिणो ?, मउलिणो अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-दिव्वागा गोणसा कसाहिया वइउला चित्तलिणो मंडलिणो मालिणो श्रही हिसलागा वासपडागा जे यावन्ने तहप्पगारा, से तं मउलिणो, सेत्तं यही 3 / से कि तिरिकखजातिरिक्खजोणियायवाचदिय-तिरिक्खजोलजो Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 1 ] तं ययगरा ?, अयगरा एगागारा पन्नत्ता, से तं अयगरा 4 / से किं तं यासालिया ?, कहि णं भंते ! ग्रासालिया संमुच्छति ?, गोयमा ! अंतो मणुस्सखित्ते यहाइज्जेसु दीदेसु निव्याघाएगण पन्नरससु कम्मभूमिसु वाघायं पडुच्च पंचसु महाविदेहेसु चकवट्टिखंधावारेसु वासुदेवखंधावारेसु बलदेवखंधावारेसु मंडलियखंधावारेसु महामंडलियखंधावारेसु गामनिवेसेसु णगरनिवेसेसु णिगमनिवेसेसु खेडनिवेसेसु कब्बडनिवेसेसु मडंबनिवेसेसु दोणमुहनिवेसेसु पट्टणनिवेसेसु डागरनिवेसेसु श्रासमनिवेसेसु संवाहनिवेसेसु रायहाणीनिवेसेसु एएसि णं चेव विणासेसु एत्थ | श्रासालिया संमुच्छति / जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजइभागमित्ताए योगाहणाए उक्कोसेणं बारसजोयणाई तयगुरूवं च णं विवखंभवाहल्लेणं भूमी दालित्ता णं समुढेइ, असन्नी मिच्छदिट्ठी अण्णाणी अंतोमुहुत्तद्धाउया चेव कालं करेइ, सेत्तं श्रासालिया 5 से किं तं महोरगा?, महोरगा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-श्रत्थेगइया अंगुलंपि अंगुलपुहुत्तियावि वियत्थिपि वियस्थिपुहुत्तियावि रयणिंपि रयणिपुहुत्तियावि कुच्छिपि कुच्छिपुहुत्तियावि धणुपि धणुपुहुत्तियावि गाउयंपि गाउयपुहुत्तियावि जोयणंपि जोयणपुहुत्तियावि जोयणसयंपि जोयणसयपुहुत्तियावि जोयणसहस्संपि, ते गां थले जाता जलेऽवि चरंति थलेवि चरंति, ते णत्थि इहं बाहिरएसु दीवेसु समुदएसु हवंति, जे यावन्ने तहपगारा, सेत्तं महोरगा 6 / ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमा य गम्भवक्कंतिया य, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा, तत्थ णं जे ते गम्भवक्कंतिया ते णं तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसगा नपुंसगा। एएसि णं एवमाझ्याणं पजत्तापजत्ताणं उरपरिसप्पाणं दस जाइकुलकोडि-जोणिप्पमुह-सयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, सेत्तं उरपरिसप्पा 7 / से किं तं भूयपरिसप्पा ?, भुयपरिसप्पा श्रोगविहा पन्नत्ता, तंजहा-नउला सेहा(गोहा) सरडा सल्ला सरंठा सारा खोरा घरोइला Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठी विभागा विस्संभरा मूसा मंगुसा पयलाइया छीरविरालिया जहा चउप्पइया, जे यावन्ने तहप्पगारा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमा य गम्भवक्कंतिया य, तत्थ णं जे ते संमुन्छिमा ते सव्वे नपुंसगा, तत्थ णं जे ते गम्भवक्कंतिया ते णं तिविहा पत्नत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा। एएसि णं एवमाइयाणं पजत्तापजत्ताणं भुयपरिसप्पाणं नव जाइकुलकोडिजोणिपमुहसयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, सेत्तं भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिया 8 / सेत्तं परिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया 1 // सू० 35 // से किं तं खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया ?, खहयर पंचिंदियतिरिक्खजोणिया चउब्विहा पन्नत्ता, तंजहा-चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विययपक्खी 1 / से किं तं चम्मपक्खी ?, चम्मपक्खी अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-वग्गुली जलोया अडिल्ला भारंडपक्खी जीवंजीवा समुद्दवायसा कराणत्तिया पक्खिबिरालिया, जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं चम्मपक्खी 2 / से किं तं लोमपक्खी ?, लोमपक्खी अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-ढंका कंका कुरला वायसा चक्कागा हंसा कलहंसा रायहंसा पायहंसा बाडा सेडी बगा बलागा पारिप्पवा कोंचा सारसा मेसरा मसूरा मयूरा सत्तहत्था सत्तवच्छा गहरा पोंडरिया कागा कामिंजुया वंजुलगा तित्तिरा वट्टगा लावगा कवोया कविजला पारेवया चिडगा चासा कुक्कुडा सुगा बरहिणा मयणसलागा कोइला सेहा वरिल्लगमाइ, सेत्तं लोमपक्खी 3 / से किं तं समुग्गपक्खी ?, समुग्गपक्खी एगागारा पन्नत्ता, ते णं नत्थि इहं, बाहिरएसु दीवसमुद्दे सु भवंति, सेत्तं समुग्गपक्खी 4 / से किं तं विययपक्खी ?, विययपक्खी एगागारा पन्नत्ता, ते णं नत्थि इहं, बाहिरएसु दीवसमुद्देसु भवंति, सेत्तं विययपक्खी 5 / ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमा य गम्भवक्कंतिया य, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा, तत्थ णं जे ते गम्भववतिया ते णं Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 26 श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 1 ] तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा 6 / एएसि णं एकमाइयाणं खहयर पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पजत्तापजत्ताणं बारस जाइकुलकोडिजोणिपमुह-सयसहस्सा भवंतोतिमक्खायं 7 / सत्तट्ठ जाइकुलकोडिलवख नव अद्धतेरसाइं च / दस दस य होंति नवगा तह बारस चेव बोद्धव्वा // 112 // सेत्तं खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया, सेत्तं पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया, सेत्तं तिरिक्खजोणिया 8 // सू० 36 // से किं तं मणुस्सा ?, मणुस्सा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिममणुस्सा य गम्भवक्कंतियमणुस्सा य 1 / से किं तं समुच्छिममणुस्सा ?, कहि णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति ?, गोयमा ! अंतो मणुस्सखित्ते पणयालीसाए जोयणसयसहस्सेसु अड्डाइज्जेसु दीवसमुद्दे सु पन्नरससु कम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु छपन्नाए अंतरदीवएसु गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं चेव उच्चारेसु वा पासवणेसु वा खेलेसु वा सिंघाणएसु वा वंतेसु वा पित्तेसु वा पूएसु वा सोणिएसु वा सुक्केसु वा सुकपुग्गल-परिसाडेसु वा विगयजीव-कलेवरेसु वा थीपुरिससंजोएसु वा गामनिद्धमणेसु वाणगरनिद्धमणेसु वा सव्वेसु चेव असुइट्ठाणेसु, पत्थ णं संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति, अंगुलस्स असंखेजइभागमेत्ताए योगाहणाए असन्नी मिच्छदिट्ठी अन्नाणी सव्वाहिं पजत्तीहिं अपजत्तगा अंतोमुहुत्ताउया चेव कालं करेंति, सेत्तं समुच्छिममणुस्सा 2 / से किं तं गम्भवक्कंतियमणुस्सा ?, गम्भवक्कंतियमणुस्सा तिविहा पन्नत्ता, तंजहाकम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा 3 / से किं तं अंतरदीवगा ?, अंतरदीवगा श्रट्ठावीसविहा पन्नत्ता, तंजहा-एगोरुया 1 श्राहासिया 2 वेसाणिया 3 णंगोली 4 हयकन्ना 5 गयकन्ना 6 गोकना 7 सक्कुलिकन्ना 8 श्रायंसमुहा 1 मेंढमुहा 10 अयोमुहा 11 गोमुहा 12 श्रासमुहा 13 हत्थिमुहा 14 सीहमुहा 15 वग्घमुहा 16 श्रासकन्ना 17 हरिकन्ना 18 अकन्ना 11 करणपाउरणा 20 उकामुहा 21 मेहमुहा 22 विज्जुमुहा Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः 23 विज्जुदंता 24 घणदंता 25 लट्ठदंता 26 गूढदंता 27 सुद्धदंता 28, सेत्तं अंतरदीवगा 4 / से किं तं अकम्मभूमगा ?, अकम्मभूमगा तीसविहा पन्नत्ता, तंजहा-पंचहिं हेमवएहिं पंचहिं हिरगणवएहिं पंचहिं हरिवासेहिं पंचहिं रम्मगवासेहिं पंचहिं देवकुरूहिं पंचहिं उत्तरकुरूहि, सेत्तं अकम्मभूमगा 5 / से किं तं कम्मभूमगा ?, कम्मभूमगा पन्नरसविहा पत्नत्ता, तंजहा-पंचहिं भरहेहिं पंचहिं एरवएहिं पंचहिं महाविदेहेहिं 1 / ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-श्रा[यारिया य मिलक्खू य 2 / से किं तं मिलक्खू ?, मिलक्खू अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-सगा जवणा चिलाया सबर-बब्बर-मुरंडोट्टभडग-निराणग-पक्कणिया कुलक्ख-गोंड-सिहल-पारस गोधा. कोंच-अंबडइदमिल-चिलल-पुलिंद-हारोसदोब-बोकाणगंधा हारवा प(ब)हलिय-अज्झलरोम-पास-पउसा मलया य बंधुया य सूयलि-कोंकणग-मेय-पल्हव-मालव मग्गर श्राभासिया कणवीर ल्हसिय खसा खासिय णेदूर मोंढ डोंबिलग लो(उ)स पयोस(बउस) केक्केय अक्खाग हणरोमग हूणरोमग भरू मरुय चि(वि)लाय वि(स)यवासी य एवमाइ, सेत्तं मिलिक्खू 3 / से किं तं श्रा[य]रिया ?, आ[यारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-इड्डिपत्तारिया य अणिढिपत्तारिया य, 4 / से किं तं-इड्डिपत्तारिया ?, इडिपत्तारिया छबिहा पन्नत्ता, तंजहा-अरहता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विजाहरा, सेत्तं इड्डिपत्तारिया 5 / से किं तं अणिड्डिपत्तारिया ?, अणिड्डिपत्तारिया नवविहा पन्नत्ता, तंजहा-खेत्तारिया 1 जातिधारिया 2 कुलारिया 3 कम्मारिया 4 सिप्पारिया 5 भासारिया 6 नाणारिया 7 दंसणारिया 8 चारित्तारिया 1 6 / से किं तं खेत्तारिया , खेत्तारिया श्रद्धछव्वीसतिविहाणा पन्नत्ता, तंजहा-रायगिह 1 मगह चंपा 2 अंगा तह तामलित्ति 3 वंगा य / कंचणपुरं 4 कलिंगा वाणारसी 5 चेव कासी य / / 113 / / साएय 6 कोसला गयपुरं 7 च कुरु सोरियं 8 कुसट्टा य / कंपिल्लं पंचाला 1 Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 31 श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-मूत्रम् :: पदं 1 } यहिबत्ता 20 जंगला चेव // 114 // बारवई 11 सोरट्टा गिहिल 12 विदहा य वच्छ 13 कोसंबी / नंदिपुर 14 संडिल्ला भहिलपुरमेव 15 मलया य / / 115 // वइराड 16 वच्छ वरणा अच्छा 17 तह मत्तियावइ 18 दसराणा / सोत्तियवई 11 य चेदी वीयभयं 20 मिंधुसोवीरा // 116 // महुरा 21 य सूरसेणा पावा 22 भंगी य मास 23 पुरिघट्टा। सावत्थी 24 य कुणाला कोडीवरिसं 25 च लाटा य // 117 // सेयवियाविय णयरी केकययद्धं च यारियं भणियं / इत्थुप्पत्ती जिणाणं चकीणं रामकराहाणं // 118 // सेत्तं खेत्तारिया 7 / से किं तं जाइयारिया ?, जाइयारिया छविहा पन्नत्ता, तंजहा-अंबट्टा य कलिंदा य, विदेहा वेंदगाइया। हरिया चुचुणा चेव, छ एया इन्भजाईश्रो॥ 111 // सेत्तं जाइयारिया 8 / से कि तं कुलारिया ?, कुलारिया छविहा पन्नत्ता, तंजहाउग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा णाया कोरवा, सेत्तं कुलारिया 1 / से किं तं कम्मारिया ?, कम्मारिया अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-दोसिया सुत्तिया कपासिया सुत्तवेयालिया भंडवेयालिया कोलालिया नरवाहणिया जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं कम्मारिया 10 / से कि तं सिप्पारिया ?, सिप्पारिया योगविहा पन्नत्ता, तंजहा-तुराणागा तंतुवाया पट्टगारा (पट्टागा) देयडा वस्ट्रा डबिया कट्टपाउयारा मुजपाउयारा छत्तारा वज्झारा पुत्थारा लेप्पारा चित्तारा संखारा दंतारा भंडारा जिज्झगारा सेल्लारा कोडिगारा, जे यावन्ने तहपगारा, सेत्तं सिप्पारिया 11 / से किं तं भासारिया ?, भासारिया जे णं अद्रमागहाए भासाए भासेंति, तथावि य णं जत्थ बंभी लिवी पवत्तइ, बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेक्खविहाणे पन्नते, तंजहा-बंभी 1 जवणाणिया 2 दोसापुरिया 3 खरोट्टी 4 पुक्खरसारिया 5 भोगवइया 6 पहराइया 7 अंतक्खरिया 8 अक्खरपुट्टि(ट्टि)या 1 वेणइया 10 निराहइया 11 अंकलिवी गणियलिवी 13 गंधवलिवी 14 यायंसलिवी 15 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32 / [ श्रीमदाग़मसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः माहेसरी 16 दोमिलिवी 17 पोलिन्दी 18, सेत्तं भासारिया 12 / से कि तं नाणारिया ?, नाणारिया पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-श्राभिणिबोहियनाणारिया सुयनाणारिया योहिनाणारिया मणपजवनाणारिया केवलनाणारिया, सेत्तं नाणारिया 12 / से किं तं दंसणारिया ?, दंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सरागदंसणारिया य वीयरायदंसणारिया य 14 / से किं तं सरागदसणारिया ?, सरागदसणारिया दसविहा पन्नत्ता, तंजहा'निसग्गुवएसरुई ग्राणाई सुत्तबीयरुइमेव / अभिगमवित्थाररुई किरियासंखेवधम्मरई // 120 // भूयत्थेणाहिगया जीवाजीवे य पुराणपावं च / सहसंमुइया पासवसंवरे य रोएइ उ निसग्गो // 121 // जो जिणदिट्ठ भावे चउबिहे सद्दहाइ सयमेव / एमेव नन्नहत्ति य निसग्गरुइत्ति नायव्यो // 122 // एए चेव उ भावे उवदितु जो परेण सदहइ। छउमत्थेण जिणेण व उवएसरुइत्ति नायवो // 123 // जो हेउमयाणंतो श्रोणाए रोयए पवयणं तु / एमेव नन्नहत्ति य एसो बाणारई नाम // 12.4 // जो सुत्तमहिज्जतो सुएण योगाहई उ सम्मत्तं / अंगेण बाहिरेण व सो सुत्तरइत्ति णायव्यो // 125 // एगपएणेगाई पदाइं जो पसरई उ सम्मत्तं / उदएव्व तिल्लबिंदू सो बीयरुइति नायव्वो // 126 // सो होइ अभिगमरुई सुयनाणं जस्स अत्थयो दिटुं / इकारस अंगाई पइन्नगा दिट्टिवायो य // 127 // दव्वाण सबभावा सव्वपमाणेहिं जस्स उबलद्धा / सव्याहिं नयविहीहिं वित्थाररुइत्ति नायब्वो // 128 // दंसणनाणचरित्ते तवविणए सव्वसमिइगुत्तीसु / जो किरियाभावरुई सो खलु किरियाई नाम // 121 / / श्रणभिगहियकुदिट्ठी संखेवरुइत्ति होइ नायव्यो / अविसारो पवयणे श्रणभिग्गहियो य सेसेसु // 130 // जो अत्थिकायधम्म. सुयधम्मं खलु चरित्तधम्मं च / सदहइ जिणाभिहियं सो धम्मरुइत्ति नायव्वो // 131 // परमत्थसंथवो वा सुदिट्ठपरमत्थसेवणा वावि / वावन्नकुदंसणवजणा य दूबा रत्ति नायकायाभावरुई 5 नायव्वा यधम्म. Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 1 ] सम्मत्तसइहणा // 131 // निस्संकिय निक्कंखिय निवितिगिच्छा अमूढदिट्ठी य / उवव्हथिरीकरणे वच्छल्लपभावणे अट्ठ॥ 133 // सेत्तं सरागदंसणारिया 15 / से किं तं वीयरायदंसणारिया ?, वीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उवसंतकसाय-वीयरायदंसणारिया य खीणकसायवीयरायदंसणारिया य 16 / से किं तं उवसंतकसाय-वीयरायदंसणारिया ?, उपसंतकसाय-वीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-उवसंतकसाय-वीयरायदंसणारिया य अपढमसमय-उवसंतकसाय-वीयरायदंसणारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-उवसंतकसाय-वीयरायदंसणारिया य अचरिमसमयउवसंतकसाय-वीयरायदंसणारिया य 17 / से किं तं खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया ?, खीणकसाय-वीयराय-दंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहाछउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य 18 / से किं तं छउमत्थ खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया ?, छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सयंबुद्धछउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसायवीयरायदंसणारिया य 11 / से कि तं सयंबुद्ध-छउमस्थ-खीणकसायवीयरायदंसणारिया ?, सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसायचीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य अपढमसमय सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य, अहवा चरिमसमय-सयंबुद्ध छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य अचरिमसमय-सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य, सेत्तं सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया 20 / से किं तं बुद्धबोहिय छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया ?, बुद्धबोहिय छउमाथ-खीणकसायवीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-बुद्धबोहिय-खीणकसायवोयरायदंसणारिया य अपढमसमय बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः दंसणारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-बुद्धवोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य अचरिमसमय-बुद्धबोहिय छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य, सेत्तं बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया, सेत्तं छउमत्थ-खीणकसाय-बीयरायदंसणारिया 21 / से किं तं केवलिखीणकसाय-वीयरायदंसणारिया ?, केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य अजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य 22 / से कि तं सजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया ?, सजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-सजोगि-केवलिखीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य अपढमसमय-सजोगि-केवलि-खीणकसायवीयरायदंसणारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-सजोगि-केवलि-खीणकसायवीयरायदंसणारिया य अचरिमसमय-सजोगि-केवलि-खीणकसाय वीयरायदसणारिया य, से तं सजोगि-केवलिखीणकसाय-वीयरायदंसणारिया 23 / से किं तं अजोगि केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया ?, अजोगिकेवलि-खीणकलाय-वीयरायदंसणारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमयअजोगि केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य अपढमसमय-ग्रजोगिकेवलि-खीणकसाय-बीयरायदंसणारिया य, अहवा चरिमसमय-अजोगिकेलि खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया य अचरिमसमय-अजोगि-केवलिखीणकलाय-वीयरायदंसणारिया य, से तं अजोगि-केवलि-खीणकसायवीयरायदंसणारिया 24 / से तं केवलि-खीणकसाय-वीयरायदंसणारिया, सेत्तं खीणकमाय-वीयरायदंसणारिया, सेत्तं वीयरायदंसणारिया, सेत्तं दंसणारिया 25 / से किं तं चरित्तारिया ?, चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहासरागचरित्तारिया य वीयरागचरित्तारिया य 26 ।से किंतं सरागचरित्तारिया?, सरागचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहमसंपराय-सराग-चरित्तारिया य Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 1 ] [ 35 बायरमंगराय-सराग-चरित्तारिया य 27 / से किं तं सुहुमसंपराय-सराग-चरित्तारिया ?, सुहुमसंपराय-सराग-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमयसुहुमसंपराय-सराग-चरित्तारियाय अपढमसमय-सुहुमसंपराय-सरागचरित्तारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-सुहमसंपराय-सरागचरित्तारिया य अचरिमसमयसुहुमसंपराय-सरागचरित्तारिया य, ग्रहवा सुहुमसंपराय-सराग-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संकिलिस्समाणा य विसुज्झमाणा य, सेत्तं सुहुमसंपराय-सराग-चरित्तारिया 28 / से किं तं बादरसंपराय-सराग-चरित्तारिया ?, बादरसंपराय-सराग-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-बादरसंपराय-सराग चरित्तारिया अपढमसमय-बादरसंपराय-सराग-चरित्तारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-बादरसंपराय-सराग चरित्तारिया य अचरिमसमय-बादरसंपराय-सराग-चरित्तारिया य, ग्रहवा बादरसंपराय-सराग-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पडिवाई य अपडिवाई य, सेत्तं बादरसंपराय-सरागचरित्तारिया, सेत्तं सरागचरित्तारिया 21 / से किं तं वीयराय-चरित्तारिया ?, वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उवसंतकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य खीणकसाय-बीयराय-चरित्तारिया य 30 / से किं तं उवसंतकसायवीयराय-चरित्तारिया ?, उवसंतकसाय-बीयराय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय उवसंतकसाय-बीयराय-चरित्तारिया य अपढमसमय-उवसंतकसाय-बीयराय चरित्तारिया य,ग्रहवा चरिमसमय-उवसंतकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य अचरिमसमय-उवसंतकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य, सेत्तं उवसंतकसायवीयराय-चरित्तारिया 31 / से किं तं खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया ?,खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया य केवलि-खीणकमाय-बीयराय-चरित्तारिया य 32 / से कि तं छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया ?, छउमस्थ-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सयंबुद्ध-छउमस्थ-खीणकसाय-वीयराय Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पष्ठो विभागः चरित्तारिया य बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया य 33 / से किंतं सयंबुद्ध-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया?, सयंबुद्ध-छउमत्थखीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-मयंयुद्धछउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य अपढमसमय-सयंबुद्ध छउमत्थखीणक साय-वीयराय-चरित्तारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-सयंबुद्ध-छउमत्थखीणकसाय-बीयराय-चरित्तारिया य अचरिमसमय-सयंबुद्ध-छउमस्थ-खीणाकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य, सेत्तं सयंबुद्ध-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया 34 / से किं तं बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया ?, बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहापढमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य अपदमसमय-बुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-बीयराय-चरित्तारिया य, अहवा चरिमसमय-बुद्धयोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य अचरिमसमयबुद्धबोहिय-छउमत्थ-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य, सेत्तं बुद्धयोहियछउमाथ-खोगाकसाय-बीयराय-चरित्तारिया, सेत्तं छउमत्थ-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया 35 / से किं तं केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया ?, केवलि खीणकमाय-बीयराय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा--सजोगिकेवलि-खीणकसाय-बीयराय-चरित्तारिया य यजोगि-केवलि-खीणकमायवीयराय-चरित्तारिया य 36 / से किं तं सजोगि-केवलि-खीणकसायवीयराय-चरित्तारिया ?, सजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-सजोगि-केवलि-खीणकसाय-वायरायचरित्तारिया य अपढमसमय-सजोगि-केवलि-खीणकसाय-बीयराय-चरित्तारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-सजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य अचरिमसमय-सजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्नारिया य, सेत्तं सनोगि-फेवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया 37 / से कि तं यजोगि Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 1 ] [ 37 केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया ?, अजोगि-केवलि-खीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-अजोगि-केवलिखीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य अपढमसमय-अजोगि-केवलि-खीणकसायवीयराय-चरित्तारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-अजोगि-केवलि-खीणकसायवीयराय-चरित्तारिया य अचरिमसमय-अजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया य, सेत्तं अजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया, सेत्तं केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया, सेत्तं खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया सेत्तं वीयराय-चरित्तारिया 38 / अहवा चरित्तारिया पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-सामाइन-चरित्तारिया छेदोवट्ठावणीय-चरित्तारिया परिहारविसुद्धिचरित्तारिया सुहमसंपराय-चरित्तारिया अहक्खाय-चरित्तारिया य 31 / से किं तं सामाइय-चरित्तारिया ?, सामाइय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहाइत्तरिय सामाइयचरित्तारिया य श्रावकहिय-सामाइयचरित्तारिया य, सेत्तं सामाइयचरित्तारिया 40 / से किं तं छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया ?, छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–साइयार छेदोवठ्ठावणिय-चरित्तारिया य निरइयार-छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया य, सेत्तं छेदोवठ्ठावणिय-चरित्तारिया 41 / से किं तं परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया ?, परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया दुविहा पनत्ता, तंजहा-निविस्समाण-परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया य निविट्ठकाइय-परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया य, सेत्तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया 42 / से किं तं सुहुमसंपराय-चरित्तारित्ता ?, सुहमसंपरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–संकिलिस्समाण-सुहुमसंपराय चरित्तारिया य विसुज्झमाण सुहुमसंपराय-चरित्तारिया य, सेत्तं सुहुमसंपरायचरित्तारिया 43 / से किं तं ग्रहक्खाय-चरित्तारिया ?, ग्रहक्खाय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-छउमत्थ-ग्रहक्खाय-चरित्तारिया य केवलिअहक्खाय-चरित्तारिया य, सेतं अहवखाय-चरित्तारिया 44 / सेत्तं Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः चरित्तारिया, सेत्तं अणिडिपत्तारिया, सेतं पारिया, सेत्तं कम्मभूमगा, सेत्तं गम्भवक्कतिया, सेत्तं मणुस्ता 45 // सू० 37 // से किं तं देवा ?, देवा चउबिहा पन्नत्ता, तंजहा-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया 1 / से किं तं भवणवासी ?, भवणवासी दसविहा पन्नत्ता, तंजहा-असुरकुमारा नागकुमारा सुवन्नकुमारा विज्जुकुमारा अग्गिकुमारा दीवकुमारा उदहिकुमारा दिसाकुमारा वाउकुमारा थणियकुमारा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, सेतं भवणवासी 2 / से कि तं वाणमंतरा ?, वाणमंतरा अट्टविहा पन्नत्ता, तंजहा-किन्नरा किंपुरिसा महोरगा गंधव्या जक्खा रक्खमा भूया पिसाचा, ते समासयो दुनिहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तया य, सेत्तं वाणमंतरा 3 / से किं तं जोइसिया ?, जोइसिया पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-चंदा सूरा गहा नक्खत्ता तारा, ते समासो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पज्जत्तगा य अपजत्तगा य, से तं जोइसिया 4 / से किं तं वेमाणिया ?, वेमाणिया दुविहा पनत्ता, तंजहाकप्पोवगा य कप्पाईया य 5 / से किं तं कप्पोवगा ?, कप्पोवगा बारसविहा पन्नत्ता, तंजहा-सोहम्मा ईसाणा सणंकुमारा माहिंदा बंभलोया लंतया महासुका सहस्सारा प्राणया पाणया धारणा अच्चुया, ते समांसयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, से तं कप्पोवगा 6 / से कि तं कप्पाईया ?, कापाईया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-गेविजगा य अणुत्तरोववाइया य 7 / से किं तं गेविजगा ?, गेविजगा नवविहा पन्नत्ता, तजहाहिट्ठिमहिट्ठिमगेविजगा हिटिममज्झिमगेविजगा हिट्ठिमउवरिमगेविजगा मझिमहेट्ठिमगेविजगा मज्झिममज्झिमगेविजगा मज्झिमउवरिमगेविजगा उपरिमहेट्ठिमगेविजगा उवरिममन्भिमगेविजगा उवरिमउवरिमगेविजगा, ते समासयो दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपज्जत्तगा य, सेतं गेविजगा 8 / से कि तं अणुत्तरोववाइया?, अणुत्तरोववाइया पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 2 ] विजया वेजयंता जयंता अपराजिता सव्वट्टसिद्धा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, सेत्तं अणुत्तरोववाइया, सेत्तं कप्पाईया, सेत्तं वेमाणिया 1 / सेत्तं देवा, सेत्तं पंचिंदिया, सेत्तं संसारसमावन्न. जोवपन्नवणा, सेत्तं जीवपन्नवणा, सेत्तं पन्नवणा 10 // सू० 38 // पनवणाए भगवईए पढमं पनवणापयं समत्तं // ___ // इति प्रथमं पदम् // 1 // // अथ स्थानाख्यं द्वितीयं पदम् // कहि णं भंते ! बादर-पुढवीकाइयाणं पजत्तगाणं गणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु, तंजहा-रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूपप्पभाए तमप्पभाए तमतमप्पभाए ईसीप्पन्भाराए, ग्रहोलोए पायालेसु भवणेसु भवणपत्थडेसु निरएसु निरयावलियासु निरयपत्थडेसु, उड्डलोए कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु, तिरियलोए टंकसु कूडेसु सेलेसु सिहरीसु पभारेसु विजएसु वक्खारेसु वासेसु वासहरपव्वएसु वेलासु वेड्यासु दारेसु तोरणेसु दीवेसु समुद्देसु, एत्थ णं बायरपुढवीकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजभागे समुग्घायेणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्टाणेणं लोगस्स असंखेजइभागे 1 / कहि णं भंते ! बादर-पुढवीकाइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जत्थेव बादरपुढवीकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता तत्थेव बादरपुढवीकाइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, तंजहाउववाएणं सब्बलोए समुग्घाएणं सवलोए सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 2 / कहि णं भंते ! सुहुम पुटवीकाइयाणं पजत्तगाणं अपजत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा! सुहुमपुढवीकाइया जे पज्जत्तगा जे अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा प्रणाणत्ता सव्वलोय-परियावनगा पन्नता, समणाउसो ! Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः 3 / कहि णं भंते ! बादर-बाउकाइयाणं पजत्तगाणं गणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! सट्टाणेणं सत्तसु घणोदहीसु सत्तसु घणोदहि-वलयेसु ग्रहोलोए पायालेसु भवणेसु भरणपत्थडेसु उड्डलोए कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु तिरियलोए अगडेसु तलायेसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उझरेसु निन्झरेसु चिललएसु पल्ललएसु वप्पणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलढाणेसु, एत्थ णं बादस्याउकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घायेणं लोयस्स असंखेजइभागे, सटाणेणं लोयस्स असंखेनइभागे 4 / कहि णं भंते ! बादर-पाउकाइयाणं अपजत्तगाणं ठगणा पन्नत्ता ?, गोयमा! जत्थेव बादरग्राउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पनत्ता तत्थेव बादर-भाउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं गणा पत्नत्ता, उववाएणं सव्वलोए, समुग्घायेणं सब्बलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जइभागे 5 / कहि णं भंते ! सुहुमबाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं गणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सुहुमबाउकाइया जे पज्जत्तगा जे अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोय-परियावन्नगा पन्नत्ता समणाउसो ! 6 / कहि णं भंते ! गयर-तेउकाइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, गोयमा ! सट्ठाणेणं अंतोवासखेते अड्डाइज्जेसु दीवसमुद्देसु निवाघायेणं पन्नरससु कम्मभूमीसु गणपडुच पंचसु महाविदेहेसु, एत्थ णं बादर-तेउकाइयाणं पजत्तगाणं असत्ता, उबवाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोगस्स बायपागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 7 / कहि णं भंते ! काइशयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जत्थेव बायरतेउपपजत्तगाणं ठाणा तत्थेव बायरतेउकाइयाणं अपजत्तगाणं. ठाणा , उववाएणं लोयस्स दोसु उड्डकवाडेसु तिरियलोयत? य, समुग्घाएणं Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 41 श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 2 ] सब्बलोए सट्ठाणेणं लोयस्त असंखेजइभागे 8 / कहि णं भंते ! सुहुमतेउ. काइयाणं पजत्तगाण य अपजत्तगाण य ाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सुहुमतेउकाइबा जे पजत्तगा जे अपजत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सब्बलोय-परियावन्नगा पन्नता, समणाउसो ! 1 // सू० 31 // कहि णं भंते ! बादर-वाउकाइयाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सट्ठाणेणं सत्तसु घणवाएसु सत्तसु घणवाय-वलएसु सत्तसु तणुवाएसु सत्तसु तणुवाय-वलयेसु, अहोलोए पायालेसु भवणेसु भवण पत्थडेसु भवण-छिद्देसु भवण-निवखुडेसु निरएसु निरयावलियासु निरय-पत्थडेसु निरय-छिद्दसु निरय निक्खुडेसु, उडलोए कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाण-पत्थडेसु विमाणछिद्दे सु विमाण-निक्खुडेसु, तिरियलोए पाईण-पईण-दाहिणउदीण सव्वेसु चेव लोगागास-छिद्देसु लोग-निक्खुडेसु य, एत्थ णं बादर-वाउकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु, सटाणेणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु 1 / कहि णं भंते ! अपजत्त-वादर-बाउकाइयाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जत्थेव बादर-वाउकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादरवाउकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं सबलोए समुग्घाएणं सबलोए, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेज्जेसु भागेसु 2 / कहि णं भंते ! सुहुम-वाउकाइयाणं पजत्तगाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सुहुमवाउकाइया जे पजत्तगा जे य अपजत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोय-परियावनगा पन्नत्ता, समणाउसो ! 3 / कहि णं भंते ! बादरवणस्सइकाइयाणं पजत्तगाणं आणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! सट्टाणेणं सत्तसु घणोदहिसु सत्तसु घणोदहिवलयेसु, ग्रहोलोए पायालेसु भवणेसु भवणपत्थडेसु, उड्डलोए कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु, तिरियलोए अगडेसु तडागेसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विमागः गुजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निझरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलठाणेसु, एत्थ णं बादर-वणस्सइकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं सव्वलोए समुग्घाएणं सव्वलोए सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 4 / कहि णं भंते ! बादर-वणस्सइकाइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जत्थेव बादर-वणस्सइकाइयाणं पजत्तगाणं ठाणा तत्थेव बादर-वणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं सव्वलोए समुग्धाएणं सव्वलोए सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 5 / कहि णं भंते ! सुहुम-वणस्सइकाइयाणं पजत्तगाणं अपजत्तगाण य ठाणा पन्नत्ता, ?, गोयमा ! सुहुमवणस्सइकाइया जे य पजत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसा अणाणत्ता सव्वलोय-परियावनगा पनत्ता, समणाउसो ! 6 // सू० 40 // ___ कहि णं भंते ! बेइंदियाणं पजत्तापजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उडलोए तदेकदेसभागे ग्रहोलोए तदेकदेसभागे तिरियलोए अगडेसु तलारसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निझरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सब्बेसु चेव जलासयेसु जलठाणेसु एत्थ णं बेइंदियाणं पजतापजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोगस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोगस्स असंखेजइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 1 / कहि णं भंते ! तेइंदियाणं पजतापज्जत्तगाण ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उड्डलोए तदेकदेसभाए अहोलोए तदेकदेसभाए तिरियलोए अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निझरेसु चिललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 2 ] [ 43 जलासएसु जलठाणेसु, एत्थ णं तेइंदियाणं पजत्तापजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 2 / कहि णं भंते ! चरिंदियाणं पजत्तापजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उड्डलोए तदेकदेसभागे ग्रहोलोए तदेकदेसभागे तिरियलोए अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु रिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निझरेसु चिल्ललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलाणेसु, एत्थ णं चउरिदियाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 3 / कहि णं भंते ! पंचिंदियाणं पजत्तापजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उड्डलोयस्स तदेकदेसभाए ग्रहोलोयस्स तदेकदेसभाए तिरियलोऐ अगडेसु तलाएसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निझरेसु चिललेसु पललेसु विप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सब्वेसु चेव जलासएसु जलगणेसु एस्थ णं पंचिंदियाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएण लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 4 // सू० 41 // कहि णं भंते ! नेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पनत्ता ?, कहि णं भंते ! नेरइया परिवसंति ?, गोयमा ! सट्ठाणेणं सत्तसु पुढवीसु, तंजहा-रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए तमप्पभाए तमतमप्पभाए, एत्थ णं नेरइयाणं चउरासीइ निरयावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं नरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्प-संठाण-संठिया निच्चंधयारतमसा ववगय-गह-चंद-सूर-नक्खत्त-जोइसियपहा मेद-वसा-पूय-पडल-रुहिरमांस-चिक्खिल-लित्ताणुलेवणतला असुइबिभच्छा(वीसा) परमदुन्भिगंधा Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः काउय-अगणि-वन्नाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणायो, एत्थ णं नेरइयाणं पजत्तापजत्तगाणं ठाणा पन्नत्ता, उववाए लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, एत्थ णं बहवे नेरइया परिवसंति, काला कालोभासा गंभीर-लोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकराहा वन्नेणं पनत्ता समणाउसो !, ते णं तत्थ निच्चं भीता निच्चं तत्था निच्चं तसिया निच्चं उविग्गा निच्चं परम-मसुह-संबद्धं णरगभयं पचणुभवमाणा विहरंति // सू० 42 // कहि णं भंते ! रयणप्पभा-पुढवीनेरझ्याणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! रयणप्पभा-पुढवीनेरइया परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरि एगं जोयण-सहस्स-मोगाहित्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से, एत्थ णं रयणप्पभा-पुढवीनेरइयाणं तीसं निरयावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्प-संठाणसंठिया निच्चंधयार-तमसा ववगय-गह-चंदसूर-णक्खत्त-जोइसप्पहा मेद-वसा-पूय-पडल-रुहिर-मांस-चिक्खिल्ल-लित्ताणुलेवणतला असुइवीसा परमदुभिगंधा काउ-अगणि-वन्नाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा गरगा असुभा णरगेसु वेयणायो, एत्थ णं रयणप्पभापुढवीनेरझ्याणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयरस असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे रयणप्पभा-पुढवीनेरइया परिवसंति, काला कालोभासा गंभीर. लोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिराहा बन्नेणं पन्नत्ता, समणाउसो !, ते णं निचं भीता निच्चंतत्था निच्चं तसिया निच्चं उबिग्गा निच्चं परम मसुहसंबद्धं णरगभयं पचणुभवमाणा विहरंति 1 / कहि णं भंते ! सकरप्पभा-पुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! सकरप्पभा-पुढवीनेर Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 2 ] इया परिवसंति ?, गोयमा ! सकरप्पभा-पुढवीए बत्तीसुत्तर-जोयण-सयसहस्सबाहलाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं श्रोगाहित्ता हेट्टा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे तीसुत्तरे जोयणसयसहस्से एत्थ णं सकरप्पभा-पुढवीनेरइयाणं पणवीसं निरयावास-सयसहस्सा हवंतीति मक्खायं, ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चरंसा अहे खुरप्पसंठागासंठिया निच्चंधयारतमसा ववगय-गह-चंद मूर-नक्वत्त-जोइसियपहा मेदवसा-पूयपडल-रुहिर-मांस-चिविखल्ल-लिताणुलेवणतला असुइवीसा. परमदुब्भिगंधा काउअगणिवन्नाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा णरगा असुभा णरगेसु वेयणायो, एत्थ णं सकरप्पभापुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पनत्ता, उववाएणं समुग्घाएणं सट्टाणेणं लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे सकरप्पभा-पुढवीनेरइया परिवसंति, काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिराहा वन्नेणं पन्नत्ता, समणाउयो ! ते णं निच्च भीता निच्चं तत्था निच्चं तसिया निच्चं उब्विग्गा निच्चं परम-मसुहसंबद्धं नरगभयं पञ्चणुभवमाणा विहरंति 2 / कहि णं भंते / वालुयप्पभा-पुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! वालुयप्पभा-पुढवीनेरइया परिवसंति ?, गोयमा ! वालुयप्पभापुढवीए अट्ठावीसुत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं योगाहित्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे छव्वीसुत्तर-जोयणसयसहस्से एत्थ णं वालुयप्पभा-पुढवीनेरइयाणं पन्नरस-नरयावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया निच्चंधयारतमसा ववगय-गहचंद-सूरनक्खत्त-जोइसप्पहा मेदवसापूयपडल-रुहिरमंस-चिक्खिल्ल-लित्ताणुलेवणतला असुइवीसा परमदुभिगंधा काउअगणिवन्नाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणायो, एत्थ णं वालुयप्पभापुढवीनेरझ्याणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 46 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे वालुयप्पभा-पुढवीनेरइया परिवसंति, काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिराहा वन्नेणं पन्नत्ता, समणाउसो !, ते णं निव्वं भीता निच्चं तत्था निच्चं तसिया निच्चं उब्धिगा निच्चं परममसुहं संबद्धं णरगभयं पच्चणुभवमाणा विहरंति 3 / कहि णं भंते ! पंकप्पभा-पुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नता ?, कहि णं भंते ! पंकप्पभा-पुढवीनेरइया परिवसंति ?, गोयमा ! पंकप्पभापुढवीए वीसुत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं श्रोगाहित्ता हिट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्ठारसुत्तरे जोयणसयसहस्से एत्थ णं पंकप्पभापुढवीनेरइयाणं दस निरयावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया निच्चंधयारतमसा ववगय-गहचंद-सूरनक्खत्त-जोइसियप्पहा मेदवसापूयपडल-रुहिरमंस-चिक्खिल्ल-लित्ताणुलेवणतला असुइवीसा परमदुभिगंधा काउअगणिवन्नभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणायो, एत्थ णं पंकप्पभापुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्त असंखेजइभागे, समुग्घाएगां लोयस्स असंखेजइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे पंकप्पभा-पुढवीनेरइया परिवसंति, काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिराहा वन्नेणं पराणत्ता समणाउसो !, ते णं निच्चं भीया णिच्चं तत्था णिच्चं तसिया निच्चं उव्विग्गा णिच्चं परममसुहसंबद्धं गरगभयं पञ्चणुभवमाणा विहरंति 4 / कहि णं भंते ! धूमप्पभा-पुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! धूमप्पभापुढवीनेरइया परिवसंति ?, गोयमा ! धूमप्पभापुढवीए अट्ठारसुत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं योगाहित्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे सोलसुत्तरजोयण-सयसहस्से, एत्थ णं धूमप्पभा-पुढवीनेरइयाणं तिन्नि निरयावास Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 47 मदभगधा काउग्रगाणा, एत्थ णां धूमप्यमानभागे समुग्धारण धूमपभा श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 2 ] सयसहस्सा भवतीति मक्खायं, ते णं गरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया निच्चंधयारतमसा ववगय-गहचंद-सूरनवखत्त-जोइसियपहा मेदवसा-पूयपडल-रुहिरमंस-चिविखल्ल-लित्ताणुलेवणतला असुइवीसा परमदुभिगंधा काउयगणिवन्नाभा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणायो, एत्थ णं धूमप्पभापुटवीनेरझ्याणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे धूमप्पभापुढवीनेरइया परिवसंति, काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिराहा वन्नेणं पन्नत्ता, समणाउसो !, ते णं निच्चं भीता निच्चं तत्था निच्चं तसिया निच्चं उविग्गा निच्चं परममसुहसंबद्धं नरगभयं पञ्चणुभवमाणा विहरंति 5 / कहि णं भंते ! तमापुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि गणं भंते ! तमापुढवीनेरइया परिवसंति?, गोयमा ! तमाए पुढवीए सोलसुत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरि एगं जोयणसहस्सं योगाहित्ता हिट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजिता मज्झे चउदसुत्तर-जोयण-सयसहस्से एत्थ णं तमप्पभापुढवीनेरझ्याणं एगे पंचूणे णरगावास-सयसहस्से हवंतीति मक्खायं, ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया निच्चंधयारतमसा ववगय-गहचंद-सूरनक्खत्तजोइसियपहा मेदवसा-पूयपडल-रुहिरमंस--चिविखल-लित्ताणुलेवणतला असुइवीसा परमदुब्भिगंधा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणायो, एत्थ णं तमापुढवीनेरझ्याणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्टाणेणं लोयस्त असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे तमप्पभापुढवीनेरइया परिखसंति, काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिराहा वन्नेणं पन्नत्ता, समणाउसो !, ते णं निच्चं भीता Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः निव्वं तत्था निच्चं तसिया निच्चं उविग्गा निच्चं परममसुहसंबद्धं नरगभयं पञ्चणुभवमाणा विहरंति 6 / कहि णं भंते ! तमतमा-पुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! तमतमा-पुढवीनेरइया परिवसंति ?, गोयमा ! तमतमाए पुढवीए अट्टोत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरि श्रद्धतेवन्नं जोयणसहस्साई भोगाहित्ता हेटावि अद्धतेवन्नं जोयणसहस्साई वजित्ता मज्झे तीसु जोयणसहस्सेसु एत्थ णं तमतमा-पुढवीनेरइयाणं पजत्तापजत्ताणं पंचदिसि पंच श्रणुत्तरा महइमहालया महानिरया पन्नत्ता, तंजहाकाले महाकाले रोरुए महारोरुए अपइट्टाणे, ते णं गरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंगणसंठिया निच्चंधयारतमसा ववगय-गहचंद-सूरनक्खत्तजोइसियपहा मेदवसा-पूयपडल-रुहिरमंस-चिक्खिल्ल-लित्ताणुलेवणतला असुइवीसा परमदुन्भिगंधा कक्खडफासा दुरहियासा असुभा नरगा असुभा नरगेसु वेयणाश्रो, एत्थ णं तमतमा-पुढवीनेरझ्याणं पजत्ताऽपजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे तत्थ णं बहवे तमतमापुढवीनेरइश्रा परिवसंति, काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणगा परमकिराहा वन्नेणं पन्नत्ता, समणाउसो !, ते णं निच्चं भीता निच्चं तत्था निच्चं तसिया निच्चं उविग्गा निच्चं परममसुहसंबद्धं गरगभयं पचणुभवमाणा विहरंति 7 / वासीयं बत्तीसं अट्ठावीसं च हुंति वीसं च / अट्टारससोलसगं अठ्ठत्तरमेव हिट्ठिमिया // 134 // अठ्ठत्तरं च तीसं छब्बीसं चेव सयसहस्सं तु / अट्ठारस सोलसगं चउद्दसमहियं तु छट्ठीए // 135 // अद्धतिवन्नसहस्सा उवरिमऽहे वजिऊण तो भणियं / मज्झे तिसहस्सेसु होंति उ नरगा तमतमाए // 136 // तीसा य पन्नवीसा पन्नरस दसेव सयसहस्साई। तिन्नि य पंचूणेगं पंचेव अणुत्तरा नरगा // 137 // // सू० 43 // कहि णं भंते ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पजत्तापजत्ताणं Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-मूत्रम् :: पदं 2 ] [ 49 ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उडलोए तदेकदेसभाए ग्रहोलोए तदेकदेसभाए तिरियलोए अगडेसु तलायेसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियासु बिलेसु विलपंतियासु उज्झरेसु निझरेसु चिललेसु पल्ललेसु वप्पिणेसु दीवेसु समुद्देसु सव्वेसु चेव जलासएसु जलठाणेसु, एत्थ णं पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पजत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, सहाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे // सू० 44 // कहि णं भंते ! मणुस्साणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अंतो मणुस्सखेत्ते पणयालीसाए जोयणसयसहस्सेसु अड्डाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पन्नरससु कम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु छप्पन्नाए अंतरदीवेसु, एत्थ णं मणुस्साणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएण लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं सव्वलोए, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे // सू० 45 // कहि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि गां भंते ! भवणवासी देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं श्रोगाहित्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से, एत्थ णं भवणवासीणं देवाणं सत्त भवणकोडीयो बावत्तरि भवणावास-सयसहस्ता भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पुक्खरकन्निया-संठाणसंठिया उकिन्नंतर विउल-गंभीर-खातफलिहा पागारट्टालय-कवाड-तोरण-पडिदुवार--देसभागा जंतसयग्धि-मुसल-मुसंदिपरियारिया अउज्मा सदाजया सदागुत्ता अडयाल-कोट्टग-रइया यडयालकयवण-माला खेमा सिवा किंकरामर-दंडोवरक्खिया लाउलोइय-महिया गोसीस-परस-रत्तचंदण-दहर दिन्न-पंचंगुलितला उचिय-चंदणकलसा चंदणघडसुकय-तोरण-पडिदुवार-देसभागा घासत्तोसत्त-विउल-बट्ट-वग्धारिय-मल्ल Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 50 1 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः दाम-कलावा पंचवन्न-सरस-सुरभि-मुक पुष्फ-पुजोवयार-कलिया (ग्रंथाग्रं 1000) कालागुरु पवर-कुदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छरगण-संघ-संविगिन्ना दिव्वतुडिय-सह-संपणातिया सव्वरयणामया अच्छा सराहा लगहा घट्टा मट्ठा णीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पहा ससिरिया समिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, एत्थ णं भवणवासिदेवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, सट्ठाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे भवणवासी देवा परिवसंति, तंजहा-असुरा नाग सुवन्ना विज्जू अग्गी य दीव उदही य / दिसि-पवण-थणियनामा दसहा एए भवणवासी // 138 // चूडामणि-मउडरयण-भूसण-णागफड-गरुल-वइर-पुन्नकलस-कउप्फेसा सीह-मगर-गयंक अस्सवरवद्धमाण-निज्जुत्त-चित्त-चिंधगता सुरुवा महिड्डिया महज्जुइया महब्बला महायसा महाणुभावा महेसक्खा(महासो(स)क्खा) हार-विराइअ-वच्छा कडगतुडिय-थंभियभुया अंगद-कुंडल-मट्टगंडतल-कन्न-पीढधारी विचित्त-हत्थाभरणा विचित्त-माला-मउंलि-मउडा कल्लाणग-पवर-वत्थपरिहिया कल्लाणग-पवरमलाणुलेवणधरा भासुरबोंदि-पलंबवण-मालधरा दिव्वेणं वन्नेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं फासेणं दिवेणं संघयणेणं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्याए इडीए दिवाए जुईए दियाए पभाए दिवाए छायाए दिव्वाए बच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्याए लेसाए दस दिसायो उज्जोवेमाणा पभासेमाणा ते णं तत्थ साणं साणं भवणावास-सयसहस्साणं साणं साणं सामाणिय-साहस्सीणं साणं साणं तायत्तीसाणं साणं साणं लोगपालाणं साणं साणं अग्गमहिसीणं साणं साणं परिसाणं साणं साणं अणियाणं साणं साणं अणिवाहिवईणं साणं साणं श्रापरक्ख-देवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं भवणवासीणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञाफ्नोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 2 ) ग्राणाईसर-सेणावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महताहत-नट्ट-गीय-वाइय-तंतितल-ताल-तुडिय-घण-मुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणा विहरति 1 / कहि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं पजत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! असुरकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उरि एगं जोयणसहस्सं योगाहित्ता हेट्टा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से एत्थ णं असुरकुमाराणं देवाणं चउसद्धिं भवणावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खायं / ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा यहे पुक्खर-कन्निया-संठाणसंठिया उकिन्नंतर-विउल-गंभीर-खायफलि(परिहा पागारट्टालय-कवाड-तोरण-पडिदुवार-देसभागा जंतसयग्घि-मुसल-मुसंढिपरियारिया अउज्झा सदाजया सदागुत्ता अडयाल-कोटग-रझ्या अडयालकय-वणमाला खेमा सिवा किंकरामर-दंडोवरक्खिया लाउल्लोइय-महिया गोसीस-सरस-रत्तचंदण-ददर-दिन-पंचंगुलितला उवचित-चंदणकलसा चंदणघड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभागा ग्रासत्तोसत्त-विउल-वट्ट-वग्धारिय-मल्लदामकलावा पंचवन्न-सरस-सुरभि-मुक-पुप्फ-पुजोवयारकलिया कालागुरु-पवरकुदु. रुक-तुरुक-डझंत-धूव-मघमघंत-गंधुद्धयाभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छरगण-संघ-संविगिना दिवतुडिय-सह-संपणादिया सब्बरयणामया अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्ठा णीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया समिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूवा एत्थ णं असुरकुमाराणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे, समुग्घायेणं लोयस्स असंखेजइभागे, सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे असुरकुमारा देवा परिवसंति काला लोहियक्ख-बिंबोडा धवलपुष्पदंता असियकसा वामे एगकुडलधरा ग्रहचंदगाणुलितगत्ता ईसीसिलिंध-पुप्फपगासाई असंकिलिट्टाई सुहुमाई वस्थाई Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52 } [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागा पवरपरिहिया वयं च पढम समइक्कता बिइयं च वयं असंपत्ता भद्दे जोवणे वट्टमाणा तलभंगय-तुडिय-पवरभूसण-निम्मल-मणिरयण-मंडितभुया दसमुदा-मंडियग्गहत्था चूडामणि-विचित्त-चिंधगया सुरुवा महिड्डिया महज्जुझ्या महायसा महब्बला महाणुभागा महासोक्खा हारविराइयवच्छा कडय-तुडिरथंभियभुया अंगय-कुडल-मट्ठ-गंडयल-कन्नपीढधारी विचित्त-हत्थाभरणा विचित्त-मालामउली कलाणग-पवर-वत्थपरिहिया कलाणग-पवर-मल्लाणुलेवणधरा भासुरबोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वन्नेणं दिवेणं गंधेणं दिव्वेणं.. फासेणं दिवेणं संघयणेणं दिव्वेणं संगणेणं दिवाए इड्डीए दिव्वाए जुईए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए यचीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसायो उज्जोवेमाणा पभासेमाणा, ते णं तत्थ साणं साणं भवणावाससय. सहस्साणं साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं साणं तायत्तीसाणं साणं साणं लोगपालाणं साणं साणं अग्गमहिसीणं साणं साणं परिसाणं साणं साणं अणियाणं साणं साणं अणियाहिबईणं साणं साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि च बहूणं भवणवासीणं देवाण य देवीण य बाहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं प्राणाईसर-सेणावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महताहत-नट्टगीत-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं दिव्याई भोगभोगाई भुजमाणा विहरंति 2 / चमर. बलिणो इत्थ दुवे असुरकुमारिंदा असुरकुमाररायाणो परिवसंति, काला महानीलसरिसा णीलगुलिप गवल-अयसि-कुसुमप्पगासा वियसिय-सयवत्तणिम्मल-ईसिसित-रत्त-तंबणयणा गरुलायय-उज्जु-तुगनासा उवचिय-सिलप्पवाल-बिंबफल-संनिहाहरोट्ठा पंडुर-ससि-सगल-विमल-निम्मल-दहि घण-संखगोक्खीर-कुंद-दगरय-मुणालियाधवल-दंतसेढी हुयवह-निद्धंत-धोय-तत्त-तवणिजरत्त-तल-तालुजीहा अंजण-घण-कसिण-गरुयग-रमणिज-णिद्धकेसा * वामेयकुंडलधरा अदचंदणाणुलित्तगत्ता ईसिसिलिंध-पुप्फपगासाइं असंकिलिट्ठाई Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 2 ) [ 53 सुहुमाइं वत्थाई पवरपरिहिया वयं च पढमं समइक्कंता बिइयं तु असंपत्ता भद्दे जोवणे वट्टमाणा तलभंगय-तुडिय-पवरभूनण-णिम्मल-मणिरयणमंडियभुया दसमुद्दा-मंडियग्गहत्था चूडामणि-चित्तचिधगया सुरूबा महड्डिया महजुईया महायसा महावला महाणुभागा महासोक्खा हारविराइयवच्छा कडयतुडिय-थंभियभुया ग्रंगद-कुडल-मट्टगंडतल-कन्नपीढवारी विचित्तहत्थाभरणा विचित्तमालामउली कल्लाणग-पवर-वत्थपरिहिया कलाणगपवर-मल्लाणुलेवणधरा भासुरबोंदी पलंब-वण-मालधरा दिव्वेणं वन्नेणं दिव्वेणं गंधेणं दिब्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेणं दिव्वेणं संगणेणं दिव्वाए इड्डीए दिवाए जुईए दिवाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्याए अचीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए ले साए दस दिसायो उज्जोवेमाणा पभासेमाणा, ते णं तत्थ साणं साणं भवणावास-सयसहस्सागां साणं साणं सामाणिय-साहस्सीगां साणं साणं तायत्तीसागां साणं साणं लोगपालागां साणं साणं अग्गमहिसीगां साणं साणं परिसागां साणं साणं अणियागां साणं साणं अणियाहिवईयां साणं साणं पायरक्ख-देवसाहस्सीणां अन्नेसिं च बहुणं भवणवासीयां देवाण य देवीण य याहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं प्राणाईसरसेणावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महयाहय-नट्ट-गीय-वाइय-तंती-तलताल-तुडिय-घण-मुइंग-पडुप्पवाइयरवेगां दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणा विहरंति 3 / कहि णं भंते ! दाहिणिलाणां असुरकुमारागां देवाणं पजत्तापजत्तागां ठाणा पन्नता ?, कहि णं भंते ! दाहिणिल्ला असुरकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! जंबूहीवे दीवे मंदररस पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं योगाहित्ता हिट्टा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से, एत्थ णं दाहिणिल्लागां असुरकुमाराणां देवाणं चउत्तीसं भवणावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, तेणं भवणा बाहिं वट्टा यंतो चउरंसा Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठी विभागः सो चेव वराणयो जाव पडिरूवा, एत्थ णं दाहिणिलाणां असुरकुमाराणां देवाणं पजत्तापजत्तायां ठाणा पन्नत्ता, तीसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे दाहिणिल्ला असुरकुमारा देवा देवीश्रो परिवसंति, काला लोहियक्खा तहेव जाव भुजमाणा विहरंति, एएसि णं तहेव तायतीसग-लोगपाला भवंति, एवं सव्वत्थ भाणियव्वं 4 / भवणवासी णं चमरे इत्थ असुरकुमारिंदे असुरकुमाराराया परिवसति काले महानीलसरिसे जाव पभासेमाणे, से णं तत्थ चउतीसाए भवणावास-सयसहस्साणां चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीणां तायत्तीसाए तयत्तीसगाणं चउराहं लोगपालाणं पंचराहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिरहं परिसाणं सत्तरहं अणियाणं अत्तराहं अणियाहिबईणं चउराह य चउसट्ठीगां पायरक्खदेवसाहस्सीणां अन्नेसि च बहूणं दाहिणिल्लागां देवाणं देवीण य आहेवच्चं पोरेखच्चं जाव विहरंति 5 / कहि णं भंते ! उत्तरिलाणां असुरकुमाराणां देवाणं पजत्तापज्जत्ताणां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! उत्तारल्ला असुरकुमारा देवा परिखसंति ?, गोयमा ! जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पवयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए (ग्रं० 1100) असीउत्तरजोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं श्रोगाहित्ता हिट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसंहस्से, एत्थ णं उत्तरिलागां असुरकुमाराणां देवाणां तीसं भवणावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा सेसं जहा दाहिणिलाणां जाव विहरंति, बली एत्थ वइरोयणिदे वइरोयणराया परिवसति काले महानीलसरिसे जाव पभासेमाणे 6 / से ग तत्थ तीसाए भवणावास-सयसहस्साणां सट्ठीए सामाणियसाहस्सीगां तायत्तीसाए तायत्तीसगाणां चउराहं लोगपालाणां पंचराह अग्गमहिसीणां सपरिवाराणां तिरहं परिसाणां सत्तरहं अणियाणां सत्तराहं अणियाहिबईणां चउराह य सट्ठीणं पायरवख-देवसाहस्सीणां अन्नेसिं च बहूणं उत्तरिल्लागां असुरकुमाराणां देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरवेच्चं कुब्वमाणे Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 2 ] [ 55 विहरइ 7 / कहि णं भंते ! नागकुमाराणां देवाणां पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! नागकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर-जोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं श्रोगाहित्ता हिट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से एत्थ णं नागकुमाराणां देवाणं पजत्तापजत्ताणां चुलसीड भवणावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा जाव पडिरूवा, तत्थ णं णागकुमाराणां पजत्तापजत्ताणां गणा पन्नत्ता, तीसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे नागकुमारा देवा परिवसंति महिड्डिया महज्जुईया सेसं जहा श्रोहियागां जाव विहरंति 8 / धरणभूयाणांदा एत्थ णं दुवे नागकुमारिंदा णागकुमाररायाणो परिवसंति महड्डिया सेसं जहा श्राहियाणां जाव विहरंति 1 / कहि णं भंते ! दाहिणिलागां नागकुमाराणं देवाणं पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! दाहिणिला नागकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणां इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर-जोयणसयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं योगाहित्ता हिट्टा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से, एस्थ णं दाहिणिलाणां नागकुमाराणां देवाणं चउयालीसं भवणावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा बाहिं वट्टा जाव पडिरूवा, एत्थ णं दाहिणिलाणां नागकुमारागां पजत्तापज्जत्तागां गणा पन्नत्ता, तीसुवि लोयस्स असंखेजइभागे, एत्थ णं दाहिणिल्ला नागकुमारा देवा परिवसंति महिड्डिया जाव विहरंति, धरणे इत्थ नागकुमारिंदे नागकुमारराया परिवसइ महडिए जाव पभासेमाणे, से णं तत्थ चउयालीसाए भवणावास-सयसहस्साणां छराहं सामाणियसाहस्सीयां तायत्तीसाए तायत्तीसगाणां चउराहं लोगालागां छरहं अग्गमहिसीणां सपरिवाराणां तिराहं परिसाणां सत्तरहं अणियाणां सत्तगहं अणियाहिवईगां Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 56 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः चउव्वीसाए पायरक्ख-देवसाहस्सी अन्नेसि च बहूणं दाहिणिल्लागां नागकुमाराणां देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं कुव्वमाणे विहरइ 10 / कहि णं भंते ! उत्तरिल्लागां णागकुमाराणां देवाणां पजत्तापजत्तागां ठाणा पनत्ता ?, कहि णं भंते ! उत्तरिल्ला नागकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्त उत्तरेगां इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयण-सयसहस्स-बाहल्लाए उवरिं एगं जोयणसहस्सं योगाहित्ता हेट्ठा चेगं जोयणसहस्सं वजित्ता मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से एत्थ णं उत्तरिल्लागां नागकुमाराां देवाणं चत्तालीसं भवणावास-सयसहस्सा भवतीति मक्खयं, ते णं भवणा बाहिं वट्टा सेसं जहा दाहिणिल्लाणं जाव विहरंति, भूयागांदे एत्थ नागकुमारिंदे नागकुमारराया परिवसइ, महिड्डीए जाव पभासेमाणे, से णं तत्थ चत्तालीसाए भवणावाससयसहस्साणां आहेबच्चं जाव विहरइ 11 / कहि णं भंते ! सुवन्नकुमाराणां देवागां पजत्तापजतागां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! सुवन्नकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव एत्थ णं सुवनकुमारागां देवाणं बावत्तरि भवणावाससयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा बाहिं वट्टा जाव पडिरूवा, तत्थ णं सुवन्नकुमाराां देवाणं पजत्तापजत्तागां ठाणा पन्नत्ता, जाव तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे सुवन्नकुमारा देवा परिवसंति महिड्डिया सेसं जहा श्रोहियाणां जाव विहरंति, वेणुदेवे वेणुदाली य इत्थ दुवे सुवरणकुमारिदा सुवरणकुमाररायाणो परिवसंति, महट्ठिया जाव विहरंति 12 / कहि णं भंते / दाहिणिलाणां सुवरणकुमाराणां पजत्तापजतागां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! दाहिणिला सुवराणकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे जाव मज्झे अट्टहुत्तरे जोयणसयसहस्से एत्थ णं दाहिणिलागां सुवरणकुमाराणां अट्ठत्तीसं भवणावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा बाहिं वट्टा जाव पडिरूवा, एत्थ णं दाहिणिलाणां Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग सूत्रम् पदं 2 ] [57 सुवरणकुमाराणां पजत्तापजत्तागां ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, एत्थ णं बहवे सुवरणकुमारा देवा परिवति, वेणुदेवे य इत्थ सुवनिदे सुवन्नकुमारराया परिवसइ, सेसं जहा नागकुमाराणां 13 / कहि णं भंते ! उत्तरिलागां सुवन्नकुमाराणां देवाणं पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! उत्तरिल्ला सुवन्नकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए जाव एत्थ णं उत्तरिल्लाणां सुवन्नकुमाराणां चउतीसं भवणावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा जाव एत्थ णं बहवे उत्तरिल्ला सुवन्नकुमारा देवा परिवसंति महिड्डिया जाव विहरंति, वेणुदाली इत्थ सुवन्नकुमारिंदे सुवनकुमारराया परिवसइ महिड्डीए सेसं जहा नागकुमाराणां 14 / एवं जहा सुवन्नकुमारागां वत्तव्वया भणिया तहा सेसाणवि उदसराहं इंदागां भाणियवा 15 / नवरं भवणणाणत्तं इंदणाणत्तं वनणाणत्तं परिहाणणाणत्तं च इमाहिं गाहाहिं अणुगंतव्वं-चउसद्धिं असुराणं चुलसीतं चेव होति नागाणं। बावत्तरि सुवन्ने वाउकुमाराण छन्नउई // 138 // दीवदिसाउदहीणां विज्जुकुमारिंद-थणियमग्गीणां / छहंपि जुअलयागां बावत्तरिमो सयसहस्सा // 136 // चउतीसा चउयाला अट्टत्तीसं च सयसहस्साइं / पन्ना चत्तालीसा दाहिणयो हुंति भवणाई // 140 // तीसा चत्तालीसा चउतीसं चेव सयसहस्साई। छायाला छत्तीसा उत्तरो हुँति भवणाई // 141 // चउसट्ठी सट्ठी खलु छच्च सहस्साई असुरवजाणं / सामाणिया उ एए चउग्गुणा थायरक्खा उ // 142 // चमरे धरणे तह वेणुदेवे हरिकंत अग्गिसीहे य। पुन्ने जलकते या अमिय विलम्बे य घोसे य // 143 // बलि भूयाणंदे वेणुदालि हरिस्सहे अग्गिमाणव विसि? / जलपह तहऽमियवाहणे पभंजणे य महाघोसे // 144 // उत्तरिल्ला णं जाव विहरति / काला असुरकुमारा नागा उदही य पंडुरा दोवि / वरकणग-निहसगोरा हुंति सुवन्ना दिसा थणिया // 145 // उत्तत्त-कणगवन्ना विज्जू अग्गी य होति Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः दीवा य / सामा पियंगुवन्ना वाउकुमारा मुणेयव्वा // 146 // असुरेसु हुति रत्ता सिलिंधपुष्पप्पभा य नागुदही / पासासग-वसणधरा होंति सुवन्ना दिसा थणिया // 147 // नीलाणुरागवसणा विज्जू अग्गी य हुंति दीवा य / संझाणुरागवसणा वाउकुमारा मुणेयव्वा // 148 // सू० 46 // कहि णं भंते ! वाणमंतराणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! वाणमंतरा देवा परिखसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहलस्स उवरिं एगं जोयणसयं श्रोगाहित्ता हिट्ठावि एगं जोयणसयं वजित्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं तिरियमसंखेजा भोमेज-नगरावास-सयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं 1 / ते णं भोमेजा णगरा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पुक्खर-कन्निया-संठाणसंठिया उकिन्नंतर-विउल-गंभीर-खायफलिहा पागारट्टालय-कवाड-तोरण-पडिदुवार-देसभागा जंतसयग्धि-मुसल-मुसंदि परिवारिया श्रउज्झा सदाजया सदागुत्ता अडयाल-कोट्ठगरइया अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किंकरामर-दंडोवरक्खिया लाउल्लोइयमहिया गोसीस-सरस-रत्तचंदण-दहर-दिन-पंचंगुलितला उवचिय-चंदणकलसा चंदणघड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभागा घासत्तोसत्त-विउल-वट्ट-वग्घारियमल्लदामकलावा पंचवरण-सरस-सुरहि-मुक्क-पुप्फपुंजोवयार-कलिया कालागुरु-पवर-कुदुरुक-तुरुक-धूव-मघमघंत-गंधुद्ध्याभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छरगण-संघसंविकिन्ना दिव्वतुडिय-सहसंपणाइया पडागमालाउलाभिरामा सव्वरयणामया अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पहा सस्सिरिया समिरिया सउज्जोया पासाइया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता 2 / तिसुवि लोयस्स असंखेज्जइभागे, तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा परिवसंति, तंजहा-पिसाया भूया जवखा रक्खसा Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 2 / [ 56 किनरा किंपुरिसा भुयगवइणो महाकाया गन्धब्बगणा य निउण-गंधव्वगीयरइणो अणवनिय-पणवनिय-इसिवाइय-भूयवाइय-कंदिय-महाकंदिया य कुहंड-पयंगदेवा चंचल-चलचवल-चित्त-कीलणदवप्पिया गहिर-हसियगीय-णचणरइ वणमालामेल-मउड-कुडल-सच्छंद-विउब्वियाभरणचारभूसणधरा सव्वोउय-सुरभि-कुसुम-सुरइय-पलंब-सोहंतकंत-विहसंतचित्त-वणमाल-रइयवच्छा कामग(का)मा कामरूव-देहधारी णाणाविहवराण-राग-वर-वत्थ-ललंत-चित्त-चिललग--नियंसणा विविहदेसिनेवस्थ-गहियवेसा पमुइय-कंदप्प-कलह-केलि-कोलाहलप्पिया हासबोल बहुला असि-मुग्गर--सत्ति-कुंतहत्था अणेग-मणि-रयण--विविहनिज्जुत्त-विचित्त-चिंधगया सुरुवा महिड्डिया महज्जुइया महायसा महाबला मेहाणुभागा महासुक्खा हारविराइयवच्छा कडयतुडिय-थंभियभुया संगयकुंडल-मट्ठ-गंडयल-कन्नपीढधारी विचित्तहत्थाभरणा विचित्तमालामउली कलाणग-पवर-वत्थपरिहिया कल्लाणग-पवर-मल्लाणुलेवणधरा भासुरबोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वन्नेणं दिव्वेणं गंधेणं दिवेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेणं दिव्वेणं संदाणेणं दिव्वाए इष्टीए दिव्याए जुईए दिव्वाए पभाए दिवाए छायाए दिव्वाए अचीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेस्साए दस दिसायो उज्जोवेमाणा पभासेमाणा ते णं तत्थ साणं साणं असंखेजभोमेज-नगरावास-सयसहस्साणं साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं साणं अग्गमहिसीणं साणं साणं परिसाणं साणं साणं ग्रणीयाणं साणं साणं अणीयाहिबईणं साणं साणं पायरक्ख-देवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य ग्राहेवच्चं पोरेवच्चं सामितं भट्टित्तं महत्तरगत्तं प्राणाईसरसेणावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महयाहय-नट्ट-गीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घण-मुइंगपडुपवाइयरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणा विहरंति 3 // सू० 47 / / Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 60 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः कहि णं भंते ! पिसायाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं गणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! पिसाया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयण-सहस्सबाहलस्स उवरिं एगं जोयणसयं श्रोगाहित्ता हेट्ठा चेगं जोयणसयं वजित्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु एत्थ णं पिसायाणं देवाणं तिरियमसंखेजा भोमेज-नगरावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भोमेजनगरा बाहिं वट्टा जहा श्रोहियो भवणवनयो तहा भाणियव्यो जाव पडिरूवा, एत्थ णं पिसायाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे 1 / तत्थ बहवे पिसाया देवा परिवसंति, महिड्डिया जहा श्रोहिया जाव विहरंति, कालमहाकाला इत्थ दुवे पिसायिंदा पिसायरायाणो परिखसंति, महिड्डिया महज्जुइया जाव विहरंति 2 / कहि णं भंते ! दाहिणिल्लाणं पिसायाणं देवाणं पजत्ताऽपजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहिणं भंते ! दाहिणिला पिसाया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! जंबद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसें रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसयसहस्स-बाहलस्स उवरि एगं जोयणसतं योगाहित्ता हेट्ठा चे(वे)गं जोयणसयं वजित्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु एत्थ णं दाहिणिलाणं पिसायाणं देवाणं तिरियमसंखेजा भोमेज-नगरावाससयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, ते णं भोमेजनगरा बाहिं वट्टा (भवणा) जहा प्रोहियो भवणवन्नयो तहा भाणियन्वो जाव पडिरूवा, एस्थ णं दाहिणिलाणं पिसायाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पत्नत्ता ?, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे दाहिणिला पिसाया देवा परिवसंति, महिड्डिया जहा श्रोहिया जाव विहरंति, काले एत्थ पिसायिंदे पिसायराया परिवसइ, महिड्डीए जाव पभासेमाणे, से णं तत्थ तिरियमसंखेजाणं भोमेजनयरावास-सयसहस्साणं चउराहं सामाणिय-साहस्सीणं चउराह य अग्ममहिसीणं सपरिवाराणं तिराहं परिसाणं सत्तरहं अणियाणं सत्तरहं अणियाहिबईणं Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 2 ) [61 सोलसराहं पायरवखदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं दाहिणिल्लाणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य ाहेवच्चं जाव विहरइ 3 / उत्तरिल्लाणं पुच्छा, गोयमा ! जहेब दाहिणिल्लाणं वत्तव्वया तहेव उत्तरिल्लाणंपि, णवरं मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरेणं महाकाले एत्थ पिसायिंदे पिसायराया परिवसइ, जाव विहरइ 4 / एवं जहा पिसायाणं तहा भूयाणंपि, जाव गंधव्वाणं, नवरं इंदेसु णाणत्तं भाणियव्वं इमेण विहिणा-भूयाणं सुरूवपडिरूवा, जक्खाणं पुन्नभदमाणिभदा, रक्खसाणं भीममहाभीमा, किन्नराणं किन्नरकिंपुरिसा, किंपुरिसाणं सप्पुरिसमहापुरिसा, महोरगाणं अइकायमहाकाया, गंधव्वाणं गीयरइगीयजसा, जाव विहरइ 5 / काले य महाकाले सुरूव पडिख्व पुन्नभद्दे य / तह चेव (अमरवइ) माणिभद्दे भीमे य तहा महाभीमे // 14 // किन्नर किंपुरिसे खलु सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे / अइकायमहाकाए गीयरई चेव गीयजसे // 150 // सू० 48 // कहि णं भंते ! अणवनियाणं देवाणं पज्जत्ताऽपजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, कहि णं भंते ! अणवन्निया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सवाहलस्स उवरि जाव जोयणसएसु एत्थ णं अणवन्नियाणं देवाणं तिरियमसंखेजा णगरावामसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, ते णं जाव पडिरूवा, एत्थ णं अणवनियाणं देवाणं ठाणा 1 / उववाएणं लोयस्स असंखेजइभागे समुग्याएणं लोयस्स असंखेजइभागे सट्टाणेणं लोयस्स असंखेजइभागे 2 / तत्थ णं वहवे अणवन्निया देवा परिवसंति महिड्डिया जहा पिसाया जाव विहरति 3 / सन्निहियसामाणा इत्थ दुवे अणवनिंदा अणवन्निय-कुमाररायाणो परिवति महिड्डीया, एवं जहा कालमहाकालाणं दोरहंपि दाहिणिलाणं उत्तरिल्लाण य भणिया तहा सन्निहिय-सामाणाणंपि भाणियब्वा 4 / संगहणीगाहा-अणवन्निय-पणवन्निय-इसिवाइय-भूयवाइया चेव / कंदिय-महाकदिय-कोहंडा पयगए चेव (पययदेवा) // 151 // इमे Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठी विभागः इंदा-'संनिहिया सामाणा धायविधाए इसी य इसिवाले। ईसरमहेसरा विय हवइ सुवच्छे विसाले य // 152 // हासे हासरई विय सेए य तहा भवे महासेए / पयए श्र पयगवई य नेयव्वा प्राणुपुवीए // 153 // ॥सू० 4 // कहि णं भंते ! जोइसियाणं देवाणं पजत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! जोइसिया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो सत्तणउइ-जोयणसए उट्ठ उप्पइत्ता दसुत्तर-जोयण सयबाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोइसविसए एत्थ णं जोइसियाणं देवाणं तिरियमसंखेजा जोइसिय-विमाणावास-सयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं 1 / ते णं विमाणा श्रद्धकविठ्ठग-संठाणसंठिया सव्वफालिहमया अभुग्गय. मूसिय-पहसिया इव विविहमणि-कणग-रयणभत्तिचित्ता वाउझ्य-विजय-वेजयंतीपडागा-छत्ताइछत्तकलिया तुगा गगणतल-महिलंघमाणसिहरा जालंतर-रयणपंजलुम्मिलियव्व मणिकणग-थूभियागा वियसिय-सयवत्त-पुंडरीया य तिलयरयणड्डचंदचित्ता नाणामणिमय-दामालंकिया अंतो बहिं च सराहा तवणिजरुइल-बालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरिया सुरूवा पासाइया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं जोइसियाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे 2 / तत्थ णं बहवे जोइसिया देवा परिवसंति, तंजहा-वहस्सई चंदा सूरा सुक्का सणिच्छरा राहू धूमकेऊ बुधा अंगारगा तत्ततवणिजकणगवन्ना जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केऊ य गइरइया अट्ठावीसइविहा नक्खत्तदेवतगणा णाणासंठाणसंठियायो पंचवन्नायो तारयायो ठियलेसाचारिणो अविस्साममंडलगई पत्तेयनामंक-पागडियचिंधमउडा महिड्डिया जाव पभासेमाणा, ते णं तत्थ साणं साणं विमाणावाससयसहस्साणं साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं साणं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं साणं साणं परिसाणं साणं साणं अणियाणं साणं साणं अणियाहिवईणं साणं साणं पायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि च बहूणं जोइ Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 2 ] सियाणं देवाणं देवीण य ाहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहरंति 3 / चंदिमसूरिया इत्थ दुवे जोइसिंदाजोइसियरायाणो परिवसंति, महिडिया जाव पभासेमाणा, ते णं तत्थ साणं साणं जोइसिय-विमाणावास-सयसहस्साणं चउगहं सामाणियसाहस्सीणं चउराहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिराहं परिसाणं सत्तरहं अणीयाणं सत्तरहं अणीयाहिबईणं सोलसराहं आयरक्ख-देवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं जोइसियाणं देवाणं देवीण य ाहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहरंति 4 // सू० 50 // कहि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! वेमाणिया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसम-रमणिजायो भूमिभागायो उड्डे चंदिम-सूरिय-गह-नक्खत्ततारारूपाणं बहूइं जोयणसयाई बहूई जोयणसहसाई बहूई जोयणसयसहस्साई बहुगीयो जोयणकोडीयो बहुगीयो जोयणकोडाकोडीयो उड्ढे दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय-लंतग-महासुक-सहस्सारपाणय-पाणय-धारणच्चुय गेवेजणुत्तरेसु एत्थ णं वेमाणियाणं देवाणं चउरासीइ विमाणावास-सयसहस्सा सत्ताणउइं च सहस्सा तेवीसं च विमाणा भवंतीतिमक्खायं 1 / ते णं विमाणा सबरयणामया अच्छा सराहा लराहा घट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, एत्थ णं वेमाणियाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं पणा पन्नत्ता, तिसुवि लोयस्स असंखेजइभागे 2 / तत्थ णं बहवे वेमाणिया देवा परिवसंति ?, तंजहा-सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंदबंभलोग-लंतग-महासुक्क सहस्सार-पाणय-पाणय-धारणच्चुय-गेवेजणुत्तरोववाइया देवा, ते णं मिग-महिस-वराह-सीह-छगल-दद्दुर-हय-गयवइ-भुयग-खग्गउसभ-विडिम-पागडिय-चिंधमउडा पसिढिल-वरमउड-किरीडधारिणो वरकुंडलुजोइयाणणा मउड-दित्तसिरिया रत्तामा पउमपम्हगोरा सेया सुहवनगंधफासा Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 64] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः उत्तमवेउव्विणो पवरवत्थ-गंध-मल्लाणुलेवणधरा महिड्डिया महज्जुइया महायसा महाबला महाणुभागा महासोक्खा हारविराइयवच्छा कडयतुडिय-थंभियभुया अंगद-कुंडल-मट्ठ-गंडतल-कन्नपीढधारी विचित्तहत्थाभरणा विचित्तमालामउली कलाणग-पवरवत्थपरिहिया कल्लाणग-पवरमल्लाणुलेवणा भासुरखोंदी पलंबवणमालधरा दिवेणं वन्नेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेणं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्डीए दिवाए जुईए दिव्वाए पभाए दिवाए छायाए दिव्वाए अचीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसायो उज्जोवेमाणा पभासेमाणा 3 / ते णं तत्थ साणं साणं विमाणावास-सयसहस्साणं साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं साणं साणं तायत्तीसगाणं साणं साणं लोंगपालाणं साणं साणं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं साणं साणं परिसागां साणं साणं अणियाणां साणं साणं अणियाहिवईणं साणं साणं पायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य अाहेवच्चं पोरेवच्चं जाव दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणा विहरंति 4 // सू० 51 // कहि णं भंते ! सोहम्मगदेवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! सोहम्मगदेवा परिवसंति ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायो जाब उड्ड दूरं उप्पड़ता एत्थ णं सोहम्मे णामं कप्पे पन्नत्ते पाईणपडीणायए उदीण-दाहिण-विच्छिन्ने श्रद्धचंद-संगणसंठिए अच्चिमालिभासरासिवण्णाभे असंखेजाबो जोयणकोडीयो असंखेजायो जोयणकोडाकोडीयो आयामविक्खंभेणं असंखेजागोजोयणकोडाकोडीश्रो परिक्खेवेणं सबरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे, तत्थ णं सोहम्मगदेवाणं बत्तीस-विमाणावास-सयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं 1 / ते णं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिणं विमाणाणं बहुमज्मदेसभागे पंच वडिंसंया पत्नत्ता, तंजहा-असोगवडिसए सत्तवण्णवडिसए चंपगवडिंसए चूयवडिसए मज्झे Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 2] इत्थ सोहम्मवडिसए, ते णं वडिंसया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एत्थ णं सोहम्मगदेवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखिजइभागे 2 / तत्थ णं बहवे सोहम्मगदेवा परिवसंति महिड्डिया जाव पमासेमाणा, ते णं तत्थ साणं साणं विमाणावाससयसहस्साणं साणं साणं अग्गमहिसीणं साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं एवं जहेव श्रोहियाणं तहेव एएसिपि भाणियव्वं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं सोहम्मगकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य आहेबच्चं पोरेवच्चं जाव विहरंति 3 / सक्के इत्थ देविदे देवराया परिवसइ, वजपाणी पुरंदरे सयकतू सहस्तक्खे मघवं पागसासणे दाहिणड्डलोगाहिवई बत्तीस-विमाणावाससयसहस्माहिदई एरावणवाहणे सुरिंदे भरयंबरवत्थधरे बालइय-मालमउडे नवहेम-चारु-चित्त-चंचल-कुडल-विलिहिज्जमाणगंडे महिडिए जाव पभासेमाणे से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावास-सयसहस्साणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणं चउराहं लोगपालाणं थट्टराहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं तिराहं परिसाणं सत्तराहं अणीयाणं सत्तराहं अणीयाहि. वईणं चउराहं चउरासीणं थायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं मोहम्मकप्पवासीणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य थाहेवच्चं पोरेवच्चं कुब्वेमाणे जाव विहरइ 3 // सू० 52 // कहि णं भंते ! ईसाणाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! ईसाणगदेवा परिवसंति ?, गोयमा ! जंबूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो उड्ढ चंदिमसूरिय-गहनक्खत्त-तारारूवाणं बहूइं जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साई जाव उड्ढे उप्पइत्ता एत्थ णं ईसाणे णामं कप्पे पन्नत्ते पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे, एवं जहा सोहम्मे जाव पडिरूवे, तत्थ णं ईसाणगदेवाणां अट्ठावीसं विमाणावाससयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, ते णं विमाणा Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः सव्वरयणामया जाव पडिरूवा, तेसिणं बहुमज्झदेसमागे पंच वडिसया पन्नत्ता, तंजहा-यंकव डिसए फलिहवडिसए रयणवडिसए जातरूववडिसए मज्झे इत्थ ईसाणवडिसए, ते णं वडिंसया सवरयणामया जाव पडिरूवा, एत्थ णं ईसाणगदेवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पत्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, सेसं जहा सोहम्मगदेवाणं जाव विहरंति, इसाणे इत्थ देविंदे देवराया परिवसइ, सूलपाणी वसहवाहणे उत्तरडलोगाहिवई अट्ठावीस-विमाणावास-सयसहस्साहिवई अरयंबरवत्थधरे, सेसं जहा सक्कस्स जाव पभासेमाणे, से णं तत्थ अट्ठावीसाए विमाणावास-सयसहस्सागां असीईए सामाणियसाहस्सीणं तायत्तीसाए तायत्तीसगाणां चउराहं लोगपा. लागां अट्ठराहं अग्गमहिसीणं सपरिखाराणं तिराहं परिसाणं सत्तराहं अणियाणां सत्तरहं अणियाहिबईणां चउराहं असीईणं आयरक्खदेवसाहस्सीणां अन्नेसिं च बहूगां ईसाणकप्पवासीयां वेमाणियागां देवाण य देवीण य आहेयच्चं पोरेवच्चं जाव विहरइ 1 / कहि णं भंते ! सणंकुमारदेवाणां पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! सणंकुमारा देवा परिवसंति?, गोयमा ! सोहम्मस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसिं बहूई जोयणाई बहूई जोयणमयाइं बहूइं जोयणसहस्साई बहूइं जोयणसयसयम्साई बहुगीयो जोयणकोडीयो बहुगीयो जोयणकोडाकोडीयो उड्ड दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं सणकुमारे णामं कप्पे पन्नत्ते, पाईणपडीणायए उदीण-दाहिणविच्छिण्णे जहा सोहम्मे जाव पडिरूवे, तत्थ णं सणंकुमाराणं देवाणं बारस विमाणावाससयसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, ते णं विमाणा सव्वरयणामया जाव पडिरूवा, तेसिणं विमाणाणं बहुमझदेसभागे पंच वडिंसगा पन्नत्ता, तंजहा-असोगवडिसए सत्तवन्नवडिसए चंपगवडिसए चूयवडिसए मज्झे एत्थ सणंकुमारवडिसए, ते णं वडिंसया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एत्थ णं सणंकुमारदेवाणं Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदं 2 ] [67 पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे सणंकुमारदेवा परिवसंति, महिड्डिया जाव पभासेमाणा विहरंति, नवरं अग्गमहिसीयो णत्थि, सणंकुमारे इस्थ देविंदे देवराया परिवसइ, अरयंवरवत्थधरे, सेसं जहा सकस्स, से णं तत्थ बारसराहं विमाणावाससयसहस्साणं बावत्तरीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा सकस्स अग्गमहिसीवज्ज, नवरं चउराहं बावत्तरीणं, पायरवखदेवसाहस्सीणं जाव विहरइ. 2 / कहि णं भंते ! माहिंददेवागां पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता, ?, कहि णं भंते ! माहिंदगदेवा परिवसंति ?, गोयमा ! ईसाणस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसि बहूई जोयणाई जाव बहुयायो जोयणकोडाकोडीयो उड्ड दूरं उप्पइत्ता एत्थ णं माहिदे नामं कप्पे पन्नत्ते पाईणपडीणायए, जाव एवं जहेव सणंकुमारे, नवरं अट्ट विमाणावाससयसहस्सा, वडिसया जहा ईसाणे, नवरं मज्झे इत्थ माहिंदवडिसए, एवं सेसं जहा सणंकुमाराणं देवाणं जाव विहरंति, माहिदे इत्थ देविदे देवराया परिवसइ, अरयंवर-वत्थधरे, एवं जहा सणंकुमारे जाव विहरइ, नवरं अट्टराहं विमाणावास-सयसहस्साणं सत्तरिए सामाणियसाहस्सीगां चउराहं सत्तरीणं पायरक्खदेवसाहस्सीणां जाव विहर३३ / कहि णं भंते ! बंभलोगदेवाणां पजत्तापजत्ताणां ठाणा पनत्ता ?, कहिणं भंते ! बंभलोगदेवा परिवसंति ?, गोयमा ! सणंकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं उप्पिं सपक्खि सपडिदिसि बहूई जोयणाई जाव उप्पइत्ता एत्थ णं बंभलोए नामं कप्पे पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे पडिपुन्न चंदसंठाणसंठिए अचिमाली-भासरासिप्पभे, अवसेसं जहा सणंकुमाराणं, नवरं चतारि विमाणावास-सयसहस्सा बडिंसया जहा सोहम्मवडिसया नवरं मझे इत्य बंभलोयवडिंसए, एस्थ णं बंभलोगदेवाणं ठाणा पनत्ता, सेसं तहेव जाव विहरंति, बंभे इत्य देविंदे देवराया परिवसइ अरयं बरवत्थवरे, एवं जहा सणंकुमारे जाव विहरइ, नवरं चउराहं विमाणावास Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 68 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः सयसहस्साणं सट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं चउराहं सट्ठीणं पायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं जाव विहरइ 4 / कहि णं भंते ! लंतगदेवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! लंतगदेवा परिवसंति ?, गोयमा ! बंभलोगस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसिं बहूई जोयणाई जाव बहुगायो जोयणकोडाकोडीयो उड्ढ दूरं उप्पत्ता एस्थ णं लंतए नामं कप्पे पन्नत्ते पाईणपडीणायए जहा बंभलोए, नवरं पराणासं विमाणावाससहस्सा भवंतीतिमवखायं, वडिंसगा जहा ईसाणवडिंसगा नवरं मन्झे इत्थ लंतगवडिंसए देवा तहेव जाव विहरंति, लंतए एस्थ देविंदे देवराया परिवसइ, जहा सणंकुमारे, नवरं पराणासाए विमाणावाससहस्साणं पराणासाए सामाणियसाहस्सीणं चउराह य पराणासाणं थायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि च बहूणं जाव विहरइ 5 / कहि णं भंते ! महासुकाणं देवाणं पजत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! महासुक्का देवा परिवसंति ?, गोयमा ! लंतगस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसिं जाव उप्पइत्ता एस्थ णं महासुक्के नाम कप्पे पन्नते पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिराणे, जहा बंभलोए, नवरं चत्तालीस-विमाणावाससहस्सा भवंतीतिमक्खायं, वडिंसगा जहा सोहम्मवडिंसगा, नवरं मज्झे इत्थ महासुक्वडिसए जाव विहरंति, महासुक्के इत्थ देविंदे देवराया जहा सणंकुमारे, नवरं चत्तालीसाए विमाणावाससहस्साणं चत्तालीसाए सामाणियसाहस्सीणं चउराह य चत्तालीसाणं पायरक्खदेवसाहस्सीणं जाव विहरइ 6 / कहि णं भंते ! सहस्सारदेवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! सहस्सारदेवा परिवसंति ?, गोयमा ! महासुक्स्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसिं जाव उप्पइत्ता एत्थ णं सहस्सारे नाम कप्पे पन्नत्ते पाईणपडीणायए, जहा बंभलोए, नवरं छविमाणावाससहस्सा भवंतीतिमक्खायं, देवा तहेव, जाव वडिंसगा जहा ईसाणस्स वडिंसगा, नवरं मज्झे इत्थ सहस्साखडिसए जाव Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :पदं 2 ) विहरंति, सहस्सारे इत्थ देविंदे देवराया परिवसइ जहा सणकुमारे, नवरं छराहं विमाणावाससहस्साणं तीसाए सामाणियसाहस्सीणं चउराह य तीसाए थायरक्खदेवसाहस्सीणं जाव अाहेवच्चं जाव कारेमाणे जाव विहरइ 7 / कहि णं भंते ! श्राणयपाणयाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पनत्ता ?, कहि णं भंते ! श्राणयपाणया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! सहरसारस्स कप्पस्स उप्पिं सपक्खि सपडिदिसिं जाव उप्पइत्ता एस्थ णं श्राणयपाणयनामा दुवे कप्पा पन्नत्ता पाईणपडीणायया उदीण-दाहिणविच्छिराणा श्रद्धचंदसंठाणसंठिया अच्चिमाली-भासरासिप्पभा, सेसं जहा सणंकुमारे जाव पडिरूवा, तत्थ णं ग्राणयपाणयदेवाणं वत्तारि विमाणावाससया भवतीतिमवखायं जाव पडिरूवा, वडिंसगा जहा सोहम्मे कप्पे, नवरं मज्झे इत्थ पाणयवडिसए, ते णं वडिंसगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एत्थ णं पाणयपाणयदेवाणं पजत्तापज्जत्ताणं गणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं वहवे अाणयपाणयदेवा परिवसंति महिड्डिया जाव पभासेमाणा, ते णं तत्थ साणं साणं विमाणावाससयाणं जाव विहरंति, पाणए इत्थ देविदे देवराया परिवसइ जहा सणकुमारे, नवरं चउराहं विमाणावाससयाणं वीसाए सामाणियसाहस्सीणं असीईए पायरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि च बहूणं जाव विहरइ 8 / कहि णं भंते ! श्रारणच्चुयाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ता ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! पारणच्चुया देवा परिवसंति ?, गोयमा ! याणयपाणयाणां कप्पागां उप्पि सपक्खि सपडिदिसिं एत्थ णं पारणच्चुया नाम दुवे कप्पा पन्नत्ता, पाईणपडीणायया उदीण दाहिण-विच्छिराणा पद्धचंदसंठागासंठिया अचिमाली-भालरासिवण्णाभा असंखिजायो जोयणकोडाकोडी यो थायामविक्खंभेगां असंखिजायो जोयणकोडाकोडीयो परिक्खेवेगां सव्वरयणामया अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्टा नीरया निम्मला निप्पका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 ] [ भीमदागमसुधासिन्धु : षष्ठो विभागः अभिरुवा पडिरूवा, एत्थ णं पारणच्चुयागां देवानां तिन्नि विमाणावाससया भवंतीतिमक्खायं, ते णं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा सराहा लगहा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरिया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, तेसिणं विमाणाणां कप्पाणां बहुमज्झदेसभाए पंच वडिंसया पन्नत्ता, तंजहा-अंकवडिसए फलिहवडिसए रयणवडिसए जायस्ववडिसए मज्झे एत्थ अच्चुयवडिसए, ते णं वडिंसया सव्वरयणामया जाव पडिरूवा, एत्थ णं धारणच्चुयायां देवाणां पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे श्रारणच्चुया देवा परिवसंति, अच्चुए इत्थ देविंद देवराया परिवसइ, जहा पाणए जाव विहरइ, नवरं तिराहं विमाणावाससयागां दसराहं सामाणियसाहस्सीगां चत्तालीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीणां बाहेवच्चं जाव कुवमाणे जाव विहरइ 1 / बत्तीसगढ़वीसा बारसट्ठचउरो(य)सयसहस्सा / पन्ना चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे // 154 // श्राणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिन्नि / सत्त विमाणसयाई चउसुवि एएसु कप्पेसु // 155 // सामाणियसंगहणीगाहा-चउरासीई असीई बावत्तरी सत्तरी य सट्ठी य। पन्ना चत्तालीसा तीसा वीसा दस सहस्सा // 156 // एए चेव थायरक्खा चउग्गुणा 10 / कहि णं भंते ! हिट्ठिमगेविजगाणं पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! हिटिमगेविजगा देवा परिवसति ?, गोयमा ! श्रारणच्चुयाणां कप्पाणं उप्पिं जाव उ8 दूर उप्पइत्ता एत्थ णं हिट्ठिमगेविजगाणां देवाणां तो गेविजगविमाणपत्थडा पन्नत्ता पाईणपडीणायया उदीणदाहिणविच्छिन्ना पडिपुन्नचंद-संठाणसंठिया अच्चिमाली-भासरासिवराणाभा सेसं जहा बंभलोगे जाव पडिरूवा, तत्थ णं हेट्ठिमगेविजगागां देवाणं एकारसुत्तरे विमाणावाससए भवंतीतिमक्खायं, ते णं विमाणा सव्वस्यणामया जाव पडिख्वा, एत्थ णं हेट्ठिमगेविजगागां 55 // सामाणिय तसा वीसा दस विजगागां Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 2 ) [71 देवाणां पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं वहवे हेट्ठिमगेविजगा देवा परिवसंति, सव्वे समिडिया सव्वे समज्जा सब्बे समजसा सव्वे समबला सव्वे समाणुभावा महासुक्खा अणिंदा अपेस्सा अपुरोहिया अहमिदा नामं ते देवगणा पन्नत्ता समणाउसो ! 11 / कहि यण भंते ! मज्झिमगाणां गेविजगागां देवाणं पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! मज्झिमगेविजगा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! हेट्ठिमगेविजगागां उष्पिं सपक्खि सपडिदिसि जाव उप्पइत्ता एत्थ णं मज्झिमगेविजगदेवाणां तयो गेविजगविगाणां पत्थडा पन्नत्ता, पाईणपडीणायया जहा हेट्ठिमगेविजगाणां, नवरं सत्तुत्तरे विमाणावाससए हवंतीतिमक्खायं, ते णं विमाणा जाव पडिरूवा, एत्थ णं मज्झिमगेविजगागां देवाणां जाव तिसुवि लोगस्स असंखिजइभागे, तत्थ णं वहवे मज्झिमगेविजगा देवा परिवसंति जाव अहमिंदा नाम ते देवगणा पत्नत्ता समणाउसो ! 12 / कहि णं भंते ! उवरिमगेविजगाणां देवाणां पजत्तापजत्तागां गणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! उवरिमगेविजए देवा परिवसंति?, गोयमा ! मज्झिमगेविजगाणां उप्पिं जाव उप्पइत्ता एत्थ णं उवरिमगेविजगागां देवाणं तयो गेविजगविमाणपत्थडा पन्नता पाईणपडीणायया सेसं जहा हेट्ठिमगेविजगाणं, नवरं एगे विमाणावाससए भवंतीतिमक्खायं, सेसं तहेव भाणियव्वं जाव अहमिंदा नामं ते देवगणा पन्नत्ता समणाउसो ! 13 / एकारसुत्तरं हेट्ठिमेसु सत्त्तरं च मझिमए। सयमेगं उपरिमए पंचेच अणुत्तरविमाणा // 157 // कहि णं भंते ! अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! अणुत्तरोववाझ्या देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जायो भूमिभागायों उड्ड चंदिमसूरिय-गहगण-नक्खत्तताराख्वागां बहूई जोयणसयाई बहूई जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साई बहुगीयो जोयणकोडीयो बहुगीयों जोयणकोडाकोडीयो उट्ठ दूरं उप्पइत्ता Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः सोहम्मीसाणसणंकुमार जाव धारण-अच्चुयकप्पा तिन्निअट्ठारसुत्तरे गेविजगविमाणावाससए वीइवइत्ता तेण परं. दूरंगया नीरया निम्मला वितिमिरा विसुद्धा पंचदिसि पंच अणुत्तरा महइमहालया महाविमाणा पन्नत्ता, तंजहाविजए वेजयंते जयंते अपराजिए सव्वट्ठसिद्धे, ते णं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरिया सउज्जोया पासाइया दरिसणिज्जा अभिरुवा, पडिरूवा, एस्थ णं अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे अणुत्तरोववाझ्या देवा परिवसंति, सव्वे समिड्डिया सव्वे समबला सव्वे समाणुभावा महासुक्खा अणिंदा अप्पेस्सा अपुरोहिया अहमिंदा नामं ते देवगणा पन्नत्ता समणाउसो! 14 ॥सू० 53 // कहि णं भंते ! सिद्धाणं ठगणा पत्नत्ता ? कहि णं भंते ! सिद्धा परिवसंति?, गोयमा ! सब्वट्ठसिद्धस्स महाविमाणस्स उवरिल्लायो थूभियग्गायो दुवालस जोयणे उड्ड अबाहाए एत्थ णं ईसीपभारा णामं पुढवी पन्नत्ता 1 / पणयालीसं जोयणसयसहस्साई यायामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साई दोनि य अउणापन्ने जोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पन्नत्ता, ईसिपब्भाराए णं पुढवीए बहुमझदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ट जोयणाई बाहल्लेणं पन्नत्ते 2 ।