________________ 138 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः ट्ठयाए चउट्टाणवडिए. ठिईए चउट्ठाणवडिए 3 / जहन्नाठिझ्याणं भैते ! पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं केवइया पजवा पत्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पत्नत्ता 4 / से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नठिइयाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नाठिइए पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नठिइयस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तुल्ले वनगंध-रसफासपजवेहिं दोहिं अन्नाणेहिं दोहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 5 / उकोसठिइएवि एवं चेव, णवरं दो नाणा दो अन्नाणा दो दंसणा, अजहन्नमणुको सटिइएवि एवं चेच, नवरं ठिईए चउट्ठाणवडिए तिनि णाणा तिन्नि अन्नाणा तिन्नि देसणा 6 / जहन्नगुणकालगाणं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा. गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 7 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहन्नगुणकालगाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं अणंता पज्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नगुणकालए पंचिदियतिरिवखजोगिए जहन्नगुणकालगस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्टाणवडिए ठिईए चउट्टाणवडिए कालवन्नपजवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नगंध रसफासपजवेहिं तिहि नाणेहिं तिहिं अन्नाणेहि तिहिं दंसणेहिं छट्ठाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 8 / एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्न-मणुकोस-गुणकालएवि एवं चेव, नवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, एवं पंच वन्ना दो गंधा पंच रसा अट्ट फासा 1 / जहन्नाभिणिबोहियणाणीणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 10 / से कणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! जहन्नाभिणिबोहियणाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नाभिणिबोहियणाणिस्स पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स दवट्ठयाए तुल्ले ‘पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंध-रसफास