तो अणंतरं च णं मायाए मायाए पएसपरिहाणीए परिहायमाणी परिहायमाणी सव्वेसु चरमंतेसु मच्छियपत्तायो तणुययरी अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहरुलेगां पत्नत्ता 3 / ईसीपभाराए णं पुढवीए दुवालस नामधिज्जा पन्नत्ता, तंजहाईसि इ वा ईसीपब्भारा इ वा तणू इ वा तणुतगणू इ वा सिद्धिति वा सिद्धालए वा मुत्तित्ति वा मुत्तालए इ वा लोयग्गेत्ति वा लोयग्ग-थूभियत्ति वा लोयग्ग-पडिवुझणा इ वा सव्वपाण-भूयजीवसत्त-सुहावहा इ वा 4 / ईसीपभारा णं पुढवी सेया संखदल-विमल-सोत्थिय-मुणाल-दगरय-तुसार Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 2 ] [73 गोक्खीर-हारवराणा उत्ताणय-छत्तसंठाणसंठिया सव्वज्जुण-सुवन्नमई अच्छा सराहा लराहा घट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरिया सउज्जोया पासाईया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूवा 5 / ईसीपभाराए णं पुढवीए सीधाए जोयणम्मि लोगंतो तस्स णं जोयणस्स जे से उवरिल्ले गाउए तस्स णं गाउयस्स जे से उवरिल्ले छब्भागे एत्थ णं सिद्धा भगवंतो साइया अपजवसिया अणेग-जाइ-जरा-मरण-जोणि-संसारकलंकलीभाव-पुणब्भव-गम्भवास--वसहीपवंच-समइक्कंता सासयमणागयद्धं कालं चिट्ठति, तत्थवि य ते अवेया अवेयणा निम्ममा असंगा य संसारविषमुक्का पएसनिव्वत्तसंगणा 6 / कहिं पडिहया सिद्धा, कहिं सिद्धा पइट्ठिया / कहिं बोंदि चइत्ता णं, कत्थ गंतूण सिज्झइ ? // 158 // अलोए पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पइट्ठिया / इहं बोंदि चइत्ता णं, तत्थ गंतूण सिज्मइ // 151 // दीहं वा हस्सं वा जं चरिमभवे हविज संठाणं / तत्तो तिभागहीणा सिद्धाणोगाहणा भणिया // 160 // जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयंमि / अासी य पदेसघणं तं संठाणं तहिं तस्स // 161 // तिन्नि सया तित्तीसा धणुत्तिभागो य होइ नायव्यो / एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया // 162 // चत्तारि य रयणीयो रयणी तिभागूणिया य बोद्भवा / एसा खलु सिद्धाणं मन्झिमयोगाहणा भणिया // 163 // एगा य होइ रयणी अट्ठव य अंगुलाई साहिया / एसा खलु सिद्राणं जहन्नयोगाहणा भणिया // 164 // योगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होंति परिहीणा / संठाण-मणित्थंथं (ग्रन्थाग्रं 1500) जरामरणविप्प मुकाणं / / 165 / / जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का। अन्नोऽनसमोगाढा पुटा सब्वेवि लोगंते // 166 // फुसइ अणंते सिद्धे सव्वपएसेहिं नियमसो सिद्धो / तेवि य असंखिजगुणा देसपएसेहिं जे पुट्ठा // 167 // असरीरा जीवघणा उवउत्ता दंसणे य नाणे य / सागार Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। षष्ठो विभागः मणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं // 168 // केवलनाणुवउत्ता जाणंति सव्वभावगुणभावे / पासंति सब्बयो खलु केवलदिट्ठीहिऽणताहि // 161 // नवि अस्थि माणुसागां तं सुक्खं नवि य सव्वदेवाणां / जं सिद्धागां सुक्खं श्रब्धाबाहं उवगयाणं // 170 // सुरगणसुहं समतं सम्बद्धापिडियं श्रणंतगुणं / नवि पावइ मुत्तिसुहं णंताहिं वग्गवग्गूहि // 171 // सिद्धस्स सुहो रासी सम्बद्धापिडियो जइ हवेजा / सोऽणंतवग्गभइयो सव्वागासे न माइजा // 172 // जह णाम कोइ मिच्छो नगरगुणे बहुविहे वियाणंतो। न चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए // 173 // इय सिद्धाणं सोक्खं श्रणोवमं नत्थि तस्स श्रोवम्मं / किंचि विसेसेणित्तो सारिक्खमियां सुणह वोच्छं // 174 // जह सव्वकामगुणियं पुरिसो भोत्तूण भोयणं कोई / तराहाछुहाविमुक्को अच्छिज जहा अमियतित्तो // 17 // इय सव्वकालतित्ता अतुलं निव्वाणमुवगया सिद्धा। सासयमव्वाबाहं चिट्ठति सुही सुहं पत्ता // 176 // सिद्धत्ति य बुद्धति य पारगयत्ति य | परंपरगयत्ति उम्मुक्तकम्मकवया अजरा अमरा असंगा य // 177 // निच्छिन्न-सव्वदुक्खा जाइजरा-मरणबंधण-विमुक्का / अव्वाबाहं सोक्खं अणुहोंती सासयं सिद्धा // 178 // // सू०५४ // इति पराणवणाए भगवईए वितीयं गणपयं समत्तं // // इति द्वितीयं पदम् // 2 // // अथ श्री अल्पबहुत्वाख्यं तृतीयं पदम् // दिसि गइ इंदिय काए जोए वेए कसाय लेसा य / सम्मत्त नाणदंसण संजय-उवयोग-याहारे // 17 // भासग-परित्त-पजत्त सुहुमसन्नी भवऽथिए चरिमे / जीवे य खित्तवंधे पुग्गल-महदंडए चेव // 180 // दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा जीवा परिछमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया / सू० 55 // दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्त्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 / [ 75 पुढविकाइया दाहिणेणं उत्तरेणं विसेसाहिया पुरच्छि(त्थिामेगां विसेसाहिया पच्छि(पचत्थि)मेगां विसेसाहिया 1 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा पाउक्काइया पच्छिमेगां, पुरच्छिमेगां विसेसाहिया, दाहिणेगां विसेसाहिया, उत्तरेगा विसेमाहिया 2 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा तेउकाइया दाहिणुत्तरेगां, पुरच्छिमेगां संखेजगुणा, पच्छिमेगां विसेसाहिया 3 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा वाउकाइया पुरच्छिमेगां पच्छिमेगां विसेसाहिया, उत्तरेगां विसेसोहिया, दाहिणेगां विसेसाहिया 4 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पच्छिमेगां पुरच्छिमेगां विसेसाहिया दाहिणेगां विसेसाहिया उत्तरेगां विसेसाहिया 5 / दिसाणुवाएगां सब्बत्थोवा बेइंदिया पच्छिमेगां पुरच्छिमेगां विसेमाहिया दक्खिणेणं विसेसाहिया उत्तरेणं विसेसाहिया 6 / दिसाणुवाएणं सब्बथोवा तेइंदिया पचत्थिमेणं, पुरच्छिमेगां विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेमाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया 7 / दिसाणुवारणं सब्बत्योवा चरिंदिया पचत्थिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया 8 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा नेरझ्या पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेजगुणा 1 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा रयणप्पभापुढवीनेरइया पुरच्छिमपचत्थिमउत्तरेणं, दाहिणेण असंखेजगुणा 10 / दिसागुवाएणं सव्वत्थोवा सक्करप्पभापुढवीनेरइया पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेजगुणा 11 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा वालुयप्पभायुढवीनेरझ्या पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं, दहिणेणं असंखेजगुणा 12 / दिसाणुवागणं सव्वत्थोवा पंकप्पभापुढवीनेरइया पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणां, दाहिणेणं असंखेजगुणा 13 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा धूमप्पभापुढवीनेरझ्या पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेजगुणा 14 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा तमप्पहापुढवीनेरझ्या पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेज्जगुणा 15 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा अहे सत्तमापुढवीनेरझ्या पुरच्छिमपञ्चस्थिम Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 76 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः उत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेजगुणा 16 / दाहिणेहिंतो अहेसत्तमापुढवी. नेरइएहितो छट्टाए तमाए पुढवीए नेरइया पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं असंखेजगुणा दाहिणिल्लेहितो तमाए पुढवीनेरइएहितो पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरच्छिमपत्थिमउत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं असंखेजगुणा, दाहिणिल्लेहितो धूमप्पभापुढवीनेरइएहितो चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए नेरझ्या पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं असंखेजगुणा, दाहिणिल्लेहिंतो पंकप्पभापुढवीनेरइएहितो तइयाए वालुयप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं असंखेजगुणा, दाहिणिल्लेहिंतो वालुयप्पभापुढवीनेरइएहितो दुइयाए सकरप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरच्छिमपञ्चच्छिमउत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं असंखेजगुणा, दाहिणिल्लेहिंतो सकरप्पभापुढवीनेरइहिंतो इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं असंखेजगुणा 17 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिंदिया तिरिक्खजोणिया पच्छिमेणं, पुरच्छिमेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेप्ताहिया 18 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा मणुस्सा दाहिणउत्तरेणं, पुरच्छिमेणं संखेजगुणा पचत्थिमेणं विसेसाहिया 11 / दिसाणुवाएणं सम्वत्थोवा भवणवासी देवा पुरच्छिमेणं पञ्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं असंखेजगुणा 20 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा वाणमंतरा देवा पुरच्छिमेणं, पचत्थिमेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया, दाहिणेणं, विसेसाहिया 21 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा जोइसिया देवा पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं, दाहिणेणं विसेसाहिया, उत्तरेणं विसेसाहिया 22 / दिसाणुवाएणं सब्वत्थोवा देवा सोहम्मे कप्पे पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेणं विसेसाहिया 23 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा ईसाणे कप्पे पुरच्छिमपञ्चत्थिमेणं, उत्तरेणं असंखेजगुणा दाहिणेगां Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाज-सूत्रम् // पदं 3 ] [77 विसेमाहिया 24 / दिसाणुवाएगांसव्वत्थोवा देवा सणंकुमारे कप्पे पुरनियमपचत्थिमेगां, उत्तरेणं असंखेजगुणा दाहिणेणां विसेसाहिया 25 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा माहिंदे कप्पे पुरच्छिमपञ्चत्थिमेगां, उत्तरेणं असंखेजगुणा, दाहिणेगां विसेसाहिया 26 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा देवाबंभलोए कप्पे पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेगां, दाहिणेणं असंखेजगुणा 27 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा देवा लंतए कप्पे पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेगां, दाहिणेगां असंखेजगुणा 28 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा देवा महासुक्के कप्पे पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं, दाहिणेणं असंखेजगुणा 21 / दिसाणुवाएगां सव्वत्थोवा देवा सहस्सारे कप्पे पुरच्छिमपञ्चत्थिमउत्तरेणं दाहिणेणं असंखेजगुणा 30 / तेण परं बहुसमोववन्नगा समणाउसो ! 31 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा सिद्धा दाहिणेणं उत्तरेणं, पुरच्छिमेगां संखेजगुणा, पचत्थिमेगां विसेसाहिया 32 / दारं 1 // सू० 56 // एएसि णं भंते ! नेरइयागां तिरिक्खजोणियाणां मणुस्साणां देवाणां सिद्धाण यपंचगतिसमासेगां कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा नेरइया असंखेजगुणा देवा असंखेजगुणा सिद्धा अगांतगुणा तिरिक्खजोणिया अणांतगुणा 1 / एएसि णं भंते ! नेरइयाणां तिरिक्खजोणियाणां तिरिखजोणीणीणां मणुस्साणां मणुस्सीणां देवाणं देवीणं सिद्धाण य अट्टगतिसमासेगां कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सबथोवायो मणुस्सीयो, मणुस्सा असंखेजगुणा, नेरइया असंखेजगुणा, तिरिक्खजोगिणीयो असंखेजगुणायो, देवा असंखेजगुणा, देवीयो संखेजगुणायो, सिद्धा अगांतगुणा, तिरिक्खजोणिया अगांतगुणा 2 / दारं 2 // सू० 57 // एएसि णं भंते ! सइंदियाणां एगिदियाणां बेइंदियाणां तेइंदियाणां चरिंदियाणां पंचिंदियागां अणिंदियाणां कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 76 j ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठी विभागः सव्वत्थोवा पंचिंदिया चउरिंदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसेसाहिया बेइंदिया विसेसाहिया अणिंदिया अगांतगुणा एगिदिया अगांतगुणा सइंदिया विसेसाहिया 1 / एएसि णं भंते ! सइंदियाणां एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंहियाणं पंचिंदियाणं अपजत्तगाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिंदिया अपजत्तगा चउरिंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया तेइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया एगिदिया अपजत्तगा अणंतगुणा सइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया 2 / एएसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंदियाणं पंचिंदियाणं पजत्ताणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा चउरिदिया पज्जत्तगा पंचिंदिया पजत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया तेइंदिया पज्जत्तगा विसेसाहिया एगिदिया पजत्तगा अनंतगुणा सइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया 3 / एएसि णं भंते ! सइंदियाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा सइंदिया अपजत्तगा सइदिया पजत्तगा संखेनगुणा 4 / एएसि णं भंते ! एगिदियाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिश्रा वा ?, गोयमा ! सम्बत्योवा एगिदिया अपजत्तगा एगिदिया पजत्तगा संखेजगुणा 5 / एएसि णं भंते ! बेइंदियाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिबा वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बेइंदिया पजत्तगा बेइंदिया अपजत्तगा असंखेजगुणा 6 / एएसि णं भंते ! तेइंदियाणं पजत्तापजताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्बत्थोवा तेइंदिया पजत्तगा तेइंदिया अपजत्तगा असंखेजगुणा 7 / एएसि णं भंते ! चरिंदियाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरहितो Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 3] [ 76 अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिता वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा चउरिंदिया पजत्तगा चरिंदिया अपजत्तगा असंखेजगुणा 8 / एएसि णं भंते ! पंचिदियाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदिया पजतगा पंचेंदिया अपजत्तगा असंखेजगुणा 1 / एएसि णं भंते ! सइंदियाणं एगिदियाणं बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिदियाणं पंचिंदियाणं पजत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सवत्थोवा चरिंदिया पजतगा पंचिंदिया पजत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया तेइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया पंचिदिया अपजत्तगा असंखेजगुणा चउरिंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया तेइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया बेइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिबा एगिदिया श्रपजत्तगा अणंतगुणा सइंदिया अपजत्तगा विसेसाहिया एगिदिया पजत्तगा संखेजगुणा सइंदिया पजत्तगा विसेसाहिया सइंदिया विसेसाहिया 10 / दारं 3 // सूत्रं 58 // एएसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं ग्राउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयागणं तसकाइयाणं अकाइयाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया तेउकाइया असंखेजगुणा पुढविकाइया विसेसाहिया ग्राउकाइया विसेसाहिया वाउकाइया विसेसाहिया अकाइया अणंतगुणा वणस्सइकाइया अणंतगुणा सकाइया विसेसाहिया 1 / एएसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं श्राउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं अपजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया अपजत्तगा तेउकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा पुढविकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया ग्राउकाइया अपजत्तगा Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 80 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः विसेसाहिया वाउकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया वणस्सइकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा सकाइया अपजत्तगा विसेसाहिया 2 / एएसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं बाउकाइयाणं तेउकाइयाणं वाउकाइयाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाणं पजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सञ्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा तेउकाइया पजत्तगा असंखेजगुणा पुढविकाइया पजत्तगा विसेसाहिया ग्राउकाइया पजत्तगा विसेसाहिया वाउकाइया पजत्तगा विसेसाहिया वणस्सइकाइया पजत्तगा अणंतगुणा सकाइया पजत्तगा विसेसाहिया 3 / एएसि णं भंते ! सकाइयाणं पजत्तापजत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सकाइया अपजत्तगा सकाइया पजत्तगा संखेजगुणा 4 / एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं पजत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपजत्तगा पुढवीकाझ्या पजत्तगा संखेजगुणा 5 / एएसि णं भंते ! बाउकाइयाणं पजत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सवत्थोवा ग्राउकाइया अपज्जतगा ग्राउकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा 6 / एएसि णं भंते ! तेउकाइयाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तेउकाइया अपजत्तगा तेउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा 7 / एएसि णं भंते ! वाउकाइयाणं पजत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा वाउकाइया अपजत्तगा वाउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा 8 / एएसि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं पजत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा वणस्सइकाइया Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 3 j [ 81 पजत्तगा संखेज्जगुणा 1 / एएसि णं भंते ! तसकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा 10 / एएसि णं भंते ! सकाइयाणं पुढविकाइयाणं ग्राउकाइबाणं तेउकाइयाणं वाउकाइबाणं वणस्सइकाइयाणं तसकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तसकाइया पजत्तगा तसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा पुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया अाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया वाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया तेउकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा पुढविकाइया पज्जत्ता विसेसाहिबा अाउकाइया पज्जत्ता विसेसाहिया वाउकाइया पज्जत्ता विसेसाहिया वणस्सइकाइया अपज्जत्ता अणंतगुणा सकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया वणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा सकाइया पज्जत्तगा विसे साहिया सकाझ्या विसेसाहिया 11 // सू० 51 // एएसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमत्राउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमनियोयाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिश्रा वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया सुहुमयाउकाइया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया सुहुमनिगोदा असंखेजगुणा सुहुमवणस्सइकाइया अणंतगुणा सुहुमा विसेसाहिया 1 / एएसि णं भंते ! सुहुमयपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइय-अपज्जत्तगाणं सुहुमयाउकाइय-अपज्जत्तयाणं सुहुमतेउकाइय-अपज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयश्रयजत्तयाणं सुहुमवणप्फइकाइय-अपज्जत्तयाणं सुहुमनिगोदाअपज्जत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउअपज्जत्तया सुहुमपुढविकाइय-अपजत्तया विसेसाहिया सुहुमत्राउकाइय-अपज्जत्तगा विसेसा Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः हिया सुहुमवाउकाइय-अपज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेजगुणा सुहुमवणप्फइकाइय-अपज्जत्तया अणंतगुणा सुहमा अपज्जत्तया विसे पाहिया 2 / एएसि णं भंते ! सुहुमपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइय-पजत्तगाणं सुहुमाउकाइय-पज्जत्तगाणं सुहुमतेउकाइय-पज्जत्तगाणं सुहुमवाउकाइयपजत्तगाणं सुहुमवणस्सइकाइय-पज्जत्तगाणं सुहुमनिगोदपज्जत्तगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया पजत्तगा सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमाउकाइया पजत्तगा विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमनिगोया पजत्तगा असंखेनगुणा सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंतगुणा सुहुमपज्जत्तगा विसेसाहिया 3 / एएसि णं भंते ! सुहुमाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमश्रपज्जत्तगा सुहुमपज्जत्तगा संखेज्जगुणा 4 / एएसि णं भंते ! सुहुमपुढविकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तया सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा 5 / एएसि णं भंते ! सुहुमयाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमयाउकाइया अपज्जत्तगा सुहुमयाउकाइया पजत्तगा संखेज्जगुणा 6 / एएसि णं भंते ! सुहुमतेउकाइयाणं पज्जत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपजत्तगा सुहुमते उकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा 7 / एएसि णं भंते ! सुहुमवाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तथा सुहुमवाउकाइया पजत्तगा संखेजगुणा = / एएसि णं भंते ! सुहुमवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सब्बत्थोवा सुहुमवणस्सइकाइया अपजत्तगा सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा 1 / एएसि णं Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 ] .. [83 भंते ! सुहुमनिगोयाणं पज्जत्ताऽपज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमनिगोया अपज्जत्तगा सुहुमनिगोया पज्जत्तगा संखेजगुणा 10 / एएसि णं भंते ! सुहृमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमत्राउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं मुहमनिगोदाय य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तया सुहुमपुढवीकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा सुहुमपुटवीकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमयाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमघाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमनिगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमनिगोदा पज्जत्तया संखेज्जगुणा सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जत्तया अणंतगुणा सुहुमयपज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया पजत्तया संखेज्जगुणा सुहुमपज्जत्तया विसेसाहिया सहुमा विसेसाहिया 11 // सू० 60 // .. एएसि णं भंते ! बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरग्राउकाइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीर-बादरबणस्सइकाइयाणं बादरनिगोदाणं वादरतसकाइयाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया बादरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयमरीर-बादरवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा बादरनिगोदा असंखेजगुणा बादरा पुढवीकाझ्या असंखेज्जगुणा बादरा अाउकाइया असंखेज्जगुणा बादरा वाउकाइया असंखेज्जगुणा बादरा वणस्सइकाइया अणंतगुणा बादरा विसेसाहिया 1 / एएसि णं भंते ! बादर-अपज्जत्तगाणं बादरपुढविकाइयअयजत्तगाणं बादरग्राउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरतेउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरवाउकाइयअपज्जत्तगाणं बादरवणस्सइकाइयअपज्जत्तगाणं पत्तेयसरीर Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पष्ठो विभागः बादरवणस्सइकाइयअपज्जत्तगाणं बादरनिगोदअपज्जत्तगाणं बादरतसकाइयअपजत्तगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तगा बादरतेउकाइया अपजत्तगा असंखज्जगुणा पत्तेयसरीर बादरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेनगुणा बादरनिगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा बादरपुढवीकाइया अपजत्तगा असंखेज्जगुणा बादराउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा बादरवाउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा बादरखणस्सइकाइया अपजत्तगा अणंतगुणा बादरअपज्जत्तगा विसेसाहिया 2 / एएसि णं भंते ! बायरपज्जत्तयाणं बादरपुढवीकाइयाणं पज्जत्तयाणं बायरबाउकाइयाणं पज्जत्तयाणं बायरतेउकाइयाणं पज्जत्तयाणं बायरवाउकाइयाणं पज्जत्तयाणं पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइयागणं पज्जत्तयाणं बायरनिगोदपज्जत्तयाणं बायरतसकाइयपजत्तगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरतेउकाइया पज्जत्तया बायरतसकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखे. ज्जगुणा बायरनिगोदा पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बादरपुढवीकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरयाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरखाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया श्रणंतगुणा बायरपज्जत्तया विसेसाहिया 3 / एएसि णं भंते ! बायराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गायमा ! सव्वत्थोवा बायरपज्जत्तया बायरअपज्जत्तया असंखेज्जगुणा 4 / एएसिणं भंते ! बायरपुढवीकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरपुढवीकाइया पज्जत्तया बायरपुदविकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा 5 / एएसि णं भंते ! बायरग्राउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरेकयरेहितो अप्पा वा Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 3 ] [ 85 बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायराउकाइया पज्जत्तया बायरग्राउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा 6 / एएसि णं भंते ! वायरतेउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरतेउ. काइया पज्जत्तया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा 7 / एएसि णं भंते ! वायर. वाउकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरवाउकाइया पज्जत्त्या बायरखाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा 8 / एएसि णं भंते ! बायरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो श्रप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरवणस्सइकाइया पजत्तया बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा 1 / एएसि णं भंते ! पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया पजत्तया पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया अपजत्त्या असंखेजगुणा 10 / एएसि णं भंते ! बायरनिगोयाणं पजत्तापजत्ताणं कमरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोरमा ! सब्वत्थोवा वायरनिगोया पजत्ता वायरनिगोया अपजत्ता असंखेजगुणा 11 / एणसि णं भंते ! बायरतसकाइयाणं पजत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा / सव्वत्थोवा बायरतसकाइया पज्जत्ता बायरतसकाइया अपज्जत्ता असंखेज्जगुणा 12 / एएसि णं भंते ! बायराणं बायरपुढवीकाइयाणं बायरग्राउकाइयाणं बायरतेउकाइयाणं बायरवाउकाइयाणं बायरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइयाणं बायरनिगोयाणं बायरतसकाइयाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरतेउ Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 86 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः म-षष्ठो विभाग काइया पजत्तया बायरतसकाइया पजत्तया असंखेजगुणा बायरतसकाइया अपजत्नया असंखेजगुणा पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया पजत्तया असंखेजगुणा वायरनिगोया पजत्तया असंखेजगुणा बादरपुढवीकाइया पजत्तया असंखेजगुणा बायरयाउकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा बायरवाउकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा बायरतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा पत्तेयसरीर बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरनिगोया अपजत्तया असंखेज्जगुणा बायरपुढवीकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरयाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरवाउकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा बादरपजत्तया विसेसाहिया बायरवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा आयरअपजत्तया विसेसाहिया बायरा विसेसाहिया 13 // सू० 61 // ___ एएसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढवीकाइयाणं सुहुमयाउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमनिगोयाणं बायराणं बायरपुढवीकाइयाणं बायराउकाइयाणं बायरतेउकाइयाणं बायरवाउकाइयाणं बायरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइयाणं बायरनिगोयाणं तसकाइयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेमाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरतसकाझ्या बायरतेउकाइया असंखेजगुणा पत्तेयसरीखायरवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा बायरनिगोया असंखेजगुणा बायरपुढवीकाइया असंखेज्जगुणा बायरग्राउकाइया असंखेजगुणा बायरवाउकाइया असंखेज्जगुणा सुहुमतेउकाइया असंखेज्जगुणा सुहुमपुढवीकाइया विसेसाहिया सुहुमाउकाइया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया सुहुमनिगोया असंखेज्जगुणा बायरवणस्सइकाइया अणंतगुणा बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा सुहुमा विसेसाहिया 1 / एएसि णं भंते ! सुहुमअपज्जत्तयाणं सुहुमपुढवीकाइयाणं अपज्जत्तयाणं Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमरप्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 ] [87 सुहुमयाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमतेउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं सुहुमनिगोयाणं अपज्जत्तयाणं बायरअपज्जत्तयाणं बायरपुढवीकाइयाणं अपज्जतयाणं बायरयाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं बायरतेउकाइयाणं अपजत्तयाणं बायरवाउकाइयाणं अपज्जत्तयाणं बायरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइयाणं अपज्जत्तयाणं वायरनिगोयाणं अपज्जत्तयाणं बायरतसकाइयाणं अपज्जत्तयागां कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरतसकाइया अपजत्तया बायरतेउकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया थपज्जत्तया असंखेजगुणा बायरनिगोया अपजत्तया असंखेजगुणा बायरपुढवीकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा बादरग्राउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा बायरखाउकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा सुहुमपुढवीकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमयाउकाइया अपजत्तया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया अपजत्तया विसेसाहिया सुहुमनिगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्या अणंतगुणा बायरा अपज्जत्तया विसेसाहिया सहुमवणरसइकाइया अपज्जत्त्या असंखेजगुणा सुहुमा अपज्जत्तया विसेसाहिया 2 / एएसि णं भंते ! सुहुमपजत्तयाणं सुहुमपुढविकाइया पजत्तयाणं सुहुमाउकाइया पजचयाणं सुहुमतेउकाझ्या पज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइया पज्जत्तयाणं सुहुमवणस्सइकाइया पजतयाणं सुहुमनिगोया पज्जत्तयाणं बायरपज्जत्तयाणं बायरपुटवीकाइया पजतयाणं वायरयाउकाइया पज्जत्तयाणं बायरतेउकाइया पज्जत्तयाणं बायरवाउकाइया पज्जत्तयाणं बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तयाणं पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तयाणं वायरनिगोया पज्जत्तयाणं वायरतसकाइयपज्जत्तयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरतेउकाइया पज्जत्तया बायरतसकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरनिगोया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरपुढविकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा बायरबाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरवाउकाइया पजत्तया असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमपुढवीकाइया पजत्तया विसेसाहिया सुहुमाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमनिगोया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया अणंतगुणा बायरपज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमपज्जत्तया विसेसाहिया 3 / एएसि णं भंते ! सुहुमाणं बायराण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरे. हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरा पज्जत्तया बायरअपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमअपज्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमपज्जत्तया संखेज्जगुणा 4 / एएसि णं भंते ! सुहुमपुढविकाइयाणं बायरपुढविकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा सिसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा बायरपुढविकाइया पज्जत्तया बायरपुढविकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमपुढविकाझ्या अप्पज्जतया असंखेज्जगुणा सुहुमपुढविकाइया पजत्तया संखेजगुणा 5 / परसि णं भंते ! सुहुमयाउकाइयाणं वायरग्राउकाइयाण य पजतापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरग्राउकाइया पज्जत्तया बायरयाउकाइया अपजत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमाउकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा 6 / एएसि णं भंते ! सुहुमतेउकाइयाणं बायरतेउकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया या ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरतेउ. Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 ) [86 काझ्या पज्जत्तया बायरतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमतेउकाइया अपजत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमतेउकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा 7 / एएमि णं भंते ! सुहुमघाउकाइयाणं बायरवाउकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बायरवाउकाइया पज्जत्तया वायरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमबाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा 8 / एएसि णं भंते ! सुहुमवणस्सइकाइयाणं बायरवणस्सइकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा बायरवणस्सइकाइया पजत्तया बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमवणस्सइकाइया अपज्जतया असंखेज्जगुणा सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा / एएसि णं भंते ! सुहुमनिगोयाणं वायरनिगोयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा बायरनिगोयया पज्जत्तया बायरनिगोयया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमनिगोयया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमनिगोयया पज्जत्तया संखेजगुणा 10 / एएसि णं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमथाउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुमवाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमानगोयाणं बायराणं वायरपुढविकाइयाणं बायरयाउकाइयाणं वायरतेउकाइयाणं बायरखाउकाइयाणं बायरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइयाणं वायरनिगोयाणं वायरतसकाइयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा वादरतेउकाइया पज्जत्तया बायरतसकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा बायरतसकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरनिगोया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 9.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पष्ठो विभागः बायरपुढविकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायराउकाइया पजत्तया असंखेजगुणा बायरवाउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरतेउकाइया अपजत्तया असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीर-बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा बायरनिगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरपुढविकाइया श्रपजत्तया असंखेज्जगुणा बायरबाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा बायरवाउकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमपुढवीकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमत्राउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमतेउकाइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमश्राउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया सुहुमनिगोया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा सुहुमनिगोया पजत्तया संखेजगुणा बायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया श्रणंतगुणा बायरपज्जत्तया विसेसाहिया बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणां बायरअपजत्तया विसेसाहिया बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा सुहुमअपजत्तया विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइय पज्जत्तया संखेजगुणा सुहमपजत्तया विसेसाहिया सुहुमा विसेसाहिया११। दारं 4 ॥सू० 62 // एएसि णं भंते ! जीवाणं सयोगीणं मणजोगीणं वइजोगीणं कायजोगीणं अयोगीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणयोगी वययोगी असंखेजगुणा अयोगी श्रणंतगुणा काययोगी अणंतगुणा सयोगी विसेसाहिया / दारं 5 // सू० 63 // एएसि णं भंते ! जीवाणं सवेयगाणं इत्थीवेयगाणं पुरिसवेयगाणं नपुंसकवेयगाणं अवेयगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेयगा इत्थीवेयगा संखेजगुणा अवेयगा अांतगुणा नपुसकवेयगा अणंतगुणा Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदं 3 ] [61 सवेयगा विसेसाहिया / दारं 6 // सू० 64 // एएसि णं भंते ! जी पाणं सकसाईणं कोहकमाईणं माणकसाईणं मायाकसाईणं लोहकसाईणं अकसाईण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अकसाई माणकसाई अणंतगुणा कोहकसाई विसेलाहिया मायाकसाई विसेसाहिया लोहकसाई विसेसाहिया सकसाई विसेसाहिया / दारं 7 // सू० 65 // एएसि णं भंते ! जीवाणं सलेस्साणं किराहलेसाणं नीललेस्साणं काउलेस्साणं तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुकलेस्साणं अलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सुकलेस्सा पम्हलेस्सा संखेजगुणा तेउलेस्सा संखेजगुणा अलेस्सा अणंतगुणा काउलेस्सा अणंतगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया किराहलेस्सा विसेसाहिया सलेस्सा विसेसाहिया। दारं 8 // सू० 66 // एएसि णं भंते ! जीवाणं सम्मदिट्ठीणं मिच्छादिट्ठीणं सम्मामिच्छादिट्ठीणं च कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सम्मामिच्छदिट्ठी सम्मदिट्ठी अणंतगुणा मिच्छादिट्ठी अणंतगुणा / दारं 1 // सू० 67 // एएसि णं भंते ! जीवाणं आभिणियोहियणाणीणं सुयणाणीणं श्रोहिणाणीणं मणपजवणाणीणं केवलणाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपजवणाणी योहिनाणी असंखेजगुणा ग्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी दोवि तुल्ला विसे साहिया केवलनाणी अणंतगुणा 1 / एएसि णं भंते ! जीवाणं मइअन्नाणीणं सुययन्नाणीणं विभंगणाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा विभंगनाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी दोवि तुल्ला अणंतगुणा 2 / एएसि णं भंते ! जीवाणं आभिणिबोहियणाणीणं सुयनाणीणं श्रोहिनाणीणं मणपज Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 92] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः वनाणीणं केवलनाणीणं मइअन्नाणीणं सुयअन्नाणीणं विभंगणाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपजवनाणी श्रोहिनाणी असंखेजगुणा श्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी य दोवि तुल्ला विसेसाहिया विभंगनाणी असंखेजगुणा केवलनाणी अनंतगुणा मइअन्नाणी सुयअन्नाणी य दोवि तुल्ला अणंतगुणा / दारं 10 // सू० 68 // एएसि णं भंते ! जीवाणं चक्खुदंसणीणं अचक्खुदसणीणं योहिदंसणीणं केवलदंसणीण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा श्रोहिदसणी चक्खुदंसणी असंखेजगुणा केवलदसणी अणंतगुणा अचक्खुदंसणी अणंतगुणा / दारं 11 // सू० 61 // एएसि णं भंते ! जीवाणं संजयाणं असंजयाणं संजयासंजयाणं नोसंजय-नोथसंजय-नोसंजयासंजयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा संजया संजयासंजया असंखेजगुणा नोसंजया-नोअसंजयानोसंजयासंजया श्रगतगुणा असंजया अणंतगुणा / दारं 12 // सू० 70 // एएसि णं भंते ! जीवाणं सागरोवउत्ताणां श्रणागारोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अणागारोवउत्ता सागारोबउत्ता संखेजगुणा / दारं 13 // सू० 71 // एएसि णं भंते ! जीवाणं श्राहारगाणं श्रणाहारगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अणाहारगा श्राहारगा असंखेजगुणा / दारं 14 // सू० 72 // एएसि णं भंते ! जीवाणं भासगाणां श्रभासगाण य कयरे कयरेहितो अप्पा बहुया वा तुल्ला विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा भासगा अभासगा अगांतगुणा / दारं 15 // सू० 73 // एएसि णं भंते ! जीवाणं परित्ताणं अपरित्ताण य परित्तनोअपरित्ताण य कयरे कयरेहितो Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [93 श्रीमस्त्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 / / अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा परित्ता नोपरित्तानोअपरित्ता अणंतगुणा, अपरित्ता अणंतगुणा / दारं 16 // सू० 74 // एएसि णं भंते ! जीवाणं पजत्ताणं अपजत्ताणं नोपजत्तनोअपजत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा नोपज्जत्तनोअपजत्तगा अपज्जत्तगा अणंतगुणा पजत्नगा संखिजगुणा / दारं 17 // सू० 75 // एएसि णं भंते ! जीवाणं सुहुमाणं बायराणं नोसुहुमनोवायराण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा जीवा नोसुहुमानोवायरा बायरा अणंतगुणा सुहुमा असंखेनगुणा। दारं 18 // सू० 76 // एएसि णं भंते ! जीवाणं सन्नीणं असन्नीणं नोसन्नीनोग्रसन्नीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सन्नी नोसन्नीनोग्रसन्नी श्रणंतगुणा असन्नी अणंतगुणा / दारं 11 // सू० 77 // एएसि णं भंते ! जीवाणं भवसिद्धियाणं अभवसिद्धियाणं नोभवसिद्धियनोअभवसिद्धियाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अभवसिद्धिया णोभवसिद्धियणोप्रभवसिद्धिया अणंतगुणा भवसिद्धिया अणंतगुणा / दारं 20 ॥सू० 78 // एएसि णं भंते! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय--यागासत्थिकाय-जीवत्थिकाय--पोग्गलस्थिकायश्रद्धासमयाणं दबट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?,गोयमा ! धम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकाए भागासस्थिकाए य एएणं तिनिऽवि तुल्ला दबट्टयाए सव्वत्थोवा, जीवत्यिकाए दबट्टयाए अणंतगुणे, पोग्गलस्थिकाए दवट्टयाए अणंतगुणे, श्रद्धासमए दवट्ठयाए अणंतगुणे 1 / एएमि णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्यिकाय-यागासस्थिकाय-जीवत्थिकायपोग्गलत्थिकाय-अद्धासमयाणं पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 94) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभाग: तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए एए णं दोवि तुल्ला पएसट्टयाए सम्बत्थोवा, जीवस्थिकाए पएसट्टयाए अणंतगुणे, पोग्गलस्थिकाए पएसट्टयाए अणंतगुणे, श्रद्धासमए पएसट्टयाए श्रणंतगुणे, यागासथिकाए पएसट्टयाए अणंतगुणे 2 / एयस्स णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे एगे धम्मत्थिकाए दवट्ठयाए से चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणे 3 / एयस्स णं भंते ! अधम्मत्थिकायस्स दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे एगे अधम्मत्थिकाए दवट्टयाए से चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणे 4 / एयस्स णं भंते ! भागासस्थिकायस्स दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे एगे श्रागासस्थिकाए दबट्टयाए से चेव पएसट्टयाए अणंतगुणे 5 / एयस्स णं भंते ! जीवत्थिकायस्स दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहियावा ?, गोयमा ! सव्वत्थोचे जीवस्थिकाए दबट्टयाए से चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणे 6 / एयस्त णं भंते ! पोग्गलत्थिकायस्स दव्वट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे पोग्गलस्थिकाए दवट्ठयाए से चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणे 7 / श्रद्धासमये न पुच्छिजइ पएसाभावा 8 / एएसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय-यागासस्थिकाय-जीवत्थिकाय-पोग्गलथिकाय-श्रद्धासमयाणं दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए अागासत्थिकाए एए तिन्निवि तुल्ला दबट्टयाए सव्वत्थोवा, धम्मत्थिकाए अधम्मस्थिकाए य एए णं दोनिवि तुल्ला पएसट्टयाए असंखेजगुणा, जीव. थिकाए दव्वट्ठयाए अणंतगुणे से चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणे, पोग्गल Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 15 श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 ] थिकाए दव्वट्ठयाए अणंतगुणे से चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणे, श्रद्धासमए दवट्ठपएसट्टयाए अणंतगुणे, अागासत्थिकाए पएसट्टयाए अणंतगुणे 1 / दारं 21 // सू० 71 // एएसि णं भंते / जीवाणं चरिमाणं अचरिमाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अचरिमा चरिमा अणंतगुणा / दारं 22 // सू० 80 // एएसि णं भंते ! जीवाणं पोग्गलाणं श्रद्धासमयाणं सव्वदव्वाणं सधपएसाणं सवपजवाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसे साहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा जीवा पोग्गला अणंतगुणा श्रद्धासमया अणंतगुणा सव्वदव्वा विसेसाहिया सव्वपएसा अणंतगुणा सव्वपजवा अणंतगुणा / दारं 23 ॥सू० 81 // खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा जीवा उडलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखेजगुणा तेलुक्के असंखेजगुणा उड्डलोए असंखेजगुणा अहोलोए विसेसाहिया॥ सू० 82 // खेत्ताणुवाएणं सम्वत्थोवा नेरइया तेलोक्के होलोयतिरियलोए असंखेजगुणा, ग्रहोलोए असंखेजगुणा 1 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया उड्डलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखेजगुणा तेलोक्के असंखेजगुणा उड्डलोए असंखेजगुणा ग्रहोलोए विसेमाहिया 2 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवायो तिरिक्खजोणिणीयो उडलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणायो तेलोक्के संखेजगुणायो अहोलोय. तिरियलोए संखेजगुणायो ग्रहोलोए संखेजगुणायो तिरियलोए संखेजगुणायो 3 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा मणुस्सा तेलोक्के उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणा अहोलोयतिरियलोए संखेजगुणा उड्डलोए संखेजगुणा ग्रहोलोए संखेजगुणा तिरियलोए संखेजगुणा 4 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा मणुस्सीयो तेलोक्के उड्डलोयतिरियलोए संखेजगुणायो ग्रहोलोयतिरियलोए संखेजगुणायो उड्डलोए संखेजगुणायो ग्रहोलोए संखेजगुणायो तिरियलोए Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः संखेजगुणायो 5 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा देवा उडलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तेलोक्के संखेजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए संखेजगुणा होलोए संखेनगुणा तिरियलोए संखेजगुणा 6 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवायो देवीयो उड्डलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणायो तेलोक्के संखेजगुणायो होलोयतिरियलोए संखेजगुणायो अहोलोए संखेजगुणायो तिरियलोए संखेजगुणायो 7 // सू० 83 // खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा भवणवासी देवा उड्डलोए उडलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तेलोक्के संखेजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तिरियलोए असंखेजगुणा अहोलोए असंखेजगुणा 1 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवायो भवणवासिणीयो देवीश्रो उड्डलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणाश्रो तेलोक्के संखेजगुणायो होलोयतिरियलोए असंखेजगुणायो तिरियलोप असंखेजगुणाश्रो होलोए असंखेजगुणायो 2 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाणमंतरा देवा उड्डलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तेलोक्के संखेजगुणा अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा ग्रहोलोए संखेजगुणा तिरियलोए संखेजगुणा 3 / खेताणुवाएणं सव्वत्थोवायो वाणमंतरीबो देवीयो उड्डलोए उड्डलोय. तिरियलोए असंखेजगुणायो तेलोक्के संखेजगुणायो होलोयतिरियलोए असंखेजगुणायो ग्रहोलोए संखेजगुणायो तिरियलोए संखेजगुणायो 4 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा जोइसिया देवा उडलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणा तेलोक्के संखेजगुणा अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा ग्रहोलोए संखेजगुणा तिरियलोए असंखेजगुणा 5 / खेत्ताणुवाएणं सब्बस्थोवायो जोइसिणीयों देवीयो उड्डलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखेजगुणायो तेलोक्के संखेजगुणायो होलोयतिरियलोए असंखेजगुणायो अहोलोए संखेजगुणायो तिरियलोए असंखेजगुणायो 6 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा [ ग्रन्थाग्रं 2000 ] उड्डलोयतिरियलोए तेलोक्के Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 7 श्रीमत्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 3 ] संखेजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा श्रहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखेजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा 7 / खित्ताणुवाएणं सव्वस्थोवायो वेमाणियायो देवीयो उडलोयतिरियलोए तेलोक्के संखेजगुणायो अहोलोयतिरियलोए संखेजगुणाओ ग्रहोलोए संखेजगुणायो तिरियलोए संखेजगुणायो उड्डलोए असंखेजगुणायो 8 // सू० 84 // खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा उडलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 1 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा अपजत्तगा उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखेजगुणा उड्डलोए असंखेजगुणा अहोलोए विसेसाहिया 2 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा एगिदिया जीवा पज्जत्तगा उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा होलोए विसेसाहिया 3 // सू० 85 // खेताणुवाएणं सवयोवा विइंदिया उड्डलोए उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के असंखिजगुणा अहोलोयतिरियलोए असंखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 1 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा बेइंदिया अपज्जत्तया उड्डलोए उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखेजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 2 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा बेइंदिया पजत्तया उडलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 3 / खित्ताणुवारणं सव्वत्थोवा तेइंदिया उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा ग्रहोलोय सखिजगुणा तिरजगुणा होललोप उहलाया। Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 98] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः तिरियलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 4 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्योवा तेइंदिया अपजत्तया उड्डलोए उड्डलोगतिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा अहोलोयतिरियलोए असंखिजगुणा अढोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 5 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेइंदिया पज्जत्तया उड्डलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के असंखिजगुणा अहोलोयतिरियलोए असंखिजगुणा होलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा ६।खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा चरिंदिया जीवा उड्डलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 7 / खित्ताणुवाएणं सम्बत्थोवा चरिंदिया जीवा अपजत्तया उड्डलोए उड्डलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के असंखिजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए असंखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 8 / खित्ताणुवाएणं सम्बत्थोवा चरिंदिया जीवा पजत्तया उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए असंखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए संखिजगुणा 1 // सू० 86 // खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिंदिया तेलुक्के उड्डलोयतिरियलोए संखिजगुणा होलोयतिरियलोए संखिजगुणा उडलोए संखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए श्रसंखिजगुणा 1 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पंचिंदिया अपजत्तया तेलोक्के उडलोय. तिरियलोए संखेजगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा उड्डलोए संखिजगुणा ग्रहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए श्रसंखिजगणा 2 / खित्ताणुवाएणं सम्वत्थोवा पंचिंदिया पजत्तया उडलोए उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के संखिजगुणा अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा अहोलोए संखिजगुणा तिरियलोए असंखिजगुणा 3 // सू० 87 // Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 ] [ 99 खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया उडलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्जगुणा तेलोक्के असंखिज्जगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 1 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपजत्तया उडलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के अखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 2 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुढविकाइया पजत्तया उड्डलोयतिरियलोए होलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के असंखिजगुणा रडलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 3 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा थाउकाइया उड्डलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया 4 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा ग्राउकाइया अपजतया उड्डलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 5 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा ग्राउकाइया पजत्तया उडलोयतिरियलोए होलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 6 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउकाइया उड्डलोयतिरियलोए श्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए यसंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा पहोलोए विसेसाहिया 7 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्योवा तेउकाइया अपजतया उड्डलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया 8 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तेउका या पन्जत्तया उड्डलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10. ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विमागा तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उडलोए असंखेजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 1 / खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया उड्डलोय. तिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया, तिरियलोए असंखिजगणा तेलुक्के असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 10 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाउकाइया अपजत्तया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा अहोलोए विसेसाहिया 11 // खिताणुवाएगां सबथोवा वाउकाइया पजत्तया उडलोयतिरियलोए अहो. लोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलुक्के असंखिजगुणा उडलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 12 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्योवा वणस्सइकाइया उडलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेमाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिज़गुणा उडलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 13 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया अपजत्तया उड्डलोयतिरियलोए अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए थसंखिजगुणा तेलुवके असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 14 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पजत्तया उड्डलोयतिरियलोए ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिजगुणा तेलोक्के असंखिजगुणा उड्डलोए असंखिजगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 15 // सू० 88 // खित्ताणुवाएणं सबत्थोवा तसकाइया तेलोक्के उड्डलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा ग्रहोलोय. तिरियलोए संखिज्जगुणा उडलोए संखिज्जगुणा होलोए संखिज्जगुणा तिरियलोए असंखिज्जगुणा 1 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तसकाइया अपज्जत्तया तेलोक्के उडलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा ग्रहोलोयतिरियलोए संखिज्जगुणा उडलोए संखिज्जगुणा होलोए संखिज्जगुणा Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 3 ] [ 101 तिरियलोए असंखिज्जगुणा 2 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तसकाइया पजत्तया तेलोक्के उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा होलोयतिरियलोए संखिजगुणा उडलोए संखिज्जगुणा ग्रहोलोए संखिज्जगुणा तिरियलोए असंखिज्जगुणा / दारं 24 ॥सू० 81 // एएसि णं भंते ! जीवाणं अाउयस्स कम्मस्स बंधगाणं यवंधगाणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं सुत्ताणं जागराणं समोहयाणं असमोहयाणं सायावेयगाणं असायावेयगाणं इंदिनोवउत्ताणं नोइंदिग्रोवउत्ताणं सागारोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अाउयस्स कम्मस्स बंधगा 1 अपज्जत्तया संखेज्जगुणा 2 सुत्ता संखेज्जगुणा 3 समोहया संखेज्जगुणा 4 सायावेयगा संखेज्जगुणा 5 इंदियोवउत्ता संखेज्जगुणा 6 यणागारोवउत्ता संखेज्जगुणा 7 सागारोवउत्ता संखेज्जगुणा 8 नोइंदियोवउत्ता विसे साहिया 1 असायावेयगा विसेसाहिया 10 असमोहया विसेसाहिया 11 जागरा विसेसाहिया 12 पज्जत्तया विसेसाहिया 13 याउयस्स कम्मस्स प्रबंधया विसेसाहिया 14 / दारं 25 // सू० 10 // खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुग्गला तेलोक्के उडलोयतिरियलोए अणंतगुणा अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्जगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 1 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा पुग्गला उट्ठदिसाए ग्रहेदिसाए विसेसाहिया उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपञ्चस्थिमेण य दोवि तुल्ला असंखिज्जगुणा दाहिणपुरच्छिमेण उत्तरपञ्चत्थिमेण य दोवि तुल्ला विसेसाहिया पुरच्छिमेणं असंखिज्जगुणा पञ्चत्थिमेणं विसेसाहिया दाहिणेणं विसेसाहिया उत्तरेणं विसेसाहिया 2 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाइं दव्याई तेलोक्के उड्डलोयतिरियलोए अणंतगुणाई ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहियाइं उडलोए असंखिज्जगुणाई ग्रहोलोए अणंतगुणाई तिरियलोए संखिज्जगुणाई 3 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवाई Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठी विभागः दवाई होदिसाए उड्डदिसाए अणंतगुणाई उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपञ्चत्थिमेण य दोवि तुल्लाइं असंखिज्जगुणाई दाहिणपुरच्छिमेणं उत्तरपचत्थिमेण य दोवि तुल्लाइं विसेसाहियाई पुरच्छिमेणं असंखिज्जगुणाई पञ्चत्थिमेणं विसेसाहियाई दाहिणेणं विसेसाहियाइं उत्तरेणं विसेसाहियाई 5 ॥सू० 11 // एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं संखेज्जपएसियाणं असंखेज्जपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं दवट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गायमा ! सम्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा दवट्टयाए परमाणुपोग्गला दवट्ठयाए श्रणंतगुणा संखेज्जपएसिया खंधा दवट्ठयाए संखेज्जगुणा असंखेजपएसिया खंधा दबट्टयाए असंखेज्जगुणा पएसट्टयाए सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा पएसट्टयाए परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए अणंतगुणा संखेज्जपएसिया खंधा पएसट्टयाए संखेज्जगुणा असंखेजपएसिया खंधा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा दव्वट्ठपएसट्टयाए सब्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा दव्वट्ठयाए ते चेव पएसट्ठयाए अणंतगुणा परमाणुपोग्गला दवट्टपएसट्टयाए अणंतगुणा संखेज्जपएसिया खंधा दवट्ठयाए संखेज्जगुणा ते चेव पएसट्टयाए संखेज्जगुणा असंखपएसिया खंधा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा ते चेव पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा 1 / एएसिणं भंते ! एगपएसोगाढाणं संखेज्जपएसोगाटाणं असंखेजपएसोगाढाण य पोग्गलाणं दवट्टयाए पएसट्टयाए दबट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए संखेज्जपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए संखेज्जगुणा असंखेज्जपएसोगाढा पोग्गला दबट्टयाए असंखेजगुणा पएसट्टयाए सव्वत्थोवा एगपएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए संखिज. पएसोगाढा पोग्गला पएसट्टयाए संखिज्जगुणा असंखिज्जपएसोगाढा पुग्गला पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा दबट्ठपएसट्टयाए सम्वत्थोवा एगपएसोगाढा Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 ) [ 103 पुग्गला दबटुपएसट्टयाए संखिज्जपएसोगाढा पुग्गला दवट्ठयाए संखिजगुणा ते चेव पएसट्टयाए संखिज्जगुणा असंखिज्जपएसोगाढा पुग्गला दवट्ठयाए असंखिज्जगुणा ते चेव पएसट्ठयाए असंखिज्जगुणा 2 / एएसि णं भंते ! एगसमयठिइयाणं संखेज्जसमयठियाणं असंखिज्जसमयठिझ्याणं पुग्गलाणं दबट्टयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा एगसमयठिझ्या पुग्गला दबट्टयाए संखिज्जसमयठिझ्या पुग्गला दवट्ठयाए संखिजगुणा असंखिज्जसमयठिझ्या पुग्गला दवट्ठयाए असंखिज्जगुणा पएसट्टयाए सब्वत्थोवा एगसमयठिझ्या पुग्गला पएसट्ठयाए संखिज्जसमयठिइया पुग्गला पएसट्टयाए संखेज्जगुणा असंखिज्जसमयठिझ्या पुग्गला पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा दबट्टपएसठ्याए सव्वत्थोवा एगसमयठिइया पुग्गला दबट्टपएसट्टयाए संखिज्जसमयठिझ्या पुग्गला दबट्टयाए संखिज्जगुणा ते चेव पएसट्टयाए संखिज्जगुणा असंखिज्जसमयठिझ्या पुग्गला दबट्टयाए असंखिज्जगुणा ते चेव पएसट्टयाए असंखिज्जगुणा 3 / एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं संखिज्जगुणकालगाणं असंखिज्जगुणकालगागां अणंतगुणकालगाण य पुग्गलाणं दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! जहा पुग्गला तहा भाणियव्या, एवं संखिज्जगुणकालगाणवि, एवं सेसावि वराणा गंधा रसा फासा भाणियब्वा, फासाणं कक्खड-मउय-गुरुय-लहुयाणं जहा एगपएसोगाढाणं भणियं तहा भाणियव्वं 4 / श्रवसेसा फासा जहा वन्ना तहा भाणियबा 5 / दारं 26 // सू० 12 // अहं भंते ! सव्वजीवप्पबहुं महादराडयं वत्त(न)इस्लामि-सव्वत्थोवा गभवक्कंतिया मणुस्सा 1 मणुस्सीयो संखिज्जगुणायो 2 बायरतेउकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 3 अणुत्तरोववाझ्या देवा असंखिज्जगुणा 4 उवरिमगेविज्जगा देवा संखिज्जगुणा 5 Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पठो विभागः मझिमगेविज्जगा देवा संखिज्जगुणा 6 हिटिमगेविज्जगा देवा संखिजगुणा 7 अच्चुए कप्पे देवा संखिज्जगुणा 8 श्रारणे कप्पे देवा संखिज्जगुणा 1 पाणए कप्पे देवा संखिज्जगुणा 10 श्राणए कप्पे देवा संखिज्जगुणा 11 अहे सत्तमाए पुढवीए नेरइया असंखिज्जगुणा 12 छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरझ्या असंखिज्जगुणा 13 सहस्सारे कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 14 महासुक्के कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 15 पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइथा असंखिज्जगुणा 16 लंतए कप्पए देवा असंखिज्जगुणा 17 चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखिज्जगुणा 18 बंभलोए कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 11 तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखिन्जगुणा 20 माहिंदे कप्पे देवा असंखिज्जगुणा 21 सणंकुमारे कप्पे देवा असंखिजगुणा 22 दोचाए सकरप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखिजगुणा 23 समुच्छिमा मणुस्सा असंखिजगुणा 24 ईसाणे कप्पे देवा असंखिन्जगुणा 25 ईसाणे कप्पे देवीग्रो संखिज्जगुणायो 26 सोहम्मे कप्पे देवा संखिज्जगुणा 27 सोहम्मे कप्पे देवीयो संखेज्जगुणायो 28 भवणवासी देवा असंखेज्जगुणा 21 भषणवासिणीयो देवीयो संखेज्जगुणायो 30 इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया असंखिज्जगुणा 31 खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पुरिसा असंखिज्जगुणा 32 खहयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिणीयो संखिज्जगुणायो 33 थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया पुरिसा संखिजगुणा 34 थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिणीयो संखिज्जगुणायो 35 जलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया पुरिसा संखिज्जगुणा 36 जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिणीयो संखिज्जगुणायो 37 वाणमंतरा देवा संखिज्जगुणा 38 वाणमंतरीयो देवीयो संखिज्जगुणात्रो 31 जोइसिया देवा संखिजगुणा 40 जोइसिणीयो देवीयो संखिज्जगुणायो 41 खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया नपुंसगा संखिज्जगुणा 42 थलयरपंचिंदिय-तिरिक्ख Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 3 ] [ 1.5 जोणिया नपुंसगा संखिज्जगुणा 43 जलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिश्रा नपुसगा संखिज्जगुणा 44 चउरिदिया पज्जत्तया संखिज्जगुणा 45 पंचिंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया 46 बेइंदिया पज्जतया विसेसाहिया 47 तेइंदिया पज्जत्तया विसेसाहिया 48 पंचिंदिया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा 41 चउरिंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया 50 तेइंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया 51 बेइंदिया अपज्जत्तया विसेसाहिया 52 पत्तेयसरीखायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 53 बायरनिगोया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 54 बायरपुढवीकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 55 वायरग्राउकाइया पज्जत्तया असंखिज्जगुणा 56 बायरवाउकाइया पज्जत्तगा असंखिज्जगुणा 57 वायरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्जगुणा 58 पत्तेयसरीर-बायर-वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्जगुणा 51 बायरनिगोया अपजत्तया असंखिजगुणा 60 बायरपुटवीकाइया अपज्जत्तया असंखिजगुणा 61 बायरयाउकाइया अपजत्तया असंखिजगुणा 62 बायरवाउकाइया अपजत्तया असंखिजगुणा 63 सुहुमतेउकाइया अपजत्तया असंखिजगुणा 64 सुहुमपुढवीकाइया अपजत्तया विसेसाहिया 65 सुहुमश्राउकाइया अपज्जत्तया विसेसाहिया 66 सुहुमवाउकाइया अपजत्तया विसेसाहिया 67 सुहुमतेउकाइया पजत्तया संखिज्जगुणा 68 सुहमपुढवीकाइया पज्जत्नया विसेसाहिया 61 सुहुमग्राउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया 70 सुहुमवाउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया 71 सुहुमनिगोया अपज्जत्तया असंखिज्जगुणा 72 सुहुमनिगोया पज्जतया संखिज्जगुणा 73 अभवसिद्धिया अणंतगुणा 74 परिवडियसम्मदिट्ठि अणंतगुणा 75 सिद्धा अणंतगुणा 76 वायरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंतगुणा 77 बायरपज्जत्ता विसेसाहिया 78 बायरवणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखिज्जगुणा 71 बायरअपज्जत्तगा विसेसाहिया 80 बायरा विसेसाहिया 81 Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः सुहुमवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखिजगुणा 82 सुहुमत्रपजत्तया विसेसाहिया 83 सुहुमवणस्सइकाइया पजत्तया संखिजगुणा 84 सुहुमपजत्तया विसेसाहिबा 85 सुहमा विसेसाहिया 86 भवसिद्धिया विसेसाहिया 87 निगोयजीवा विसेसाहिया 88 वणस्सइजीवा विसेसाहिया 81 एगिदिया विसेसाहिया 10 तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया 11 मिच्छादिट्ठी विसेसाहिया 12 अविरया विसेसाहिया 13 सकसाई विसेसाहिया 14 छउमत्था विसेप्ताहिया 15 सजोगी विसेसाहिथा 16 संसारत्था विसेसाहिया 17 सव्वजीवा विसेसाहिया 18 / दारं 27 // सू० 13 // पन्नवणाए भगवईए तइयं बहुवत्तव्वयपयं समत्तं // // इति तृतीयं पदम् // 3 // // अथ श्री स्थितिनामकं चतुर्थ पदम् // नेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 1 / अपज्जत्तनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पजत्तगनेरइयाणं केवइयं कालं लिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 3 / रयणप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं सागरोवमं 4 / अपजत्त-रयणप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / पजत्त-रयणप्पभा. पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तूणं 6 / सकरप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पत्नत्ता ?, गोयमा ! Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 4 ] [107 जहन्नेणं एगं सागरोवमं उक्कोसेणं तिन्नि सागरोवमाई 7 / अपजत्तयसकरप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं - / पजत्तय-सकरप्पभा-पुढवि. नेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं सागरोवमं अंतोमुहुत्तूणं उकोसेणं तिनि सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 1 / वालुयप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं तिन्नि सागरोवमाई उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाई 10 / अपजत्तयवालुयप्पभा पुढविनेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 11 / पजत्तय-वालुयप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा !जहन्नेणं तिन्नि सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं सत्त सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 12 / पंकप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्त सागरोवमाइं उक्कोसेणं दस सागरोवमाई 13 / अपजत्तयपंकप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 14 / पन्जत्तय-पंकप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्त सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तणाई 15 / धूमप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस सागरोवमाइं उक्कोसेणं सत्तरससागरोवमाइं 16 / अपज्जत्तयधूमप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 17 / पजत्तग-धूमप्पभा. पुढविनेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तणाई उकोसेणं सत्तरससागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 18 / तमप्पभा-पुढविनेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः जहन्नेणं सत्तरससागरोवमाई उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई 11 / अपजत्तय तमप्पभा-पुढविनेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुर्त 20 / पजत्तग-तमप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तरस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उकोसेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 21 / अहेसत्तमा-पुढविनेरझ्याणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं तित्तीसं सागरोवमाई 22 / अपजत्तग-अहेसत्तम-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 23 / पजत्तगअहेसत्तम-पुढविनेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तुणाई उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 24 // सू० 14 // देवाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं 1 / अपजत्तयदेवाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पजचयदेवाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तणाई 3 / देवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं पणपन्नं पलिग्रोवमाई 4 / अपज्जत्तयदेवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / पजत्तयदेवीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहत्तूणाई उक्कोसेणं पणपन्नं पलिश्रोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 6 / भवणवासीणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?; गोयमा ! जहन्नेणं दस वासवासहस्साई उकोसेणं साइरेगं सागरोवमं 7 / अपजत्तय Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 4 / [ 106 भवणवासीणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं लिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि यंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहत्तं 8 / पजत्तयभवणवासीणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उकोसेणं साइरेगं सागरोवमं अंतोमुहुत्तणं 1 / भवणवासिणीणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपंचमाई पलिग्रोवमाई 10 / अपजत्तयभवणवासिणीणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेगवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 11 / पजत्तियाणं भंते ! भवणवासिणीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साइंअंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं अद्धपंचमाई पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 12 / असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं साइरेगं सागरोवमं 13 ।अपजत्तय-असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 14 / पजत्तय-असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वासप्तहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं साइरेगं सागरोवमं अंतोमुहुत्तूणं 15 / असुरकुमारीणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलियोव माई 16 / अपज्जत्तियाणं भंते ! असुरकुमारीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 17 / पज्जत्तियाणं देवीणं भंते ! असुरकुमारीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं अद्धपंचमाइं पलिग्रोवमाइं अंतोमुहुत्तुणाई 18 / नागकुमाराणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वासससहस्साई उकासेणं दो पलिग्रोवमाई देसूणाई 11 / अपजत्तयाणं Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः भंते ! नागकुमाराणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 20 / पजत्तयाणं भंते ! नागकुमाराणं देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उकोसेणं दो पलिश्रोवमाई देसूणाई अंतोमुहुत्तूणाई 21 / नागकुमारीणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं देसूर्ण पलिग्रोवमं 22 / अपजत्तियाणं भंते ! नागकुमारीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि. अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतीमुहुत्तं 23 / पजत्तियाणं भंते ! नागकुमारीणं देवीणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं देसूर्ण पलिश्रोवमं अंतोमुहुत्तूणं 24 / सुवरणकुमाराणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा / जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं दो पलियोवमाई देसूणाई 25 / अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 26 / पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उकोसेणं दो पलिग्रोवमाई देसूणाई अंतोमुहुत्तूणाई 27 / सुवग़णकुमारीणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं देसूणं पलिअोवमं 28 / अपजत्तियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 21 / पजत्तियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं देसूणं पलिग्रोवमं अंतोमुहुत्तूणं 30 / एवं एएणं अभिलावेणं श्रोहिय-अपजत्तय-पज्जत्तय सुत्तत्तयं देवाण य देवीण य नेयध्वं जाव थणियकुमाराणं जहा नागकुमाराणं 31 ॥सू० 15 // पुढविकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं लिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई 1 / अपज्जत्तय-पुढविकाइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिती पराणत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतो Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 4 ] [ 111 मुहुत्तं 2 / पजत्तय-पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई 3 / सुहुम-पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अतोमुहुत्तं 4 / अपजत्तय-सुहुमपुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / पजत्तय-सुहुम-पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयगा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 6 / बायर-पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई 7 / अपजत्तय-बायर-पुदविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 8 / पजत्तय-वायर-पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 1 / अाउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं यंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साइं 10 / अपजत्तय-ग्राउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 11 / पज्जत्तययाउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 12 / सुहुमयाउकाइयाणं योहियाणं अपज्जताणं पजत्ताण य जहा सुहुमपुढविकाइयाणं तहा भाणियव्वं 13 / बायरग्राउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सत्त वाससह. स्साई 14 / अपज्जत्तय-बायर-याउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 15 / पजत्तयाण य पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 16 / तेउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि राइंदियाई 17 / अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 18 / पजत्तयाण य पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि राइंदियाइं अंतोमुहुत्तणाई 11 / सुहुमतेउकाइयाणं थोहियाणं अपजत्ताणं पजत्ताण य पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्को. Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः सेणवि अंतोमुहुत्तं 20 / बायरतेउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि राइंदियाई 21 / अपजत्तय-बायरतेउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 22 / पजत्त-बायरतेउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि राई. दियाइं अंतोमुहुत्तूणाई 23 / वाउकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साई 24 / अपजत्तय-वाउकाइयाग पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 25 / पजत्तय-वाउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिनि वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 26 / सुहुमवाउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 27 / अपजत्तय-सुहुमवाउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 28 / पजत्तयसुहुमवाउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 26 / बायरवाउ. काइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि वाससहस्साई 30 / अपजत्तय-बादरवाउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 31 / पजत्तय-वादरवाउकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं तिन्नि वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई 32 / वणप्फइकाइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?. गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई 33 / अपज्जत्तय-वणस्सइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 34 / पजत्तय-वणस्सइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 35 / सुहुमवणप्फइकाइयाणं योहियाणं अपजत्ताणं पजत्ताण य पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 36 / वायरवणप्फइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेमं दस वाससहस्साई 37 / अपजत्तय-बादर-वणस्सइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 4 ] [ 113 जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 38 / पजत्तय-बादर-वणस्ससइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुतूणाई 31 // सू० 16 // बेइंदियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई 1 / अपजत्तयबेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पज्जत्तय-बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराइं अंतोमुहुत्तूणाई 3 / तेइंदियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं एगुणवन्नं राइंदियाई 4 / अपजत्तय-तेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / पजत्तय-तेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अतोमुहुत्तं उकोसेणं एगुणवन्नं राइंदियाइं अतोमुहुत्तूणाई 6 / चरिंदियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छम्मासा 7 / अपजत्तय चउरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अतोमुहुत्तं 8 / पजत्तय-चरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छम्मासा अतोमुहुत्तूणा 1 // सू० 17 // पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि पलिश्रोवमाई 1 / अपजत्तय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पजत्तय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्निपलियोवमाइं अंतोमुहुत्तणाई 3 / समुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुवकोडी 4 / अपजत्तय-समुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / पजत्तय-समुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: षष्ठो विभागः अंतोमुहुत्तूणा 6 / गभवक्कंतिय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई 7 / अपजत्तयगम्भवक्कंतिय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 8 / पजत्तय-गब्भवक्कंतिय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई अंतोमुहुत्तृणाई 1 / जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी 10 / अपजत्तय-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 11 / पजत्तय-समुच्छिम-जलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तॄणा 12 / समुच्छिम-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी 13 / अपजत्तयसंमुच्छिम-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 14 / पजत्तय-समुच्छिम-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा 15 / गम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी 16 / अपजत्तयगम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 17 / पजत्तय-गब्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा 18 / चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई 11 / अपजत्तय-चउप्पय-थलयर-पंचिदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेवि ग्रंतोमुहुत्तं 20 / पजत्तय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 4 j [ 115 तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिन्निपलिग्रोवमाई अंतोमुहुत्तुणाई 21 / समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं चउरासीवाससहस्साई 22 / अपजत्तय-संमुच्छिम चउप्पय-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 23 / पजत्तय संमुच्छिम-चउप्पय-गम्भवक्कंतिय-चउप्पय--थलयर--पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं चउरासीवाससहस्साई अंतोमुहुत्तणाई 24 / गम्भवक्कतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई 25 / अपजत्तय-गब्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 26 / पज्जत्तय-गब्भवक्कंतिय चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई अंतोमुहुत्तुणाई 27 / उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी 28 / अपजत्तय-उरपरिसप्पथलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 21 / पजत्तय-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा 30 / समुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तेवन्नं वाससहस्साई 31 / अपजत्तय-संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय तिरिक्खनोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 32 / पजत्तय-समुच्छिमउरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तेवन्नं वाससहस्साई अंतोमुहत्तणाई 33 / गम्भवक्कं Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभाग तिय-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी 34 / अपजत्तय-गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयर पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 35 / पजत्तय-गब्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा 36 / भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुब्बकोडी 37 / अपजत्तय-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 38 / पजत्तय-भुयपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुबकोडी अंतोमुहुत्तूणा 31 / संमुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं बायालीसं वाससहस्साई 40 / अपजत्तय-समुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुतं 41 / पजत्तय-संमुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख. जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वायालीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई 42 / गम्भवक्कंतिय-भुयपरिमप्प-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुब्वकोडी 43 / अपजत्तय-गम्भवक्कंतिय-समुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं ४४।पजत्तय-गम्भवक्कंतिय-समुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तूणा 45 / खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं 46 / Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 4 ] [ 117 अपजत्तय-खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 47 / पजत्तय-खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं प्रच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं अंतोमुहुत्तूणा 48 / संमुच्छिम-खहयर-पंचिंदिय-तिरिवख-जोणियाणं पुच्छा, गोयमा / जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावत्तरी वाससहस्साई 41 / अपजत्तय-समुच्छिम-खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 50 / पजत्तय-संमुच्छिम-खहयरपंचिंदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावत्तरी वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई 51 / गम्भवस्कंतिय-खहयर-पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं घेतोमुहुत्तं उकोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं 52 / अपज्जत्तय-गम्भवक्कंतिय-खहयर-पंचिंदियतिरिक्ख-जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 53 / पज्जत्तय-गम्भवक्कंतिय-खहयर-पंचिदिय-तिरिक्ख-जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखिजइभागं अंतोमुहुत्तूणं 54 // सू०१८ // मणुस्साणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई 1 / अपजत्तमणूस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पजत्तयमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 3 / समुच्छिममणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 4 / गम्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिग्रोवमाई 5 / अपजत्तयगब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 6 / पजत्तय-गब्भवक्कंतिय-मणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिन्नि पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 7 // सू० 11 // वाणमंतराणं Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं पलिग्रोवमं 1 / अपजत्तय-वाणमंतराणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पजत्तय-वाणमंतराणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं पलिग्रोवमं अंतोमुहत्तणं 3 / वाणमंतरीणं भंते ! देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं श्रद्धपलिश्रोवमं 4 / अपजत्तियाणं भंते ! वाणमंतरीणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / पजत्तियाणं वाणमंतरीणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं श्रद्धपलिश्रोवमं अंतोमुहुत्तूणं 6 // सू० 100 // ___जोइसियाणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमट्ठभागो उकोसेणं पलिश्रोवमं वाससयसहस्समब्भहियं 1 / अपजत्तजोइसियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पजत्तयजोइसियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमट्ठभागो अंतोमुहुत्तूणो उकोसेणं पलियोवमं वाससयसहस्समभहियं अंतोमुहुत्तूणं 3 / जोइसिणीणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिग्रोवमट्ठभागो उकोसेणं अद्धपलियोवमं पराणास-वाससहस्समभहियं 4 / अपजत्त-जोइसियदेवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 5 / पजत्तयजोइसियदेवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिश्रोवमट्ठभागो अंतोमुहुत्तूणो उक्कोसेणं अद्धपलियोवमं पराणासवाससहस्समब्भहियं अंतोमुहुत्तूणं 6 / चंदविमाणे णं भंते ! देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलिग्रोवर्म उक्कोसेणं पलियोवमं वाससयसहस्समभहियं 7 / चंदविमाणेणं अपजत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 8 / चंदविमाणे णं पज्जत्तयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तणं Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 4 ] [ 119 उकोसेणं पलियोवमं वाससयसहस्समभहियं अंतोमुहुत्तूणं 1 / चंदविमाणे णं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं उक्कोसेणं श्रद्धपलियोवमं पन्नासवाससहस्समभहियं 10 / चंदविमाणे णं अपजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 11 / चंदविमाणे णं पजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं श्रद्धपलिग्रोवमं पन्नासवाससहस्समभहियं अंतोमुहुत्तूणं 12 / सूरविमाणे णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं उक्कोसेणं पलियोवमं वाससहस्समभहियं 13 / सुरविमाणे अपजत्तय-देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 14 / सुरविमाणे पजत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं पलिग्रोवमं वाससहस्समभहियं यंतोमुहुत्तूणं 15 / सूरविमाणे देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलिग्रोवमं उकोसेणं अद्धपलिश्रोवमं पंचहिं वाससएहिमभहियं 16 / सुरविमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 17 / सुरविमाणे पजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं अद्भपलियोवमं पंचहिं वाससएहिमभहियं अंतोमुहुत्तूणं 18 / गहविमाणे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं उकोसेणं पलियोवमं 11 / गहविमाणे अपजत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्ने. णवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 20 / गहविमाणे पज्जत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उकोसेणं पलिग्रोवमं यंतोमुहुत्तूणं 21 / गहविमाणे देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं उक्कोसेणं अद्धपलिग्रोवमं 22 / गहविमाणे अपजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 23 / गह Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः विमाणे पन्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उकोसेणं अद्धपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं 24 / नक्खत्तविमाणे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं उक्कोसेणं श्रद्धपलियोवमं 25 / नक्खत्तविमाणे अपजत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 26 / नक्खत्तविमाणे पजत्तयदेवाणं पुच्छो, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं श्रद्धपलिश्रोवमं अंतोमुहुत्तणं 27 / नक्खत्तविमाणे देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं उकोसेणं साइरेगं चउभागपलिग्रोवमं 28 / नक्खत्तविमाणे अपजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 21 / नक्खत्तविमाणे पजत्तियाणं देवीणं पुच्छा,गोयमा! जहन्नेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उकोसेणं साइरेगं चउभागपलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं 30 / ताराविमाणे देवाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं अट्ठभाग. पलिग्रोवमं उक्कोसेणं चउभागपलियोवमं 31 / ताराविमाणे अपजत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 32 / ताराविमाणे पजत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमट्ठभागं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं चउभागपलियोवमं अंतोमुहत्तॄणं 33 / ताराविमाणे देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमट्ठभागं उक्कोसेणं साइरेगं अट्ठभागपलियोवमं 34 / ताराविमाणे अपजनियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 35 / ताराविमाणे पजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिग्रोवमट्ठभागं अंतोमुहुत्तूणं उकोसेणं साइरेगं पलियोवमट्ठभागं अंतोमुहत्तणं 36 // सू० 101 // वेमाणियाणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलिश्रोवमं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 1 / अपजत्तयवेमाणियाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 2 / पजत्तयवेमाणियाणं देवाणं पुच्छा, Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 4 / [ 121 गोयमा / जहन्नेणं पलिग्रोवमं अंतोमुहुत्तुणं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 3 / वेमाणियाणं भंते ! देवीणं केवइयं कालं ठिती पराणत्ता ? गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमं उकोसेणं पणपन्नं पलिश्रोवमाइं 4 / अपजत्तियाणं वेमाणियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहत्तं 5 / पजत्तियाणं वेमाणियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं पणपन्नं पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 6 / सोहम्मे णं भंते ! कप्पे देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमं उकोसेणं दो सागरोवमाई 7 / सोहम्मे कप्पे अपजत्तय. देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 8 / सोहम्मे कप्पे पजत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तणाई 1 / सोहम्मे कप्पे देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिग्रोवमं उकोसेणं पन्नासं पलियोवमाई 10 / सोहम्मे कप्पे अपजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि यंतोमुहुत्तं 11 / (ग्रन्थाग्रं 2500) सोहम्मे कप्पे पजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं पन्नासं पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 12 / सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाण देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमं उक्कोसेणं सत्त पलिग्रोवमाइं 13 / सोहम्मे कप्पे अपजत्तिय-परिग्गहियदेवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 14 / सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं पजत्तत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिग्रोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं सत्त पलियोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 15 / सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलिश्रोवमं उक्कोसेणं पन्नासं पलियोवमाई 16 / सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 17 / सोहम्मे कप्पे अपरिग्गहियाणं Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः पन्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पलियोवमं अंतोमुहुत्तणं उक्कोसेणं पन्नासं पलिग्रोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 18 / ईसाणे कप्पे दवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगं पलियोवमं उक्कोसेणं साइरेगाइं दो सागरोवमाइं 11 / इसाणे कप्पे अपजत्तदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 20 / इसाणे कप्पे पज्जत्तयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगं पलिश्रोवमं अंतोमुहत्तॄणं उक्कोसेणं साइरेगाई दो सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 21 / ईसाणे कप्पे देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगं पलियोवमं उक्कोसेणं पणपन्नं पलिश्रोवमाई 22 / ईसाणे कप्पे अपजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 23 / ईसाणे कप्पे पजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगं पलिश्रोवमं अंतोमुहुत्तृणां उक्कोसेणं पणपन्नं पलिग्रोवमाइंअंतोमुहुत्तणाई 24 / ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा जहन्नेणं साइरेगं पलिग्रोवमं उकोसेणं नव पलियोवमाई 25 / इसाणे कप्पे परिग्गहियाणं अपजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा !जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 26 / ईसाणे कप्पे परिग्गहियाणं पजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगं पलिग्रोवमं अंतोमुहुत्तूणं उक्कोसेणं नव पलिश्रोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 27 / ईसाणे कप्पे अपरिग्गहियदेवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं साइरेगं पलियोवमं उक्कोसेणं पणपन्नाई पलियोबमाई 28 / इसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणं अपजत्तियाणं देवीणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 21 / इसाणे कप्पे अपरिग्गहियाणां पजत्तियाणां देवीगां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां साइरेगं पलिश्रोवमं अंतोमुहुत्तूणां उक्कोसेगां पणपन्नं पलिश्रोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 30 / सगांकुमारे कप्पे देवाणं, पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणां दो सागरोवमाई उकोसेगां सत्त सागरोवमाइं 31 / सगांकुमारे कप्पे अपजत्तयागां देवाणां पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 32 / सगांकुमारे कप्पे पजत्तयागां Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 4 ] [ 123 देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां दो सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेगां सत्त सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 33 / माहिंदे कप्पे देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां साइरेगाइं दो सागरोवमाइं उक्कोसेगांसाइरेगाई सत्त सागरोवमाई 34 / माहिंदे कप्पे अपजत्तयागां देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 35 / माहिंदे कप्पे पजत्तयाणां देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणां साइरेगाइं दो सागरोवमाडं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेगां साइरेगाई सत्त सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 36 / बंभलोए कप्पे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां सत्त सागरोवमाइं उकोसेंगां दस सागरोवमाइं३७ ।बंभलोए कप्पे अपजत्तयागांदेवाणां पुच्छा,गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 38 बंभलोए कप्पे पजत्तयाणां देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां सत्त सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेगां दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 31 / लंतए कप्पे देवाणां पुच्छा गोयमा ! जहन्नेणां दस सागरोवमाई उक्कोसेणां चउद्दस सागरोवमाई 40 / लंतए कप्पे अपजत्तयाणां देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 41 / लंतए कप्पे पजत्तयाणां देवाणांपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां दस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेगां चउद्दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 42 / महासुक्के कप्पे देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां चउद्दस सागरोवमाई उक्कोसेगां सत्तर सागरोवमाई 43 / महासुक्के कप्पे अपजत्तयागां देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 44 / महासुक्के कप्पे पजत्तयाणां देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेगां चउद्दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेगां सत्तर सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 45 | सहस्सारे कप्पे देवागांपुच्छा गोयमा ! जहन्नेगां सत्तर सागरोवमाई उक्कोसेगां अट्ठारस सागरोवमाई 46 / सहस्सारे कप्पे अपजत्तयागां देवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणावि अंतोमुहुत्तं 47 / सहस्सारे कप्पे पजत्तयागां देवा पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणां सत्तर सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं अट्ठारस. सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 48 / Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः पाणए कप्पे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाई उक्कोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाई 46 / श्राणए कप्पे अपजत्तयाणं देवाणं पुच्छा,गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं 50 / प्राणए कप्पे पजत्तयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उकोसेणं एगूणवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तृणाई 51 / पाणए कप्पे देवाणं पुच्छा,गोयमा ! जहन्नेगां एगणवीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं वीसं सागरोवमाई 52 / पाणए कप्पे अपज्जतयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 53 / श्रारणे कप्पे पजत्तयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगणवीसं सागरोवराई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं वीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 54 / श्रारणे कप्पे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं वीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं एकवीसं सागरोवमाई 55 / पारणे कप्पे अपजत्तयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 56 / श्रारणे कप्पे पज्जत्तयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं वीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं एगवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 57 / अच्चुए कप्पे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगवीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 58 | अच्चुए एकप्पे अपजत्तयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 51 / अच्चुए कप्पे पजत्तयाणं देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं इक्कवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उकोसेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 60 / हेट्ठिमहेट्ठिम-गेविजगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाई 61 / हेट्ठिमहेट्ठिमगेविजगदेवाणं अपज्जत्तयाणं पुच्छा, गोयमा / जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 62 / हेट्ठिमहेट्ठिम-गेविजगदेवाणं पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं तेवीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 63 / हेट्ठिममज्झिम-गेवेजगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 4 ] [ 125 तेवीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाई 64 / हेटिममज्झिमगेविजगदेवाणं अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 65 / हेट्ठिममज्झिम-गेविजगदेवाणं पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं तेवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं चउवीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तणाई 66 / हेट्ठिमउवरिम-गेविजगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउवीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं पणवीसं सागरोवमाई 67 / हेट्ठिमउबरिम-गेविजगदेवाणं अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा !जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 68 / हेट्ठिमउवरिम गेविजगदेवाणं पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं चउवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं पणवीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 61 / मज्झिमहेट्ठिम-गेविजगदेवाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं पणवीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं छब्बीसं सागरोवमाइं 70 / मज्झिमहेट्ठिमगेविजगदेवाणं अपजत्तयाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि घेतो. मुहुत्तं 71 / मज्झिमहेट्ठिम-गेविजगदेवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं पणवीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं छब्बीसं सागरोवमाइंअंतोमुहुत्तूणाई 72 / मज्झिममझिम-गेविजगदेवाणांपुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं छब्बीसं सागरोवमाई उकोसेणं सत्तावीसं सागरोवमाई 73 / मज्झिममझिम-गेविजगदेवाणां अपजत्तयागां पुच्छा,गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 74 / मज्झिममझिम-गेविजगदेवाणां पजत्तयाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं छब्बीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 75 / मझिमउवरिम-गेविजगदेवाणांपुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तावीसं सागरोवमाई उकोसेणं अट्ठावीसं सागरोवमाई 76 / मज्झिमउवरिम-गेविजगदेवाणा अपजत्तयाण पुच्छा,गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं ७७।मन्झिममज्झिम-गेविजगदेवागांपजत्तयाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं अट्ठावीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 78 / Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 126 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः उवरिमहेट्ठिम-गेविजगदेवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठावीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं एगणतीसं सागरोवमाई 71 / उपरिमहेट्ठिमगेविजगदेवाणां अपजत्तयाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 80 / उवरिमहेट्ठिम-गेविजगदेवाणां पज्जत्तयाणां पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणं अट्ठावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं एगणतीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 81 / उवरिममज्झिम-गेविजगदेवाणां पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगुणतीसं सागरोवमाई उक्कोसेणं तीसं सागरोवमाइं 82 / उवरिममज्झिम-गेविजगदेवाणां अपज्जत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 83 / उवरिममज्झिम-गेविजगदेवाणं पज्जत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगणतीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 84 / उवरिमउवरिम-गेवेजगदेवाणं पुच्छा गोयमा! जहन्नेणं तीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं एकतीसं सागरोवमाई 85! उवरिमउवरिमगेविजगदेवाणं अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 86 / उवरिमउवरिम-गेविजगदेवाणं पजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तणाई उक्कोसेणं एकतीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 87 / विजय-वेजयंत-अपराजितेसु णं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता?, गोयमा ! जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 88 विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवाणं अपजत्तयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 86 ।विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवाणं पजत्तयाणं पुच्छा,गोयमा !जहन्नेणं एकतीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 10 / सव्वट्ठसिद्धग-देवाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता ?, गोयमा ! अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता ११।सबट्टसिद्धगदेवाणं अपजत्तयाणं पुच्छा,गोयमा! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं 12 / सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं पजत्तयाणं भंते ! केवइयं कालं Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् " पदं 5 ] [ 127 ठिई पन्नत्ता?, गोयमा ! अजहन्न-मणुकोसं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई ठिई पराणत्ता 13 ॥सू० 102 // पन्नवणाए भगवईए चउत्थं ठिइपदं समत्तं // // इति चतुर्थं पदम् // 4 // // अथ श्री पर्याय(विशेष)नामकं पञ्चमं पदम् // कइविहा णं भंते ! पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पजवा पनत्ता, तंजहा-जीवपजवा य अजीवपजवा य 1 / जीवपजवा णं भंते ! किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेजा अणंता 2 / से केणटुणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवपजवा नो संखेजा नो असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! असंखिजा नेरइया असंखिजा असुरकुमारा असंखिज्जा नागकुमारा असंखिजा सुवरणकुमारा असंखिजा विज्जुकुमारा असंखिजा अगणिकुमारा असंखिजा दीवकुमारा असंखिजा उदहिकुमारा असंखिजा दिसीकुमारा असंखिजा वाउकुमारा असंखिजा थणियकुमारा असंखिजा पुढविकाइया असंखिजा अाउकाइया असंखिजा तेउकाइया असंखिजा वाउकाइया अणंता वणप्फइकाइया असंखेजा बेइंदिया असंखेजा तेइंदिया असंखेजा चरिंदिया असंखेजा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया असंखेजा मणुस्सा असंखेजा वाणमंतरा असंखेजा जोइसिया असंखेजा वेमाणिया अणंता सिद्धा, से एएणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ते णं नो संखिज्जा नो असंखिजा अणंता 3 // सू० 103 // नेरझ्याणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! श्रणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-नेरझ्याणं गणंता पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे असंखिज्जइभागहीणे वा संखिजइभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा, अह अब्भहिए असंखिजइभागममहिए वा संखिजइभागमभहिए वा संखिजगुणमब्भहिए वा असंखिज Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः गुणमभहिए वा, ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे असंखिजइभागहीणे वा संखिजइभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा, अह अब्भहिए असंखिजइभागमभहिए वा संखिजइभागमभहिए वा संखिजगुणमभहिए वा असंखिजगुणमब्भहिए वा, कालवराणपजवेहिं सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे अणंतभागहीणे वा असंखेजइभागहीणे संखेजइभागहीणे वा संखेजगुणहीणे वा असंखेजगुणहीणे वा अणंतगुणहीणे वा, अह अभहिए अणंतभागमभहिए वा असंखेजइभागमभहिए वा संखेजइभागमभहिए वा संखेन्जगुणमब्भहिए वा असंखेजगुणमभहिए वा अणंतगुणमब्भहिए वा, नीलवन्नपजवेहिं लोहियवन्नपजवेहिं पीयवन्नपजवेहि हालिवन्नपजवेहिं सुकिल्लवन्नपजवेहि य छट्ठाणवडिए, सुब्भिगंधपजवेहिं दुब्भिगंधपजवेहि य छट्ठाणवडिए, तित्तरसपजवेहिं कडयरसपज्जवेहिं कसायरसपजवेहिं अंबिलरसपज्जवेहिं महुररसपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए, कक्खडफासपज्जवेहिं मउयफासपजवेहिं गरुयफासपजवेहिं लहुयफासपजवेहिं सीयफासपज्जवेहिं उसिणफासपज्जवेहिं निद्धफासपनवेहि लुक्खफासपजवेहि य छट्ठाणवडिए, अाभिणिबोहियनाणपजवेहिं सुयनाणपजवेहिं श्रोहिनाणपज्जवेहिं मइअन्नाणपज्जवेहिं सुयअन्नाणपजवेहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपजवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहिं योहिदंसणपज्जवेहिं छट्टाणवडिए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ नेरइयाणं नो संखेजा नो असंखेजा अणंता पजवा पन्नत्ता 2 // सूत्रं 104 // असुरकुमाराणं भंते ! केवइया पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असुरकुमारे असुरकुमारस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्टाणवडिए कालवन्नपजवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं नीलवन्नपजवेहिं लोहियवन्नपजवेहिं हालिवन्नपजवेहिं सुक्कि Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 5 ] [ 126 लवन्नपजवेहिं सुब्भिगंधपजवेहिं दुन्भिगंधपजवेहिं तित्तरसपजवेहिं कडुयरसपज्जवेहिं कसायरसपनवेहिं अंबिलरसपज्जवेहिं महुररसपजवेहिं कक्खडफासपजवेहिं मउयफासपजवेहिं गरुयफासपज्जवेहिं लहुयफासपजवेहिं सीयफासपजवेहि उसिणफासपजवेहिं निद्धफासपजवेहि लुक्खफासपजवेहिं याभिणिवोहियणाणपज्जवेहिं सुयनाणपज्जवेहिं योहिनाणपज्जवेहिं मइअन्नाणपजवेहिं सुययन्नाणपजवेहिं विभंगनाणपज्जवेहिं चक्खुदंसणपजवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहिं योहिदसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं अणंता पजवा पन्नत्ता 2 / एवं जहा नेरझ्या, जहा असुरकुमारा तहा नागकुमारावि जाव थणियकुमारा 3 // सू० 105 // पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया पन्जवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता 1 / से केणटेणं भंते ! एवं वुचइ पुढविकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पुढविकाइए पुढविकाइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे असंखिजइभागहीणे वा संखिज्जइभागहीणे वा संखिजइगुणहीणे वा असंखिज्जइगुणहीणे वा, यह अभहिए असंखिज्जइभागअब्भहिए वा संखिजइभागअब्भहिए वा संखिजगुणग्रभहिए वा असंखिजगुणयभहिए वा, ठिईए तिट्ठाणवडिए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे असंखिज्जभागहीणे वा संखिजभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा, यह अभहिए असंखिजइभागअब्भहिए वा संखिजइभागभहिए वा संखिजगुणअभहिए वा वन्नेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं मइअन्नाणपजवेहिं सुययन्नाणपजवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 2 / भाउकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ थाउकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अाउकाइए बाउकाइयस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्ठयाए 17 Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 130 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्न-गंध-रस-फास-मइयन्नाण-सुश्रअन्नाणअचक्खुदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए से एएणटेणं जाव पन्नत्ता 4 / तेउकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 5 / से केणटेणं भंते ! एवं वुचइ-तेउकाइयाणं ऋणंता पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! तेउकाइए तेउकाइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए तिट्ठाणवडिए, वन-गंध-रस-फास-मइयन्नाण-सुयअन्नाण-अच खुदंसण-पज्जवेहि य छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 6 / वाउकाइयाणं भंते ! केवइया पज्जवा पन्नत्ता ? गोयमा ! वाउकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता 7 / से केण? णं भंते ! एवं वुच्चइ-बाउकाइयाणं अणंता पजवा पन्नता ?, गोयमा ! वाउकाइए वाउकाइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले भोगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्न-गंध-रस-फास-मइअन्नाणसुययनाण-अवखुदंसणपजवेहि य छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 8 / वपस्सइकाइयाणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ? गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भते ! एवं वुचइ-वणस्सइकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! वणस्सइकाइए वणस्सइकाइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंध-रस-फास-मइयन्नाण-सुययन्नाण-अचक्खुदंसणपज्जवेहि य छट्टाणवडिए, से एएणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-वणस्सइकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता 10 // सू० 106 // बेइंदियाणं भंते ! केवड्या पजवा पन्नत्ता ? गोयमा ! यणंता पजवा पत्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-बेइंदियाणं श्रणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! बेइंदिए बेइंदियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे असंखिजइभागहीणे वा संखिजइभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजइगुणहीणे वा, अह अब्भहिए असंखिजभागभहिए वा Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 5 [ 131 संखिजइभागअब्भहिए वा संखिजगुणमभहिए वा असंखिजइगुणमभहिए वा, ठिईए तिट्ठाणवडिए, बन्न-गंध-रस-फास-याभिणिवोहियनाण-सुयनाणमझ्यन्नाण-सुयअन्नाण-अचक्खुदंसणपनवेहि य छट्टाणवडिए, से एएण? णं जाव पन्नत्ता 2 / एवं तेइंदियावि, एवं चउरिदियावि, नवरं दो दंसणा चक्खुदंसणं अचखुदसणं च 3 ॥सू. 107 // पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पजवा जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा // सू० 108 // मणुस्साणं भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-मणुस्साणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! मणूसे मणूसस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्न-गंध-रस-फास-श्राभिणिबोहियनाण-सुयनाण-श्रोहिनाण-मणपजवनाणपजवेहि य छट्ठाणवडिए केवलनाणपजवेहिं तुल्ले तिहिं यन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए केवलदसणपजवेहिं तुल्ले, से एएगाटेणं जाव पन्नत्ता २॥सू० 101 // वाणमंतरा योगाहणट्टयाए ठिईए चउट्ठा. णवडिया, वरणाईहिं छट्टाणवडिया, जोइसिया वेमाणियावि एवं चेव, नवरं ठिईए तिट्ठाणवडिया // सू० 110 // - जहन्नोगाहणगाणं भंते ! नेरझ्याणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए नेरइए जहन्नोगाहणस्स नेरझ्यस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएमट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठणावडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 2 / उकोसोगाहणगाणं भंते ! नेरइयाणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्च उक्कोसोगाहणयाणं नेरइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! उक्कोसोगाहणए नेरइए उक्कोसोगाहणस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले, ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अन्भहिए, जइ हीणे असंखिजभागहीणे वा संखिजभागहीणे वा, यह अभहिए असंखिजभागभहिए वा संखिजइभागअन्भहिए वा, वन्नगंध-रसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छटाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 4 / अजहन्न-मणुकोसोगाहणाणं नेरइयाणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 5 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ अजहन्नमणुकोसोगाहणाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अजहनमणुकोसोगाहणए नेरइए अजहन्नमणुकोसोगाहणस्स नेरइयस्स दव्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे असंखिजभागहीणे वा संखिजभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा, यह अब्भहिए असंखिजभागअब्भहिए वा संखिजभागभहिए वा संखिजगुणयन्भहिए वा असंखिजगुणअभहिए वा, ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ होणे असंखिज्जभागहीणे वा संखिजभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा, ग्रह अभहिए असंखिजभागभहिए वा संखिजभागभहिए वा संखिजगुणअभहिए वा असंखिजगुणग्रभहिए वा, वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहि तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए, से एएणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ अजहन्नमणुकोसोगाहणाणं नेरइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता 6 / जहन्नठिझ्याणं भंते ! नेरझ्याणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 7 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जहन्नठिझ्याणं नेरइयाणं अयंता पजवा पनत्ता ?, गोयमा !जहन्नटिइए नेरइए जहनठिझ्यस्स नेरझ्यस्स दव्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, से एएणटेणं जाव पन्नत्ता 8 / Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 5 ] [ 133 एवं उक्कोसठिइएवि, अजहन्नमणुकोसठिइएवि, नवरं सट्ठाणे चउट्ठाणवडिए 1 / जहन्नगुणकालगाणं भंते ! नेरइयाणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जहन्नगुणकालगाणं नेरइयाणं अणंता पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए नेरइए जहन्नगुणकालगस्स नेरझ्यस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवनपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दसणेहि छट्टाणवडिए, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जहन्नगुणकालगाणं नेरइयाणं गणंता पजवा पन्नत्ता 11 / एवं उकोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं कालवन्नपजवेहिं छट्ठाणवडिए, एवं अवसेसा वत्तारि वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा भाणियब्वा 12 / जहन्नाभिणियोहियनाणीणं भंते ! नेरझ्याणं केवइया पजवा पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नाभिणिबोहियनाणीणं नेरझ्याणं अणंता पजवा पन्नत्ता 13 / से कणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नाभिणिबोहियनाणीणं नेरइयाणं अणंता पज्जवा पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नाभिणिबोहियनाणी नेरइए जहन्नाभिणि. बोहियस्स नाणिस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए याभिणिबोहियनाणपजवेहिं तुल्ले सुयनाणपजवेहिं श्रोहिनाणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 14 / एवं उकोसाभिणिवोहियनाणीवि, अजहन्नमणुकोसाभिणिबोहियणाणीवि एवं चेव, णवरं ग्राभिणिबोहियनाणपजवेहिं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं सुयनाणी योहिनाणीवि, नवरं जस्स नाणा तस्स अन्नाणा नत्थि, जहा नाणा तहा अन्नाणावि भाणियब्वा, नवरं जस्स अन्नाणा तस्स नाणा न भवंति 15 / जहन्नचक्खुदंसणीणं भंते ! नेरइयाणं केवइया पजवा Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पन्जवा पन्नत्ता 16 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नचक्खुदंसणीणं नेरझ्याणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नचक्खुदंसणीणं नेरइए जहन्नचक्खुदंसणिस्स नेरइयस्स दव्वट्ठयाए तुले पएसट्टयाए तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं छट्ठाणवडिए चक्खु. दंसणपजवेहिं तुल्ले अचक्खुदंसणपजवेहिं श्रोहिदंसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 17 / एवं उक्कोसचक्खुदंसणीवि, अजहन्न-मणुकोस-चक्खुदंसणीवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं अचक्खुदंसणीवि योहिदंसणीवि 18 // सूत्रं 111 // जहन्नोगाहणगाणं भंते ! असुरकुमाराणं केवइया पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नोगाहणगाणं असुरकुमाराणं अणंता पजवा पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए असुरकुमारे जहन्नोगाहणस्स असुरकुमारस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वनाईहिं छट्ठाणवडिए ग्राभिणिबोहियनाण-पज्जवेहि सुयनाण-पजवेहिं योहिनाणपजवेहिं तिहिं अन्नाणेहि तिहिं दसणेहि य छट्ठाणवडिए, से एएगटेणं जाव पन्नत्ता 2 / एवं उक्कोसोगाहणएवि, एवं अजहन्नमणुक्कोसोगाहणएवि, नवरं उकोसोगाहणएवि असुरकुमारे ठिईए चउट्ठाणवडिए, एवं जाव थणियकुमारा 3 ॥सूत्रं 112 // जहन्नोगाहणाणं भंते ! पुढविकाइयाणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नोगाहणाणं पुढविकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा! जहन्नोगाहणए पुढविकाइए जहन्नोगाहणस्स पुढविकाइयस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपजवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएणद्वेणं जाव पन्नत्ता 2 / एवं उक्कोसोगाह Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 5 ] [ 135 णएवि, अजहन्नमणुकोसोगाहणएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे चउट्ठाणवडिए, 3 / जहन्नठिझ्याणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नठियाणं पुढविकाइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नठिइए पुढविकाइए जहन्नठिझ्यस्स पुटविकाइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वन्नगंधरसफासपज्जवेहि मतिअन्नाणपजवेहिं सुयशन्नाणपजवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 5 / एवं उक्कोसठिइएवि, अजहन्नमणुकोसठिइएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे तिट्ठाणवडिए 6 / जहन्नगुणकालयाणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोंयमा ! अणंता पन्जवा पन्नत्ता 7 / से केण?णं भंते ! एवं दुच्चइ जहन्नगुणकालयाणं पुढविकाइयाणं अणंता पन्जवा पन्नत्ता, गोयमा ! जहन्नगुणकालए पुढविकाइए जहन्नगुणकालगस्स पुढधिकाइयस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंधरसफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदसणपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 8 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा भाणियव्वा 6 / जहन्नमतियन्नाणीणं भंते ! पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नमतिअन्नाणीणं पुढविकाइयाणं अणंता पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नमतिअन्नाणी पुढविकाइए जहन्नमतियन्नाणिस्स पुढविकाइयस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्ठाणबडिए ठिईए तिढाणवडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं छट्टाणवडिए मइयन्नाणपजवेहि तुल्ले सुययन्नाणपजवेहि अचक्खुदंसणपज्जवेहि य कट्टाणवडिए, से एएणटेणं जाव पन्नत्ता 11 / एवं उक्कोसमइ Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 136 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः अन्नाणीवि, अजहन्नमणुकोसमइन्नाणीवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं सुयअन्नाणीवि अचक्खुदंसणीवि एवं चेव जाव वणप्फइकाइया 12 // सूत्रं 113 // जहन्नोगाहणगाणं भंते ! बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नोगाहणगाणं बेइंदियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा! जहन्नोगाहणए बेइंदिए जहन्नोगाहमस्स बेइंदियस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपजवेहिं दोहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपजवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 2 / एवं उक्कोसोगाहणएवि, णवरं णाणा पत्थि, अजहन्नमणुकोसोगाहणए जहा जहन्नोगाहणए, णवरं सट्ठाणे श्रोगाहणाए चउट्ठाणवडिए 3 / जहन्नठिड्याणं भंते ! बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पन्जवा पन्नत्ता 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नठियाणं बेइंदिइयाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नटिइए बेइंदिए जहन्नाठिझ्यस्स बेइंदियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठितीए तुल्ले वन्नगंधरसफासपजवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपजवेहि य छट्ठाणबडिए, से एएणद्वेणं जाव पन्नत्ता 5 / एवं उक्कोसटिइएवि, नवरं दो णाणा अब्भहिया, अजहन्नमणुकोसटिइए जहा उक्कोसटिइए णवरं ठिईए तिट्ठाणवडिए 6 / जहन्नगुणकालगाणं बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 7 / से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ-जहन्नगुणकालगाणं बेइंदियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए वेइंदिए जहन्नगुणकालगस्स बेइंदियस्स दव्वळुयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहगट्टयाए चउ(छ)हाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए कालवन्नपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वनगंधरसफासपजवेहिं दोहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि छट्ठाणवडिए, से एएणतुणं जाव पन्नत्ता 8 / एवं Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 5 ] | [ 137 उकोस-गुणकालएवि, अजहन्न-मणुकोस-गुणकालएवि एवं चेव, णवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा भाणियव्वा 1 / जहन्नाभिणिवोहिय-नाणीणं भंते ! बेइंदियाणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइजहन्नाभिणियोहिय-नाणीणं बेइंदियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नाभिणिवोहियणाणी बेईदिए जहन्नाभिणिवोहियणाणिस्स बेइंदियस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंध-रसफास-पजवेहिं छट्ठाणवडिए ग्राभिणिवोहिय-णाणपनवेहिं तुल्ले सुयणाणपजवेहिं छट्ठाणवडिए अचक्खुदंसणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए से एएगटेणं जाव पन्नत्ता 11 / एवं उक्कोसाभिणिबोहियणाणीवि, अजहन्न मणुकोसाभिणिवोहिय-णाणीवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्टाणवडिए 12 / एवं सुयनाणीवि सुयअन्नाणीवि मतिअन्राणीवि अचवखुदंसणीवि, णवरं जत्थ णाणा तत्थ अन्नाणा नत्थि, जत्थ अन्नाणा तत्थ णाणा नस्थि, जत्थ दंसणं तत्थ णाणावि अन्नाणावि, एवं तेइंदियाणवि, चउरिदियाणवि एवं चेव, णवरं चखुदंसणं अब्भहियं 13 // सू० 114 // जहन्नोगाहणगाणं भंते ! पंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं केवइया पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! श्रणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ जहन्नोगाहणगाणं पंचिंदिय-तिरिक्ख जोणियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए पंचिंदियतिरिक्ख जोणिए जहन्नोगाहणयस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए तिट्ठाणवडिए वन्नगंध-रसफास-पजवेहिं दोहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दसणेहिं छट्ठाणवडिए से एएणतुणं जाव पन्नत्ता 2 / उक्कोसोगाहणएवि एवं चेव, णवरं तिहिं नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए, जहा उक्कोसोगाहणए तहा अजहन्न-मणुकोसोगाहणएवि, णवरं योगाहण 17 Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः ट्ठयाए चउट्टाणवडिए. ठिईए चउट्ठाणवडिए 3 / जहन्नाठिझ्याणं भैते ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं केवइया पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता 4 / से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नठिइयाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नाठिइए पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नठिइयस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वनगंध-रसफासपजवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 5 / उकोसठिइएवि एवं चेव, णवरं दो नाणा दो अन्नाणा दो दंसणा, अजहन्नमणुको सटिइएवि एवं चेच, नवरं ठिईए चउट्ठाणवडिए तिनि णाणा तिन्नि अन्नाणा तिन्नि देसणा 6 / जहन्नगुणकालगाणं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा. गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 7 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नगुणकालगाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अणंता पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए पंचिदियतिरिवखजोगिए जहन्नगुणकालगस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्टाणवडिए ठिईए चउट्टाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंध रसफासपजवेहिं तिहि नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहि तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 8 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्न-मणुकोस-गुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा 1 / जहन्नाभिणिबोहियणाणीणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 10 / से कणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नाभिणिबोहियणाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नाभिणिबोहियणाणिस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्ठयाए तुल्ले ‘पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंध-रसफास Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 5 j [ 16 पज्जवेहिं छट्ठाणवडिए ग्राभिणिवोहियनाणपजवेहिं तुल्ले सुयनाणपजवेहि छट्ठाणवडिए चक्खुदंसणपजवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए से एए?णं जाव पन्नत्ता 11 / एवं उक्कोसाभिणिबोहियनाणीवि, णवरं ठिईए तिट्ठाणवडिए, तिन्नि नाणा तिन्नि दंसणा सट्टाणे तुल्ले सेसेसु छट्ठाणवडिए 12 / यजहन्न-मणुकोसाभिणिबोहियनाणी जहा उक्कोसाभिणिबोहियनाणी णवरं ठिईए चउट्टाणवडिए, सटाणे छट्ठाणवडिए एवं सुयनाणीवि 13 / जहन्नोहिनाणीणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्ख जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! श्रणता पजवा पन्नत्ता 14 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ ?, गोयमा ! जहन्नोहिनाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नोहिनाणिस्स पंचिंदियतिरिवखजोणियस्स दबट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिहाणवडिए वन्नगंध-रसफासपज्जवेहिं आभिणिवोहियनाणसुयनाणपजवेहि छट्ठाणवडिए योहिनाणपजवेहिं तुल्ले, अन्नाणा नस्थि, चक्खुदसणपजवेहिं यवखुदंसणपजवेहिं य योहिदंसणपजवेहिं छट्टाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 15 / एवं उकोसोहिनाणीवि अजहन्नोकोसोहिनाणीवि एवं चेव, णवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, जहा आभिणिबोहियनाणी तहा मइयन्नाणी सुयअन्नाणी य, जहा योहिनाणी तहा विभंगनाणीवि, चवखुदंसणी अवखुदंसणी य जहा ग्राभिणिबोहियनाणी, योहिदंसणी जहा योहिनाणी, जत्थ नाणा तत्थ अन्नाणा नत्थि जत्थ अन्नाणा तत्थ नाणा नत्थि, जत्थ दंसणा तत्थ णाणावि अनाणावि अस्थित्ति भाणियव्वं 16 // सूत्रं 115 // जहन्नोगाहणगाणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइजहन्नोगाहणगाणं मणुस्साणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए मणूसे जहन्नोगाहणगस्स मणूसस्स दव्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 140 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: षष्ठो विभागः तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए तिट्ठाणवडिए बन्नगंधरसफासपनवेहि तिहिं नाणेहिं दोहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, से एएणतुणं जाव पनत्ता 2 / उकोसोगाहणएवि एवं चेव, नवरं ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे असंखिजइभागहीणे, अह अब्भहिए असंखेजइभागअब्भहिए, दो नाणादो अन्नाणा दो दंसणा, अजहन्नमणुकोसोगाहणएवि एवं चेव, णवरं श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्टाणवडिए थाइल्लेहिं चाहिं नाणेहिं छट्ठाणवडिए, केवलनाणपज्जवेहिं तुल्ले, तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, केवलदंसणपजवेहिं तुल्ले 3 / जहन्नठियाणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 4 ।से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नटिइए मणुस्से जहन्नठिझ्यस्स मणुस्सस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वन्नगंधरसफासपजवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहि छट्ठाणवडिए, से ऐएण?णं जाव पन्नत्ता 5 / एवं उक्कोसठिइएवि, नवरं दो नाणा दो अन्नाणा दो दंसणा, अजहन्नमणुक्कोसठिइएवि एवं चेव, नवरं ठिईए चउट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए पाइल्लेहिं चउहिं नाणेहिं छट्ठाणवडिए केवलनाणपज्जवेहिं तुल्ले तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए केवलदंसणपजवेहिं तुल्ले 6 / जहन्नगुणकालगाणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता 7 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए मणूसे जहन्नगुणकालगस्स मणुस्सस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंधरसफासपजवेहिं छट्टाणवडिए चउहिं नाणेहिं छट्ठाणवडिए केवलनाणपजवेहिं तुल्ले तिहिं अन्नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्टाणवडिए केवलदंसणपज्जवेहिं तुल्ले, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 8 / एवं उक्कोसगुण Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 5 ] [141 कालएवि, अजहन्न-मणुकोस-गुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा भाणियबा 1 / जहन्नाभिणिबोहियनाणीणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नाभिणवोहियणाणी मणूसे जहन्नाभिणिबोहियणाणिस्स मणुस्सस्स दव्वट्ठयाए तुरले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंध-रसफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए अाभिणिबोहियनाणपजवेहिं तुल्ले सुयनाणपजवेहिं दोहिं दंसोहि छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 11 / एवं उक्कोसाभिणिबोहियनाणीवि नवरं ग्राभिणियोहियनाणपजवेहि तुल्ले ठिईए तिट्ठाणवडिए तिहिं नाणेहिं तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए, अजहन्नमणुकोसाभिणिबोहियनाणी जहा उक्कोसाभिणिबोहियनाणी, नवरं ठिईए चट्ठाणवडिए सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं सुयनाणीवि 12 / जहन्नोहिनाणीणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पनत्ता 13 / से केण? णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोहिनाणी मणुस्से जहन्नोहिनाणिस्स मणूसस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणयाए तिट्ठाणवडिए (वउट्ठाणवडिए) ठिईए तिट्टाणवडिए वनगंधरसफासपजवेहि दोहिं नाणेहिं छट्ठाणवडिए योहिनाणपजवेहिं तुल्ले मणपजवनाणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 14 / एवं उकोसोहिनाणीवि, अजहन्नमणुकोसोहिनाणी एवं चेव, नवरं योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए, सट्टाणे छवाणवडिए 15 / जहा योहिनाणी तहा मणपज्जवनाणीवि भाणियव्वे, नवरं योगाहणट्टयाए तिहाणवडिए, जहा श्राभिणिबोहियणाणी तहा मइयन्नाणी सुयश्रन्नाणीवि भाणियब्वे, जहा श्रोहिनाणी तहा विभंगनाणीवि भाणियब्वे, चक्खुदंसणी अचखुदंसणी य जहा ग्राभिणिवोहियणाणी, श्रोहिदंसणी जहा योहि. Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विमागः नाणी 16 / जत्थ नाणा तत्थ अन्नाणा नत्थि जत्थ अन्नाणा तत्थ नाणा नस्थि, जत्थ दंसणा तत्थ णाणावि अन्नाणावि 17 / केवलनाणीणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 18 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-केवलनाणीणं मणुस्साणं अणंता पजवा पनत्ता ?, गोयमा ! केवलनाणी मणूसे केवलनाणिस्स मासस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वनगंधरसफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए केवलनाणपज्जवेहिं केवसदसणपजवेहि य तुल्ले से एएगटेणं जाव पन्नत्ता 11 / एवं केवलदंसणीवि मासे भाणियव्वे 20 // सूत्रं 116 // वाणमंतरा जहा असुरकुमारा / एवं जोइसियवेमाणिया, नवरं सट्टाणे ठिईए तिट्टाणवडिए भाणियव्वे, सेत्तं जीवपजवा ॥सूत्रं 117 // अजीवपजवा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता ?,गोयमा! दुविहा पनत्ता, तंजहा-रूवियजीवपजवा य अरूविग्रजीवपज्जवा य 1 / अरूविग्रजीवपजवा णं भंते ! कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा! दसविहा पन्नत्ता, तंजहाधम्मस्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पएसा अहम्मस्थिकाए ग्रहम्नस्थिकायस्स देसे अहम्मत्थिकायस्स पएसा यागासस्थिकाए आग़ासस्थिकायस्स देसे अागासस्थिकायस्स पएसा श्रद्धासमए 2 // सू० 118 // रूविग्रजीवपजवा णं भंते ! कइविहा पन्नता ?, गोयमा ! चरविहा पन्नत्ता, तंजहाखंधा खंधदेसा खंधपएसा परमाणुपुग्गला 1 / ते णं भंते ! किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेना अणंता 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नो संखेजा नो असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! अणता परमाणुपुग्गला अणंता दुपएसिया खंधा जाव अणंता दसपएसिया खंधा अणंता संखिजपएसिया खंधा अणंता असंखिजपएसिया खंधा अणंता अणंतपएसिया खंधा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ ते णं नो संखिज्जा नो असंखिजा अणंता 3 // सू० 111 // परमाणुपोग्गलाणं Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 5 ] [ 143 भंते ! केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! परमाणुपोग्गलाणं अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-परमाणुपुग्गलाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! परमाणुपुग्गले परमाणुपोग्गलस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अमहिए, जइ हीणे असंखिजइभागहीणे वा संखिज्जइभागहीणे वा संखिजइगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा, अह अब्भहिए असंखिज्जइभागअभहिए वा संखिज्जइभागअब्भहिए वा संखिजगुणयभहिए वा असंखिज्जगुणग्रभहिए वा, कालवन्नपजवेहिं सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे अणंतभागहीणे वा असंखिज्जइभागहीणे वा संखिजइभागहीणे वा संखिजगुणहीणे वा असंखिजगुणहीणे वा अणंतगुणहीणे वा, ग्रह अभहिए अणंतभागयब्भहिए वा असंखिजइभागअब्भहिए वा संखिजभागअब्भहिए वा संखिजगुणभहिए वा असंखिजगुणयभहिए वा अणंतगुणमभहिए वा, एवं अवसेस-वन्नगंध-रसफासपज्जवेहिं छट्टाणवडिए, फासाणं सीयउसिण-निद्धलुक्खेहिं छट्ठाणवडिए, से तेण्डेणं गोयमा ! एवं वुच्चइपरमाणुपोग्गलाणं गणंता पजवा पन्नत्ता 2 / दुपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! दुपएसिए दुपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ने पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए सिय हीरो सिय तुल्ले सिय अब्भहिए, जइ हीणे पएसहीणे अह अब्भहिए पएसमभहिए ठिईए चउठाणवडिए वनाईहि उवरिल्लेहिं चउफासेहि य छट्टाणवडिए, से एएणणं जाव पज्जया पन्नत्ता 3 / एवं तिपएसेवि, नवरं योगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे पएसहीणे वा दुपएसहीणे वा, यह अब्भहिए पएसमभहिए वा दुपएसमभहिए वा, एवं जाव दसपणसिए, नवरं योगाहणाए पएसपरिवुड्डी कायव्वा जाव दसपएसिए, णवरं नवपएसहीणत्ति 4 / संखेज्जपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 144 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः पजवा पन्नत्ता 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-गोयमा ! संखेज्जपएसिए संखेज्जपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे संखेज्जभागहीणे वा संखिज्जगुणहीणे वा, यह अब्भहिए एवं चेव श्रोगाहणट्ठयाएवि दुटाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वरणाइ-उवरिल चउफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पजवा पन्नत्ता 6 / असंखिज्जपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पत्नत्ता 7 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-गोयमा ! असंखिज्जपएसिए खंधे असंखिजपएसियस्स खंधम्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए चउट्ठाणवडिए श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वराणाइ-उवरिल चउफासेहि य छठ्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पज्जवा पन्नत्ता 8 / अणंतपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 1 / से कण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे अणंतपएसियस्स खंधस्स दव्वठ्ठयाए तुल्ले पएसठ्ठयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पराणत्ता 10 / एगपएसोगाढाणं पोग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 11 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्टाणवडिए श्रोगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वराणाइ-उवरिल्ल चउफासेहिं छट्टाणवडिए से एएण?णं जाव पण्णत्ता 12 / एवं दुपएसोगाढेवि जाव दसपएसोगाढेवि 13 / संखिज्जपएसोगाढाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 14 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! संखेजपएसोगाढे पोग्गले संखिज्जपएसोगाढस्स पोग्गलस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्टाणवडिए योगाहणट्टयाए दुट्टाणवडिए ठिईए चट्टाणवडिए वराणाइ-उवरिल-चउफासेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 15 / Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 5 ] [ 145 असंखेज्जपएसोगाढाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 16 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! असंखेज्जपएसोगाढे पोग्गले असंखेज्जपएसोगाढस्स पोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्ठयाए चउट्टाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वराणाइट्टफासेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 17 / एगसमयठिइयाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 18 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! एगसमयठिइए पोग्गले एगसमयठिइयस्स पोग्गलस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छठाणवडिए श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिते ठितीए तुल्ले वरणाइट्टफासेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 11 / एवं जाव दससमयठिइए, संखेज्जसमयठिइयाणं एवं चेव, णवरं ठिईए दुट्ठाणवडिए, असंखेज्जसमयठिझ्याणं एवं चेव, नवरं ठिईए चउट्ठाणवडिए 20 / एकगुणकालगाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 21 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ ?, गोयमा ! एकगुणकालए पोग्गले (ग्रं० 3000 ) एकगुणकालगस्स पोग्गलस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए श्रोगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वनगंधरसफासपज्जवेहिं छट्ठाणावडिए अट्ठफासेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 22 / एवं जाव दसगुणकालए, संखेज्जगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे दुट्ठाणवडिए, एवं असंखिज्जगुणकालएवि, नवरं सट्टाणे चउट्ठाणवडिए, एवं अनंतगुणकालएवि नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं जहा कालवन्नस्स वत्तव्वया भणिया तहा सेसाणवि वन्नगंधरसफासाणं वत्तव्वया भाणियब्वा जाव अणंतगुणलुक्खे 23 / जहन्नोगाहणगाणं भंते ! दुपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 24 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए दुपएसिए खंधे जहन्नोगाहणस्त दुपएसियस्स खंधस्प्त दबट्टयाए तुल्ले Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 146 ] [ श्रीमदांगमसुधासिन्धुः / पेष्ठो विभागः पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपनवेहिं छट्ठाणवडिए सेसवन्न-गंधरसपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए सीय-उसिणणिद्ध-लुक्ख-फासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइजहन्नोगाहणाणं दुपएसियाणं पोग्गलाणं अणंता पज्जवा पन्नत्ता 25 / उकोसोगाहणएवि एवं चेव, अजहन्नमणुकोसोगाहणश्रो नत्थि 26 / जहन्नोगाहणयाणं भंते ! तिपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पनत्ता 27 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! जहा दुपएसिए जहन्नोगाहणए उक्कोसोगाहणएवि एवं चेव, एवं अजहन्नमणुकोसोगाहणएवि 28 / जहन्नोगाहणयाणं भंते ! चउपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहा जहनोगाहणए दुपएसिए तहा जहन्नोगाहणए चउप्पएसिए 21 / एवं जहा उक्कोसोगाहणए दुपएसिए तहा उक्कोसोगाहणए चउप्पएसिएवि, एवं अजहन्नमणुकोसोगाहणएवि चउप्पएसिए, णवरं योगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सियमब्भहिए जइ हीणे पएसहीणे ग्रह अब्भहिए पएसयभहिए, एवं जाव दसपएसिए णेयव्वं, णवरं अजहन्नुकोसोगाहणए पएसपरिवुड्डी कायव्वा जाव दसपएसियस्स सत्त पएसा परिवड्डिजति 30 / जहन्नोगाहणगाणं भंते ! संखेजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 31 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए संखेज्जपएसिए जहन्नोगाहणगस्स संखिज्जपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए दुट्ठाणवडिए योगाहणट्ठयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वराणाइचउफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पत्नत्ता 32 / एवं उक्कोसोगाहणएवि, अजहन्नमणुकोसोगाहणएवि एवं चेव, णवरं सट्ठाणे दुट्ठाणवडिए 33 / जहन्नोगाहणगाणं भंते ! असंखिज्जपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 34 / से केपट्टणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए असंखिजपएसिए खंधे जहन्नोगाहणगस्स असंखिज्जपएसियस्स खंधस्स दव्व Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 5 ] [ 140 ट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए चउटाणवडिऐ श्रोगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वरणाइउवरिलफासेहि य छट्टाणवडिए, से एएणटेणं जाव पन्नत्ता 35 / एवं उक्कोसोगाहणएवि, अजहन्नमणुकोसोगाहणएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे चउट्ठाणवडिए 36 / जहन्नोगाहणगाणं भंते ! अणंतपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पत्नत्ता 37 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए अणंतपएसिए खंधे जहन्नोगाहणगस्स.अणंतपएसियस्स खंधस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्ठयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वरणाइउवरिलचउफासेहिं छट्ठाणवडिए से एएणटेणं जाव पन्नत्ता 38 / उक्कोसोगाहणएवि एवं चेव, नवरं ठिईएवि तुल्ले 31 / अजहन्नमणुकोसोगाहणगाणं भंते ! अणंतपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 40 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! अजहन्नमणुकोसोगाहणए अणंतपएसिए खंधे अजहन्नमणुकोसोगाहणगस्स अणंतपएसियस्स खंधस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्टाणवडिए वरणाइट्ठफासेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 41 / जहन्नठिइयाणं भंते ! परमाणुपुग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 42 / से केणटेणं भंते ! एवं वुमइ ?, गोयमा ! जहन्नटिइए परमाणुपोग्गले जहन्नठिझ्यस्स परमाणुपोग्गलस्म दब्वट्ठयाए तुल्ले पासट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए तुल्ले ठिईए तुल्ले वराणाइ दुफासेहि य छट्टाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 43 / एवं उक्कोसठिइएवि, अजहन्नमणुकोसटिइएवि एवं चेव नवरं ठिईए चउट्ठाणवडिए 44 / जहन्नाठिझ्याणं दुपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पत्नत्ता 45 / से केण?णं भंते ! एवं वुन्चइ ?, गोयमा ! जहन्नठिइए दुपएसिए जहन्नाठिझ्यस्स दुपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे पएसहीणे Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 148 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागा ग्रह अभहिए पएसयभहिए ठिईए तुल्ले वराणाइ चउफासेहि य छटाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 46 / एवं उक्कोसठिइएवि अजहन्नमणुकोसठिइएवि एवं चेव, नवरं ठिईए चउट्टाणवडिए, एवं जाव दसपएसिए, नवरं पएसपरिवुड्डी कायव्वा, योगाहणट्टयाए तिसुवि गमएसु जाव दसपए. सिए एवं पएसा परिवडिजंति 47 / जहन्नठिइयाणं भंते ! संखिजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 48 / से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयना ! जहन्नठिझ्याणं संखिज्जपएसिए खंधे जहन्नठिइयस्स संखिजपएसियस्स खंधस्त दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए दुट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए दुट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वराणाइ चउफासेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 41 / एवं उकोसठिइएवि, अजहन्नमणुकोसटिइएवि एवं चेव, नवरं ठिईए चउढाणवडिए 50 / जहन्नठिझ्याणं असंखिज्जपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 51 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नठिइए असंखिज्जपएसिए जहन्नठिझ्यस्स असंखिज्जपएसियस्त दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए चउट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वराणाइ उवरिलचउफासेहि य छट्ठाणवडिए, से एए?णं जाव पन्नता 52 / एवं उकोसठिइएवि, अजहन्नमणुकोसठिइए एवं चेव नवरं ठिईए चट्ठाणवडिए 53 / जहन्नाठिझ्याणं अणंतपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 54 / से केणढे णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा जहन्नठिइए अणंतपएसिए जहन्नठिइयस्स अणंतपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ले परसट्ठयाए छटाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वरणाइ अट्टफासेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 55 / एवं उक्कोसठिएवि, अजहन्नमणुकोसठिइएवि एवं चेव, नवरं ठिईए चउट्टाणवडिए 56 / जहन्नगुणकालयाणं परमाणुपुग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अणता पजवा पन्नत्ता ५७।से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ ?,गोयमा ! जहन्नगुण Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 5 ) [ 146 कालए परमाणुपुग्गले जहन्नगुणकालगस्स परमाणुपुग्गलस्स दवट्ठयाए तुल्ले परमट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले श्रवसेसा वराणा नत्थि, गंघरसदुफास-पजवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएणद्वेणं जाव पन्नत्ता 58 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, एवमजहन्नमणुकोसगुणकालएवि, णवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए 56 / जहन्नगुणकालयाणं भंते ! दुपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पज्जवा पन्नत्ता 60 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए दुपएसिए जहन्नगुणकालयस्स दुपएसियस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे परसहीणे यह अभहिए पएसयभहिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसवराणाइउवरिल्लचउफासेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 61 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं जाव दसपएसिए नवरं पएसपरिवुड्डी योगाहणाए तहेव 62 / जहन्नगुणकालयाणं भंते ! संखिजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 63 / से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए संखिजपएसिए जहन्नगुणकालगस्स संखिजपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए दुट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए दुट्ठाणवडिए ठिईए चउट्टाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहि वराणाइ उवरिलचउफासेहि य छट्टाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 64 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए 65 / जहन्नगुणकालयाणं भंते ! असंखिजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 66 / से केण?णं भंते ! एवं वुबइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए असंखिजपएसिए जहन्नगुणकालगस्स असंखिजपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए चउट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः चट्ठाणवडिए ठिईए चउहाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वराणादि उवरिलचउफासेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 67 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए 68 / जहन्नगुणकालयाणं भंते ! अणंतपए. सियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 61 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए अणंतपणसिए जहन्नगुणकालयस्स अणंतपएसियस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए प्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नादि अट्ठफासेहि य छट्ठाणवडिए, से एएणतुणं जाव पन्नत्ता 70 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं नील-लोहिय-हालिह-सुकिल्ल-सुभिगंध-दुन्भिगंध-तित्त-कडु-कसायअंबिल-महुर-रसपजवेहि य वत्तव्वया भाणियब्वा, नवरं परमाणुपोग्गलस्स सुब्भिगंधस्स दुन्भिगंधो न भरणइ दुन्भिगंधस्स सुब्भिगंधो न भरणइ, तित्तस्स अवसेसं न भरणति एवं कडयादीणवि, अवसेसं तं चेव 71 / जहन्नगुणकक्खडाणं अणंतपएसियाणं खंधाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 72 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणकखडे अणंतपएसिए जहन्नगुणकक्खडस्स अणंतपएसियस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउटाणवडिए वनगंधरसेहिं छटाणवडिए कक्खडफासपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं सत्तफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 73 / एवं उक्कोसगुणकवडेवि, अजहन्न-मणुकोसगुणकक्खडेवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणबडिए, एवं मउय-गुरुय-लहुएवि भाणियब्वे 74 / जहन्नगुणमीयाणं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पन्जवा पन्नत्ता 75 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ ?, Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पएसयासीते दुपएसिएछ / से कराई मापदेसियाणं पुरु श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 5 ] [ 151 गोयमा ! जहन्नगुणसीए परमाणुपोग्गले जहन्नगुणसीतस्स परमाणुपुग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसेहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपज्जवेहि य तुल्ले उसिणफासो न भराणति निद्धलुक्खफासपजवेहि य छट्ठाणवडिए, से एऐण?णं जाव पन्नत्ता 76 / एवं उक्कोसगुणसीएवि, अजहन्नमणुकोसगुणसीतेवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए 77 / जहन्नगुणसीताणं दुपदेसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 78 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणसीते दुपएसिए जहन्नगुणसीतस्स दुपदेसियस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए जइ हीणे पएसहीणे (ग्रह) अब्भहिए पएसयभहिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपज्जवेहिं तुल्ले उसिणनिद्धलुवखफासपजवेहिं छट्टाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 71 / एवं उकोसगुणसीतेवि, अजहन्नमणुकोसगुणसीतेवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, एवं जाव दसपएसिए, णवरं योगाहणट्ठयाए पएसपरिवुड्डी कायव्वा जाव दस पएसियस्स नव पएसा वुड्डिजति 80 / जहन्नगुणसीयाणं संखेजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 81 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणसीते संखिजपएसिए जहन्नगुणसीतस्स संखिजपएसियस दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए दुट्टाणवडिए श्रोगाहणट्टयाए दुट्ठाणवडिए ठिईए चउढाणवडिए वराणादीहिं छट्टाणवडिए सीयफासपज्जवेहिं तुल्ले उसिणनिद्धलुक्खेहिं छट्ठाणवडिए, से एएणणं जाव पत्नत्ता 82 / एवं उक्कोसगुणसीतेवि, अजहन्नमणुकोसगुणसीतेवि एवं चे, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए 83 / जहन्नगुणसीयाणं असंखिजपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 84 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणसीते असंखिजपएसिए जहन्नगुणसीयस्स Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पष्ठो विभागः श्रसंखिजपएसियस्स दव्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए चउट्ठाणवडिए श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वराणाइपजवेहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपजवेहिं तुल्ले उसिणनिद्धलुक्खफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पन्नत्ता 85 / एवं उक्कोसगुणसीतेवि, अजहन्नमणुकोसगुणसीतेवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए 86 / जहन्नगुणसीताणं अणंतपएसियाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 87 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणसीते अणंतपएसिए जहन्नगुणसीतस्स श्रणंतपएसियस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वराणाइपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए सीयफासपजवेहिं तुल्ले श्रवसेसेहिं सत्तफासपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पत्नत्ता 88 / एवं उक्कोसगुणसीतेवि, अजहन्नमणुकोसगुणसोतेवि एवं चेव, नवरं सट्टाणे छट्ठाणवडिए, ए उसिणनिद्धलुक्खे जहा सीते परमाणुपोग्गलस्म तहेव पडिवक्खो सम्वेसिं न भराणइ ति भाणियव्वं 81 / // सूत्रं 120 // ___जहन्नपएसियाणं भंते ! खंधाणं केवइया पजवा पन्नत्ता ? गोयमा ! श्रणंता पज्जवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नपएसिए खंधे जहन्नपएसियस्स खंधस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्ठयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अभहिए, जइ हीणे पएसहीणे ग्रह अभहिए पएसमब्भहिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वनगंधरसअरिल्ल-चउफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पत्नत्ता 2 / उकोसपएसियाणं भंते ! खंधाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ गोयमा ! उक्कोसपएसिए खंधे उक्कोसपएसियस्म खंधस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वरणाइअट्ठकासपजवेहि य छट्ठाणवडिए से Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् ।पदं 5 ] [ 156 एएणट्ठणं जाव पनत्ता 4 / अजहन्नमणुकोसपएसियाणं भंते ! खंधाणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 5 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! अजहन्नमणुकोसपएसिए खंधे अजहन्नमणुकोसपएसियस्स खंधस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वरणाइ अट्ठफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए से एएगाह्रणं जाव पन्नत्ता 6 / जहन्नोगाहणगाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए पोग्गले जहन्नोगाहणगस्स पोग्गलस्स दव्वठ्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए तुल्ले ठिईए चउट्ठाणवडिए वराणाइ उवरिल्लफासेहि य छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 7 / उकोसोगाहणएवि एवं चेव, नवरं ठिईए तुल्ले 8 ! अजहन्नमणुकोसोगाहणगाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! अजहन्नमणुकोसोगाहणए पोग्गले अजहन्नमणुकोसोगाहणगस्स पोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए टिईए चउट्ठाणवडिए वरणाइ अट्टफासपज्जवेहि य छट्ठाणवडिए, से एएण?णं जाव पनत्ता 1 / जहन्नठिझ्याणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 10 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नठिइए पोग्गले जहन्नठिझ्यस्स पोग्गलस्स दबट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणबडिए ठिईए तुल्ले वरणाइ अट्ठफासपज्जवेहि य छट्टाणवडिए, से एएण?णं जाव पनत्ता 11 / एवं उकासठिइएवि, अजहन्नमणुकोसठिइएवि एवं चेव, नवरं ठिईएवि चउट्ठाणवडिए 12 / जहन्नगुणकालयाणं भंते ! पोग्गलाणं केवइया पजवा पनत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 13 / से केणढे णं भंते ! एवं वुचइ ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए पोग्गले जहन्न Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः गुणकालयस्स पोग्गलस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वनगंधरसफासपनवेहि य छट्टाणवडिए, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जहन्नगुणकालयाणं पोग्गलाणं श्रणंता पजवा पन्नत्ता 14 / एवं उकोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुकोसगुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, 15 / एवं जहा कालवन्नपज्जवाणं वत्तव्वया भणिया तहा सेसाणवि वनगंधरसफासाणं वत्तव्यया भाणियव्वा जाव अजहन्नमणुकोसलुक्खे सट्ठाणे छटाणवडिए 16 / सेत्तं रूविग्रजीवपजवा, सेत्तं अजीवपन्जवा 17 // सूत्रं 121 // इति पन्नवणाए भगवईए पंचमं विसेसपयं समत्तं // // इति पञ्चमं पदम् // 5 // // अथ श्री उपपात(व्युत्क्रान्ति)नामकं षष्ठं पदम् // बारस 1 चवीसाई 2 सयंतरं 3 एगसमय 4 कत्तो 5 य / उबट्टण 6 परभवियाउयं च 7 अट्ठव अागरिसा 8 // 1 // निरयगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं समयं उक्को सेणं वारस मुहुत्ता 1 / तिरियगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं बारस मुहुत्ता 2 / मणुयगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 3 / देवगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 4 / सिद्धिगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया सिझणाए पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं छम्मासा 5 / निरयगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 6 / [ 155 उव्वट्टणाए पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एवकं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 6 / तिरियगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 7 / मणुयगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेगा एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 8 / देवगई णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 6 / दारं 1 // सूत्रं 122 // रयणप्पभा-पुढविनेरइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 1 / सक्करप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं सत्तराईदियाणि 2 / वालुयप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं अद्धमासं 3 / पंकप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं मासं 4 / धूमप्पभापुढविनेरझ्या णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं दो मासा 5 / तमापुढविनेरइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चत्तारि मासा 6 / अहेसत्तमापुढविनेरइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं छम्मासा 7 / असुरकुमारा णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 8 | नागकुमारा णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउब्वीसं मुहुत्ता 1 / एवं सुवन्नकुमाराणं विज्जुकुमाराणं अग्गिकुमाराणं दीवकुमाराणं दिसाकुमाराणं उदहि Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 156 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः कुमाराणं वाउकुमाराणं थणियकुमाराण य पत्तेयं पत्तेयं जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 10 / पुढविकाइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणुसमयमविरहियं उववाएणं पन्नत्ता ?, 11 / एवं बाउकाइयाणवि तेउकाइयाणवि वाउकाइयाणवि वणस्सइकाइयाणवि श्रणुसमयं अविरहिया उववाएणं पन्नत्ता 12 / बेइंदिया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं एवं तेइंदियचउरिंदिया 13 / समुच्छिमपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 14 / गम्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 15 / संमुच्छिम मणुस्सा णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 16 ।गभवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता 17 / वाणवंतराणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 18 / जोइसियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 11 / सोहम्मे कप्पे देवा णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 20 / ईसाणे कप्पे देवाणं पुछा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 21 / सणंकुमारे कप्पे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं गाव राइंदियाइं 22 / माहिदे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं बारस राइंदियाणं दस मुहुत्ता 23 / बंभलोए देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं अद्धतेवीसं राइंदियाई 24 / लंतगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 6 ) [ 157 जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं पणतालीसं राईदियाई 25 / महासुक्कदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असीई राईदियाइं 26 / सहस्सारे देवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उनकोसेणं राइंदियसयं 27 / प्राणयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं संखेजमासा 28 / पाणयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं संखेजमासा 21 / श्रारणदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं संखिजवासा 30 / अच्चुयदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं संखिजवासा 31 / हिट्ठिमगेविजाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं संखिजाई वाससयाई 32 / मझिमगेविजाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं संखिजाई वाससहस्साई 33 / उवरिमगेविजाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं संखिज्जाइं वाससयसहस्साई 34 / विजय-वेजयंत-जयंतअपराजितदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं 35 / सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उववाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं पलियोवमस्स संखिजइभागं 36 / सिद्धा णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया सिझणाए पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं छम्मासा 37 // सूत्रं 123 // रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उव्वट्टणाए पनत्ता ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उक्कोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता 1 / एवं सिद्धवजा उव्वट्टणावि भाणियव्वा जाव अणुत्तरोववाइयत्ति, नवरं जोइसियवेमाणिएसु चयणंति अहिलावो काययो 2 / दारं 2 // सूत्रं 124 // नेरझ्या णं भंते ! किं संतरं उववज्जंति निरंतरं उववज्जति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जति निरंतरंपि उववज्जति 1 / तिरिक्खजोणिया णं भंते ! किं संतरं उववज्जति निरंतरं उववज्जति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जति Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 158 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः निरंतरंपि उववज्जति 2 / मणुस्सा णं भंते ! किं संतरं उववज्जंति निरंतरं उववज्जति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जंति निरंतरंपि उववज्जति 3 / देवा णं भते ! किं संतरं उववज्जति निरंतरं उववज्जंति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जति निरंतरंपि उववज्जति 4 / रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! किं संतरं उववज्जंति निरंतरं उववज्जंति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जति निरंतरंपि उववज्जंति 5 / एवं जाव अहेसत्तमाए संतरंपि उववज्जंति निरंतरंपि उववज्जंति 6 / असुरकुमारा णं देवा णं भंते ! कि संतरं उववज्जंति निरंतरं उववज्जंति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जति निरंतरंपि उववज्जंति, एवं जाव थणियकुमारा णं संतरपि उववज्जंति निरंतरंपि उववज्जति 7 / पुढविकाइया णं भंते ! किं संतरं उववज्जंति निरंतरं उववज्जंति ?, गोयमा ! नो संतरं उववज्जति निरंतरं उववज्जंति, एवं जाव वणस्सइकाइया नो संतरं उववज्जति निरंतरं उववज्जति 8 / बेइंदिया णं भंते ! किं संतरं उववज्जंति निरंतरं उववज्जति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जंति निरंतरंपि उववज्जंति, एवं जाव पंचिंदियतिरियक्खजोणिया 1 / मणुस्सा णं भंते ! किं संतरं उववज्जति निरंतरं उववज्जति ?, गोयमा ! संतरंपि उववज्जति निरंतरंपि उववज्जति 10 / एवं वाणमंतरा जोइसिया सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय-लंतग महासुक्क-सहस्सार-पाणय-पाणयपारणच्चय--हिट्ठिमगेविजग--मज्झिममेगविजग---उवरिमगेविजग--विजयवेजयंत-जयंत-अपराजित-सबट्टसिद्धदेवा य संतरपि उववज्जति निरंतरंपि उपवज्जति 11 / सिद्धा णं भंते ! कि संतरं सिझति निरंतरं सिझति ?, गोयमा ! संतरंपि सिझति निरंतरंपि सिझति 12 // सूत्रं 125 // नेरइया णं भंते ! किं संतरं उबट्टांति निरंतरं उव्वट्टति ?, गोयमा ! संतरंपि उब्वट्टति निरंतरंपि उबट्टति 1 / एवं जहा उववायो भणियो तहा उव्वट्टणावि सिद्धवजा भाणियन्वा जाव वेमाणिया, नवरं जोइसिय Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 6 ] [ 159 वेमाणिएसु चयणंति अहिलावो कायव्यो 2 / दारं 3 // सूत्रं 126 // नेरझ्या णं भंते ! एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा उववज्जति एवं जाव अहेसत्तमाए 1 / असुरकुमारा णं भंते ! एगसमएणं केवइया उववज्जंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेजा वा, एवं नागकुमारा जाव थणियकुमारावि भाणियव्वा 2 / पुढविकाइया णं भंते ! एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, गोयमा ! अणुसमयं अविरहियं असंखेजा उववज्जंति, एवं जाव वाउकाझ्या 3 / वणस्सइकाइया णं भंते ! एगसमएणं केवइया उववज्जति ?, गोयमा ! सट्टाणुववाइयं पडुच्च अणुसमयं अविरहिया अणंता उववज्जंति, परठाणुववाइयं पडुच्च अणुसमयं अविरहिया असंखेजा उववज्जति 4 / बेइंदिया णं भंते ! केवइया एगसमएणं उववज्जंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगो वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा, एवं तेइंदिया चारिदिया 5 / संमुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया गब्भवक्कंतियपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया संमुच्छिम-मणुस्सा वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मीसाणसणंकुमार-माहिंद-बंभलोयलंतग-महासुक-सहस्सार-कप्पदेवा ते जहा नेरझ्या, गम्भवक्कंतिय-मणूस-याणय-पाणय-धारण-अच्चुअ-गेवेजग-अणुत्तरोववाइया य एते जहन्नेणं इक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखिजा [वा] उववजंति 6 / सिद्धा णं भंते ! एगसमएणं केवइया सिझति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कं वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं अट्ठसयं 7 // सूत्रं 127 // नेरझ्या णं भंते ! एगसमएणं केवइया उबट्टांति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिनि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा उव्ववट्टांति 1 / एवं जहा उउवायो भणियो तहा उव्वट्टणावि सिद्धवजा भाणियव्वा जाव अणुत्तरोववाइया, णवरं जोइसियवेमाणियाणं चयणेणं अहिलावो Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 160 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः कायव्यो / दारं 4 // सूत्रं 128 // नेरइया णं भंते ! कतोहितो उववज्जंति ?-किं नेरइएहिंतो उववज्जंति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहिंतो उववज्जंति देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! नेरइया नो नेरइएहितो उववजंति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहितो उववज्जति नो देवेहितो उववज्जति 1 / जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति किं एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति बेइंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति तेइंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति चरिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?; गोयमा ! नो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति नो बेइंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, नो तेइंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, नो चरिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति 2 / जइ पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं जलयर. पंचिंदिय-तिरिक्खजोगिएहितो उववज्जति थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति 3 / जइ जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं संमुच्छिम-जलयर-पंत्रिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति गम्भवक्कंतियजलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! संमुच्छिमजलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति गम्भवक्कतिय-जलयरपंचिंदिय तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति 4 / जइ समुच्छिम-जलयरपंचिदिय तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति कि पजत्तय-समुच्छिम-जलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति किं अपजत्त-संमुच्छिम-जलयरपंचिंदिय-तिरिवखजोणिएहितो उबवज्जते ?, गोयमा ! पजत्तय-संमुच्छिम Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 6 // [ 161 जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति नो अपजत्तग-संमुच्छिमजलयर-पंचिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति 5 / जइ गम्भवक्कंतियजलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पजत्तग-गम्भवक्कंतियजलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति अपजत्तय-गब्भववकंतियजलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! पजत्तयगम्भवक्कंतिय-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति नो अपज्जत्तग-गम्भवक्कतिय-जलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति 6 / जइ थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं चउप्पय-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति परिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिवरखजोणिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणिएहितो उववज्जंति परिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितोऽवि उववज्जंति।जइ चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिहितो उववज्जंति किं समुच्छिमेहितो उववज्जति गम्भवक्कतिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणिहितोऽवि उववज्जति गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितोऽवि उववज्जंति 8 / जइ समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पजत्तग-संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिदिय-तिरिवखजोणिएहितो उववज्जति अपजत्तग-वउप्पय-थलयर-संमुच्छिम--पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पन्जत्तग-संमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति नो अपजत्तग-संमुच्छिम-चउप्पय थलयर-पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति 1 / जइ गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं संखेन्जवासाउअ-गब्भवक्कंतियचउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति असंखेज्जवासाउयगम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?, 21 Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः गोयमा ! संखेजवासाउएहिंतो उववज्जंति नो असंखेजवासाउएहितो उववज्जंति 10 / जइ संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति किं पजत्तग संखेजवासाउय-गब्भवक्क्रतियचउप्पय-थलयर-पंनिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति अपजत्तग-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-चउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तग-संखेजवासउएहिंतो उववज्जति नो अपज्जत्तग. संखेजवासाउएहितो उववज्जति 11 / जइ परिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए. हिंतो उववज्जति भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणिएहितो उवव जंति ?, गोयमा ! दोहितोवि उववज्जति 12 / जइ उरपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं समुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर. पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववजंति ?, गोयमा ! संमुच्छिमेहितोवि उववज्जति गम्भवक्कंतिएहिंतोवि उववज्जति 13 / जइ समुच्छिम-उरपरिसप्पथलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पज्जत्तएहितो उववज्जति अपजत्तगेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! पजत्तगसंमुच्छिमेहितो उववज्जंति नो अपजत्तग-संमुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोगिएहितो उववज्जति 14 / जइ गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणिएहितो उववज्जति कि पजत्तएहितो उववज्जति अपजत्तएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तग गम्भवक्कंतिएहिंतो उववज्जंति नो अपजत्तगगब्भववकंतिय-उरपरिसप्प-थलयर-चिदिय-तिरिखखजोणिएहितो उववज्जति 15 / जइ भुयपरिसप्प थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति किं संमुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर--पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति गम्भवक्कंतिय-भुयपरिसप्प--थलयर--पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उवव Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 6 ] [ 163 ज्जति ?, गोयमा ! दोहितोऽवि उववज्जति 16 / जइ समुच्छिम-भुयपरिसप्पथलयर-पंचिंदिय तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पजत्तय-समुच्छिमभुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उबवज्जति अपज्जत्तयसंमुच्छिम-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! पजत्तएहितो उववज्जति नो अपजत्ताहिंतो उववज्जति 17 / जइ गमवक्कंतिय-भुयपरिसप्प-थलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उक्वज्जंति किं पज्जत्तएहितो उववज्जति अपजनएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! पजतएहिंतो उववज्जंति नो अपजत्तएहितो उनवज्जति 18 / जइ खहयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति किं समुच्छिम-खहयर-पंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति गम्भवक्कंतिय-खहयर-पंचिंदिय-तिरिवखजोणिएहितो उववजंति ?, गोयमा ! दोहितोऽवि उववज्जंति 11 / जइ संमुच्छिम-खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति किं पज्जत्तएहितो उववज्जति अपजत्तएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तएहिंतो उववज्जति नो अपजत्तएहितो उववज्जति 20 / जइ पजत्तग-गम्भवक्कंतिय-खहयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं संखेजवासाउएहितो उववज्जति असंखेजवासाउएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! संखिजवासाउएहितो उववज्जति नो असंखिजवासाउएहितो उववज्जति 21 / जइ संखिजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं पजत्तएहितो उववज्जति अपजत्तएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! पजत्तए. हिंतो उववज्जति नो अपजत्तएहितो उववज्जति 22 / जइ मणुस्सेहितो उववज्जति किं संमुच्छिममणुस्सेहितो उववज्जति गम्भववतियमणुस्सेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! नो संमुच्छिम-मणुस्सेहिंतो उववज्जंति गम्भवक्कंतिय-मणुस्सेहितो उववज्जति 23 / जइ गम्भवक्कंतिय-मगुस्सेहितो उववज्जति किं कम्मभूमिग-गम्भवक्कंतिय-मणुस्सेहितो उववज्जति अकम्मभूमिग Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विमागः गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहितो उववज्जति अंतरदीवग-गम्भवक्कंतिय-मणुस्सेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! कम्मभूमिग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहितो उववज्जति नो अकम्मभूमिग-गम्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जति नो अंतरदीवगगब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहितो उववज्जति 24 / जइ कम्मभूमिग-गम्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्जति किं संखेजवासाउएहितो उववज्जंति असंखेजवासाउएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-कम्मभूमिग-गम्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्जति नो असंखिजवासाउय-कम्मभूमिग-गब्भवक्कंतियमगुस्सेहितो उपवज्जति 25 / जइ संखेजवासाउय-कम्मभूमिग-गव्भवक्कंतियमणुस्सेहितो उववज्जति किं पजत्तेहितो उववज्जति अपजत्तेहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तएहितो उववज्जति नो अपजत्तएहितो उववज्जंति 26 / एवं जहा श्रोहिया उववाइया तहा रयणप्पभापुढविनेरइयावि उववा Same Meani एयब्बा 27 / सक्करप्पभापुढविनेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! एतेवि जहा थोहिया तहेवोववाएयव्वा नवरं समुच्छिमेहितो पडिसेहो कायव्यो 28 | वालुयप्पभापुढविनेरझ्या णं भंते ! कतोहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! जहा सकरप्पभापुढविनेरझ्या नवरं भुयपरिसप्पेहितो पडिसेहो कायव्यो 21 / पंकप्पभापुढविनेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहा वालुयप्पभापुढविनेरइया नवरं खहयरेहितो पडिसेहो कायव्यो 30 / धूमप्पभापुढविनेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहा पंकप्पभापुढविनेरइया नवरं चउप्पएहितोवि पडिसेहो काययो 31 / तमापुढविनेरइया णं भंते ! कयोहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! जहा धूमप्पभापुढविनेरइया नवरं थलयरेहितोवि पडिसेहो कायव्वो 32 / इमेणं अभिलावेणं जइ पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति किं जलयरपंचिंदिएहिंतो उववज्जति थलयरपंचिंदिएहितो उववज्जति खहयरपंचिंदिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! जलयरपंचिदिएहितो उववज्जति नो थलयरेहितो नो खहयरेहितो उववज्जंति 33 / जइ मणुस्सेहितो उवव Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदं 6 ] [ 165 ज्जंति किं कम्मभूमिएहितो उपवजंति अकम्मभूमिएहिंतो उववज्जति अंतरदीवएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! कम्मभूमिएहितो उववज्जति नो अम्मभूमिएहिंतो उववज्जति नो अंतरदीवएहिंतो उववज्जति 34 / जइ कम्मभूमिएहितो उववज्जंति किं संखेजवासाउएहितो उववज्जंति असंखेजवासाउएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउएहितो उववज्जंति नो असंखेजवासाउएहिंतो उववज्जंति 35 / जइ संखेजवासाउएहितो उववजंति किं पजत्तएहितो उववज्जति अपज्जत्तएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तएहितो उववज्जंति नो अपजत्तएहिंतो उबवज्जति 36 / जइ पजत्तगसंखेजवासाउय-कम्मभूमिएहिंतो उववज्जति किं इथिएहितो उववजंति पुरिसेहितो उववज्जंति नपुंसएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! इत्थीहितो उववज्जति पुरिसेहिंतो उववज्जति नपुसएहिंतोवि उववज्जति 37 / अहेसत्तमा-पुढविनेरझ्या गां भंते ! कतोहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! एवं चेव नवरं इत्थीहितो पडिसेहो कायव्वो 38 / अस्सन्नी खलु पढमं दोच्चपि सिरीसवा तइय पक्खी / सीहा जंति चउत्थि उरगा पुण पंचमि पुढविं // 1 // छढि च इत्थियात्रो मच्छा मणुया य सत्तमि पुढविं / एसो परमोवायो (परमुववायो) बोद्धव्वो नरगपुढवीणं // 2 // सूत्रं 126 // असुरकुमारा णं भंते ! कतोहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति मगुस्सेहिंतो उववज्जंति नो देवेहितो उववज्जंति 1 / एवं जेहिंतो नेरइयाणं उववायो तेहिंतो असुरकुमाराणवि भाणियव्वो, नवरं असंखेजवासाउय-अकम्मभूमग-अंतरदीवगमाणुस्त-तिरिक्खजोणिएहितोवि उववज्जति, सेसं तं चेव 2 / एवं जाव थणियकुमारा भाणियव्वा 3 // सूत्रं 130 // पुढविकाझ्या गां भंते ! कतोहितो उववज्जंति किं नेरइएहितो जाव देवेहिंतो उववज्जंति ?, गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति तिरिक्खजोणिएहितो मणुस्सेहितो देवेहितोवि Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 166 ] [ श्रीभदागमसुधासिन्धुः / पष्ठो विभागः उववज्जति 1 / जइ तिरिक्खजोणिहितो उववज्जति किं एगिदिय-तिरिवखजोणिएहितो उववज्जति जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितोवि जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहिंतोवि उववज्जति 2 / जइ एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं पुढविकाइएहितो जाव वणस्सइकाइएहितोवि उववज्जति ?, गोयमा ! पुढविकाइएहितोवि जाव वणस्सइकाइएहितोवि उववज्जति 3 / जइ पुढविकाइए. हिंतो उववज्जति किं सुहुम-पुढविकाइएहितो उववज्जति वायर-पुदविकाइएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! दोहितोवि उववज्जति 4 / जइ सुहुम-पुढविकाइए. हिंतो उववजंति किं पजत्त-पुटवीकाइएहितो उववज्जंति अपजत्त-पुढवीकाइएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! दोहितोवि उववजंति 5 / जइ बायर-पुढविकाइएहितो उववज्जंति किं पजत्तएहिंतो उववज्जति अपजत्तएहितो उववजंति ?, गोयमा ! दोहितोवि उववज्जंति, एवं जाव वणस्सइकाइया चउक्कएणं भेदेण उववाएयव्वा 6 / जइ बेइंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उवव. ज्जंति किं पजत्तय-बेइंदिएहितो उववज्जति अपजत्तय बेइंदिएहितो उक्वजंति ?, गोयमा ! दोहितोवि उबवज्जंति, एवं तेइंदिय-चरिदिएहितोवि उववज्जति 7 / जइ पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंतिं किं जलयरपचिंदिय-तिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति ?, एवं जेहिंतो नेरइयाणं उववायो भणियो तेहिंतो एतेसिपि भाणियव्यो नवरं पजत्तगयपज्जत्तगेहिं. तोवि उपवनंति, सेसं तं चेव 8 / जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति किं संमुच्छिममणुस्सेहिंतो उववज्जति गम्भवक्कंतियमणुस्सेहिंतो उववज्जंति ?, गोयमा ! दोहितोवि उववज्जति 1 / जइ गम्भवक्कतिय-मणुस्सेहिंतो उववजंति किं कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जति अकम्मभूमगगम्भवस्कतिय-मणुस्सेहितो उववज्जति ?, सेसं जहा नेरइयाणं नवरं अपजत्तएहितोवि उववज्जति 10 / जइ देवेहितोवि उववज्जति किं भवणवासि Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदं 6 ] [ 167 वाणमंतर-जोइसवेमाणिएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! भवणवासिदेवेहितोवि उववज्जति जाव वेमाणियदेवेहितोवि उववज्जति 11 / जइ भवणवासिदेवेहिंतो उववज्जंति किं असुरकुमारदेवेहितो जाव थणियकुमारेहितो उववज्जति ! गोयमा ! असुरकुमारदेवेहितोवि उववज्जति जाव थणियकुमारदेवेहिंतोवि उववज्जति 12 / जइ वाणमंतरदेवेहितो उववज्जति किं पिसाएहिंतो जाव गंधव्वेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! पिसाएहितोवि जाव गंधव्वेहिंतोवि उववज्जंति 13 / जइ जोइसियदेवेहितो उववज्जंति किं चंदविमाणेहिंतो अवज्जति जाव ताराविमाणेहिंतो उअवज्जति ?, गोयमा ! चंदविमाणजोइसियदेवेहिंतोवि जाव ताराविमाण-जोइसियदेवेहिंतोवि उववज्जति 14 / जइ वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति किं कप्पोवग-वेमाणिय-देवेहितो उववज्जंति कप्पातीत-वेमाणिय-देवेहिंतो उववज्जंति ?, गोयमा ! कप्पोवग-वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति नो कप्पातीत-वेवाणियदेवेहितो उववज्जति 15 / जइ कप्पोवग-वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति किं सोहम्मेहंतो जाव अच्चुएहितो उववन्जंति ?, गोयमा ! सोहम्मीसाणेहितो उववज्जंति नो सणकुमार जाव अच्चुएहितो उववज्जति 16 / एवं अाउकाइयावि, एवं तेउवाउकाइयावि, नवरं देववज्जेहिंतो उववज्जंति, वणस्सइकाइया जहा पुढविकाइया 17 // सूत्रं 131 // बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया एते जहा तेउवाऊ देववज्जेहितो भाणियव्वा // सूत्रं 132 // पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया णं भंते ! कयोहितो उववज्जति ?, किं नेरइएहिंतो उववज्जंति जाव किं देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! नेरइएहितोवि तिरिक्खजोणिएहितोवि मगुस्सेहितोवि देवेहितोवि उववज्जति 1 / जइ नेरइएहितो उववज्जंति किं रयणप्पभापुढविनेरइएहितो उववज्जति जाव अहेसत्तमा-पुढविनेरइएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! रयणप्पभा-पुढविनेरइएहितोवि उबवज्जंति जाव अहेसत्तमा-पुढविनेरइएहितोवि उववज्जति 2 / जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति किं Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 168 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पष्ठो विभागः एगिदिएहिंतो उववज्जति जाव पंचिंदिएहिंतो उववज्जति ?, गोयमा! एगिदिएहिंतोवि उववज्जति जाव पंचिंदिएहितोवि उववज्जति 3 / जइ एगिदिएहितो अवज्जति किं पुढविकाइएहिंतो उववज्जंति ? एवं जहा पुढविकाइयाणं उववायो भणियो तहेव एएसिपि भाणियब्वो, नवरं देवेहितो जाव सहस्सार-कप्पोवग-वेमाणिय-देवेहितोवि उववज्जति नो पाणयकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो जाव अच्चुएहितोवि उववज्जंति 4 // सूत्रं 133 // मणुस्सा णं भंते ! कोहिंतो उववज्जंति किं नेरइएहितो उववज्जंति जाव देवेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! नेरइएहिंतोवि उववज्जंति जाव देवेहितोवि उववज्जति 1 / जइ नेरइएहितो उववज्जति किं रयणप्पभा-पुढविनेरइएहितो उववज्जति किं सकरप्पभा-पुढविनेरइएहिंतो उववज्जति किं वालुयप्पभापुढविनेरइएहिंतो पंकप्पभा-पुढविनेरइएहितो धूमप्पभा-पुढविनेरइएहितो तमप्पभा. पुढविनेरइएहितो अहेसत्तमा-पुढविनेरइएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! रयणप्पभा-पुढविनेरइएहितोवि जाव तमा-पुढविनेरइएहितोवि उववज्जति, नो अहेसत्तमा-पुढविनेरइएहितो उववज्जति 2 / जइ तिरिवखजोणिएहितो उववज्जंति किं एगिदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? एवं जेहितो पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं उववायो भणियो तेहितो मणुस्साणवि निरवसेसो भाणियव्यो, नवरं अहेसत्तमा-पुढविनेरइएहितो तेउवाउकाएहितो ण उववज्जति 3 / सव्वदेवेहिंतोवि उववजावेयव्वा (य उववायो कायव्वो) जाव कप्पातीत-वेमाणिय-सव्वट्ठसिद्ध देवेहितोवि उववजावेयव्वा 4 ॥सूत्रं 134 // वाणमंतरदेवा णं भंते ! कयोहितो उववज्जति ? किं नेरइएहितो तिरिक्खजोणिएहितो मणुस्सेहितो देवेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! जेहितो असुर. कुमारा तेहिंतो वाणमंतरा उववजावेयव्वा // सूत्रं 135 // जोइसिया णं भंते ! देवा णं करोहितो उववज्जति ?, गोयमा ! एवं चेव नवरं समुच्छिम-प्रसंखिजवासाउय-खहयर-पंचिंदिय-तिरिक्ख Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 6 ] [ 166 जोणियवज्जेहिंतो अंतरदीव-मणुस्सवज्जेहिंतो उववजावेयव्वा ॥सूत्रं 136 // वेमाणिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जंति ? किं नेरइएहितो ? किं तिरिक्खजोणिएहितो मणुस्सेहितो देवेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! णो णेरइएहितो उपवज्जंति पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति मणुस्सेहिंतो उववज्जति णो देवेहिंतो उववज्जति 1 / एवं सोहम्मीसाणगदेवावि भाणियब्वा, एवं सणंकुमारदेवावि भाणियव्या नवरं असंखेजवासाउययकम्मभूमगवज्जेहिंतो उववज्जंति, एवं जाव सहस्सार-कप्पोवग-वेमाणियदेवा भाणियव्वा 2 / श्राणयदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? किं नेरइएहितो ? किं पंचिंदियतिरिक्खजोणियेहितो मणुस्सेहितो देवेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! णो णेरइएहितो उववज्जंति नो तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति मणुस्सेहिंतो उववज्जति णो देवेहितो उववज्जति 3 / जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जति किं समुच्छिममणुस्सेहितो गम्भवक्कंतियमणुस्सेहितो उववज्जति ?, गोयमा ! गम्भवक्कंतियमणुस्सेहितो उववज्जंति नो समुच्छिममणुस्सेहितो उपवज्जति 4 / गम्भवक्कंतियममणुस्सेहितो उववज्जंति किं कम्मभूमिगेहिंतो उववज्जति अकम्मभूमिगेहिंतो उववज्जति अंतरदीवगेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! नो अकम्मभूमिगेहितो णो अंतरदीवगेहितो उववजंति कम्मभूमिग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जति 5 / जइ कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूसेहितो उवव जंति कि संखेजवासाउएहिंतो उववज्जंति असंखेजवासाउहितो उववज्जति ?, गोयमा ! संखेजवासाउएहितो नो असंखिजवासाउएहितो उववज्जंति 6 / जइ संखिजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूसेहिंतो उववज्जति किं पजत्तएहिंतो उववज्जति अपज्जत्तएहिंतो उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तएहितो उववज्जति नो अपजत्तएहितो उववज्जति 7 / जइ पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जंति किं 22 Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 170 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः सम्मदिट्ठी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमगेहिंतो उववज्जति मिच्छद्दिटिपज्जत्तगेहिंतो उववज्जति सम्मामिच्छदिट्ठि-पज्जत्तगेहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय मणूसेहिंतो उववज्जति मिच्छदिट्ठि-पजत्तगेहितोवि उववज्जति णो सम्मामिच्छदिट्टि-पजत्तएहितो उववज्जति 8 / जइ सम्मद्दिड्डी-पजत्तग-संखेजवासाउय. कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूसेहितो उववज्जति किं संजत-सम्मदिट्ठीहितो असंयत-सम्मट्ठिीपजत्तएहितो संजयासंजय-सम्मट्ठिी-पजत्तग-संखेजवासाउयकम्मभूमग-गम्भवक्कंतियःमणूसेहिंतो उववज्जति ?, गोयमा ! तीहिंतोवि उवव जंति / एवं जाव अच्चुगो कप्पो, एवं चेव गेविजगदेवावि नवरं असंजतसंजतासंजता एते पडिसेहेयव्वा, एवं जहेव गेविजगदेवा तहेव अणुत्तरोवैवाइयावि, णवरं इमं नाणत्तं संजया चेव 10 / जइ सम्मट्ठिी -संजत-पज्जत्तगसंखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवम्कंतिय-मणूसेहितो उववज्जति किं पमत्तसंजय-सम्मदिट्टी-पजत्तएहितो अपमत्त-संजय-सम्मदिट्ठिपज्जत्तएहितो उववज्जंति ?, गोयमा ! अपमत्तसंजय-सम्मदिट्टीपजत्तएहितो उववज्जंति नो पमत्तसंजय-सम्मदिट्टीपजत्तएहितो उववज्जंति, जइ अपमत्तसंजय-सम्मट्ठिीपजत्तएहितो उववज्जति किं इडिपत्त-अपमत्तसंजएहिंतो उववज्जति अणिडिपत्त-अपमत्त-संजएहितो उववज्जति ?, गोयमा ! दोहिंतो उववज्जति। दारं 5 // सूत्रं 137 // नेरइया णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ? किं नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति मणुस्सेसु उववज्जंति देवेसु उववज्जंति ?, गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति मणुस्सेसु उववज्जंति नो देवेसु उववज्जति 1 / जइ तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति किं एगिदिएसु उववज्जंति जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ?, गोयमा ! णो एगिदिएसु जाव नो चरिं. Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 6 / [ 171 दिएसु उववज्जति पंचिदिएसु उववज्जति 2 / एवं जेहिंतो उववायो भणियो तेसु उव्वट्टणावि भाणियव्वा, नवरं समुच्छिमेसु न उववज्जंति, एवं सवपुढवीसु भाणियव्वं, नवरं अहेसत्तमायो मणुस्सेसु ण उववज्जति 3 // सू० 138 // असुरकुमारा णं भंते ! अणंतरं उब्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ? किं नेरइएसु जाव देवेसु उववज्जंति ?, गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जंति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति मणुस्सेसु उववज्जंति णो देवेसु उववज्जति 1 / जइ तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति किं एगिदिएसु उववज्जति जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ?, गोयमा ! एगिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जति नो बेइंदिएसु (ग्रं० 3500 ) जाव नो वउरिदिएसु उववज्जंति पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जति 2 / जइ एगिदिएसु उववज्जति किं पुढविकाइयएगिदिएसुवि जाव वणस्सइकाइयएगिदिएसु उववज्जंति ?, गोयमा ! पुढविकाइयएगिदिएसुवि याउकाइयएगिदिएसुवि उववज्जंति नो तेउकाइएसु नो वाउकाइएसु उववजंति वणस्सइकाइएसु उववज्जति 3 / जइ पुढविकाइएसु उववज्जंति किं सुहुमपुढविकाइएसु उववज्जंति बायरपुढविकाइएसु उववज्जति ?, गोयमा ! बायरपुढविकाइएसु उववज्जति नो सुहुमपुढविकाइएसु उववज्जंति 4 / जइ बायरपुढविकाइएसु उववज्जति किं पजत्तग-बायरपुढविकाइएसु उववज्जति अपजत्त-बायरपुढविकाइएसु उववज्जंति ?, गोयमा ! पजत्तएसु उववज्जति नो अपजत्तएसु उववज्जति 5 / एवं ग्राउवणस्सइसुवि भाणियव्वं, पंचिंदियतिरिवखजोणियमणूसेसु य जहा नेरइयाणं उव्वट्टणा संमुच्छिमवजा तहा भाणियव्वा एवं जाव थणियकुमारा 6 // सूत्रं 131 // पुढविकाइया णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहिं उववज्जति ? किं नेरइएसु जाव देवेसु ?, गोयमा ! नो नेरइएसु तिरिक्खजोणियमणूसेसु उववज्जंति नो देवेसु उववजंति 1 / एवं जहा एतेसिं चेव उबवायो तहा उब्वट्टणावि देववजा Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 172 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागा भाणियव्वा, एवं श्राउ-वणस्सइ-बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियावि, एवं तेउवाउवि नवरं मणुस्सवज्जेसु उववज्जंति 2 // सूत्रं 140 // पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ? किं नेरइएसु जाव देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! नेरइएसु जाव देवेसु उववज्जति 1 / जइ नेरइएसु उववज्जंति किं रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववजंति जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएसु उववज्जति ?, गोयमा ! रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जंति जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएसु उववज्जति 2 / जइ तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति किं एगिदिएसु जाव पंचिंदिएसु उववज्जति ?, गोयमा ! एगिदिएसु जाव पंचिंदिएसु उववज्जति 3 / एवं जहा एतेसिं चेव उववायो उबट्टणावि तहेव भाणियव्या, नवरं असंखेन्जवासाउएसुवि एते उववज्जति 4 / जइ मणुस्सेसु उववज्जति किं संमुच्छिममणुस्सेसु उववज्जति गम्भवक्कंतियमणूसेसु उववज्जंति ?, गोयमा ! दोसुवि 5 / एवं जहा उववायो तहेव उव्वट्टणावि भाणियव्वा. नवरं अकम्मभूमग० अंतरदीवग० असंखेजवासाउएसुवि एते उववज्जतित्ति भाणियव्वं 6 / जइ देवेसु उववज्जंति किं भवणवईसु उववज्जंति ? जाव किं वेमाणिएसु उववज्जंति ?, गोयमा ! सव्वेसु चेव उववज्जति 7 / जइ भवणवईसु किं असुरकुमारेसु उववज्जति जाव थणियकुमारेसु उववज्जंति ?, गोयमा ! सव्वेसु चेव उववज्जति 8 / एवं वाणमंतरजोइसियवेमाणिएसु निरंतरं उववजंति जाव सहस्सारो कप्पोत्ति 1 // सूत्रं 141 // मणुस्सा णं भंते ! अणंतरं उच्चट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहिं उववज्जति ? किं नेरइएसु उववज्जति जाव देवेसु उववज्जति ?, गोयमा ! नेरइएसुवि उववज्जंति जाव देवेसुवि उववज्जति 1 / एवं निरंतरं सव्वेसु ठाणेसु पुच्छा, गोयमा! सब्वेसु ठाणेसु उववज्जति न किंचेवि (कहिंचि) पडिसेहो कायब्वो, जाव सव्वट्ठसिद्धदेवेसुवि उववज्जति 2 / अत्थेगतिया सिझति बुज्झति मुच्चंति Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 6 ] [ 173 परिनिव्वायंति सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति 3 // सूत्रं 142 // वाणमंतरजोइसिय-वेमाणिय-सोहम्मीसाणा य जहा असुरकुमारा नवरं जोइसियाण य वेमाणियाण य चयंतीति अभिलावो कायव्यो 1 / सणंकुमारदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! जहा असुरकुमारा नवरं एगिदिएसु ण उववज्जंति 2 / एवं जाव सहस्सारगदेवा, पाणय जाव अणुत्तरोववाइयादेवा एवं चेव, नवरं नो तिरिक्खजोणिएसु उववज्जंति मणुस्सेसु पजत्त-संखेजवासाउय-कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूसेसु उववज्जति 3 / दारं 6 // सूत्रं 143 // नेरइया णं भंते ! कतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति ?, गोयमा ! नियमा छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति एवं असुरकुमारावि, एवं जाव थणियकुमारा 1 / पुढविकाइया णं भंते ! कतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति ?, गोयमा ! पुढविकाइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सोवकमाउया य निरुवकमाउया य, तत्थ गणं जे ते निस्वकमाउया ते नियमा तिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति, तत्थ णं जे ते सोवकमाउया ते सिय तिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति सिय तिभागतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति सिय तिभागतिभागतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति 2 / थाउतेउवाउवणप्फइकाइयाणं बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणवि एवं चेव 3 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कतिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति ?, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहासंखेजवासाउया य असंखेजवासाउया य, तत्थ णं जे ते असंखेजवासाउया ते नियमा छम्मासावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति, तत्थ णं जे ते संखिजवासाउया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सोवकमाउया य निरुवकमाउया य, तत्थ णं जे ते निरुवकमाउया ते नियमा तिभागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति, तत्थ णं जे ते सोवकमाउया ते णं सिय तिभागे परभवियाउयं पकरेंति सिय तिभागातिभागे परभवियाउयं पकरेंति सिय तिभागतिभागति Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 174 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः भागावसेसाउया परभवियाउयं पकरेंति एवं मणूसावि, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया 5 / दारं 7 // सूत्रं 144 // कइविहे णं भते ! पाउयबंधे पत्नत्ते ?, गोयमा ! छब्बिहे पाउयबंधे पन्नत्ते, तंजहा-जातिनामनिहत्ताउए गतिनामनिहत्ताउए ठितीणामनिहत्ताउए योगाहणनामनिहत्ताउए पएसनामनिहत्ताउए अणुभावनामनिहत्ताउए 1 / नेरइयाणं भंते ! कइविहे श्राउयबंधे पन्नते ?, गोयमा ! छविहे ग्राउयबंधे पन्नत्ते, तंजहा-जातिनामनिहत्ताउए गतिणामनिहत्ताउए ठितीणामनिहत्ताउए श्रोगाहणणामनिहत्ताउए पदेसणामनिहत्ताउए अणुभावणामनिहत्ताउए, एवं जाव वेमाणियाणं 2 / जीवा णं भंते ! जातिनामनिहत्ताउयं कतिहिं अागरिसेहिं पगरेंति ?, गोयमा ! जहन्नेण एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उकोसेणं अट्टहिं 3 / नेरइया णं भंते ! जातिनामनिहत्ताउयं कतिहिं श्रागरिसेहिं पगरेंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं अहिं 4 / एवं जाव वेमाणिया, एवं गतिनामनिहत्ताउएवि ठितीणामनिहत्ताउएवि श्रोगाहणानामनिहत्ताउएवि पदेसनामनिहत्ताउएवि अणुभावनामनिहत्ताउएवि 5 / एतेसिं णं भंते ! जीवाणं जातिनामनिहत्ताउयं जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उकोसेणं अहिं आगरिसेहिं पकरेमाणाणं कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सबथोवा जीवा जातिणामनिहत्ताउयं अट्टहिं श्रागरिसेहि पकरेमाणा सत्तहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेजगुणा छहिं आगरिसेहि पकरेमाणा संखेजगुणा एवं पंचहिं संखिजगुणा चउहिं संखिजगुणा तीहिं संखिजगुणा दोहिं संखिजगुणा एगेणं अागरिसेणं पगरेमाणा संखेजगुणा 6 / एवं एतेणं अभिलावेणं जाव अणुभागनामनिहत्ताउयं, एवं एते छप्पिय अप्पाबहुदंडगा जीवादीया भाणिय वा 7 / दारं 8 // सूत्रं 145 // इति पन्नवणाए भगवईए छ8 वक्कतियपयं समत्तं // // इति षष्ठं पदम् // 6 // Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 7 ] [ 175 // अथ श्री उच्छवासाख्यं सप्तमं पदम् // नेरइया णं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ?, गोयमा ! सततं संतयामेव श्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा 1 / असुरकुमारा णं भंते ! केवतिकालस्स श्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तराहं थोवाणं उक्कोसेणं सातिरेगस्स पक्खस्स पाणमंति वा जाव नीससंति वा 2 / नागकुमारा णं भंते ! केवइकालस्स श्राणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तरहं थोवाणं उक्कोसेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स, एवं जाव थणियकुमाराणं 3 / पुढविकाइया णं भंते ! केवतिकालस्स प्रामामंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! वेमायाए अाणमंति वा जाव नीससंति वा 4 / एवं जाव मणूसा, वाणमंतरा जहा नागकुमारा 5 / जोइसिया णं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं मुहुत्त हुत्तस्स उकोसेणवि मुहुत्तपुहुत्तस्स श्राणमंति वा जाव नीससंति वा 6 / वेमाणिया णं भंते ! केवतिकालस्स श्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 7 / सोहम्मगदेवा णं भंते ! केवइकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं मुहुत्त हुत्तस्स उक्कोसेणं दोराहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 8 / ईसाणगदेवा णं भंते ! केवइकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सातिरेगस्स मुहुत्त हुत्तस्स उक्कोसेणं सातिरेगाणं दोरहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 1 / सणंकुमारदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स पाणंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दोराहं पक्खाणं उक्कोसेणं सत्तरहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 10 / माहिंदगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 176 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः जहन्नेणं साइरेगं दोगहं पक्खाणं उकोसेणं साइरेगं सत्तरहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 11 / बंभलोगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स प्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तराहं पक्खाणं उक्कोसेणं दसराहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 12 / लंतगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स श्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं दसराहं पक्खाणं उक्कोसेणं चउदसराहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 13 / महासुकदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स आणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं चउदसराहं पक्खाणं उक्कोसेणं सत्तरसराहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 14 / सहस्सारगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स श्राणमंति वा जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तरसराहं पक्खाणं उकोसेणं अट्ठारसरहं पक्खाणं जाव नीससंति वा 15 / श्राणयदेवा णं भते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ? गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठारसरहं पक्खाणं उकोसेणं एगूणवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 16 / पाणयदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगूणवीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं वीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 17 / श्रारणदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं वीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं एगवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 18 / अच्चुयदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगवीसाए पक्खाणं उकोसेणं बावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 11 / हिट्ठिमहिटिमगेविजगदेवाणं णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं बावीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं तेवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 20 / हिटिममझिमगेविजगदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं तेवीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं चउवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 21 / हिट्ठिम Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 7 ] [ 177 उपरिमगेविजगा णं देवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं चउवीसाए पक्वाणं उक्कोसेणं पणवीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 22 / मज्झिमहिटिमगेविजगा णं देवा णं भंते ! केवइकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं पणवीसाए पक्खाणं उकोसेणं छव्वीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 23 / मज्झिममज्झिमगेविजगा णं देवा णं भंते ! केवइकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं छब्बीसाए पक्खाणं उकोसेणं सत्तावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 24 / मझिमउवरिमगेविजगा णं देवा णं भंते ! केवइकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं सत्तावीसाए पक्खाणं उकोसेणं अट्ठावीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 25 / उवरिमहेट्ठिमगेविजगा णं देवा णं भंते! केवइकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठावीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं एगूणतीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 26 / उरिममज्झिमगेविजगा णं देवा णं भंते ! केवइकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगूणतीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 27 / उवरिमउवरिमगेविजगाणं देवा णं भंते ! केवइकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं तीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं एकतीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 28 / विजय-विजयंत-जयंत-अपराजितविमाणेसु णं देवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! जहन्नेणं एक्कतीसाए पक्खाणं उक्कोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 26 / सव्वट्टगसिद्धदेवा णं भंते ! केवतिकालस्स जाव नीससंति वा ?, गोयमा ! अजहन्नमणुकोसेणं तेत्तीसाए पक्खाणं जाव नीससंति वा 30 ॥सूत्रं 146 // इति पनवणाए भगवईए सत्तमं ऊसासपयं समत्तं // // इति सप्तमं पदम् // 7 // Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 178 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः // अथ श्री सज्ञाख्यं अष्टमं पदम् // कइ णं भंते ! सन्नायो पनत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नायो पन्नत्तायो, तंजहा-थाहारसन्ना भयसन्ना मेहुणसन्ना परिग्गहसन्ना कोहसन्ना माणसन्ना मायासन्ना लोहसन्ना लोयसन्ना श्रोघसन्ना 1 / नेरइयाणं भंते ! कति सन्नाश्रो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नाथो पन्नत्तायो, तंजहाथाहारसन्ना जाव अोघसन्ना 2 / असुरकुमाराणं भंते ! कइ सन्नायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नायो पन्नत्तायो, तंजहा-याहरसन्ना जाव थोघसन्ना 3 / एवं जाव थणियकुमाराणं, एवं पुढविकाइयाणं जाव वेमा. णियावसाणाणां नेतव्वं 4 // सूत्रं 147 // नेरइयागां भंते ! कि श्राहारसन्नोवउत्ता भयसन्नोवउत्ता मेहुणसन्नोवउत्ता परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! श्रोसन्नं कारणं पडुच्च भयसन्नोवउत्ता, संतइभावं पडुच्च अाहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि 1 / एएसि णं भंते ! नेरझ्याणं अाहारसन्नोवउत्ताणं भयसन्नोवउत्ताणं मेहुणसन्नोवउत्ताणं परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया मेहुणसन्नोवउत्ता अाहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखिजगुणा भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा 2 / तिरिक्खजोणियाणं भंते ! किं याहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! योसन्नं कारणं पडुच याहारसन्नोवउत्ता संतइभावं पडुच्च याहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोंवउत्तावि 3 / एएसि णं भंते ! तिरिवखजोणियाणं याहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया परिग्गहसन्नोवउत्ता मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा अाहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा- 4 / मणुस्सा णं भंते ! किं थाहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनीपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 6 ] [ 176 योसन्नं कारणं पडुच्च मेहुणसन्नोवउत्ता संततिभावं पडुच्च अाहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि 5 / एएसि णं भंते ! मणुस्साणं याहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणूसा भयसनोवउत्ता थाहारसन्नोवउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखिजगुणा मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा 6 / देवा णं भंते ! किं याहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसन्नोवउत्ता ?, गोयमा ! श्रोसन्नं कारणं पडुच्च परिग्गहसन्नोवउत्ता संततिभावं पडुच्च याहारसन्नोवउत्तावि जाव परिग्गहसन्नोवउत्तावि 7 / एएसि णं भंते ! देवाणं याहारसन्नोवउत्ताणं जाव परिग्गहसन्नोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा श्राहारसन्नोवउत्ता भयसन्नोवउत्ता संखिजगुणा मेहुणसन्नोवउत्ता संखिजगुणा परिग्गहसन्नोवउत्ता संखेजगुणा 8 // सूत्रं 148 / / इति पन्नवणाए भगवईए अट्टमं सन्नापदं समत्तं // ___ // इति अष्टमं पदम् // 8 // // अथ श्री योनिनामकं नवमं पदम् // कतिविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पन्नत्ता, तंजहा-सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी // सूत्रं 141 // नेरइयाणं भंते ! किं सिता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! सीतावि जोणी उसिणावि जोणी णो सीतोसिणा जोणी 1 / असुरकुमाराणं भंते ! किं सिता जोणी उसिणा जोणी सोतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! नो सीता जोणी नो उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी, एवं जाव थणियकुमाराणं 2 / पुढविकाइयाणं भंते ! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! सितावि Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 180 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागा जोणी उसिणावि जोणी सीतोसिणावि जोणी, एवं ग्राउवाउवणरसइ-बेइंदियतेइंदिय-चउरिंदियाणवि पत्तेयं भाणियव्वं 3 / तेउकाइयाणं णो सीता उसिणा णो सीउसिणा 4 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते! कि सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! सीयावि जोणी उसिणावि जोणी सीतोसिणावि जोणी 5 / समुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणवि एवं चेव 6 / गम्भवक्कंतिय-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कि सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! णो सीता जोणी नो उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी 7 / मणुस्साणं भंते ! किं सिता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! सीयावि जोणी उसिणावि जोणी सीतोसिणावि जोणी 8 / संमुच्छिममणुस्साणं भंते ! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! तिविहा जोणी 1 / गब्भवक्कंतियमणुस्साणं भंते ! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! णो सीता जोणी णो उसिणा जोणी सीतोसिणाजोणी 10 / वाणमंतरदेवाणं भंते ! किं सीता जोणी उसिणा जोणी सीतोसिणा जोणी ?, गोयमा ! णो सीता णो उसिणा, सीतोसिणा जोणी 11 / जोइसियवेमाणियाणवि एवं चेव 12 / एएसि णं भंते ! सीतजोणियाणं उसिणजोणियाणं सीतोसिणजोणियाणं अजोणियाण य कयरे२हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सब्बत्थोवा जीवा सीतोसिणजोणिया उसिणजोणिया असंखेजगुणा अजोणिया अणंतगुणा सीतजोणिया अणंतगुणा 13 // सूत्रं 150 // कतिविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोणी पन्नत्ता तंजहा-सचित्ता अचित्ता मीसिया 1 / नेरइयाणं भंते ! किं सचित्ता जोणी अचित्ता जोणी मीसिया जोणी ?, गोयमा ! नो सचित्ता जोणी अचित्ता जोणी नो मीसिया जोणी 2 / असुरकुमाराणं भंते ! किं सचित्ता जोणी अचित्ता Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं ] [ 181 जोणी मीसिया जोणी ?, गोयमा ! नो सचित्ता जोणी अचित्ता जोणी नो मीसिया जोणी, एवं जाव थणियकुमाराणं 3 / पुढवीकाइयाणं भंते ! कि सचित्ता जोणि श्रचित्ता जोणी मीसिया जोणी ?, गोयमा ! सचित्ता जोणी अचित्ता जोणी मीसियावि जोणी, एवं जाव चउरिदियाणं 4 / समुच्छिमपंचेंदिय-तिरिवखजोणियाणं संमुच्छिममणुस्साण य एवं चेव 5 / गम्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं गम्भवक्कतियमणुस्साण य नो सचित्ता नो अचित्ता मीसिया जोणी 6 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं 7 / एतेसि णं भंते ! जीवाणं सचित्तजोणीणं अचित्तजोणीणं मोसजोणीणं अजोणीण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मीसजोणिया अचित्तजोणिया असंखेजगुणा, अजोणिया अणंतगुणा, सचित्तजोणिया यणंतगुणा 7 // सूत्रं 151 // कइविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोणी पन्नत्ता, तंजहा-संवुडा जोणी वियडा जोणी संवुडवियडा जोणी 1 / नेरइयाणं भंते ! किं संवुडा जोणी वियडा जोणी संवुडवियडा जोणी ?, गोयमा ! संवुडजोणी, नो वियडजोणी नो संवुडवियडजोणी, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं 2 / बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! नो संवुडजोणी वियडजोणी नो संवुडवियडजोणी 3 / एवं जाव चरिदियाणं 4 / समुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं संमुच्छिममणुस्साण य एवं चेच 5 / गम्भवक्कंतिय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं गम्भवक्कंतियमणुस्साण य नो संवुडा जोणी नो वियडा जोणी संवुडवियडा जोणी 6 / वाणमंतर-जोइसियवेमाणियाणं जहा नेरइयाणं 7 / एतेसि णं भंते ! जीवाणं संवुडजोणियागां वियडजोणियाणां संवुडवियडजोणियाणां अजोणियाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा संवुडवियड-जोणिया वियडजोणिया असंखिज Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 182 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पप्ठो बिभागः गुणा अजोणिया अणंतगुणा संवुडजोणिया अणंतगुणा 8 // सूत्रं 152 // कइविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोणी पनत्ता, तंजहा-कुम्मुराणया संखावत्ता वंसीपत्ता 1 / कुम्मुराणया णं जोणी उत्तमपुरिसमाऊगां, कुम्मुराणयाए णं जोणीए उत्तमपुरिसा गब्भे वकमंति, तंजहाअरहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा 2 / संखावत्ता णं जोणी इत्थीरयणस्स, संखावत्ताए णं जोणीए बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमति विउक्कमति चयंति उवचयंति, नो चेव णं णिप्फज्जंति 3 / वंसीपत्ता णं जोणी पिहुजणस्स, . वसीपत्ताए णं जोणीए पिहुजमे गम्भे वकमंति 4 // सूत्रं 153 // पन्नवणाए नवमं जोणीपदं समत्तं // // इति नवमं पदम् // 9 // // अथ श्री चरमाख्यं दसमं पदम् // कति णं भंते ! पुढवीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ पुढवीयो पन्नत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा सकरप्पभा वालुयप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमप्पभा तमतमप्पभा ईसीपभारा 1 / इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी किं चरमा अचरमा चरमाई अवरमाई चरमंतपदेसा अचरमंतपदेसा ?, गायमा ! इमा णं रयणप्पभा पुढवी नो चरमा नो अचरमा नो चरमातिं नो अचरमाति नो चरमंतपदेसा नो अचरमंतपदेसा नियमा चरमं चरमाणि य चरमंतपदेसा य अचरमंतपदेसा य 2 / एवं जाव अधेसत्तमा पुढवी, सोहम्माती जाव अणुत्तरविमाणाणं, एवं चेव ईसीपभारावि, एवं चेव लोगेवि, एवं चेव अलोगेवि 3 // सूत्रं 154 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए अचरमस्स य चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्टपएसट्टयाए कयरे 2 हितो अप्पा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए दवट्ठ Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 10 ] [ 183 याए एगे अचरमे चरमाइं असंखिजगुणाई, अचरमं चरमाणि य दोवि विसेसाहिया, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए चरमंतपदेसा, अचरमंतपदेसा असंखेजगुणा, चरमंतपदेसा य अचरमंतपदेसा य दोवि विसेसाहिश्रा, दव्वट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए दवट्टयाए एगे अचरिमे, चरिमाइं असंखेजगुणाई, अचरिमं चरिमाणि य दोवि विसेसाहिया, चरमंतपएसा असंखेजगुणा, अचरमंतपएसा असंखिन्जगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया एवं जाव अहेसत्तमाए सोहम्मस्स जाव लोगस्स एवं चेव // सूत्रं 155 // अलोगस्स णं भंते ! अचरमस्स य चरमाण य चरमन्तपदेसाण य अचरन्तपदेसाण य दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे 2 हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे अलोगस्स दव्वट्टयाए एगे अचरमे चरमाइं असंखिजगुणाई अचरमं चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई, पऐसट्टयाए सव्वत्थोवा अलोगस्स चरमन्तपदेसा अचरमन्तपएसा अणन्तगुणा चरमन्तपदेसा य अचरमन्तपदेसा य दोवि विसेसाहिया, दव्वट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवे अलोगस्स दव्वट्टयाए एगे अचरमे चरमाइं असंखेजगुणाई अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई, चरमन्तपएसा असंखजगुणा, अचरमन्तपएसा अणन्तगुणा, चरमन्तपएसा य ग्रचरमन्तपएसा य दोवि विसेसाहिया 1 / लोगालोगस्स णं भंते ! अचरमस्स य चरमाण य चरमन्तपएसाण य अचरमन्तपएसाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्टपएसट्टयाए कयरे 2 हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे लोगालोगस्स दव्वट्टयाए एगमेगे अचरमे, लोगस्त चरमाइं असंखेन्जगुणाई, अलोगस्स चरमाइं विसेसाहियाई, लोगस्स (य) अलोगस्स य अचरमं य चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई, पएसट्टयाते सव्वत्थोवा लोगस्स चरमन्तपदेसा, अलो Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 184 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः गस्स चरमन्तपदेसा विसेसाहिया, लोगस्स अचरमन्तपएसा असंखेजगुणा, अलोगस्स अचरमन्तपएसा श्रणन्तगुणा, लोगस्स य अलोगस्स य चरमन्त पदेसा य अचरमन्तपदेसा य दोवि विसेसाहिया 2 / दवट्ठपएसट्टयाए सव्वस्थोवे लोगालोगस्स दबट्टयाए एगमेगे अचरमे, लोगस्स चरमाइं असंखे. जगुणाइ, अलोगस्स चरमाई विसेसाहियाई, लोगम्स य अलोगस्स य अचरमं चरमाणि य दोवि विसेसाहियाई, लोगस्त चरमन्तपदेसा असंखेजगुणा, अलोगस्स य चरमन्तपएसा विसेसाहिया, लोगस्स अचरमन्तपएसा असंखेजगुणा, अलोगस्स अचरमंतपएसा अणंतगुणा, लोगस्स य अलोगस्स य चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया, सव्वदव्वा विसेसाहिया, सव्वपएसा अणंतगुणा, सव्वपज्जवा अणंतगुणा 3 // सूत्रं 156 // परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरिमे 1 अचरिमे 2 अवत्तव्वए 3 ? चरमाई 4 अचरमाइं 5 अवत्तव्ययाई 6 ? उदाहु चरिमे य अचरिमे य 7? उदाहु चरमे य अचरमाई 8 ? उदाहु चरमाइं अचरमे य 1 ? उदाहु चरमाइं च अचरमाइं च 10 ? पढमा चउभंगी, उदाहु चरिमे य अवत्तव्वए य 11 ? उदाहु चरमे य अवत्तव्वयाइं च 12 ? उदाहु चरमाइं च अवत्तव्वए य 13 ? उदाहु चरमाइं च अवत्तव्ययाइं च 14 ? बीया चउभंगी, उदाहु अचरिमे य अवत्तव्बए य 15 ? उदाहु अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16 ? उदाहु अचरमाइं च अवत्तव्वए य 17 ? उदाहु अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 18 ? तझ्या चउभंगी उदाहु चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य 11 ? उदाहु चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 20 ? उदाहु चरमे च अचरमाइं च अवत्तव्वए य 21 ? उदाहु चरमे य अचरमाइं च अवतव्वयाइं च 22 ? उदाहु चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23 ? उदाहु चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 24 ? उदाहु चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वए य 25 ? उदाहु चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 26 ? एते छव्वीसं भंगा, Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 10 ] [ 185 गोयमा ! परमाणुपोग्गले नो चरमे नो अचरमे नियमा अवत्तव्वए, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा // सूत्रं 157 // . ___दुपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! दुपएसिए खंधे सिय चरमे नो अचरमे सिय श्रवत्तव्वए, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा. 1 / तिपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! तिपएसिए खंधे सिय चरमे, नो अचरमे, सिय अवत्तव्वए, नो चरमाइं, नो अचरमाई, नो अवत्तव्वयाई, नो चरमे य अचरमे य, नो चरमे य अचरमाई, सिय चरमाइं च अचरमे य, नो चरमाइं च अचरमाइं च, सिय चरमे य अवत्तव्वए य, सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा 2 / चउपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! चउपएसिए णं खंधे सिय चरमे 1 नो अचरमे 2 सिय अवत्तव्वए 3 नो चरमाइं 4 नो अचरमाइं 5 नो अवत्तब्वयाई 6 नो चरमे य अचरमे य 7 नो चरमे य अचरमाइं च 8 सिय चरमाई अचरिमे य 1 सिय चरमाइं च अचरमाइं च 10 सिय चरमे य अवत्तव्यए य 11 सिय चरमे य अवत्तव्वयाइं च 12 नो चरमाइं च अवत्तव्वए य 13 नो चरमाई च अवत्तव्वयाई च 14 नो अचरमे य अवत्तव्वए य 15 नो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16 नो अचरमाइं च अवत्तव्वए अ 17 नो अचरिमाइं च श्रवत्तव्वयाई च 18 नो चरमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य 11 नो चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्बयाई च 20 नो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वए य 21 नो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 22 सिय चरमाइं च अचरिमे य श्रवत्तव्वए य 23 / सेसा भंगा पडिसेहेयव्वा 3 / पंचपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! पंचपएसिए णं खंधे सिय चरमे 1 नो अचरमे 2 सिय अवत्तव्वए 3 णो चरमाइं 4 णो अचरमाइं 5 नो अवत्तव्वयाई 6 सिय चरमे य अचरमे य 7 नो चरमे य अवरमाइं च 8 सिय चरमाइं च अचरमे य 1 सिय घरमाइं च अचरमाइं च 10 सिय चरमे य अवत्तव्वए Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 186 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः य 11 सिय चरमे य अवतव्वयाई च 12 सिय चरमाइं च अवत्तव्यए य 13 नो चरमाइं च अवत्तव्बयाई च 14 नो अचरमे य अवत्तव्वए य 15 नो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16 नो अचरमाई च अवत्तव्वए य 17 नो अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 18 नो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य 11 नो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 20 नो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वए य 21 नो चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 22 सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23 सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वयाई च 24 सिय चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्यए य 25 नो चरमाई च अचरमाई च अवत्तव्वयाइं च 26, 4 / छप्पएसिए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! छप्पएसिए णं खंधे सिय चरमे 1 नो अचरमे 2 सिय अवत्तव्वए 3 नो चरमाई 4 नो अचरमाई 5 नो अवत्तव्वयाई 6 सिय चरमे य अचरमे य 7 सिय चरमे य अचरमाइं च 8 सिय चरमाइं च अचरमे य 1 सिय चरमाइंच अचरमाइं च 10 सिय चरमे य अवत्तव्वए अ 11 सिय चरमे य अवत्तअयाइं च 12 सिय चरमाइं च अवत्तव्यए य 13 सिय चरमाइं च अवत्तबयाई च 14 नो चरमे य अवत्तव्वए य 15 नो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16 नो अचरमाई च अवत्तव्वए य 17 नो अचरमाइं च अवत्तबयाई च 18 सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्यए य 11 नो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाईच 20 नो चरमे य अचरमाइंच अवत्तव्वए य 21 नो चरमे य अचरमाई च अवत्तवयाइं च 22 सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23 सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 24 सिय चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वए य 25 सिय चरमाई च अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 26, 5 / सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! सत्तपएसिए णं खंधे सिय चरिमे 1 णो अचरिमे 2 सिय अंवत्तव्वए 3 णो चरिमाइं 4 णो अचरिमाई 5 णो अवत्तव्वयाई 6 सिय चरमे य Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 10 ] [ 187 अचरमे च 7 सिय चरमे य अचरमाइं च 8 सिय चरमाइं च अचरमे य 1 सिय चरमाइं च अचरमाइं च 10 सिय चरमे य अवत्तव्वए य 11 सिय चरमे य अतत्तव्वयाइं च 12 सिय चरमाइं च अवत्तव्वए य 13 सिय चरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 14 णो अचरमे य अवत्तव्वए य 15 णो अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 16 - णो अचरमाइं च अवत्तव्वए य 17 णो अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 18 सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य 11 सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 20 सिय चरमे य अचरिमाइं च अवत्तव्बए अ 2.1 णो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च 22 सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य 23 सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वयाइं च 24 सिय चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वए य 25 सिय चरमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च 26, 6 / अट्ठपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा, गोयमा ! अट्ठपएसिए खंधे सिय चरमे 1 नो अचरमे 2 सिय अवत्तव्बए 3 नो चरमाइं 4 नो अचरमाई 5 नो अवत्तव्वयाई 6 सिय चरिमे य अचरिमे य 7 सिय चरिमे य अचरिमाइं च 8 सिय चरिमाइं च अचरिमे य 1 सिय चरमाइं च अचरमाइं च 10 सिय चरमे य अवत्तव्वए य 11 सिय चरमे य अवत्तव्वयाइं च 12 सिय चरिमाइं च अवत्तव्वए य 13 सिय चरिमाई च यवत्तव्वयाइं च 14 को अचरिमेय अवत्तव्वए य 15 णो अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च 16 णो अचरिमाइं च अवत्तव्वए य 17 णो अचरिमाई च अवत्तव्वयाइं च 18 सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य 11 सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च 20 सिय चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वए अ 21 सिय चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाई च 22 सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्यए अ 23 सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्ययाइं च 24 सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वए य 25 सिय चरिमाइं च अत्ररिमाइं च अवत्तव्वयाई च 26, 7 / संखेज Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 188] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागा पएसिए असंखेजपएसिए अणंतपएसिए खंधे पुच्छा, गोयमा ! जहेव अट्ठपएसिए तहेव पत्तेयं भाणियव्वं 8 / परमाणुम्मि य तइयो पढमो तइयो य होति दुपएसे / पढमो तइयो नवमो एकारसमो य तिपएसे // 1 // पढमो तइयो नवमो दसमो एकारसो य बारसमो। भंगा चउप्पएसे तेवीसइमो य बोद्धब्बो // 2 // पढमो तइत्रो सत्तम-नवदस-इकारवार-तेरसमो। तेवीसचउबीसो पणवीसइमो य पंचमए // 3 // बिचउत्थ-पंचमुटुं पनरस सोलं च सत्तरद्वारं / वीसेकवीस बावीसगं च वज्जेज छट्टमि // 4 // बिचउत्थ-पंचछटुं पराणर सोलं च सत्तरद्वारं / बावीसइमविहूणा सत्तपदेसंमि खंधम्मि // 5 // बिचउत्थ पंचछ8 परणर सोलं च सत्तरद्वारं / एते वजिय भंगा सेसा सेसेसु खंधेसु // सूत्र 158 // कइ णं भंते ! संगणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच संठाणा पन्नता, तंजहा-परिमंडले व? तसे चउरंसे आयते य 1 / परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखिजा नो असंखेजा अणंता, एवं जाव पायता 2 / परिमंडले णं भंते ! संगणे कि संखेजपएसिए असंखेजपदेसिए अणंतपदेसिए ?, गोयमा ! सिय, संखेजपएसिए सिय असंखेजपएसिए सिय अणंतपदेसिए एवं जाव अायते 3 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे संखेजपएसिए कि संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ?, गोयमा ! संखेजपएसोगाढे नो असंखेज. पएसोगाढे नो अणंतपएसोगाढे, एवं जाव श्रायते 4 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे असंखेजपएसिए कि संखेजपएसोगाढे असंखेज्जपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ?, गोयमा ! सिय संखेजपएसोगाढे सिय असंखेजपएसोगाढे नो अणंतपएसोगाढे, एवं जाव आयते 5 / परिमंडले णं भंते ! संगणे अणंतपएसिए कि संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ?, गोयमा / सिय संखेजपएसोगाढे सिय असंखेजपएसोगाढे नो अणंतपए Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदै 10 ] [ 186 सोगाढे, एवं जाव आयते 6 / परिमंडले णं भंते! संगणे संखेजपएसिए संखेजपएसोगाढे किं चरमे अचरमे चरमाइं अचरमाइं चरमंतपएसा अचरमंतपएसा ?, गोयमा ! परिमंडले णं संठाणे संखेजपएसिए संखेजपएसोगाढे नो चरमे नो अचरमे नो चरमाई नो अचरमाइं नो चरमंतपएसा नो अचरमंतपएसा, नियमं अचरमं चरमाणि य चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य, एवं जाव श्रायते 7 / परिमंडले णं भंते ! संगणे असंखेजपएसिए संखेजपएसोगाढे किं चरमे पुच्छा, गोयमा! असंखेजपएसिए संखेजपएसोगाढे जहा संखेजपएसिए, एवं जाव अायते 8 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे असंखेजपएसिए असंखेजपएसोगाढे किं चरमे पुच्छा, गोयमा ! असंखिजपएसिए असंखिजपएसोगाढे नो चरमे जहा संखेजपदेसोगादे, एवं जाव आयते 1 / परिमंडले णं भंते ! संगणे अणंतपएसिए संखिजपएसोगाढे किं चरमे पुच्छा, गोयमा ! तहेव जाव अायते, अणंतपएसिए असंखेजपएसोगाढे जहा संखेजपएसोगाढे, एवं जाव आयते 10 / परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स संखेजपएसियस्त संखेजपएसोगाढस्स अचरिमस्स य चरिमाण य चरमंतपदेसाण य अचरमंतपएसाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दबट्टपएसट्टयाए कयरेश्हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दबट्टयाए एगे अचरिमे चरिमाइं संखेजगुणाई अचरमं चरमाणि य दोऽवि विसेसाहियातिं पदेसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडलस्स संठाणस्स संखिजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा अचरमंतपएसा संखेजगुणा चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोऽवि विसेसाहिया दबटुपएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दबट्टयाए एगे अचरिमे चरिमाइं संखेजगुणाति अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाति चरमंतपएसा संखेजगुणा अचरिमंतपएसा संखेजगुणा चरिमंतपएसा Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 190 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया एवं वट्टतंस-चउरंसायएसुवि जोएयव्वं 11 / परिमंडलस्स णं भंते ! संगणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स य चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दवट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए कयरे 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संगणस्स असंखेजपएसिअस्स संखेजपएसोगाढस्स दव्वट्टयाए एगे यचरमे चरमाति संखेजगुणाति, अवरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाति पदेसट्टयाते सबथोवा परिमंडलसंगणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा अचरमंतपएसा संखिजगुणा चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दव्वट्टयाए एगे अचरिमे चरमाति संखे. जगुणाति अचरमं च चरमाणि य दोवि विसेसाहियाति चरमंतपएसा संखेजगुणा अचरमंतपएसा संखेजगुणा चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोवि विसेसाहिया, एवं जाव आयते 12 / परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स असंखेजपएसियस्स असंखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दबट्टपएसट्टयाए कयरे२हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! जहा रयणप्पभाए अप्पाबहुयं तहेव निखसेसं भाणियव्वं, एवं जाव आयते 13 / परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स अचरिमस्स य 4 दवट्टयाए 3 कयरे 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! जहा संखेजपएसिअस्स संखेजपएसोगाढस्स, नवरं संकमेणं अणंतगुणा, एवं जाव अायए 14 / परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स असंखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स य 4 जहा रयणप्पभाए, नवरं संको Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-स्त्रम् - पदं 10 ] [ 191 अणंतगुणा, एवं जाव श्रायते 15 // सूत्रं 151 // जीवे णं भंते ! गतिचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे 1 / नेरइए णं भंते ! गतिचरमेणं किं चरिमे अचरिमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 2 / नेरझ्या णं भंते ! गतिचरमेणं किं चरिमा अचरिमा ?, गोयमा ! चरिमावि अचरिमाबि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 3 / नेरइए णं भंते ! ठितीचरमेणं किं चरमे अचरम ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अनरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 4 / नेरझ्या णं भंते ! ठितीचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 5 / नेरइया णं भंते ! भवचरमेणं किं चरमे अचरमे ? गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 6 / नेरइया णं भंते ! भवचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 7 / नेरइए णं भंते ! भासाचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतर जाव वेमाणिए 8 / नेरइया णं भंते ! भासाचरमेणं किं चरमा . अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं जाव एगिदियवजा, निरंतरं जाव वेमाणिया 1 / नेरइए णं भंते ! प्राणापाणुचरमेणं किं चरमे अचरमे?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 10 / नेरइया णं भंते ! प्राणापाणुचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 11 / नेरइए णं भंते ! आहारचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 12 / नेरझ्या णं भंते ! श्राहारचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 13 / नेरइए णं भंते ! भावचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 14 / नेरइया णं Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 162 ] ! श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः भंते ! भाववरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 15 / नेरइए णं भंते ! वराणचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 16 / नेरझ्या गां भंते ! वगणचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरिमावि अचरिमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 17 / नेरइए णं भंते ! गंधचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 18 / नेरइया णं भंते ! गंधचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 11 / नेरइए णं भंते ! रसचरमेणं. किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अचरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाणिए 20 / नेरइया णं भंते ! रसचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि, एवं निरंतरं जाव वेमाणिया 21 / नेरइए णं भंते ! फासचरमेणं किं चरमे अचरमे ?, गोयमा ! सिय चरमे सिय अवरमे, एवं निरंतरं जाव वेमाहिए 22 / नेरझ्या णं भंते.! फासचरमेणं किं चरमा अचरमा ?, गोयमा ! चरमावि अचरमावि एवं जाव वेमाणिया 23 / संगहणिगाहा–“गतिठिइभवे य भासा प्राणापाणुचरमे य बोद्धव्वा / थाहारभावचरमे वरणरसे गंधफासे य // 1 // // सूत्रम् 160 // दसमं चरमपदं समत्तं // // इति दशमं पदम् // 10 // // अथ भाषाख्यमेकादशमं पदम् // से गुणं भंते ! मगणामीति श्रोहारिणी भासा ? बितेमीति श्रोहारिणी भासा ? ग्रह मराणामीती अोधारिणी भासा ? ग्रह चिंतेमीति श्रोधारिणी भासा ? तह मराणामीति ग्रोधारिणी भासा ? तह चिंतेमीति Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 11 ] [ 193 श्रोहारिणी भासा ?, हंता गोयमा ! मराणामीति बोधारिणी भासा चितमीति श्रोधारिणी भासा ग्रह मराणामीति श्रोधारिणी भासा यह चिंतेमीति बोधारिणी तह मगणामीति श्रोधारिणी तह चिंतेमीति श्रोधारिणी 1 / श्रोहारिणी णं भंते ! भासा किं सच्चा मोसा सच्चामोसा असच्चामोसा ?, गोयमा ! सिय सच्चा सिय मोसा सिय सच्चामोसा सिय असच्चामोसा 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति-श्रोधारिणी णं भासा सिय सच्चा सिय मोसा सिय सच्चामोसा सिय असच्चामोसा ?, गोयमा ! श्राराहणी सच्चा, विराहणी मोसा, बाराहणविराहणी सच्चामोसा, जाणेव बाराहणी णेव विराहणी णेवाराहणविराहणी असञ्चामोसा णामं सा उत्थी भासा, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुञ्चति-योहारिणी णं भासा सिय सच्चा सिय मोसा सिय सच्चामोसा सिय असचामोसा 3 // सूत्रं 161 // श्रह भंते ! गायो मिया पसू पक्खी पराणवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! जा य गायो मिया पसू पक्खी पराणवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा 1 / यह भंते ! जा य इत्थीवऊ जा य पुरिसवऊ जा य णपुसगवऊ पराणवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा! जाय इत्थीवऊ जा य पुमवऊ जा य नपुंसगवऊ पराणवणी णं एसा भासा न एसा भासा मोसा 2 / ग्रह भंते ! जा य इत्थियाणमणी जा य पुमयाणमणी जा य नपुंसगयाणमणी पराणवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! जा य इत्थियाणमणी जा य पुमाणमणी जा य नपुंसगयाणमणी पराणवणी णं एसा भासा न एसा भासा मोसा 3 / अहं भंते ! जा य इत्थिपराणवणी जा य पुमेपरणवणी जा य नपुंसगपराणवणी पराणवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! जा य इत्थिपराणवणी जा य पुमपराणवणी जा य नपुंसगपराणवणी, पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा 4 / ग्रह भंते ! जा जायीति इथिवऊ Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः जातीइ पुमवऊ जातीति णपुंसगवऊ पराणवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! जातीति इत्थिवऊ जाईति पुमवऊ जातीति णपुंसगवऊ पराणवणी णं एसा भासा न एसा भासा मोसा 5 / ग्रह भंते ! जा जातीइ इत्थियाणमणी जाइत्ति पुमयाणवणी जातीति णपुसगाणमणी पराणवणी णं एसा भासा ? न एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! जातीति इत्थित्राणमणी जातीति पुमबाणवणी जातीति णापुंसगाणमणी पराणवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा 6 / अह भंते ! जातीति इस्थिपराणवणी जातीति पुमपराणवणी जातीति णपुंसगपराणवणी पराणवणी णं एसा भासा ? न एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! जातीति इत्थिपराणवणी जाईति पुमपराणवणी जाईति णपुंसगपराणवणी पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा 7 // सूत्रं 162 // अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति बुयमाणा अहमेसे बुयामीति ?, गोयमा ! नो इणढे समढे, णरणत्थ सरिणणो 1 / अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणइ थाहारं पाहारेमाणे अहमेसे थाहारमाहारेमित्ति ?, गोयमा ! नो इणढे सम8, णरणत्थ सरिणणो 2 / अह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे अम्मापियरो?, गोयमा ! णो इण? सम?, णराणस्थ सरिणणो 3 / ग्रह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे अतिराउलो अयं मे अइराउलेत्ति ?, गोयमा ! णो तिण? सम8, णरणत्थ सरिणणो 4 / ग्रह भंते ! मंदकुमारए वा मंदकुमारिया वा जाणति अयं मे भट्टिदारए अयं मे भट्टिदारियत्ति ?, गोयमा ! णो इण? सम?, णरणत्थ सरिणणो 5 / ग्रह भंते ! उट्टे गोणे खरे घोडए अए एलते जाणति बुयमाणे ग्रहमेसे बुयामि ?, गोयमा ! णो इण? सम8, णरणत्थ सरिणणो 6 / ग्रह भंते ! उट्टे जाव एलते जाणति अाहारं श्राहारेमाणो अहमेसे थाहारेमि२ त्ति ?, गोयमा ! णो इण8 सम? जाव णराणस्थ सरिंणणो७। Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीम-प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 11 ] [ 165 ग्रह भंते ! उट्ट गोणे खरे घोडए ए एलए जाणति, अयं मे अम्मापियरो२ ति ?, गोयमा ! णो इण8 समढे जाव णरणत्थ सरिणणो 8 / ग्रह भंते ! उट्टे जाव एलए जाणति, अयं मे अतिराउले 2 ति ?, गोयमा ! णो इणढे सम? जाव णरणत्थ सरािणणो 1 / ग्रह भंते ! उट्टे जाव एलए जाणति अयं मे भट्टिदारए 2 त्ति ?, गोयमा ! णो इण? समढे जाव णरणत्थ सरािणणो 10 // सूत्रं 163 // अह भंते ! मणुस्से महिसे अासे हत्थी सीहे वग्घे विगे दीविए अच्छे तरच्छे परस्सरे सियाले विराले सुणए कोलसुणए कोक्कतिए ससए चित्तए चिल्ललए जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा एगवऊ ?, हंता गोयमा ! मणुस्से जाव चिललए जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा एगवऊ 1 / अह भंते ! मणुस्सा जाव चिल्ललगा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा बहुवऊ ?, हंता गोयमा ! मणुस्सा जाव चिल्ललगा सव्वा सा बहुवऊ 2 / अह भंते ! मणुस्सी महिसी वलवा हत्थिणिया सीही वग्घी विगी दीविया अच्छी तरच्छी परस्सरा रासभी सियाली बिराली सुणिया कोलसुणिया कोक्कंतिया ससिया चित्तिया चिल्ललिया जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा इथिवऊ ?, हंता गोयमा ! मणुस्सी जाव चिल्ललिगा जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा इत्थिवऊ 3 / अह भंते ! मणुस्से जाव चिल्ललये जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा पुमवऊ ?, हंता गोयमा ! मणुस्से महिसे जाव चिल्ललए जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा पुमवऊ 4 / ग्रह भंते ! कंसं कंसोयं परिमंडल सेलं थूभं जालं थालं तारं रूवं अच्छिपव्वं कुडं परमं दुद्धं दहिं णवणीतं श्रासणं सयणं भवणं विमाणं छत्तं चामरं भिंगारं अंगणं णिरंगणं श्राभरणं रयणं जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वं तं णपुसगवऊ ?, हंता गोयमा ! कसं जाव रयणं जे यावन्ने तहप्पगारा तं सव्वं णपुंसगवऊ 5 / श्रह भंते ! पुढवी इथिवऊ पाउत्ति पुमवऊ धरिणत्ति नपुंसगवऊ पन्नवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा ?, Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 166 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः हंता गोयमा ! पुढवित्ति इथिवऊ पाउत्ति पुमवऊ परिणत्ति नपुंसगवऊ पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा 6 / यह भते ! पुढवीत्ति इथियाणमणी पाउत्ति पुमाणमणी धरणेत्ति नपुंसगाणमणी पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! पुढवित्ति इत्थियाणमणी पाउत्ति पुमाणमणी धरणेत्ति नपुंसगाणमणी पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा 7 / अह भंते ! पुढवीति इत्थिपराणवणी पाउत्ति पुमपराणवणी धरणेत्ति णपुंसगपराणवणी बाराहणी णं एसा (पं०. 4000) भासा ? ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! पुढवीति इत्थिपराणवणी श्राउत्ति पुमपराणवणी धरणेत्ति नपुसगपराणवणी बाराहणी णं एसा भासा, न एसा भासा मोसा 8 / इच्चेवं भंते ! इथिवयणं वा पुमवयणं वा नपुं. सगवयणं वा वयमाणे पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! इस्थिवयणं वा पुमवयणं वा णपुंसगवयणं वा वयमाणे पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा 1 // सूत्रं 164 // भासा णं भंते ! किमादीया किंपहवा किंसंठिया किं पजवसिया ?, गोयमा ! भासा णं जीवादीया सरीरप्पभवा वजसंठिया लोगंतपजवसिया पराणत्ता.-'भासा कयो य पभवति ?, कतिहिं च समएहि भासती भासं ? / भासा कतिप्पगारा ? कति वा भासा अणुमया उ?॥ 1 // सरीरप्पभवा भासा दोहि य समएहिं भासती भासं / भासा चउप्पगारा दोगिण य भासा अणुमता उ // 2 // 1 / कतिविहा णं भंते ! भासा पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा भासा पनत्ता, तंजहा-पजत्तिया य अपजत्तिया य 2 / पजत्तिया णं भंते ! भासा कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सच्चा य मोसा य 3 / सच्चा णं भंते ! भासा पजत्तिया कतिविहा पन्नत्ता ? गोयमा ! दसविहा, पन्नत्ता, तंजहा-जणवयसच्चा 1 सम्मयसच्चा 2 ठवणसच्चा.३ नामसचा 4 रूवसचा 5 पडुच्चसच्चा 6 ववहारसचा 7 भावसचा 8 जोगसच्चा Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 11 ] [ 197 1 ग्रोवम्मसच्चा १०-जणवय 1 संमत 2 ठवणा 3 नामे 4 रूवे 5 पडुच्चसच्चे 6 य / ववहार 7 भाव 8 जोगे 1 दसमे श्रोवम्मसच्चे य 10 // 1 // 4 / मोसा णं भंते ! भासा पन्जत्तिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दसविहा पन्नत्ता, तंजहा-कोहणिस्सिया 1 माणनिस्सिया 2 मायानिस्सिया 3 लोहनिस्सिया 4 पेजणिस्सिया 5 दोसनिस्सिया 6 हासणिस्सिया 7 भयणिस्सिया 8 अक्खाइयाणिस्सिया 1 उवघाइयणिस्सिया १०-कोहे माणे माया लोभे पिज्जे तहेव दोसे य / हास भए अक्खाइय उवघाइयणिस्सिया दसमा // 1 // 5 / अपज्जत्तिया णं भंते ! भासा कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सच्चामोसा य असच्चामोसा य 6 / सच्चामोसा णं भंते ! भासा अपज्जत्तिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दसविहा पन्नत्ता तंजहा-उप्पराणमिस्सिया 1 विगतमिस्सिया 2 उप्पराणविगतमिस्सिया 3 जीवमिस्सिया 4 अजीवमिस्सिया 5 जीवाजीवमिस्सिया 6 अणंतमिस्सिया 7 परित्तमिस्सिया 8 श्रद्धामिस्सिया 1 श्रद्धद्धामिस्सिया 10, 7 / असच्चामोसा णं भंते ! भासा अपजत्तिया कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुवालसविहा पन्नत्ता, तंजहा-श्रामंतणि 1 अाणमणी 2 जायणि 3 तह पुच्छणी यं 4 पराणवणी 5 / पञ्चक्खाणी भासा 6 भासा इच्छाणुलोमा, 7 य // 1 // श्रणभिग्गहिया भासा 8 भासा य अभिग्गहमि बोद्धव्वा 1 संसयकरणी भासा 10 वोगड 11 अब्बोगडा चेव 12 // 2 // 8 // // सूत्रं 165 // जीवा णं भंते ! किं भासगा अभासगा ?, गोयमा ! जीवा भासगावि अभासगावि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति-जीवा भासगावि प्रभासगावि ?, गोयमा ! जीवा दुविहा पत्नत्ता, तंजहा-संसारसमावराणगा य असंसारसमावराणगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावराणगा ते णं सिद्धा सिद्धा णं अभासगा, तत्थ णं जे ते संसारसमावराणगा ते णं दुविहा Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 198 } [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः पन्नत्ता, तंजहा-सेलेसीपडिवराणगा य असेलेसीपडिवराणगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवराणगा ते णं अभासगा, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवरणगा ते दुविहा पनत्ता, तंजहा-एगिदिया य अणेगिंदिया य, तत्थ णं जे ते एगिदिया ते णं प्रभासगा, तत्थ णं जे ते अणेगेंदिया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं अभासगा, तत्थ णं जे ते पजत्तगा ते णं भासगा, से एएण?णं गोयमा ! एवं बुञ्चति-जीवा भासगावि अभासगावि 2 / नेरइया णं भंते ! किं भासगा अभासगा ?, गोयमा ! नेरइया भासगावि श्रभासगावि 3 / से केणटेणं भंते ! एवं वुचति-नेरइया भासगावि अभासगावि ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा, पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य, तत्थ णं जे ते अपजतगा ते गां यभासगा, तत्थ णं जे ते पजत्तगा ते णं भासगा, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुचति-नेरइया भासगावि अभासगावि 4 / एवं एगिदियवजाणं तिरंतरं भाणियव्वं 5 // सूत्रं 166 // कति णं भंते ! भासजाया पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि भासज्जाया पन्नत्ता, तंजहा-सच्चमेगं भासज्जायं वितियं मोसं ततियं सच्चामोसं चउत्थं असच्चामोसं 1 / जीवा णं भंते ! किं सच्चं भासं भासंति ? मोसं भासं भासंति ? सच्चामोसं भासं भासंति ? असच्चामोसं भासं भासंति ?, गोयमा ! जीवा सव्वंपि भासं भासंति मोसंपि भासं भासंति सच्चामोसंपि भासं भासंति असच्चामोसंपि भासं भासंति 2 / नेरइया णं भंते ! किं सच्चं भासं भासंति जाव असच्चामोसं भासं भासंति ?, गोयमा ! नेरइया णं सच्चपि भासं भासंति जाव असच्चामोसंपि भासं भासंति 3 / एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा, बेइंदियतेइंदियचउरिंदिया य नो सच्चं नो मोसं नो सच्चामोसं भासं भासंति असच्चामोसं भासं भासंति 4 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! किं सच्चं भासं भासंति जाव- किं असच्चामोसं भासं भासंति ?, गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया णो सच्चं Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 11 ) [ 166 भासं भासंति णो मोसं भासं भासंति णो सच्चामोसं भासं भासंति एगं असच्चामोसं भासं भासंति णगणत्थ सिक्खापुब्वगं उत्तरगुणलद्धिं वा पडुच्च सच्चपि भासं भासंति मोसंपि भासं भासंति सच्चामोसंपि भासं भासंति असच्चामोसंपि भासं भासंति 5 / मणुस्सा जाव वेमाणिया, एते जहा जीवा तहा भाणियव्वा 6 // सूत्रं 167 // जीवे णं भंते ! जातिं दव्वाति भासताए गिराहति ताई किं ठियाइं गेराहति अठियाइं गेराहति ?, गोयमा ! ठियाइं गिराहति नो अठियाइं गिराहति 1 / जाई भंते ! ठियाइं गिराहति ताई किं दव्वंतो गिराहति खेत्ततो गिराहति कालतो गिराहति भावतो गिराहति ?, गोयमा ! दव्वयोवि गिराहति खेत्तयोवि गेराहति कालोवि गेराहति भावग्रोवि गिराहति 2 / जाति भंते ! दव्वयो गेराहति ताई किं एगपदेसिताइं गिराहति दुपदेसियाई गेहति जाव अणंतपदेसियाई गेराहति ?, गोयमा ! नो एगपदेसियाई गेराहति जाव नो असंखिज्जपदेसियाई, गिराहइ अणंतपदेसियाई गेराहति 3 / जाइं खेत्तयो गेराहति ताई कि एगपएसोगाढाई गेराहति दुपएसोगाढाइं गेराहति जाव असंखेजपएसोगाढाई गेराहति ?, गोयमा ! नो एगपएसोगाढाइं गेराहति जाव नो संखेजपएसोगाढाई गेराहति असंखेजपएसोगाढाइं गेराहति 4 / जाइं कालतो गेहति ताई किं एगसमयझ्यिाई गेराहति दुसमयठिड्याइं गिराहति जाव असंखिजसमयठिइहाइं गेराहति ?, गोयमा ! एगसमयठितीयाइंपि गेराहति दुसमयठितीयाइंपि गेराहति जाव असंखेजसमयठितीयाइंपि गेराहति 5 / जाइं भावतो गेराहति ताई किं वरणमंताई गेराहति गंधमंताई गेराहति रसमंताई गेराहति फासमंताई गेराहति ?, गोयमा ! वरणमंताईपि गेराहति जाव फासमंताईपि गेराहति 6 / जाइं भावयो वरणमंताइपि गेराहति ताई किं एगवराणाई गेराहति जाव पंचवरणाई गेराहति ?, गोयमा ! गहणदव्वाइं पडुच्च एगवरणाइंपि गेराहति जाव पंचवरणाइंपि गेराहति, सव्वगहणं पडुच्च णियमा पंचवरणाई Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 200 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः गेराहति, तंजहा-कालाई नीलाई लोहियाई हालिदाई सुकिलाई 7 / जाई वराणतो कालाइं गेराहति ताई किं एगगुणकालाई गेराहति जाव अणंतगुणकालाई गिराहति ?, गोयमा ! एगगुणकालाइंपि गिराहति जाव अणंतगुणकालाईपि गेराहति, एवं जाव सुकिल्लाइंपि 8 / जाइं भावतो गंधमंताइं गिराहति ताई कि एगगंधाइं गिराहति दुगंधाई गिराहति ?, गोयमा ! गहणदव्वाई पडुच्च एगगंधाइंपि दुगंधाइंपि गिराहति, सव्वग्गहणं पडुच्च नियमा दुगंधाई गिराहति 1 / जाइं गंधतो सुब्भिगंधाइं गिराहति ताई कि एगगुणसुब्भिगंधाई गिराहति जाव अणंतगुणसुभिगंधाइंपि गिराहति ?, गोयमा ! एगगुणसुब्भिगंधाइपि जाव अणंतगुणसुभिगंधाइपि गेराहइ, एवं दुब्भिगंधाइंपि गेराहइ 10 / जाइं भावतो रसमंताई गेराहति ताई किं एगरसाइं गेहति ? जाव किं पंचरसाइं गेराहति ?, गोयमा ! गहणदव्वाइं पडुच्च एगरसाइंपि गेगहति जाव पंचरसाइंपि गेगहति सव्वग्गहणं पडुच्च नियमा पंचरसाई गेराहति 11 / जाई रसयो तित्तरसाइं गेहति ताई कि एमगुणतित्तरसाई गिराहति जाव अणंतगुणतित्तरसाइं गिराहति ?, गोयमा ! एगगुणतित्ताइंपि गिराहइ जाव अणंतगुणतित्ताइपि गिराहति, एवं जाव मधुररसो 12 / जाई भावतो फासमंताई गेराहति ताई कि एगफासाई गेराहइ जाव अट्ठफासाई गिरहति ?, गोयमा ! गहणदव्वाइं पडुच्च णो एगफासाइं गेराहति, दुफासाई गिराहइ जाव चउफासाइं गेराहति, णो पंचफासाइं गेराहति, जाव नो अट्ठफासाइं गेराहति, सव्वगहणं पडुच्च नियमा चउफासाइं गेराहति, तंजहासीतकासाई गेराहति ऊसिणफासाइं गेहति निद्धफासाई गेराहति लुक्खफासाइं गेराहति 13 / जाइं फासतो सीताई गिराहति ताई कि एगगुणसीताई गेराहति जाव अणंतगुणसीताई गेराहति ?, गोयमा ! एगगुणसीताइंपि गेराहति जाव अणंतगुणसीताइपि गेराहति, एवं उसिणणिद्धलुक्खाई जार अणंतगुणाइंपि गिराहति 14 / जाइं भंते ! जाव अणंतगुणलुक्खाई Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 11 ] [ 201 गेगहति ताई किं पुट्ठाई गेराहति अपुढाई गेराहति ?, गोयमा ! पुढाई गेराहति नो अपुट्ठाइं गेराहति 15 / जाइं भंते ! पुट्ठाई गेराहति ताई किं योगाढाई गेराहति अणोगाढाइं गेराहति ?, गोयमा ! श्रोगाढाइं गेराहति नो श्रणोगाढाई गेराहति 16 / जाइं भंते ! भोगाढाई गेराहति ताई कि अणंतरोगाढाई गेराहति परंपरोगाढाइं गेहति ?, गोयमा ! अणंतरोगाढाई गिराहति नो परंपरोगाढाई गेराहति 17 / जाई भंते ! अणंतरोगाढाई गेराहति ताई किं श्राइं गेराहति बायराइं गेराहति ?, गोयमा ! अणूइंपि गेराहति बायराइंपि गेराहति 18 / जाइं भंते ! अणुइं गेराहति बायराइंपि गेराहति ताई कि उ8 गेराहति अधे गेहति ?, तिरियं गेराहति ?, गोयमा! उड्डपि गेराहति अधेवि गेराहति तिरियपि गेगहति 11 / जाइं भंते ! उड्ढति गेराहति अधेवि गेराहति तिरियपि गेराहति ताई कि आदि गेराहति मज्झे गेहति पन्जवसाणे गेहति ?, गोयमा ! अादिपि गेगहति मज्झवि गेराहति पज्जवसाणेवि गेहति 20 / जाइं भंते ! श्रादिपि गिराहति मज्झवि गेराहति पज्जवसाणेवि गिराहति ताई कि सविसए गिराहति अविसए गिराहति ?, गोयमा ! सविसए गेहति नो अविसए गेगहति 21 / जाई. भंते ! सविसए गेराहति ताई किं पाणुपुबि गेराहति अणाणुपुब्बिं गेराहति ?, गोयमा ! प्राणुपुब्बिं गेराहति, नो अणाणुपुब्बि गेराहति 22 / जाई भंते ! आणुपुब्बिं गेहति ताई किं तिदिसि गेराहति जाव छदिसिं गेहति ?, गोयमा ! नियमा छदिसि गेमहति 23 / “पुट्ठोगाढअणंतर अणू य तह बायरे य उडमहे / श्रादिविसयाणुपुवि णियमा तह छदिसिं चेव // 1 // " // सूत्रं 168 // जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं भासत्ताए गेराहति ताई किं संतरं गेराहति निरंतरं गेराहति ?, गोयमा ! संतरंपि गेराहति, निरंतरंपि गेराहति, संतरं गिराहमाणे जहराणेणं एगं समयं उको. सेणं असंखेजसमए अंतरं कटु गेराहति, निरंतरं गेराहमाणे जहराणेणं Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 202] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः दो समए उक्कोसेणं असंखेजसमए अणुसमयं अविरहियं निरंतरं गेराहत्ति 1 / जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं भासत्ताए गहियाई णिसिरइ ताई किं संतरं निसरइ निरंतरं निसरइ ?, गोयमा ! संतरं निसरइ नो निरंतरं निसरइ, संतरं निस्सरमाणे एगेणं समएणं गेराहति एगेणं समएणं निसरइ, एतेणं गहणनिसरणोवाएणं जहन्नेणं दुसमइयं उक्कोसेणं असंखेजसमइयं अंतोमुहुत्तिगं गहणनिसरणोवायं (निसिरणं) करेति 2 / जीवे णं भंते ! जाई दवाइं भासत्ताए गहियाई णिसिरति ताई कि भिराणाई णिसरति अभिराणाई णिसरति ?, गोयमा ! भिन्नाईपि निस्सिरइ अभिन्नाइपि निस्सिरइ, जाई भिन्नाई णिसिरति ताई अणंतगुणपरिवुड्डीएणं परिवड्डमाणाइं 2 लोयतं फुसन्ति, जाई अभिराणाई निसरइ ताई असंखेजायो योगाहणवग्गणायो गंता भेदमावज्जति संखेजाति जोगणातिं गंता विद्धंसमागच्छति 3 // सूत्रं 161 // तेसि णं भंते ! दवाणं कतिविहे भेए पराणते ?, गोयमा ! पञ्चविधे भेदे पन्नत्ते, तंजहा-खंडाभेदे पयरभेदे चुगिणयाभेदे अणुतडियाभेदे उकरियाभेदे, से किं तं खंडाभेदे ?, 2 जराणं अयखंडाण वा तउखंडाण वा तंबखंडाण वा सीसगखंडाण वा रययखंडाण वा जातरूवखंडाण वा खंडएण भेदे भवति से तं खंडाभेदे 1 / से किं तं पयराभेदे ?, 2 जगणं वंसाण वा वेत्ताण वा नलाण वा कदलीयंभाण वा अब्भपडलाण वा पयरेणं भेदे भवति, से तं पयराभेदे 2 / से किं तं चुरिणयाभेदे ?, 2 जगणं तिलचुराणाण वा मुग्गचुराणाण वा मासचुराणाण वा पिप्पलीचुराणाण वा मिरीयचुराणाण वा सिंगबेरचुराणाण वा चुरिणयाए भेदे भवति से तं चुरिणयाभेदे 3 / से किं तं अणुतडियाभेदे ?, 2 जगणं यगडाण वा तडागाण वा दहाण वा नदीण वा बावीण वा पुक्खरिणीण वा दीहियाण वा गुंजालियाण वा सराण वा (सरसराण वा) सरपंतियाण वा सरसरपंतियाण वा अणुतडियाभेदे भवति, से तं अणुतडियाभेदे 4 / Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 11 j [ 203 से किं तं उकरियाभेदे ?, 2 जगणं मूसाण वा मंडूसाण वा तिलसिंगाण वा मुग्गसिंगाण वा माससिंगाण वा एरंडबीयाण वा फूडिता उक्करियाभेदे भवति, से तं उकरियाभेदे 5 / एएसि णं भंते ! दव्वाणं खंडाभेएणं पयराभेदेणं चुरिणयाभेदेणं अणुतडियाभेदेणं उकरियाभेदेण य भिजमाणाणं कयरे२हितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवाइं दवाई उक्करियाभेदेणं भिजमाणाइं अणुतडियाभेएणं भिजमाणाई अणंतगुणाई चुरिणयाभेदेणं भिन्जमाणाई अणंतगुणाई पयराभेदेणं भिजमाणाई अणंतगुणाई खंडाभेदेणं भिन्जमाणाई अणंतगुणाई।सूत्रं 170 // नेरइए णं भंते ! जाई दवाई भासत्ताए गेराहति ताई किं ठियाइं गेराहति अठियाई गेराहति ?, गोयमा ! एवं चेव जहा जीवे वत्तव्यया भणिया तहा नेरइयस्सवि जाव अप्पाबहुयं 1 / एवं एगिदियवज्जो दंडतो जाव वेमाणिता 2 / जीवा णं भंते ! जाई दवाइं भासत्ताए गेगहंति ताई किं ठियाई गेराहति अठियाई गेरहंति ?, गोयमा ! एवं चेव पुहुत्तेणवि तव्वं, जाव वेमाणिया 2, 3 / जीवे णं भंते ! जाइं दव्वाइं सच्चभासत्ताए गेहति ताई किं ठियाई गेगहति अठियाई गेराहति ?, गोयमा ! जहा श्रोहियदंडयो तहा एसोवि, णवरं विगलिदिया ण पुच्छिज्जति 4 / एवं मोसाभासाएवि, सच्चामोसाभासाएवि, असच्चामोसाभासाएवि एवं चेव, नवरं असच्चामोसाभासाए विगलिदिया पुच्छिज्जति इमेणं अभिलावेणं-विगलिंदिए णं भंते ! जाई दवाई असचामोसाभासाए गिराहइ ताई किं ठियाई गेराहइ अठियाइं गेराहइ ?, गोयमा ! जहा श्रोहियदंडो, एवं एए एगत्तपुहुत्तेणं दस दंडगा भाणियव्वा 5 // सूत्रं 171 // जीवे णं भंते ! जाइं दव्वाइं सच्चभासत्ताए गिराहति ताई कि सच्चभासत्ताए निसिरइ मोसभासत्ताए निसिरइ सच्चामोसभासत्ताए निसिरति असच्चामोसभासत्ताए निसिरइ ?, गोयमा ! सच्चभासत्ताए निसिरइ नो मोसभासत्ताए निसरति नो सच्चामोसभासत्ताए निसिरति नो असच्चामोस Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 204 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः भासत्ताए निसिरइ, एवं एगिदियविगलिंदियवजो दंडतो जाव वेमाणिया एवं पुहुत्तेणवि 1 / जीवे णं भंते ! जाइं दव्वाई मोसभासत्ताए गिराहति ताई कि सच्चभासत्ताए निसिरति मोसमासत्ताए सच्चामोसभासत्ताए निसिरइ असच्चामोसभासत्ताए निसिरइ ?, गोयमा ! नो सच्चभासत्ताए निसिरति मोसभासत्ताए निसिरति णो सच्चामोसभासत्ताए निसिरति णो असचामोसभासत्ताए निसिरति 2 / एवं सच्चामोसभासत्ताएवि, असच्चामोसभासत्ताएवि एवं चेव, नवरं असच्चामोसभासत्ताए विगलिंदिया तहेव पुच्छिज्जंति, जाए चेव गिराहतिताए चेव निसिरति, एवं एते एगत्तपुहुत्तिया अट्ट दंडगा भाणियब्वा 3 // सूत्रं 172 // कतिविहे णं भंते ! वयणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! सोलसविहे वयणे पन्नत्ते, तंजहा–एगवयणे दुवयणे बहुवयणे इथिवयणे पुमवयणे णसगवयणे अज्झत्थवयणे उवणीयवयणे अवणीयवयणे उवणीयावणीयवयणे अवणीयोवणीयवयणे तीतवयणे पडुप्पन्नवयणे श्रणागयवयणे पञ्चक्खवयणे परोक्खवयणे 1 / इच्चेइतं भंते ! एगवयणं वा जाव परोक्खवयणं वा वदमाणे पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा ?, हंता गोयमा ! इच्चेइतं एगवयणं वा जाव परोक्खवयणं वा वदमाणे पराणवणी णं एसा भासा ण एसा भासा मोसा 2 // सूत्रं 173 // कति णं भंते ! भासज्जाया पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि भासज्जाया पन्नत्ता, तंजहा-सच्चमेगं भासज्जायं बितियं मोसं भासज्जातं तइयं सच्चामोसं भासज्जातं चउत्थं असचामोसं भासजातं 1 / इच्चेइयाई भंते ! चत्तारि भालजायाई भासमाणे किं वाराहते विराहते ?, गोयमा ! इच्चेइयाइं चत्तारि भासजायाइं थाउत्तं भासमाणे बाराहते नो विराहते 2 / तेण परं असंजत-अविरय-अपडिहत-अपञ्चक्खायपावकम्मे सच्चं वा भासं भासंतो मोसं वा सच्चामोसं वा असच्चामोसं वा भासं भासमाणे नो पाराहते विराहते 3 // सूत्रं 174 / एतेसि णं भंते ! जीवाणं सचभासगाणं मोसभासगाणं सच्चामोसभासगाणं Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 12 ] / / 205 असच्चामोसभासगाणं प्रभासगाण य कयरेशहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सच्चभासगा सच्चामोसभासगा असंखिजगुणा मोसभासगा असंखेजगुणा असच्चामोसभासगा असंखेजगुणा प्रभासगा अणंतगुणा // सूत्रं 175 // पराणवणाए भगवईए एकारसमं भासापदं समत्तं // ___ // इति एकादशमं पदम् // 11 // // अथ श्री शरीराख्यं द्वादशमं पदम् // कति णं भंते ! सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउव्विए श्राहारए तेयए कम्मए 1 / नेरइयाण भंते ! कति सरीरया पराणत्तो ?, गोयमा ! तयो सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-वेउविए तेयए कम्मए एवं असुरकुमाराणवि जाव थणियकुमाराणं 2 / पुढविकाइयाणं भंते ! कति सरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरया पन्नत्ता, तंजहाओरालिए तेयए कम्मए, एवं वाउकाइयवज्ज जाव चउरिंदियाणं 3 / वाउकाइयाणं भंते ! कति सरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउव्विते तेयए कम्मए, एवं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणवि 4 / मणुस्साणं भंते ! कति सरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउविते श्राहारए तेयए कम्मए, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं, जहा नारगाणं 5 // सूत्रं 176 // केवइया णं भंते ! पोरालियसरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धिल्लया य मुकिल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं असंखेजा असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्षिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्ततो असंखेजा लोगा, तस्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्तयो अणंता लोगा दव्वश्रो अभवसिद्धिएहितो मते ! कति सरीरयाउरकुमाराणवि जावा सरीरया पन्नता, तयाण भते / Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 206 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः अणंतगुणा सिद्धा(ण)तभागो 1 / केवतिया णं भंते ! वेउब्वियसरीरया पनत्ता ?. गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केलगा य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं असंखेजा असंखेनाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्ततो असंखेजातो सेढीयो पयरस्स असंखे. जतिभागो, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लगा ते णं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणिअोप्सप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो जहा ओरालियस्स मुक्केलया तहेव वेउब्वियस्सवि भाणियव्वा 2 / केवतिया णं भंते ! पाहारगसरीरया पन्नत्ता ?, ... गोयमा ! दुविहा, पन्नत्ता, तंजहा-बद्धेल्लया य मुक्केल्लया य, तत्थ णं जे ते बढे लगा ते णं सिय अत्थि सिय नस्थि, जइ अस्थि जहराणेणं एको वा दो वा तिरिण वा उक्कोसेणं सहस्सपुहुत्तं, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अणंता जहा ओरालियस्स मुकिल्लया तहेव भाणितव्वा 3 / केवइया णं भंते ! तेयगसरीरया पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पराणत्ता, तंजहाबरेलगा य मुक्केलगा य, तत्थ णं जे ते बद्धलगा ते णं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्तयो अणंता लोगा, दव्यत्रो सिद्धेहितो अणंतगुणा सव्वजीवाणंतभागूणा, तत्थ णं जे ते मुक्केलगा ते णं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्तयो अणंता लोगा, दव्वश्रो सव्वजीवेहितो अणंतगुणा जीववग्गस्साणंतभागे 4 / एवं कम्मगसरीराणिवि भावियव्वाणि 5 // सूत्रं 177 // नेरइयाणं भंते ! केवतिया पोरालियसरीरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्रेलगा य मुक्केलगा य, तत्थ णं जे ते बद्धलगा ते णं णत्यि, तत्थ णं जे ते मुक्केलगा ते णं अणंता, जहा ओरालियमुक्केलगा तहा भाणियव्वा 1 / नेरइयाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरा पन्नत्ता?, गोयमा ! दुविहा, पन्नत्ता, तंजहा-बद्धेल्लगा य मुक्केलगा य, तत्थ णं जे ते बद्धेलगा ते णं असंखेजा, असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणिहिं अवहीरंति कालतो, Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 12 ] [ 207 खेत्ततो असंखिन्जायो सेढीयो पयरस्स असंखेजइभागो, तासि णं सेढीणं विक्वंभसूई यंगुलपढमवग्गमूलं बितीयवग्गमूलपडुप्पराणं अहवणं अंगुलवितीय-वग्गमूल-घणप्पमाण-मेत्तायो सेढीतो, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लगा ते णं जहा बोरालियस्स मुक्केल्लगा तहा भाणियव्वा 2 / नेरइयाणं भंते ! केवइया थाहारगसरीरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–ब लगा य मुक्केलगा य, एवं जहा पोरालिए बद्धलगा मुक्केलगा य भणिया तहेव थाहारगावि भाणियव्या, तेयाकम्मगाई जहा एएसिं चेव वेउब्वियाइं 3 // सूत्रं 178 // असुरकुमाराणं भंते ! केवड्या पोरालियसरीरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहा नेरझ्याणं श्रोरालियसरीरा भणिता तहेव एतेसिं भाणियव्वा 1 / असुरकुमाराणं भंते ! केवड्या वेउव्वियसरीरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धेल्लगा य मुक्केलगा य, तत्थ णं जे ते बरेलगा ते णं असंखेज्जा असंखेजाहिं उस्सप्पिणीयोसप्पिणीहि अवहीरंति कालतो खेत्तयो असंखेन्जायो सेटीतो पयरस्स असंखेजतिभागो तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स संखेजतिभागो, तत्थ णं जे ते मुक्केलगा ते णं जहा पोरालियस्स मुक्केल्लगा तहा भाणियव्वा 2 / याहारसरीरगा जहा एतेसि चेव थोरालिया तहेव दुविहा भाणियव्वा, तेयाकम्मगसरीरा दुविहावि जहा एतेसिं चेव विउव्विया, एवं जाव थणियकुमारा 3 // सूत्रं 171 // पुढविकाइयाणं भंते ! केवइया पोरालियसरीरंगा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बरेलगा ते णं असंखेजा अमंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्ततो असंखेजा लोगा, तत्थ ग जे ते मुक्केल्लगा ते णं अणंता अणताहि उस्सप्पिणियोस्सप्पिणीहि अवहीरंति कालतो, खेत्ततो यणंता लोगा, अभवसिद्धिएहितो अणंतगुणा, सिद्धाणं अणंतभागो 1 / पुढविकाइयाणं भंते ! केवतिया वेउब्वियसरीरंगा पराणत्ता ?, गोयमा ! Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बरेलगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बरेलगा ते णं णत्थि, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लगा ते .णं जहा एएसिं चेव थोरालिया भणिया तहेव भाणियव्वा 2 / एवं ग्राहारगसरीरावि, तेयाकम्मगा जहा एएसिं चेव थोरालिया, एवं बाउकाइयतेउकाइयावि 3 / वाउकाइयाणं भंते ! केवतिया ओरालियसरीरा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धलगा य मुक्केल्लगा य, दुविहावि जहा पुढविकाइयाणं बोरालिया 4 / वेउब्वियाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धलगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बद्धलगा ते णं असंखेज्जा समए समए अवहीरमाणा 2 पलितोवमस्स असंखेजइभागमेत्तेणं कालेणं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिया, मुक्केलगा जहा पुढविकाइयाणं, श्राहारयतेयाकम्मा जहा पुढवीकाइयाणं, वणप्फइकाइयाणं जहा पुढविकाइयाणं णवरं तेयाकम्मगा जहा अोहिया तेयाकम्मगा 5 / बेइंदियाणं भंते ! केवइया पोरालिया सरीरगा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बद्धलगा ते णं असंखेना असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्ततो असंखेजायो सेढीयो पयरस्स असंखेजइभागो, तासिणं सेढिणं विखंभसूई असंखेन्जायो जोयणकोडाकोडियो असंखेजाइं सेढिवग्गमूलाई 6 / बेइंदियाणं पोरालियसरीरेहिं बद्धेल्लगेहिं पयरं अवहीरति, असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं कालतो, खेत्ततो अंगुलपयरस्स श्रावलियाते य असंखेजतिभागपलिभागेणं, तत्थ णं जे ते मुक्केलगा ते जहा ग्रोहिया बोरालियमुक्केल्लगा, वेउब्विया याहारगा य बद्धिलगा णस्थि, मुकिल्लगा जहा श्रोहिया अोरालियमुक्केल्लगा, तेयाकम्मगा जहा एतेसिं चेव श्रोहिया पोरालिया, एवं जाव चउरिदिया 7 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं चेव, नवरं वेउब्वियसरीरएसु इमो विसेसो पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइया वेउब्वियसरीरया पत्नत्ता ?, Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 12 / [209 गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बद्धे लगा ते णं असंखिजा, जहा असुरकुमाराणं, णवरं तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखेजइभागो, मुक्केल्लगा तहेव 8 / मणुस्साणं भंते ! केवइया पोरालियसरीरगा पन्नत्ता ?,गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहाबद्धेल्गा य मुक्केल्लगा य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं सिय संखिज्जासिय असंखिजाजहराणपदे संखेजा संखेजात्रों कोडाकोडीयो तिजमलपयम्स उवरिं चउजमलपयस्स हिट्ठा 1 / अहव णं छटो वग्गो पंचम वग्गपडप्पन्नो 10 / यहव णं छराणउई-छेयणग-दाइरासी 11 / उकोसपए असंखिजा, असंखिजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो खेत्तयो रूवपक्खित्तेहिं मणुस्सेहिं सेढी यवहीरइ, तीसे सेढीए श्राकासखेत्तेहिं अवहारो मग्गिजइ असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं कालतो खेत्ततो अंगुल-पढम-वग्गमूलं तइयवग्ग-मूलपडप्पराणं तत्थ णं जे ते मुक्केलगा ते जहा पोरालिया श्रोहिया मुक्केल्लगा 12 / वेउब्बियाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! दुविहा, पन्नत्ता, तंजहा-बद्धेल्लगा य मुक्केल्लगा य, तत्थ गां जे ते बद्धेल्लगा ते णं संखिजा, समए 2 अवहीरमाणे 2 संखेज्जेणं कालेणं अवहीरंति, नो चेव णं अवहीरिया सिया, तत्थ णं जे ते मुक्केल्लगा ते णं जहा पोरालिया श्रोहिया, पाहारगसरीरा जहा अोहिया, तेयाकम्मगा जहा एतेसिं चेव थोरालिया 13 / वाणमंतराणं जहा नेरझ्याणं योरालिया ग्राहरगा य, वेउव्वियसरीरगा जहा नेरइयाणं, नवरं तासि णं सेढीणं विक्खंभसूई संखेज-जोगुणसय-वग्गपलिभागो पयरस्स, मुकिल्लया जहा ओरालिया, थाहारगसरीरा जहा असुरकुमाराणं तेयाकम्मया जहा एतेसि णं चेव वेउविता 14 / जोतिसियाणं एवं चेव, नवरं तासिणं सेढीणं विक्खंभसूई बिछप्पन्नंगुल-सयवग्ग-पलिभागो पयरस्स, वेमाणियाणं एवं चेव, नवरं तासिणं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलवितीय-वग्गमूलं तइय-वग्गमूल-पडुप्पन्न Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः अहवराणं अंगुल-तइयवग्गमूल-घणप्पमाणमेत्ताश्रो सेढीयो, सेसं तं चेव 15 // सूत्रं 180 // पराणवणाए भगवइए बारसमं सरीरपयं समत्तं // ___ // इति द्वादशमं पदम् // 12 // // अथ श्री परिणामाख्यं त्रयोदशं पदम् // कतिविधे णं भंते ! परिणामे पराणत्ते ?, गोयमा ! दुविहे परिणाम पन्नत्ते, तंजहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य॥ सूत्रं 181 // जीवपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दसविधे पन्नत्ते, तंजहागतिपरिणाम 1 इंदियपरिणामे 2 कसायपरिणामे 3 लेसापरिणामे 4 जोगपरिणामे 5 उपयोगपरिणामे 6 णाणपरिणामे 7 दंसणपरिणामे 8 चरित्तपरिणामे 1 वेदपरिणामे 10 // सूत्रं 182 // गतिपरिणामे णं भंते / कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-नरयगतिपरिणामे तिरियगतिपरिणामे मणुयगतिपरिणामे देवगतिपरिणामे 1 / इंदियपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-सोतिंदियपरिणामे चक्खिदियपरिणामे घाणिदियपरिणाम जिभिदियपरिणामे फासिदियपरिणामे 2 / कसायपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविधे पन्नत्ते, तंजहा-कोहकसायपरिणामे माणकसायपरिणामे मायाकसायपरिणामे लोभकसायपरिणामे 3 / लेस्सापरिणामेणं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! छविहे पन्नत्ते, तंजहा-कराहलेसापरिणामे नीललेसापरिणामे काउलेसापरिणामे तेउलेसापरिणामे पम्हलेसापरिणामे सुक्कलेसापरिणामे 4 / जोगपरिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविधे पन्नत्ते, तंजहा–माजोगपरिणामे वइजोगपरिणामे कायजोगपरिणाम 5 / उवयोगपरिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पत्नत्ते, तंजहा-सागारोवयोगपरिणामे य अणागारोवयोगपरिणामे य 6 / णाण Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 13 ] [ 211 परिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहाश्राभिणिबोहिय-णाणपरिणामे सुयणाणपरिणाम घोहिनाणपरिणामे मणपजवणाणपरिणामे केवलणाणपरिणामे, अण्णाणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-मइअराणाणपरिणामे सुयश्ररणाणपरिणामे विभंगणाणपरिणामे 7 ! दंसणपरिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविधे पन्नत्ते, तंजहा-सम्मदसणपरिणामे मिच्छादसणपरिणामे सम्ममिच्छादसणपरिणामे 8 / चारित्तपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-सामाइयचारित्तपरिणामे छेदोवट्ठावणियचारित्तपरिणामे परिहारविसुद्धिय-चारित्तपरिणामे सुहुमसंपराय-चरित्तपरिणामे ग्रहक्खाय-चरित्तपरिणामे 1 | वेदपरिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्थिवेदपरिणामे पुरिसवेदपरिणामे णपु. सगवेदपरिणामे 10 / नेरइया गतिपरिणामेण निरयगतीया इंदियपरिणामेणं पंचिंदिया कसायपरिणामेणं कोहकसाईवि जाव लोभकसायीवि, लेसापरिणामेणं कराहलेसावि नीललेसावि काउलेसावि, जोगपरिणामेणं मणजोगीवि वयजोगीवि कायजोगीवि, उवयोगपरिणामेणं सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि, णाणपरिणामेणं ग्राभिणिबोहियणाणीवि सुयणाणीवि योहिणाणीवि, अराणाणपरिणामेणं मइअण्णाणीधि सुययराणाणीवि विभंगणाणीवि, दसणपरिणामेणं सम्मादिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि सम्मामिच्छादिट्टीवि, चरित्तपरिणामेणं नो चरित्ती नो चरित्ताचरित्ती अचरित्ती, वेदपरिणामेणं नो इत्थीवेदगा नो पुरिसवेदगा नपुंसगवेदगा 11 / असुरकुमारावि एवं चेव, णवरं देवगतिया कराहलेसावि जाव तेउलेसावि, वेदपरिणामेणं इस्थिवेदगावि पुरिसवेदगावि नो नपुंसगवेदगा, सेसं तं चेव, एवं जाव थणियकुमारा 12 / पुढविकाइया गतिपरिणामेणं तिरियगतिया इंदियपरिणामेणं एगिदिया, सेसं जहा नेरइयाणं, नवरं लेसापरिणामेणं तेउलेसावि, जोगपरिणामेणं कायजोगी Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 212 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः णाणपरिणामे णत्थि अराणाणपरिणामेणं मतियराणाणी सुययगणाणी दंसणपरिणामेणं मिच्छदिट्टी, सेसं तं चेव 13 / ग्राउवणपइकाइयावि, तेऊवाऊ एवं चेव, णवरं लेसापरिणामेणं जहा नेरइया 14 / बेइंदिया गतिपरिणामेणं तिरियगतिया इंदियपरिणामेणं बेइंदिया, सेसं जहा नेरझ्याणं, णवरं जोगपरिणामेणं वयजोगी कायजोगी, णाणपरिणामेणं याभिणिबोहियणाणीवि सुग्रणाणीवि अराणाणपरिणामेणं मइअण्णाणीवि सुयशराणाणीवि नो विभंगणाणी दंसणपरिणामेणं सम्मदिट्टीवि मिच्छदिट्टीवि नो सम्मामिच्छादिट्टो[वि.] सेसं तं चेव, एवं जाव चउरिंदिया, णवरं इंदियपरिवुड्डी कायव्वा 15 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया गतिपरिणामेणं तिरियगतिया, सेसं जहा नेरझ्याणं णवरं लेसापरिणामेणं जाव सुकलेसावि, चरित्तपरिणामेणं नो चरित्ती अचरित्तीवि चरित्ताचरित्तीवि, वेदपरिणामेणं इत्थिवेदगावि पुरिसवेदगावि नपुंसगवेदगावि 16 / मणुस्सा गतिपरिणामेणं मणुयगतिया इंदियपरिणामेणं पंचिंदिया अणिदियावि कसायपरिणामेणं कोहकसाईवि, जाव अकसाईवि, लेसापरिणामेणं कराहलेसावि जाव अलेसावि, जोगपरिणामेणं मणजोगीवि जाव अजोगीवि, उवयोगपरिणामेणं जहा नेरइया, णाणपरिणामेणं श्राभिणिबोहियणाणीवि जाव केवलणाणीवि, थराणाणपरिणामेणं तिरिणवि अराणाणा, दंसणपरिणामेणं तिरिणवि दंसणा, चरित्तपरिणामेणं चरित्तीवि अचरितीवि चरित्ताचरित्तीवि, वेदपरिणामेणं इत्थीवेयगावि पुरिसवेदगावि नपुंसगवेयगावि अवेयगावि 17 / वाणमंतरा गतिपरिणामेणं देवगतिया, जहा असुरकुमारा एवं जोइसियावि नवरं लेस्सपरिणामेणं तेउलेसा, देमाणियावि एवं चेव, नवरं लेसापरिणामेणं तेउलेसावि पम्ह. लेसावि सुक्कलेसावि, से तं जीवपरिणामे 18 // सूत्रं 183 // अजीवपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दसविधे पन्नत्ते, तंजहाबंधणपरिणामे 1 गतिपरिणामे 2 संगणपरिणामे 3 भेदपरिणामे 4 Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 13 ) [ 213 वराणपरिणामे 5 गंधपरिणामे 6 रसपरिणामे 7 फासपरिणामे 8 अगुरुलहुयपरिणामे 1 सहपरिणामे 10 // सूत्रं 184 // बंधणपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-णिद्धबंधणपरिणामे लुक्खबंधणपरिणामे य,-'समणिद्धयाए बंधो न होति समलुक्खयाएवि गा होति / वेमाय-णिद्धलुवखत्तणेण बंधो उ खंधाणं // 1 ॥णिद्धस्स णि ण दुयाहिएणं, लुक्खस्स लुक्खेण दुयाहिएणं / निद्धस्स लुक्खेण उवेइ बंधो, जहराणवज्जो विसमो समो वा // 2 // 1 / गतिपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-फुसमाण-गतिपरिणामे य अफुसमाण-गतिपरिणामे य, ग्रहवा दीहगइपरिणामे य हस्सगइपरिणामे य 2 / संठाणपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पराणत्ते, तंजहापरिमंडल-संठगणपरिणामे जाव आयत-संठाणपरिणामे 3 / भेदपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-खंडभेदपरिणामे जाव उकरियाभेदपरिणामे 4 / वराणपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-कालवराणपरिणामे जाव सुकिलवराणपरिणामे 5 / गंधपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ता, तंजहा-सुब्भिगंधपरिणामे य दुन्भिगंधपरिणामे य 6 / रसपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-तित्तरसपरिणामे जाव महुररसपरिणामे 7 / फासपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! अविधे पन्नत्ते, तंजहा-कक्खडफासपरिणामे य जाव लुक्खफासपरिणामे य = / अगुरुलहुयपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एगागारे पन्नत्ते 1 / सहपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सुब्भिसहपरिणामे य दुब्भिसहपरिणामे य 10 / सेत्तं अजीवपरिणामे य // सूत्रं 185 // पनवणाए भगवइए तेरसमं परिणामपदं समत्तं // // इति त्रयोदशमं पदम् // 13 // Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः // अथ श्री कषायाख्यं चतुर्दशमं पदम् // कति णं भंते ! कसाया पराणत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि कसाया पन्नत्ता, तंजहा-कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए 1 / नेरझ्याणं भंते ! कतिकसाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि कसाया पन्नत्ता, तंजहा-कोहकसाए जाव लोभकसाए, एवं जाव वेमाणियाणं 2 // सूत्र 186 // कतिपतिट्ठिए णं भंते ! कोहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउपतिट्ठिए कोहे पन्नत्ते, तंजहा-बायपतिट्ठिए परपतिट्ठिए तदुभयपतिट्ठिए अप्पइट्ठिते 1 / एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं दंडतो, एवं माणेणं दंडतो मायाए दंडयो लोभेणं दंडयो 2 / कतिहिं णं भंते ! ठाणेहि कोहुप्पत्ती भवति ?, गोयमा ! चउहिं ठाणेहिं कोहुप्पत्ती भवति, तंजहा-खेत्तं पडुच्च वत्थु पडुच्च सरीरं पडुच्च उवहिं पडुच्च, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 3 / एवं माणेणवि मायाएवि लोभेणवि, एवं एतेवि चत्तारि दंडगा 4 // सूत्रं 187 // कतिविधे णं भंते ! कोधे पराणते ?, गोयमा ! चउबिहे कोहे पन्नत्ते, तंजहा-अणंताणु. बंधि कोहे अपञ्चक्खाणे कोहे पञ्चक्खाणावरणे कोहे संजलणे कोहे, एवं नेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं 1 / एवं माणेणं मायाए लोभेणं, एएवि चत्तारि दंडगा 2 // सूत्रं 188 || कतिविधे णं भंते ! कोधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविहे कोहे पन्नते, तंजहा-याभोगनिव्वत्तिए अणाभोगनिव्वत्तिए उवसंते अणुवसंते 1 / एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 2 / एवं माणेणवि, मायाएवि, लोभेणवि, चत्तारि दंडगा 3 // सूत्रं 181 // जीवा णं भंते ! कतिहिं ठाणेहिं अट्ट कम्मपगडीयो चिणिंसु ?, गोयमा ! चउहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडियो चिणिसु, तंजहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवा णं भंते ! कतिहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडोश्रो चिणंति ?, गोयमा ! चउहिं ठाणेहिं, तंजहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं नेरइया जाव वेमाणिया 2 | जीवा णं भंते ! कतिहिं Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-मूत्रम् पदं 15-1 ] [ 215 ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीयो चिणिस्संति?, गोयना ! चाहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीयो चिणिस्संति, तंजहा–कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं नेरइया जाव वेमाणिया 3 / जीवा णं भंते ! कतिहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडियो उवचिणिंसु ?, गोयमा ! चाहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीयो उवचिणिसु, तंजहा–कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं नेरइया जाव वेमाणिया 4 / जीवा णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! चउहि ठाणेहिं उवचिणंति जाव लोभेणं, एवं नेरइया जाव वेमाणिया, एवं उवचिणिसंति 5 / जीवा णं भंते ! कतिहिं अणेहिं अट्ठ कम्मपगडीयो बंधिसु ?, गोयमा ! चउहिं ठाणेहिं, अट्ठ कम्मपगडियो बंधिसु, तंजहा-कोहेणं माणेणं जाव लोभेणं, एवं नेरइया जाव वेमाणिया 6 / बंधिंसु बंधति बंधिस्संति, उदीरेंसु उदीरंति उदीरिस्संति, वेदिसु वेदेति वेदइस्संति, निजरिंसु निजरेंति निजरिस्संति, एवं एते जीवाइया वेमाणियपजवसाणा अट्ठारस दंडगा जाव वेमाणिया, निजरिंसु निजरेंति निजरिस्संति ७।-श्रातपतिट्रिय खेत्तं पडुच्चणंताणुबंधि श्राभोगे / चिण उवचिण बंध उदीर वेद तह निजरा चेव // 1 // सूत्रं 110 // इति परणवणाए भगवईए चोदसमं कसायपयं समत्तं // // इति चतुर्दशं पदम् // 14 // // अथ श्री इन्द्रियाख्य-पञ्चदशमपदे प्रथमोद्देशकः // संगणं बाहल्लं पोहत्तं कतिपदेस योगाढे / अप्पाबहु पुट्ठ पविट्ठ विमय अणगार अाहारे // 1 // अदाय असी य मणी दुद्ध पाणे तेल फासिय वसा य / कंबल थूणा थिग्गल दीवोदहि लोगऽलोगे य॥ 2 // कति णं भंते ! इंदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच इंदिया पन्नत्ता, तंजहासोतिदिए चक्खिदिए घाणिदिए जिभिदिए फासिदिए 1 / सोतिदिए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! कलंबुया-पुष्फ-संगणसंठिते पन्नत्ते 2 / Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 216 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठी विभागः चक्खिदिए णं मंते ! किंसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! मसूर-चंद-संठाणसंठिते पन्नत्ते 3 / घाणिदिए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! अइमुत्तग-चंद-संठाणसंठिते पन्नते 4 / जिभिदिए णं पुच्छा, गोयमा ! खुरप्प-संठाणसंठिते पन्नत्ते 5 / फासिदिए णं पुच्छा, गोयमा ! णाणा-संगणसंठिते पन्नत्ते 1, 6 / सोइंदिए णं भंते ! केवइयं बाहल्लेणं पन्नत्ते ?, गोयमा ! अंगुलस्स असंखेजइभागे बाहल्लेणं पन्नत्ते 2, एवं जाव फासिदिए 7 / सोतिदिए णं भंते! केवइतं पोहत्तेणं पराणत्ते ? गोयमा ! अंगुलस्स असंखेजइभागं पोहत्तेणं पन्नत्ते, एवं चक्खिदिएवि घाणिदिएवि 8 / जिभिदिए णं पुच्छा गोयमा ! अंगुलपुहुत्तेणं पन्नत्ते 1 / फासिदिए णं पुच्छा गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ते पोहतेणं पन्नत्ते 3, 10 / सोतिदिए णं भंते ! कतिपदेसिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! अणंतपदेसिते पन्नत्ते, एवं जाव फासिदिए 11 // सूत्रं 111 // सोइंदिए णं भंते ! कतिपदेसोगाढे पन्नत्ते ?, गोयमा ! असंखेजपएसोगाढे पन्नत्ते, एवं जाव फासिदिए 1 / एएसि णं भंते ! सोतिदिय-चक्खिदिय-घाणिंदियजिभिदिय-फासिंदियाणं योगाहणट्ठयाए पएसट्टयाए योगाहणपएसट्टयाए कतरे हितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवे चक्खिदिते योगाहणट्टयाते सोतिदिए योगाहणट्ठयाते संखेज. गुणे घाणिदिए योगाहणट्ठयाते संखेजगुणे जिभिदिए योगाहणट्ठयाए असंखेजगुणे फासिदिए योगाहणट्ठयाए संखेजगुणे, पदेसट्ठयाते सव्वत्थोवे चक्खिदिए पदेसट्टयाए सोतिदिए पएसट्टयाए संखेजगुणे घाणिदिए पएसट्ठयाए संखिजगुणे जिभिदिए पएसट्टयाए असंखेजगुणे फासिदिए पएसट्टयाए संखेजगुणे, योगाहणपदेसट्टयाए सव्वत्थोवे चक्खिदिए योगाहणट्टयाए सोतिदिए योगाहणट्टयाए संखेजगुणे घाणिदिए योगाहणट्ठयाए संखिन्जगुणे जिभिदिए योगाहणट्ठयाए असंखेजगुणे फासिदिए योगाहणट्ठयाए संखिजगुणे फासिंदियस्स योगाहणट्ठयाएहितो चक्खिदिए पएसट्टयाए अांत Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 15-1 ] [ 217 गुणे सोतिदिए पएसट्टयाए संखेज्जगुणे घाणिदिए पएसट्टयाए संखिजगुणे जिभिदिए पएसट्टयाए असंखेजगुणे फासिदिए पदेसट्टयाते संखेजगुणे 1 / सोतिंदियस्त णं भंते ! केवइया कक्खड-गुरुयगुणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता कक्खडगुरुयगुणा पन्नत्ता, एवं जाव फासिंदियस्स 2 / सोतिंदियस्स णं भंते ! केवइया मउय-लहुयगुणा पन्नत्ता ?, गोयमा !, अणंता मउयल हुयगुणा पन्नत्ता, एवं जाव फासिदियस्स 3 / एतेसि णं भंते ! सोइंदिय-चक्खिदिय-घाणिदियजिभिदिय-फासिंदियाणं कक्खडगुरुयगुणाणं मउय-लहुय-गुणाणं कक्खड-गुरुयगुण-मउयलहुयगुणाण य कयरे २हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स कक्खडगरुयगुणा सोतिंदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा घाणिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा जिभिदियस्स कवखडगरुयगुणा अणंतगुणा फासिंदियस्स कक्खडगव्यगुणा अणंतगुणा, मउयलहुयगुणाणं सव्वत्योवा फासिदियस्स मउयलहुयगुणा जिभिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा घाणिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा सोतिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा चक्खिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा, कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाण य सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स कक्खडगुरुयगुणा सोतिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा घाणिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा जिभिदियस्स कक्खडगुरुयगुणा अणंतगुणा फासिदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा फासिदियस्स कवखडगुरुयगुणेहितो तस्स चेव मउयलहुयगुणा गणंतगुणा जिभिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा घाणिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा सोतिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा चक्खिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा 4 ॥सूत्रं 112 // नेरइयाणं भंते ! कइ इंदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचेंदिया पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदिए जाव फासिदिए 1 / नेरइयाणं भंते ! सोतिदिए किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! कलंबुया-संठाणसंठिते पन्नत्ते 2 / एवं जहा श्रोहियाणं वत्तव्वया Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / असुरकुत्याणि जाव अ य उत्तरवा तत्थ णं 218 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः भणिता तहेव नेरइयाणंपि जाव अप्पाबहुयाणि दोगिणवि 3 / नवरं नेरइयाणं भंते ! फासिदिए किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-भवधारणिज्जे य उत्तरवेउन्विते य, तत्थ णं जे से भवधारणिज्जे से णं हुंड-संठाणसंठिते पन्नत्ते, तत्थ णं जे से उत्तरवेउन्विते सेवि तहेव, सेसं तं चेव 4 / असुरकुमाराणं भंते ! कइ इंदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचेंदिया पन्नत्ता, एवं जहा श्रोहियाणि जाव अप्पाबहुगाणि दोरिणवि, नवरं फासिंदिए दुविधे पराणत्ते, तंजहा-भवधारणिज्जे य उत्तरवेउन्विते य, तत्थ णं जे से भवधारणिज्जे से णं समचउरंस-संठाणसंठिते पन्नत्ते, तत्थ णं जे से उत्तरवेउविते से णं णाणासंठाणसंठिते पन्नत्ते, सेसं तं चेव एवं जाव थणियकुमाराणं 5 / पुढविकाइयाणं भंते ! कति इंदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! एगे फासिदिए पन्नत्ते 6 / पुढविकाइयाणं भंते ! फासिंदिते किंसंगणसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! मसूरचंद-संठाणसंठिते पराणत्ते 7 / पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदिते केवइयं बाहल्लेणं पन्नत्ते ?, गोयमा ! अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहल्लेणं पन्नत्ते 8 / पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदिए केवतितं पोहत्तेणं पन्नत्ते ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ते पोहत्तेणं पन्नत्ते 1 / पुढविकाइयाणं भंते ! फासिंदिए कतिपदेसिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! अणतपदेसिते पन्नत्ते 10 / पुढविकाइयाणं भंते ! फासिंदिते कतिपदेसोगाढे पन्नत्ते ?, गोयमा ! असंखेजपएसोगाढे पन्नत्ते 11 / एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं फासिदियस्स योगाहणट्ठयाए पएसट्टयाए योगाहणपएसट्टयाए कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवे पुढविकाइयाणं फासिदिए प्रोगाहणट्टयाते ते चेव पदेसट्ठयाते अणंतगुणे 12 / पुढविकाइयाणं भंते ! फासिदियस्सं केवइया कक्खडगल्यगुणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता, एवं मउयलहुयगुणावि 13 / एतेसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं फासिंदियस्स कक्खडगरुयगुणाणं - मउयलहुयगुणाण य कयरेशहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढवि Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोंपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 15-1 ) [ 216 काइयाणं फासिदियस्स कक्खडगरुयगुणा तस्स चेव मउयलहुयगुणा अणंतगुणा 14 / एवं ग्राउकाइयाणवि जाव वणप्फइकाइयाणं, णवरं संठाणे इमो विसेसो दट्टयो-याउकाइयाणं थिबुगबिंदु-संठाणसंठिते पन्नत्ते, तेउकाइयाणं सूइकलाव-संठाणसंठिते पन्नत्ते, वाउकाइयाणं पडागा-संठाणसंठिते पन्नत्ते, वणप्फइकाइयाणं णाणा-संठाणसंठिते पन्नत्ते 15 / बेइंदियाणं भंते ! कति इंदिया पत्रता ?, गोयमा ! दो इंदिया पन्नत्ता, तंजहा-जिभिदिए फासिदिए, दोराहंपि इंदियाणं संगणं वाहल्लं पोहत्तं पदेसं ओगाहणाय जहा श्रोहियाणं भणिता तहा भाणियब्वा, णवरं फासिदिए हुंडसंठाणसंठिते पराणत्तेत्ति इमो विसेसो 16 / एतेसिणं भंते ! बेइंदियाणं जिभिदिय-फासिंदियाणं योगाहणट्टयाते पदेसट्टयाते योगाहण-पदेसट्टयाते कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सवत्थोवे बेइंदियाणं जिभिदिए योगाहणट्ठयाते फासिदिए योगाहणट्ठयाते संखेजगुणे पदेसट्ठयाते सबथोवे बेइंदियाणं जिभिदिते पएसट्टयाए फासिदिए संखेजगुणे योगाहणपएसट्ठयाते सम्वत्थोवे बेइंदियस्स जिभिदिए योगाहणट्टयाते फासिदिए योगाहणट्ठयाते संखेजगुणे फासिदियस्स योगाहणट्ठयातेहितो जिभिदिए पएसट्टयाते अणंतगुणा फासिदिए पएसट्टयाए संखेजगुणा 17 / बेइंदियाणं भंते ! जिभिदियस्स केवइया कक्खडगरुयगुणा पत्नत्ता ? गोयमा ! अणंता, एवं फासिंदियस्सवि, एवं मउयलहुयगुणावि 18 / एतेसि णं भंते ! बेइंदियाणं जिभिदियफासिंदियाणं कक्खडगरुयगुणाणं मउयलहुयगुणाणं कक्खडगुरुयगुण-मउयलहुयगुणाण य कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सञ्बत्थोवा बेइंदियाणं जिभिदियस्त कक्खडगरुयगुणा फासिंदियस्स कक्खडगरुयगुणा अणंतगुणा, फासिंदियस्स कक्खडगरुयगुणेहितो तस्स चेव मउयलहुयगुणा अणंतगुणा जिभिदियस्स मउयलहुयगुणा अणंतगुणा 16 / एवं जाय चउरिंदियत्ति, नवरं इंदियपरिवुड्डी कातव्वा, तेइंदियाणं घाणिदिए थोवे चउरिंदियाणं चक्खिदिए थोवे, सेसं तं चेव 20 / पंचिंदिय-तिरिवखजोणि Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 220 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः याणं मणूसाण य जहा नेरइयाणं, णवरं फासिदिए छबिह-संठाणसंठिते पन्नत्ते, तंजहा-समचउरंसे निग्गोह परिमंडले सादी खुज्जे वामणे डंडे 21 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं 22 // सूत्रं 193 // पुट्ठाई भंते ! सदाइं सुणेति अपुट्ठाइं सदाइं सुणेति ?, गोयमा ! पुट्ठाई सदाइं सुणेति नो अपुट्ठाई सदाइं सुणेति 1 / पुट्ठाई भंते ! रूवाइं पासति अपुट्ठाई पासति ?, गोयमा ! नो पुट्ठाइं स्वाइं पासति, अपुट्ठाई रूवाइं पासति 2 / पुट्ठाई भंते ! गंधाई अग्धाइ अपुट्ठाई गंधाइं अग्याइ ?, गोयमा ! पुट्ठाई गंधाई अग्याइ नो अपुट्टाई अग्घाइ, एवं रसाणवि फासाणवि, णवरं रसाइं अस्साएति फासाइं पडिसंवेदेतित्ति अभिलावो कायवो 3 / पविट्ठाई भंते ! सदाइं सुणेति अपविट्ठाई सदाई सुणेति ?, गोयमा ! पविट्ठाइं सदाइं सुणेति नो अपविट्ठाई सदाइं सुणेति, ऐवं जहा पुढाणि तहा पविट्ठाणिवि 4 // सूत्रं 114 // सोतिदियस्स णं भंते ! केवतिए विसए पराणत्ते ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागो उक्कोसेणं बारसहिं जोत्रणेहिंतो अच्छिराणे पोग्गले पुढे पविठ्ठाति सदातिं सुणेति 1 / चक्विंदियस्स णं भंते ! केवतिए विसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजतिभागो उकोसेणं सातिरेगायो जोयण-सतसहस्सायो अच्छिण्णे पोग्गले अपुढे अपविट्ठाति स्वाइं पासइ 2 / घाणिदियस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलअसंखेजतिभागो उक्कोसेणं णवहिं जोयणेहिंतो अच्छिण्णे पोग्गले पुढे पविट्ठातिं गंधाति शबाद, एवं विभिदियस्पति पारिदिएपनि 25 995 // ___ अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयस्स जे चरमा गिजरा-पोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पराणत्ता समणाउसो ! सबलोगपि य णं ते योगाहित्ता णं चिट्ठति ?,हंता ! गोयमा ! अणगारस्स भावियप्पणो मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयस्स जे चरमा गिजरा Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 15-1 ] [ 221 पोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पराणत्ता, समणाउसो ! सव्वं लोगंपि य णं योगाहित्ता णं चिट्ठांति 1 / छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तेसिं णिज्जरापोग्गलाणं किं प्राणत्तं वा नाणत्तं वा श्रीमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति ?, गोयमा ! णो इण? सम? 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-छउमस्थे णं मणूसे तेसि णिजरापोग्गलाणं णो किंचि प्राणत्तं वा णाणत्तं वा योमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइ पासइ ?, देवेवि य णं प्रथेगतिए जे णं तेसिं निजरापोग्गलाणं नो किंचि प्राणत्तं वा णाणत्तं वा योमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति-छउमत्थे णं मासे तेसिं णिजरापोग्गलाणं नो किचि ग्राणत्तं वा जाव जाणति पासति, एवं सुहुमा णं ते पोग्गला पराणत्ता, समणाउसो !, सव्वलोगपि य णं ते ओगाहित्ताणं चिट्ठति 3 / नेरझ्या णं भंते ! निजरापोग्गले किं जाणंति पासंति थाहारेंति उदाहु न याणंति न पासंति श्राहारेंति ?, गोयमा ! नेरइया णं ते णिजरापोग्गले न जाणंति न पासंति थाहारेंति, एवं जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं 4 / मणूसा णं भंते ! निजरापोग्गले किं जाणंति पासंति थाहारेंति उदाहु न याणंति न पासंति थाहारेंति ?, गोयमा ! अत्यंगतिया जाणंति पासंति श्राहारेंति, अत्थेगतिया न याणंति न पासंति थाहारेंति 5 / से केणढे णं भंते ! एवं वुच्चति-प्रत्यंगतिया जाणंति पासंति थाहारेंति अत्थेगतिया न जाणंति न पासंति श्राहारेंति ?, गोयमा ! मणूसा दुविहा पराणत्ता, तंजहा-सरिणभूया य असरिणभूया य, तत्थ णं जे ते असरिणभूया ते णं न याणंति न पासंति थाहारेंति, तत्थ णं जे ते सरिणभूया ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उवउत्ता य अणुवउत्ता य, तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते णं न याणंति न पासंति श्राहारेंति, तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते णं जाणंति पासंति अाहारेंति, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–अत्थेगतिया Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागा नयाणंति न पासंति थाहारेंति, अत्थेगतिया जाणंति पासंति अाहारेंति 6 / वाणमंतर-जोइसिया जहा नेरझ्या 7 / वेमाणिया णं भंते ! ते निजरापोग्गले किं जाणंति पासंति थाहारेंति ?, जहा मासा, णवरं वेमाणिया दुविहा (ग्रं० 4500) पन्नत्ता, तंजहा-माइ-मिच्छदिट्टी-उववरणगा य अमायि-सम्मदिट्टी-उववरणगा य 8 / तत्थ णं जे ते माइ-मिच्छट्ठिी -उववराणगा ते णं न याणंति न पासंति श्राहारेंति, तत्थ णं जे ते अमायिसम्महिंट्ठि-उववरणगा ते दुविहा पन्नत्ता,तंजहा-अणंतरोववरणगाय परंपरोववरागा य 1 / तत्थ णं जे ते अणंतरोववरणगा ते णं न याणंति न पासंति अाहारेंति, तत्थ णं जे ते परंपरोववराणगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 10 / तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं न जाणंति न पासंति थाहारेंति, तत्थ णं जे ते पजत्तगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-उवउत्ता य अणुवउत्ता य 11 / तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते णं न याणंति न पासंति थाहारेंति, तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते णं जाणंति पासंति श्राहारेंति, से एतेण?णं गोयमा ! एवं वुचति-प्रत्यंगतिया याणंति जाव अत्थेगतिता जाव अाहारेति 12 // सूत्रं 116 // अदायं पेहमाणे मणूसे अदायं पेहति अत्ताणं पेहइ पलिभागं पेहति ?, गोयमा ! अदायं पेहति नो अप्पाणं पेहति पलिभागं पेहति, एवं एतेणं अभिलावेणं असि मणिं दुद्धं पाणं तेल्लं फाणियं वसं // सूत्रं 117 // कंबलसाडे णं भंते ! श्रावेढित-परिवेढिते समाणे जावतियं उवासंतरं फुसित्ता णं चिट्ठति विरल्लिएवि समाणे तावइयं चेव उवासंतरे फुसित्ता णं चिट्ठति ?, हंता गोयमा ! कंबलसाडए णं आवेढिय-परिवेढिते समाणे जावतियं तं चेव 1 / थूणा णं भंते ! उड्ड ऊसिया समाणी जावइयं खेत्तं योगाहइत्ता गं चिट्ठति, तिरियंपिय णं अायता समाणी तावइयं चेव खेत्तं श्रोगाहित्ता णं चिट्ठति ?, हंता गोयमा ! थूणा णं उड्ड ऊसिया तं चेव चिट्ठति 2 / आगासथिग्गले णं भंते ! किंणा Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 15-1) [ 223 फुडे ? कइहिं वा काएहि फुडे ? किं धम्मत्थिकारणं फुडे धम्मत्थिकायस्स देसेणं फुडे धम्मत्थिकायस्स पदेसेहिं फुडे ?, एवं अधम्मत्थिकारणं अागासथिकाएणं, एएणं भेदेणं जाव पुढविकाएणं फुडे जाव तसकारणं फुडे श्रद्धासमएणं फुडे ?, गोयमा ! नो धम्मत्थिकाएणं फुडे नो धम्मस्थिकायस्स देसेणं फुडे धम्मत्थिकायस्स पदेसेहिं फुडे, एवं अधम्मत्थिकारणवि, नो अागासस्थिकारणं फुडे अागासस्थिकायस्स देसेणं फुडे अागासत्थिकायस्स पदेसेहिं फुडे जाव वणस्सइकाएणं फुडे, तसकारणं सिय फुडे सिय णो फुडे, श्रद्धासमएणं देसे फुडे देसे णो फुडे 3 / जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे किंणा फुडे ? कइहिं वा काएहिं फुडे ? किं धम्मत्थिकारणं जाव भागासस्थिकारणं फुडे ?, गोयमा ! णो धम्मत्थिकारणं फुडे धम्मस्थिकायस्स देसेणं फुडे धम्मत्थिकायस्स पदेसेहिं फुडे, एवं अधम्मत्थिकायस्सवि थागासत्थिकायस्सवि, पुढविकाइएणं फुडे, जाव वणस्सइकारणं फुडे, तसकाइएणं सिय फुडे सिय णो फुडे, श्रद्धासमएणं फुडे 4 / एवं लवणसमुद्दे धायतिसंडे दीवे कालोए समुद्दे अभितरपुक्खरद्धे, बाहिरपुक्खरद्धे, एवं चेव, णवरं श्रद्धासमएणं नो फुडे, एवं जाव सयंभूरमणसमुद्दे 5 / एसा परिवाडी इमाहिं गाहाहिं अणुगंतव्वा, तंजहा-जंबुहीवे लवणे धायति कालोय पुक्खरे वरुणो / खीर-घय-खोय-णंदिय अरुणावरे कुंडले रुयते // 1 // श्राभरण-वत्थ-गंधे उप्पल-तिलए य पउम-निहि-रयणे / वासहर-दह-नईश्रो विजया वक्खार-कप्पिदा // 2 // कुरु मंदर श्रावासा कूडा नक्खत्त-चंदसूरा य / देवे णागे जक्खे भूए य सयंभुरमणे य॥ 3 // एवं जहा बाहिरपुरखरद्धे भणिए तहा जाव सयंभूरमुणसमुद्दे जाव श्रद्धासमएणं नो फुडे 6 / लोगे णं भंते ! किंणा फुडे ? कइहि वा कारहिं जहा अागासथिग्गले 7 / अलोए णं भंते ! किंणा फुडे ? कतिहिं वा काएहिं पुच्छा, गोयमा ! नो धम्मत्थिकारणं फुडे जाव नो अागासस्थिकाएणं फुडे अागासस्थिकायस्स Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 224 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः देसेणं फुडे, आगासत्थिकायस्स पदेसेहिं फुडे, नो पुढविकाइएणं फुडे जाव नो श्रद्धासमएणं फुडे, एगे अजीवदव्वदेसे अगुरुलहुए अणंतेहिं अगुरुलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागास-श्रणंतभागणे // सूत्रं 118 // इंदियपयस्स पढमो उद्देसो समत्तो॥ // इति पञ्चदशमपदे प्रथमोद्देशकः // 15-1 // // अथ श्री इन्द्रियाख्य-पञ्चदशमपदे द्वितीयोद्देशकः // इंदियउवचय 1 णिवत्तणा य 2 समया भवे असंखेजा 3 / लद्धी 4 उवयोगद्धं 5 अप्पाबहुए विसेसाहिया // 1 // ओगाहणा 6 अवाए 7 ईहा 8 तह वंजणोग्गहे 1-10 चेव / दबिंदिय 11 भाविदिय 12 तीया बद्धा पुरक्खडिया // 2 // कतिविहे णं भंते ! इंदियउवचए पन्नत्ते, गोयमा ! पंचविहे इंदियउवचए पन्नते, तंजहा-सोतिदिए उबचते चक्खिदिए उवचते घाणिदिए उवचते जिभिदिए उवचते फासिदिए उवचते 3 / नेरइयाणं भंते ! कतिविहे इंदिग्रोवचए पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे इंदिनोवचए पन्नत्ते, तंजहा-सोतिदिनोवचए जाव फासिदिनोवचए, एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जइ इंदिया तस्स ततिविहो चेव इंदिनोवचयो भाणियब्वो 1, 2 / कतिविहा णं भंते ! इंदियनिव्वत्तणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पवविहा इंदियनिव्वत्तणा. पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदियनिव्वत्तणा जाव फासिंदियनिव्वतणा, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अत्थि 2, 3 / सोतिदियणिवत्तणा णं भंते ! कइसमइया पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखिजइसमया अंतोमुहुत्तिया पन्नत्ता 4 / एवं जाव फासिंदियनिव्वत्तणा, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 3, 5 / कइविहा णं भंते ! इंदियलद्धी पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा इंदियलद्धी पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदियलद्धी जाव फासिंदियलद्धी, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं १५-उ० 2 ] [ 225 तस्स तावइया भाणियव्वा 4, कतिविहा णं भंते ! इंदियउवयोगद्धा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा इंदियउवयोगद्धा पत्नत्ता, तंजहा-सोतिदियउवयोगद्धा जाव फासिदियउवयोगद्धा, एवं नेरइयाणं जाय वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि 7 / एतेसि णं भंते ! सोतिंदिय-चक्खिदिय-वाणिदियजिभिदिय-फासिंदियाणं जहरिणयाए उपयोगद्धाए उक्कोसियाए उवश्रोगद्धाए जहन्नुकोसियाए उवयोगद्धाए कयरे२हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा सोतिंदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा विसेसाहिया पाणिंदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा विसेसाहिया जिभिदियस्स जहरिणया उवणोगद्धा विसेसाहिया फासिंदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा विसेसाहिया उक्कोसियाए उवयोगदाए सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स उकोसिया उवयोगद्धा सोतिंदियस्स उकोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया घाणिदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया जिभिदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया फासिदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया जहण्णउकोसियाए उवयोगद्धाए सव्वत्थोवा चक्खिदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा सोतिदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा विसेसाहिया घाणिदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा विसेसाहिया जिभिदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा विसेसाहिया फासिंदियस्स जहरिणया उवयोगद्धा विसेसाहिया फासिदियस्स जहरिणयाहिंतो उवयोगलाहिंतो चक्खिदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया सोतिदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया घाणिदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया जिभिदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया फासिंदियस्स उक्कोसिया उवयोगद्धा विसेसाहिया 5, 8 | कतिविहा णं भंते ! इंदियोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा इंदियश्रोगाहणा पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदियोगाहणा जाव फासिदिययोगाहणा, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स जइ इंदिया अस्थि 6, 1 26 Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 226 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पष्ठो विभामः // सूत्रं 111 // कतिविधे णं भंते ! इंदिययवाए पन्नत्ते, गोयमा ! पंचविधे इंदियश्रवाए पन्नत्ते, तंजहा-सोतिदियवाए जाव फासिदियअवाए, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स जतिया इंदिया अस्थि 1 / कतिविहा णं भंते ! ईहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा ईहा पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदियईहा जाव फासिंदियईहा, एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं जस्स जइ इंदिया 8,2 / कतिविधे णं भंते ! उग्गहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे उग्गहे पनत्ते, तंजहाअत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य 3 / वंजणोग्गहे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउबिधे पन्नत्ते, तंजहा-सोतिदियवंजणोग्गहे घाणिदियवंजणोग्गहे जिभिदियवंजगोग्गहे फासिंदियवंजणोग्गहे 4 / अत्थोग्गहे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! छबिहे अत्थोग्गहे पन्नत्ते, तंजहा-सोतिदियअत्थोवग्गहे चक्खिदियपत्थोवग्गहे पाणिदिययत्थोवग्गहे जिभिदियपत्थोवग्गहे फासिदियपत्थोवग्गहे नोइंदियनत्थोवग्गहे 5 / नेरझ्याणं भंते ! कतिविहे उग्गहे पराणत्ते?,गोयमा ! दुविहे उग्गहे पन्नत्ते ?, तंजहा-पत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य, एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणं 6 / पुढविकाइयाणं भंते ! कतिविधे उग्गहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे उग्गहे पन्नत्ते, तंजहा-पत्थोग्गहे य वंजणोवग्गहे य 7 / पुढविकाइयाणं भंते ! वंजणोग्गहे कतिविधे पन्नत्ते ? गोयमा ! एगे फासिंदियवंजणोग्गहे पन्नत्ते 8 / पुढविकाइयाणं भंते ! कतिविधे प्रत्थोग्गहे पराणते ?, गोयमा ! एगे फासिंदियपत्थोग्गहे पन्नत्ते 1 / एवं जाव वणस्सइकाइयाणं, एवं बेइंदियाणवि, नवरं बेइंदियाणं वंजणोग्गहे दुविहे पन्नत्ते, अत्थोग्गहे दुविहे पनत्ते, एवं तेइंदियचउरिंदियाणवि, णवरं इंदियपरिवुढी कायव्वा, चारिदियाणं वंजणोगहे तिविधे पन्नत्ते, अत्थोग्गहे वउविधे पन्नत्ते, सेसाणं जहा नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 1-10, 10 // सूत्रं 200 // कतिविहा णं भंते ! इंदिया पत्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पनत्ता, कतिविहान 10, 10 // स पन्नते, सेसाणं नया Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं १५-उ० 2 ) [ 227 तंजहा-दविदिया य भाविदिया य 1 / कति | भंते ! दबिदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! अट्ठ दबिदिया पन्नत्ता, तंजहा-दो सोत्ता दो नेत्ता दो घाणा जीहा फासे 2 / नेरइयाणं भंते ! कति दविदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! अट्ठ एते चेव, एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणवि 3 / पुढविकाइयाणं भंते ! कति दधिदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! एगे फामिदिए पन्नत्ते, एवं नाव वणस्सइकाइयाणं 4 / बेइंदियाणं भंते ! कति दबिंदिया पन्नत्ता ?, गोयमा! दो दबिंदिया पन्नत्ता, तंजहा-फासिदिए य जिभिदिए य 5 / तेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! चत्तारि दबिंदिया पन्नत्ता, तंजहा-दो घाणा जीहा फासे 6 / चरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! छ दविदिया पन्नत्ता, तंजहा-दो णेत्ता दो घाणा जीहा फासे, सेसाणं जहा नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 7 | एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया दविदिया अतीता ?, गोयमा ! श्रणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! अट्ट, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! श्रट्ट वा सोल वा सत्तरस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा 8 / एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, अट्ट, केवइया पुरेक्खडा ?, अट्ठ वा नव वा सत्तरस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियव्वं 1 / एवं पुदविकाइया ग्राउकाइया वणस्सइकाइयावि, नवरं केवइया बद्धेल्लगत्ति पुच्छाए उत्तरं एक्के फासिंदियदविदिए 10 / एवं तेउकाइयवाउकाइयस्सवि, नवरं पुरेक्खडा नव वा दस वा 11 / एवं बेई. दियाणवि, णवरं बद्धेलगपुच्छाए दोगिण, एवं तेइंदियस्सवि, णवरं बद्धेलगा चत्तारि, एवं चउरिदियस्सवि नवरं बद्धलगा छ 12 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा वाणमंतरा जोइसियसोहम्मीसाणगदेवस्स जहा असुरकुमारस्स, नवरं मणूसस्स पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ णस्थि, जस्सस्थि अट्ट वा नव वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, सणंकुमार-माहिंद Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 228 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः बंभ-लंतग-सुक-सहस्सार-प्राणय-पाणय-सारण-अच्चुय-गेवेजगदेवस्स य जहा नेरइयस्स 13 / एगमेगस्स णं भंते ! विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवस्स केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! अट्ट, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अट्ट वा सोलस वो चउवीसा वा संखेना वा, सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स अतीता श्रणंता बद्धलगा अट्ट पुरेक्खडा अट्ठ 14 / नेरइयाणं भंते ! केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! असंखेजा, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अणंता, एवं जाव गेवेजगदेवाणं, नवरं मणूसाणं बद्धलगा सिय संखेजा सिय असंखेजा 15 / विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! अतीता अणंता बद्धेल्लगा असंखेजा पुरेक्खडा असंखेजा 16 / सबट्टसिद्धगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! अतीता अणंता, बद्धेल्लंगा संखेजा, पुरेक्खडा संखेजा 17 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवड्या दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेलगा?, गोयमा ! अट्ठ, केवइया पुरेक्खडा ?, गोंयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा 18 / एगमेगस्स गण भंते ! नेरझ्यस्स असुरकुमारते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! णस्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सस्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव थणियकुमारत्ति 11 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स पुढविकाइयत्ते केवइया दविदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बरेलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि एको वा दो वा तिरिण वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव वणस्सइकाइयत्ते 20 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं १५-उ० 2 / [ 226 बेइंदियत्ते केवड्या दबिदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! णस्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि; जस्सत्थि दो वा चत्तारि वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा 21 / एवं तेइंदियत्तेवि, नवरं पुरेक्खडा चत्तारि अट्ठ वा बारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं उरिदियत्तेवि, नवरं पुरेक्खडा छ वा बारस वा अट्ठारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते मणूसत्तेवि एवं चेव, नवरं केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, सव्वेसि मणूसवजाणं पुरेक्खडा मणूसत्ते कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थित्ति, एवं ण वुचति 22 / वाणमंतर-जोइसियसोहम्मग जाव गेवेजगदेवत्ते अतीता अणंता बद्धेल्लगा नत्थि, पुरेक्खडा कस्सई अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेन्जा वा असंखेजा वा अणंता वा 23 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स विजयवेजयंत-जयंत-अपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! नत्थि, केवइया बद्धेल्लगा ? गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट वा सोलस वा, सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते अतीता नत्थि, बद्धलगा णत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ 24 / एवं जहा नेरझ्यदंडयो नीतो तहा असुरकुमारेणवि नेतब्वो, जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएणं, नवरं जस्स सट्टाणे जइ बद्धेल्लगा तस्स तइ भाणियव्वा 25 / एगमेगस्त णं भंते ! मणूसस्स नेरइयते केवइया दबिंदिया अतीता ? गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि अट्ठ वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा, एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ते, णवरं एगिदियविगलिदिएसु जस्स जइ पुरेक्खडा तस्स Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 230 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः तत्तिया भाणियव्वा 26 / एगमेगस्स णं भंते ! मासस्स मणूसत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ? गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ? गोयमा ! अट्ट, केवइया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थि, जस्सत्थि अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, वाणमंतरजोइसिया जाव गेवेजगदेवत्ते जहा नेरइयत्ते 27 / एगमेगस्स णं भंते ! मणूसस्स विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि पट्ट वा सोलस वा, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! नत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! करसइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सऽत्थि अट्ठ वा सोलस वा, एगमेगस्स णं भंते ! मणूसस्स वा सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवतिता दबिदिया अतीता ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि अट्ठ, केवइया बरेलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थि, जस्स अस्थि अट्ट, वाणमंतरजोतिसिए जहा नेरतिए 28 / सोहम्मगदेवेवि जहा नेरइए, नवरं सोहम्मगदेवस्स विजय-वेजयंत-जयंतापराजियत्ते केवइया दविदिया अतीता ?, गोयमा ! कस्तइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सति णत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ वासोलस वा, सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते जहा नेरइयस्स, एवं जाव गेवेजगदेवस्स, सवठ्ठसिद्धग ताव णेतव्यं 21 / एगमेगस्स णं भंते ! विजय-वेजयंत-जयंतापराजितदेवस्स नेरइयत्ते के इया दविदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवझ्या बद्धलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! णस्थि, एवं जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियत्तेमणूसत्ते अतीता अणंता, बद्धलगा णत्थि, पुरेवखडा अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा, वाणमंतरे जोइसियत्ते, जहा नेरइयत्ते, सोहम्मगदेवत्तेऽतीता अणंता, बद्धेल्लगा णत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट वा सोलस Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं १५-उ० 2 ) [ 231 वा चउवीसा वा संखेजा वा, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते 30 / विजय-वेजयंतजयंत-अपराजितदेवत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, केवतिया बद्धलगा ?, गोयमा ! अट्ट, केवतिया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, एगमेगस्स णं भंते ! विजयवेजयंत-जयंत-अपराजियदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवइया दबिदिया अतीता?, गोयमा ! णत्थि, केवइया बद्धेल्लगा ?,गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि अट्ठ 31 / एगमेगस्स णं भंते ! सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स नेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! णस्थि, एवं मणूसवज्जं जाव गेवेजगदेवत्ते, नवरं मणूसत्ते अतीता अणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अट्ट, विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितदेवत्ते अतीता कस्सति अस्थि कस्सति नत्थि, जस्स अत्थि अट्ट, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! णस्थि 32 / एगमेगस्स णं भंते ! सब्वट्ठसिद्धगदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवइया दविदिया अतीता ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! अट्ट, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! णत्थि / नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिता दविदिया अतीता ?, गोयमा ! श्रणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! असंखेजा, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अणंता, नेरझ्याणं भंते ! असुरकुमारत्ते केवइया दविदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेवखडा ?, गोयमा ! अणंता, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते 33 / नेरझ्याणं भंते ! विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! नत्थि, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! असंखिजा, एवं सब्वट्ठसिद्धगदेवत्तेवि, एवं जाव पंचिदियतिरिक्ख Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 232 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः जोणिया सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते भाणियव्वं, नवरं वणस्सइकाइयाणं विजयवेजयंत-जयंतअपराजितदेवत्ते सव्वट्ठसिद्धगदेवते य पुरेक्खडा अणंता, सव्वेसिं मणूस-सव्वट्ठसिद्धग-वजाणं सट्ठाणे बद्धेल्लगा असंखेजा, परहाणे बद्धेल्लगा णत्थि, वणस्सइकाइयाणं सट्टाणे बद्धलगा अणंता, मणूसाणं नेरइयचे अतीता अणंता, बद्धलगा णस्थि, पुरेवखडा अणंता, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते, नवरं सट्ठाणे अतीता अणंता, बद्धलगा सिय संखेजा सिय असंखेजा, पुरेक्खडा अणंता 34 / मणूसाणं भंते ! विजय-वेजयंत-जयंतअपराजितदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! संखेजा, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! णस्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! सिय संखेजा सिय असंखेजा, एवं सव्वट्ठसिद्धगदेवत्तेवि वाणमंतर-जोइसियाणं जहा णेरइयाणं, सोहम्मगदेवाणं एवं चेव / नवरं विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवत्ते अतीता असंखेजा, बद्धलगा णत्थि, पुरेक्खडा असंखेजा सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते अतीता णत्थि, बद्धेल्लगा णत्थि, पुरेक्खडा असंखेजा, एवं जाव गेवेजगदेवाणं 35 / विजयवेजयंत-जयंतअपराजितदेवाणं भंते ! नेरइयत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?,गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेलगा?, गोयमा ! णत्थि, केवझ्या पुरेक्खडा?, गोयमा ! णस्थि, एवं जाव जोइसियत्तेवि. णवरमेसि गोयमा! मणूसत्ते अतीता अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, णस्थि, पुरेक्खडा असंखिजा, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते सट्टाणे अतीता असंखेजा, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! असंखिजा, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! असंखेजा, सव्वट्टसिद्धगदेवत्ते अतीता नत्थि बद्धेल्लगा नत्थि पुरेक्खडा असंखेजा 36 / सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिया दबिदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवतिया बद्धलगा ?, गोयमा ! नत्थि, केवतिया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! णत्थि, एवं मणूसवज्ज जाव गेवेजगदेवत्ते, मणुसत्ते अतीता अणंता, बद्धेलगा नत्थि, पुरेक्खडा संखेजा 37 / विजयवेजयंत-जयंतश्रपराजितदेवत्ते Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं १५-उ० 2 ) केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! संखेजा, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! णस्थि 38 / सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते ! सबट्टसिद्धगदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! संखिज्जा, केवइया पुरेवखडा ?, गोयमा ! णस्थि, दारं 11, 31 / कति णं भंते ! भाविंदिया, पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच भाविंदिया पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदिए जाव फासिदिए 40 / नेरझ्याणं भंते ! कति भाविदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच भाविदिया पन्नत्ता, तंजहासोतिदिते जाव फासिदिते, एवं जस्स जइ इंदिया तस्स तइ भाणितव्वा, जाव वेमाणियाणं 41 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया भाविदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! पंच, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! पंच वा दस वा एकारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं असुरकुमारस्मवि, नवरं पुरेक्खडा पंच वा छ वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव थणियकुमारस्सवि, एवं पुढविकाइय-याउकाइय-वणस्सइकाइयस्सवि, वेइंदिय-तेइंदिय--चउरिदियस्सवि, तेउकाइय-बाउकाइयस्सवि, एवं चेव, नवरं पुरेक्खडा छ वा सत्त वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, पंचिदियतिरिक्खजोणियस्स जाव ईसाणस्स जहा असुरकुमारस्स, नवरं माणूसस्स पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थित्ति भाणियव्वं, सणंकुमार जाव गेवेजगस्स जहा नेरइयस्स, विजय-वेजयंत-जयंतअपराजितदेवस्स अतीता अणंता, बद्धेल्लगा पंच, पुरेक्खडा, पंच वा दस वा पराणरस वा संखेजा वा, सबट्टसिद्धगदेवस्स अतीता अणंता, बद्धलगा पंच, केवइया पुरेक्खडा ?, पंच 42 / नेरडयाणं भंते ! केवइया भाविदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! असंखेज्जा, केवड्या पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अणंता, एवं जहा दविदिएसु पोहत्तेणं दंडतो भणितो तहा भाविदिएसुवि पोहत्तेणं दंडतो भाणियव्यो, नबरं वण 30 Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 234 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभाग स्सइकाइयाणं बद्धेल्लगा अणंता 43 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया भाविंदिया अतीता ?, गोयमा ! श्रणंता, बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! पंच, पुरक्खडा कस्सवि अस्थि कस्सवि नत्थि, जस्स अत्थि पंच वा दस वा परणरस्स वा संखेज्जा वा असंखेजा वा अणंता वा 44 / एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणं, नवरं बद्धेल्लगा नत्थि, पुढविकाइयत्ते जाव बेइंदियत्ते जहा दबिंदिया, तेइंदियत्ते तहेव नवरं पुरेक्खडा तिरिण वा छ वा णव वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं चउरिंदियत्तेवि, नवरं पुरेक्खडा चत्तारि वा अट्ट वा बारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा 45 / एवं एए चेव गमा चत्तारि जाणेतब्वा जे चेव दविदिएसु, णवरं तइयगमे जाणितव्वा जस्स जइ इंदिया ते पुरेक्खडेसु मुणेतव्वा, चउत्थगमे जहेव दबिंदिया, जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवतिया भाविंदिया अतीता ?, गोयमा! नत्थि, बद्धलगा?,गोयमा ! संखिजा, पुरेक्खडा?,गोयमा ! णस्थि // सूत्रं 201 // पराणवणाए भगवतीए पनरसमं इंदियपयं समत्तं // बीयो उद्देसो समत्तो॥ " // इति पञ्चदशमपदे द्वितीय उद्देशकः // 15-2 // // अथ श्री प्रयोगाख्यं षोडशं पदम् // कतिविहे णं भंते ! पयोगे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पराणरसविहे पत्रोगे पन्नत्ते, तंजहा-सच्चमणप्पयोगे 1 असच्चमणप्पयोगे 2 सच्चामोसमणप्पयोगे 3 असच्चामोसमणप्पयोगे 4 एवं वइप्ययोगेवि चउहा 8 योरालियसरीरकायप्पयोगे 1 बोरालिय-मीस-सरीरकायप्पयोगे ? 0 वेउब्विय-सरीरकायप्पयोगे 11 वेउब्विय-मीस-सरीरकायप्पयोगे 12 याहारक-सरीरकायप्पयोगे 13 थाहारग-मीस-सरीरकायप्पयोगे 14 तेयाकम्मा-सरीरकायप्पश्रोगे 15 ॥सूत्रं २०२॥जीवाणं भंते ! कतिविधे पभोगे पराणते?,गोयमा ! पराणरसविधे, Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 16 ] [ 235 पयोगे पराणत्ते, तंजहा-सच्चमणप्पयोगे जाव कम्मासरीरकायप्पयोगे 1 / नेरझ्याणं भंते ! कविविध पयोगे पराणते ?, गोयमा! एक्कारसविधे पयोगे पन्नत्ते, तंजहा-सच्चमणप्पयोगे जाव असच्चामोसवयप्पश्रोगे वेउब्विय-सरीरकायप्पयोगे वेउब्वियमीस-सरीरकायप्पयोगे तेयाकम्मा सरीरकायप्पयोगे, एवं असुरकुमाराणवि जाव थणियकुमाराणं 2 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! तिविहे पयोगे पनत्ते, तंजहा-ओरालिय सरीरकायप्पयोगे पोरालियमीससरीरकायप्पयोगे कम्मा-सरीरकायप्पयोगे य, एवं जाव वणम्सइकाइयाणं, णवरं वाउकाइयाणं पंचविहे पयोगे पन्नते, तंजहा-थोरालिय-सरीरकायप्पयोगे पोरालियमीस-सरीरकायप्पयोगे य वेउब्विए दुविधे कम्मासरीरकायप्पयोगे य 3 / बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! चउविहे पयोगे पन्नत्ते, तंजहाअसच्चामोसवइप्पयोगे पोरालिय सरीरकायप्पयोगे पोरालियमीस-सरीरकायप्पयोगे कम्मासरीरकायप्पयोगे एवं जाव चउरिदियाणं 4 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोश्मा ! तेरसविधे पयोगे पन्नत्ते, तंजहासच्चमणप्पयोगे मोसमणप्पयोगे सच्चामोसमणकायप्पयोगे असच्चामोसमणप्पयोगे, एवं वइप्पयोगेवि, योरालिय-सरीरकायप्पयोगे पोरालियमीस-सरीरकायप्पयोगे वेउब्बियसरीरकायप्पयोगे वेउब्वियमीस-सरीरकायप्पयोगे कम्मासरीरकायप्पयोगे, मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! पराणरसविधे पयोगे पनत्ते, तंजहा-सच्चमणप्पयोगे जाव कम्मासरीरकायप्पयोगे, वाणमंतर-जोइसियवेमाणियाणं जहा नेरइयाणं 5 // सूत्रं 203 / / ___ जीवाणं भंते ! किं सचमणप्पयोगी जाव किं कम्मसरीरकायप्पयोगी ?, गोयमा ! जीवा सव्वेवि ताव होज सच्चमणप्पयोगीवि जाव वेउब्वियमीस-सरीरकायप्पयोगीवि कम्मासरीरकायप्पयोगीवि 13, श्रहवेगे य श्राहारगसरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य याहारग-सरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य पाहारगमीस-सरीरकायप्पयोगी य 3, ग्रहवेगे य थाहारगमीस-सरीर Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 236 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: षष्ठो विभागः कायप्पयोगिणो य 4, चउभंगो, ग्रहवेगे य आहारगसरीर-कायप्पयोगी य पाहारगमीससरीर-कायप्पयोगी य 1 अहवेगे य थाहारगसरीर-कायप्पयोगी य आहारगमीससरीर-कायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य थाहारग-सरीरकायप्पयोगिणो य पाहारगमीससरीर-कायप्पयोगी य 3 अहवेगे य पाहारग-सरीरकायप्पयोगिणो य पाहारगमीससरीरकायप्पयोगिणो य 4, एए जीवाणं अट्ठ भंगा 1 / नेरइयाणं भंते ! किं सच्चमणप्पयोगी जाव किं कम्मसरीरकायप्पयोगी 11 ?, नेरइया सव्वेवि ताव होजा सच्चमणप्पयोगीवि जाव वेउब्वियमीसासरीर-कायप्पयोगीवि, अहवेगे य कम्मसरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 2, एवं असुरकुमारावि, जाव थणियकुमाराणं 2 / पुढविकाइयाणं भंते ! किं पोरालियसरीरकायप्पयोगी ओरालियमीसा-सरीरकायप्पयोगी कम्मासरीरकायप्पयोगी ?, गोयमा ! पुढविकाझ्या पोरालियसरीर-कायप्पयोगीवि बोरालियमीस-सरीरकायप्पयोगीवि कम्मासरीरकायप्पयोगीवि, एवं जाव वणप्फइकाइयाणं, णवरं वाउकाइया वेउब्विय--सरीरकायप्पयोगीवि वेउव्वियमीसासरीरकायप्पयोगीवि 3 / बेइंदियाणं भंते ! किं पोरालिय-सरीरकायप्पयोगी जाव कम्मासरीरकायप्पयोगी ?, गोयमा / बेइंदिया सव्वेवि ताव होजा असचमोसवइप्पयोगीवि बोरालिय-सरीरकायप्पयोगीवि बोरालियमीससरीरकायप्पयोगीवि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगीवि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य, एवं जाव चरिंदियावि, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरझ्या, नवरं पोरालिय-सरीरकायप्पयोगोवि योरालियमीसासरीर-कायप्पयोगीवि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगी य ग्रहवेगे य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 4 / मणूताणं भंते ! किं सच्चमणप्पयोगी जाव किं कम्मासरीरकायप्पयोगी ?, गोयमा ! मासा सव्वेवि ताव होजा सच्चमणप्पयोगीवि जाव अोरालियसरीर-कायप्पयोगीवि, वेउब्वियसरीर-कायप्पयोगीवि Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 16 ] [ 237 वेउब्बियमीससरीर-कायप्पयोगी य, ग्रहवेगे य थोरालियमीसासरीर-कायप्पयोगी य ग्रहवेगे य थोरालियमीसासरीर-कायप्पयोगिणो य 2 अहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगी य, ग्रहवेगे य ग्राहारगसरीरकायप्पयोगिणो य 2, ग्रहवेगे य थाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य अहवेगे य थाहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य अहवेगे य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 2, एते अट्ठ भंगा पत्तेयं 5 / अहवेगे य योरालियमीससरीरकायप्पयोगी य याहारगसरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य योरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य आहारगसरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य ाहारगमीसासरीरकायप्पयोगीय 3 अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य आहारगसरीरकायप्पयोगिणों य 4 एवं एते चत्तारि भंगा 6 / अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य याहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य योरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य श्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य 3 अहवेगे य थोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगमीसासरीरकायप्परोगिणो य 4, चत्तारि भंगा 7 / ग्रहवेगे य श्रोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 2, ग्रहवेगे पोरालियमीसासरीरकायप्पश्रोगिणो य कम्मासरीर-कायप्पयोगी य 3, ग्रहवेगे पोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 4, एते चत्तारि भंगा 8 / श्रहवेगे य पाहारगसरीरकायप्पयोगी य ग्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगी य ग्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य 2 अहवेगे य श्राहारगसरीरकायप्पयोगिणो य Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 238 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागा थाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य 3 ग्रहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य याहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य 4, चत्तारि भंगा 1 / यहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 3 ग्रहयेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 4, चउरो भंगा 10 / ग्रहवेगे य ाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य ग्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य आहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 3 अहवेगे य थाहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 4, चउरो भंगा 11 / एवं चउव्वीसं भंगा, अहवेगे य पोरालियमीसगसरीरकायप्पयोगी य याहारगसरीरकायप्पयोगी य पाहारगमीसातरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य बोरालियमीसगसरीरकायप्पयोगी य याहारगसरीरकायप्पयोगी य आहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य योरालियमीसगसरीरकायप्पयोगी य थाहारगसरीरकायप्प योगिणो य श्राहागमीसासरीरकायप्पयोगी य 3 यहवेगे य योरालियमीसासरीरकायप्पयोगीय पाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य अाहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य 4, ग्रहवेगे य योरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य पाहारगसरीरकायप्पयोगी य पाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य 5 अहवेगे य बोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगसरीरकायप्पयोगी य याहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य 6 ग्रहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य याहारगसरीरकायप्पयोगिणो य याहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य 7, ग्रहवेगे य श्रोलियमीसासरीर. कायप्पयोगिणो य याहारकसरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगमीसासरीर Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 16 ] [ 239 कायप्पयोगिणो य 8, एते अट्ठ भंगा 12 / यहवेगे य बोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी याहागसरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 1, अहवेगे य श्रोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य ाहारगसरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य थोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य पाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 3 अहवेगेय बोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य ाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 4 अहवेगे य श्रोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगसरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 5 अहवेगे य बोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य थाहारगसरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 6 अहवेगे य पोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगसरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 7 अहवेगे य थोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य ग्राहारगसरोरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 8 एते अट्ठ भंगा 13 / अहवेगे य अोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य पाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य योरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य ाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य पाहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 3 अहवेगे य थोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य श्राहारगमीसासरीर. कायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 4 अहवेगे य थोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 5 शहवेगे य थोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य श्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 6 अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य थाहारगमीसासरीरकाय Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 240 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः प्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगी य 7 ग्रहवेगे य श्रोरालियमीसासरीरकायप्पयोगिणो य पाहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 8 एते अट्ठ भंगा 14 / अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पयोगी य थाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 1, अहवेगे य याहारगसरीरकायप्पयोगी य थाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 2 अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पयोगी य आहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 3 अहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगी य पाहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 4 ग्रहवेगे य पाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य पाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 5 ग्रहवेगे य ग्राहारगसरीरकायप्पयोगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 6 अहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य याहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 7 अहवेगे य थाहारगसरीरकायप्पयोगिणो य याहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पयोगिणो य 8 / एए अट्ट भंगा 15 / एवं एए तियसंजोएणं चत्तारि अट्ठ भंगा, सव्वेवि मिलिता बत्तीसं भंगा जाणितव्या 32, 16 / ग्रहवेगे य थोरालिमिस्सासरीरकायप्पयोगी य पाहारगसरीरकायप्पयोगी य पाहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 1 अहवेगे य योरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य पाहारगसरीरकायप्पयोगी य श्राहारगमीसासरीरकायप्पयोगी य. कम्मासरीरकाय. प्पयोगिणो य 2 ग्रहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य पाहारगसरीरकायप्पयोगी य थाहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकाय. प्पयोगी य 3 अहवेगे य थोरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य याहारगसरीरकायप्पयोगी य याहारगमीसासरीरकायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकाय Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 16 ) [ 241 प्पयोगिणो य 4 अहवेगे य योरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगी य याहारगसरीरकायप्पयोगिणो य थाहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 5 ग्रहवेगे य योरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगी य श्राहारगसरीर-कायप्मयोगिणो य श्राहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 6 अहवेगे य थोरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगी य थाहारगसरीर-कायप्पयोगिणो य थाहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 7 ग्रहवैगे य योरालिय-प्रीसासरीर-कायप्पयोगी य याहारगसरीर-कायप्पयोगिणो य ाहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 8 अहवेगे य थोरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य पाहारगसरीर-कायप्पयोगी य ग्राहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगी य कम्मासरीर-कायप्पयोगी य 1 अहवेगे य थोरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य पाहारगसरीर-कायप्पयोगी य थाहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगी य कम्मासरीर-कायप्पयोगिणो य 10 ग्रहवेगे य योरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य थाहारगसरीर-कायप्पयोगी याहारम-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 11 ग्रहवेगे य ओरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य पाहारगसरीर-कायप्पयोगी य ग्राहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य कम्मासरीर-कायप्पयोगिणो य 12 ग्रहवेगे य ओरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो याहारगसरीर-कायप्पयोगिणो याहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगी य कम्मासरीर-कायप्पयोगी य 13 ग्रहवेगेय थोरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य थाहारगसरीर-कायप्पयोगिणो य याहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगी य कम्मासरीरकायप्पयोगिणो य 14 ग्रहवेगे य थोरालिय-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य आहारगसरीर-कायप्पयोगिणो य पाहारग-मीसासरीर-कायप्पयोगिणो य कम्मासरीरकायप्पयोगी य 15 अहवेगे य घोरालिय-मीसासरीर-कायप्पश्रोगिणो य श्राहारगसरीर-कायप्पयोगिणो य आहारग-मीसासरीर-कायप्प Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 242) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः योगिणो य कम्मासरीर-कायप्पयोगिणो य 16, एवं एते चउसंजोएणं सोलस भंगा भवंति 17 / सव्वेऽवि य णं संपिंडिया असीति भंगा भवंति 18 / वाणमंतर-जोइसवेमाणिया जहा असुरकुमारा 11 // सूत्रं 204 // कइविहे णं भंते ! गइप्पवाए पराणत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे गइप्पवाए पन्नत्ते, तंजहा-पयोगगती 1 ततगती 2 बंधणछेदणगती 3 उववायगती 4 विहायगती 5, 1 / से किं तं पयोगगती ?, 2 पराणरसविहा पन्नत्ता, तंनहा-सच्चमणप्पयोगगती एवं जहा पोगो भणितो तहा एसावि भाणितव्वा जाव कम्मगसरीर-कायप्पयोगगती 2 / जीवाणं भंते ! कतिविहा पयोगगती पन्नत्ता ?, गोयमा ! पराणरसविहा पन्नत्ता, तंजहा-सच्चमणप्पश्रोगगती जाव कम्मगसरीर-कायप्पयोगगती 3 / नेरइयाणं भंते ! कइविहा पयोगगती पत्नत्ता ?, गोयमा ! एकारसविहा पनत्ता, तंजहा-सच्चमणप्पयोगगती, एवं उवउजिऊण जस्स जतिदिहा तस्स ततिविहा भाणितव्वा जाव वेमाणियाणं 4 / जीवाणं भंते ! किं सच्चमणप्पयोगगती जाव कम्मगसरीरकायप्पयोगगती ?, गोयमा ! जीवा सव्वेवि ताव होज सञ्चमणप्पयोगगतीवि, एवं तं चेव पुत्ववरिणतं (भणियं) भाणितव्वं भंगा तहेव जाव वेमाणियाणं, से तं पयोगगती 1, 5 / से किं तं ततगती ?, 2 जे णं जं गाम वा जाव सगिणवेसं वा संपट्टिते असंपत्ते अंतरापहे वट्टति, से तं ततगती 2, 6 / से किं तं बंधणछेदणगती ?, 2 जगणं जीवो वा सरीरायो सरीरं वा जीवायो, से तं बंधणछेदणगती 3, 7 / से किं तं उववायगती ?, 2 तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-खेत्तोववायगती भवोववायगती नोभवोववायगती 8 / से कि तं खेत्तोक्वायगती ?, 2 पंचविहा पनत्ता, तंजहा-नेरइय-खेत्तोववायगती 1 तिरिक्खजोणिय-खेत्तोववायगती 2 मासखेत्तोववायगती 3 देव-खेत्तोववायगती 4 सिद्ध-खेत्तोववायगती 5, 1 / से किं तं नेरइयखेत्तोववायगती ?, 2 सत्तविहा पत्नत्ता, तंजहा-रयणप्पभा. Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पद 16 ] [ 243 पुढविनेरइय-खेत्तोववायगती जाव अधेसत्तमा-पुढविनेरइय-खेत्तोववायगती, से तं नेरइय-खेत्तोववायगती 1, 10 / से किं तं तिरिक्खजोणिय-खेत्तोववायगती ?, 2 पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-एगिदिय-तिरिक्खजोणिय-खेत्तोववायगती जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-खेत्तोववायगती, से तं तिरिक्खजोणियखेत्तोववायगती 2, 11 / से किं तं मणूस-खेत्तोववायगती ?, 2 दुविहा पन्नत्ता,तंजहा--समुच्छिममणूस-खेत्तोववायगती गम्भवक्कंतिय-मणूसखेत्तोववायगती से तं मणूस-खेत्तोववायगती 3, 12 / से किं तं देवखेत्तोववायंगती ?, 2 चउविहा पन्नत्ता, तंजहा-भवणवति-देवखेत्तोववायगती जाव वेमाणियदेव-खेत्तोववायगती, से तं देवखेत्तोववायगती 4, 13 / से कि तं सिद्धखेत्तोववायगती ?, 2 अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवयवासे सपक्खिसपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे चुल्लहिमवंत-सिहरिवासहर-पव्वत-पक्खिसपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे हेमवत-हेरगणवास-सपक्खंसपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे सदावइ-वियडावइ-बट्टवेयड-सपक्खंसपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे महाहिमवंत-रुप्पि-वासहरपव्वतसपक्खंसपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे हरिवासरम्मगवाससपक्खिसपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे गंधावाति-मालवंतपव्वय-वट्टवेयड-सपक्खिसपडिदिसं सिद्धखेत्तोववायगती, जंबुद्दीवे दीवे णिसहणीलवंत-वासहरपव्वत-सपक्खिसपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती जंबुद्दीवे दीवे पुब्वविदेहावरविदेह-सपक्खिसपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती जंबुद्दीवे दीवे देवकुरु-उत्तरकुरु-सपक्खिसपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती जंबुद्दीवे दीवे मंदरपब्वयस्स सपक्खिसपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती लवणे समुद्दे सपक्खिसपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती धायइसंडे दीवे पुरथिमद्ध-पच्छिमद्धमंदरपव्वत-सपक्खिसपडिदिसिं सिद्धखित्तोक्वायगती कालोयसमुद्द-सपक्खि Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 244 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः सपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती पुक्खरखरदीवद्ध-पुरथिमद्ध-भरहेरवय-वाससपक्खिसपडिदिसिं सिद्धखेत्तोववायगती एवं जाव पुक्खरखरदीवद्ध-पच्छिमद्धमंदरपव्वत-सपक्खिसपडिदिसि सिद्धखेत्तोववायगती, से तं सिद्धखेत्तोववायगती 5, 14 / से किं तं भवोववायगती ?, 2 चउन्विहा पन्नत्ता, तंजहानेरइयभवोवयगती जाव देवभवोववायगती 15 / से किं तं नेरइयभवोववायगती ?, 2 सत्तविहा पन्नत्ता, तंजहा–एवं सिद्धवजो भेदो भाणितव्यो जो चेव खेतोववायगतीए सो चेव, जाव से तं देवभवोववायगती, से तं भवोववायगती 16 / से कि तं नोभवोववायगती ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहापोग्गलणोभवोववायगती सिद्धनोभवोववायगती 17 / से किं तं पोग्गलनोभवोववायगती ?, 2 जगणं परमाणुपोग्गले लोगस्स पुरथिमिल्लायो चरिमंतायो पचत्थिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति पचस्थिमिलायो वा चरिमंतायो पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति दाहिणिल्लायो वा चरिमंतायो उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति एवं उत्तरिल्लायो दाहिणिल्लं उवरिल्लातो हेदिल्लं हेट्टिलायो उवरिल्लं, से तं पोग्गलणोभवोववायगती 18 / से किं तं सिद्धणोभवोववायगती ?, 2 दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-अणंतर. सिद्ध-णोभवोववायगती य परंपरसिद्ध-णोभवोववायगती य 11 / से कि तं अणंतरसिद्ध-णोभवोववायगती ?, 2 पराणरसविहा पन्नत्ता, तंजहातित्थसिद्ध-अणंतरसिद्ध-णोभवोववायगती य जाव अणेगसिद्ध-णोभवोववायगती य, सेत्तं अणंतरसिद्ध-नोभवोवायगती 20 / से किं तं परंपरसिद्धणोभवोववायगती ?, 2 श्रोगविहा पन्नत्ता, तंजहा-अपढमसमयसिद्ध-णोभवोववायगती एवं दुसमयसिद्ध-णोभवोववायगती जाव अणंतसमयसिद्ध-गोभवो. ववायगती, सेत्तं परंपरसिद्ध-णोभवोववायगती 21 / सेत्तं सिद्धणोभवोववायगती, से तं णोभवोववायगती, से तं उववायगती 4, 22 / से किं तं विहायगती ?, 2 सत्तरसविहा पराणत्ता, तंजहा-फुसमाणगती 1 अफुसमाण Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ 245 श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :पदं 16 / गती 2 उवसंपन्जमाणगती 3 अणुवसंपजमाणगती 4 पोग्गलगती 5 मंड्यगती 6 णावागती 7 नयगई 8 छायागती 1 छायाणुवातगती 10 लेसागई 11 लेसाणुवातगती 12 उदिस्सपविभत्तगती 13 चउपुरिसपविभत्तगती 14 वंकगती 15 पंकगती 16 बंधणविमोयणगती 17, 23 / से किं तं फुसमाणगती ?, 2 जगणं परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं अण्णमराणं फुसंताणं गती पवत्तइ सेत्तं फुसमाणगती 1, 24 / से किं तं अफुसमाणगती ?, 2 जगणं एतेसिं चेव अफुसंताणं गती पवत्तति से तं अफुसमाणगती 2, 25 / से किं तं उवसंपन्जमाणगती ?, 2 जराणं रायं वा जुवरायं वा ईसरं वा तलवरं वा माडंवितं वा कुडुबितं वा इब्भं वा सिट्टि वा सेणावति वा सत्यवाहं वा उपसंपज्जित्ता णं गच्छति, से तं उवसंपजमाणगती 3, 26 / से किं तं अणुवसंपन्जमाणगती ?, 2 जराणं एतेसिं चेव अराणमराणं अणुवसंपजित्ता णं गच्छति, से तं अणुवसंपन्जमाणगती 4, २७।से किं तं पोग्गलगती ?, 2 जंणं परमाणुपोग्गलाणं जाव अणंतपएसियाणं खंधाणं गती पवत्तति से तं पोग्गलगती 5, 28 / से किं तं मंडूयगती ?, 2 जगणं मंडूयो फिडित्ता मंडूए उप्फिडिया उप्फिडिया गच्छति, से तं मंड्यगती 6, 21 / से कि तं णावागती ?, जगणं णावा पुव्ववेतालीयो दाहिणवेयालिं जलपहेणं गच्छति, दाहिणवेतालियो वा अवरवेतालिं जलपहेणं गच्छति, से तं णावागती 7, 30 / से किं तं णयगती ?, 2 जगणं णेगम-संगह-बवहार-उज्जुसुय-सह-समभिरूढ-एवंभूयाणं नयाणं जा गती अहवा सव्वणयावि जं इच्छंति, से तं नयगती 8, 31 / से कि तं छायागती ?, 2 ज णं हयछायं वा गयछायं वा नरछायं वा किराणरछायं वा महोरगछायं वा गंधव्वछायं वा उसहछायं वा रहछायं वा छत्तछायं वा उपसंपजित्ताणं गच्छति, से तं छायागती 1, 32 / से किं तं छायाणुवायगत्ती ?, 2 जेणं पुरिसं छाया अणुगच्छति नो पुरिसे Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 246 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः छायं अणुगच्छति, से तं छायाअणुवायगती 10, 33 / से किं तं लेस्सागती ?, 2 जगणं किराहलेसा नीललेसं पप्प तारूवत्ताए तावरणत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताते भुजो 2 परिणामति, एवं नीललेसा काउलेसं पप्प तारूवत्ताए जाव ता फासत्ताए परिणमति, एवं काउलेसावि तेउलेसं तेउलेसावि पम्हलेसं पम्हलेसावि सुकलेसं पप्प तारूवत्ताते जाव परिणमति, से तं लेसागती 11, 34 / से किं तं लेसाणुवायगती ?, 2 जल्लेसाई दव्वाई परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु उववज्जंति, तंजहा-किराहलेसेसु वा जाव सुक्कलेसेसु वा, से तं लेसाणुवायगती 12, 35 / से किं तं उद्दिस्सपविभतगती ?, 2 जेणं पायरियं वा उवज्झायं वा थेरं वा पवत्तिं वा गणिं वा गणहरं वा गणावच्छेदं वा उदिसिय 2 गच्छति, से तं उदिस्सिय-पविभत्तगती 13, 36 / से किं तं चउपुरिस-पविभत्तगती , से जहानामए चत्तारि पुरिसा समगं पजवटिया समगं पट्टिता 1 समगं पजट्टिया विसमगं पट्ठिया 2 विसमं पजबट्ठिया समगं पट्ठिया 3 विसमं पज्जवट्टिया विसमं पट्ठिया 4, से तं चउपुरिसपविभत्तगती 14, 37 / से किं तं वंकगती ?, 2 चउविहा पन्नत्ता, तंजहा-घट्टनया थंभणया लेसणया पवडणया, से तं वंकगती 15, 38 / से किं तं पंकगती ?, 2 से जहाणामते केइ पुरिसे सेयंसि वा पंकसि वा उदयसि वा कायं उविहिया गच्छति, से तं पंकगती 16, 31 / से किं तं बंधणविमोयणगती ?, (ग्रं. 5000) 2 जगणं अंबाण वा अंबाडगाण वा माउलुगाण वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भलाण वा [ भव्वाण वा ] फणसाण वा दालिमाण वा पारेवताण वा अक्खोलाण वा चाराण वा वोराण वा तिंडुयाण वा पकाणं परियागयाणं बंधणातो विप्पमुक्काणं निवाघातेणं अधे वीससाए गती पवत्तइ, से तं बंधणविमोयणगती 17, 40 / से तं विहायोगती, से तं गइप्पवाए 41 / // सूत्रं 205 // पराणवणाए भगवईए सोलसमं पयोगपदं समत्तं // // इति षोडशं पद // 16 // Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 17 ] [ 247 // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदश-पदे प्रथमोद्देशकः // ___ याहार समप्तरीरा उस्सासे कम्मवन्न लेसासु / समवेदण समकिरिया समाउया चेव बोद्धव्वा // 1 ॥णेरझ्या णं भंते ! सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा सव्वे समुस्सासनिस्सासा ?, गोयमा ! णो इण8 समढे 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ-नेरइया नो सव्वे समाहारा जाव णो सब्वे समुस्सासनिस्सासा ?, गोयमा ! णेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–महासरीरा य अप्पमरीरा य 2 / तत्थ णं जे ते महासरीरा ते णं बहुतराए पोग्गले थाहारेंति बहुतराए पोग्गले परिणामेंति बहुतराए पोग्गले उस्ससंति बहुतराए पोग्गले नीससंति अभिक्खणं श्राहारेति अभिक्खणं परिणामेंति अभिक्खणं उससंति अभिक्खणं नीससंति, तत्थ णं जे ते अप्पसरीय ते णं अप्पतराए पोग्गले अाहारेंति अप्पतराए पोग्गले परिणामेंति अप्पतराए पोग्गले ऊससंति अप्पतराए पोग्गले नीससंति, श्राहच श्राहारैति अाहच्च परिणामेति बाहच उससंति अाहच्च नीससंति, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समाहारा नो सब्बे समसरीरा णो सव्वे समुस्सासनिस्सासा 2 // सूत्रं 206 // नेरइया णं भंते ! सव्वे समकम्मा ?, गोयमा ! नो इण? सम? 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?-नेरइया नो सब्वे समकम्मा ? गोयमा! नेरइया दुविहा पन्नत्ता. तंजहा-पुयोववनगा य पच्छोववनगा य, तत्थ णं जे ते पुढ्योववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा, से तेण?णं गोयमा ! एवं बुच्चइ-नेरइया णो सव्वे समकम्मा 2 / नेरइया | भंते ! सव्वे समवन्ना ?, गोयमा ! नो इण? समढे 3 / से केण8 णं भंते ! एवं उच्चति नेरझ्या नो सव्वे समवन्ना ?, गोयमा ! ओरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुत्वोववन्नगा य पच्छोववनगा य, तत्थ णं जे ते पुवोववन्नगा ते णं विसुद्धवन्नतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्धवन्नतरागा, से एएण?णं गोयमा ! Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 248 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः एवं वुचइ–नेरइया नो सब्वे समवन्ना 4 / एवं जहेव वन्नेण भणिया तहेव लेसासु विसुद्धलेसतरागा अविसुद्धलेसतरागा य भाणियव्वा 5 / नेरझ्या णं भंते ! सब्वे समवेदणा ?, गोयमा ! नो इण8 समढे 6 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति नेरइया णो सव्वे समवेयणा ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सन्निभूया य असन्निभूया य, तत्थ णं जे ते सन्निभूता ते णं महावेदणतरागा, तत्थ णं जे ते असन्निभूता ते णं अप्पवेदणतरागा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समवेयणा 7 ॥सूत्रं 207 // णेरइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ?, गोयमा ! नो इण8 सम? 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति ? नेरइया णो सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! नेरझ्या तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-सम्मट्टिी मिच्छदिट्टी सम्ममिच्छट्ठिी, तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी तेसि णं चत्तारि किरियायो कज्जंति, तंजहाश्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपञ्चक्खाणकिरिया, तत्थ णं जे ते मिच्छहिट्ठी जे य सम्मामिच्छट्टिी तेसि णं नियतायो पञ्च. किरियायो कज्जंति, तंजहा-प्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपचक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया, से तेणटेणं गोयमा ! एवं बुन्चइ-नेरइया नो सव्वे समकिरिया 2 / नेरझ्या णं भंते ! सव्वे समाउया ?, गोयमा ! णो इण? सम? 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! नेरइया चउबिहा पन्नत्ता, तंजहा-अत्थेगतिया समाउया समोववन्नगा अत्थेगतिया समाउया विसमोववन्नगा अत्यंगतिया विसमाउया समोववन्नगा अत्थेगतिया विसमाउया विसमोववन्नगा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सब्वे समाउया नो सव्वे समोववन्नगा 4 ॥सूत्रं २०८॥असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा एवं सब्वेवि पुच्छा, गोयमा ! नो इण? समढे 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जहा नेरइया 2 / असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समकम्मा ?, गोयमा ! णो इण? सम? 3 / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 17-1 ) [ 246 असुरकुमारा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुत्वोववन्नागा य पच्छोववन्नगा य, तत्थ णं जे ते पुब्योववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति-सुरकुमारा गो सव्वे समकम्मा 4 / एवं वनलेस्साए पुच्छा, तत्थ णं जे ते पुवोववन्नगा ते णं अविसुद्धवन्नतरागा तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं विसुद्धवन्नतरागा, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-असुरकुमारा णं सव्वे णो समवन्ना 5 / एवं लेस्साएवि, वेयणाए जहा नेरझ्या, श्रवसेसं जहा नेरइयाणं, एवं जाव थणियकुमारा 6 // सूत्रं 201 // पुढविकाइया श्राहार-कम्म-वन्नलेस्साहिं जहा नेरझ्या 1 / पुढविकाइया सब्वे समवेयणा पत्नत्ता ?, हंता गोयमा ! सव्वे समवेदणा, से केणटेणं भंते ! एवं वुञ्चति-पुढविकाइया सव्वे समवेदणा ?, गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे असन्नी असन्निभूयं अणिययं वेयणं वेयंति, से तेणणं गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समवेदणा 2 / पुढविकाइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ?, हंता गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समकिरिया 3 / से केण?णं ?, गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे माइमिच्छादिट्ठी तेसि णियइयायो पंच किरियायो कज्जति, तंजहा-श्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अप्पचक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया य, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति, जाव चउरिंदिया 4 / पंचेंदियतिरिवखजोणिया जहा नेरइया नवरं किरियाहिं सम्मदिट्टी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छट्टिी, तत्थ णं जे ते सम्मदिट्टी ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-असंजता य संजयासंजता य 5 / तत्थ णं जे ते संजयासंजया तेसि णं तिन्नि किरियायो कज्जति, तंजहाश्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया, तत्थ णं जे अस्संजता तेसि णं चत्तारि किरिया कज्जंति, तंजहा-श्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपच्चकखाणकिरिया, तत्थ णं जे ते मिच्छादिट्ठी जे य सम्मामिच्छदिट्ठी तेसि णं णियइयायो पंच किरियायो कजंति, तंजहा-प्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 250 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः अपञ्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया, सेसं तं चेव 7 // सूत्रं 210 // मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समाहारा ?, गोयमा ! णो इण? सम? 1 / से केण?णं ?, गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-महासरीरा य अप्पसरीरा य, तत्थ णं जे ते महासरीरा ते णं बहुतराए पोग्गले अाहारेंति जाव बहुतराए पोग्गले नीससंति अाहच श्राहारेंति ग्राहच नीससंति, तत्थ णं जे ते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले थाहारेति जाव अप्पतराए पोग्गले नीससंति अभिक्खणं आहारेंति जाव अभिक्खणं नीससंति, से तेण?णं मोयमा ! एवं वुच्चति-मणुस्सा सव्वे णो समाहारा, सेसं जहा नेरइयाणं 2 / नवरं किरियाहिं मणूसा तिविहा पन्नत्ता, तंजहासम्मट्ठिी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छदिट्टी 3 / तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-संयता असंयता संयतासंयता, तत्थ णं जे ते संयता ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सरागसंयता वीयरागसंयता य 4 / तत्थ णं जे ते वीयरागसंयता ते णं अकिरिया, तत्थ णं जे ते सरागसंयता ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पमत्तसंयता य अपमत्तसंयता य 5 / तत्थ णं जे ते अपमत्तसंजया तेसिं एगा मायावत्तिया किरिया कजति, तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया तेसिं दो किरियायो कज्जंति, तंजहा-श्रारंभिया मायावत्तिया य 6 / तत्थ णं जे ते संजयासंजया तेसिं तिन्नि किरियायो कज्जंति, तंजहा-प्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया 7 / तत्थ णं जे ते अस्संजया तेसि चत्तारि किरियायो कज्जंति, तंजहा-प्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपञ्चक्खाणकिरिया 8 / तत्थ णं जे ते मिच्छदिट्ठी जे सम्मामिच्छदिट्ठी तेसि नियइयायो पंच किरियायो कज्जंति, तंजहा-श्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपञ्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया, सेसं जहा नेरइयाणं 1 / // सूत्रं 211 // वाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणं 1 / एवं जोइसियवेमाणियाणवि, नवरं ते वेदणाए दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-माइ-मिच्छदिट्ठी Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भणिय समुरसासनिस्सा। सलेसा में भागईणं गोयमा श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-1 / [ 251 उववन्नगा य अमाइ-सम्मदिट्ठी-उववन्नगा य 2 / तत्थ णं जे ते माईमिच्छदिट्ठीउववन्नगा ते णं अप्पवेदणतरागा तत्थ णं जे ते अमाईसम्मदिट्ठीउववनगा ते णं महावेदणतरागा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ, सेसं तहेव 3 // सूत्रं 212 // सलेसा णं भंते ! नेरइया सव्वे समाहारा समसरीरा समुस्सासनिस्सासा 1 / सव्वेवि पुच्छा, एवं जहा श्रोहियो गमयो भणियो तहा सलेसागमयोवि निरवसेसो भाणियव्वो जाव वेमाणिया 1 / कराहलेसा णं भंते ! नेरझ्या सव्वे समाहारा पुच्छा, गोयमा ! जहा श्रोहिया, नवरं नेरइया वेयणाए माइमिच्छदिट्ठीउववन्नगा य अमाइसम्मदिट्ठीउववन्नगा य भाणियव्वा, सेसं तहेव जहा भोहियाणं 2 / असुरकुमारा जाव वाणमंतरा, एते जहा ग्रोहिया, नवरं मणुस्साणं किरियाहिं विसेसो जाव तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-संजया अस्संजया संजयासंजया य, जहा श्रोहियाणं, जोइसियवेमाणिया श्राइल्लियासु तिसु लेसासु ण पुच्छिज्जंति, एवं जहा किराहलेसा विचारिया तहा नीललेस्सा विचारेयव्वा, काउलेसा नेरइएहिंतो श्रारब्भ जाव वाणमंतरा, नवरं काउलेस्सा नेरझ्या वेदणाए जहा श्रोहिया 3 / तेउलेसा णं भंते ! असुरकुमाराणं तायो चेव पुच्छायो, गोयमा ! जहेव श्रोहिया तहेव नवरं वेयणाए जहा जोइसिया, पुढविश्राउ-वणस्सइ-पंचेंदिय तिरिक्ख-मगुस्सा जहा श्रोहिया तहेव भाणियव्वा, नवरं मणूसा किरियाहिं जे संजता ते पमत्ता य अपमत्ता य भाणियव्वा सरागवीयरागा नत्थि, वाणमंतरा तेउलेसाए जहा असुरकुमारा एवं जोइसियवेमाणियावि, सेसं तं चेव, एवं पम्हलेसावि भाणियव्वा, नवरं जेसि अस्थि, सुक्कलेस्सावि तहेव जेसिं अस्थि, सव्वं तहेव जहा श्रोहियाणं गमश्रो, नवरं पम्हलेस्ससुक्कलेस्सायो पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय-मणूस-वेमाणियाणं चेव, न सेसाणंति 4 // सूत्रं 213 // पनवणाए भगवईए लेस्सापए पढमा उद्देसयो समत्तो॥ _ // इति सप्तदशमपदे प्रथमोद्देशकः // 17-1 // Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 252 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदशम-पदे द्वितीयोद्देशकः // कइ णं भंते ! लेसायो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेसा पम्हलेसा सुकलेस्सा // सूत्रं 214 // नेरइयाणं भंते ! कइ लेसायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तिन्नि, तंजहा-किराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा 1 / तिरिक्खजोणियाणं भंते ! कइ लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव सुकलेसा 2 / एगिदियाणं भंते ! कइ लेसायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! चत्तारि लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराह. लेस्सा जाव तेउलेस्सा / पुढविकाइयाणं भंते ! कइ लेसायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! एवं चेव, ग्राउवणस्सइकाइयाणवि एवं चेव, तेउवाउबेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं जहा नेरइयाणं 3 / पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! छल्लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव सुक्कलेसा 4 / संमुच्छिम-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहा नेरइयाणं 5 / गम्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव सुक्कलेसा 6 / तिरिक्खजोणिणीणं पुच्छा, गोयमा ! छल्लेसायो एयायो चेव 7 / मासाणं पुच्छा, गोयमा ! छल्लेसायो एयायो चेव 8 / संमुच्छिममणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! जहा नेरइयाणं 6 / गम्भवक्कंतियमणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव सुकलेसा 10 / मणुस्सीणं पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव 11 / देवाणं पुच्छा, गोयमा ! छ एयायो चेव 12 / देवीणं पुच्छा, गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो एन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा जाव तेउलेस्सा 13 / भवणवासीणं भंते ! देवाणं पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव, एवं भवणवासिणीणवि 14 / वाणमंतरदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव, वाणमंतरीणवि 15 / जोइसियाण पुच्छा, गोयमा ! एगा तेउलेसा, Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-2 ] [ 253 एवं जोइसिणीणवि 16 / वेमाणियाणं पुच्छा, गोयमा ! तिन्नि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-तेउलेस्सा पम्हलेस्सा सुकलेस्सा 17 / वेमाणिणीणं पुच्छा, गोयमा ! एगा तेउलेस्सा 18 // सूत्रं 215 // एतेसि णं भंते ! सलेस्साणं जीवाणं कराहलेम्साणं जाव सुकलेस्साणं अलेस्साण य कयरे 2 अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सुकलेस्सा पम्हलेस्सा संखेजगुणा तेउलेस्सा संखेजगुणा अलेस्सा अणंतगुणा काउलेसा अणंतगुणा नीललेसा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया सलेस्सा विसेसाहिया / / सूत्रं 216 // एएसि णं भंते ! नेरझ्याणं कराहलेसाणं नीललेस्साणं काउलेस्साण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया कराहलेसा नीललेसा असंखेजगुणा काउलेस्सा असंखेजगुणा // सूत्रं 217 // एतेसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं कराहलेस्साणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ? गोयमा ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा एवं जहा भोहिया नवरं अलेस [सलेस] वजा 1 / एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कराहलेस्साणं नीललेस्साणं काउलेस्साणं तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदिया तेउलेस्सा काउलेस्सा अणंतगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया 2 / एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं कराहलेसाणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! जहा श्रोहिया एगिदिया नवरं काउलेस्सा असंखेजगुणा, एवं ग्राउकाइयाणवि 3 / एतेसि णं भंते ! तेउकाइयाणं कराहलेस्साणं नीललेस्साणं काउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोंवा तेउकाइया काउलेस्सा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया, एवं वाउकाइयाणवि 4 / एतेसि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं कराहलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य जहा एगिदियाणं श्रोहियाणं, बेइंदियाणं तेइंदियाणं चरिंदियाणं जहा तेउकाइयाणं 5 / एएसि णं भंते ! पंचेंदिय Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 254 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पष्ठो विभागः तिरिक्खजोणियाणं कराहलेसाणं एवं जाव सुकलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! जहा श्रोहियाणं तिरिक्खजोणियाणं नवरं काउलेस्सा असंखेजगुणा, संमुच्छिम-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं जहा तेउकाइयाणं, गब्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं जहा श्रोहियाणं तिरिक्खजोणियाणं नवरं काउलेस्सा संखेजगुणा, एवं तिरिक्खजोणिणीणवि 6 / एएसि णं भंते ! संमुच्छिम-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं गम्भवक्कंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य कराहलेस्साणं जाव सुकलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा गम्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया सुकलेस्सा पम्हलेस्सा संखेजगुणा तेउलेस्सा संखेजगुणा काउलेस्सा संखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया काउलेसा संमुच्छिम-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा नीललेसा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया 7 / एएसि | भंते ! संमुच्छिम-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कराहलेस्साणं जाव सुकलेसाण य कयरे कयरहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! जहेब पंचमं तहा इमंपि छ8 भाणियव्वं 8 / एएसि णं भंते ! गम्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कराहलेसाणं जाव सुकलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सब्वत्थोवा गभवक्वंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया सुकलेसा, सुकलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो संखेजगुणायो, पम्हलेसा गब्भवक्कंतिय-पंचेंदियतिरिक्खजोणिया संखेजगुणा, पम्हलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो संखेजगुणायो तेउलेस्सा तिरिक्खजोणिया संखेजगुणा तेउलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो संखेजगुणायो काउलेस्सा संखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया काउलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो संखेजगुणाश्रो नीललेसायो तिरिक्खजोणिणीयो विसेसाहियायो कराहलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो विसेसाहियायो 1 / एएसिणं भंते ! संमुच्छिम-पंचेंदिय Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-2 ] [ 255 तिरिक्खजोणियाणं गब्भवक्कंतिय-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिणीण य कराहलेसाणं जाव सुक्कलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा गब्भवक्कंतिय तिरिक्खजोणिया सुकलेसा, सुकलेसायो संखेजगुणाश्रो, पम्हलेसा गम्भवक्कतियतिरिक्खजोणिया संखेजगुणा, पम्हलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो संखेजगुणायो, तेउलेसा गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिया संखेजगुणा, तेउलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो संखेजगुणायो, काउलेसायो तिरिक्खजोणिणीयो संखेजगुमायो नीललेसा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया काउलेस्सा संखेजगुणा नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेसायो विसेसाहियात्रो, कराहलेस्सा संमुच्छिमपंचेंदिय-तिरिक्खजोणिया असंखेज(संखेज)गुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया 10 / एएसि गां भंते ! पंचेंदिय-तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कराहलेसाणं जाव सुक्कलेसाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया सुकलेस्सा सुक्कलेसायो संखिजगुणाश्रो पम्हलेसा संखेजगुणा पम्हलेसायो संखेनगुणाश्रो तेउलेसा संखेजगुणा तेउलेस्सायो संखिजगुणायो काउलेस्सायो संखेजगुणायो नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेसा विसेसाहिया काउलेस्सा असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सायो विसेसाहियायो 11 / एएसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कराहलेस्साणं जाव सुक्लेस्साणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! जहेव नवमं अप्पाबहुगं तहा इमंपि, नवरं काउलेस्सा तिरिक्खजोणिया अणंतगुणा, एवं एते दस अप्पाबहुगा तिरिवखजोणियाणं 12 // सूत्रं 218 // एवं मणुस्साणवि अप्पाबहुगा भाणियब्वा, नवरं पच्छिमगं अप्पाबहुगं नत्थि // सूत्रं 211 // एएसि णं भंते ! देवाणं कराहलेसाणं जाव सुकलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 256 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः देवा सुकलेस्सा पम्हलेस्सा असंखेजगुणा काउलेसा असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया तेउलेसा संखेजगुणा 1 / एएसि णं भंते ! देवीणं कराहलेस्साणं जाव तेउलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा देवीयो काउलेस्सायो नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेस्सायो विसेसाहियायो तेउलेस्सायो संखेजगुणायो 2 / एवं, एएसि णं भंते ! देवाणं देवीण य कराहलेस्साणं जाव सुकलेस्साणं य कयरे 2 अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा सुकलेस्सा पम्हलेस्सा असंखेजगुणा काउलेस्सा असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया काउलेस्सायो देवीश्रो संखेजगुणात्रो नीललेस्सायो विसेसाहियायो कराहलेस्सायो विसेसाहियायो तेउलेस्सा देवा संखेजगुणा तेउलेस्सायो देवीयो संखेजगुणायो 3 / एएसि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं कराहलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोत्रा भवणवासी देवा तेउलेस्सा काउलेसा असंखेजगुणा नीललेसा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया 4 / एतेसि णं भंते ! भवणवासिणीणं देवीणं कराहलेस्साणं जाव तेउलेसाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! एवं चेव 5 / एएसि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं देवीण य कराहलेसाणं जाव तेउलेसाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा भवणवासी देवा तेउलेसा भवणवासिणीयो तेउलेसायो संखेजगुणायो काउलेमा भवणवासी असंखेजगुणा नीललेसा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया काउलेसाभवणवासिणीयो देवीयो संखेजगुणायो नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेसायो विसेसाहियायो, एवं वाणमंतराणवि तिन्नेव अप्पावहुया जहेव भवणनासिणं तहेव भाणियव्वा 6 / एतेसि णं भंते ! जोइसियाणं देवाणं देवीण य तेउलेसाणं कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जोइसिया देवा तेउलेस्सा Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 17-2] [ 257 जोइसिणीयो देवीयो तेउलेस्सायो संखेजायो 7 / एएसि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं तेउलेसाणं पम्हलेसाणं सुकलेसाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?; गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुकलेस्सा पम्हलेसा असंखेजगुणा तेउलेसा असंखेजगुणा 8 / एतेसि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं देवीण य तेउलेसाणं पम्हसुकलेस्साण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा / सव्वत्थोवा वैमाणिया देवा सुकलेस्सा पम्हलेस्सा असंखेजगुणा तेउलेस्सा असंखेजगुणा तेउलेसायो वेमाणिणीयो देवीयो संखेजगुणायो 1 / एएसि णं भंते ! भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाण य देवाण य कराहलेसाणं जाव सुकलेसाणं कयरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा पम्हलेस्सा असंखेजगुणा तेउलेस्सा असंखेजगुणा तेउलेसा भवणवासीदेवा असंखेजगुणा काउलेस्सा असंखेजगुणा नीललेसा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया तेउलेसा वाणमंतरा देवा असंखेजगुणा काउलेसा असंखेजगुणा नीललेसा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया तेउलेसा जोइसिया देवा संखेजगुणा 10 / एएसि णं भंते ! भवणवासिणीणं वाणमंतरीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीण य कराहलेसाणं जाव तेउलेस्साण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवायो देवीयो वेमाणिणीयो तेउलेसायो भवणवासिणीयो तेउलेसायो असंखेजगुणायो काउलेसायो असंखेजगुणायो नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेसायो विसेसाहियायो तेउलेसायो वाणमंतरीयो देवीयो असंखेजगुणायो काउलेसायो असंखेजगुणायो नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेसायो विसेसाहियायो तेउलेसायो जोइसिणीयो देवीयो संखेजगुणायो 11 / एएसि णं भंते ! भवणवासीणं जाव वेमाणियाणं देवाण य देवीण य कराहलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुकलेसा पम्हलेसा 33 Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 258 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः असंखेजगुणा तेउलेसा असंखेजगुणा तेउलेसायो वेयाणियदेवीयो संखेजगुणायो तेउलेस्सा भवणवासीदेवा असंखेजगुणा तेउलेसायो भवणवासीदेवीयो संखेजगुणाश्रो काउलेसा भवणवासी असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया काउलेसायो भवणवासिणियो संखेजगुणायो नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेसायो विसेसाहियायो तेउलेसा वाणमंतरा संखेजगुणा तेउलेसायो वाणमंतरीयों संखेजगुणायो काउलेसा वाणमंतरा असंखेजगुणा नीललेसा विसेसाहिया कराहलेसा विसेसाहिया काउलेसायो वाणमंतरीयो संखेजगुणायो नीललेसायो विसेसाहियायो कराहलेसायो विसेसाहियायो तेउलेसा जोइसिया संखेजगुणा तेउलेसायो जोइसिणीयो संखिजगुणाश्रो 12 // सूत्रं 220 // ___ एएसि णं भंते ! जीवाणं कराहलेसाणं जाव सुकलेसाण य कयरे 2 हितो अप्पडिया वा महड्डिया वा ?, गोयमा ! कराहलेसेहितो नीललेसा महड्डिया नीललेसेहितो काउलेसा महड्डिया एवं काउलेस्सेहितो तेउलेसा महड्डिया तेउलेसेहितो पम्हलेसा महड्डिया पम्हलेसेहितो सुक्कलेसा महड्डिया, सव्वप्पड्डिया जीवा कराहलेसा सव्वमहड्डिया जीवा सुकलेसा 1 / एएसि णं भंते : नेरइयाणं कराहलेसाणं नीललेसाणं काउलेसाण य कयरे 2 हिंतो अप्पड्डिया वा महड्डिया वा ?, गोयमा ! कराहलेसेहितो नीललेस्सा महड्डिया नीललेसेहितो काउलेसा महड्डिया, सव्वप्पडिया नेरझ्या कराहलेस्सा सव्वमहड्डिया नेरइया काउलेस्सा 2 / एएसि णं भंते ! तिरिक्खजोणियाणं कराहलेसाणं जाव सुकलेसाण य कयरे कयरहितो अप्पडिया महड्डिया ?, गोयमा !, जहा जीवाणं 3 / एएसि णं भंते ! एगिदियतिरिक्खजोणियाणं कराहलेसाणं जाव तेउलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पड्डिया वा महड्डिया वा ?, गोयमा !, कराहलेसेहितो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो नीललेस्सा महड्डिया नीललेस्सेहितो काउलेस्सा महड्डिया काउलेस्सेहितो Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 17-3 ) [ 256 तेउलेस्सा महड्डिया, सव्वप्पड्डिया एगेंदियतिरिक्खजोणिया कराहलेस्सा सव्वमहड्डिया तेउलेस्सा 4 / एवं पुढविकाइयाणवि, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव लेस्सायो भावियायो तहेव नेयव्वं जाव चउरिदिया 5 | पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोगिणीणं संमुच्छिमाणं गब्भवक्कंतियाण य सव्वेसिं भाणियव्वं जाव अप्पड्डिया वेमाणिया देवा तेउलेस्सा सव्वमहडिया वेमाणिया देवा सुक्कलेसा 6 / केई भणंति-चउवीसं दंडएणं इड्डी भाणियव्वा 7 // सूत्रं 221 // बीयो उद्देसयो समत्तो॥ . ___ // इति सप्तदशमे पदे द्वितोय उद्देशकः // 17-6 // // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदशम-पदे तृतीयोद्देशकः // नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जइ अनेरइए नेरइएसु उववजइ ?, गोयमा !, नेरइए नेरइएसु उववजइ नो अनेरइए नेरइएसु उववजइ. एवं जाव वेमाणियाणं 1 / नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उववट्टइ अनेरइए नेरइएहितो उववट्टति ?, गोयमा !, अनेरइए नेरइएहितो उववट्टति गो नेरइए नेरइएहितो उववट्टइ, एवं जाव वैमाणिए, नवरं जोइसियवेमाणिएसु चयणंति अभिलावो कायब्बो 2 / से नूणं भंते ! कराहलेसे नेरइए कराहलेसेसु नेरइएसु उववजति कराहलेसे उववइ, जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ ?, हंता गोयमा !, कराहलेसे नेरइए कराहलेसेसु नेरइएसु उववन्नति कराहलेसे उववट्टइ, जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ, एवं नीललेस्सेवि, एवं काउलेस्सेवि 3 / एवं असुरकुमाराणवि जाव थणियकुमारा, नवरं लेस्सा अभहिया 4 / से नूणं भंते ! कराहलेसे पुढविकाइए कराहलेसेसु पुढविकाइएसु उववज्जति कराहलेसे उबट्टइ जल्लेसे उववजति तल्लेसे उववट्टति ?, हंता गोयमा ! कराहलेसे पुढविकाइए कराहलेसेसु पुढविकाइएसु उववज्जति, सिय कराहलेसे उववट्टइ सिय नीललेसे उववट्टइ सिय उववाद में उववइ, जल्ला असुरकुमाराणाहलेसे पुविकाइपजति तल्लेसे Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 260 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विमागः काउलेसे उववट्टइ सिय जल्लेसे उववजति सिय तल्लेसे उववट्टइ, एवं नीलकाउलेस्सासुवि 5 / से नूणं भंते ! तेउल्लेसे पुढवीकाइए तेउलेस्सेसु पुढविकाइएसु उववजइ ?, पुच्छा, हंता गोयमा !, तेउलेस्से पुढविकाइए तेउलेस्सेसु पुढविकाइएसु उववजइ, सिय कराहलेसे उववट्टइ सिय नीललेसे उववट्टइ सिय काउलेसे उववट्टइ तेउलेसे उववजइ नो चेव णं तेउलेसे उववट्टइ, एवं अाउकाइया वणस्सइकाइयावि, तेऊवाया एवं चेव, नवरं एतेसिं तेउलेस्सा नत्थि, वितियचरिदिया एवं चेव तिसु लेसासु, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य जहा पुढविकाइया श्रादिल्लिया तिसु लेसासु भणिया तहा छसुवि लेसासु भाणियव्वा, नवरं छप्पि लेस्सायो चारियव्वायो, वाणमंतरा जहा असुरकुमारा 6 / से नूणं भंते ! तेउलेस्से जोइसिए तेउलेस्सेसु जोइसिएसु उववजति जहेव असुरकुमारा, एवं वेमाणियावि, नवरं दोराहंपि चयंतीति अभिलावो 7 / से नूणं भंते ! कराहलेसे नीललेसे काउलेसे नेरइए कराहलेसेसु नीललेसेसु काउलेसेसु नेरइएसु उववजति कराहलेसे नीललेसे काउलेसे उववट्टइ जल्लेसे उववजति तल्लेसे उववट्टइ ?, हंता गोयमा ! कराहनीलकाउलेसेसु उववज्जइ जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ 8 / से नूणं भंते ! कराहलेसे जाव तेउलेस्से असुरकुमारे कराहलेसेसु जाव तेउलेसेसु असुरकुमारेसु उववजइ ?, एवं जहेव नेरइए तहा असुरकुमारावि जाव थणियकुमारावि 1 / से नूणं भंते ! कराहलेसे जाव तेउलेसे पुढविकाइए कराहलेसेसु जाव तेउलेसेसु पुढविकाइएसु उववजइ ?, एवं पुच्छा, जहा असुरकुमाराणं, हंता गोयमा!, कराहलेसे जाव तेउलेसे पुढविकाइए कराहलेसेसु जाव तेउलेसेसु पुढविकाइएसु उववज्जइ, सिय कराहलेसे उववट्टइ सिय नीललेसे सिय काउलेसे उब्वट्टइ सिय जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ, तेउलेसे उववजइ नो चेव णं तेउलेसे उववट्टइ, एवं ग्राउकाइया वणस्सइकाइयावि भाणियव्वा 10 / से नूर्ण भंते ! कराहलेसे नीललेसे Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदं 17-3 ] [ 261 काउलेसे तेउकाइप कराहलेसेसु नीललेसेसु काउलेसेसु तेउकाइएसु उववज्जइ कराहलेसे नीललेसे काउलेसे उववट्टइ जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ ?, हंता गोयमा ! कराहलेसे नीललेसे काउलेसे तेउकाइए कराहलेसे नीललेसे काउलेसेसु तेउकाइएसु उववजइ सिय कराहलेसे उब्वट्टइ सिय नीललेसे उववट्टति सिय काउलेसे उववट्टइ सिय जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ, एवं वाउकाइय-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियावि भाणियव्वा 11 / से नूणं भंते ! कराहलेसे जाव सुकलेसे पंचेंदियतिरिक्खजोणिया कराहलेसेसु जाव सुकलेसेसु पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएसु उववजइ ?, पुच्छा, हंता गोयमा !, कराहलेसे जाव सुकलेस्से पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कराहलेसेसु जाव सुकलेसेसु पंचेंदियतिरिक्खजोणियेसु उवबजति सिय कराहलेसे उववट्टइ जाव सिय सुक्कलेस्से उववट्टइ सिय जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ 12 / एवं मणूसेवि / वाणमंतरा जहा असुरकुमारा जोइसियवेमाणियावि, एवं चेव, नवरं जस्स जल्लेसा, दोराहवि चयणंति भाणियव्वं 13 // सूत्रं 222 // कराहलेसे णं भंते ! नेरइए कराहलेसं नेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वश्रो समंता समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ ?, केवइयं खेत्तं पासइ ?, गोयमा !, णो बहुयं खेत्तं जाणइ णो बहुयं खेत्तं पासइ णो दूरं खेत्तं जाणइ णो दूरं खेत्तं पासइ इत्तरियमेव खित्तं जाणइ इत्तरियमेव खेत्तं पासइ 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ कराहलेसे णं नेरइए तं चेव जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ ?, गोयमा !, से जहा नामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिज्जंसि भूमिभागसि ठिचा सव्वयो समंता समभिलोएजा; तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाए सवयो समंता समभिलोएमाणे णो बहुयं खेत्तं जाव पासइ जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ कराहलेसे णं नेरइए नाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ 2 / नीललेसे णं भंते ! नेरइए कराहलेसं नेरइयं पणिहाय प्रोहिणा सव्वश्रो समंता समभिलोएमाणे 2 Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः केवतियं खेत्तं जाणइ ? केवतियं खेत्तं पासइ ?, गोयमा !, बहुतरागं खेत जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासइ दूरतरखेत्तं जाणइ दूरतरखेत्तं पासइ वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ 3 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नीललेसे णं नेरइए कराहलेसं नेरइयं पणिहाय जाव विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ ? विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ ?, से जहा नामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो पव्वयं दुरूहति दुरूहित्ता सव्वयो समंता समभिलोएजा तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाय सव्वयो समंता समभिलोएमाणे 2 बहुतरागं खेत्तं जाणइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नीललेस्से नेरइए कराहलेसं नेरइयं जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ 4 / काउलेस्से णं भंते ! नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाय अोहिणा सव्वत्रो समंता समभिलोएमाणे. 2 केवतियं खेत्तं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! बहुतरागं खेतं जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति 5 / से कणठेणं भंते ! एवं वुञ्चतिकाउलेस्से णं नेरइए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ ?, गोयमा ! से जहा नामए केइ पुरिसे बहुप्समरमणिजायो भूमिभागायो पव्वयं दुरूहइ 2 रुक्खं दुरूहति दुरूहित्ता दोवि पाए उच्चाविया (वइत्ता) सव्वयो समंता समभिलोएजा, तए णं से पुरिसे पव्वयगयं धरणितलगयं च पुरिसं पणिहाय सव्वयो समंता समभिलोएमाणे बहुतरागं खेत्तं जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासइ जाव वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ विसुद्धतरागं खेनं पासइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइकाउलेस्से णं नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाय तं चेव . जाव वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ // सूत्रं 223 // कराहलेसे णं भंते ! जीवे कइसु नाणेसु होजा ?, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चंउसु वा नाणेसु होजा, दोसु होमाणे श्राभिणिबोहियसुयनाणे होजा, तिसु होमाणे Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 17-4 ] [ 263 श्राभिणिबोहिय-सुयनाण-श्रोहिनाणेसु होजा, ग्रहवा तिसु होमाणे आभिणिबोहिय-सुयनाण-मणपजवनाणेसु होजा, चउसु होमाणे श्राभिणिवोहियनाण-सुयनाण-योहिनाण-मणपजवनाणेसु होजा, एवं जाव पम्हलेसे 1 / सुक्कलेसेणं भंते ! जीवे कइसु नाणेसु होजा ?, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा एगम्मि वा होजा, दोसु होमाणे श्राभिणिबोहिय-नाणसुयनाणे, एवं जहेब कराहलेसाणं तहेव भाणियव्वं जाव चउहि, एगंमि होमाणे (नाणे होजा,) एगंमि केवलनाणे होजा // सूत्रं 224 // पनवणाए भगवईए लेस्सापए तइयो उद्देसयो समत्तो॥ // इति सप्तदशम-पदे तृतीय उद्देशकः // 17-3 // // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदशम-पदे चतुर्थोद्देशकः // परिणाम-बन्न-रस-गंध-सुद्ध-अपसत्थ-संकिलिट्ठराहा। गति-परिणामपदेसोगाढ-वग्गण-ठाणाण-मप्पबहुं // 1 // कइ णं भंते ! लेसायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! छल्लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुकलेसा 1 / से नूणं भंते ! कराहलेसा नीललेसं पप्प तारूवत्ताए तावरणताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुजो 2 परिणमति ? हंता गोयमा ! कराहलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताएं जाव भुजो 2 परिणमति 2 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कराहलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति ?, गोयमा ! से जहा नामए खीरे दूसिं पप्प सुद्धे वा वत्थे रागं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए भुजो 2 परिणमइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-कराहलेसा नीललेसं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमइ, एवं एतेणं अभिलावेणं नीललेसा काउलेसं पप्प काउलेसा तेउलेसं पप्प तेउलेसा पम्हलेसं पप्प पम्हलेसा सुकलेसं पप्प जाव भुजो 2 परिणमइ 3 / से नूणं भंते ! कराहलेसा नीललेसं काउलेसं तेउलेसं पम्हलेसं Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः सुकलेसं पप्प तारूत्ताए तावरणत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुजो 2 परिणमइ ?, हंता गोयमा ! कराहलेसा नीललेसं पप्प जाव सुक्कलेसं पप्प तारूवत्ताए जाव ताफासत्ताए भुजो 2 परिणमइ 4 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कराहलेसा नीललेसं जाव सुकलेसं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमइ ?, गोयमा ! से जहा नामए वेरुलियमणी सिया कराहसुत्तए वा नीलसुत्तए वा लोहियसुत्तए वा हालिदसुत्तए वा सुकिल्लसुत्तए वा थाइए समाणे तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-कराहलेसा नीललेसं जाव सुक्कलेसं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति 5 / से नूणं भंते ! नीललेसा किराहलेसं जाव सुकलेसं पप्प तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमइ ? हंता गोयमा ! एवं चेव 6 / काउलेसा किराहलेसं नीललेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेसं, एवं तेउलेसा किराहलेसं नीललेस्सं काउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेसं, एवं पम्हलेसा किराहलेस्सं नीललेस्सं काउलेस्सं तेउलेस्सं सुक्कलेसं पप्प जाव भुजो 2 पउिणमइ ?, हंता गोयमा ! तं चेव 7 / से नूणं भंते ! सुझलेसा किराहलेस्सं नीललेस्सं काउलेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं पप्प जाव भुजो 2 परिणमइ ?, हंता गोयमा ! तं चेव 8 // सूत्रं 225 // कराहलेसा णं भंते ! वन्नेणं केरिसिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहा नामए जीमूते इ वा अंजणे इ वा खंजणे इ वा कज्जले इ वा गवले इ वा गवलए इ वा जंबूफले इ वा ग्रहारिटठे इ वा परपुठेइ वा भमरेइ वा भमरावली इ वा गयकलभे इ वा किराहकेसरे इ वा श्रागासथिग्गले इवा किराहासोए इ वा कराहकणवीरए इ वा किराहबंधुजीवए इ चा, भवे एतारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, कराहलेस्सा णं इत्तों अणिट्टयरिया चेव अकंतयरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुन्नतरिया चेव अमणामतरिया चेव वन्नेणं पत्नत्ता 1 / नीललेस्सा णं भंते ! केरसिया वन्नेणं Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 17-4 j पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहा नामए भिंगए इ वा भिंगपत्ते इ वा चासे इ वा चासपिच्छए इ वा सुए इ पा सुपपिच्छे इ वा सामा इ वा वणराइ इ वा उच्चंतए इ वा पारेवयगीवा इ वा मोरगीवा इ वा हलहरवसणे 3 वा श्रयसिकुसुमे इ वा वणकुसुमे इ वा अंजणकेसिया-कुसुमे इ वा नीलुप्पले इ वा नीलासोए इ वा नीलकणवीरए इ वा नीलबंधुजीवे इवा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, एत्तो जाव श्रमणामयरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता 2 / काउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए खदिरसारए इ वा कइरसारए इ वा धमाससारे इ वा तंबे इ वा तंबकरोडए इ वा तंबच्छिवाडियाए इ वा वाइंगणिकुसुमे इ वा कोइलच्छदकुसुमे इ वा जवासाकुसुमे इ वा, कलकुसुमे इवा (कलमुकुसुमे इ वा कलसकुसुमे इ वा) भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, काउलेस्सा णं एत्तो अणिट्ठयरिया चेव जाव अमणामयरिया चेव 3 / तेउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए ससरुहिरए इ वा उरभरुहिरे इ वा वराहरुहिरे इ वा संवररुहिरे इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा इंदगोपे इ वा बालेंदगोपे इ वा बालदिवायरे इ वा संझारागे इ वा गुजरागे इ वा जातिहिंगुले इ वा पवालंकुरे इ वा लक्खारसे इ वा लोहितक्खमणी इ वा किमिरागकंबले इ वा गयतालुए इ वा चीणपिट्ठरासी इ वा परिजायकुसुमे इ वा जासुमणकुमुमे इ वा किंसुयपुष्फरासी इ वा रत्तुप्पले इ वा रत्तासोगे इ वा रत्तकणवीरए इ वा रत्तबंधुयजीवए इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, तेउलेसा णं एत्तो इट्टतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव वन्नेणं पत्नत्ता 4 / पम्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए चंपे इ वा चंपयछल्ली इ वा चंपयभेदे इ वा हालिद्दा इ वा हालिद्दगुलिया इ वा हालिद्दभेदे इ वा हरियाले इ वा हरियालगुलिया इ वा हरियालभेदे इ वा चिउरे इ वा 34 Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 266 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पष्ठो विभागः चिउररागे इ वा सुवन्नसिप्पी इ वा वरकणगणिहसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लइकुसुमे इ वा चंपयकुसुमे इ वा करिणयारकुसुमे इ वा कुहंडयकुसुमे इ वा सुवराणजुहिया इ वा सुहिरनियाकुसुमे इ वा कोरिटमलदामे इ वा पीतासोगे इ वा पीतकणवीरे इ वा पीतबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया जाव मणामयरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता 5 / सुकलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वन्नेणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए अंके इ वा संखे इ वा चंदे इ वा कुदे इ वा दगे इवा दगरए इ वा दधी इ वा दहिघणे इ वा खीरे इवा खीरपूरए इ वा सुकच्छिवाडिया इ वा पेहुणमिजिया इ वा धंतधोयरुप्पपट्टे इ वा सारदबलाहए इ वा कुमुददले इ वा पोंडरीयदले इ वा सालिपिट्ठरासीति वा कुडगपुप्फरासीति वा मिंदुवारमलामे इ वा सेयासोए इ वा सेयकणवीरे इ वा सेतबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! नो इणळे समठे, सुक्कलेसा णं एत्तो इट्टतरिया चेव कंतयरिया चेव पियरिया चेव मणुगणयरिया चेव मनामतरिया चेव वन्नेणं पन्नत्ता 6 / एयायो णं भंते ! छल्लेसायो कइसु वन्नेसु साहिज्जति ?, गोयमा ! पंत्रसु वन्नेसु साहिज्जंति, तंजहाकराहलेसा कालए णं वन्नेणं साहिजति, नीललेस्मा नीलवन्नेणं साहिजति, काउलेस्सा काललोहिएणं वन्नेणं साहिन्नति, तेउलेस्सा लोहिएणं वन्नेणं साहिज्जति, पम्हलेस्सा हालिबएणं वन्नेणं साहिजइ, सुकलेस्सा सुकिल्लएणं वन्नेणं साहिजति 7 // सूत्रं 226 // कराहलेस्सा गं भंते ! केरिसिया श्रासाएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए निबे इ वा निंबसारे इ वा निंबछल्ली इ वा निबफाणिए इ वा कुडए इ वा कुडगफलए इ वा कुडगडल्ली इ वा कुडगफाणिए इ वा कडुगतुबी इ वा कडुगतुबिफले इ वा खारतउसी इवा खारतउसीफले इ वा देवदालीति वा देवदाली-पुप्फे इ वा मिगवालुकी इ वा मियवालुकीफले इ वा घोसाडए Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-4 ] [ 267 इ वा घोसाडिफले इ वा कराहकंदए इ वा वजकंदए इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, कराहलेसा णं एत्तो अणि?तरिया चेव जाव श्रमणामयरिया चेव श्रासाएणं पनत्ता 1 / नीललेसाए पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए भंगीति वा भंगीरए इ वा पाढा इ वा चविया इ वा चित्तामूलए इ वा पिप्पली इ वा पिप्पलीमूलए इ वा पिप्पलीचुराणे इ वा मिरिए इ वा मिरियचुराणए इ वा सिंगबेरे इ वा सिंगबेरचुराणे इ वा, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, नीललेस्सा णं एत्तो जाव ग्रमणामतरिया चेव यासाएणं पन्नत्ता 2 / काउलेस्साए पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए अंबाण वा अंबाडगाण वा माउलिंगाण वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भन्जा(ट्ठा, चा)ण वा फणसाण वा दाडिमाण वा पारेवताण वा अक्खोडयाण वा बोराण वा (चोराण(पोराण)वा) तिंदुयाण वा अपक्काणं अपरिवागाणं वन्नेणं अणुववेयाणं गंधेणं अणुववेयाणं फासेणं अणुववेयाणं, भवेयारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, जाव एत्तो श्रमणामयरिया चेव काउलेस्सा अस्साएणं पन्नत्ता 3 / तेउलेस्सा णं पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए अंबाण वा पकाणं परियावन्नेणं उववेयाणं पसत्येणं जाव फासेणं जाव एत्तो मणामयरिया चेव तेउलेस्सा पासाएणं पन्नत्ता 4 / पम्हलेस्साए पुच्छा, गोयमा ! से जहानामए चंदप्पभा इ वा मणसिला इ वा वरसीधू इ वा वरवारुणी इ वा पत्तासवे इ वा पुप्फासवे इ वा फलासवे इ वा चोयासवे इ वा यासवे इ वा महूइ वा मेरएइ वा कविसाणए इ वा खज्जूरसारए इ वा मुद्दियासारए इ वा सुपकखोतरसे इ वा अपिट्ठणिट्ठिया 3 वा जंबुफलकालिया इ वा वरप्पसन्ना इ वा (ग्रासला) मंसला पेसला ईसी अोढवलंबिणी ईसी वोच्छेदकडुई ईसी तंबच्छिकरणी उक्कोसमदपत्ता वन्नेणं उववेया जाव फासेणं यासायणिज्जा वीसायणिज्जा पीणणिज्जा विहणिज्जा दीवणिज्जा दप्पणिजा मदणिजा. सव्वेदियगायपल्हायणिजा, भवेयारूवा ?, Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः गोयमा ! णो इणटठे समटठे. पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव जाव मणामयरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता 5 / सुक्कलेस्सा णं भंते ! केरिसिया शास्साएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए गुले इ वा खंडे इ वा सकरा इ वा मच्छंडिया इ वा पप्पडमोदए इ वा भिसकंदए इ वा पुप्फुत्तरा इ वा पउमुत्तरा इ वा श्रादंसिया इ वा सिद्धत्थिया इ वा श्रागासफालितोवमा इ वा उयमा इ वा अणोवमा इ वा, भवेतारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, सुक्लेस्सा एत्तो इट्टतरिया चे कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणामयरिया चेव श्रासाएणं पन्नत्ता 6 // सूत्रं 227 // कइ णं भंते ! लेस्सायो दुब्भिगंधारो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तो लेस्सायो दुभिगंधारो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा 1 / कइ णं भंते ! लेस्सायो सुब्भिगंधायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तो लेस्सायो सुभिगंधायो पत्नत्तायो, तंजहा-तेउलेस्सा पम्हलेस्ता सुकलेस्सा 2 / एवं तयो अविसुद्धायो तो विसुद्धायो, तो अप्पसत्थायो तयो पसत्थाश्रो, तो संकिलिट्टायो तो असंकिलिट्ठायो, तो सीतलुक्खायो तश्रो निद्धराहायो, तत्रो दुग्गतिगामियायो तश्रो सुगतिगामियायो 3 // सूत्रं 228 // कराहलेस्सा णं भंते ! कतिविहं परिणाम परिणमति ?, गोंयमा ! तिविहं वा नवविहं वा सत्तावीसविहं वा एकासीतिविहं वा बेतेयालीसतविहं वा बहुयं वा बहुविहं वा परिणाम परिणमइ, एवं जाव सुकलेसा 1 / कराहलेसा णं भंते ! कतिपदेसिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंतपदेसिया पन्नत्ता, एवं जाव सुक्कलेसा 2 / कराहलेस्सा णं भंते ! कइपएसोगाढा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजपएसोगाढा पन्नत्ता, एवं जाव सुकलेस्सा 3 / कराहलेस्साए णं भंते ! केवतियायो वग्गणायो पन्नत्तायो ?. गोयमा ! अणंतायो वग्गणायो पन्नत्तायो, एवं जाव सुक्कलेस्साए 4 // सूत्रं 221 // केवतिया णं भंते ! कराहलेस्साणं गणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा कराहलेस्साणं गणा Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-4 ] [ 266 पन्नत्ता, एवं जाव सुकलेस्सा 1 / एएसि णं भंते ! कराहलेस्साठाणाणं जाव सुक्कलेस्साठाणाण य जहन्नगाणं दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसट्टयाए कतरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सनत्थोवा जहन्नगा काउ. लेस्सागाणा दबट्टयाए जहन्नगा नीललेसाठाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा जहन्नगा कराहलेसाठाणा दव्वट्टयाए असंखेजगुणा, जहन्नतेउलेसागणा दव्वट्टयाए असंखेजगुणा, जहन्नगा पम्हलेसाठाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा, जहन्नगा सुकलेसाठाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेसाठाणा पएसठ्ठयाए जहन्नगा नीललेसाठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा, जहन्नगा कराहलेसाठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा जहन्नतेउलेस्सारणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा जहन्नगा पम्हलेस्साठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुण जहन्नगा सुकलेसाठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा दबट्ठपएसट्टयाए सव्वथोवा जहन्नगा काउलेसाठाणा दव्वट्ठयाए जहन्नगा नीललेसाठाणा दवट्टयाए असंखेजगुणा, एवं कराहलेस्साठाणा तेउलेसाठाणा पम्हलेसाठाणा जहन्नगा सुक्कलेसाठाणा दवट्ठयाए असंखेजगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेस्साठाणेहिंतो दवट्ठयाए जहन्नकाउलेसाठाणा पएसट्टयाए अणंतगुणा जहन्नया नीललेसाठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा, एवं जाव सुक्कलेस्साठाणा 2 / एतेसि णं भंते ! कराहलेस्साठाणाणं जाव सुकलेसाठाणाण य उक्कोसगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्ठपएसट्टयाए कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा उकोसगा काउलेस्साठाणा दव्वट्ठयाए ऊकोसगा नीललेसागणा दवट्ठयाए असंखेजगुणा, एवं जहेव जहन्नगा तहेव उकोसगा वि, नवरं उक्कोसत्ति अभिलायो 1 / एतेसि णं भंते ! कराहलेस्सठाणाणं जाव सुकलेस्सठाणाण य जहन्नउकोसगाणं दव्बठ्ठयाए पएसट्टयाए दबट्टपएसट्टयाए कतरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वस्थोवा जहन्नगा काउलेसठाणा दव्वट्टयाए जहन्नया नीललेसठाणा दव्वट्ठयाए Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 270 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / पष्ठो विभागः असंखेजगुणा एवं कराह-तेउ-पम्हलेस्सठाणा जहन्नगा सुकलेसठाणा दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा जहन्नएहितो सुकलेसठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए उक्कोसा काउलेसठाणा दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा उक्कोसा नीललेसाठाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा एवं कराहतेउ-पम्हलेस्सठाणा उक्कोसा सुकलेसाठाणा दवट्टयाए असंखेजगुणा पएसट्टयाए सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेसठाणा पएसट्टयाए जहन्नगा नीललेसठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा 2 / एवं जहेव दवट्ठयाए तहेव पएसट्टयाएवि भाणियव्वं, नवरं पएसट्टयाएत्ति अभिलावविसेसो, दवट्टपएस याए सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेसठाणा दव्वट्ठयाए जहन्नगा नीललेसटाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा 3 / एवं कराहतेउ-पम्हलेस्साहाणा जहन्नया सुक्कलेसगणा दव्वट्टयाए असंखेजगुणा, जहन्नएहितो सुकलेसाठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए उकोसा काउलेसठाणा दवट्टयाए असंखेजगुणा उक्कोसा नीललेस्सठाणा दबट्टयाए असंखेजगुणा 4 / एवं कराहतेउपम्हलेस्साट्ठाणा उकोसगा सुकले. सठाणा दवट्ठयाए असंखेजगुणा, उकोसएहिंतो सुकलेसठाणेहिंतो दबट्टयाए जहन्नगा काउलेसाणा पएसट्टयाए अणंतगुणा, जहन्नगा नीललेसठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा 5 / एवं कराहतेउ-पम्हलेस्साहाणा जहन्नगा सुक्कलेसठाणा असंखेजगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेसाठाणेहितो पएसट्टयाए उक्कोसा काउलेसाठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा उक्कोसया नीललेसाठाणा पएसट्ठयाए असंखेजगुणा 6 / एवं कराहतेउ-पम्हलेस्साट्ठाणा उक्कोसया सुकलेसाठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा 7 // सूत्रं 230 // पनवणाए भगवईए लेस्सापदस्स चउत्थयो उद्देसयो समत्तो॥ .. . // इति सप्तदशमपदे चतुर्थ उद्देशकः // 17-4 // .. Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 17-5 ] [ 271 // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदशम-पदे पञ्चमोद्देशकः / / कइ णं भंते ! लेस्सायो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! छ लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुकलेसा 1 / से नूणं भंते ! कराहलेस्सा नीललेसं पप्प तारूवत्ताए तावन्नत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुजो भुजो परिणमति, इत्तो थाढत्तं जहा चउत्थुद्देसए तहा भाणियव्वं जाव वेरुलियमणिदिट्ठतोत्ति 2 / से नूणं भंते ! कराहलेसा नीललेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव णो ताफासत्ताए भुजो भुजो परिणमइ ?, हंता गोयमा ! कराहलेसा नीललेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए णो तावन्नत्ताए णो तागंधत्ताए णो तारसत्ताए णो ताफासत्ताए भुजो 2 परिणमति 3 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! श्रागारभावमायाए वा से सिया पलिभाग-भावमायाए वा से सिया कराहलेस्सा णं सा णो खलु सा नीललेसा तत्थगया श्रोसकइ उस्सकइ वा, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुचइ कराहलेसा नीललेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति 4 / से नूणं भंते ! नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारुवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति ?, हंता गोयमा ! नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारुवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति ५।से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारुवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति ?, गोयमा ! श्रागारभावमायाए वा सिता पलिभागभावमायाए वा सिता नीललेस्सा णं सा णो खलु सा काउलेसा तत्थगया श्रोसकाइ उस्सकति वा, से एएणठेणं, गोयमा ! एवं वुच्चइ-नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति, एवं काउलेसा तेउलेसं पप्प तेउलेसा पम्हलेसं पप्प पम्हलेसा सुकलेसं पप्प. 6 / से नृणं भंते ! सुकलेसा पम्हलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव परिणमति ?, हंता गोयमा ! सुक्कलेसा तं चेव 7 / से केणठेणं भंते ! एवं वुचति-सुकलेसा जाव णो परिणमति ?, गोयमा ! श्रागारभावमायाए वा जाव सुक्कलेस्सा णं सा णो Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 272 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः खलु सा पम्हलेसा तत्थगया श्रोसकइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव णो परिणमइ 8 // सूत्रं 231 // पराणवणाए भगवईए. लेसापदे पंचमुद्दे सो समत्तो॥ // इति सप्तदशम-पदे पञ्चम उद्देशकः // 17-5 // // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदशम-पदे षष्ठोद्देशकः // कति णं भंते ! लेसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ लेसा पन्नत्ता, तंजहाकराहलेसा जाव सुकलेसा 1 / मणुस्साणं भंते ! कइ लेसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ लेस्सायो पनत्तायो तंजहा-कराहलेसा जाव सुक्कलेसा 2 / मणुस्सी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! छल्लेस्सागो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव सुका 3 / कम्मभूमय-मणुस्साणं भंते ! कइ लेसायो पनत्तायो ?, गोयमा ! छ लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव सुक्का, एवं कम्मभूमय-मणुस्सीणवि 4 / भरहेरवय-मणुस्साणं भवे ! कति लेसायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! छलेस्सायो पत्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव सुक्का, एवं मणुस्सीणवि 5 / पुजविदेहे अवरविदेहे कम्मभूमय-मणुस्साणं भंते ! कइ लेस्सायो पनत्तायो ? गोयमा ! छ लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहां-कहा जाव सुक्का, एवं मणुस्सीणवि 6 / अकम्मभूमय-मणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! चत्तारि लेसायो पन्नत्तात्रो, तंजहा-कराहलेसा जाव तेउलेसा, एवं अकम्मभूमिगमणुस्सीणवि, एवं अंतरदीव-मणुस्साणं मणुस्सीणवि 7 / एवं हेमवय-एरनवयअकम्मभूभय-मणुस्साणं मस्सीण य कइ लेसाश्रो पन्नत्तायो?, गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव तेउलेसा | हरिवास-रम्मय-अकम्मयभूमय-मणुस्साणं मणुस्सीण य पुच्छा, गोयमा !चत्तारि लेस्सायो पत्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव तेउलेसा, देवकुरु-उत्तरकुरु-अकम्मभूमय-मणुस्सा एवं चेव, एतेसिं चेव मणुस्सीणं एवं चेव, धायइसंड-पुरिमद्धेवि एवं चेव, पच्छिमद्धेवि, एवं Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 17-6 ] / [ 273H पुखरदीवेवि भाणियव्वं (पं० 5500) / कराहलेसे णं भंते ! मणुस्से कराहलेसं गभं जणेजा ?, हंता गोयमा ! जणेजा, कराहलेसे णं भंते ! मणुस्से नीललेसं गभं जणेज्जा ?, हंता गोयमा ! जणेजा, जाव सुक्कलेसं गभं जणेजा 10 / नीललेसे णं भंते ! मणुस्से कराहलेसं गभं जणेजा ?, हंता गोयमा ! जणेजा, एवं नीललेसे मणुस्से जाव सुकलेसं गभं जोजा 11 / एवं काउलेसेणं छप्पि अालावगा भाणियव्वा, तेउलेसेणवि पम्हलेसेणवि सुक्कलेसेणवि, एवं एते छत्तीसं घालावगा भाणियव्वा 12 / कराहलेसा णं भंते ! इत्थिया कराहलेंसं गभं जणेजा ?, हंता गोयमा ! जणेजा, एवं एतेवि छत्तीसं झालावगा भाणियव्वा 13 / कराहलेसे णं भंते ! मणुस्से कराहलेसाए इत्थियाए कराहलेसं गभं जणेजा ? हंता गोयमा ! जणेजा, एवं एते छत्तीसं पालावगा 14 / कम्मभूमगकराहलेसे णं भंते ! मणुस्से कराहलेसाए इत्थियाए कराहलेसं गभं जणेजा?, हंता गोयमा ! जणेजा, एवं एते छत्तीसं घालावगा. भाणियव्वा 15 / अकम्मभूमय-कराहलेस्से णं भंते ! मणुस्से अकम्मभूमय-कराहलेसाए इत्थियाए अकम्मभूमय-कराहलेसं गम्भं जणेजा ?, हंता गोयमा ! जणेजा, नवरं चउसु लेसासु, सोलस घालावगा, एवं अंतरदीवगाणवि 16 ॥सूत्रं 231 // इति पनवणाए भगवईए लेस्सापदे छट्टो उद्दसो सत्तरसं पयं च समत्तं // . // इति सप्तदशमपदे षष्ठ उद्देशकः // 17-6 // // इति सप्तदशमं पदम् // 17 // -:: Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 274 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः // अथ कायस्थितिनामक अष्टादशं पदम् // जीव 1 गइंदिय 2-3 काए 4 जोए 5 वेए 6 कसायलेसा 7-8 य / सम्मत्तणाणदंसण 1.10-11 संजय 12 उपयोग 13 श्राहारे 14 // 1 // भासगपरित्त 15-16, पजत्त 17 सुहूम 18 सन्नी 11 भवात्थि 20.21 चरिमे 22 य / एतेसिं तु पदाणं कायठिई होइ णायव्वा // 2 // 1 / जीवे णं भंते ! जीवेत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वद्धं / दारं 1, 2 / नेरइए णं भंते ! नेरइएत्ति कालश्रो केचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 3 / तिरिक्खजोणिए णं भंते ! तिरिक्खजोणिएत्ति कालयो केच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं गणतं कालं अनंतायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीयो कालतो खेत्तयो अणंता लोगा असंखेज-पोग्गल-परियट्टा ते पुग्गलपरियट्टा श्रावलियाए असंखिजइभागे 4 / तिरिक्खजोणिणी णं भंते ! तिरिक्खजोणिणित्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं तिन्नि पलियोवमाइं पुनकोडिपुहुत्त-मभहियाइं 5 / एवं मणुस्सेवि मणुस्सीवि एवं चेव 6 / देवे णं भंते ! देवत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहेव नेरइए 7 / देवी णं भंते ! देवित्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं पणवन्नं पलियोवमाई 8 / सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालतो केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! सादिए अपज्जवसिए 1 / नेरइय-अपजत्तए णं भंते / नेरइय-अपजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जाव देवी अपज्जत्तिया 10 / नेरझ्यपजत्तए णं भंते ! नेरइयपजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 11 / तिरिक्खजोणियपजत्तए णं भंते ! तिरिक्खजोणिय-पजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 18 ] [ 275 गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलियोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई, एवं तिरिक्खजोणिणिपज्जत्तियावि 12 / एवं मणुस्सेवि मणुस्सीवि, एवं चेव देवपजत्तए जहा नेरइयपजत्तए 13 / देवीपज्जत्तिया णं भंते ! देवीपजत्तियत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं पणपन्नं पलिग्रोवमाई अंतोमुहुत्तूणाई 14 / दारं 2 // सूत्रं 232 // सइंदिए णं भंते ! सइंदिएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सईदिए दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-अणाइए वा अपज्जवसिए प्रणाइए सपजवसिए 1 / एगिदिए णं भंते ! एगिदिएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं गणतं कालं वणस्सइकालो 2 / बेइंदिए णं भंते ! बेईदिएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं संखेन्जं कालं 3 / एवं तेइंदियचउरिदिएवि 4 / पंचिंदिए णं भंते ! पंचिंदिपत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसहस्सं साइरेगं 5 / अणिदिए णं पुच्छा, गोयमा ! साइए अपजवसिए 6 / सइंदियअपजत्तए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जाव पंचिंदियअपजत्तए 7 / सइंदियपज्जत्तए णं भंते ! सइंदियपजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं 8 / एगिदियपज्जत्तए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजाई वाससहस्साई 1 / बेइंदियपज्जत्तए णं भंते ! बेइंदियपज्जत्तएत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजवासाई 10 / तेइंदियपजत्तए णं भंते ! तेइंदियपजत्तएत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं संखेजाई राइंदियाई 11 / चउरिदियपजत्तए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजा मासा 12 / पंचिंदियपजत्तए णं भंते ! पंचिंदियपजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दियपजत्तए / अंतोमुत्तं गोथमा ! ते Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 276 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागः अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं 13 / दारं 3 // सूत्रं 233 // सकाइए णं भंते ! सकाइएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सकाइए दुविहे पनत्ते, तंजहा-प्रणाइए वा अपजवसिए अणाइए वा सपज्जवसिए 1 / पुढविकाइए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं असंखेज्जं कालं असंखेजायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीयो कालतो खेत्ततो असंखेजा लोगा, एवं अाउतेउवाउकाइयावि 2 / वणस्सइकाइया णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं गणतं कालं अणंतायो उस्सप्पिणिश्रोसप्पिणियो कालयो खेत्तयो अणंता लोगा असंखेजा पुग्गलपरियट्टा ते णं पुग्गलपरियट्टा श्रावलियाए असंखेजहभागो 3 / तसकाइए णं भंते ! तसकाइएत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासस-मभहियाइं 4 / अकाइए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! अकाइए सादिए अपज्जवसिए 5 / सकाइयअपजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जाव तसकाइयअपजत्तए 6 / सकाइयपजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं 7 / पुढविकाइय-पजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेन्जाइं वाससहस्साई, एवं श्राउवि 8 | तेउकाइय-पजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजाइं राइंदियाइं 1 / वाउकाइयपज्जत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजाई वाससहस्साई १०।वणस्सइकाइयपजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेन्जाई वाससहस्साइं 11 / तसकाइयपजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं // सूत्रं 234 // सुहुमे णं भंते ! सुहुमेत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं असंखेजात्रो उस्सप्पिणियोसप्पिणीतो कालतो खेत्ततो असंखेजा लोगा 1 / सुहुमपुढवि Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 18 / [ 277 काइए सुहुमबाउकाइए सुहुमतेउकाइए सुहुमवाउकाइए सुहुमवणप्फइकाइए सुहुमनिगोदेवि जहाणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं असंखेज्जं कालं असंखिजायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीतो कालतो खेत्ततो असंखेजा लोगा 2 / सुहुमे णं भंते ! अपजत्तएत्ति पुच्छा,गोयमा ! जहराणेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 3 / पुढविकाइय-ग्राउकाय-तेउकाय-वाउकाय-वणप्फइकाइयाण य एवं चेव, पन्जत्तियाणवि एवं चेव जहा श्रोहियाणं 4 / बादरे णं भंते ! बादरेत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं असंखेन्जायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीतो कालश्रो खेत्तो अंगुलस्स असंखेजतिभागं 5 / बादरपुढविकाइए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवम-कोडाकोडीतो, एवं बादरश्राउकाइएवि जाव बादरतेउकाइएवि बादरवाउकाइएवि 6 / बादरवणप्फइकाइते णं भंते ! बादरवणप्फइकाइएत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं जाव खेत्तयो अंगुलस्स असंखेजतिभागं 7 / पत्तेयसरीर-बादरवणफइकाइए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहगणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवम-कोडाकोडीतो 8 / निगोदे णं भंते ! निगोएत्ति कालयो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं अणंतायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीयो कालतो खेत्तयो अड्डाइजा पोग्गलपरियट्टा 1 / बादरनिगोदे णं भंते ! बादरनिगोएत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवम-कोडाडीतो 10 / बादरतसकाइया णं भंते ! बादरतसकाइयत्ति कालत्रों केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवास-मभहियाइं 11 / एतेसिं चेव अपजत्तगा सव्वेवि जहराणेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 12 / बादरपजत्ते णं भंते ! बादरपजत्तेत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 278 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभाग 13 / बादरपुढवि-काइयपजत्तए णं भंते ! बादरपुढविकाइय-पज्जत्तएत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं संखिजाई वाससहस्साई, एवं अाउकाइएवि 14 / तेउकाइयपजत्तए णं भंते ! तेउकाइयपज्जत्तएत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखिजाइं राइंदियाइं 15 / वाउकाइय-वणस्सइकाइय-पत्तेयसरीर-बादरवणप्फइकाइते य पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेजाइं वाससहस्साई 16 / निगोयपजत्तत्ते बादरनिगोदपज्जत्तए पुच्छा, गोयमा ! दोगहवि जहराणेणं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं 17 / बादरतसकाइयपज्जत्तए णं भंते ! वादरतसकाइयपजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गोथमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं 18 / दारं 4 ॥सूत्रं 235 // सजोगी णं भंते ! सजोगित्तिकालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सजोगी दुविहे पन्नत्ते, . तंजहा-अणादीए वा अपजवसिते, अणादीए वा सपजवसिते 1 / मणजोगी णं भंते ! मणजोगीत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं एक्कं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं, एवं वइजोगीवि 2 / कायजोगी णं भंते ! कायजोगीत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणफइकालो 3 / अजोगी णं भंते ! अजोगित्ति कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! सादीए अपजवसिते 4 / दारं 5 ॥सूत्रं 236 // सवेदए णं भंते ! सवेदएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सवेदए तिविधे पन्नत्ते, तंजहा-अणादीए वा अपज्जवसिते अणादीए वा सपजवसिए सादीए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से सादीए सपजवसिए से जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं अणंतायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीतो कालतो खेत्ततो अवह पोग्गलपरियट्ट देसूणं 1 / इस्थिवेदे णं भंते ! इस्थिवेदेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! एगेणं श्रादेसेणं जहरणेणं एक समयं उकोसेणं दसुत्तरं पलियोवमसतं पुव्वकोडि-पुहुत्त मब्भहियं 1, एगेणं श्रादेसेणं जह Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 18 ] [ 276 राणेणं एगं समयं उक्कोसेणं अट्ठारसपलितोवमाइं पुवकोडि-पुहुत्त-मभहियाई 2, एगेणं श्रादेसेणं जहराणेणं एगं समयं उकोसेणं चउद्दस पलिग्रोवमाई पुब्बकोडि-पुहुत्त-मभहियाई 3, एगेणं श्रादेसेणं जहरणेणं एगं समयं उकोसेणं पलिग्रोवमसतं पुवकोडि-पुहुत्त-मभहियं 4, एगेणं श्रादेसेणं जहरणेणं एगं समयं उक्कोसेणं पलितोवमपुहुत्तं पुवकोडि-पुहुत्त-मभहियं 5, 2 / पुरिसवेदे णं भंते ! पुरिसवेदेत्तिकालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरोवम-सतपुहुत्तं सातिरेगं 3 / नपुंसगवेए णं भंते ! नपुंसगवेदेत्ति, पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एगं समयं उकोसेणं वणस्सइकालो 4 / अवेदए णं भंते ! अवेदएत्ति पुच्छा, गोयमा ! अवेदे दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-सादीए वा अपजवसिए साइए वा सपन्जवसिते, तत्थ णं जे से साइए सपजवसिते से जहराणेणं एगं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं 5 / दारं 6 // सूत्रं 237 // सकसाई णं भंते ! सकसादित्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सकसाती तिविधे पन्नत्ते, तंजहा-अणादीए वा अपजवसिते अणादीए वा सपजवसिते सादीए वा सपजवसिते जाव अवट्ठ पोग्गलपरियट्ट देसूणं 1 / कोहकसाई णं भंते ! पुच्छा, गोयमा / जहराणेणं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं, एवं जाव माणमायकसाती 2 / लोभकसाई णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं एक्कं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं 2 / अकसाई णं भंते ! अकसादित्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! अकसादी दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सादीए वा अपजवसिते सादीए वा सपज्जवसिते, तत्थ णं जे से सादीए सपजवसिते से जहराणेणं एगं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं 4 / दारं 7 // सूत्रं 238 // सलेसे णं भंते ! सलेसेत्ति पुच्छा, गोयमा ! सलेसे दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-अणादीए वा अपज्जवसिते अणादीए वा सपजवसिते 1 / कराहलेसे णं भंते ! कराहलेसेत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 280 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः / अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं 2 / नीललेसे णं भंते ! नीललेसेत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं दस सागरोवमाइं पलितोवमासंखिजइभागमभहियाई 3 / काउलेसे णं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरािण सागरोवमाइं पलितोवमासंखिजतिभाग-मभहियाइं 4 / तेउलेसे णं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई पलितोवमासंखिजतिभाग-मभहियाई 5 / पम्हलेसे णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई 6 / सुक्कलेसे णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमभहियाइं 7 / अलेसे णं पुच्छा, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिते 8 / दारं 8 // सूत्रं 231 // सम्मट्ठिी णं भंते ! सम्मट्टिीत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सम्मट्टिी दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सादीए वा अपजवसिते सादीए वा सपजवसिते, तत्थ णं जे से सादीए सपजवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं छावढि सागरोवमाइं साइरेगाइं 1 / मिच्छादिट्टी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! मिच्छादिट्ठी तिविधे पन्नत्ते, तंजहाअणाइए वा अपजवसिए अणादीए वा सपजवसिए सादीए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं अणंतायो उस्सप्पिणियोसप्पिणी कालतो खेत्तयो अवड पोग्गलपरियट्ट देसूणं 2 / सम्मामिच्छादिट्ठी णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणवि अंतोमुहुत्तं उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं / दारं 1 // सूत्रं 240 // णाणी णं भंते ! णाणित्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! णाणी दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-सातीते वा अपजवसिते साइए वा सपजवसिते, तस्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावडिं सागरोवमाइं साइरेगाइं 1 / श्राभिनिबोहियणाणी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव, एवं सुयणाणीवि, श्रोहिनाणीवि एवं चेव, नवरं Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 18 / [ 281 जहराणेणं एगं समयं 2 / मणपज्जवणाणी णं भंते ! मणपजवणाणित्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहणणेणं एगं समयं उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी 3 / केवलणाणी णं पुच्छा, गोयमा ! सातिए अपजवसिते 4 / अराणाणी मतिअण्णाणी सुतअण्णाणी णं पुच्छा, गोयमा ! अराणाणी मइअराणाणी सुयाराणाणी तिविधे पन्नत्ते, तंजहा-अणाइए वा अपज्जवसिए अणादीए वा सपजवसिते सादीए वा सपजवसिते, तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं, अणंतायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीयो कालतो खेत्तयो अवड्डपोग्गलपरियट्ट देसूणं 5 / विभंगणाणी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एगं समयं उकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई देसूणाते पुव्वकोडीते अब्भहिताई 6 / दारं 10 ॥सूत्रं 241 // चक्खुदंसणी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं 1 / अचक्खुदंसणी णं भंते ! अचक्खुदंसणित्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! अचक्खुदंसणी दुविहे पन्नत्ते, तंजहाअणादीए वा अपजवसिते अणादीए वा सपजवसिए 2 / श्रोहिदसणी णं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं एगं समयं उक्कोसेणं दो छावट्ठीयो सागरोवमाणं साइरेगायो 3 / केवलदंसणी णं पुच्छा, गोयमा ! सातीए अपज्जवसिते दारं 11 // सूत्रं 242 // संजए णं भंते ! संजतेत्ति पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एगं समयं उकोसेणं देसूणं पुवकोडिं 1 / असंजते णं भंते ! असंजएत्ति पुच्छा, गोंयमा ! असंजते तिविधे पन्नत्ते, तंजहा-यणातीए वा अपज्जवसिते अणातीए वा सपजवसिते सातीए वा सपजवसिते, तत्थ णं जे से सातीए सपजवसिते से जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अणंतं कालं अणंतायो उस्सप्पिणि-योसप्पिणीयो कालो खेत्ततो अवड पोग्गलपरियट्ट देसूणं 2 / संजतासंजते णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं देसूणं पुवकोडिं 3 / नोसंजते नोअसंजते नोसंजतासंजते णं Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 282 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः पुच्छा, गोयमा ! सादीए अपजवसिते / दारं 12 // सूत्रं 243 ॥सागारोवयोगोवउत्ते णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं / अणागारोवउत्तेवि, एवं चेव / दारं 13 // सूत्रं 244 // श्राहारए णं भंते ! पुच्छा ! गोयमा ! श्राहारए दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-छउमत्थयाहारए य केवलियाहारए य 1 / छउमत्थयाहारए णं भंते ! छउमत्थाहारएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं खुड्डागभवग्गहणं दुसमयऊणं उकोसेणं असंखेज्जं कालं असंखेजायो उस्सप्पिणीयोसप्पिणीतो कालतो खेत्ततो अंगुलस्स असंखेजतिभागं 2 / केवलियाहारए णं भंते ! केवलिथाहारएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं देसूणं पुवकोडिं 3 / अणाहारए णं भंते ! अणाहारएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! अणाहारए दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-छउमत्थत्रणाहारए य केवलित्रणाहारए य 4 / छउमत्थपणाहारए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एगं समयं उक्कोसेणं दो समया 5 / केवलित्रणाहारए णं भंते ! केवलियणाहारएत्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! केवलिश्रणाहारए दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-सिद्धकेवलि-यणाहारए य भवत्थकेवलिअणाहारए य 6 / सिद्धकेवलिश्रणाहारए णं पुच्छा, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए 7 / भवत्थकेवलि-श्रणाहारए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! भवत्थकेवलि-अणाहारए दुविधे पन्नत्ते, तंजहा--सजोगि-भवत्थकेवलि-श्रणाहारए य अजोगि-भवत्थकेवलि-अणाहारए य 8 / सजोगि-भवत्थकेवलि-अणाहारए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! अजहरणमणुकोसेणं तिरिण समया / अजोगि-भवत्थकेवलि-प्रणाहारए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणवि उकोसेणवि अंतोमुहुत्तं / दारं 14 // सूत्रं 245 // भासए | भंते ! भासएत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगं समयं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं 1 / अभासए णं पुच्छा, गोयमा ! अभासए तिविधे पन्नत्ते, तंजहा Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 18 / [ 283 अणाइए वा अपज्जवसिए अणाइए वा सपजवसिए साइए वा सपजवसिए, तत्थ णं जे से साइए वा सपजवसिते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणप्फइकालो 2 / दारं 15 // सूत्र 246 // परित्तए णं पुच्छा, गोयमा ! परित्ते दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-कायपरित्ते य संसारपरित्ते य 1 / कायपरित्ते णं पुच्छा, गोयमा ! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुढविकालो असं. खेजायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीतो 2 / संसारपरित्ते णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवड पोग्गलपरियट्ट देसूणं 3 / अपरित्ते णं पुच्छा, गोयमा ! अपरित्ते दुविहे पन्नत्ते, तंजहाकाययपरित्ते य संसारबपरित्ते य 4 / कायअपरित्ते णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सइकालो 5 / संसारअपरित्ते णं पुच्छा, गोयमा ! संसारअपरित्ते दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-अणादीए वा सपजवसिते अणादीए वा अपजवसिते 6 / नोपरित्तेनोअपरित्ते णं पुच्छा, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिते 7 / दारं 16 // सूत्रं 247 // पजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवम-सतपुहुत्तं सातिरेगं 1 / अपजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंतो. मुहुत्तं 2 / नोपजत्तए-नोपजत्तए णं पुच्छा, गोयमा ! सादीए अपज्जवसिते 3 / दारं 17 // सूत्र 248 // सुहुमे णं भंते ! सुहुमित्ति पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुढविकालो 1 / बादरे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं जाव खेत्तो अंगुलस्स असंखेजतिभागं 2 / नोसुहुमनोबादरे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सादीए अपजवसिते 3 / दारं 18 // सूत्रं 241 // सराणी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं सागरोवम-सतपुहुत्तं सातिरेगं 1 / श्रसरणी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं वणस्सइकालो 2 / नोसरणीनोग्रसरणी णं भंते ! पुच्छा, Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः गोयमा ! सादीए अपजवसिते 3 / दारं 11 // सूत्रं 250 // भवसिद्धिए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा अणादीए सपजवसिते 1 / अभवसिद्धिए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! अणादीए अपजवसिते 2 / नोभवसिद्धिए-नोत्रभवसिद्धिए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सादीए अपजवसिते 3 / दारं 20 // सूत्रं 251 // धम्मत्थिकाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! सव्वद्धं, एवं जाव श्रद्धासमए / दारं 21 // सूत्रं 252 // चरिमे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! प्रणादीए सपजवसिते 1 / अचरिमे णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! अचरिमे दुविधे पनत्ते, तंजहा-अणादीए वा अपजवसिते सादीते वा अपजवसिते 2 / दारं 22 // सूत्रं 253 // पराणवणाए भगवईए अट्ठारसमं कायट्ठिइनामपयं समत्तं // // इति अष्टादशमं पदम् // 18 // // अथ सम्यक्त्वाख्यं एकोनविंशतितमं पदम् // ___जीवा णं भंते ! किं सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्टी ?, गोयमा ! जीवा सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि सम्मामिच्छादिट्ठीवि 1 / एवं नेरझ्यावि 2 / असुरकुमारादि एवं चेव जाव थणिय कुमारा 3 / पुढवीकाइया णं पुच्छा, गोयमा ! पुढवीकाइया णो सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी 4 / एवं जाव वणस्सइकाइया 5 / बेइंदिया णं पुच्छा, गोयमा ! बेइंदिया सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी 6 / एवं जाव चरिंदिया 7 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया य सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि सम्मामिच्छादिट्ठीवि = / सिद्धा णं पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा णं सम्मदिट्ठी, णो मिच्छादिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी ॥सूत्रं 254 // पन्नवणाभगवईए एगुणवीसइमं सम्मत्तपदं समत्तं // 11 // .. // इति एकोनविंशतितमं पदम् // 19 // Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 20 ] [ 285 // अथ अन्तक्रियाख्यं विंशतितमं पदम् // नेरइय अंतकिरिया 1 अणन्तरं 2 एगसमय 3 उव्वट्टा 4 / तित्थगर-चकि-बलदेव-वासुदेव-मंडलिय-रयणा 5-10 य // 1 // दारगाहा 1 / जीवे णं भंते ! अंतकिरियं करेजा ?, गोयमा ! अत्थेगइए करेजा, अत्थेगतिए णो करेजा 2 / एवं नेरइए जाव वेमाणिए 3 / नेरइए णं भंते ! नेरइएसु अंतकिरियं करेजा ?, गोयमा ! नो इण सम? 4 / नेरइया णं भंते ! असुरकुमारेसु अंतकिरियं करेजा ?, गोयमा ! नो इण? सम8 5 / एवं जाव वेमाणिएसु 6 / नवरं मणूसेसु अंतकिरियं करेजत्ति पुच्छा, गोपमा ! अत्यंगतिए करेजा अत्थेगतिए णो करेजा 7 / एवं असुरकुमारा जाव वेमाणिए 8 / एवमेव चउवीसं 2 दंडगा भवंति 1 / दारं 1 / सूत्रं 255 // नेरइया णं भंते ! किं अणंतरागया अंतकिरियं करेंति परंपरागया अंतकिरियं करेंति ?, गोयमा ! अणंतरागयावि अंतकिरियं करेंति परंपरागयावि अंतकिरियं करेंति 1 / एवं रयणप्पभापुढविनेरझ्यावि जाव पंकप्पभापुढवीनेरइया 2 / धूमप्पभापुढवीनेरइया णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! णो अणंतरागया अंतकिरियं पकरेंति, परंपरागया अंतकिरियं पकरेंति, एवं जाव अहेसत्तमापुढवीनेरइया 2 / असुरकुमारा जाव थणियकुमारा पुढवीघाउ-वणस्सइकाइया य अणंतरागयावि अंतकिरियं पकरेंति परंपरागयावि अंतकिरियं पकरेंति, तेउ-वाउ-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिया णो अणंतरागाया अंतकिरियं पकरेंति परंपरागया अंतकिरियं पकरेंति 3 / सेसा अणंतरागयावि अंतकिरियं पकरेंति परंपरागयावि अंतकिरियं पकरेंति 4 / दारं 2 // सूत्रं 256 // अणंतरागया णं भंते ! नेरझ्या एगसमये णं केवइया अंतकिरियं पकरेंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एगो वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं दस 1 / रयणप्पभापुढवीनेरझ्यावि एवं चेव, जाव वालुयप्पभापुढवीनेरइया 2 / अणंतरागया णं भंते ! पंकपभापुढवीनेरझ्या एगसमयेणं Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 286 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: पष्ठो विभागा केवतिया अंतकिरियं पकरेंति ?, गोयमा ! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं चत्तारि 3 / अणंतरागया णं भंते ! असुरकुमारा एगसमये णं केवतिया अंतकिरियं पकरेंति ?, गोयमा ! जहराणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं दस 4 / अणंतरागया णं भंते ! असुरकुमारीयो एगसमएणं केवतियायो अंतकिरियं पकरेंति?, गोयमा ! जहरणेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं पंच 5 / एवं जहा असुरकुमारा सदेवीया तहा जाव थणियकुमारा 6 / अणंतरागया णं भंते ! पुढविकाइया एगसमये केवइया अंतकिरियं पकरेंति ?, गोयमा ! जहराणेणं एको वा दो वा तिनि वा, उक्कोसेणं चत्तारि 7 / एवं बाउकाइयावि चत्तारि, वणस्सइकाइया छच्च, पंचिदियतिरिक्खजोणिया दस, तिरिक्खजोणिणीयो दस, मणुस्सा दस, मणुस्सीयो वीस, वाणमंतरा दस, वाणमंतरीयो पंच, जोइसिया दस, जोइसिणिणीयो वीसं, वेमाणिया अट्ठसयं, वेमाणिणीयो वीसं 8 / दारं 3 / / सूत्रं 257 // नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! नो इण? समढे 1 / नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता असुरकुमारेसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! नो इणटे सस? 2 / एवं निरंतरं जाव चउरिदिएसु पुच्छा, गोयमा ! नो इण? समढे 3 / नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जेजा ?, अत्थेगतिऐ उववज्जेजा अत्थेगइए णो उववज्जेजा 4 / जे णं भंते ! नेरइएहितो अणंतरं पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जेना से णं भंते ! केवलिंपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! अथेगतिए लभेजा पत्थेगतिए णो लभेजा 5 / जे णं भंते ! केवलिपन्नत्तं धम्म लभेजा सवणयाए से णं केवलं बोहिं बुज्झज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए बुज्झेजा अत्थेगतिए णो बुज्झेजा 6 / जे णं भंते ! केवलं बोहिं बुज्झेजा से णं सद्दहेजा पत्तिएजा रोएन्जा ?, गोयमा ! सद्दहेजा पत्तिएजा रोएजा Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 20 ] [ 287 7 / जे णं भंते ! सद्दहेजा पत्तिएजा रोएजा से णं ग्राभिणिवोहियनाणसुयणाणाई उप्पाडेजा ?, हंता गोयमा ! उप्पाडेजा 8 / जे णं भंते ! आभिणिबोहियनाण-सुयनाणाई उप्पाडेजा से णं संचाएजा सीलं वा वयं वा गुणं वा वेरमणं वा पञ्चक्खाणं वा पोसहोववासं वा पडिवजित्तए ?, गोयमा ! अत्थेगतिए संचाएजा अत्थेगतिए णो संचाएजा 1 / जे णं भंते ! संचाएजा सीलं वा जाव पोसहोववासं वा पडिवजित्तए से णं ओहिनाणं उप्पाडेजा ?, गोयमा ! अस्थगतिए उप्पाडेजा अत्थेगतिए णो उप्पाडेजा 10 / जे णं भंते ! भोहिनाणं उप्पाडेजा से णं संचाएजा मुंडे भवित्ता श्रागाराश्रो अणगारियं पव्वइत्तए ?, गोयमा ! नो इण? सम? 11 / नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता मणुस्सेसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए उववज्जेज्जा अत्थेगतिए णो उववज्जेजा 12 / जे णं भंते ! उववज्जेजा से णं केवलिपन्नत्तं धम्म लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु जाव जे णं भंते ! भोहिनाणं उप्पाडेजा से णं संचाएजा मुंडे भवित्ता श्रागाराग्रो अणगारियं पवइत्तए ?, गोयमा ! अत्यंगतिए संचाएजा अत्थेगतिए णो संचाएजा 13 / जे णं भंते ! संचाएजा मुराडे भवित्ता श्रागारायो अणगारियं पव्वइत्तए से णं मणपजवनाणं उप्पाडेजा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए उप्पाडेजा अत्थेगतिए णो उप्पाडेजा 14 / जे णं भंते ! मणपजवनाणं उप्पाडेजा से णं केवलनाणं उप्पाडेजा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए उप्पाडेजा अत्थेगतिए णो उप्पाडेजा 15 / जे णं भंते ! केवलनाणं उप्पाडेजा से णं सिज्झेजा बुज्झेजा मुञ्चेजा सव्वदुक्खाणं अंतं करेजा ?, गोयमा ! सिज्झेजा जाव सबदुक्खाणमंतं करेजा 16 / नेरइए णं भंते ! नेरइएहिंतो अणंतरं उब्वट्टित्ता वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! नो इणढे समढे 17 // सूत्रं 258 // असुरकुमारे णं भंते ! Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 288 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः असुरकुमारेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! नो इणढे समढे 1 / असुरकुमारे णं भंते ! असुरकुमारेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता असुरकुमारेसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! नो इणढे समढे 2 / एवं जाव थणियकुमारेसु 3 / असुरकुमारे णं भंते ! असुरकुमारेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता पुढवीकाइएसु उववज्जेजा ?, हंता गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगतिए णो उववज्जेजा 4 / जे णं भंते ! उववज्जेजा से णं केवलिपनत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! नो इण? समढे 5 / एवं ग्राउवणस्सइसुवि 6 / असुरकुमारा णं भंते ! असुरकुमारेहितो अणंतरं उबट्टित्ता तेउवाउ-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदिण्सु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! नो इण8 सम? 7 / अवसेसेसु पंचसु पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाइसु असुरकुमारेसु जहा नेरइयो, एवं जाव थणियकुमारा 8 // सूत्रं 251 // पुढवीकाइए णं भंते ! पुढवीकाइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! नो इण? समढे 1 / एवं असुरकुमारेसुवि, जाव थणियकुमारेसुवि 2 | पुढवीकाइए णं भंते ! पुढवीकाइएहितो अणंतरं उबट्टित्ता पुढवीकाइएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए उववज्जेजा अत्थेगतिए णो उववज्जेजा 3 / जे णं भंते ! उववज्जेजा से णं केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! नो इणढे समढे 4 / एवं अाउकाइयादिसु निरंतरं भाणियव्वं जाव चउरिदिएसु 5 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिय-मणुस्सेसु जहा नेरइए 6 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु पडिसेहो 7 / एवं जहा पुढवीकाइयो भणियो तहेव अाउकाइथोवि, जाव वणस्सइकाइयोवि भाणियधो 8 / तेउकाइए णं भंते ! तेउकाइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! णो इण? सम? 1 / एवं असुरकुमारेसुवि, जाव थणियकुमारेसु, पुढवीकाइअ-बाउ-तेउ-वाउवण-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिएसु अत्थेगतिए उववज्जेजा अत्थेगतिए णो Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 20 ] [ 289 उववज्जेजा 10 / जेणं भंते ! उववज्जेजा से णं केवलिपन्नत्तं धम्म लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! नो इण? समढे 11 / तेउकाइए णं भंते ! तेउकाइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता पचिंदियतिरिवखजोणिएसु उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेजा अत्थेगइए णो उववज्जेजा 12 / से णं केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए णो लभेजा 13 / जे णं भंते ! केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए से णं. केवलिं बोहिं बुज्झेजा ?, गोयमा ! णो इण? समढे 14 / मणुस्स-वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिएसु पुच्छा, गोयमा ! णो इण? समढे 15 / एवं जहेव तेउकाइए निरंतरं एवं वाउकाइएवि 16 / // सूत्रं 260 // बेइंदिए णं भंते ! बेइंदिएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! जहा पुढवीकाइबा 1 / नवरं मणुस्सेसु जाव मणपजवनाणं उप्पाडेजा 2 / एवं तेइंदिया चउरिदियावि जाव मणपज्जवनाणं उप्पाडेजा 3 / जे णं मणपजवनाणं उप्पाडेजा से णं केवलनाणं उप्पाडेजा ?, गोयमा ! नो इण? समढे 4 // सूत्रं 261 // पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु उववज्जेजा ?, गोयमा ! अस्थगइए उववज्जेजा अत्थेगइए णो उववज्जेजा 1 / जे णं भंते ! उववज्जेजा से णं केवलिपराणत्तं धम्म लभेजा सवणयाए ?, गोयमा ! अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए णो लभेजा 2 / जे णं केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेजा सवणयाए से णं केवलिं बोहिं बुज्झेजा ?, गोयमा ! अत्यंगतिए बुज्झेजा अत्थेगतिए णो बुज्झेजा 3 / जे णं भंते ! केवलिं बोहिं बुज्झेजा से णं सद्दहेजा पत्तिएजा रोएजा ?, हंता गोयमा ! जाव रोएजा 4 / जे णं भंते ! सदहेजा 3 से णं श्राभिणिबोहियनाण-सुयनाण-घोहिनाणाई उप्पाडेजा ?, हंता गोयमा ! जाव उप्पाडेजा 5 / जे णं भंते ! श्राभिणियोहियनाण-सुयनाण-श्रोहिनाणाई उप्पा 37 Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 260 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः डेजा से णं संचाएजा सीलं वा जाव पडिवजित्तए ?, गोयमा ! णो इणढे सम? 6 / एवं असुरकुमारेवि, जाव थणियकुमारेसु 7 / एगिदिय-विगलिंदिएसु जहा पुढवीकाइया 8 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु मणुस्सेसु य जहा नेरइए 1 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु जहा नेरइएसु उववज्जेज त्ति पुच्छाए भणिया एवं मणुस्सेवि, वाणमंतरजोइसियवेमाणिएसु जहा असुरकुमारे 10 / दारं 4 ॥सूत्रं 262 // रयणप्पभापुढवि-नेरइए णं भंते ! रयणप्पभापुढवि-नेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता तित्थगरतं लभेजा ?, गोयमा ! अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए णो लभेजा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए णो लभेजा ?, गोयमा ! जस्स णं रयणप्पभापुढवि-नेरइअस्स तित्थगर-नामगोयाई कम्माइं बद्धाई पुढाई निधत्ताई कडाई पट्टवियाइं निविट्ठाई अभिनिविट्ठाई अभिसमन्नागयाइं उदिन्नाइं णो उवसंताई हवंति, से णं रयणप्पभापुढवीनेरइए रयणप्पभापुढवि-नेरइएहितो अणंतरं उव्यट्टित्ता तित्थगरत्तं लभेजा, जस्स णं रयणप्पभापुढविनेरइयस्स तित्थगरनामगोयाइं णो बद्धाइं जाव णो उदिन्नाई उवसंताई हवंति से णं रयणप्पभापुढवि-नेरइए रयणप्पभापुढवि-नेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता तित्थगरत्तं णो लभेजा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पत्थेगतिए लभेजाअत्थेगतिए णो लभेजा 2 / एवं सकरप्पभा जाव वालुयप्पभापुढवि-नेरइएहितो तित्थगर लभेजा 3 / पंकप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! पंकप्पभापुढवि-नेरइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता तित्थगरत्तं लभेजा ?, गोयमा ! णो इण? समढे, अंतकिरियं पुण करेजा 4 / धूमप्पभापुढवीनेरइए णं पुच्छा, गोयमा ! णो इण? समठे, सव्वविरई पुण लभेजा 5 / तमप्पभापुढविनेरइए णं पुच्छा, गोयमा ! णो इण? समढे विरयाविरइं पुण लभेजा 6 / अहेसत्तमपुढवि. नेरइए णं पुच्छा, गोयमा ! णो इणढे सम?, सम्मत्तं पुण - लभेजा 7 / असुरकुमारस्स पुच्छा, गोयमा ! णो इणढे समढे, अंतकिरियं पुण करेजा Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 20 ] [ 261 8 / एवं निरंतरं जाव ग्राउकाइए 1 / तेउकाइए णं भंते ! तेउकाइएहितो अणंतरं उब्वट्टित्ता उववज्जेजा 2 ता तित्थगरत्तं लभेजा ?, गोयमा ! णों तिण? सम?, केवलिपन्नत्तं धम्म लभेजा सवणयाते, एवं वाउकाइएवि 10 / वणस्सइकाइए णं पुच्छा, गोयमा ! णो तिण? सम?, अंतकिरियं पुण करेजा 11 / बेइंदिय-तेइंदियचउरिदिए णं पुच्छा, गोयमा ! नो तिण? सम8, मणपजवनाणं पुण उप्पाडेजा 12 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियमणूस-वाणमंतर-जोइसिए णं पुच्छा, गोयमा ! णो तिण? समढे, अंतकिरियं पुण करेजा 13 / सोहम्मगदेवे णं भंते ! अणंतरं चयं चइत्ता तित्थगरत्तं लभेजा ?, गोयमा ! अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए नो लभेजा 14 / एवं जहा रयणप्पभापुढविनेरइए एवं जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवे 15 / दारं 5 // सूत्र 263 // रयणप्पभापुढविनेरइए णू भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता चक्वट्टित्तं लभेजा ? गोयमा ! अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए नो लभेजा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति ?, गोयमा ! जहा रयणप्पभापुढविनेरइयस्स तित्थगरत्तं 2 / सक्करप्पभापुढविनेरइए अणंतरं उवट्टित्ता चकवट्टित्तं लभेजा ?, गोयमा ! नो तिण8 सम8, एवं जाव अधेसत्तमा-पुढविनेरइए 3 / तिरियमणुएहितो पुच्छा, गोयमा ! णो तिण? सम8, भवणपति-वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिएहितो पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए नो लभेजा 4 / दारं 6 // एवं बलदेवत्तंपि, णवरं सकरप्पभापुढविनेरइएवि लभेजा 5 / दारं 7 // एवं वासुदेवत्तं दोहितो पुढवीहिंतो वेमाणिएहितो य अणुत्तरोववाइयवज्जेहितो, सेसेसु नो तिण? सम? 6 ।दारं 8 // मंडलियत्तं अधेसत्तमा तेउवाऊवज्जेहितो 7 / दारं 1 // सेणावइरयणत्तं गाहावइरयणत्तं वड्डतिरयणतं पुरोहियरयणत्तं इत्थिरयणंत्तं च एवं चेव, णवरं अणुत्तरोववाइय-वज्जेहितो, बासरयणत्तं हत्थिरयणत्तं च रयणप्पभायो णिरंतरं जाव सहस्सारो, अत्थेगइए लभेजा अत्थेगइए Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 292) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः नो लभेजा, चक्करयणत्तं छत्तरयणत्तं चम्मरयणत्तं दंडरयणत्तं असिरयणत्तं मणिरयणत्तं कागिणिरयगात्तं एतेसिणं असुरकुमारेहितो पारद्ध निरंतरं जाव ईसाणायो उववायो, सेसेहितो नो तिण? समढे 8 / दारं 10 / // सूत्रं 264 // ग्रह भंते ! असंजय-भविय-दव्वदेवाणं अविराहिय-संजमाणं विराहिय-संजमाणं अविराहिय-संजमासंजमाणं विराहिय-संजमासंजमाणं असराणीणं तावसाणं कंदप्पियाणं चरगपरिव्वायगाणं किविसियाणं तिरि. च्छियाणं ग्राजीवियाणं श्राभियोगियाणं सलिंगीणं दंसणवावराणगाणं देवलोगेसु उववजमाणाणं कस्स कहिं उववायो पराणत्तो ?, गोयमा ! असंजय-भविय-दव्वदेवाणं जहराणेणं भवणवासीसु उकोसेणं उवरिमगेवेजएसु, अविराहियसंजमाणं जहरणेणं सोहम्मे कप्पे उक्कोसेणं सब्वट्टसिद्धे, विराहियसंजमाणं जहराणेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे, अविराहियसंजमासंजमाणं जहरणेणं सोहम्मे कप्पे उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे, विराहितसंजमासंजमाणं जहराणेणं भवणवासीसु उकोसेणं जोतिसिएसु, असन्नीणं जहन्नेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं वाणमंतरेसु, तावसाणं जहरणेणं भवणवासीसु उकोसेणं जोइसिएसु कंदप्पियाणं जहरामेणं भवणवासीसु उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे, चरगपरिव्वायगाणं जहराणेणं भवणवामीसु उकोसेणं बंभलोए कप्पे, किब्बिसियाणं जहराणेणं सोहम्मे कप्पे उकोसेणं लंतए कप्पे, तिरिच्छयाणं जहरणेणं भवणवासीसु उझोसेणं सहस्सारे कप्पे, भाजीवियाणं जहराणेणं भवणवासीसु उकोसेणं अच्चुए कप्पे, एवं भाभियोगाणवि, सलिंगीणं दसणवावराणगाणं जहराणेणं भवणसासीसु उकोसेणं उवरिमगेवेज्जएसु // सूत्रं 265 // कतिविहे णं भंते ! असरिणयाउए पराणत्ते ?, गोयमा ! चउविधे असरिणयाउए पन्नत्ते, तंजहा-नेरइयअसरिणयाउए जाव देवयसरिणयाउए 1 / असराणी णं भंते : जीवे किं नेरइयाउयं पकरेति जाव देवाउयं पकरेति ?, गोयमा ! नेरइयाउयं पकरेति जाव देवाउयं पकरेति, Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 21 / [ 263 नेरइयाउं पकरेमाणे जहराणेणं दस वाससहस्साई उकोसेणं पलियोवमस्स असंखेजइभागं पकरेति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पलितोवमस्स असंखेजइभागं पकरेति, एवं मणुस्साउयंपि 2 / देवाउयं जहा नेरइयाउयं 3 / एयस्स णं भंते ! नेरइयअसरिणयाउयस्स जाव देव-असरिण-याउयस्स कतरे 2 हितो अप्पा वा 4.?, गोयमा ! सव्वत्थोवे देवसरिणयाउए मणूस-श्रसरिणअाउए असंखेज़गुणे तिरिक्खजोणिय-असरिणयाउए असंखेजगुणे नेरझ्यअसगिणयाउए असंखेजगुणे 3 // सूत्रं 266 // पराणवणाए भगवइए वीसइमं अंतकिरिया-पदं समत्तं // . // इति विंशतितमं पदम् // 20 // // अथ अवगाहन-संस्थान-(शरीर)-नामकं . एकविंशतितमं पदम् // विहिसंठाणपमाणे 1-3 पोग्गलचिणणा 4 सरीरसंजोगो 5 / दव्वपएसऽप्पबहुं 6 सरीरोगाहणप्पबहुं 7 // 1 // 1 / कति णं भंते ! सरीरया पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-बोरालिए 1 वेउविए 2 श्राहारए 3 तेयए 4 कम्मए 5, 2 / थोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदिय ओरालियसरीरे जाव पंचिंदिय-रोरालियसरीरे 3 / एगिदिय-पोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहापुढविकाइय-एगिदिय-श्रोरालियसरीरे जाव वणप्फइकाइय-एगिदिय-धोरालियसरीरे 4 / पुढविकाइय-एगिदिय-बोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सुहुम-पुढविकाइय-एगिदिय-थोरालियसरीरे बादर-पुढविकाइय-एगिदिय-शोरालियसरीरे य 5 / सुहुम-पुढवि Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 294 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः काइय-एगिदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-पजत्तग-सुहुम-पुढविकाइय-एगिदिय-योरालियसरीरे य अपजत्तग-सुहुम-पुढविकाइय-एगिदिय-योरालियसरीरे य 6 / बोदरपुढविकाइयावि एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइय-एगिदियोरालियत्ति 7 / बेइंदिय-पोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-पजत्त-बेइंदिय-धोरालियसरीरे य अपजत्तग-बेइंदिय-थोरालियसरीरे य, एवं तेइंदिया चउरिंदियावि 8 / पंचिंदियथोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-योरालियसरीरे य मणुस्सपंचिंदिययोरालियसरीरे य 1 ।तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिययोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविधे पनत्ते, तंजहा-जलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-श्रोरालियसरीरे खहयर-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-योरालियसरीरे 10 / जलयर-तिरिवखजोणिय-पंचिंदिय-श्रोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहासंमुच्छिमजलयर-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिय-योरालियसरीरे गम्भवक्कंतिजलयर-पंचिंदिय-तिरिखखजोणिय-योरालियसरीरे य 11 / समुच्छिमजलयरतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-पजत्तगसमुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय. पोरालियसरीरे य अपजत्तगसंमुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-धोरालियसरीरे य, एवं गम्भवक्कंतिएवि 12 / थलयरपंचिंदिय-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-शोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-चउप्पयथलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-पोरालियसरीरे य परिसप्पथलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे य 13 / चउप्पयथलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-पोरालियसरीरेणं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते?, Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 21 ] [ 265 गोयमा ! दुविहे पन्नते, तंजहा-समुच्छिम-चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-पोरालियसरीरे य गम्भवक्कंतिय--चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-योरालियसरीरे य 14 / संमुच्छिमचउप्पय-थलयर-पंचिंदिय-योरालियसरीरे कइविहे पनते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-पज्जत्तसंमुच्छिमचउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे य, अपजत्तसमुच्छिम-चउप्पय-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-पोरालियसरीरे य, एवं गम्भवक्कतिएवि 15 / परिसप्प-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-श्रोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहाउरपरिसप्पथलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे य भुयपरिसप्पथलयर-तिरिक्खज़ोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे य 16 / उरपरिसप्पथलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-बोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-समुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयरतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे य गम्भवक्कंतिय-उरपरिसप्पथलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-श्रोरालियसरीरे य 17 / संमुच्छिमे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-अपजत्त-समुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिदिय-योरालियसरीरे य पजत्त-समुच्छिम-उरपरिसप्प-थलयर-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-योरालियसरीरे य 18 / एवं गम्भवक्कंतियउरपरिसप्पे चउक्कतो भेश्रो, एवं भुयपरिसप्पावि संमुच्छिम-गब्भवक्कंतिय-पजत्ता अपजत्ताय 11 / खहयरा दुविधा, पन्नत्ता, तंजहा-समुच्छिमा य गम्भवक्कंतिया य 20 / संमुच्छिमा दुविधा पन्नत्ता ?, पज्जत्ता अपजत्ता य, गम्भवक्कंतियावि पजत्ता अपज्जत्ता य 21 / मणूस-पंचिंदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पत्नत्ते, तंजहा-समुच्छिम-मणूस-पंचिंदिय-शोरालियसरीरे य गम्भवक्कंतिय-मरास-पंचिंदिय-योरालियसरीरे 21 / गम्भवक्कंतियमणूस-पंचिंदिय-बोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते?, गोयमा ! Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ त ?, गोयमा ! पाकिसठाणसंठित गावि बादराणाव 266 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-पजत्तग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-योरालियसरीरे य अपजत्तग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-बोरालियसरीरे य // सूत्रं 267 // श्रोरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! णाणासंठाणसंठिते पन्नत्ते 1 / एगिदियोरालियसरीरे णं भंते ! किसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! णाणासंठाणसंठिते पन्नत्ते, 2 / पुढविकाइय-एगिदियश्रोरालियसरीरे णं भंते ! किंसंगणसंटिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! मसूरचंदसंठाणसंठिते पन्नत्ते 3 / एवं सुहुमपुढविकाइयाणवि बादराणवि एवं चेव पजत्तापजत्ताणवि एवं चेव 4 / अाउकाइय-एगिदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! किंसंगणसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! थिबुकविंदु-संठाणसंठिते पन्नत्ते, एवं सुहुमबादरपजत्तापजत्ताणवि 5 / तेउकाइय-एगिदिय-उरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! सूईकलाव-संठाणसंठिते पन्नत्ते, एवं सुहुमबादरपजत्तापजत्ताणवि 6 / वाउकाइया णं पडागासंठाणसंठिते पराणत्ते, एवं सुहुमबादर-पजत्तापजत्ताणवि 7 / वणप्फइकाइया णं णाणासंगणसंठिते पन्नत्ते, एवं सुहुमवादर-पजत्तापजताणवि 8 / बेइंदिययोरालियसरीरे णं भंते ! किसंगणसंठिए पन्नत्ते?, गोयमा! हुंड-संठाणसंठिते पन्नत्ते, एवं पजत्तापजत्ताणवि, एवं तेइंदियचउरिंदियाणवि 1 ।तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! छबिह-संठाणसंठिए पन्नत्ते, तंजहा-समचउरंससंठाणसंठिए जाव हुंडसंठाणसंठितेवि, एवं पजत्तापजत्ताणवि 3, 10 / संमुच्छिम-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिते पन्नत्ते, एवं पजत्तापजत्ताणवि 3, 11 / गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-ओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! छव्विहसंठाणसंठिए पन्नत्ते, तंजहा-समचउरंसे जाक हुंडसंठाणसंठिए, एवं पजत्तापजत्ताणवि 3, 12 / एवमेते तिरिक्खजोणियाणं Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 21 ] [ 267 श्रोहियाणं णव पालावगा 13 / जलयर-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! छब्बिहसंठाणसंठिए पन्नत्ते, तंजहा-समचउरंसे जाव हुंडे, एवं पजत्तापजत्ताणवि 14 / संमुच्छिमजलयरा हुंडसंठाणसंठिता, एतेसिं चेव पजत्तावि अपजत्तगावि एवं चेव 15 / गब्भवक्कंतियजलयरा छविहसंठाणसंठिता, एवं पजत्तापजत्ताणवि 16 / एवं थलयराणवि णव सुत्ताणि एवं चउप्पयथलयराणवि उरपरिसप्पथलयराणवि भुयपरिसप्पथलयराणवि 17 / एवं खहयराणवि णव सुत्ताणि, नवरं सब्बत्थ संमुच्छिमा हुंडसंगणसंठिता भाणितव्वा, इयरे छसुवि 18 / मणूसपंचिंदिय-योरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिते पन्नते ?, गोयमा .! छब्बिहसंठाणसंठिते पन्नत्ते, तंजहा-समचउरंसे जाव हुंडे, पज्जत्तापज्जत्ताणवि एवं चेव 11 / गम्भववकंतियाणवि एवं चेव, पजत्तापज्जताणवि एवं चेव 20 / संमुच्छिमाणं पुच्छा, गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिता पराणत्ता 21 // सूत्रं 268 // श्रोरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्रत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, एगिदिययोरालियस्सवि, एवं चेव, जहा श्रोहियस्स 1 / पुढविकाइय-एगिदिय-शोरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता ? गोयमा ! जहरणेणवि उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजतिभागं, एवं अपजत्तयाणवि पजत्तयाणवि 2 / एवं सुहुमाणं पज्जत्तापजत्ताणं, बादराणं पजत्तापजत्ताणवि 3 / एवं एसो नवयो भेदो जहाँ पुढविकाइयाणं तहा पाउकाइयाणवि तेउकाइयाणवि वाउकाइयाणवि 4 / वणस्सइकाइय-पोरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं सातिरेगं जोअणसहस्सं, अपजत्तगाणं जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजतिभागं, पजत्तगाणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं 38. Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 298 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः सातिरेगं जोयणसहस्सं, बादराणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जोग्रणसहस्सं सातिरेगं, पजत्ताणवि एवं चेव, अपजत्ताणं जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभाग, सुहुमाणं पजत्तापजत्ताण य तिराहवि जहराणेणवि उकोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं 5 / बेइंदियघोरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं बारस जोषणाई, एवं सब्वत्थवि अपजत्तयाणं अंगुलस्स असंखेजइभागं जहराणेणवि उकोसेणवि, पजत्तगाणं जहेब थोरालियस्स श्रोहियस्स 6 / एवं तेइंदियाणं तिरिण गाउयाई, चरिंदियाणं चत्तारि गाउयाई 7 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उकोसेणं जोयणसहस्सं 3, एवं समुच्छिमाणं 3, गब्भवक्कंतियाणवि 3 एवं चेव नवश्रो भेदो भाणियन्वो 8 / एवं जलयराणवि जोयणसहस्सं, नवश्रो भेदो, थलयराणवि णव भेदा 1, उक्कोसेणं छ गाउयाई पजत्तगाणवि, एवं चेव संमुच्छिमाणं पजत्तगाणं य उकोसेणं गाउयपुहुत्तं 3, गम्भवक्कंतियाणं उक्कोसेणं छ गाउयाई, पजत्ताण य 2 श्रोहिय-चउप्पय-पजत्त-गम्भवक्कंतिय-पजत्तयाणवि उकोसेणं छ गाउयाई, संमुच्छिमाणं पज्जत्ताण य गाउयपुहुत्तं उकोसेणं 1 / एवं उरपरिसप्पाणवि श्रोहियगब्भवक्कतियपजत्तगाणं जोयणसहस्सं, संमुच्छिमाणं पजत्ताण य जोयणपुहुत्तं, भुयपरिसप्पाणं श्रोहिय-गब्भवक्कंतियाणवि उक्कोसेणं गाउयपुहृत्तं, समुच्छिमाणं धणुपुहुत्तं 10 / खहयराणं श्रोहियगम्भवक्कंतियाणं संमुच्छिमाण य तिराहवि उक्कोसेणं धणुपुहुत्तं 11 / इमायो संगहणिगाहायो-'जोयणसहस्स छग्गाउयाई तत्तो य जोत्रणसहस्सं / गाउयपुहुत्त भुयए धणुहपुहुत्तं च पवखीसु // 1 ॥जोयणसहस्स गाउयपुहुत्त तत्तो य जोपणपुहुत्तं / दोराहं तु धणुपुहुत्तं समुच्छिमे होति उच्चत्तं // 2 // 12 / मरसोरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, ततो य? / मातिया Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 21 ] [ 266 गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं तिरिण गाउयाई 13 / अपजत्ताणं जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं 14 / संमुच्छिमाणं जहराणेणवि उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं 15 / गम्भवक्कंतियाणं पजत्ताण य जहराणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं तिरिण गाउयाई 16 // सूत्र 261 // वेउब्वियसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदियवेउब्वियसरीरे य पंचिंदियवेउब्वियसरीरे य 1 / जति एगिदियवेउब्वियसरीरे किं वाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे अवाउकाइय-एगिदियवेउव्वियसरीरे ?, (ग्रन्थाग्रं 6000) गोयमा ! वाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे नो अवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे 2 / जइ वाउकाइय-एगिदिय-वेउब्वियसरीरे किं सुहुम-वाउक्काइयएगिदिय-वेउव्वियसरीरे बायरवाउकाइय-एगिदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! नो सुहुमवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे 3 / जइ बादरवाउकाइय-एगिदियवेउव्वियसरीरे किं पजत्त-बादरबाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे अपजत्त-बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्बियसरीरे ?, गोयमा ! पजत्त-बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे नो अपजत्त. बादरवाउकाइय-एगिदियवेउब्वियसरीरे 4 / जति पंचेंदियवेउव्वियसरीरे किं नेरइय-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे जाव किं देवपंचिदियवेउब्वियसरीरे ?, गोयमा! नेरइय-पंचिंदियवेउब्वियसरीरेवि जाव देवपंचिंदियवेउब्वियसरीरेवि 5 / जइ नेरइय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे किं रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे जाव किं अधेसत्तमापुढवि-नेरइयपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि जाव अधेसत्तमापुढवि नेरइयपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेऽवि 6 / जइ रयणप्पभापुढवि-नेरइय-वेउब्वियसरीरे किं पजतग-रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय--वेउब्वियसरीरे अपजत्तग-रयणप्पभापुढवि-नेरइय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे ?, गोयमा ! पजत्तग-रयणप्पभा Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 300 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : पप्ठो विभागः पुढवि-नेरइय--पंचिंदिय--वेउब्वियसरीरेवि अपजत्तग-रयणप्पभापुढवि-नेरइयपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि, एवं जाव अधेसत्तमाए दुगतो भेदो भाणितव्वो . 7 / जइ तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे किं संमुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदियवेउब्विय-सरीरे ?, गोयमा ! नो समुच्छिम-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे गब्भवक्कंतिय तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे 8 / जति गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरे किं संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरे असंखिजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्धिय-सरीरे ?, गोयमा ! संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय--वेउब्विय-सरीरे नो असंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे 1 / जइ संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे किं पजत्तगसंखेजावासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे अपजत्तगसंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय---तिरिक्खजोणिय-पंचिंदियवेउब्बिय-सरीरे ?, गोयमा ! पजत्तग-संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्धिय-सरीरे नो अपजत्तंग-संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे 10 / जइ संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे किं जलयरसंखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्यिय-सरीरे थलयरसंखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिवखजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे खहयरसंखेजवासाउय---गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे ?, गोयमा! जलयरसंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि थलयरसंखेजवासाउय--गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरेवि खहयरसंखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्ख Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 21 ] [ 3.1 जोणिय-पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरेवि 11 / जइ जलयर-संखेजवासाउयगम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे किं पज्जत्तग-जलयर. संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय--पंचिंदिय-वेउब्बिय-सरीरे अपजत्तगजलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिदिय-वेउविय-सरीरे य?, गोयमा ! पजत्तग-जलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतियतिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे नो अपजत्तग-जलयर-संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे 12 / जति थलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे किं चउप्पय-थलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणियपंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे परिसप्प-थलयर-संखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय सरीरे ?, गोयमा! चउप्पय-थलयर-संखेजवासाउय-गम्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे परिसप्पथलयरसंखेजवासाउय-गब्भवक्कंतिय-तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउव्विय-सरीरे 13 / एवं सब्वेसि णेयव्वं जाव खहयराणं पजत्ताणं नो अपजत्ताणं 14 / जति मणूसपंचिंदिय-वेउब्धिय-सरीरे किं समुच्छिममणूस-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरे गभवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! णो समुच्छिममणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे गम्भवक्कंतिय-मणूस--पंचिदिय-वेउव्वियसरीरे 15 / जइ गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे किं कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय--वेउब्वियसरीरे अकम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणूस-पंचिंदिय-वेउब्धियसरीरे अंतरदीवग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! कम्मभूमग-गभवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्बियसरीरेणो अकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेणो अंतरदीवग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे य 16 / जइ कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिदिय-वेउव्वियसरीरे किं संखेजवासाउय-कम्मभूमग Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 302 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: षष्ठो विभागः गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे असंखेजवासाउय-कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! संखेजवासाउयकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मास-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे नो असंखेजवासाउयकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मास-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे 17 / जति संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे किं पजत्तयसंखेजवासाउय कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे अपजत्तगसंखेजबासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! पजतग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदियवेउव्वियसरीरे नो अपजत्तग संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसवेउब्बियसरीरे 18 / जइ देव-पंचिंदियवेउव्वियसरीरे किं भवणवासिदेव-पंचिं. दिय-वेउब्बियसरीरे जाव वेमाणियदेव-पंचिंदिय-उब्वियसरीरे ?, गोयमा ! भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरेवि जाव वेमाणियदेव-पंचिंदिय-वेउव्दियसरीरेवि 11 / जइ भवणवासिदेव-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे किं असुरकुमारभवणवासीदेव-पंचिंदिय-उबियसरीरे जाव थणियकुमारभवणवासीदेव-पंचिं. दिय-वेउब्वियसरीरे ?,गोयमा ! असुरकुमार-भवणवासीदेव जाव थणियकुमारभवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि 20 / जइ असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्धियसरीरे किं पजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे अपजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउवियसरीरे ?, गोयमा ! पजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरेवि अपजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि 21 / एवं जाव थणियकुमाराणं दुगतो भेदो, एवं वाणमंतराणं अट्ठविहाणं जोतिसियाणं पंचविहाणं 22 / वेमाणिया दुविहा-कप्पोवगा कप्पातीता य, कप्पोवगा बारसविहा, तेसिपि एवं चेव दुहतो भेदो, कप्पातीता दुविहा गेवेजगा य अणुत्तरोववाइया य, गेवेजगा णवविहा अणुत्तरोववाइया Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 21 / [ 303 पंचविहा, एतेसिं पज्जत्तापजत्ताभिलावेणं दुगतो भेदो भाणियब्यो 23 / // सूत्रं 270 // वेउब्बियसरीरे णं भंते ! किंसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! णाणासंगणसंठिते पन्नत्ते 1 / वाउकाइय-गिदिय-वेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! पडागासंगणसंठिते पन्नत्ते 2 / नेरइय-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! नेरइय-पंचिंदियवेउव्वियसरीरे दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-भवधारणिज्जे य उत्तरवेउब्विए य, तत्थ णं जे से भवधारणिज्जे से णं हुंडसंगणसंठिते पन्नत्ते, तत्थ णं जे से उत्तरवेउन्विते सेवि हुंडसंगणसंठिते पन्नत्ते 3 / रयणप्पभापुढविनेरइय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! रयणप्पभापुढवि-नेरझ्याणं दुविधे सरीरे पन्नत्ते, तंजहा-भवधारणिज्जे य उत्तरवेउव्विए य, तत्थ णं जे से भवधारणिज्जे से णं हुंडे, जे से उत्तरवेउन्विते सेवि हुंडे 4 / एवं जाव अधेसत्तमापुढवि-नेरइयवेउब्वियसरीरे 5 / तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! णाणासंठाणसंठिते पन्नत्ते 6 / एवं जलयर-थलयर-खहयराणवि, थलयराणवि चउप्पयपरिसप्पाणवि, परिसप्पाणवि उरपरिसप्पभुयपरिसप्पाणवि 7 / एवं मणूसपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि 8 / असुरकुमारभवणवासी-देव-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं दुविहे सरीरे पन्नत्ते, तंजहा-भवधारणिज्जे य उत्तरवेउविते य, तत्थ णं जे से भवधारणिज्जे से णं समचउरंससंठाणसंठिए पत्नत्ते, तत्थ णं जे से उत्तरवेउविए से णं णाणासंठाणसंठिए पन्नत्ते, 1 / एवं जाव थणियकुमारदेवपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे, ए वाणमंतराणवि, णवरं श्रोहिया वाणमंतरा पुच्छिज्जति, एवं जोतिसियाणवि श्रोहियाणं, एवं सोहम्मे जाव अच्चुयदेवसरीरे 10 / गेवेजग-कप्पातीत-वेमाणिय-देव-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे णं भते ! किंसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! गेवेजगदेवाणं एगे भवधारणिज्जे Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 304 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः सरीरे, से णं समचउरंससंठाणसंठिते पन्नत्ते, एवं अणुत्तरोववाइयाणवि 11 / // सूत्रं 271 // वेउब्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसयसहस्सं 1 / वाउकाइय-एगिदियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स-असंखेजइभागं उक्कोसेणवि अंगुलस्स असंखेजइभागं 2 / नेरझ्य-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं पंचधणुसयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउब्विया सा जहराणेणं अंगुलस्स संखेजतिभागं उक्कोसेणं धणुसहस्सं 3 / रयणप्पभापुढविनेरइयाणं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पनत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-भवधारिणिजा य उत्तरवेउविता य, तत्थ णं जा सा भवधारणिजा सा जहरागोणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उकोसेणं सत्त धणूई तिरािण रयणीयो छच्च अंगुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउविता सा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं पराणरस धणूर्ति अड्डाइजायो रयणीयो 4 / सकरप्पभाए पुच्छा, गोयमा ! जाव तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं पराणरस धणूई अड्डाइजातो रयणीयो, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विता सा जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं एकतीसं धणूइं एका य रयणी 5 / वालुयप्पभाए पुच्छा, भवधारणिजा एकतीसं धरण्इं एका रयणी उत्तरवेउब्विया वावढि धणूति दो य रयणीयो 6 / पंकप्पभाए भवधारणिजा बावहिँ धणूइं दो य रयणीयो, उत्तरवेउब्विया पणवीसं धणुसयं / धूमप्पभाए भवधारणिज्जा पणवीसं धणुसयं, उत्तरवेउव्विया अड्डातिन्जाई धरमुसयाई 8 / तमाए भवधारणिजा अड्डाइजाइं धणूसताइं उत्तरवेउव्विया पंच धणुसताई 1 / Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 21 ] ! 305 अधेसत्तमाए भवधारणिज्जा पंच घणुसयाई उत्तरवेउवित्ता धणुसहस्सं, एवं उकोसेणं 10 / जहन्नेणं भवधारणिजा अंगुलस्स असंखेजतिभागं उत्तरवेउविता अंगुलस्स संखिजतिभागं 11 / तिरिक्खजोणिय-पंचिंदिय-वेउवियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं जोगणसतपुहुत्तं 12 / मणुस्सपंचिंदिय-वेउब्वियसरीरम्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहरागोणं अंगुलस्त संखेजइभागं उक्कोसेणं सातिरेगं जोषणसतसहस्सं 13 / असुरकुमार-भवणवासिदेव-पंचिंदिय-बेउब्वियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं दुविहा सरीरोगाहणा पन्नत्ता, तंजहा-भवधारणिजा य उत्तरवेउब्बिया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेइभागं उक्कोसेणं सत्त रयणीयो, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउन्धिता सा जहराणेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं जोअणसतसहस्सं 14 / एवं जाव थणियकुमाराणं, एवं श्रोहियाणं वाणमंतराणं, एवं जोइसियाणवि सोहम्मीसाणदेवाणं एवं चेव उत्तरवेउन्वित्ता, जाव अच्चुयो कप्पो, नवरं सणंकुमारे भवधारणिज्जा जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं छ रयणीयो, एवं माहिंदेवि, बंभलोयलंतगेसुपंच रयणीयो महासुकसहस्सारेसु चत्तारि रयणीयो, प्राणयपाणय-श्रारणच्चुएसु तिरिण रयणीयो 15 / गेविजग-कप्पातीत-वेमाणियदेव-पंबिंदियवेउव्यियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! गेवेजगदेवाणं एगा भवधारणिजा सरीरोगाहणा. पन्नत्ता सा जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं दो रयणीयो, एवं अणुत्तरोववाइयदेवाणवि; णवरं एका रयणी 16 // सूत्रं 272 // याहरगसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! एगागारे पन्नत्ते 1 / जइ एगागारे पराणत्ते कि मणूस-याहारगसरीरे अमणूस-याहारगसरीरे ?, गोयमा ! 36 Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 306 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः मणूसाहारगसरीरे नो अमणूसयाहारगसरीरे 2 / जइ मणूसथाहारगसरीरे किं समुच्छिम-मणूसाहारगसरीरे गम्भवक्कंतिय-मणूसाहारगसरोरे ?, गोयमा ! नो समुच्छिम-मणूसाहारगसरीरे गम्भवक्कतिय-मणूसथाहारगसरीरे 3 / जइ गम्भवक्कंतिय-मणूसाहारगसरीरे किं कम्मभूमग-गब्भववकंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे अकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूम-थाहारगसरीरे अंतरद्दीवग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे ?, गोयमा ! कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे नो अकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूसपाहारगसरीरे नो अंतरदीवग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे 4 / जइ कम्मभूमग-गभवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे किं संखेजवासाउय-कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूम-ग्राहारगसरीरे असंखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे ?, गोयमा ! संखिजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे नो असंखिजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतियमणूम-पाहारगसरीरे 5 / जति संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणूस-याहारगसरीरे किं पजत्तसंखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतियमणूस-याहारगसरीरे अपजत्तसंखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसथाहारगसरीरे ?, गोयमा ! पजत्तसंखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणूस-पाहारगसरीरे नो अपजत्तगसंखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणूस-थाहारगसरीरे 6 / जइ पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे किं सम्मट्ठिीपजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय–मणूस-पाहारगसरीरे मिच्छट्टिीपज्जत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे सम्मामिच्छट्टिीपजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गन्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे ?, गोयमा ! सम्मदिट्ठी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमणुस-पाहारगसरीरे नो मिच्छट्टिी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्म Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 21 ] भूमग-गब्भवक्कंतिय–मणूम-ग्राहारगसरीरे नो सम्मामिच्छट्ठिी-पजत्तगसंखेजवासाउय-कम्मभृमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे 7 / जइ सम्मदिट्टी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे किं संजयसम्मद्दिट्ठी-पजत्तग-खंखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसथाहारगसरीरे असंजतसम्मट्ठिी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवकंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे संजयासंजयसम्मदिट्टी-पजत्तग-संखेजवासाउयकम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे ?, गोयमा ! संजयसम्मट्ठिीपजत्तग-संखेजबासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे नो असंजतसम्मदिट्ठी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसथाहारगसरीरे नो संजतासंजतसम्महिट्ठी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे 8 / जइ संजतसम्मट्ठिी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे कि पमत्तसंजतसम्महिट्ठी-पज्जत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय–मणूस--पाहारगसरीरे शपमत्तसंजतसम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसथाहारगसरीरे ?, गोयमा ! पमत्तसंजय-सम्मदिट्टीपजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे नो अपमतसंजय-सम्मदिट्टी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय-मणूस-याहारगसरीरे 1 / जइ पमत्तसंजय-सम्मट्टिी-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसश्राहारगसरीरे किं इड्डिपत्तपमत्तसंजय-सम्मदिट्ठी-पजत्तग-संखेजवासाउयकम्पभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे अणिडिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय--मणूस-न्याहारगसरीरे ?, गोयमा ! इडिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पाहारगसरीरे नो अणिडिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मदिट्ठि-पजत्तग-संखेजवासाउय--कम्मभूगग-गब्भवक्कंतिय--मणूस-याहारगसरीरे Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 308 ] ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठी विभागः 10 / आहारगसरीरे णं भंते ! किंसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! समचउरंससंठाणसंठिते पन्नत्ते 11 / श्राहारगसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं देसूणा रयणी उक्कोसेणं पडिपुराणा रयणी 12 // सूत्र 373 // तेयगसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदियतेयगसरीरे जाव पंचिंदियतेयगसरीरे 1 / एगिदियतेयगसरीरे णं भंते ! कइविधे पनते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-पुढविकाइय-एगिदिय-तेयगसरीरे जाव वणस्सइकाइयएगिदिय-तेयगसरीरे 2 / एवं जहा पोरालियसरीरस्स भेदो भणितो तहा तेयगस्सवि जाव चउरिंदियाणं 3 / पंचिंदियतेयगसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-नेरइयतेयगसरीरे जाव देवतेयगसरीरे 4 / नेरझ्याणं दुगतो भेदो भाणितव्यो, जहा वेउब्वियसरीरे 5 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं मणूसाण य जहा पोरालियसरीरे भेदो भाणितो तहा भाणियब्वो 6 / देवाणं जहा वेउब्धियसरीरभेदो भाणितो तहा भाणियम्बो, जाव सब्वट्ठसिद्धदेवत्ति 7 / तेयगसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पन्नत्ते 8 / एगिदियतेयगसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पराणते ?, गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए पन्नत्ते 1 / पुढविकाइयएगिदिय-तेयगसरीरे णं भंते ! किसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! मसूरचंद-संठाणसंठिते पन्नत्ते 10 / एवं अोरालिय-संठाणाणुसारेण भाणितव्वं जाव चरिंदियाणवि 11 / नेरइयाणं भंते ! तेयगसरीरे किंसंठिए पनत्ते ?, गोयमा ! जह वेउब्वियसरीरे, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं माणूसाणं जहा एतेसिं चेव ओरालियंति 12 / देवाणं भंते ! तेयगसरीरे किसंठिते पन्नत्ते ?, गोयमा ! जहा वेउब्वियस्स जाव अणुत्तरोववाइयत्ति 13 // सूत्रं 274 // जीवस्स णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभवाहल्लेणं Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 21 ] [ 306 थायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागों उकोसेणं लोगंतायो लोगते 1 / एगिंदियस्स णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा ?, गोयमा ! एवं चेव, जाव पुढविकाइय-याउकाइय-तेउकाइय-वाउकाइय-वणप्फइकाइयस्स 2 / बेइंदियस्स णं भंते !मारणंतिय-समुग्याएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पराणता ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता विक्खंभवाहल्लेणं थायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागो उक्कोसेणं तिरियलोगायो लोगते, एवं जाव चउरिदियस्स 3 / नेरइयस्स णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमत्ता विक्खंभवाहल्लेणं थायामेणं जहरणेणं सातिरेकं जोयणसहस्सं उकोसेणं अधे जाव अहेसत्तमा पुढवी तिरियं जाव सयंभुरमणे समुद्दे उड्ड जाव पंडगवणे पुक्खरिणीतो 4 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! मारणंतिय समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स य केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहा बेइंदियसरीरस्स 5 / मणुस्सस्स णं भंते / मारणंतिय समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! समयखेत्तायो लोगंतो 6 / असुरकुमारस्स णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयम्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता विक्खंभबाहल्लेणं यायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागो उक्कोसेणं अधे जाव तच्चाए पुढवीए हिट्ठिल्ले चरमंते तिरियं जाव सयंभुरमणसमुदस्स बाहिरिल्ले वेइयंते उट्ठ जाव इसीपभारा पुढवी, एवं जाव थणियकुमार-तेयगसरीरस्स वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मीसाणगा य एवं चेव 7 / सणंकुमारदेवस्स णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता विक्खंभवाहल्लेणं थायामेणं Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 310 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :षष्ठो विभागः जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं अधे जाव महापातालाणं दोच्चे तिभागे, तिरियं जाव सयंभुरमणे समुद्दे उड्ड जाव अच्चुयो कप्पो, एवं जाव सहस्सारदेवस्स 8 / प्राणयदेवस्स णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घाएणं समोहयस्त तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ता विक्खंभबाहल्लेणं थायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं उक्कोसेणं जाव अधोलोइयगामा, तिरियं जाव मणूसखेत्ते उड्ड जाव अच्चुयो कप्पो, एवं जाव धारणदेवस्स अच्चुअदेवस्स एवं चेव, णवरं उड्डे जाव सयाई विमाणाति 1 / गेविजगदेवस्स णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयगसरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ना ?, गोयमा ! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभवाहल्लेणं थायामेणं जहरणेणं विजाहरसेढीतो उकोसेणं जाव ग्रहोलोइयगामा तिरियं जार माणूसखेत्ते उठे जाव सगाति विमाणाति, अणुत्तरोववाइयस्सवि एवं चेर 10 / कम्मगसरीरे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहाएगिदियकम्मगसरीरे जाव पंचिंदियकम्मगसरीरे एवं जहेव तेयगसरीरस्स भेदो मंठाणं योगाहणा य भणिता तहेव निरवसेसं भाणितव्वं जाव अणुत्तरोववाइयत्ति 11 // सूत्रं 275 // पोरालियसरीरस्स णं भंते ! कतिदिसिं पोग्गला चिज्जति ?, गोयमा ! निवाघाएणं छदिसि वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चादिसि सिय पंचदिसिं 1 / वेउव्वियसरीरस्स णं भंते ! कतिदिसि पोग्गला चिज्जति ?, गोयमा ! णियमा छदिसिं, एवं श्राहारगसरीरस्सवि, तेयाकम्मगाणं जहा थोरालियसरीरस्स 2 ।योरालियसरीरस्स णं भंते ! कतिदिसि पोग्गला उवचिज्जति ?, गोयमा ! एवं चेव जाव कम्मगसरीरस्त, एवं उवचिज्जंति, अवचिज्जंति 3 / जस्स णं भंते ! थोरालियसरीरं तस्स वेउब्वियसरीरं जस्स वेउब्वियसरीरं तस्स-बोरालियसरीरं ?, गोयमा ! जस्स पोरालियसरीरं तस्स वेउब्वियसरीरं सिय अस्थि Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 21 ] [ 311 सिय नत्थि, जस्स वेउब्वियसरीरं तस्स पोरालियसरीरं सिय अस्थि सिय नत्थि 4 / जस्स णं भंते ! श्रोरालियसरीरं तस्स श्राहारगसरीरं जस्स श्राहारगसरीरं तस्त पोरालियसरीरं ?, गोयमा ! जस्स ओरालियसरीरं तस्स श्राहारगसरीरं सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण थाहारगसरीरं तस्स अोरालियसरीरं णियमा अत्थि 5 / जस्स णं भंते ! पोरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं जस्स तेयगसरीरं तस्स पोरालियसरीरं ?, गोयमा ! जस्स अोरालियसरीरं तस्स तेयगसरीरं नियमा अस्थि, जस्स पुण तेयगसरीरं तस्स पोरालियसरीरं सिय अस्थि सिय णस्थि, एवं कम्मगसरीरंपि 6 / जस्स णं भंते ! वेउब्वियसरीरं तस्स पाहारगसरीरं जस्स आहारगसरीरं तस्स वेउवियसरीरं ?, गोयमा ! जस्स वेउब्वियसरीरं तस्स श्राहारगसरीरं णत्थि, जस्सवि पाहारगसरीरं तस्सवि वेउब्वियसरीरं णत्थि, तेयाकम्मातिं जहा पोरालिएण समं तहेव पाहारगसरीरेणवि समं तेयाकम्मगातिं चारेयव्वाणि 7 / जस्स णं भंते ! तेयगसरीरं तस्स कम्मगसरीरंजस्स कम्मगसरीरं तस्स तेयगसरीरं ?, गोयमा ! जस्स तेयगसरीरं तस्स कम्मगसरीरं णियमा अस्थि, जस्सवि कम्मगसरीरं तस्सवि तेयगसरीरं णियमा अस्थि 8 // सूत्रं 276 // एतेसि णं भंते ! ओरालिय-वेउब्बिय-याहारग-तेयग-कम्मगसरीराणं दव्वट्ठयाए पदेसट्ठयाए दवट्ठपएसट्ठयाते कयरेरहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा थाहारगसरीरा दवट्ठयाते वेउब्वियसरीरा दवट्ठयाए असंखेजगुणा श्रोरालियसरीरा दव्वट्टयाते असंखेजगुणा तेयाकम्मगसरीरा दोवि तुल्ला दव्वट्ठयाते अणंतगुणा, पदेसट्टयाए सव्वत्थोवा श्राहारगसरीरा पदेसट्टयाए वेउव्वियसरीरा पदेसट्टयाए असंखेजगुणा बोरालियसरीरा पदेसट्टयाए असंखेजगुणा तेयगसरीरा पदेसट्टयाए अणंतगुणा कम्मगसरीरा पदेसट्टयाए श्रणंतगुणा दवट्ठपदेसट्टयाते सव्वत्थोवा श्राहारगसरीरा दव्वठ्ठयाते वेउब्वियसरीरा दवट्ठयाए असंखेजगुणा बोरालियसरीरा दवट्ठयाए असंखे Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 312 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागा जगुणा बोरालियसरीरेहिंतो दव्वट्ठयाएहितो श्राहारगसरीरा पदेसट्टयाए अणंतगुणा वेउब्वियसरीरा पदेसट्टयाए असंखेजगुणा ओरालियसरीरा पदेसठ्ठयाए असंखेजगुणा तेयाकम्मा दोवि तुल्ला दव्वट्ठयाए अणंतगुणा तेयगसरीरा पदेसट्टयाए अणंतगुणा कम्मगसरीरा पदेसट्टयाए अणंतगुणा // सूत्रं 277 // एतेसि णं भंते ! ओरालिय-वेउव्विय-याहारग-तेयगकम्मगसरीराणं जहरिणयाए श्रोगाहणाए उक्कोसियाए योगाहणाए जहराणुकोसियाए योगाहणाए कतरे२हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पोरालियसरीरस्स जहरिणया योगाहणा, तेयाकम्मगाणं दोराहवि तुल्ला जहरिणया योगाहणा विसेसाहिया वेउव्वियसरीरस्स जहरिणया योगाहणा असंखेजगुणा अाहारगसरीरस्स जहरिणया ओगाहणा असंखेजगुणा, उकोसियाए श्रोगाहणाए सव्वत्थोवा श्राहारगसरीरस्स उक्कोसिया योगाहणा पोरालियसरीरस्स उक्कोसिया योगाहणा संखेजगुणा वेउव्वियसरीरस्स उक्कोसिया योगाहणा संखिजगुणा तेयाकम्मगाणं दोवि तुल्ला उकोसिया श्रोगाहणा असंखेजगुणा जहराणुकोसियाते योगाहणाते सव्वत्थोवा पोरालियसरीरस्स जहरिणया प्रोगाहणा तेयाकम्माणं दोराहवि तुल्ला जहरिणया योगाहणा विसेसाहिया वेउव्वियसरीरस्स जहरिणया योगाहणा असंखेजगुणा श्राहारगसरीरस्स जहरिणयाहिंतो योगाहणाहिंतो तस्स चेव उक्कोसिया योगाहणा विसेसाहिया पोरालियसरीरस्स उकोसिया योगाहणा संखेजगुणा वेउव्वियसरीरस्स णं उक्कोसिया योगाहणा संखिजगुणा तेयाकम्मगाणं दोराहवि तुल्ला उकोसिया योगाहणा असंखिजगुणा // सूत्रं 278 // पराणवणाए भगवईए एगवीसइमं श्रोगाहणापयं समत्तं // // इति एकविंशतितमं पदम् // 21 // Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोयमा ! दुविः / पादोसिया जेणं अप्पणी श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 22 // अथ क्रियाख्यं द्वाविंशतितमं पदम् // ____ कति णं भंते ! किरियायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! पंच किरियात्रो पराणत्तायो, तंजहा-काइया 1 अहिगरणिया 2 पादोसिया 3 पारियावणिया 4 पाणाइवायकिरिया 1 / काइया णं भंते ! किरिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-अणुवरयकाइया य दुप्पउत्तकाइया य 2 / अहिगरणिया णं भंते ! किरिया कइविहा पनत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संजोयणाहिकरणिया य निव्वत्तणाधिगरणिया य 3 / पादोसिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-जेणं अप्पणो वा परस्स वा तदुभयस्स वा असुभ मणं संपधारेति, सेत्तं पादोसिया किरिया 4 / पारियावणिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहाजेणं अप्पणो वा परस्स वा तदुभयस्स वा अस्सायं वेदणं उदीरेति, सेत्तं पारियावणिया किरिया 5 / पाणातिवायकिरिया णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-जेणं अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा जीवियायो ववरोवेइ, से तं पाणाइवायकिरिया 6 ॥सूत्रं 27 // जीवा णं भंते ! किं सकिरिया अकिरिया ?, गोयमा ! जीवा सकिरियावि अकिरियावि 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवा सकिरियावि अकिरियावि ?, गोयमा ! जीवा दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-संसारसमावराणगा य असंसारसमावराणगा य, तत्थ णं जे ते असंसारसमावराणगा ते णं सिद्धा, सिद्धा णं अकिरिया, तत्थ णं जे ते संसारसमावराणगा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सेलेसिपडिवण्णगा य असेलेसिपडिवराणगा य, तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवराणगा ते णं अकिरिया, तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवरणगा ते णं सकिरिया, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चतिजीवा सकिरियावि अकिरियावि 2 / अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 314 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः किरिया कजति ?, हंता ! गोयमा ! अत्थि 3 / कम्हि णं भंते ! जीवाणं पाणातिवाएणं किरिया कजति ?, गोयमा ! छसु जीवनिकाएसु 4 / अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणाइवाएणं किरिया कजति ?, गोयमा ! एवं चेव, एवं जाव निरंतरं वेमाणियाणं 5 / अस्थि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कजति ?, हता! अत्थि 6 / कम्हि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कजति ?, गोयमा ! सम्बदव्वेसु, एवं निरंतरं नेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं 7 / अत्थि णं भंते ! जीवाणं अदिन्नादाणेणं किरिया कजति ?, हंता अस्थि 8 / कम्हि णं भंते ! जीवाणं अदिन्नादाणेणं किरिया कजति ?, गोयमा ! गहणधारणिज्जेसु दव्वेसु, एवं नेरइयाणं निरंतरं जाव वेमाणियाणं 1 / अस्थि णं भंते ! जीवाणं मेहुणेणं किरिया कन्जति ?, हंता अत्थि 10 / कम्हि णं भंते ! जीवाणं महुणेणं किरिया कजति ?. गोयमा / रूवेसु वा स्वसहगतेसु वा दव्वेसु एवं नेरइयाणं निरंतरं जाव वेमाणियाणं 11 / अस्थि णं भंते ! जीवाणं परिग्गहेणं किरिया कजति ?, हंता अत्थि 12 / कम्हि णं भंते ! कजति परिग्गहेणं किरिया कन्जति ?, गोयमा ! सव्वदव्वेसु, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 13 / एवं कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं पेज्जेणं दोसेणं कलहेणं अब्भक्खाणेणं पेसुन्नेणं परपरिवाएणं परतिरतीते मायामोसेणं मिच्छादसणसल्लेणं, सव्वेसु जीवा नेरइयभेदेणं भाणितव्वा, निरंतरं जाव वेमाणियाणंति, एवं अट्ठारस एते दंडगा 18, 14 // सूत्रं 280 // जीवे णं भंते ! पाणातिवाएणं कति कम्मपगडीयो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविधवंधए वा, एवं नेरइए जाव निरंतरं वेमाणिते 1 / जीवा णं भंते ! पाणातिवाएणं कति कम्मपगडीयो बंधंति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधगावि अट्ठविहबंधगावि 2 / नेरझ्या णं भंते ! पाणातिवाएणं कइ कम्मपगडीयो बंधंति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 22 / [ 315 अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य 3 / एवं असुरकुमारावि जाव थणियकुमारा पुढवि-बाउ-तेउ-वाउ. वणप्फइकाइया, य, एए सव्वेवि जहा श्रोहिया जीवा, अवसेसा जहा नेरइया, एवं ते जीवेगिदियवजा तिगिण तिगिण भंगा सव्वत्थ भाणियब्वति, जाव मिच्छादसणसल्लेणं, एवं एगत्तपोहत्तिया छत्तीसं दंडगा होति 4 / // सूत्रं 281 // जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कति किरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं नेरइए जाव वेमाणिए 1 / जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कतिकिरिया ?, गोयमा ! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरियावि, एवं नेरइया निरंतरं जाव वेमाणिया, एवं दरिसणावरणीयं वेदणिज्ज मोहणिज्ज ग्राउयं नामं गोत्तं अंतराइयं च अट्ठविहकम्मपगडीतो भाणितव्वाश्रो, एगत्तपोहत्तिया सोलस दंडया भवंति 2 / जीवे णं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिह अकिरिए 3 / जीवे णं भंते ! नेरइयायो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए, एवं जाव थणियकुमारायो, पुढविकाइयातो पाउकाइयातो तेउकाइयातो वाउकाइयवणप्फइकाइय बेइंदिय-तेइंदिय-चरिंदिय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियमणुस्सातो जहा जीवातो, वाणमंतर-जोइसियवेमाणियातो जहा नेरझ्यातो 4 / जीवे णं भंते ! जीवेहिंतो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिते सिय अकिरिए 5 / जीवे णं भंते ! नेरइएहितो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिते सिय अकिरिए, एवं जहेव पढमो दंडतो तहा एसोवि बितियो भाणितव्यो जाव वेमाणियत्ति 6 / जीवा णं भंते ! जीवातो कतिकिरिया ?, गोयमा ! सिय तिकिरियावि सिय चउकिरियावि सिय पंचकिरियावि सिय अकिरियावि 7 / जीवा णं Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 316 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः पष्ठो विभागः भंते ! नेरझ्यातो कतिकिरिया ?, गोयमा ! जहेव अादिलदंडतो तहेव भाणितव्वो, जाव वेमाणियत्ति 8 / जीवा णं भंते ! जीवेहितो कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि अकिरियावि 1 / जीवा णं भंते ! नेरइएहितो कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि अकिरियावि, असुरकुमारेहितोवि एवं चेव जाव वेमाणितेहिंतो नवरं श्रोरालियसरीरेहितो जहा जीवेहिंतो 10 / नेरइए णं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए 11 / नेरइए णं भंते ! नेरइयातो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए, एवं जाव वेमाणिएहितो, नवरं नेरझ्यस्स नेरइएहितो देवेहितो य पंचमा किरिया नत्थि 12 / नेरइया णं भंते ! जीवातो कतिकिरिया ?, गोयमा ! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरिया, एवं जाव वेमाणियातो, नवरं नेरइयायो देवायो य पंचमा किरिया नस्थि 13 / नेरइया णं भंते ! जीवेहिंतो कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि 14 / नेरइया णं भंते ! नेरइएहितो कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरिया चउकिरिया, एवं जाव वेमाणिएहितो नवरं पोरालियसरीरेहिंतो जहा जीवेहिं 15 / असुरकुमारे णं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ?, गोयमा ! जहेव नेरइए चत्तारि दंडगा तहेव असुरकुमारेवि चत्तारि दंडगा भाणितव्वा 16 / एवं च उवउजिऊणं भावेयव्वंति, जीवे माणूसे य अकिरिए वुच्चति सेसा अकिरिया न वुच्चंति, सबजीवा बोरालियसरीरेहितो पंचकिरिया नेरइय देवेहितो पंचकिरिया णं वुच्चंति, एवं एल्केकजीवपदे चत्तारि 2 दंडगा भाणितव्वा; एवं एतं दंडगसयं सब्वेवि य जीवादीया दंडगा 17 // सूत्रं 281 // कति णं भंते ! किरियायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! पंच किरियायों पराणत्तायो, तंजहा-कातिया जाव पाणातिवातकिरिया 1 / नेरइया णं भंते ! कति Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 22 ] [ 317 किरियातो पराणत्तायो ?, गोयमा ! पंच किरियातो पराणत्तायो, तंजहाकातिया जाव पाणातिवायकिरिया, एवं जाव वेमाणियाणं 2 / जस्स णं भंते ! जीवस्स कातिया किरिया कजइ तस्स अहिगरणिया किरिया कजति ?, जस्स अहिगरणिया किरिया कजति तस्स कातिया कजति ?, गोयमा ! जस्स णं जीवस्स कातिया किरिया कजति तस्स अहिगरणी किरिया नियमा कजति, जस्स अहिगरणी किरिया कजति तस्सवि काइया किरिया नियमा कजति 3 / जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कजति तस्स पादोसिया किरिया कजति, जस्स पादोसिया किरिया कजति तस्स काइया किरिया कजति ?, गोयमा ! एवं चेव 4 / जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कजइ तस्स पारियावणिया किरिया कजइ जस्स पारियावणिया किरिया कजइ तस्स कातिया किरिया कजइ ?, गोयमा ! जस्स णं जीवस्त काइया किरिया कजति तस्स पारितावणिया किरिया सिय कजइ सिय नो कजइ, जस्स पुण पारियावणिया किरिया कन्जति तस्स काइया नियमा कजति, एवं पाणाइवायकिरियावि 5 / एवं ग्रादिलायो परोप्परं नियमा तिरिण कज्जंति, जस्स पाइलायो तिन्नि कज्जति तस्स उवरिलायो दोनि सिय कज्जति सिय नो कज्जंति, जस्स उवरिल्लायो दोगिण कज्जति तस्स पाइल्लायो तिगिण नियमा कज्जति 6 / जस्स णं भंते ! जीवस्स पारियावणिया किरिया कन्जति तस्स पाणातिवायकिरिया कन्जति, जस्स पाणातिवायकिरिया कजति तस्स पारियावणिया किरिया कजति ?, गोयमा ! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया किरिया कजति तस्स पाणातिवातकिरिया सिय कजति सिय नो कन्जति, जस्स पुण पाणातिपातकिरिया कजति तस्स पारियावणिया किरिया नियमा कजति 7 / जस्स णं भंते ! नेरइयस्स काइया किरिया कज्जति तस्स अधिगरणिया किरिया कजति ?, गोयमा ! जहेब जीवस्त तहेव नेरइयस्सवि, एवं निरंतरं जाव वेमाणियस्स 8 / जं Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 318 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः समयं णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया तं समयं अधिगरणिया किरिया जं समयं अधिगरणिया किरिया तं समयं काइया किरिया कन्जति ? एवं जहेव ग्राइलयो दंडयो भणियो तहेव भाणितव्वो, जाव वेमाणियस्स 1 / जंदेसेणं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कजति तंदेसेणं अधिगरणिया किरिया कजति ? तहेव जाव वेमाणियस्स 10 / जंपएसेणं भंते ! जीवस्त काइया किरिया कजति तं पदेसं अधिगरणिया किरिया कजति ? एवं तहेव जाव वेमाणियस्स, एवं एते जस्स जंसमयं जंदेसं जंपएसेणं चत्तारि दंडगा होंति 11 / कति णं भंते ! बातोजितातो किरियायो पराणत्तातो?, गोयमा ! पंच श्रायोजियायो किरियायो पराणत्तायो, तंजहा-काइया जाव पाणातिवातकिरिया, एवं नेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं 12 / जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया यातोजिया किरिया अस्थि तस्स अधिगरणिया किरिया श्रातोजिता किरिया अस्थि ? जस्स अधिगरणिया पातोजिता किरिया अस्थि तस्स काझ्या पातोजिया किरिया अस्थि ?, एवं एतेणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणितव्वा, जस्स जसमयं जंदेसं जंपदेसं जाव वेमाणियाणं 13 / जीवे णं भंते ! जंसमयं काइयाए अधिगरणियाए पादोसियाते किरियाए पुढे तंसमयं पारियावणियाते किरियाए पुढे पाणातिवातकिरियाते पुढे ?, गोयमा ! अत्यंगतिते जीवे एगतियायो जीवायो जसमयं काइयाए अधिगरणियाए पायोसियाए किरियाए पुढे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुढे पाणाइवायकिरियाए पुढे 1 अत्यंगतिते जीवे एगतियायो जीवायो जंसमयं काइयाए अधिगरणियाए पादोसियाते किरियाए पुढे तं समयं पारितावणियाए किरियाए पुढे पाणाइवायकिरियाए अपुढे 2 अत्थेगइए जीवे एगइयायो जीवायो जंसमयं काइयाए अहिगरणियाए पायोसियाए किरियाए पुढे तंसमयं पारितावणियाए किरियाए अपुढे पाणाइवायकिरियाए अपुढे 3, 14 / Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापन पाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 22 / अत्थेगइए जीवे एगइयायो जीवाश्रो जसमयं काइयाए अहिगरणियाए पायोसियाए किरियाए अपुढे तंसमयं पारियावणियाए किरियाए अपुढे पाणाइवायकिरियाए अपुढे 15 // सूत्रं 282 // कति णं भंते ! किरियायो पराणत्तायो ?, गोयमा ! पंच किरियायो पन्नत्तायो, तंजहा-श्रारंभिया परिग्गहिया मायावत्तिया अपचक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया 1 / प्रारंभिया णं भंते ! किरिया कस्स कजति ?, गोयमा ! अण्णयरस्सवि पमत्तसंजयस्स 2 / परिग्गहिया णं भंते ! किरिया कस्स कजइ ?, गोयमा ! अराणयरस्सवि संजयासंजयस्स 3 / मायावत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कजति ?, गोयमा ! अरणयरस्सावि अपमत्तसंजयस्स 4 / अपञ्चक्खाणकिरिया णं भंते ! कस्स कजति ?, गोयमा ! अण्णयरस्सवि अपञ्चक्खाणिस्स 5 / मिच्छादसणवत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कजति ?, गोयमा ! अण्णयरस्सावि मिच्छादंसणिस्स 6 / नेरइयाणं णं भंते ! कति किरियातो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! पंच किरियातो पन्नत्तायो, तंजहा-श्रारंभिया जाव मिच्छादसणवत्तिया, एवं जाव वेमाणियाणं 7 / जस्स णं भंते ! जीवस्स श्रारंभिया किरिया कजति तस्स परिग्गहिया किं कजति ?, जस्स परिग्गहिया किरिया कन्जतितस्स प्रारंभिया किरिया कन्जति?,गोयमा ! जस्स णं जीवस्स प्रारंभिया किरिया तस्स परिग्गहिया किरिया सिय कन्जति सिय नो कजति, जस्स पुण परिग्गहिया किरिया कन्जति तस्स श्रारंभिया किरिया णियमा कजति 8 / जस्स णं भंते ! जीवस्स प्रारंभिया कजति तस्स मायावत्तिया कन्जति पुच्छा, गोयमा ! जस्स णं जीवस्स प्रारंभिया कन्जति तस्स मायावत्तिया किरिया नियमा कजति जस्स पुण मायावत्तिया कन्जति तस्स प्रारंभिया किरिया सिय कजति सिय नो कजति 1 / जस्स णं भंते ! जीवस्स प्रारंभिया किरिया कजति तस्स अपञ्चवखाणकिरिया कजति ?, पुच्छा, गोयमा ! जस्स जीवस्स प्रारंभिया किरिया कजति तस्स अपञ्चवखाणकिरिया सिय कजति Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 320 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः सिय नो कजति, जस्स पुण अपचक्खाणकिरिया कजति तस्स प्रारंभिया किरिया णियमा कजति 10 / एवं मिच्छादंसणवत्तियाएवि समं, एवं पारिग्गहियावि तिहिं उवरिलाहिं समं संचारेतव्वा, जस्स मायावत्तिया किरिया कजति तस्स उवरिलायोदोवि सिय कज्जंति सिय नो कन्जंति, जस्स उपरिल्लायो दो कज्जंति तस्स मायावत्तिया णियमा कजति, जस्स अपञ्चक्खाणकिरिया कन्जति तस्स मिच्छादंसणवत्तिया किरिया सिय कन्जति सिय नो कजति, जस्स पुण मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कजति तस्स अपञ्चक्खाणकिरिया णियमा कजति 11 / नेरइयस्स पाइल्लियातो चत्तारि परोप्परं नियमा कजति, जस्स एतायो चत्तारि कन्जंति तस्स मिच्छादसणवत्तिया किरिया भइजति, जस्स पुण मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कजति तस्स एतातो चत्तारि नियमा कज्जति, एवं जाव थणियकुमारस्स, पुढविकाइयस्स जाव चउरिदियस्स पंचवि परोप्परं नियमा कज्जति 12 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियस्स प्रातिल्लियातो तिरिणवि परोप्परं नियमा कज्जंति, जस्स एयायो कज्जति तस्स उवरिल्लिया दोगिण भइज्जंति, जस्स उवरिल्लातो दोरिण कज्जति तस्स एतातो तिरिणवि णियमा कज्जंति, जस्स अपच्चक्खाणकिरिया तस्स मिच्छादसणवत्तिया सिय कन्जति सिय नो कजति, जस्स पुण मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजति तस्स अपचक्खाणकिरिया नियमा कजति मणूसस्स जहा जीवस्स, वाणमंतर-जोइसियवेमाणियस्स जहा नेरइयस्स 13 / जं समयगणं भंते ! जीवस्स प्रारंभिया किरिया कन्जति तं समयं पारिग्गहिया किरिया कजति ?, एवं एते जस्स जं समयं जं देसं जं पदेसेण य चत्तारि दंडगा णेयव्वा, जहा नेरइयाणं तहा सव्वदेवगणं नेतव्वं जाव वेमाणियाणं 14 // सूत्रं 284 // अस्थि णं भंते ! जीवाणं पाणातिवायवेरमणे कजति ?, हंता ! अत्थि 1 / कम्हिं णं भंते ! जीवाणं पाणातिपातवेरमाणे कति ?, गोयमा ! छसु Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 22 ) [ 321 जीवनिकाएसु 2 / अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणातिवातवेरमणे कजति ?, गोयमा ! नो इणढे समठे, एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं मणूसाणं जहा जीवाणं, एवं मुसावाएणं जाव मायामोसेणं, जीवस्स य मणूसस्स य, सेसाणं नो तिण? सम8, णवरं अदिनादाणे गहणधारणिज्जेसु दव्वेसु, मेहुणे रूवेसु वा रूवसहगएसु वा दव्वेसु, सेसाणं सव्वेसु दव्वेसु 3 / अस्थि णं भंते ! जीवाणं मिच्छादसणसल्लवेरमणे कजति ?, हंता ! अस्थि 4 / कम्हि णं भंते ! जीवाणं मिच्छादंसणसल्लवेरमणे कजति ?, गोयमा ! सव्वदव्वेसु, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं एगिदियविगलेंदियाणं नो तिण8 समढे 5 / / सू० 285 // पाणातिपातविरए णं भंते ! जीवे कइ कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा छबिहबंधए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा, एवं मणुसेवि भाणितव्वे 1 / पाणातिपातविरया णं भंते ! जीवा कति कम्मपगडीतो बंधंति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य 1 अहवा सत्तविहबंधगाय एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य 2 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य 3 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगे य 4, ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगा य 5 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य प्रबंधए य 6 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अबंधगा य 7 श्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविधबंधगे य छविहबंधए य 1 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छविहबंधगा य 2 अहवा संत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधए य 3 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य 4 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य श्रट्ठविहबंधए य प्रबंधए य 1 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधए य प्रबंधगा य 2 अहवा सत्तविहबंधगा य Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 322) / श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः एगविहवंधगा य अट्ठविहबंधगा य प्रबंधए य 3 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एमविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य प्रबंधगा य 4, ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगे य प्रबंधए य 1 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहाधए य प्रबंधगा य 2, ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगा य प्रबंधए य 3 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगा य प्रबंधगा य 4 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य छविहवंधए य प्रबंधए य 1 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधए य छबिहबंधए य प्रबंधगा य 2 ग्रहवा पत्तविहबंधगा य एगविहांधगा य अट्टविहबंधए य छबिहबंधगा य प्रबंधए य 3 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविध. बंधए य छविहबंधगा य अबंधगा य 4, ग्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगे य श्रबंधए य 5, ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधगे य प्रबंधगा य 6, ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहवंधगा य अट्टविहवंधगा य छविहबंधगा य अबंधए य 7 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य प्रबंधगा य 8 एवं एते अट्ठभंगा, सब्वेवि मिलिया सत्तावीसं भंगा भवंति 2 / एवं मणूसाणवि एते चेव सत्तावीसं भंगा भाणितव्वा, एवं मुसावायविरयस्त जाव मायामोसविरयस्स जीवस्स य मणूसस्स य 3 / मिच्छादसणसल्लविरए णं भंते ! जीवे कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छविहबंधए वा एगविहबंधए वा श्रबंधए वा 4 / मिच्छादसणसल्लविरए णं भंते ! नेरइए कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिए मणूसे जहा जीवे, वाणमंतरजोइसितवेमाणिते जहा नेरइते 5 / मिच्छादंसणसल्लविरया णं भंते ! जीवा कति कम्मपगडीतो बंधंति ?, गोयमा ! Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 22 / [ 323 ते चेव सत्तावीसं भंगा भाणितव्या 6 / मिच्छादसणसल्लविरया णं भंते ! नेरइया कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होज सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहवंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एवं जाव वेमाणिया, णवरं मांसाणं जहा जीवाणं 7 / // सूत्रं 286 ॥पाणातिवायविरयस्स णं भंते ! जीवस्स किं प्रारंभिया किरिया कजति जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजति ?, गोयमा ! पाणातिवायविरयस्स जीवस्स प्रारंभिया किरिया सिय कजति सिय नो कजति 1 / पाणातिवायविरयस्स णं भंते ! जीवस्स परिग्गहिया किरिया कजति ?, गोयमा ! णो इण? सम? 2 / पाणातिवायविरयस्स णं भंते ! जीवस्स मायावत्तिया किरिया कजति ?, गोयमा ! सिय कजति सिय नो कजति 3 / पाणातिपातविरयस्स णं भंते ! जीवस्स अपच्चक्खाणवत्तिया किरिया कजति ?, गोयमा ! णो इण? सम? 4 / मिच्छादसणवत्तियाए पुच्छा, गोयमा ! णो इण8 सम8, एवं पाणातिपातविरयस्स मणूसस्तवि, एवं जाव मायामोसविरयस्स जीवस्स मणूसस्स य 5 / मिच्छादसणसल्लविरयस्स णं भंते ! जोवस्त किं प्रारंभिया किरिया कजति जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजति ?, गोयमा ! मिच्छादसणसल्लविरतस्स जीवस्स प्रारंभिया किरिया सिय कन्जइ सिय नो कजइ, एवं जाव अपञ्चक्खाणकिरिया मिच्छादसणवत्तिया किरिया न कजइ. 6 / मिच्छादसणसल्लविरयस्य णं भंते ! नेरइयस्स किं श्रारंभिया किरिया कजइ जाव मिच्छादसणवत्तिया किरिया कजइ ?, गोयमा ! श्रारंभिया किरिया कजति जाव अपञ्चक्खाणकिरियावि कजति 7 / मिच्छादसणवत्तिया किरिया नो कजति, एवं जाव थणियकुमारस्त 8 / मिच्छादसणसल्लविरयस्स णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स एवमेव पुच्छा, गोयमा ! श्रारंभिया किरिया कजति जाव मायावत्तिया किरिया कजति, अपञ्चक्खाणकिरिया सिय कजति सिय नो कजति, मिच्छा Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 324 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः दंसणवत्तिया किरिया नो कजति 1 / मणूसस्स जहा जीवस्स 10 / वाणमंतरजोइसियवेमाणिया णं जहा नेरइयस्स 11 / एतासि णं भंते ! श्रारंभियाणं जाव मिच्छादसणवत्तियाण य कतरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवायो मिच्छादंसणवत्तियायो किरियायो, अपञ्चक्खाणकिरियायो विसेसाहियायो, परिग्गहियातो विसेसाहियात्रो, श्रारंभियातो किरियातो विसेसाहियायो, मायावत्तियातो विसेसाहियातो १२॥सूत्रं 287 // पराणवणाए भगवइए बावीसतिमं किरिया-पयं समत्तं // // इति द्वाविंशतितमं पदम् // 22 // . ॥अथ कर्मप्रकृतिनामके त्रयोविंशतितमे पदे प्रथमोद्देशकः॥ ___कति पगडी 1 कह बंधति 2 कइहिवि गणेहिं बंधए जीवो 3 / कति वेदेइ य पयडी 4 अणुभावो कइविहो कस्स 5 // 1 // कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पराणत्तायो, गोयमा ! अट्ट कम्मपगडीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-णाणावरणिज्जं 1 दंसणावरणिज्जं 2 वेदणिज्ज 3 मोहणिज्ज 4 ग्राउयं 5 नाम 6 गोयं 7 अंतराइयं 8, 1 / नेरझ्याणं भंते ! कइ कम्मपगडीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं 2 / 1 // सूत्रं 288 // कहराणं भंते ! जीवे अट्ठ कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! नाणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं दरिसणावरणिज्ज कम्मं णियच्छति, दंसणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं दंसणमोहणिज्जं कम्मं णियच्छति, दंसणमोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं मिच्छत्तं नियच्छति, मिच्छत्तेणं उदिएणं गोयमा ! एवं खलु जीवो अट्ठ कम्मपगडीतो बंधति 1 / कहराणं भंते ! नेरइए अट्ठ कम्मपगडीश्रो बंधति ?, गोयमा ! एवं चेव, एवं जाव वेमाणिते 2 / कहरणं भंते ! जीवा अट्ट कम्मपगडीतो बंधति ? गोयंमा ! एवं चेव जाव वेमाणिया 3 // 2 // सूत्रं 281 // जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पद 23-1 ] [ 325 कम्मं कतिहिं ठाणेहिं बंधति ?, गोयमा ! दोहिं ठाणेहिं, तंजहा-रागेण य दोसेण य, रागे दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-माया य लोभे य, दोसे दुविधे पन्नत्ते, तंजहा–कोहे य माणे य, इच्चेतेहिं चउहि ठाणेहिं विरितोवग्गहिएहिं, एवं खलु जीवे णाणावरणिज्ज कम्मं बंधति, एवं नेरतिते जाव वेमाणिते 1 / जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्म कतिहिं ठाणेहिं बंधति ?, गोयमा ! दोहिं ठाणेहिं एवं चेव, एवं नेरइया जाव वेमाणिया, एवं दंसणावरणिज्जं जाव अंतराइज्जं, एवं एते एगत्तपोहत्तिया सोलस दंडगा 2 / 3 // सूत्रं 210 // जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेति ?, गोयमा ! अत्थेगइए वेदेति अत्थेगइए नो वेएइ 1 / नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेति ?, गोयमा ! नियमा वेदेति, एवं जाव वैमाणिते, णवरं मणूसे जहा जीवे 2 / जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेति ?, गोयमा ! वेदेति एवं चेव, एवं जाव वेमाणिया 3 / एवं जहा णाणावरणिज्जं तहा दंसणावरणिज्जं मोहणिज्जं अंतराइयं च, वेयणिज्जाउनामगोताई एवं चेव, नवरं मणूसेवि नियमा वेदेति, एवं एते एगत्तपोहत्तिया सोलस दंडगा 4 // 4 // // सूत्रं 211 ॥णाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स पुट्ठस्स बद्धफासपुट्ठस्स संचियस्स चियस्स उवचियस्स पावागपत्तस्स विवागपत्तस्स फलपत्तस्स उदयपत्तस्स जीवेणं कयस्स जीवेणं निव्वत्तियस्स जीवेणं परिणामियस्स सयं वा उदिराणस्स परेण वा उदीरियस्त तदुभएण वा उदीरिजमाणस्स गति पप्प ठिति पप्प भवं पप्प पोग्गलं पप्प पोग्गलपरिणामं पप्प कतिविधे अणुभावे पराणत्ते ?, गोयमा ! णाणावरणिजस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प दसविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहासोतावरणे सोयविराणाणावरणे नेत्तावरणे नेतविराणाणावरणे घाणावरणे घाणविराणाणावरणे रसावरणे रसविराणाणावरणे फासावरणे फासविण्णाणावरणे, जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 326 } ! श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विमागः वा पोग्गलाणं परिणामं तेसिं वा उदएणं जाणियवंण जाणति जाणिउकामे ण याणति जाणित्नावि न याणति उच्छन्नणाणी यावि भवति णाणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं, एस णं गोयमा ! णाणावरणिज्जे कम्मे एस णं गोयमा ! णाणावरणिजस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम पप्प दसविधे अणुभावे पन्नत्ते 1 / दरिसणावरणिजस्त णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प कतिविधे अणुभावे पन्नत्ते ?, गोंयमा! दरिसणावरणिजस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प णवविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-णिदा णिदा 2 पयला पयला 2 थीणद्धी चक्खुदसणावरणे अचक्खुदसणावरणे श्रोहिदसणावरणे केवलदसणावरणे, जंवेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं तेसि वा उदएणं पासियव्वं ण पासति पासिउकामेवि ण पासति पासिता वि ण पासति, उच्छन्नदंसणी यावि भवति दरिसणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं, एस णं गोयमा ! दरिसणावरणिज्जे कम्मे एस णं गोयमा ! दरिसणातरणिजस्स कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम पप्प णवविध अणुभावे पराणत्ते 2 / सायावेयणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणामं पप्प कतिविधे अणुभावे पन्नते ?, गोयमा ! सातावेदणिजस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव अट्ठविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-मणुराणा सदा 1 मणुराणा रूवा 2 मणुराणा गंधा 3 मणुराणा रसा 4 मणुराणा फासा 5 मणोसुहता 6 वयसुहया 7 कायसुहता 8 जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम तेसिं वा उदएणं सातावेदणिज्जं कम्म वेदेति, एस णं गोयमा ! सायावेयणिज्जे कम्मे, एस णं गोयमा ! सातावेयणिजस्स जाव अट्ठविधे अणुभावे पन्नत्ते 3 / असातावेयणिजस्सं णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं तहेव पुच्छा, उत्तरं च, नवरं श्रमणुराणा सदा जाव Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 23-1 [ 320 कायदुहया एस णं गोयमा ! असायावेयणिज्जे कम्मे एस णं गोयमा ! असातावेदणिजस्स जाव अट्ठविधे अणुभावे पन्नत्ते 4 / मोहणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव कतिविधे अणुभावे पनत्ते ?, गोयमा ! मोहणिजस्स णं कम्मस्त जीवेणं बद्धस्स जाव पंचविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-सम्मत्तवेयणिज्जे मिच्छतवेयणिज्जे सम्मामिच्छत्तवेयणिज्जे कसायवेयणिज्जे नोकसायवेयणिज्जे जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाण परिणाम तेसिं वा उदएणं मोहणिज्ज कम्मं वेएइ, एस णं गोयमा ! मोहणिजस्स कम्मस्स जाव पंचविधे अणुभावे पन्नते 5 / अाउयस्स णं भंते ! कम्मस्त जीवेणं तहेव पुच्छा, गोयमा ! अाउयस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव चउविहे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहानेरझ्याउते तिरियाउते मणुयाउए देवाउए, जंवेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम तेसिवा उदएणं पाउयं कम्मं वेदेति, एस णं गोयमा ! पाउए कम्मे, एस णं गोयमा ! पाउअस्स कम्मस्स जाव चउबिहे अणुभावे पराणत्ते 6 / सुहणामस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं पुच्छा, गोयमा ! सुहणामस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव चउद्दसविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-इट्ठा सदा 1 इट्टा रूवा 2 इट्टा गंथा 3 इट्टा रसा 4 इट्ठा फासा 5 इट्टा गती 6 इट्टा ठिती 7 इ8 लावराणे 8 इट्ठा जसोकित्ती 1 इ8 उट्ठाण-कम्म-बल-वीरिय-पुरिसकार परकमे 10 इट्टस्सरया 11 कंतस्सरया 12 पियस्सरया 13 मणुराणस्सरया . 14 जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले. वा पोग्गलपरिणाम वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं तेसिं वा उदएणं सुभणामं कम्मं वेएइ, एस णं गोयमा ! सुहनामकम्मे, एस णं गोयमा ! सुभणामस्स कम्मस्स जाव चउद्दसविधे अणुभावे पन्नत्ते 7 / दुहनामस्स णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव, णवरं अणिट्ठा सदा जाव हीणस्सरया दीणस्सरया अणिट्ठस्सरया कम्म वेदेति णाम वा वीससाकार देवाउए जा Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उच्चागोतस्स णं भतेस जाव अविहे या 3 स्वविसिट्टया वसिया 8 328 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठी विभागः अकंतस्सरया जं वेदेति सेसं तं चेव जाव चउद्दसविधे अणुभावे पराणते 8 / उच्चागोतस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं पुच्छा, गोयमा ! उच्चागोतस्स णं कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव अट्ठविहे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-जाति विसिट्टया 1 कुलविसिट्टया 2 बलविसिट्ठया 3 रूवविसिठ्ठया 4 तवविसिट्टया 5 सुयविसिट्टया 6 लाभविसिट्टया 7 इस्सरियविसिट्टया 8 जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणामं वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणामं तेसिं वा उदएणं जाव अट्ठविधे अणुभावे पन्नत्ते 1 / णीयागोयस्स णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! एवं चेव, णवरं जातिविहीणया जाव इस्तरियविहीणया जं वेदेति पुग्गलं वा पोग्गले वा पोग्गलपरिणाम वा वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम तेसिं वा उदएणं जाव अट्ठविधे अणुभावे पराणत्ते 10 / अंतरायस्स णं भंते ! कम्मस्स जीवेणं पुच्छा, गोयमा ! अंतराइयस्त कम्मस्स जीवेणं बद्धस्स जाव पंचविधे अणुभावे पन्नत्ते, तंजहा-दाणंतराए लाभंतराए भोगंतराए उवभोगंतराए वीरियंतराए, जं वेदेति पोग्गलं वा पोग्गले वा जाव वीससा वा पोग्गलाणं परिणाम वा तेसि वा उदएणं अंतराइयं कम्मं वेदेति, एस णं गोयमा ! अंतराइए कम्मे, एस णं गोयमा ! जाव पंचविधे अणुभावे पन्नत्ते 11 / // सूत्रं 212 // पराणवणाए कम्मपगडि पदे पढमो उद्देसो समत्तो॥ // इति त्रयोविंशतितमे पदे प्रथम उद्देशकः // 23-1 // ॥अथकर्मप्रकृतिनामके त्रयोविंशतितमे पदे द्वितीयोद्देशकः॥ कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पराणत्ताश्रो, गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीयो पनत्तायो, तंजहा-णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं 1 / णाणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे. पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-श्राभिणिबोहिय-नाणावरणिज्जे जाव केवलनाणावरणिज्जे Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 23-2 / [ 329 2 / दंसणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-निदापंचए य दंसणचउक्कए य 3 / निदापंचए णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-निदा जाव थिणद्धी 4 / दंसणचउकए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! चउब्विधं पन्नत्ते, तंजहाचक्खुदंसणावरणिज्जे जाव केवलदसणावरणिज्जे 5 / वेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सायावेयणिज्जे य असायावेयणिज्जे य 6 / सातावेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे पुच्छा, गोयमा ! अट्ठविधे पन्नत्ते, तंजहा-मणुराणा सदा जाव कायसुहया 7 / असायावेदणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! अट्ठविधे पन्नत्ते, तंजहा-श्रमणुराणा सद्दा जाव कायदुहया 8 / मोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-दंसणमोहणिज्जे य चरित्तमोहणिज्जे य 1 / दंसणमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पनत्ते, तंजहा-सम्मत्तवेदणिज्जे मिच्छत्तवेयणिज्जे सम्मामिच्छत्तवेयणिज्जे 10 / चरित्तमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-कप्तायवेयणिज्जे य नोकसायवेयणिज्जे य 11 / कसायवेदणिज्जे णं भंते ! कतिविधे पनत्ते ?, गोयमा ! सोलसविधे पन्नत्ते, तंजहा-श्रणंताणुबंधी कोहे अणंताणुबंधी माणे अणंताणुबंधी माया अणंताणुबंधी लोभे, अपचक्खाणे कोहे एवं माणे माया लोभे, पञ्चक्खाणावरणे कोहे एवं माणे माया लोभे, संजलणकोहे एवं माणे माया लोभे 12 नोकसायवेयणिज्जे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! णवविहे पन्नत्ते, तंजहा-इत्थीवेयवेयणिज्जे पुरिसवेयवेयणिज्जे नपुंसगवेयवेयणिज्जे हासे रती अरती भए सोगे दुगुछा 13 / पाउए णं भंते ! कम्मे कतिविधे पत्नत्ते ?, गोयमा ! चउबिधे पन्नत्ते, तंजहा-नेरइयाउए जाव देवाउए 14 / णामे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! बायालीसतिविहे पराणत्ते, Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 330 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः तंजहा-गतिनामे 1 जातिनामे 2 सरीरनामे 3 सरीरोवंगनामे 4 सरीर. बंधणनामे 5 सरीरसंघयणनामे 6 संघायणनामे 7 संठाणनामे 8 वराणणामे 1 गंधणामे 10 रसणामे 11 फासणामे 12 अगुरुलघुनामे 13 उवघायणामे 14 पराघायणामे 15 श्राणुपुविणामे 16 उस्सासणामे 17 यायवणामे 18 उज्जोयणामे 11 विहायगतिणामे 20 तसनामे 21 थावरणामे 22 सुहुमनामे 23 बादरणामे 24 पजत्तणामे 25 अपजत्तणामे 26 साहारणसरीरणामे 27 पत्तेयसरीरणामे 28 थिरणामे 21 अथिरणामे 30 सुभणामे 31 असुभणामे 32 सुभगणामे 33 दुभगणामे 34 सूसूरनामे 35 दूसरनामे 36 श्रादेजनामे 37 अणादेजनामे 38 जसोकित्तिणामे 31 अजसोकित्तिणामे 40 णिम्माणणामे 41 तित्थगरणामे 42, 15 / गतिनामे णं भंते ! कम्मे कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउब्बिहे पन्नत्ते, तंजहानिरयगतिनामे तिरियगतिनामे मणुयगतिनामे देवगतिणामे 16 / जातिणामे णं भंते ! कम्मे पुच्छा, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-एगिदियजातिणामे जाव पंचिंदियजातिणामे 17 / सरीरनामे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते?, गोयमा ! पंचविहे पन्नते, तंजहा-थोरालियसरीरनामे जाव कम्मगसरीरणामे 18 / सरीरोवंगनामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविधे पन्नत्ते, तंजहा-थोरालियसरीरो(रंगो)वंगणामे वेउब्वियसरीरो(रंगो)वंगनामे थाहारगसरीरो(रंगो)वंगनामे 11 / सरीरबंधणनामे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-योरालियसरीरबंधणणामे जाव कम्मगसरीरबंधणनामे 20 / सरीरसंघायनामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-योरालियसरीरसंघायनामे जाव कम्मगसरीरसंघायनामे 21 / संघयणनामे णं भंते ! कतिविधे पनत्ते ?, गोयमा ! छविहे पत्नत्ते, तंजहा-वइरोसभनाराय-संघयणनामे उसहनाराय-संघयणनामे नाराय-संघयणनामे अद्धनाराय-संघयणनामे कीलिया-संघयणनामे छेवट्ठ-संघयणनामे 22 / Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माते ! कतिविध पाटन-संठाणनामे सामानामे णं भते में श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 23-2 ] संठाणनामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! छविहे पन्नत्ते, तंजहासमचउरंस-संठाणनामे निग्गोहपरिमंडल-संगणनामे साइसंठाणनामे वामणसंठगणनामे खुजसंठगणनामे हुंडसंगणनामे 23 / वराणनामे णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-कालवगणनामे जाव सुकिल्लवगणनामे 24 / गंधनामे णं भंते ! कम्मे पुच्छा, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सुरभिगंधनामे दुरभिगंधनामे 25 / रसनामे णं पुच्छा, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-तित्तरसनामे जाव महुररसनामे 26 / फासनामे णं पुच्छा, गोयमा ! अट्ठविहे पन्नत्ते, तंजहा-कक्खडफासनामे जाव लहुयफासनामे 27 / अगुरुलहुयनामे एगागारे पन्नत्ते, उवघायनामे एगागारे पन्नत्ते, पराघातनामे एगागारे पन्नत्ते, पाणुपुविणामे चउविहे पनत्ते, तंजहा–नेरइयाणुपुवीणामे जाव देवाणुपुब्बीणामे, उस्सासनामे एगागारे पन्नत्ते, सेसाणि सव्वाणि एगागाराई पराणत्ताई जाव तित्थगरनामे 28 / णवरं विहायगतिनामे दुविधे पन्नत्ते, तंजहा-पसत्थ-विहाय-गइनामे य अपसत्थ विहाय-गतिनामे य 21 / गोए णं भंते ! कम्मे कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पत्नत्ते, तंजहा-उच्चागोए य नीयागोए य 30 / उच्चागोए णं भंते ! कइविधे पत्नत्ते ?, गोयमा ! अट्ठविधे पन्नत्ते, तंजहा-जाइविसिठ्ठया जाव इस्सरियविसिट्ठया, एवं नीयागोएवि, णवरं जातिविहीणताजाव इस्सरियविहीणया 31 / अंतराए णं भंते ! कम्मे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-दाणंतराइए जाव वीरियंतराइए 32 // सूत्रं 213 ॥णाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतितं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीतो तिगिण य वाससहस्साई अबाहा, अबाहूणिया कम्मठिती कम्मनिसेगो 1 / निदापंचगस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतितं कालं ठिती पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स तिगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणिया, Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 332 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः उकोसेणं तीसं सागरोवम कोडाकोडीतो, तिरिण य वाससहस्साइं अबाहा, श्रबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो, दंसणचउकस्स णं भंते ! कम्मस्स केवइयं कालं ठिती पत्नत्ता ?,गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तीसं सागरोक्मकोडाकोडीतो, तिरिण य वाससहस्साई अबाहा, अबाहुणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 2 / सायावेयणिजस्स ईरियावहियं बंधगं पडुच्च अजहराणमणुकोसेणं दो समया संपराइयबंधगं पडुच्च जहराणेणं बारस मुहुत्ता, उको. सेणं पराणरस सागरोवम-कोडाकोडीतो, पराणरस वाससयाई अबाधा अबाहुणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो, असातावेदणिजस्स जहगणेणं सांगरोवमस्स तिगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीतो, तिरिण य वाससहस्साई अबाहा अबाहुणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 3 / सम्मत्तवेयणिजस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं सातिरेगाति, मिच्छत्तवेयणिजस्स जहराणेणं सागरोवमं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेण ·ऊणगं उकोसेणं सत्तरि कोडाकोडीतो, सत्त य वाससहस्साई अबाहा, अवाहूणिया कम्महिती कम्मनिसेगो 4 / सम्मामिच्छत्त-वेयणिजस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं अंतोमुहुत्तं, कसायबारसगस्स जहराणेणं सागरोवमस्स चत्तारि सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीतो, चत्तालीसं वाससताई अबाहा अबाहुणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 5 / कोहसंजलणे पुच्छा, गोयमा ! जहणणेणं दो मासा उकोसेणं चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीतो चत्तालीसं वाससताई अबाहा अवाहुणिया कम्महिती कम्मनिसेगो 6 / माणसंजलणाते पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं मासं उक्कोसेणं जहा कोहस्स 7 / मायासंजलणाते पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं श्रद्धं मासं उक्कोसेणं जहा कोहस्स 8 / लोहसंजलणाए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 23-2 / [ 333 उकोसेणं जहा कोहस्स 1 / इत्थीवेयस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं सागरोवमस्त दिवड्ढ सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजइभागेण ऊणयं उक्कोसेणं पराणरस सागरोवम-कोडाकोडीतो पराणरस वाससताई अबाहा अवाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 10 / पुरिसवेदस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अट्ठ संवच्छरातिं उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीतो दस वाससताई अवाहा जाव णिसेगो 11 / णपुसगवेदस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स दोरिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया, उकोसेणं वीसं सागरोवम-कोडाकोडीतो वीस य वाससताई अबाहा अवाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 12 / हासरतीणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स एक्कं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणं उक्कोसेणं दस सागरोवम-कोडाकोडीयो दस य वाससताई अबाहा, श्रबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 13 / अरतिभय सोग-दुगुंछाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स दोरिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवम-कोडाकोडीतो वीसं वाससताइं अबाहा, अवाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 14 / नेरइयाउयस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्त-मब्भहियाइं उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुव्वकोडीतिभाग-मभहियाति 15 / तिरिक्खजोणियाउयस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिरिण पलितोवमाइं पुवकोडि. तिभाग-मभहियाई, एवं मणूसाउयस्सवि, देवाउयस्स नहा नेरइयाउयस्स ठितित्ति 16 / निरयगतिनामए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागा पलितोवमस्स असंखिजतिभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीसं वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो, तिरियगतिनामए जहा Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 334 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागा नपुंसगवेदस्स 17 / मणुयगतिनामते पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं सागरोवमस्त दिवद्धं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगं उकोसेणं पराणरस सागरोवम-कोडाकोडीतो पराणरस-वाससताई अबाहा अवाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 18 / देवगतिनामए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसहस्सस्स एगं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणयं उक्कोसेणं जहा पुरिसवेदस्स 11 / एगिदियजातिनामए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स दोगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीसति वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 20 / बेइंदियजातिनामए पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं सागरोवमस्स नव पणतीसतिभागा पलितोवमस्त असंखेजइभागेणं ऊणया उकोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीतो अट्ठारस य वाससयाइं अवाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 21 / तेइंदियजातिनामए णं जहरणेणं एवं चेव, उक्कोसेणं अट्ठारससागरोवम-कोडाकोडीतो अट्ठारस य वाससताई अबाहा बाहूणिया कम्मद्विती कम्मनिसेगो 22 / चरिंदियजातिनामाए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया उकोसेणं अट्ठारस सागरोवम-कोडाकोडीतो अट्ठारस वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 23 / पंचिंदियजातिनामाए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स दोगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीतो वीस य वाससताई अवाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो श्रोरालियसरीरनामाएवि एवं चेव 24 / वेउब्बियसरीरनामाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया, उकोसेणं वीसं सागरोवम-कोडाकोडीयो वीस य वाससयाई अबाहा Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 23-2 ) [ 335 अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 25 / श्राहारगसरीरनामा जहरणेणं अंतोसागरोवम-कोडाकोडीयो उक्कोसेणवि अंतोसागरकोडाकोडीयो 26 / तेयाकम्मसरीरनामाए जहराणेणं सागरोवमस्स दोगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो वीस य वाससताइं अवाहा अबाहूणिया कम्महिती कम्मनिसेगो 27 / पोरालियवेउब्विय-याहारग-सरीरंगोवंगनामाए तिरिणवि एवं चेव, सरीरबंधणनामएवि पंचराहवि एवं चेव, सरीरसंघायनामाए पंचराहवि जहा सरीरनामाए कम्मस्स ठिइत्ति, वइरोसभनारायसंघयणनामाए जहा रइनामाए 28 / उसभनारायसंघयणनामाए पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं सागरोवमस्स छ पणतीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं बारस सागरोवमकोडाकोडीयो, बारस य वाससताई बाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 21 / नारायसंघयणनामाए जहराणेणं सागरोवमस्स सत्त पणतीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्कोसेणं चोदस सागरोवमकोडाकोडीतो चउद्दस वाससताई अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो .30 / श्रद्धनाराय-संघयणनामस्स जहराणेणं सागरोवमस्स. अट्ठ पणतीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्कोसेणं सोलस सागरोवमकोडाकोडीतो सोलस वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 31 / खीलियासंघयणे णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स नव पणतीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीयो अट्ठारस वाससताई अबाहा, अवाहूणिया कम्महिती कम्मनिसेगो 32 / छेवट्ठसंघयणनामस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स दोगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो वीस य वाससताई अबाहा, एवं जहा संघयणनामाते छन्भणिया एवं संठाणावि छब्भाणितव्वा 33 / Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 336 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः सुकिल्लवराणणामते पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं सागरोवमस्स एगं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणगं, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीतो, दस वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 34 / हालिद्दवराणणामए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स पंच अट्ठावीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणगा उक्कोंसेणं अद्धतेरस-सागरोमम-कोडाकोडी, अद्धतेरस वाससयाई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 35 / लोहितवराणणामए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स छ अट्ठावीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेहिं ऊणया, उक्कोसेणं पराणरस सागरोवमकोडाकोडीयो पराणरस य वाससयाति अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 36 / नीलवरणनामाए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स सत्त अट्ठावीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीतो श्रद्धद्वारस वाससताई अवाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो, कालवराणनामाए जहा छेवट्ठसंघयणस्स 37 / सुन्भिगंधणामाने पुच्छा, गोयमा ! जह सुकिल्लवगणनामस्स, दुभगंधणामाए जहा छेवट्ठसंघयणस्स, रसाणं महुरादीणं जहा वराणाणं भणितं तहेव परिवाडीते भाणितव्वं, फासा जे अपसत्था तेसिं जहा छेवट्ठस्स, जे पसत्था तेसिं जहा सुकिल्लवगणनामस्स, अगुरुलहुनामाते जहा छेवट्ठस्स, एवं उवघातनामाएवि, पराघायनामाएवि एवं चेव 38 / निरयाणुपुबीनामाए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागा पलितोवमस्स असंखे. जतिभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो, वीस य वाससताइं अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 31 / तिरियाणुपुब्बीए पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं सागरोवमस्स दो सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो वीस य वास Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 23-2 ] [ 337 सताई अबाधा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 40 / मणुयाणुपुवीनामाए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स दिवढ सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं परागरस सागरोवमकोडाकोडीयो पराणरस य वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 41 / देवाणुपुबीनामाते पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसहस्सस्स एगं सत्तभागं पलितोवमस्स. असंखेजतिभागेणं ऊणयं, उकोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीयो दस य. वाससताई, अबाहा अबाहूणिया कम्मद्विती कम्मनिसेगो 42 / ऊसासनामाते पुच्छा, गोयमा ! जहा तिरियाणुपुबीए, पायवनामाएं वि एवं चेव, उजोयनामाएवि 43 / पसथविहायोगतिनामाएवि पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एगं सागरोवमस्स. सत्तभागं उक्कोसेणं दस सागरोवमकोंडाकोडीयो, दस य वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 44 / अपतत्थविहायोगतिनामस्स पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स दोगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उकोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो वीस य वाससताइं अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो, तसनामाए थावरनामाए य एवं चेव 45 / सुहुमनामाए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणया, उकोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीतो अट्ठारस य वाससताइं अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 46 / बादरनामाए जहा अप्पसत्थविहायोगतिनामस्स, एवं पजत्तगनामाएवि, अपजत्तगनामाए जहा सुहुमनामस्स, पत्तेयसरीरनामाएविं दो सत्तभागा, साहारणसरीरनामाए जहा सुहुमस्स, थिरनामाए एगं सत्तभागं अथिरनामाए दो सुभनामाए एगो असुभनामाए दो सुभगनामाए एगो दूभगनामाए दो सूसरनामाए एगो दूसरनामाए दो श्रादिजनामाए एगो अणाइजनामाए दो जसोकित्तितामाए जहरणेणं अट्ठ मुहूत्ता उक्कोसेणं दस Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 338 ] [ श्रामदागर्मसुधासिन्धुः। षष्ठो विमागः सागरोवमकोडाकोडीतो दस वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 47 / अजसोकित्तिनामाए पुच्छा, गोयमा ! जहा अप्पसत्थबिहायोगतिनामस्स, एवं णिम्माणनामाएवि 48 / तित्थगरणामाए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोसागरोवमकोडाकोडीयो उक्कोसेणवि अंतोसागरोवम-कोडाकोडीयो, एवं जत्थ एगो सत्तभागो तत्थ उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीया दस वाससताई श्रवाहा श्रबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो, जत्थ दो सत्तभागा तत्थ उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो वीस य वाससताई अबाहा अवाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 41 / उच्चागोयस्स णं पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं अट्ठ मुहुत्ता उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीश्रो, दस य वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्महिती कम्मनिसेगो 50 / णीयागोत्तस्स पुच्छा, गोयमा ! जहा अप्पसत्थविहायोगतिनामस्स 51 / अंतराऐ णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो तिरिण य वाससहस्साई अवाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती कम्मनिसेगो 52 // सूत्रं 214 // एगिदिया णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं बंधति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स तिगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं उणया उकोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधति, एवं निदापंचगस्सवि, दंसणचउकस्सवि 1 / एगिदिया णं भंते ! जीवा सातावेदणिजस्स कम्मस्म किं बंधति ?, गोयमा ! जहरणेणं मागरोवमदिवड्ड सत्तभागं पलिग्रोवमस्स असखेजतिभागेणं ऊणयं उकोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधति, असायवेयणिजस्स जहा णाणावरणिजस्स 2 / एगिदिया णं भंते ! जीवा सम्मत्तवेयणिजस्स कम्मस्स किं बंधंति ?, गोयमा ! णत्थि किंचि बंधंति 3 / एगिदिया णं भंते ! जीवा मिच्छत्तवेदणिजस्स कम्मस्स किं बंधंति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं उणं उक्कोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधति 4 / Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 23-2 ] [ 339 एगिदिया णं भंते ! जीवा सम्मामिच्छत्तवेयणिजस्स किं बंधति ?, गोयमा ! णत्थि किंचि बंधति 5 / एगिदिया णं भंते !, जीवा कसायबारसगस्स किं बंधंति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमस्स चत्तारि सत्तभागे पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणते उक्कोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधंति, एवं जाव कोहसंजलणाएवि जाव लोभसंजलणाएवि 6 / इत्थिवेदस्स जहा सातावेदणिजस्स, एगिदिया पुरिसवेदस्स कम्मस्स जहराणेणं सागरोवमस्स एगं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणयं उक्कोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधंति 7 / एगिदिया नपुसगवेदस्स कम्मस्स जहराणेणं सागरोवमस्स दो सत्तभागे पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणए उक्कोसेणं ते चेव पडिपुराणं बंधति 8 | हासरतीते जहा पुरिसवेदस्स, अरतिभयसोगदुगुंछाए जहा नपुंसगवेयस्स, नेरइयाऊ देवाऊ य निरयगतिनाम देवगतिनाम वेउब्वियसरीरनाम थाहारगसरीरनाम नेरझ्याणुपुविनाम देवाणुपुग्विनाम तित्थगरणाम एताणि पदाणि ण बंधति 1 / तिरिक्खजोणियाउयस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं पुवकोडी सत्तहिं वाससहस्सेहिं वाससहस्सतिभागेण य अहियं बंधंति, एवं मणुस्साउयस्सवि 10 / तिरियगतिनामाए जहा नपुंसगवेदस्स, मणुयगतिनामाए जहा सातावेदणिजस्स, एगिदियजातिनामाए पंचिंदियजातिनामाए य जहा नपुंसगवेदस्स 11 / बेइंदिय-तेइंदिय-जातिनामाए पुच्छा, जहराणेणं सागरोवमस्स नव पणतीसतिभागे पलितोवमेस्स असंखेजतिभागेणं ऊणए उक्कोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधति 12 / चरिंदियनामाएवि जहराणेणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागे पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणए उकोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधंति 13 / एवं जत्थ जहराणगं दो सत्तभागा तिन्नि वा चत्तारिवा सत्तभागा अट्ठावीसतिभागा पलिग्रोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगा भवंति, तत्थ णं जहराणेणं ते चेव पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगा भाणितव्वा, उक्कोसेणं ते चेव Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 340 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागा पडिपुराणे बंधति, तत्थ णं जहराणेणं एगो वा दिवसो वा सत्तभागो तत्थ जहराणेणं तं चेव भाणितव्वं उकोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधति 14 / जसोकित्तिउच्चागोताणं जहराणेणं सागरोवमस्स एगं सत्तभागं पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं. ऊणं उक्कोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधंति 15 / अंतराइयस्स णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जहा णाणावरणिज्जं उकोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधति 16 // सूत्रं 215 // बेइंदिया णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं बंधति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवम-पणवीसाते तिरिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया उक्कोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधंति, एवं निदापंचगस्सवि 1 / एवं जहा पूगिदियाणं भणितं तहा बेइंदियाणवि भाणितव्वं, नवरं सागरोवम-पणवीसाए सह भाणितव्वा पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणा सेसं उक्कोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधंति, जत्थ एगिदिया न बंधंति तत्थ एतेवि न बंधंति 2 / बेइंदिया - णं भंते ! जीवा मिच्छत्तवेयणिजस्स किं बंधति ?, गोयमा !, जहराणेणं सागरोवमपणवीसं पलिग्रोवमस्स असंखेइभागेणं ऊणयं उकोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधंति 3 / तिरिक्खजोणियाउयस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडिं चउहिं वासेहिं अहियं बंधंति, एवं मणुयाउयस्मवि, सेसं जहा एगिदियाणं जाव अंतराइयस्स 4 / तेइंदिया णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स किं बंधति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवम-पराणासाए तिगिण सत्तभागा पलितोवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणया उक्कोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधंति, एवं जस्स जतिभागा ते तस्स सागरोवम-पराणासाए सह भाणितव्वा 5 / तेइंदिया णं भंते ! जीवा मिच्छत्तवेदणिजस्स कम्मस्स किं बंधति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवम-पराणासं पलितोवमस्सासंखेजतिभागेणं ऊणयं उकोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधति 6 / तिरिक्खजोणियाउयस्स जहरणेणं अंतोमुहुत्तं उक्को. Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 23-2 / [ 341 सेणं पुब्धकोडिं सोलसेहिं राइदिएहिं राइंदियतिभागेण य अहियं बंधंति, एवं मणुस्साउयस्सवि, सेसं जहा बेइंदियाणं जाव अंतराइयस्स 7 / चउरिंदिया णं भंते ! जीवा णाणावरणिजस्स किं बंधति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसयस्स तिमिण सत्तभागे पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणए उक्कोसेणं ते चेव पडिपुराणे बंधंति, एवं जस्स जति भागा तस्स सागरोवमसतेण सह भाणितव्वा 8 / तिरिक्खजोणियाउयस्स कम्मस्स जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुवकोडिं दोहिं मासेहिं अहियं, एवं मणुस्साउयस्सवि, सेसं जहा बेइंदियाणं, णवरं मिच्छत्तवेदणिजस्स जहराणेणं सागरोवमसतं पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणयं उकोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधति, सेसं जहा बेइंदियाणं जाव अंतराइयस्स 1 / असण्णी. णं भंते ! जीवा पंचिंदिया णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं बंधंति, ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसहस्सस्स तिरिण सत्तभागे पलितोवमस्सासंखेजतिभागेणं ऊणए उकोसेणं ते चेव पडिपुराणे, एवं सो चेव गमो जहा बेइंदियाणं, णवरं सागरोवमसहस्सेण समं भाणितव्वं जस्स जति भागत्ति 10 / मिच्छत्तवेदणिजस्स जहराणेणं सागरोवमसहस्सं पलितोवमासंखेजतिभागेणं ऊणयं उक्कोसेणं तं चेव पडिपुराणं 11 / नेरइयाउयस्स जहराणेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्त-मब्भहियाई उक्कोसेणं पलितोवमस्स असंखेजतिभागं पुवकोडितिभागभहियं बंधंति, एवं तिरिक्खजोणियाउयस्मवि, णवरं जहराणेणं अंतोमुहुत्तं, एवं मणुयाउयस्सवि, देवाउयस्स जहा नेरझ्याउयस्स 12 / असरणी णं भंते ! जीवा पंचिंदियनिरयगतिनामाए कम्मस्स किं बंधंति ?, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवम-सहस्सस्स दो सत्तभागे पलितोवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणया उक्कोसेणं ते चेव पडिपुराणे, एवं तिरियगतितेवि, मणुयगतिनामाएवि एवं चेव, णवरं जहरणेणं सागरोवम-सहस्सस्स दिवढे सत्तभागं पलितोवमस्सासंखेजइभागेण ऊणं उक्कोसेणं तं चेव पडिपुराणं बंधति 13 / Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 342 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः एवं देवगतिनामाए, नवरं जहरणेणं सागरोवम-सहस्सस्स एगं सत्तभागं पलियोवमस्तासंखेजइभागेणं ऊणं उक्कोसेणं तं चेव पडिपुराणं 14 / वेउ. वियसरीरनामाए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागे पलितोवमस्सासंखेजतिभागेण ऊणे उक्कोसेणं दो पडिपुराणे बंधंति 15 / सम्मत्तसम्मामिच्छत्त-श्राहारग-सरीरनामाते तित्थगरनामाए य गा किंचि बंधति, अवसिट्ठ जहा वेइंदियाणं, णवरं जस्स जत्तिया भागा तस्स ते सागरोवमसहस्सेणं सह भाणितब्बा, सव्वेसिं पाणुपुबीए जाव अंतराइयस्स 16 / सराणी णं भंते ! जीवा पंचिंदिया णाणावरणिजस्स कम्मस्स किं बंधति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहत्तं उकोणेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो तिरिण य वाससहस्साई अवाहा 17 / सराणी णं भंते ! पंचिंदिया णिहापंचगस्स किं बंधंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं सागरोवम-कोडाकोडीयो उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो तिरिण य वाससहस्साई अबाहा 18 / दसणचउक्कस्स जहा णाणावरणिजस्स, सायावेदणिजस्स जहा श्रोहिया ठिती भणिता तहेव भाणितबा, ईरियावहियबंधयं पडुच्च संपराइयबंधयं च, असायावेयणिजस्स जहा णिहापंचगस्स, सम्मत्तवेदणिजस्स सम्मामिच्छत्त-वेदणिजस्स य जा श्रोहिया ठिती भणिता तं बंधंति 11 / मिच्छावेदणिजस्स जहराणेणं घेतोसागरोवमकोडा. कोडीयो उकोसेणं सत्तरं सागरोवम-कोडाकोडीयो, सत्तरि य वाससहस्साई अबाहा 20 / कसायबारसगस्स जहराणेणं एवं चेव उक्कोसेगणं चत्तालीसं सागरोवमकोडाकोडीश्रो, चत्तालीस य वाससयाति अबाहा 21 / कोहमाण-मायालोभ-संजलणाए य दो मासा मासो अद्धमासो अंतोमुहुत्तो, एवं जहन्नगं, उक्कोसगं पुण जहा कसायबारसगस्स 22 / चउराहवि अाउयाणं जा श्रोहिया ठिती भणिता तं बंधति, श्राहारगसरीरस्स तित्थगरनामाए य जहराणेणं अंतोसागरोवम-कोडाकोडीतो उक्कोसेणं अंतोसागरोवम-कोडा. Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमन्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 23-2 ) .... / 343 कोडीयो बंधति 23 / पुरिसवेदणिजस्स जहराणेणं अट्ठ संवच्छराई उक्कोसेणं दस सागरोवम-कोडाकोडीयो, दस य वाससताई अबाहा अबाहूणिया कम्मठिती कम्मणिसेगो 24 / जसोकित्तिणामाए उच्चागोत्तस्स य एवं चेव, नवरं जहरणेणं अट्ठ मुहुत्ता, अंतराइयस्स जहा णाणावरणिजस्स 25 / सेसएसु सव्वेसु ठाणेसु संघयणेसु संठाणेसु वराणेसु गंधेसु य जहराणेणं अंतोसागरोवम-कोडाकोडीथो उक्कोसेणं जा जस्स ग्रोहिया ठिती भणिता तं बंधति, णवरं इमं नाणतं अबाहा अबाहूणिया ण वुच्चति, एवं श्राणुपुन्वीते सव्वेसिं, जाव अंतरायस्स ताव भाणितव्वं 26 // सूत्रं 216 // णाणावरणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स जहराणहितीबंधए के ?, गोयमा ! अराणयरे सुहुमसंपरायते उवसामए वा खवगे वा एस णं गोयमा ! णाणावरणिजस्स कम्मस्स जहराणठितीबंधते, तब्वइरित्ते अजहरणे, एवं एएणं अभिलावेणं मोहाऊयवजाणं सेसकम्माणं भाणितव्यं 1 / मोहणिजस्स णं भंते ! कम्मस्स जहराणठितीबंधते के ?, गोयमा ! अन्नयरे बादरसंपराए उवसामए वा खवए वा एस णं गोयमा ! मोहणिजस्स कम्मस्स जहराणठितीबंधते, तव्वतिरित्ते अजहराणे 2 / श्राउयस्स णं भंते ! कम्मस्स जहराणठितीबंधते के ?, गोयमा ! जे णं जीवे असंखेप्पद्धापविट्ठ सव्वनिरुद्धे से अाउते, सेसे सव्वमहंतीए पाउयबंधद्धाए, तीसे णं अाउयबंधद्धाए चरिमकालसमयंसि सव्वजहणियं ठिई पजत्तापज्जत्तियं निव्वत्तेति, एस णं गोयमा ! श्राउयकम्मस्स जहराणठितीबंधते, तव्वइरित्ते अजहरणे 3 // सूत्रं 217 // उक्कोसकालठितीयं णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं किं नेरइयो बंधति तिरिक्खजोणियो बंधइ तिरिक्खजोणिणी बंधइ मणुस्सो बंधइ मणुस्सिणी बंधइ देवो बंधइ देवी बंधइ ?, गोयमा ! नेरइग्रोवि बंधइ जाव देवीवि बंधइ 1 / केरिसए णं भंते ! नेरइए उक्कोस-कालदिइयं णाणावरणिज्ज कम्मं बंधइ ?, गोयमा ! सगणी पंचिदिए सव्वाहिं पजत्तीहिं पजत्ते सागारे Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 344 / | श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः जागरे सुत्तो(तो)वउत्ते मिच्छादिट्ठी कराहलेसे य उक्कोस-संकिलिट्ठ-परिणामे ईसिमझिम-परिणामे वा, एरिसए णं गोयमा ! नेरइए उक्कोस-कालट्ठितियं णाणावरणिज्ज कम्मं बंधति 2 / केरिसए णं भंते ! तिरिक्खजोणिए उकोसकालठितीयं णाणावरणिज्ज कम्मं बंधति ?, गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्मभूमग-पलिभागी वा सराणी पंचेंदिए सव्वाहि पंजत्तीहि पजत्तए सेसं तं चेव जहा नेरइयस्स, एवं तिरिक्खजोगिणीवि मणूसेवि मणूसीवि, देवदेवी जहा नेरइए, एवं ग्राउयवज्जाणं मत्तगह कम्माणं 3 / उक्कोसकालठितीयं णं भंते ! ग्राउयं कम्म कि नेरइयो बंधति जाव देवी बंधइ ?, गोयमा ! नो नेरइयो बंधइ, तिरिक्खजोणियो बंधति, नो तिरिक्खजोणिणी बंधति, मणुस्सेवि बंधति मणुस्सीवि बंधति, नो देवो बंधइ नो देवी बंधइ 4 / केरिसए णं भंते ! तिरिक्खजोणिते उक्कोसठितीयं श्राउयं कम्म बंधति ?, गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्मभूमग-पलिभागी वा सगणी पंत्रिदिए सव्वाहिं पजत्तीहिं पज्जत्तए सागारे जागरे सुत्तोवउत्ते मिच्छद्दिट्ठी परमकराहलेसे उक्कोस-संकिलिट्ठ-परिणामे, एरिसए णं गोयमा ! तिरिक्खजोणिते उकोसकालट्ठितीयं ग्राउयं कम्मं बंधति 5 / केरिसए णं भंते ! मासे उकोसकालट्ठितीयं ग्राउयं कम्मं बंधति ?, गोयमा ! कम्मभूमए वा कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुत्तो(तो)वउत्ते सम्मदिट्टी वा मिच्छदिट्टी वा कराहलेसे वा सुक्कलेसे वा णाणी वा याणाणी वा उक्कोस-संकिलिट्ठ-परिणामे वा असंकिलिट्ठ-परिणामे वा तप्पाउग्ग-विसुज्झमाण-परिणामे वा एरिसए णं गोयमा ! मणूसे उक्कोसकालट्ठितीयं ग्राउयं कम्मं बंधति 6 / केरिसया णं भंते ! मणुसी उकोसकालट्ठिइयं याउयं कम्मं बंधइ ?, गोयमा ! कम्मभूमिया वा कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुत्तोवउत्ता सम्मट्ठिी सुक्कलेसा तप्पाउग्ग-विसुज्झमाणपरिणामा, एरिसिया णं गोयमा ! मणूसी. उक्कोस-कालट्ठियं बाउयं कम्म बंधति, अंतराइयं जहा णाणावरणिज्जं 7 // सूत्रं 218 // बीयो उद्दे सत्रो समत्ता // पराणवणाए भगवत्तीए तेवीसइमं पयं समत्तं / / // इति त्रयोविंशतितमे पदे द्वितोय उद्देशकः // 23-2 // Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 24 / [ 345 // अथ कर्मप्रकृतिबन्धाख्यं चतर्विशतितमं पदम् // कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पराणत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्म बंधमाणे कति कम्मपगडीतो बंधइ ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए. वा अट्ठविहबंधए वा छबिहबंधते वा 2 / नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्म बंधमाणे कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा, एवं जाव वेमाणिते, णवरं मणुस्से जहा जीवे 3 / जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीयो बंधति ?, गोयमा ! सब्वेवि ताव होज सत्तविहबंधगाय अट्टविहबंधगा य ग्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगे य ग्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छबिहबंधगा य 4 / णेरइया णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्म बंधमाणा कति कम्मपगडीतो बंधंति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य, अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य तिरिण भंगा, एवं जाव थणियकुमारा 5 / पुढविकाइया णं पुच्छा, गोयमा ! सत्तविहबंधगावि अट्ठविहबंधगावि एवं जाव वणप्फइकाइया, विगलाणं पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं तियभंगो सव्वेवि ताव होज सत्तविहबंधगा ग्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य 6 / मणूसा णं भंते ! णाणावरणिजस्स पुच्छा, गोयमा ! सब्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा 1 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य 2 श्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य 3 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य 4 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधगा य 5 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य छबिहबंधगे य 6 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य छविहबंधगा य 7 अहवा सत्तविहबंधगा य 44 . Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 346 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः अट्ठविहबंधगा य छब्बिहबंधगे य 8 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविह. बंधगा य छबिहबंधगा य 1 एवं एते नव भंगा 7 / सेसा वाणमंतरादिया जाव वेमाणिता जहा नेरइया सत्तविहादिबंधगा भाणिता तहा भाणितव्वा, एवं जहा णाणावरणं बंधमाणा जहिं भणिता दंसणावरणपि बंधमाणा तहिं जीवादीया एगतपोहुत्तेहिं भाणितव्वा 8 / वेयणिज्जं बंधमाणे जीव कतिकम्म-पगडियो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा छबिहबंधए वा एगविहबंधए वा, एवं मासेवि, सेसा नारगादीया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य जाव वेमाणिते 1 / जीवा णं भंते ! वेदणिज्जं कम्मं पुच्छा, गोयमा ! सब्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगा य, अवसेप्ता, नारगादोया जाव वेमाणिता जहि णाणावरणं बंधमाणा बंधति तहिं भाणितव्वा 10 / एवं मणूसा णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होज सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य 1 ग्रहवा सत्तविह. बंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य 2 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य 3 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छबिहबंधगेय 4 अहवा सत्तविहबंधगाय एगविहबंधगा य छविहबंधगा य 5 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधते य छविहबंधते य 6 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अविहबंधते य छविहबंधगा य 7 ग्रहवा सत्तवियबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छबिहबंधगे य 8 अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहवंधगा य छविहबंधगा य 1 एवं एए नव भंगा भाणियबा 11 / मोहणिज्जं बंधमाणे जीवे कतिकम्मपगडियो बंधइ ?, गोयमा ! जीवेगिदियवजो तियभंगो, जीवेगिंदिया सत्तविहबंधगावि अट्ठविहबंधगावि 12 / जीवे णं भंते ! Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं. 25 / [ 347 श्राउयं कम्मं बंधमाणे कतिकम्मपगडियो बंधइ ?, गोयमा / नियमा अट्ट, एवं नेरइए जाव वेमाणिए एवं पुहुत्तेणवि 13 / णामगोयअंतराइयं बंधमाणे जीवे कतिकम्मपगडियो बंधइ ?, गोयमा ! जीवा णाणावरणिज्ज बंघमाणे जाहिं बंधति ताहिं भाणितव्यो, एवं नेरइएवि, जाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेणवि भाणियव्वं 14 // सूत्रं 211 // पराणवणाए भगवईए चउवीसतिमं पयं समत्तं // // इति चतुर्विंशतितमं पदम् // 24 // // अथ कर्मवेदाख्यं पञ्चविंशतितमं पदम् // कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पन्नत्तायो?, गोयमा ! अट्ट कम्मपगडीतो पराणत्तायो, तंजहा-णाणावरणिज्जं जाव यंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! नियमा अट्ट कम्मपगडीतो वेदेति,एवं नेरइए जाव वेमाणिए, एवं मुहुत्तेणवि, एवं वेदणिजवज्जं जाव अंतराइयं 2 / जीवे णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! सत्तविहवेदए वा अट्ठविहवेदए वा चउबिहवेदए वा, एवं मणूसेवि, सेसा नेरझ्याति एगत्तेण पुहुत्तेणवि नियमा अट्ठ कम्मपगडीयो वेदंति जाव वेमाणिया 3 / जीवा णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा अट्टविहवेदगा य चउविहवेदगा य अहवा अट्ठविहवेदगा य चउविहवेदगा य सत्तविहवेदगे य अहवा अट्ठविहवेदगा य चउविहवेदगा य सत्तविहवेदगा य 3, एवं मणूसावि भाणियव्वा 4 // सूत्रं 300 // पराणवणाए भगवईए कम्मवेदणाम पणवीसतिमं पयं समत्तं // // इति पञ्चविंशतितमं पदम् // 25 // Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 348] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः // अथ कर्मवेदबंधाख्यं षडविंशतितमं पदम् // ... __ कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पराणत्तायो, गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीयो पराणत्तायो, तंजहा-णाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्म वेदमाणे कति कम्मपगडीयो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा छविहबंधए वा एगविहबंधए वा 2 / नेरइए णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडियो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा, एवं जाव वेमाणिते, नवरं मासे जहा जीवे 3 / जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहांधगा य अट्ठविहबंधगा य 1 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगे य 2 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य छव्विहबंधगा य 3 अहवा सत्तविह. बंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधए य 4 अहवा सत्तविहबंधमा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य 5 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंगा य छविहबंधए य एगविहबंधए य 6 ग्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधए य एगविहबंधगा य 7 अहवा सत्तविहबंधगा. य अट्टविहबंधगा य छविहबंधगा य एगविहबंधए य 8, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छविहबंधगा य एगविहबंधगा य 1, एवं एते नव भंगा, अवसेसाणं एगिदियमणूसवजाणं तियभंगो जाव वेमाणियाणं, एगिदियाण सत्तविहबंधगा य अट्टविहवंधगा य 4 / मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वेवि ताव होज सत्तविहबंधगा 1 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य 2 अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधगा य 3 अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधए य 4, 5 / एवं छविहबंधएणवि समं दो भंगा, एगविहबंधएणवि समं दो भंगा, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 26 ] [ 349 य छबिहबंधए य चउभंगो 1 श्रवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधए य एगविहबंधगे य चउभंगो 2, अहवा सत्तविहबंधगा य छविहबंधए य एगविहबंधए य चउभंगो 3 अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधए य छविहबंधए य एगविहबंधए य भंगा अट्ट, एवं एते सत्तावीसं भंगा, एवं जहा णाणावरणिज्जं जहा दसणावरणिज्जंपि अंतराइयंपि 5 / जीवे णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधते वा अट्टविहबंधते वा छवि हबंधए वा एगविहबंधए वा प्रबंधए वा, एवं मणूसेवि, श्रवसेसा णारयादीया सत्तविहबंधगा य थट्टविहबंधगा य एवं जाव वेमाणिता 6 / जीवा णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडियो बंधति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य अहवा: सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधमा य छबिहबंधगे य, अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य छविहबंधगा य, अबंधगेणवि समं दो भंगा भाणितव्वा, श्रहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य श्रबंधगे य चउभंगो, एवं एए नव भंगा, एगिदियाणं अभंगतं, नारगादीणं तियभंगा जाव वेमाणियाणं 7 / नवरं मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा एगविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधते य अट्टविहबंधते य प्रबंधते य, एवं एते सत्तावीसं भंगा भाणितव्वा, (जहा किरियासु पाणाइवायविरतस्स) एवं जहा वेदणिज्ज तहा पाउयं नामं गोयं च भाणितव्वं, मोहणिज्ज वेदेमाणे जहा बंधे णाणावरणिज्जं तहा भाणियव्वं // सूत्रं 301 // पराणवणाए भगवईए छब्बीसतिमं पयं समत्तं // // इति षड्विंशतितमं पदम् / / 26 // Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 350 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः . // अथ कर्मवेदवेदाख्यं सप्तविंशतितमं पदम् // कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पनत्तायो ?, गोयमा ! अट्ट, तंजहाणाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! सत्तविहवेयए वा अविहवेयए वा, एवं मणुसेवि, अवसेसा एगत्तेणवि पुहुत्तेणवि णियमा अट्ठ कम्मपगडीतो वेदेति जाव वेमाणिया 2 / जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा अट्टविहवेदगा, अहवा अट्टविहवेदगा य सत्तविहवेदगे य अहवा अट्टविहवेदगा य सत्तविहवेदगा य एवं. मणूसावि, दरिसणावरणिज्जं अंतराइयं च एवं चेव भाणितव्वं 3 / वेदणिज्ज श्राउयनामगोत्तातिं वेदेमाणे कति कम्मपगडीयो वेएति ?, गोयमा ! जहा बंधगवेदगस्स वेयणिज्जं तहा भाणितवाणि 4 / जीवे णं भंते ! मोहणिज्ज वेदेमाणे कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! नियमा अट्ठ कम्मपगडीतो वेदेति, एवं नेरतिए जाव वेमाणिते, एवं पुहुत्तेणवि / / सूत्रं 302 / / पण्णवणाए भगवईए सत्तावीसइमं पयं समत्तं // . // इति सप्तविंशतितमं पदम् // 27 // ॥अथ आहाराख्ये अष्टाविंशतितमे पदे प्रथमोद्देशकः॥ सच्चित्ता 1 हारट्ठी 2 केवति 3 किं वावि 4 सव्वतो चेव 5 / कतिभागं 6 सव्वे 7 खलु परिणामे 8 चेव बोद्धव्वे // 1 // एगिदियसरी रादी लोमाहारो तहेव मणभक्खी / एतेसिं तु पदाणं विभावणा होति कातवा // 2 // नेरइया णं भंते ! किं सचित्ताहारा अचित्ताहारा मीसाहारा ?, गोयमा ! नो सचित्ताहारा अचित्ताहारा नो मीसाहारा, एवं असुरकुमारा Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 28 ] [ 351 जाव वेमाणिया, बोरालियसरीरा जाव मणूसा सचित्ताहारावि अचित्ताहारावि मीसाहारावि 1 / नेरझ्या णं भंते ! थाहारट्ठी ?, हन्ता गोयमा ! थाहारट्ठी 2 / नेरइयाणं भंते ! केवतिकालस्स श्राहारट्टे समुप्पजति ?, गोयमा ! नेरइयाणं दुविधे थाहारे पराणत्ते, तंजहा-याभोगनिव्वत्तिते य अणाभोग-निव्वत्तिते य, तत्थ णं जे से अणाभोग-निवत्तिते से णं अणुसमय-मविरहिते थाहारट्टे समुप्पजति, तत्थ णं जे से श्राभोग-निव्वत्तिते से णं असंखिजममतिए अंतोमुहुत्तिते श्राहारट्टे समुप्पजति 3 / नेरइया णं भंते ! किमाहारमाहारेंति ?, गोयमा ! दव्यतो अणंतपदेसियाति खेत्तो असंखेजपदेसोगाढाति कालतो अराणयरहिझ्याति भावत्रो वराणमंतातिं गंधमंताई रसमंताई फासमंताई 4 / जाइं भावतो वरणमंताई थाहारेति ताई किं एगवराणाति अाहारेंति जाव किं पंचवरणाई थाहारेंति ?, गोयमा ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवराणाइंपि थाहारेति जाव पंचवराणाइपि अाहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कालवराणाइंपि अाहारेंति जाव सुकिल्लाईपि अाहारेंति 5 / जाति वराणतो कालवणातिं श्राहारेंति ताई किं एगगुणकालाई श्राहारेंति जाव दसगुणकालाई थाहारेंति संखिजगुणकालाई थाहारेति असंखिजगुणकालाई श्राहारेंति अणंतगुणकालाई श्राहारेंति ?, गोयमा ! एगगुणकालाइपि श्राहारेंति जाव अणंतगुणकालाइपि श्राहारेंति, एवं जाव सुकिल्लाई, एवं गंधतोवि रसतोवि, जाई भावग्रो फासमंताई ताई नो एगफासाई थाहारेंति नो दुफासाई थाहारेंति नो तिफासाई थाहारेंति चउफासाई थाहारेंति, जाव अट्टफासाइंपि अाहारेंति, विभागमग्गणं पडुच्च कक्खडाइंपि श्राहारेंति जाव लुक्खाइं 6 | जातिं फासतो कक्खडातिं आहारेति ताई किं एगगुण-कक्खडाई थाहारेंति जाव अणंतगुण-कक्खडाइं श्राहारेंति ?, गोयमा ! एगगुण-कक्खडाइपि थाहारेंति जाव अणंतगुण-कक्खडाइंपि थाहारेंति, एवं अट्ठवि फासा भाणितव्वा, जाव अणंतगुणलुक्खाइपि श्राहा Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 352 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः रेंति 7 / जाति भंते / अणतगुणलुक्खाइं ग्राहारेंति ताई कि पुटाई अाहरेंति अपुट्ठाई याहारेंति ?, गोयमा ! पुटाई श्राहारेंति नो अपुट्ठाई थाहारेति, जहा भासुद्दे सए जाव णियमा छदिसि श्राहारेंति, श्रोसराणं कारणं पडुच्च वराणो कालनीलातिं गंधयो दुब्भिगंधातिं रसो तित्तरसकडुयाई फासया कक्खड-गुरुय-सीयलुक्खाई तेसिं पोराणे वरणगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे विपरिणामइता परिपीलइत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अराणे अपुब्वे वराणगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाइत्ता यायसरीर-खेत्तोगाढे पोग्गले सव्वप्पणयाए अाहारं पाहारेंति 8 / नेरझ्या णं भंते ! सवयों थाहारेंति सब्बयो परिणामंति सक्यो ऊससंति सव्वयो नीससंति यभिक्खणं पाहारेंति अभिक्खणं परिणामंति अभिक्खणं उससंति अभिक्खणं नीससंति, ग्राहच्च श्राहारेंति बाहच्च परिणामेंति अाहन्च ऊससंति ग्राहच्च नीससंति ?, हंता ! गोयमा ! गोरइया सव्वतो याहारेंति, एवं तं चेव जाव ग्राहच्च नीससंति 1 / नेरइया णं भंते ! पोग्गले थाहारत्ताते गिराहंति ते णं तेसिं पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं श्राहारेंति कतिभागं आसाएंति ?, गोयमा ! असंखेजतिभागं श्राहारेति अणंतभागं अस्साएंति 10 / नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताते गिराहंति ते कि सव्वे अाहारेति नो सब्वे थाहारेंति ?, गोयमा ! ते सव्वे अपरिसेसए ग्राहारेंति 11 / नेरइया णं भंते ! जे पोग्गला आहारत्ताए गिराहंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुजो 2 परिणामेंति ?, गोयमा ! सोतिदियत्ताते जाव फासिदियत्ताते अणि?त्ताते अकंतत्ताए अपियत्ताए असुभत्ताए अरिण?त्ताए अमणुराणत्ताए अमणामत्ताते अणिच्छियत्ताते अभिज्झित्ताए ग्रहत्ताते नो उद्धत्ताए दुक्खत्ताते नो सुहत्ताते एतेसिं भुजो 2 परिणमति 12 // सूत्रं 303 // असुरकुमारा णं भंते ! थाहारट्ठी ?, हंता ! अाहारट्ठी, एवं जहा नेरझ्याणं तहा असुरकुमाराणवि भाणितब्बं, जाव तेसिं भुजो 2 परिणमंति, तत्थ णं जे से आभोगनिबत्तिते Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञाफ्नोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 28-1] [ 353 से णं जहणणेणं चउत्थभत्तस्स उक्कोसेणं सातिरेगस्स वाससहस्सस्स श्राहारट्टे समुप्पजइ, भोसरणं कारणं पडुच्च वरणतो हालिहसुकिल्लातिं गंधतो सुन्भिगंधाति रसतो अंबिलमहुरातिं फासो मउयलहुयनि राहातिं, तेसि पोराणे वराणगुणे जाव फासिंदियत्ताते जाव मणामत्ताते इच्छियत्ताते अभिझियत्ताते उद्धत्ताते नो अहत्ताए सुहत्ताए नो दुहत्ताए एतेसि भुजो 2 परिणमंति, सेसं जहा नेरइयाणं, एवं जाव थणियकुमाराणं, णवरं ग्राभोगनिव्वत्तिते उक्कोसेणं दिवसपुहुत्तस्स श्राहारट्टे समुप्पजति // सूत्रं 304 // पुढविकाइया णं भंते ! थाहारट्ठी ?, हंता ! थाहारट्ठी 1 / पुढविकाइया णं भंते ! केवतिकालस्स थाहार? समुष्पजति ?, गोयमा ! अणुसमयमविरहिते आहारट्टे समुप्पज्जइ 2 / पुढविकाइया णं भंते ! किमाहारमाहारेंति, एवं जहा नेरझ्याणं जाव ताई भंते ! कतिदिसि श्राहारेंति ?, गोयमा ! निव्वाघातेणं छदिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसिं, नवरं अोसन्नकारणं न भराणति, वरागो काल-नील-लोहित-हालिद सुकिलातिं गंधतो सुभिगंध-दुभिगंधाति रसतो तित्तरस-कडुयरस-कसायरसअंबिलमहुराई फासतो कक्खडफास-मउय-गुरुय-लहुय--सीत-उराह(उसिण)गिद्ध-लुक्खातिं तेसिं पोराणे वरणगुणे सेसं जहा नेरइयाणं जाव अाहच्च नीससंति 3 / पुढविकाइया णं भंते ! जे पोग्गले थाहारत्ताते गिराहंति तेसिं भंते ! पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं श्राहारेंति कतिभागं श्रासाएंति ?, गोयमा ! असंखेजतिभागं आहारेंति अणंतभागं श्रासाएंति 4 / पुढविकाइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताते गिरहंति ते कि सब्वे श्राहारेंति नोसव्वे श्राहारेंति जहेव नेरइया तहेव 5 / पुरविकाइया णं भंते ! जे पोग्गले थाहारत्ताते गिरहंति ते णं तेसिं पुग्गला कीसत्ताए भुजो 2 परिणमंति ?, गोयमा ! फासिदियवेमायत्ताते भुजो 2 परिणमंति, एवं जाव वणप्फइकाइया 6 // सूत्रम् 305 // बेइंदिया णं भंते ! थाहारट्ठी ?, 45 Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 354 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः हंता गोयमा ! याहारट्ठी 1 / बेइंदियाणं भंते ! केवतिकालस्स याहार? समुप्पजति ?, जहा नेरइयाणं, नवरं तत्थ णं जे से ग्राभोगनिव्वत्तिते से गं असंखिजसमइए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए याहारट्टे समुप्पजति, सेसं जहा पुढविकाइयाणं, जाव अाहच्च नीससंति, नवरं नियमा छदिसिं 2 / बेइंदियाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! जे पोग्गले अाहारत्ताते गिराहंति ते णं तेसिं पुग्गलाणं सियालंसि कतिभागं याहारेति कतिभागं अासाएंति, एवं जहा नेरइयाणं 3 / वेइंदियाणं भंते ! जे पोग्गला याहारत्ताए गिराहति ते किं सव्वे थाहारेंति णो सव्वे याहारेंति ?, गोयमा ! बेइंदियाणं दुविधे अाहारे पन्नत्ते, तंजहा-लोमाहारे य पक्खेवाहारे य, जे पोग्गले लोमाहारत्ताए गिराहति ते सव्वे अपरिसेसे अाहारेंति, जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गेराहंति तेसिम-संखेजतिभाग-माहारेंति अणेगाइं चणं भागसहस्साई अफासाइजमाणाणं अणासाइजमाणाणं विद्धंसमागच्छंति 4 / एतेसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणासाइजमाणाणं अफासाइजमाणाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणासाइजमाणा अफासाइजमाणा अणंतगुणा 5 / बेइंदियाणं णं भंते ! जे पोग्गला श्राहारत्ताते पुच्छा, गोयमा ! जिभिदियफासिंदियवेमायत्ताए तेसिं भुजो 2 परिणमंति, एवं जाव चउरिदिया, णवरं णेगाइं च णं भागसहस्साई प्रणाघाइजमाणाई अणासाइजमाणाई अफासाइ. जमाणाई विद्धंसमागच्छंति 6 / एतेसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणाघाइजमाणाणं अणासाइजमाणाणं अफासाइजमाणाण य कयरे हितो ग्रुप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणाघाइजमाणा अणासाइजमाणा अणंतगुणा अफासाइजमाणा अणंतगुणा 7 / तेइंदियाणं भंते ! जे पोग्गला पुच्छा, गोयमा ! ते णं पोग्गला घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियवेमायत्ताए तेसिं भुजो 2 परिणमंति 8 / चउरिदियाणं चक्खिदिय-घाणिदियजिभिदिय-फासिंदियवेमायत्ताए तेसिं भुजो 2 परिणमंति, सेसं जहा तेइंदि Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 28-1 ] [ 355 याणं 1 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा तेइंदियाणं, णवरं तत्थ णं जे से श्राभोगनिव्वत्तित्ते से जहराणेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेणं छट्ठभत्तस्स श्राहारट्टे समुप्पजति 10 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! जे पोग्गला आहारत्ताए पुच्छा, गोयमा ! सोतिंदिय-चक्खिदिय--पाणिंदिय--जिभिदिय-फासिदियवेमायत्ताए भुजो 2 परिणमंति, मणूसा एवं चेव, नवरं श्राभोगनिव्वत्तिते जहरणेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेणं अट्ठमभत्तस्स श्राहार? समुप्पजति 11 / वाणमंतरा जहा नागकुमारा, एवं जोतिसियावि, णवरं श्राभोगनिव्वत्तिते जहराणेणं-दिवसपुहुत्तस्स उक्कोसेणं दिवसपुहुत्तस्स आहारट्टे समुप्पजइ, एवं वेमाणियावि, नवरं श्राभोगनिवत्तिए जहराणेणं दिवसपुहुत्तस्स उकोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं पाहारट्टे समुप्पजति, सेसं जहा असुरकुमासणं जाव एतेसिं भुजो 2 परिणमंति, सोहम्मे आभोगनिव्वत्तिते जहरणेणं दिवसपुहुत्तस्स उक्कोसेणं दोगह वाससहस्साणं श्राहारट्टे समुप्पजइ 12 / ईसाणेणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं दिवसपुहुत्तस्स सातिरेगस्स उकोसेणं सातिरेगं दोरहं वाससहस्साणं 13 / सणकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं दोराहं वाससहस्साणं उकोसेणं सत्तराहं वाससहस्साणं 14 / माहिंदे पुच्छा, गोयमा ! जहन्नेणं दोगहं वाससहस्साणं सातिरेगाणं उकोसेणं सत्तराहं वाससहस्साणं सातिरेगाणं 15 / बंभलोए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सत्तरहं वाससहस्साणं उक्कोसेणं दसराहं वाससहस्साणं 16 / लंतए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं दसराहं वाससहस्साणं उक्कोसेणं चउदसराहं वाससहस्साणं 17 / महासुक्के णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं चउदसराहं वाससहस्साणं उकोसेणं सत्तरसराहं वाससहस्साणं, सहस्सारे पुच्छो, गोयमा ! जहराणेणे सत्तरसराहं वाससहस्साणं उक्कोसेणं अट्ठारसराहं वाससहस्साणं 18 | प्राणए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अट्ठारसरहं वाससहस्साणं उकोसेणं एगूणवीसाए. वाससहस्साणं 11 / पाणए णं Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 356 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं पगूणवीसाए वाससहस्साणं उक्कोसेणं वीसाए वाससहस्साणं 20 / श्रारणे णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं वीसाए वाससहस्साणं उकोसेणं एकवीसाए वाससहस्साणं 21 / श्रच्चुए णं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एकवीसाए वाससहस्साणं उक्कोसेणं बावीसाए वाससहस्साणं 22 / हिट्ठिमहिटिमगेविजगाणं-पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं बावीसाए. वाससहस्साणं उक्कोसेणं तेवीसाए वाससहस्साणं, एवं सव्वत्थ सहस्साणि भाणियबाणि, जाव सबढे 23 / हिटिममज्झिमगाणं. पुच्छा, गोयमा ! जहराणेग तेवीसाए उकोसेणं चउवीसाए 24 / हेट्ठिमउवरिमाणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं चउवीसाए उक्कोसेणं पणवीसाए. 25 / मज्झिमहेट्ठिमाणं पुच्छा, गोयमा ! जहरणेणं पणवीसाए उक्कोसेणं छब्बीसाए 26 / मज्झिम. मज्झिमाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं छव्वीसाए. उक्कोसेणं सत्तावीसाए 27 / मज्झिमउवरिमाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं सत्तावीसाए उक्कोसेणं अट्ठावीसाए 28 / उवरिमहेट्ठिमाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं अट्ठावीसाए उकोसेणं एगणतीसाए 21 / उवरिममज्झिमाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एगणतीसाए उक्कोसेणं तीसाए 30 / उवरिमउवरिमाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं तीसाए उक्कोसेणं एगतीसाए 31 / विजय वेजयंत-जयंत-अपराजियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं एगतीसाए उकोसेणं तेत्तीसाए 32 / सव्वट्ठगसिद्धदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! अजहराणमणुकोसेणं तेत्तीसाए वाससहस्साणं श्राहारट्टे समुप्पजति 33 / / सूत्रं 306 // नेरइयाणं भंते ! किं एगिदियसरीराइं श्राहारेंति जाव पश्चिंदियसरीराइं श्राहारेंति ?, गोयमा ! पुब्वभावपराणवणं पडुच्च एगिदियसरीराइंपि श्राहारेंति जाव पंचिंदियसरीराई पडुप्पण्णभावपराणवणं पडुच्च नियमा पंचिदियसरीरातिं श्राहारेंति एवं जाव थणियकुमारा 1 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुव्वभावपरणवणं पडुच्च एवं चेव, पडप्पगण-भावपराणवणं पडुच्च नियमा. एगिदिय Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 24-2] [ 357 सरीरातिं श्राहारेति 2 / बेइंदिया पुब्वभावफ्राणवणं पडुच्च एवं चेव, पडुप्पराणभावपरणवणं पडुच्च नियमा बेइंदियाणं सरीराति थाहारेंति, एवं जाव चरिंदिया ताव पुव्वभावपराणवणं पडुच्च, एवं पडुप्पराणभावपराणवणं पडुच्च नियमा जस्स जति इंदियाइं तइंदियाई सरीराइं श्राहारेंति सेसं जहा नेरइया, जाव वेमाणिता 3 / नेरइया णं भंते ! किं लोमाहारा पक्खेवाहारा ?, गोयमा ! लोमाहारा नो पक्खेवाहारा, एवं एगिदिया सव्वदेवा य भाणितव्वा जाव वेमाणिया, बेइंदिया जाव मणूसा लोमाहारावि पक्खेवाहारावि 4 / // सूत्रं 307 / नेरझ्या णं भंते ! किं श्रोयाहारा मणभक्खी ?, गोयमा ! ोयाहारा णो मणभक्खी, एवं सब्चे थोरालियसरीरावि, देवा सव्वेवि जाव वेमाणिया अोयाहारावि मणभक्खीवि; तत्थ णं जे ते मणभक्खी देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पजति इच्छामो णं मणभक्खणं करित्तते, तते णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकते समाणे खिप्पामेव जे पोग्गला' इट्ठा कंता जाव मणामा ते तेर्सि मणभक्खत्ताए परिणमंति, से जहा नामए सीया पोग्गला सीयं पप्प सीयं चेव अतिवतित्ताणं चिट्ठति, उसिणा वा पोग्गला उसिणं पप्प उसिणं चेव अइवइत्ताणं चिट्ठति, एवामेव तेहिं देवेहि मणभक्खीकए समाणे से इच्छामणे खिप्पामेव अवेति // सूत्रं 308 // परणवणाए भगवइए आहारपये पढमो उद्देसो समत्तो॥ // इति अष्टाविंशतितमे पदे प्रथम उद्देशकः // 28-1 // // अथ आहाराख्ये अष्टाविंशतितमे पदे द्वितीयोद्देशकः // आहार 1 भविय 2 सगणी 3 लेसा दिट्ठी 5 य संजत 6 कसाए 7 / णाणे 8 जोगु 1 वयोगे 10 वेदे. 11 य सरीर 12 पजत्ती 13 // 1 // : . जीवे णं भंते ! किं पाहारए श्रणाहारए ?, गोयमा ! सिय थाहारए Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 358 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः सिय अणाहारए, एवं नेरइए जाव असुरकुमारे जाव वेमाणिए 1 / सिद्धे णं भंते ! किं पाहारए अणाहारए ?, गोयमा ! नो आहारए अणाहारए 2 / जीवा णं भंते ! कि आहारया अणाहारया ?, गोयमा ! श्राहारयावि अणाहारयावि 3 / नेरझ्याणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा श्राहारया 1 ग्रहवा ग्राहारगा य अणाहारए य 2 अहवा अाहारगा य अणाहारगा य 3, एवं जाव वेमाणिया, णवरं एगिदिया जहा जीवा 4 / सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा ! नो. याहारगा अणाहारगा, दारं 1, 5 / भवसिद्धिए णं भंते ! जीवे किं थाहारते श्रणाहारते ?, गोयमा ! सिय थाहारते सिय अणाहारए, एवं जाव वेमाणिए 6 / भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं पाहारगा अणाहारगा ?, गोयमा ! जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, अभवसिद्धिएवि एवं चेव 7 / नोभवसिद्धिए-नोश्रभवसिद्धिए णं भंते ! जीवे किं पाहारए अणाहारए ?, गोंयमा ! णो श्राहारए अणाहारए, एवं सिद्धेवि 8 ! नोभवसिद्धिय-नोत्रभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं श्राहारगा प्रणाहारगा ?, गोयमा ! नो श्राहारगा अणाहारगा, एवं सिद्धावि, दारं 2, 1 / सगणी णं भंते ! जीवे किं श्राहारए अणाहारए ?, गोयमा ! सिय थाहारगे सिय अणाहारगा, एवं जाव वेमाणिए, णवरं एगिदियविगलिंदिया नो पुच्छिज्जति 10 / सरणी णं भंते ! जीवा किं पाहारगा श्रणाहारगा ?, गोयमा ! जीवाइयो तियभंगो जाव वेमाणिया 11 / असरणी णं भंते ! जीवे किं श्राहारए श्रणाहारए ?, गोयमा ! सिय थाहारए सिय श्रणाहारए, एवं रइए जाव वाणमंतरे, नवरं जोइसियवेमाणिया ण पुच्छिज्जति 12 / असरणी णं भंते ! जीवा कि श्राहारगा अणाहारगा?, गोयमा ! पाहारगावि अणाहारगावि एगो भंगो 13 / असराणी णं भंते ! णेरइया कि श्राहारया अणाहारया ?, गोयमा ! पाहारगा वा 1 श्रणाहारगा वा 2 अहवा अाहारए य प्रणाहारए य 3 Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 28 2 ] [ 356 अहवा श्राहारए य प्रणाहारया य 4 अहवा ग्राहरगा य प्रणाहारए य 5 अहवा आहारगा य अणाहारगा य 6 एवं एते छब्भंगा, एवं जाव थणियकुमारा 14 / एगिदिएसु अभंगतं, बेइंदिय जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु तियभंगो, मणूसवाणमंतरेसु छन्भंगा 15 / नोसराणीनोग्रसरणी णं भंते ! जीवे कि थाहारए अणाहारए ?, गोयमा ! सिय थाहारए सिय श्रणाहारए य, एवं मणूसेवि, सिद्धे अणाहारते, पुहुत्तेणं नोसरणीनोग्रसरणी जीवा श्राहारगावि अणाहारगावि, मणूसेसु तियभंगो, सिद्धा श्रणाहारगा 16 / दारं 3 // सूत्रं 301 // सलेसे णं भंते ! जीवे किं पाहारए अणाहारए ?, गोयमा ! सिय याहारए सिय अणाहारए, एवं जाव वेमाणिते 1 / सलेसाणं भंते ! जीवा किं पाहारगा अणाहारगा ?, गोयमा ! जीवेगिदियवजो तियभंगो, एवं कराहलेसावि नीललेसावि काउलेसावि जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, तेउलेसाए पुढवियाउवणस्सइकाइयाणं छब्भंगा, सेसाणं जीवादियो तियभंगो जेसिं अत्थि तेउलेसा, पम्हलेसाए सुकलेसाए य जीवादियो तिभंगो, अलेसा जीवा मणुस्सा सिद्धा य एगत्तेणवि पुहुत्तेणवि नो श्राहारगा अणाहारगा, दारं 4 / 2 / सम्मदिट्टी णं भंते ! जीवा किं श्राहारया अणाहारया ?, गोयमा ! सिय आहारया सिय अणाहारया बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया छब्भंगा, सिद्धा अणाहारगा, अवसेसाणं तियभंगो, मिच्छादिट्ठीसु जीवेगिदियवजो तियभंगो 3 / सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! किं श्राहारए अणाहारए ?, गोयमा ! आहारते नो अणाहारए, एवं एगिदिय-विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणिते, एवं पुहुत्तेणवि / दारं 5 / 4 / संजए णं भंते ! जीवे किं श्राहारए अणाहारए ?, गोयमा ! सिय श्राहारए सिय अणाहारए, एवं मणूसेवि, पुहुत्तेणं तियभंगो 5 / असंजते पुच्छा, सिय आहारए सिय अणाहारए, पुहुत्तेणं जीवेगिंदियवजो तियभंगो 6 / संजतासंजते णं जीवे पंचिंदियतिरिक्खजोणिते मासे य 3, एते Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः एगत्तेणवि पुहुत्तेणवि श्राहारगा नो अणाहारगा, नोसंजते-नोग्रसंजतेनोसंजतासंजते जीवे सिद्धे य एते एगत्तेण पोहत्तेणवि नो श्राहारगा अणाहारगा, दारं 6 / 7 / सकसाई णं भंते ! जीवे किं श्राहारए अणाहारए ?, गोयमा ! सिय श्राहारए सिय अणाहारते, एवं जाव वेमाणिता, पुहुत्तेणं जीवेगिंदियवजो तियभंगो, कोहकसाईसु जीवादीसु एवं चेव, नवरं देवेसु छन्भंगा, माणकसाईसु मायाकसाईसु य देवनेरइएसु छभंगा, अवसेसाणं जीवेगिदियवजो तियभंगो, लोहकसाईसु नेरइएसु छब्भंगा, अवसेसेसु जीवेगिंदियवजो तियभंगो, अकसाई जहा णोसरणीणोअसरणी 8 / दारं 7 // सूत्रं 310 // णाणी जहा सम्मदिट्टी, श्राभिणिबोहियणाणीसुयणाणीसु बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिएसु छन्भंगा, श्रवसेसेसु जीवादियो तियभंगो जेसिं अस्थि, रोहिणाणी पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया श्राहारगा णो अणाहारगा, अवसेसेसु जीवादियो तियभंगो जेसिं अत्थि भोहिनाणं, मणपज्जवनाणी जीवा मणूसा य एगत्तेणवि पुहुत्तेणविश्राहारगा णो श्रणाहारगा, केवलनाणी जहा नोसरणीनोग्रसरणी 1 / दारं 7 / राणाणी मतिश्रणाणी सुयअण्णाणी जीवेगिदियवजो तियभंगो, विभंगनाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा य पाहारगा णो श्रणाहारगा, अवसेसेसु जीवादियो तियभंगो 2 / दारं 8. / सजोगीसु जीवेगिदियवजो तियभंगो, मणजोगी वइजोगी जहा सम्मामिच्छट्ठिी, नवरं वइजोगो विगलिंदियाणवि, कायजोगीसु जीवेगिदियवजो तियभंगो, अजोगी जीरमणूससिद्धा अणाहारगा 3 / दारं 1 / सागाराणागारोवउत्तेसु जीवेगिदियवजो तियभंगो, सिद्धा अणाहारगा 4 / दारं 10 / सवेदे जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, इथिवेदपुरिसवेदेसु जीवादियों तियभंगा, नपुंसगवेदए य जीवेगिदियवजो तियभंगो, अवेदए जहा केवलनाणी 5 / दारं 11 / ससरीरी. जीवेगिदियवजो तियभंगो, ओरालियसरीरीसु जीवमणूसेसु Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 26 ] [ 361 तियभंगो, अवसेसा थाहारगा नो अणााहारगा जेसि अत्थि बोरालियसरीरं, वेउब्वियसरीरी अाहारगसरीरी य श्राहारगा नो. श्रणाहारगा जेसिं अस्थि, तेयकम्मसरीरी जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, असरीरी जीवा सिद्धा य नो थाहारगा अणाहारगा 6 / दारं 12 / श्राहारपजत्तीए पजत्ते सरीरपज्जत्तीए पजत्ते इंदियपज्जत्तीए पज्जत्ते पाणापाणपजत्तीए पज्जत्तए भासामणपजत्तीए पजत्तते एतासु पंचसुवि पजत्तीसु जीवेसु मणूसेसु य तियभंगो, अवसेसा थाहारगा नो अणाहारगा, भासामणपजत्ती पंचिंदियाणं अवसेसाणं नत्थि, श्राहारपजत्तीअपजत्तए णो आहारए श्रणाहारए, एगत्तेणवि पुहुत्तेणवि, सरीरपजत्तीअपजत्तए सिय श्राहारए सिय अणाहारए, उवरिलियासु चउसु अपजत्तीसु नेरझ्यदेवमणूसेसु छन्भंगा, अवसेसाणं जीवेगिदियवजो तियभंगो, भासामणपजत्तएसु जीवेसु पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु य तियभंगो, नेरइयदेवमणुएसु छभंगा, सव्वपदेसु एगत्तपोहत्तेणं जीवादिया दंडगा पुच्छाए भाणितव्वा, जस्स जं अत्थि तस्स. तं पुच्छिन्नति जस्स जं णत्थि तस्स तं न पुच्छिजति जाव भासा-मण-पजत्ती-अपजत्तएसु नेरइयदेवमणुएसु छन्भंगा, सेसेसु तियभंगो 7 // सूत्रं 311 // श्राहारपये बितिश्रो उद्देसो समत्तो // अट्ठावीसइमं पयं समत्तं // // इति अष्टाविंशतितमे पदे द्वितीय उद्देशकः / / 28-2 // // अथ उपयोगाख्यं एकोनविंशत्तमं पदम् // कइविहे णं भंते ! उवयोगे पनत्ते ?, गोयमा ! दुविहे उवयोगे पन्नत्ते, तंजहा-सागारोवयोगे य यणागारोवोगे य 1 / सागारोवोगे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! अट्टविहे पन्नते, तंजहा-श्राभिणिबोहियनाण-सागारोवोगे सुयणाण-सागारोवोगे श्रोहिणाण-सागारोवयोगे मणपजवनाण-सागारोवोगे केवलनाण-सागारोवोगे मतिअण्णाण-सागा Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 362 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः रोवयोगे सुयअण्णाण-सागारोवनोगे विभंगणाण-सागारोवयोगे 2 / अणागारोवोगे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-चक्खुदंसण-श्रणागारोवोगे अचक्खुदंसण-प्रणागारोवोगे श्रोहिदंसण-अणागारोवोगे केवलदंसण-अणागारोवयोगे / एवं जीवाणंपि 3 / नेरइयाणं भंते ! कतिविधे उपयोगे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविधे उवोगे पन्नत्ते, तंजहा-सागारोवोगे य अणागारोवोगे य 4 / नेरइयाणं भंते ! सागारोवोगे कइविहे पन्नत्ते, ?, गोयमा ! छविहे पन्नत्ते, तंजहामतिणाण-सागारोवोगे सुयणाण-सागारोवोगे अोहिणाण-सागारोवोगे मतिअण्णाण-सागारोवोगे सुयअण्णाण-सागारोवयोगे विभंगणाण-सागारोवोगे 5 / नेरझ्या णं भंते ! अणागारोवोगे कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा-चक्खुदंसण-श्रणागारोवोगे अचक्खुदंसणअणागारोवोगे श्रोहिदंसण-अणागारोवनोगे, एवं जाव थणियकुमाराणं 6 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहे उवयोगे पन्नत्ते, तंजहा-सागारोवोगे य अणागारोवोगे य 7 / पुढविकाइयाणं भंते ! सागारोवोगे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा–मतिअण्णाण-सागारोवोगे य सुयश्रराणाण-सागारोवोगे य 8 / पुढविकाइयाणं भंते ! अणागारोवोगे कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एगे अचक्खुदंसण-प्रणागारोवयोगे पन्नत्ते, एवं जाव वणप्फइकाइयाणं 1 / बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविधे उवयोगे पन्नत्ते, तंजहा-सागारोवोगे अणागारोवोगे य 10 / बेइंदियाणं भंते ! सागारोवोगे कतिविधे पनत्ते ?, गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-याभिणिवोहियनाण-सागारोवोगे सुयनाण-सागारोवनोगे मतिराणाण-सागारोवोगे सुतराणाण-सागारोवोगे 11 / बेइंदियाणं भंते ! अणागारोवयोगे कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एगे अचक्खुदंसण-प्रणागारोवयोगे, एवं तेइंदियाणवि, चउरिदियाणवि एवं चेव, नवरं अणागारोवोगे दुविधे Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 26 ] [ 363 पन्नत्ते, तंजहा-चक्खुदंसण-अणागारोमोंगे य अचक्खुदंसण-प्रणागारोवश्रोगे य 12 / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा नेरइयाणं 13 / मणुस्साणं जहा श्रोहिए उवयोगे भणितं तहेव भाणितव्वं 14 / वाणमंतर-जोतिसियवेमाणियाणं जहा णेरइयाणं 15 / जीवा गं भंते ! किं सागरोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 16 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जीवा सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि ?, गोयमा ! जे णं जीवा प्राभिणियोहियणाण-सुयनाण-योहिनाण-मणपजवनाणकेवलनाण-मइंश्रणाण-सुयराणाण-विभंगणाणोवउत्ता ते णं जीवा सागारोवउत्ता, जे णं जीवा चक्खुदसण-अचक्खुदसण-योहिदंसण-केवलदंसणोवउत्ता ते णं जीवा अणागारोवउत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं बुचइ-जीवा सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 17 / नेरइया णं भंते ! किं सागरोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा ! नेरइया सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि 18 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति ?, गोयमा ! जे णं नेरइया श्राभिणिबोहियणाण-सुयणाण-श्रोहिणाण-मतिअराणाण-सुययगणाण-विभंगनाणोवउत्ता ते णं नेरइया सागारोवउत्ता, जे णं नेरइया चक्खुदंसण-अचक्खुदंसणश्रोहिदसणोवउत्ता ते णं नेरइया अणागारोवउत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि, एवं जाव थणियकुमारा 11 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! तहेव जाव जे णं पुढविकाइया मतिश्रराणाण-सुयश्ररणाणोवउत्ता ते णं पुढविकाइया सागारोवउत्ता, जे णं पुढविकाइया अचक्खुदंसणोवउत्ता ते णं पुढविकाइया अणागारोवउत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुञ्चति जाव वणप्फइकाइया 20 / बेइंदियाणं भंते ! अट्ठसहिया तहेव पुच्छा, गोयमा ! जाव जे णं बेइंदिया श्राभिणिबोहियणाण-सुयणाण-मतिअण्णाण-सुयश्ररणाणोवउत्ता ते णं बेइंदिया सागारोवउत्ता, जे णं बेइंदिया अक्खुदंसणोवउत्ता ते णं बेइंदिया अणागा Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 364 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः रोवउत्ता, से तेण?णं, गोयमा ! एवं वुचति एवं जाव चउरिंदिया. णवरं चाखुदंसणं अब्भहियं चउरिदियाणंति 21 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया जहा नेरइया, मणूसा * जहा जीवा, वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा नेरइया 22 // सूत्रं 312 // पराणवणाए भगवईए एगोणतीसइमं उपयोगपयं समत्तं // // इति एकोनविंशतितमं पदम् // 29 // // अथ पश्यत्ताख्यं त्रिंशत्तमं पदम् // कतिविहा णं भंते ! पासण्या पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पासणया पन्नत्ता तंजहा-सागार-पासणया अणागार-पासणया य 1 / सागार-पासणया णं भंते ! कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! छविहा पराणत्ता, तंजहा-सुयणाणसागार-पासणया श्रोहिणाण-सागार-पासणया मणपजवणाण-सागार-पासणया केवलणाण-सागार-पासणया सुयशराणाण-सागार-पासणया विभंगणाण-सागार-पासणया 2 / अणागार-पासणया णं भंते ! कइविधा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-चक्खुदंसणणागारपासणया श्रोहिदंसणयणागारपासणया केवलदसणणागारपासणया, एवं जीवाणंपि 3 / नेरइयाणं भंते ! कतिविधा पासणया पराणता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सागारपासणया अणागारपासणया 4 / नेरइयाणं भंते ! सागारपासणया कइविहा पनत्ता ?, गोयमा ! चउबिहा पन्नत्ता, तंजहा-सुयणाणसागार-पासणया श्रोहिणाणसागार-पासणया सुअण्णाणसागार-पासणया विभंगणाणसागर-पासणया 5 / नेरझ्याणं भंते ! अणागारपासणया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-चक्खुदंसणणागारपासणया योहिदंसणणागारपासणया, एवं जाव थणियकुमारा 6 / पुढवि. काइयाणं भंते ! कतिविहा पासणया पन्नत्ता ?, गोयमा ! एगा सांगारपास Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 30 ] [ 365 णया 7 / पुढविकाइयाणं भंते ! सागारपासणया कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा! एगा सुयअन्नाणसागारपासणया पन्नत्ता, एवं जाव वणप्फइकाइयाणं 8 / बेइंदियाणं भंते ! कतिविहा पासणया पन्नत्ता ?, गोयमा ! एगा सागारपासणया पन्नत्ता 1 / बेइंदियाणं भंते ! सागारपासणया कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुयणाणसागारपासणया य सुयधरणाणसागारपासणया य, एवं तेइंदियाणवि 10 / चरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पत्नना, तंजहा-सागारपासणया य अणागारपासणया य, सागारपासणया जहा बेइंदियाणं 11 / चउरिंदियाणं भंते ! अणागारपासणया कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! एगा चक्खुदंसण-प्रणागारपासणया पन्नत्ता, मणूसाणं जहा जीवाणं, सेसा जहा नेरइया जाव वेमाणियागां 12 / जीवा णं भंते ! किं सागारपस्सी अणागारपस्सी ?, गोयमा ! जीवा सागारपस्सीवि अणागारपस्सीवि 13 ।से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति जीवा सागारपस्सीवि ?, अणागारपस्सावि गोयमा ! जे णं जीवा सुतणाणी श्रोहिणाणी मणपजवणाणी केवलणाणी सुश्रअण्णाणी विभंगनाणी ते णं जीवा सागारपस्सी, जे णं जीवा चक्खुदंसणी श्रोहिदंसणी केवलदसणी ते णं जीवा अणागारपस्सी, से एतेणटेणं गोयमा ! एवं बुञ्चति-जीवा सागारपस्सीवि अणागारपस्सीवि 14 / नेरइया णं भंते ! किं सागारपस्सी अणागारपस्सी ? गोयमा ! एवं चेव, नवरं सागारपासणयाए मणपजवनाणी केवलनाणी न वुचति, अणागारपासणयाए केवलदसणं नत्थि एवं जाव थणियकुमारा 15 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! पुढविकाइया सागारपस्सी णो श्रणागारपस्सी 16 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति-गोयमा ! पुढविकाइयाणं एगा सुयअराणाणसागारपासणया पन्नत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचति एवं जाव वणस्सतिकाइयाणं 17 / बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! सागारपस्सी णो अणागारपस्सी 18 / से केण?णं भंते ! एवं वुञ्चति ?, गोयमा ! Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 366 ] या अणागारपा नेरझ्या जाहिं हेतूर्हि [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विमागः बेइंदियाणं दुविहा सागारपासणया पन्नत्ता, तंजहा-सुयणाणसागारपासणया य सुअराणाणसागार-पासणया य, से एएणतुणं गोयमा ! एवं वुञ्चति, एवं तेइंदियाणवि 11 / चरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! चउरिदिया सागारपस्सीवि अणागारपस्सीवि 20 / से केण8 णं एवं वुच्चइ ?, गोयमा !जे णं चउरिंदिया सुयणाणी सुयअन्नाणी ते णं चरिंदिया सागारपस्सी, जे णं चउरिदिया चक्खुदंसणी ते णं चारिदिया अणागारपस्सी, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुञ्चति 21 / मणूसा जहा जीवा, अवसेसा जहा नेरझ्या जाव वेमाणिया 22 // सूत्रं 313 // केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढविं श्रागारेहिं हेतूहिं उवमाहिं दिट्ठतेहिं वराणेहिं संठाणेहिं पमाणेहिं पडोयारेहिं जं समयं जाणति तं समयं पासइ जं समयं पासइ तं समयं जाणइ ?, गोयमा ! नो तिण? समढे 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचति केवली णं इमं रयणप्पभं पुढवि श्रागारेहिं जाव जं समयं जाणति नो तं समयं पासति जं समयं पासति नो तं समयं जाणति ?, गोयमा ! सागारे से णाणे भवति अणागारे से दंसणे भवति, से तेणटेणं जाव णो तं समयं जाणति एवं जाव अहे सत्तमं 2 / एवं सोहम्मकप्पं जाव अच्चुयं, गेविजगविमाणा अणुत्तरविमाणा, ईसीपभारं पुढवीं, परमाणु पोग्गलं दुपदेसियं खंधं जाव अणंतपदेसियं खंधं 3 / केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढवि अणागारेहिं अहेतूहिं अणुवमाहिं अदिट्टतेहिं अवराणेहिं असंठाणेहिं अपमाणेहिं अपडोयारेहिं पासति न जाणति ?, हंता ! गोयमा ! केवली णं इमं रयणप्पभं पुढविं अणागारेहिं जाव पासति न जाणति 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति केवली इमं रयणप्पमं पुढविं अणागारेहिं जाव पासति ण जाणति ? गोयमा ! श्रणागारे से दंसणे भवति सागारे से नाणे भवति, से तगडेणं गोयमा ! एवं वुचइ-केवली णं इमं रयणप्पमं पुढविं गुणागारेहि जाव पासति ण जाणति, एवं जाव ईसिप्पभारं पुढवि परमाणु Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 31-32 ] [ 367 पोग्गलं श्रणंतपदेसियं खधं पासति न जाणति 5 // सूत्र 314 // पासणयापयं समत्तं // // इति त्रिंशत्तमं पदम् // 30 // // अथ संज्ञापरिणामाख्यं एकत्रिंशत्तमं पदम् // . जीवा णं भंते ! कि सरणी असरणी नोसरणीनोअसरणी ?, गोयमा ! जीवा सराणीवि असरणीवि नोसरणीनोसराणीवि 1 / नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नेरइया सराणीवि असरणीवि नो नोसराणीनोअसराणी, एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा 2 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नो सरणी असराणी, नो नोसरणीनोंअमराणी, एवं बेइंदिय-तेइंदिय-चरिंदियावि, मणूसा जहा जीवा, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया वाणमंतरा य जहा नेरइया, जोतिसियवेमाणिया सरणी नो असगणी नो नोसराणीनोग्रसरणी 3 / सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा ! नो सराणी नो असराणी नोसरिणनोअसराणी,-नेरइयतिरियमणुया य वणयरगसुरा इ सराणी सराणी य / विगलिंदिया असरणी जोतिसवेमाणिया सराणी // 1 // सूत्रं 315 // पराणवणाए सगणीपयं समत्तं // // इति एकत्रिंशत्तमं पदम् // 31 // // अथ संयमयोगाख्यं द्वात्रिंशत्तमं पदम् // जीवा णं भंते ! किं संजया असंजया संजया 2 नोसंजयानोअसं. जयानोसंजया संजय ?, गोयमा ! जीवाणं संजयावि 1 असंजयावि 2 संजयासंजयावि 3 नोसंजयानोअसंजयानोसंजयासंजयावि 4, 1 / नेरइया णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नेरइया नो संजया असंजया नोसंजयासंजया नो नोसंजयनोसंजयनोसंजयासंजया, एवं जाव चउरिंदि 2 | पंचिंदियतिरि Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विमागः क्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिता नो संजता असंजतावि संजतासंजतावि नो नोसंजत-नोअसंजत-नोसंजतासंजतावि 3 / मणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! मणूसा संजतावि असंजतावि संजतासंजतावि नो नोसंजतनोअसंजत-नोसंजतासंजता, वाणमंतरजोतिसियवेमाणिया जहा नेरइया 4 / सिद्धा णं पुच्छा, गोयमा ! सिद्धा नो संजता 1 नो असंजता 2 नो संजतासंजता 3 नोसंजतनोसंजतनोसंजतासंजता 4, 5 / गाहा “संजयअंसंजय मीसगा य जीवा तहेव मणुया य / संजतरहिया तिरिया सेसा.. अस्संजता होंति // 1 // " // सूत्रं 316 // संजयपयं समत्तं // . // इति द्वात्रिंशत्तमं पदम् // 32 // // अथ ज्ञानपरिणामाख्यं त्रयस्त्रिंशत्तमं पदम् // .. भेदविसयसंठाणे अभितरबाहिरे य देसोही। श्रोहिस्स य खयवुड्डी पडिवाई चेव अपडिवाई // 1 // कइविहा णं भंते ! श्रोही पराणत्ता ?, गोयमा ! दुविहा श्रोही पन्नत्ता, तंजहा-भवपञ्चइया य खोवसमिया य, दोराहं भवपच्चइया, तंजहा-देवाण य नेरइयाण य, दोराहं खयोवसमिया, तंजहा–मणूसाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाण य॥ सूत्रं 317 // नेरइया णं भंते ! केवइयं खेत्तं श्रोहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहरणेणं अद्धगाउयं उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई श्रोहिणा जाणंति पासंति 1 / रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केवतियं खेत्तं श्रोहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अछुट्टाई गाउयाई उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइं श्रोहिणा जाणंति पासंति 2 / सकरप्पभापुढविनेरझ्या जहराणेणं तिरिण गाउयाई उक्कोसेणं अद्भुट्ठाई गाउयाई बोहिणा जाणंति पासंति 3 / वालुयप्पभापुढविनेरइया जहराणेणं श्रद्धाइजाई गाउयाई उक्कोसेणं तिरिण गाउयाइं योहिणा जाणंति पासंति 4 / पंकप्पभापुढविनेरइया जहरणेणं दोरिण गाउयाई Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 33 ] [ 369 उकोसेणं श्रद्धाइनाई गाउयाई : अोहिणा जाणंति पासंति 5 / धूमप्पभापुढवि-नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं दिवद्धंगा उक्कोसेणं दो गाउयाई श्रोहिणा जाणंति पासंति 6 / तमापुढवि नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं गाउयं उकोसेणं दिवड्ड गाउयं श्रोहिणा जाणंति पासंति 7 / अधेसत्तमाए पुच्छा, गोयमा ! जहराणेणं श्रद्धं गाउयं उक्कोसेणं गाउयं रोहिणा जाणंति पासंति 8 / असुरकुमारा णं भंते ! श्रोहिणा केवइयं खेत्तं जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं पणवीसं जोषणाई उक्कोसेणं असंखेज्जे दीवसमुद्दे श्रोहिणा जाणंति पासंति / नागकुमारा णं जहराणेणं पणवीसं जोषणाई उक्कोसेणं संखेज्जे दीवसमुद्दे श्रोहिणा जाणंति पासंति, एवं जाव थणियकुमारा 10 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया णं भंते ! केवइयं खेत्तं श्रोहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं असंखेज्जे दीवसमुद्दे 11 / मणूसा णं भंते ! श्रोहिणा केवतितं खेत्तं जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं असंखेजाइं अलोए लोयप्पमाणमेत्ताई खंडाई श्रोहिणा जाणंति पासंति 12 / वाणमंतरा जहा नागकुमारा 13 / जोइसिया णं भंते ! केवतितं खेत्तं श्रोहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं संखेज्जे दीवसमुद्दे उकोसेणवि संखेज्जे दीवसमुद्दे 14 / सोहम्मगदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं श्रोहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहरणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उकोसेणं आहे जाव इमीसे रयणप्पभाए हिडिल्ले चरमंते तिरियं जाव असंखिज्जे दीवसमुद्दे उड्डजाव सगाई विमाणाई श्रोहिणा जाणंति पासंति 15 / एवं ईसाणगदेवावि, सणंकुमारदेवावि एवं चेव, नवरं जाव अहे दोचाए सकरप्पभाए पुढवीए हिट्ठिल्ले चरमंते, एवं माहिंददेवावि, बंभलोयलंतगदेवा तचाए पुढवीए हिट्टिल्ले वरमंते, महासुकसहस्सारगदेवा चउत्थीए पंकप्पभाए Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 370 ] __ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः पुढवीए हेट्ठिल्ले चरमंते, पाणयपाणयारणच्चुयदेवा अहे जाव पंचमाए धूमप्पभाए हेट्ठिल्ले चरमंते, हेट्ठिममज्झिमगेवेजगदेवा अधे जाव छट्ठाए तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले जाव चरमंते 16 / उवरिमगेविजगदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं योहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं अधे सत्तमाए हेट्ठिल्ले चरमंते तिरियं जाव असंखेज्जे दीवसमुद्दे उड्ढ जाव सयाई विमाणाई भोहिणा जाणंति पासंति 17 / अणुत्तरोववाइयदेवा णं भंते ! केवतियं खेत्तं श्रोहिणा जाणंति पासंति ?, गोयमा ! संभिन्नं लोगनालिं श्रोहिणा जाणंति पासंति // सूत्रं 318 // नेरझ्याणं भंते ! श्रोही किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! तप्पागारसंठिए पन्नत्ते 1 / असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! पल्लगसंठिते, एवं जाव थणियकुमाराणं 2 / पंचिंदिय-तिरिखखजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! णाणासंगणसंठिए, एवं मणूसाणवि 3 / वाणमंतराणं पुच्छा, गोयमा ! पडहगसंट्ठाणसंहिए 4 / जोतिसियाणं पुच्छा, गोयमा ! झलरिसंगणसंठिए पत्नत्ते 5 / सोहम्मगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! उड्डमुयंगागारसंठिए पन्नत्ते, एवं जाव अच्चुयदेवाणं 6 / गेवेजगदेवाणं पुच्छा, गोयमा ! पुष्फचंगेरिसंठिए पन्नत्ते 7 / अणुत्तरोववाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जवनालियासंठिते श्रोही पन्नत्ते 8 // सूत्रं 311 / 1 // नेरइयाणं भंते ! श्रोहिस्स कि अंतो बाहिं ? गोयमा ! अंतो नो बाहिं, एवं जाव थणियकुमारा 1 / पंचिदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! नो अंतो बाहिं 2 / मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! अंतोवि बाहिंपि, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणियाणं जहा नेरझ्याणं 3 / नेरइयाणं भंते ! किं देसोही सव्वोही ?, गोयमा ! देसोही नो सवोही, एवं जाव थणियकुमारा 4 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! देसोही नो सव्वोही 5 / मणूसाणं पुच्छा, गोयमा ! देसोहीवि सम्बोहीवि 6 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदं 34 ] [ 371 7 / नेरइयाणं भंते ! श्रोही कि प्राणुगामिते अणाणुगामिते वढमाणते हीयमाणए पडिवाई अप्पडिवाई अवट्ठिए अणवट्ठिए ?, गोयमा ! श्राणुगामिए नो अणाणुगामिए नो वद्धमाणते नो हीयमाणए नो पडिवाई अप्पडिवाई श्रवट्ठिए नो अणवट्टिए, एवं जाव थणियकुमाराणं / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! श्राणुगामितेवि : जाव अणवट्ठिएवि, एवं मणूसाणवि, वाणमंतरजोतिसियवेमाणियाणं जहा नेरइयाणं 1 / // सूत्रं 311 / 2 // पराणवणाए श्रोहिपदं समत्तं // .. // इति त्रयस्त्रिंशतमं पदम् // 33 // // अथ प्रवीचारपरिणामाख्यं चतुस्त्रिंशत्तमं पदम् // अणंतरगयाहारे 1, थाहारे भोयणाइय 2 / पोग्गला नेव जाणंति 3, अज्झवसाणा 4 य श्राहिया // 1 // सम्मत्तस्साहिगमे 5 तत्तो परिया रणा 6 य बोद्धव्वा / काए फासे रुवे सद्दे य मणे य अप्पबहुं॥ 2 // . . नेरइया णं भंते ! अणंतराहारा ततो निव्वत्तणा ततो परियाइणया ततो परिणामणाया ततो परियारणया तो पच्छा विउवणया ?, हंता ! गोयमा ! नेरइयाणं अणंतराहारा ततो निव्वत्तणया ततो परियादियणया ततो परिणामणया तो परियारणया तो पच्छा विउठवणया 1 / असुरकुमारा णं भंते ! अणंतराहारा ततो निव्वत्तणया ततो परियाइणया ततो परिणामणया ततो विउव्वणया तो पच्छा परियारणया ?, हंता ! गोयमा ! असुरकुमारा श्रणंतराहारा ततो निव्वत्तणया जाव ततो पच्छा परियारणया, एवं जाव थणियकुमारा 2 / पुढविकाइया णं भंते ! अणंतराहारा ततो निव्वत्तणया ततो परियाइणया ततो परिणामणया ततो परियारणया ततो विउव्वणया ?, हंता ! गोयमा ! तं चेव जाव परियारणया नो चेव णं विउव्वणया 3 / एवं जाव चउरिंदिया, नवरं वाउकाइया पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया मणूसा Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 372 ] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभागः य जहा नेरइया, वाणमंतर-जोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा 4 / // सूत्रं 320 // नेरइया णं भंते ! थाहारे किं श्राभोगनिबत्तिए अणाभोगनिव्वत्तिए ?, गोयमा ! श्राभोगनिव्वत्तिएवि अणाभोगनिव्वत्तिएवि, एवं असुरकुमाराणं जाव वेमाणियाणं, णवरं एगिदियाणं नो श्राभोगनिव्वत्तिए श्रणाभोगनिव्वत्तिए 1 / नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले थाहारत्ताए गिरहंति ते किं जाणंति पासंति अाहारेंति उदाहु न याणंति न पासंति आहारेंति ?, गोयमा ! न याणंति न पासंति थाहारेंति, एवं जाव तेइंदिया 2 / चउरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिया न याणंति पासंति श्राहारेंति अत्थे. गइया न याणंति न पासंति श्राहारेंति 3 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगइया जाणंति पासंति श्राहारेंति 1 अत्थेगइया जाणंति न पासंति थाहारेंति 2 अत्गइया न जाणंति पासंति आहारेंति 3 श्रत्येगइया न जाणंति न पासंति आहारेंति 4, एवं मणुस्साणवि, वाणमंतर. जोइसिया जहा नेरइया 4 / वेमाणियाणं पुच्छा, गोयमा ! प्रत्येगइया जाणंति पासंति श्राहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति न पासंति थाहारेंति 5 / से केणटेणं भंते ! एवं बुचति वेमाणिया प्रत्येगइया जाणंति पासंति श्राहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति पासंति. पाहारेंति ?, गोयमा ! वेमाणिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-माईमिच्छद्दिट्ठिउववन्नगा य अमायिसम्मदिविउववन्नगा य, एवं जहा इंदियउद्दसए पढमे भणितं तहा माणितवं जाव से एएण?णं गोयमा ! एवं बुञ्चति 6 / नेरझ्या णं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा अज्झवसाणा पनत्ता 7 / ते णं भंते ! किं पसत्था अपसत्था ?, गोयमा ! पसत्थावि अपसत्थावि एवं जाव वेमाणियाणं 8 / नेरइया णं भंते ! कि सम्मत्ताभिगमी मिच्छत्ताभिगमी सम्मामिच्छत्ताभिगमी ?, गोयमा ! सम्मत्ताभिगमीवि मिच्छत्ताभिगमीवि सम्मामिच्छत्ताभिगमीवि 1 / एवं जाव वेमा Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 34 ] [ 373 णियावि, नवरं एगिदियविगलिंदिया णो सम्मत्ताभिगमी मिच्छत्ताभिगमी नो सम्मामिच्छत्ताभिगमी 10 // सूत्रं 321 // देवा णं भंते ! किं सदेवीया सपरियारा सदेवीया अपरियारा अदेवीया सपरियारा अदेवीया अपरियारा ?, गोयमा ! अत्थेगतिया देवा सदेवीया सपरियारा अत्यंगतिया देवा अदेवीया सपरियारा अत्थेगइया देवा अदेविया अपरिचारा नो चेव णं देवा सदेवीया अपरिचारा 1 / से केणढणं भंते ! एवं बुञ्चति-अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरिचारा तं चेव जाव नो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा ?. गोयमा ! भवणपति-वाणमंतर-जोतिस-सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवा सदेवीया सपरियारा, सणंकुमार-माहिंद-बंभलोग-लंतग-महासुक-सहस्सार-श्राणय-पाणय-श्रारणच्चुएसु कप्पेसु देवा अदेवीया सपरिचारा गेवेजअणुत्तरोववइया देवा अदेवीया अपरियारगा, नो चेव णं देवा सदेवीया अपरिचारा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति अत्थेगइया देवा सदेवीया सपरिचारा तं चेव नो चेव णं देवा सदेवीया अपरियारा 2 // सूत्रं 322 // कतिविहा णं भंते ! परियारणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा परियारणा पत्नत्ता, तंजहा-कायपरियारणा फासपरियारणा ख्यपरियारणा सहपरियारणा मणपरियारणा 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुचति पंचविहा परियारणा पन्नत्ता, तंजहाकायपरियारणा जाव मणपरियारणा ?, गोयमा ! भवणवइ-वाणमंतर-जोइससोहम्मीसाणेसु कप्पेसु देवा कायपरियारणा सणंकुमार-माहिदेसु कप्पेसु देवा फासपरियारणा बंभलोय-लंतगेसु देवा रूवपरियारणा महासुक-सहस्सारेसु देवा सहपरियारणा श्राणय-पाणय-धारणच्चुएसु कप्पेसु देवा मणपरियारणा, गेवेज-अणुत्तरोववाइया देवा अपरियारगा, से तेणटणं गोयमा ! तं चेव जाव मणपरियारगा 2 / तत्थ णं जे ते कायपरियारगा देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पजति-इच्छामो णं श्रच्छराहिं सद्धिं कायपरियारं करेत्तए, तए णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकए समाणे खिप्पामेव तायो अच्छरायो Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 374 ] | श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः श्रीरालाति सिंगाराई मणुराणाई मणोहराई मणोरमाई उत्तरवेउवियरूवाई विउव्वंति विउवित्ता तेसि देवाणं अंतियं पाउब्भवंति, तते णं ते देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं कायपरियारणं करेंति 3 ॥सूत्रं 323 // से जहाणामए सीया पोग्गला सीतं पप्प सीयं चेव अतिवतित्ताणं चिट्ठति, उसिणा वा पोग्गल! उसिणं पप्प उसिणं चेव अतिवतित्ताणं चिट्ठीति, एवमेव तेहिं देवेहिं ताहिं अच्छराहिं सद्धिं कायपरियारणं कते समाणे से इच्छामणे खिप्पामेव अवेति // सूत्रं 324 // अस्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं सुक्कपोग्गला ?, हंता ! अस्थि 1 / ते णं भंते ! तासिं अच्छराणं कीसत्ताते मुजो 2 परिणमंति ?, गोयमा ! सोतिदियत्ताते चक्खुइंदियत्ताए पाणिदियत्ताए रसिदियत्ताए फासिंदियत्ताते इट्टत्ताते कंतत्ताते मणुन्नत्ताते मणामत्ताते सुभगत्ताते सोहग्ग-रूवजोव्वण-गुण-लावन्नत्ताए ते तासि भुजो 2 परिणामंति 2 ॥सूत्रं 325 // तत्थ णं जे ते फासपरियारगा देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पजति, एवं जहेव कायपरियारगा तहेव निरवसेसं भाणितव्वं 1 / तत्थ णं जे ते रूवपरियारगा देवा तेसि णं इच्छामणे समुप्पजति इच्छामो णं अच्छराहिं सद्धि रूवपरियारणं करेत्तते, ते णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकते समाणे तहेव जाव उत्तरवेउब्वितातिं रूवाई विउव्वंति विउव्वित्ता जेणामेव ते देवा तेणामेव उवागच्छति उबागच्छित्ता तेसिं देवाणं अदूरसामंते ठिचा ताई उसलाई जाव मणोरमाइं उत्तरवेउविताई रूवाई उवदंसेमाणीतो 2 चिट्ठति, * तते णं ते देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं रूवपरियारणं करेंति, सेसं तं चेव जाव भुजो 2 परिणमंति 2 / तत्थ णं जे ते सहपरियारगा देवा तेसिणं इच्छामणे समुप्पजति–इच्छामो णं अच्छराहिं सद्धिं सद्दपरियारणं करेत्तए, तते णं तेहिं देवेहिं एवं मगासीकए समाणे तहेव जाव उत्तरवेउब्बियाति स्वाति विउव्वंति विउवित्ता जेणामेवं ते देवा तेणामेव उवागच्छति 2 त्ता तेसिं देवाणं अदूरसामंते ठिचा अणुत्तराई उच्चावयाई सदाइं समुदीरेमाणीतो Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ए . " श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 5 / [ 375 2 चिट्ठति, तसे णं ते देवा ताहिं श्रच्छराहिं सद्धिं सहपरियारणं करेंति, सेसं तं चेव जाव भुजो 2 परिणमंति 3 / तत्थ णं जे ते मणपरियारगा देवा तेसिं इच्छामणे समुप्पजति, इच्छामो णं अच्छराहिं सद्धिं मणपरियारणं करेत्तते. तते णं तेहिं देवेहिं एवं मणसीकए समाणे खिप्पामेव तायो श्रच्छरायो तत्थ गयाथो चेव समाणीयो अणुत्तराति उच्चावयातिं मणाई संपहारेमाणीतो 2 चिट्ठति, तते णं ते देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं मणपरियारणं करेंति, सेसं निरवसेसं तं चेव जाव भुजो 2 परिणमंति 4 / ।।सूत्रं 326 // एतेसि णं भंते ! देवाणं कायपरियारगाणं जाव मणपरियारगाणं अपरियारगाण य कयरेकयरेहितो अप्पा वा 4.?, गायमा ! सव्वत्थोवा देवा अपरियारगा मणपरियारगा संखेजगुणा सहपरियारगा असंखेजगुणा ख्वपरियारगा असंखेजगुणा फासपरियारगा असंखेजगुणा कायपरियारगा असंखेजगुणा // सूत्रं 327 // पराणवणाए परियारणापयं समत्तं // .. // इति चतुस्त्रिंशत्तमं पदम् // 34 // // अथ वेदनाख्यं पञ्चत्रिंशत्तमं पदम् // सीता य दव्वसरीरा साता तह वेदणा भवति दुक्खा। अब्भुवगमोवक्कमिया निदाय अणिदाय नायव्वा // 1 // सायमसायं सव्वे सुहं च दुक्खं अदुक्खमसुहं च / माणसरहियं विगलिंदिया उ सेसा दुविहमेव // 2 // कइविहा णं भंते ! वेदणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा वेदणा पन्नत्ता, तंजहा-सीता उसिणा सीतोसिणा 1 / नेरइया णं भंते ! किं सीतं वेदणं वेदेति उसिणं वेदणं वेदेति सीतोसिणं वेदणं वेदेति ?, गोयमा ! सीतंपि वेदणं वेदेति उसिणंपि वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं वेदणं वेदेति, केई एक्ककपुढवीए वेदणाश्रो भणंति 2 / रयणप्पभा-पुढविनेरइयाणं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नो सीतं वेदणं वेदेति उसिणं वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 376 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः वेदणं वेदेति, एवं जाव वालुयप्पभा-पुढविनेरइया 3 / पंकप्पभा-पुढविनेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! सीतंपि वेदणं वेदेति उसिणंपि वेदणं वेदेति, नो सीतोसिणं वेदणं वेदेति, ते बहुयतरागा जे उसिणं वेदणं वेदेति, ते थोवतरागा जे सीतं वेदणं वेदेति 4 / धूमप्पभाए एवं चेव दुविहा, नवरं ते बहुतरागा जे सीतं वेदणं वेदेति, ते थोवतरागा जे उसिणं वेदणं वेदेति 5 / तमाए य तमतमाए य सीयं वेदणं वेदेति नो उसिणं वेदणं वेदेति, नो सीतोसिणं वेदणं वेदेति 6 / असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! सीतंपि वेदणं वेदेति उसिणंपि वेदणं वेदेति सीतोसीणंपि वेदणं वेदेति, एवं जाव वेमाणिया 7 / कतिविहा णं भंते ! वेदणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! चउब्विहा वेदणा पन्नत्ता तंजहा-दव्वतो खेत्ततो कालतो भावतो 8 / नेरझ्या णं भंते ! किं दव्वतो वेदणं वेदेति जाव किं भावतो वेदणं वेदेति ?, गोयमा ! दबोवि वेदणं वेदेति जाव भावग्रोवि वेदणं वेदेति, एवं जाव वेमाणिया 1 / कतिविहा णं भंते ! वेदणा पनत्ता ?, गोयमा ! तिविहा वेदणा, पन्नत्ता, तंजहा-सारीरा माणसा सारीरमाणसा 10 / नेरइया | भंते ! किं सारीरं वेदणं वेदेति माणसं वेयणं वेदणं सारीरमाणसं वेदणं वेदेति ?, गोयमा ! सारीरंपि वेदणं वेदेति माणसंपि वेदणं वेदेति सारीरमाणसपि वेदणं वेदेति, एवं जाव: वेमाणिया, नवरं एगिदियविगलिंदिया सारीरं वेदणं वेदेति नो माणसं वेदणं वेदेति नो सारीरमाणसं वेदणं वेदेति 11 / कइविहा णं भंते ! वेयणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा वेयणा पत्नत्ता, तंजहा-साता असाता सातासाता 12 / नेरझ्या णं भंते ! किं सायं वेदणं वेदंति असातं वेदणं वेदेति सायासायं वेदणं वेदेति ?, गोयमा ! तिविहंपि वेदणं वेदेति, एवं सव्वजीवा जाव वेमाणिया 13 / कतिविहा णं भंते ! वेदणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-दुक्खा सुहा अदुक्खसुहा 14 / नेरइया णं भंते ! किं दुक्खं वेदणं वेदेति पुच्छा, गोयमा ! दुक्खंपि वेदणं वेदेति सुहंपि वेदणं Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 35 ] [ 377 वेदेति अदुक्खमसुहंपि वेदणं वेदेति एवं जाव वेमाणिया 15 ॥सूत्रं 328 // कतिविहा णं भंते ! वेदणा पत्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा वेयणा पन्नत्ता, तंजहा-अब्भोवगमिया य उवक्कमिया य१ / नेरइया णं भंते ! अब्भोवगमियं वेदणं वेदेति उवक्कमियं वेदणं वेदेति ?, गोयमा ! नो अब्भोवगमियं वेदणं वेदेति उवकमियं वेदणं वेदेति 2 / एवं जाव चारिदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मांसा य दुविहंपि वेदणं वेदेति, वाणमंतरजोतिसियवेमाणिया जहा नेरइया 3 // सूत्रं 321 // कतिविहा णं भंते ! वेदणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा वेदना पन्नत्ता, तंजहा-निदा य अणिदा य 1 / नेरइया.णं भंते ! किं निदायं वेयणं वेदयंते अणिदायं वेयणं वेदयंते ?, गोयमा ! निदायपि वेयणं वेदयंते अणिदायपि वेदणं वेदयंते 2 / से केपट्टेणं भंते ! एवं वुञ्चति-नेरइया निदायपि अनिदायपि वेयणं वेदयंते ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सराणीभूया य असराणीभूया य, तत्थ णं जे ते सरिणभूया ते णं निदायपि वेदणं वेदयंते, तत्थ णं जे ते असरणीभूता ते णं अणिदायं वेदणं वेदयंते, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचति नेरइया निदायपि वेयणं वेदयंते अणिदायपि वेदणं वेदयंते, एवं जाव थणियकुमारा 3 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नो निदायं वेदणं वेदयंते अणिदायं वेदणं वेदयंते 4 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चति पुढवीकाइया नो निदायं वेदणं वेदयंते अनिदायं वेदणं वेदयंते ?, गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे असरणी असरिणभूयं अणिदायं वेदणं वेदयंते, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचति पुढविकाइया नो निदायं वेदणं वेदयंते, अणिदायं वेदणं वेदयंते, एवं जाव चरिंदिया पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया मासा वाणमंतरा जहा नेरइया 5 / जोइसियाणं पुच्छा, गोयमा ! निदायपि वेयणं वेदयंते अणिदायपि वेयणं वेदयंते / से केणटेणं भंते ! एवं वुचति-जोइसिया निदायपि वेदणं वेदेति अणिदायपि वेयणं Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 378 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः वेदेति ?, गोयमा ! जोइसिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-माइमिच्छदिट्ठिउववराणगा य अमाइसम्मदिट्टीउववरणगा य, तत्थ णं जे ते माइमिच्छद्दिट्टिउववरणगा ते णं अणिदायं वेयणं वेयंति, तत्थ णं जे ते अमाईसम्मदिट्टीउववन्नगा ते णं निदायं वेदणं वेदयंते, से एतेणटेणं गोयमा ! एवं वुञ्चति जोइसिया दुविहंपि वेदणं वंदयंते, एवं वेमाणियावि.७ // सूत्रं 330 // परणवणाए वेयणापयं समत्तं // // इति पञ्चत्रिंशत्तमं पदम् // 35 // // अथ समुद्घाताख्यं षट्त्रिंशत्तमं पदम् // वेयणकसायमरणे वेउब्वियतेयए य श्राहारे। केवलिए. चेव भवे जीवमणुस्साण सत्तेव // 1 // कति णं भंते ! समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! सत्त समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्धाते 1 कसायसमुग्धाते 2 मारणंतियसमुग्घाये 3 वेंउब्वियसमुग्घाए 4 तेयासमुग्घाए 5 श्राहारगसमुग्घाए 6 केवलिसमुग्घाते 7, 1 / वेदणासमुग्घाए णं भंते ! कतिसमइए : पन्नत्ते ?, गोयमा ! असंखेजसमइए अंतोमुहुत्तिते पन्नत्ते, एवं जाव अाहारसमुग्घाते 2 / केवलिसमुग्घाए णं भंते ! कतिसमइए पन्नत्ते ?, गोयमा ! अट्ठसमइए पन्नत्ते 3 / नेरइयाणं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहां-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्याए 4 / असुरकुमाराणं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा! पंच समुग्धाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए तेयासमुग्घाए, एवं जाव थणियकुमाराणं 5 / पुढविकाइयाणं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिरिण समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए, एवं जाव चारिदियाणं 6 / नवरं वांउकाइयाणं चत्तारि, समुग्घाया पन्नत्ता, Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 36 ] [ 376 तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्याए 7 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं जाव वैमाणियाणं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेयणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए तेयासमुग्घाए।नवरं मसाणं सत्तविहे समुग्घाए पन्नत्ते, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए तेयासमुग्घाए आहारगसमुग्घाए केवलिसमुग्घाए 1 // सूत्रं 331 // एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयरस केवइया वेदणासमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 1 / केवइया पुरेक्खडा?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सस्थि तस्स जहराणेणं एको वा दो वा तिरिण वा उकोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवमसुरकुमारस्सवि निरंतरं जाव वेमाणियस्स, एवं जाव तेयगसमुग्धाते, एवमेते पंच चउवीसा दंडगा 2 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया श्राहारसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि तस्स जहराणेणं एको वा दो वा उक्कोसेणं तिरिण 3 / केवइया पुरेक्खडा ?, कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि जहगणेणं एको वा दो वा तिगिण वा उकोसेणं चत्तारि, एवं निरंतरं जाव वेमाणियस्स, नवरं मणूसस्स अतीतावि पुरेक्खडावि जहा नेरझ्यस्स पुरेक्खडा 4 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवतिया केवलिसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! नत्थि 5 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि एको, एवं जाव वेमाणियस्स, नवरं मणूसस्स अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थि, जस्सत्थि एको, एवं पुरेवखडावि 6 // सूत्रं 332 // नेरइयाणं भंते ! केवइया वेदणासमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 1 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अणंता, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव तेयगसमुग्घाए, एवं एतेवि पंच चउवीसदंडगा 2 / नेरइयाणं भंते ! केवइया श्राहारगसमुग्घाया अतीता ?, Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 380 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :षष्ठो विभागः गोयमा ! असंखेन्जा 3 / केवड्या पुरेक्खडा ?, गोयमा ! असंखेजा, एवं जाव वैमाणियाणं, नवरं वणस्सइकाइयाण मणूसाण य इमं णाणत्तं-वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइया श्राहारगसमुग्घाया अईया ?, गोयमा ! अणंता 4 / मणूसाणं भंते ! केवइया श्राहारसमुग्घाया अईया ?, गोयमा ! सिय संखेजा सिय असंखेजा, एवं पुरेक्खडावि 5 / नेरइयाणं भंते ! केवइया केवलिसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! णस्थि 6 / केवइया पुरेवखडा ?, गोयमा ! असंखेजा, एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं वणसइकाइयमणूसेसु इमं नाणत्तं-वणस्सइकाइयाणं भंते ! केवइया केवलिसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! णत्थि 7 / केवझ्या पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अणंता 8 / मणूसाणं भंते ! केवइया केवलिसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! सिय अत्थि सिय नत्थि, जइ अत्थि जहराणेणं एको वा दो वा तिरिण वा, उक्कोसेणं सतपुहुत्तं 1 / केवतिया पुरेक्खडा ?, सिय संखेजां सिय असंखेजा 10 // सूत्रं 332 // एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया वेदणासमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 1 / केवइया पुरेवखडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्स अस्थि जहरणेणं एको वा दो वा तिरिण वा, उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेज्जा वा अणंता वा, एवं असुरकुमारते जाव वेमाणियत्ते 2 / एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स नेरइयत्ते केवइया वेदणासमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता .3 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सति नत्थि, जस्सत्थि तस्स सिय संखेजा सिय असंखेजा सिय अणंता 4 / एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स असुरकुमारते केवइया वेदणासमुग्घाया अतीता ?, गोयमा! अणंता 5 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ. अस्थि कस्सइ नत्थि जस्सत्थि जहराणेणं एको वा दो वा तिगिण वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं नागकुमारत्तेवि जाव वेमाणियत्ते 6 / एवं जहा वेयणासमुग्घातेणं असुरकुमारे Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 36 ] [ 381 नेरइयादि-वेमाणिय-पजवसाणेसु भणितो तहा नागकुमारादिया अवसेसेसु सट्टाणेसु परहाणेसु भाणितव्वा जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते, एवमेते चउव्वीसा चउव्वीसं दंडगा भवंति 7 // सूत्रं 333 // एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया कसायसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 1 / केवडया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि एगुत्तरियाते जाव अणंता 2 / एगमेगस्स | भंते ! नेरझ्यस्स असुरकुमारत्ते कवइया कसायसमुग्घाया यतीता ?, गोयमा ! अणंता 3 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सति अस्थि कस्सति नस्थि, जस्सत्थि सिय संखेजा सिय असंखेजा सिय अणंता 4 / एवं जाव नेरइयस्स थणियकुमारत्ते, पुढविकाइयत्ते एगुत्तरियाए नेतव्वं, एवं जाव मणुयत्ते 5 / वाणमंतरत्ते जहा असुरकुमारत्ते. जोइसियत्ते अतीता अता. पुरेक्खडा कस्सति अस्थि कस्सति नत्थि, जस्सत्थि सिय असंखेजा सिय अणंता, एवं वेमाणियत्तेवि सिय असंखेजा सिय अणंता 6 / असुरमारस्स नेरइयत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा कस्सति अस्थि कस्सति नत्थि, जस्सस्थि सिय संखेजा सिय असंखेजा सिय अणंता, असुरकुमारस्स असुरकुमारत्ते अतीता अणंता पुरेक्खडा एगुत्तरिया, एवं नागकुमारत्ते जाव निरंतरं वैमाणियत्ते जहा नेरझ्यस्स भणितं तहेव भाणितव्वं 7 / एवं जाव थणियकुमारस्सवि वेमाणियत्ते, नवरं सव्वेसि सट्टाणे एगुत्तरियाए परट्ठाणे जहेव असुरकुमारस्स, पुढविकाइयस्स नेरइयत्ते जाव थणियकुमारत्ते अतीता अणंता, पुरेक्खडा कस्सति अस्थि करसति नत्थि, जस्सत्थि सिय संखेजा सिय असंखेजा सिय अणंता 8 / पुढविकाइयस्स पुढविकाइयत्ते जाव मणूसत्ते अतीता अणंता पुरेवखडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि जस्स अस्थि एगुत्तरिया 1 / वाणमंतरत्ते जहा णेरइयत्ते, जोतिसियवेमाणियत्ते अतीता अणंता पुरेक्खडा कस्सइ अत्थि कस्सइ नत्थि, जस्त अस्थि सिय असंखेजा सिय अणंता, एवं जाव मणूसत्तेवि नेयव्वं Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 382] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः 10 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा, नवरं सट्ठाणे एगुत्तरियाए भाणितव्वे जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते, एवं एते चउव्वीसं चउवीसा दंडगा 11 // सूत्रं 334 // मारणंलियसमुग्घातो सट्ठाणेवि परट्ठाणेवि एगुत्तरियाए नेयव्वो जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते, एवमेते चउवीसं.चवीसदंडगा भाणियव्वा 1 / उब्वियसमुग्घातो जहा कसायसमुग्यायो तहा निरवसेसो भाणितवो, नवरं जस्स नस्थि तस्स न वुच्चति, एत्थवि चवीसं चउवीसा दंडगा भाणियबा 2 / तेयगसमुग्यायो जहा मारणंतियसमुग्यायो, णवरं जस्सऽस्थि, एवं एतेवि चउव्वीसं चउव्वीसा दंडगा भाणितव्वा 3 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया श्राहारसमुग्यायो अतीता ?, गोयमा ! णत्थि 4 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! पत्थि, एवं जाव वेमाणियत्ते, नवरं माणूसत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थि, जस्सत्यि जहरणेणं एको वा दो वा उकोसेणं तिन्नि 5 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सति अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सस्थि जहरणेणं एको वा दो वा तिरिम वा उकोसेणं चत्तारि, एवं सव्वजीवाणं मणुस्साणं भाणियव्वं 6 / मगूसस्स मणूसत्ते अतीता कस्सति अस्थि कस्सति नत्थि, जस्सत्थि जहराणेणं एको वा दो वा तिरिण वा उकोसेगां चत्तारि, एवं पुरेक्खडावि, एवमेते चउवीसं चउवीसा दंडगा जाव वेमाणियत्ते 7 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया केवलिसमुग्धाया अतीता ?, गोयमा ! णस्थि 8 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! नत्थि, एवं जाव वेमाणियत्ते, णवरं मणूसत्ते अतीता नत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि इको 1 / मणूसस्स मणूसत्ते अतीता कस्सति अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सस्थि एको, एवं पुरेक्खडावि, एवमेते चउव्वीसं चउव्वीसा दंडगा 10 ॥सूत्रं 335 // नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिया वेदणासमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 1 / केवतिया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अणंता, एवं जाव वेमाणियत्ते 2 / एवं सव्व Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 36 ] [ 383 जीवाणं भाणितव्वं जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते, एवं जाव तेयगसमुग्घाए, णवरं उवउजिऊण नेयव्वं जस्सत्थि वेउवियतेयगा 3 / नेरझ्याणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिया अाहारगसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! नत्थि 4 / केवतिया पुरेवखडा ?, गोंयमा ! णस्थि 5 / एवं जाव वेमाणियत्ते, गवरं मणूसत्ते अतीता असंखेजा पुरेवखडा असंखेजा, एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं वणस्सइकाइयाणं मणूसत्ते अतीता अणंता पुरेक्खडा श्रणंता 6 / मणूसाणं मणूसत्ते अतीता सिय संखेजा सिय असंखेजा, एवं पुरेवखडावि, सेसा सव्वे जहा नेरइया, एवं एते चउवीसं चउवीसा दंडगा 7 // नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिया केवलिसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! नस्थि 8 / केवतिया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! नत्थि 1 / एवं जाव वेमाणियत्ते, णवरं मणूसत्ते अतीता णत्थि, पुरेक्खडा असंखेजा, एवं जाव वेमाणिया, नवरं वणस्सइ. काइयाणं मणूसत्ते अतीता नस्थि, पुरेक्खडा अणंता 10 / मणूसाणं मणूसत्ते अतीता सिय अस्थि सिय णत्थि, जइ अस्थि जहराणेणं एको वा दो वा तिरिण वा उकोसेणं सतपुहुत्तं 11 / केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! सिय संखेजा सिय असंखेजा, एवं एते चउव्वीसं चउब्बीसा दंडगा सव्वे पुच्छाए भाणितव्या जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते 12 ॥सूत्रं 336 // एतेसि णं भंते ! जीवाणं वेदणासमुग्धातेणं कसायसमुग्घातेणं मारणंतियसमुग्धातेणं वउव्वियसमुग्घातेणं तेयसमुग्धातेणं पाहारगसमुग्घातेणं केवलिसमुग्घातेणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे२हिती अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा श्राहारगसमुग्घाएणं समोहया केवलिसमुग्घाएणं संमोहता संखेजगुणा तेयगसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा वेउब्बियसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया अणंतगुणा कसायसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा वेदणासमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया असमोहया असंखिजगुणा ।।सूत्रं 337 // एतेसि णं भंते ! Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः नेरइयाणं वेदणासमुग्घाएणं कमायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया मारणंतियसमुग्घातेणं समोहया वेउब्वियसमुग्वातेमां समोहया असंखेजगुणा कसायसमुग्घाएणं समोहता संखेजगुणा वेदणासमुग्घातेणं समोहया संखेजगुणा असमोहया संखेजगुणा 1 / एतेसि णे भंते ! असुरकुमाराणं वेदणासमुघातेणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउब्वियसमुग्घाएणं तेयगसमुग्घाएणं समोहताणं असमोहताण य कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा असुरकुमारा तेयगसमुग्धा-. एणं समोहया मारणंतियसमुग्याएणं समोहया असंखेजगुणा वेदणासमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा असमोहया असंखेजगुणा एवं जाव थणियकुमारा 2 / एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं वेदणासमुग्धाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य.कयरे २हितो अप्पा वा 4 ?, गोचमा ! सव्वत्थोवा युद्धविकाइया मारणंतियसमुग्धारणं समो. हया कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा वेदणासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया असमोहया असंखेजगुणा, एवं जाव वणस्सइकाइया, णवरं सव्वत्थोवा वाउकाइया वेउब्वियसमुग्वाएणं समोहया मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा कसायसमुग्याएणं समोहया संखेजगुणा वेदणासमुग्धाएणं संखेजगुणा विसेसाहिया असमोहया असंखेजगुणा 3 / बेइंदियाणं भंते ! वेदणासमुग्धाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरेरहितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा बेइंदिया मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया वेदणासमुग्धातेणं समोहया असंखेजगुणा कसायममुग्घाएणं समोहया असखेजगुणा असमोहया संखेजगुणा, एवं जाव चउरिंदिया 4 / पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं भंते ! वेदणासंमुग्घाएणं Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 36 ] [ 385 समोहया कसायसमुग्घातेणं मारणंतियममुग्घाएणं वेउव्वियसमुग्घाएणं तेयसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया तेयासमुग्घाएणं समोहया वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा वेदणासमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा असमवहता संखेजगुणा 5 | मणुस्साणं भंते ! वेदणासमुग्घातेणं समोहयाणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्याएणं वेउब्वियसमुग्घाएणं तेयगसमुग्धाएणं थाहारगसमुग्घाएणं केवलिसमुग्घाएणं समोहयाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा श्राहारगसमुग्घाएणं समोहया केवलिसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा तेयगसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा वेदणासमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा असमोहया असंखेजगुणा / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं 6 // सूत्रं 338 // कति णं भंते ! कसायसमुग्घाया पराणत्ता ?. गोयमा ! चत्तारि कसायसमुग्घाया पन्नत्ता तंजहा-कोहसमुग्धाते माणसमुग्घाते मायासमुग्धाते लोहसमुग्घाते. 1 / नेरइयाणं भंते ! कतिकसाय-समुग्धाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि कसायसमुग्धाता पन्नत्ता, एवं जाव वेमाणियाणं 2 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्त केवतिता कोहसमुग्याता अतीता ?, गोयमा ! अणंता 3 / केवतिता पुरेक्खडा ?, गोयमा ! कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्थि, जस्सत्थि जहरणेणं एको वा दो वा तिगिण वा उकोसेणं संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव वेमाणियस्स, एवं जाव लोभसमुग्घाते एते चत्तारि दंडगा 3 / नेरइयाणं भंते ! केवइया कोह. समुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 4 / केवतिया पुरेक्खडा ?, गोयमा! 46 Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 386 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः अणंता, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव लोभसमुग्घाए, एवं एएवि चत्तारि दंडगा 4 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवइया कोहसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, एवं जहा * वेदणासमुग्घातो भणितो तहा कोहसमुग्घातोवि भाणियबो, निरवसेसं जाव वेमाणियत्ते 5 / माणसमुग्घाए मायासमुग्घातेवि निरवसेसं जहा मारणंतियसमुग्घाते लोहसमुग्घातो जहा कसायसमुग्घातो नवरं सव्वजीवा असुरादिनेरइएसु मोहकसाएणं एगुत्तरियाते नेतव्वा 6 / नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवइया कोहसमुग्घाया अतीता ?, गोयमा ! अणंता 7 / केवतिया पुरेक्खडा ?, गोयमा! अणंता, एवं जाव वेमाणियत्ते 8 / एवं सट्टाणपरटाणेसु सव्वत्थवि भाणियव्वा, सव्वजीवाणं चत्तारिवि समुग्घाया जाव लोभसमुग्घातो जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते 1 // सूत्रं 331 // एतेसि णं भंते ! जीवाणं कोहसमुग्घातेणं माणसमुग्वातेणं मायासमुग्घातेणं लोभसमुग्धातेण य समोहयाणं अकसायसमुग्घातेणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अकसायसमुग्घाएणं समोहया, माणसमुग्घाएणं समोहया अणंतगुणा, कोहसमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया मायासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया लोभसमुग्याएणं समोहया विसेसाहिया असमोहया संखेजगुणा 1 / एतेसि णं भंते ! नेरइयाणं कोहसमुग्घाएणं माणसमुग्घारणं मायासमुग्घाएणं लोभसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कयरे२हितो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया लोभसमुग्घाएणं समोहया मायाममुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा माणसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा कोहसमुग्घाएणं संखेजगुणा असमोहया संखेंजगुणा 2 / असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्थोवा असुरकुमाराणं कोहसमुग्घाएणं समोहया माणसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा मायासमुग्धाएणं समोहया संखेजगुणा लोभसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा असमोहया संखेजगुणा, एवं सव्वदेवा Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 36 / [ 380 जाव वेमाणिया 3 | पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढवि. काइया माणसमुग्घाएणं समोहया कोहसमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया मायासमुग्धाएणं समोहया विसेसाहिया लोभप्तमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया असमोहया संखेजगुणा 4 / एवं जाव पंचिंदिय-तिरिक्खजोणिया, मणुस्सा जहा जीवा, णवरं माणसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा 5 / // सूत्रं 340 // कइ णं भंते ! छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! छाउमत्थिया छ समुग्घाया पनत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए तेयातमुग्घाए श्राहारगसमुग्धाते 1 / नेरइयाणां भंते ! कति छाउमस्थिया समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए 2 / असुरकुमाराणं पुच्छा, गोयमा ! पंच छाउमत्थिया समुग्घाया पत्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्याए उब्वियममुग्घाए तेयगसमुग्घाए 3 / एगिदिय-विगलिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! तिगिण छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहावेदणासमुग्याए कमायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए 4 / णवरं वाउकाइयाणं चत्तारि समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए 5 / पचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! पंच छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्बियसमुग्घाए तेयगसमुग्घाए 6 / मसाणं कति छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ छाउमत्थिया समुग्घाया पन्नत्ता, तंजहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्घाए वेउब्वियसमुग्घाए तेयगसमुग्घाए श्राहारगसमुग्घाए 7 // सूत्रं 341 // जीवे णं भंते ! वेदणासमुग्घाएणं समोहते समोहणित्ता जे पोग्गले निच्छुभति तेहि णं भंते ! पोग्गलेहि केवइत्ते खेत्ते अफुराणे केवतिते खेत्ते फुडे ?, गोयमा ! Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 388 / [श्रीमदागमसुधासिन्धुः // षष्ठो विभागा सरीरप्पमाणमेत्ते विक्खंभबाहल्लेणं नियमा छदिसि एवतिते खेत्ते अफुराणे एवतिते खेत्ते फुडे 1 / से णं भंते ! खित्ते केवतिकालस्स अप्फुडे केवतिकालस्स फुडे ?, गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं एवतिकालस्स अफुराणे एवइयकालस्स फुडे 2 / ते णं भंते ! पोग्गले केवतिकालस्स निच्छुभति ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तस्स 3 / ते णं भंते ! पोग्गला निच्छूढा समाणा जातिं तत्थ पाणाति भूयाति जीवाति सत्तातिं अभिहणंति वत्तेंति लेसेंति संचाएंति संघट्टति परिताति किलामेंति उद्दवेंति तेहिंतो णं भंते ! से जीवे कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए. 4 / ते णं भंते ! जीवा तातो जीवाश्रो कतिकिरिया ?, गोयमा! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरिया 5 / से णं भंते ! जीवे ते य जीवा अराणेसिं जीवाणं परंपराघाएणं कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि 6 / नेरइए णं भंते ! वेदणासमुग्घाएणं समोहते, एवं जहेब जीवे, णवरं नेरइयाभिलावो, एवं निरवसेसं जाव वेमाणिते 7 / एवं कसायसमुग्घातोवि भाणितव्वो 8 / जीवे णं भंते ! मारणंतिय-समुग्घातेणं समोहणइ समोहणित्ता जे पोग्गले णिच्छुभति तेहि णं भंते ! पोग्गलेहिं केवतिते खेत्ते अप्फुरणे केवतिते खेत्ते फुडे ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ते विक्खंभ-बाहल्लेणं थायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं असंखेजाति जोयणाति एगदिसिं एवतिते खेत्ते अफुराणे एवतिए खेत्ते फुडे 1 / से णं भंते ! खेत्ते केवतिकालस्स अफुगणे केवतिकालस्स फुडे ?, गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं एवतिकालस्स अफुराणे एवतिकालस्स फुडे, सेसं तं चेव जाव पंचकिरिया 10 / एवं नेरइएवि, णवरं श्रआयामेणं जहराणेणं साइरेगं जोयणसहस्सं उक्कोसेणं असंखेजाति जोगणाति, एगदिसि एवतिते Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 36 ) [ 386 खेते अप्फुगणे एवतिते खित्ते फुडे, विग्गहेणं एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा, चउसमतिएण ण भन्नति, सेसं तं चेव जाव पंचकिरियावि 11 / असुरकुमारस्स जहा जीवपदे, णवरं विग्गहो तिसमइयो जहा नेरझ्यस्स, सेसं तं चेव जहा असुरकुमारे, एवं जाव वेमाणिते, णवरं एगिदिये जहा जीवे निरवसेसं 12 // सूत्रं 342 // जीवे णं भंते ! वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहते समोहणित्ता जे पुग्गले निच्छुभति तेहि णं भंते ! पोग्गलेहिं केवतिते खेत्ते अफुराणे केवतिए खित्ते फुडे ?. गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ते विक्खंभबाहल्लेणं थायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स संखेजतिभागं उकोसेणं संखिजाति जोगणाति एगदिसि विदिसि वा एवइए खित्ते अफुराणे एवतिते खेत्ते फुडे 1 / से णं भंते ! केवतिकालस्स अफुराणे केवतिकालस्स फुडे ?, गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं एवतिकालस्स अफुराणे एवतिकालस्स फुडे, सेसं तं चेव जाव पंचकिरियावि 2 / एवं नेरइएवि, णवरं पायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्कोसेणं संखिजाई जोषणाई एगदिसि, एवतिते खेत्ते, केवतिकालस्स ?, तं चेव जहा जीवपदे 3 / एवं जहा नेरइयस्स तहा असुरकुमारस्स, नवरं एगदिसि विदिसि वा, एवं जाव थणियकुमारस्स 4 / वाउकाइयस्स जहा जीवपदे, णवरं एगदिसिं, पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स निरखसेसं जहा नेरइयस्स, मणूस-वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियस्स निरवसेसं जहा असुरकुमारस्स 5 / जीवे णं भंते ! तेयगसमुग्घाण्णं समोहते समोहणित्ता जे -पोग्गले निच्छुन्भति तेहि णं भंते ! पोग्गलेहिं केवतिते खेत्ते अफुराणे केवइए खित्ते फुडे ?, एवं जहेव वेउन्विते समुग्याते तहेव, नवरं आयामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं असं तं चेव 6 ।एवं जाव देमाणियस्स, णवरं पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियस्स एगदिसि एवतिते खेत्ते अफुराणे एवइखित्तस्स फुडे 7 / जीवे णं भते! पाहारगसमुग्धतेणं समोहते समोहणित्ता जे Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 360 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विमागः पोग्गले निच्छुभति तेहि णं भंते ! पोग्गलेहिं केवइए खित्ते अफुगणे केवइए खेत्ते फुडे ?, गोयमा ! सरीरप्पमाणमेत्ते विक्खंभवाहल्लेणं थायामेणं जहराणेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उकोसेणं संखेजाइं जोयणाई एगदिसिं, एषतिते खेत्ते एगसमतिएण वा दुसमतिएणं तिसमतिएणं विग्गहेणं एवतिकालस्स अफुराणे एवतिकालस्स फुडे 8 ते णं भंते ! पोग्गला केवतिकालस्स निच्छुब्भति ?, गोयमा ! जहरणेणं अंतोमुहुत्तस्स उकोसेणं अंतोमुहुत्तस्स 1 / ते णं भंते ! पोग्गला निच्छूढा समाणा जाति तत्थ पाणति भूयाति जीवाति सत्ताति अभिहणति जाव उद्दवेंति, ते णं भंते ! जीवे कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिरिए, सिय चउरिए, सिय पंचकिरिए 10 / ते णं भंते ! जीवाश्रो कतिकिरिया ?, गोयमा ! एवं चेव 11 / से णं भंते ! ते य जीवा अराणेसि जीवाणं परंपराघातेणं कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि, एवं मणूसेवि 12 // सूत्रं 343 // श्रणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो केलिसमुग्घातेणं समोहयस्स जे चरमा निजरापोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पन्नत्ता ?, समणाउसो !, सव्वलोगंपिय णं ते फुसित्ताणं चिट्ठति ?, हंता ! गोयमा ! अणगारस्स भावियप्पणो केवलिसमुग्घाएणं समोहयस्स जे चरमा निजरापोग्गला सुहुमा णं ते. पोग्गला पन्नत्ता, समणाउसो !, सव्वलोगंपिय णं फुसित्ताणं चिट्ठति 1 / छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तेसिं णिजरापोग्गलाणं किंचि वराणेणं वराणं गंधेणं गंधं रसेण वा रसं फासेण वा फासं जाणति पासंति ?, गोयमा ! णो इण? समढे 2 / से केण?णं भंते ! एवं कुञ्चति छउमत्थे णं मणूसे तेसि णिजरापोग्गलाणं णो किंचि वराणेणं 2 गंधेणं 2 रसेणं 2 फासेणं 2 णो जाणति पासति ?, गोयमा ! अयगणं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुहाणं सव्वब्भंतराए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्लापूय-संठाणसंठिते वट्टे रहचकवाल-संगणसंठिए व? पुक्खरकरिणया संठाणसंठिए वट्टे पडिपुराण-चंद-संगणसंठिए एगं जोत्रणसय Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्प्रज्ञापनीपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 36 ) [ 361 सहस्सं पायामविक्खंभेणं तिरिण जोयण-सयसहस्साई सोलस सहस्साई दोगिण सत्तावीसे जोयणसते तिगिण य कोसे अट्ठावीसं च धणुसतं तेरस य अंगुलाई श्रद्धंगुलं च किंचिविसेसाहिते परिक्खेवेणं पन्नत्ते, देवे णं महिड्डीते जाव महासोक्खे एगं महं सविलेवणं गंधसमुग्गतं गहाय तं श्रवदालेति तं महं एगं सविलेवणं गंधसमुग्गतं श्रवदालइत्ता इणामेव कटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छराणिवातेहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छेजा 3 / से नूणं गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहिं घाणपोग्गलेहिं फुडें ?, हंता ! फुडे, छउमत्थे णं गोयमा ! मणूसे तेसिं घाणपुग्गलाणं किंचि वराणेणं वगणं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं जाणति पासति ?, भगवं ! नो इण? सम?, से एएण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-छउमत्थे ण मणूस तेसिं निजरापोग्गलाणं नो किंचि वराणेणं वसणं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं जाणति पासति, सुहुमा णं ते पोग्गला पन्नत्ता, समणाउसो !, सव्वलोगंपिय णं फुसित्ताणं चिट्ठांति 4 ॥सूत्रं 344 // क्रम्हा णं भंते ! केवली समुग्घायं गच्छति ?, गोयमा ! केवलिस्स चत्तारि कम्मंसा अक्खीणा अवेदिया अणिजिराणा भवंति, तंजहा-वेदणिज्जे श्राउए नामे गोए, सव्वबहुप्पएसे से वेदणिज्जे कम्मे हवति सव्वत्थोवे श्राउए कम्मे हवइ, विसमं समं करेति बंधणेहिं ठितीहि य, विसमसमीकरणयाए वंधणेहिं ठितीहि य एवं खलु केवली समोहणति, एवं खलु समुग्घायं गच्छति 1 / सब्वेवि णं भंते ! केवली समोहणंति सव्वेवि णं भंते ! केवली समुग्घातं गच्छंति ?, गोयमा ! णो इण? समढे 2 / “जस्साउएण तुल्लाति, बंधणेहिं ठितीहि य / भवोवग्गहकम्माई, समुघातं से ण गच्छति // 1 // अगंतूणं समुग्घातं, अणंता केवली जिणा / जरमरणविप्पमुक्का, सिद्धिं वरगतिं गता // 2 // सूत्रं 345 // कतिसमतिए णं भंते ! भाउजी(ग्राउजिया श्रावजिया, श्राउस्सय)करणे पन्नत्ते ?, गोयमा! असंखेजसमतिए अंतोमुहुत्तिए Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 392] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः श्राउजीकरणे पन्नत्ते ॥सूत्रं 346 // कतिसमतिए णं भंते ! केवलिसमुग्याए पन्नते ?, गोयमा ! अट्ठसमतिते पन्नत्ते, तंजहा-पढमे समए दंडं करेति बीए समए कवाडं करेति ततिए समए मंथं करेति चउत्थे समए लोगं पूरेति पंचमे समए लोयं पडिसाहारति छ8 सयए मंथं पडिसाहरति सत्तमए समए कवाडं पडिसाहरति अट्टमे समए दंडं पडिसाहरति, दंडं पडिसाहरेत्ता तत्रों पच्छा सरीरत्थे भवति 1 / से णं भंते ! तहा समुग्घायगते कि मणजोगं जुजति वइजोगं जुजति कायजोगं जुजति ?, गोयमा ! नो मणजोगं जुजति नो वइजोगं जुजति कायजोगं जुजति 2 / कायजोगे णं भंते ! जुजमाणे किं श्रोरालियसरीर-कायजोगं जुजति थोरालिय-मीसासरीर-कायजोगं जुजति कि वेउब्वियसरीरकायजोगं जुजति वेउब्वियमीसासरीरकायजोगं जुजति किं श्राहारगसरीरकायजोगं जुजति थाहारगमीसासरीर-कायजोगं जुजति कि कम्मगसरीरकायजोगं जुजति ?, गोयमा ! योरालियसरीरकायजोगंपि जुजति ओरालियमीसासरीरकायजोगंपि जुजइ, नो वेउब्वियसरीरकायजोगं जुजति नो वेउब्बियमीसासरीरकायजोगं जुजति नो पाहारगकायजोगं जुजति नो पाहारगमीसासरीरकायजोगं जुजति कम्मगसरीरकायजोगपि जुजति, पढमट्ठमेसु समएसु थोरालियसरीरकायजोगं जुजति बितियछट्टसत्तमेसु समएसु पोरालियमीसासरीरकायजोगं जुजति, ततियचउत्थपचमेसु समएसु कम्मगसरीरकायजोगं जुजति 2 // सूत्रं 347 // से णं भंते ! तहा समुग्घातगते सिझति बुज्झति मुञ्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ?, गोयमा ! नो इण? समढे 1 / से णं ततो पडिनियत्तति पडिनियतित्ता ततो पन्छा मणजोगंपि जुजति वइजोगंपि जुजइ कायजोगंपि जुजति, माजोगं जुजमाणे किं सचमणजोगं जुजति मोसमणजोगं जुजति सच्चामोसमणजोगं जुजति असच्चामोसमणजोगं जुजति ?, गोयमा ! सच्चमणजोगं जुजति नो मोसमणजोगं जुजति Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीमत्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 36 ) [ 363 नो सच्चामोसमाजोगं जुजति असच्चामोसमणजोगं जुजति 2 / वतिजोगं जुजमाणे किं सच्चवइजोगं जुजति मोसवइजोगं जुजति सच्चामोसवइजोगं असचामोसवइजोगं जुजति ?, गोयमा ! सचवतिजोगं जुजति नो मोसवइजोगं जुजति नो सच्चामोसवतिजोगं जुजति असचामोसवइजोगपि जुजति, कायजोगं जुजमाणे श्रागच्छेज वा गच्छेज वा चिट्ठज वा निसीएज वा तुयट्टज वा उल्लंघेज वा पलंघेज वा पडिहारियं पीढफलग-सेजासंथारगं पञ्चप्पिणेजा 3 // सूत्रं 348 // से णं भंते ! तहा सजोगी सिज्झति जाव अंतं करेति ?, गोयमा ! नो इण? सम8, से णं पुन्वमेव सरिणस्स पंचिंदियपजत्तयस्स जहराणजोगिस्स हेट्ठा असंखेजगुणपरिहीणं पढमं मणजोगं निरंभति, ततो अणंतरं बेइंदियपजत्तगस्स जहराणजोगिस्स हेट्ठा असंखिजगुणपरिहीणं दोच्चं वतिजोगं निरु भति, ततो अणंतरं च णं सुहुमस्स पणगजीवस्स अपजत्तयस्स जहराणजोगिस्स हेट्टा असंखेज-गुणपरिहीणं तचं कायजोगं निरंभति, से णं एतेण उवाएणं-पढमं मणजोगं निरंभति मणजोगं निरुभित्ता वतिजोगं निरुभति वयजोगं निरु भित्ता कायजोगं निरंभइ कायजोगं निरुभित्ता जोगनिरोहं करेति जोगनिरोहं करेत्ता अजोगतं पाउणति अजोगयं पाउणित्ता ईसिं हस्सपंचक्खरुचारणद्धाए असंखेजसमइयं अंतोमुहुत्तियं सेलेसिं पडिवजइ, पुव्वरइयगुणसेदीयं च णं कम्म, तीसे सेलेसिमद्धाए असंखेजाहिं गुणसेढीहिं असंखेज्जे कम्मखंधे खवयति खवइत्ता वेदणिजाउणामगोत्ते इच्चेत्ते चत्तारि कम्मसे जुगवं खवेति, जुगवं खवेत्ता ओरालिय-तेयाकम्मगाई सव्वाहिं विप्पजहराणाहिं विप्पजहति, विप्पजहिता उज्जुसेढीपडिवराणो अफुसमाणगतीए एगसमएणं अविग्गहेणं उड्ड गंता सागारोवउत्ते सिज्मइ बुज्झइ तत्थसिद्धो भवति, ते णं तत्थ सिद्धा भवंति असरीरा जीवघणा दंसणणाणोवउत्ता णिट्टियट्ठा णीरया णिरेयणा वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं कालं चिट्ठति 1 / से केणटेणं भंते ' Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 364) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागा एवं वुच्चइ ते णं तत्थ सिद्धा भवंति असरीरा जीवघणा दंसमामाणोवउत्ता निट्ठियट्ठा नीरया निरयणा वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं कालं चिट्ठांति ?, गोयमा ! से जहाणामए बीयाणं अग्गिदड्डाणं पुणरवि अंकु. रुप्पत्ती ण भवति, एवामेव सिद्धाणवि कम्मबीएसु दड्डेसु पुणरवि जम्मुप्पत्ती ण भवति, से तेणणं गोयमा ! एवं वुच्चति-ते णं तस्थ सिद्धा भवंति असरीरा जीवघणा दंसणणाणोवउत्ता णिट्ठियट्ठा णीरया णिरेयणा वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागतद्धं कालं चिट्ठतित्ति 2 / 'निच्छिण्णसव्वदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का / सासयमव्वाबाहं चिट्ठांति सुही सुई पत्ता // 1 // // सूत्रं 341 // इति पराणवणाए भगवतीए छत्तीसतिमं समुग्घायपयं समत्तं // 36 // // इति षट्त्रिंशत्तमं पदम् // 36 // [प्रत्यक्षरं गणनया अनुष्टुपछंदसां मानमिदम्-७७८७ ] .. // इति श्रीप्रज्ञापना-सूत्रम् // . ( चतुर्थमुपागम् ) - तपोमूर्ति पूज्याचार्य देव श्रीमद्विजयकर्प रसूरीश्वर-पट्टधर-हालार-देशोद्धारक-कविरत्न-पूज्याचार्यव देव-श्रीमदमिजयामृतसूरीश्वर-विनेय-पन्न्यास-जिनेन्द्रविजय-गणिवरेण संशोधिते सम्पादिते च। श्रीमदागमसुधा-सिन्धौ षष्ठो विभागः श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रात्मकः समाप्तोऽभूत् / ॥शुभं भवतु श्री श्रमणसङ्घस्य // Page #408 -------------------------------------------------------------------------- _