________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 5 j [ 16 पज्जवेहिं छट्ठाणवडिए ग्राभिणिवोहियनाणपजवेहिं तुल्ले सुयनाणपजवेहि छट्ठाणवडिए चक्खुदंसणपजवेहिं अचक्खुदंसणपजवेहिं छट्ठाणवडिए से एए?णं जाव पन्नत्ता 11 / एवं उक्कोसाभिणिबोहियनाणीवि, णवरं ठिईए तिट्ठाणवडिए, तिन्नि नाणा तिन्नि दंसणा सट्टाणे तुल्ले सेसेसु छट्ठाणवडिए 12 / यजहन्न-मणुकोसाभिणिबोहियनाणी जहा उक्कोसाभिणिबोहियनाणी णवरं ठिईए चउट्टाणवडिए, सटाणे छट्ठाणवडिए एवं सुयनाणीवि 13 / जहन्नोहिनाणीणं भंते ! पंचिंदियतिरिक्ख जोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! श्रणता पजवा पन्नत्ता 14 / से केण?णं भंते ! एवं वुचइ ?, गोयमा ! जहन्नोहिनाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिए जहन्नोहिनाणिस्स पंचिंदियतिरिवखजोणियस्स दबट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले योगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिहाणवडिए वन्नगंध-रसफासपज्जवेहिं आभिणिवोहियनाणसुयनाणपजवेहि छट्ठाणवडिए योहिनाणपजवेहिं तुल्ले, अन्नाणा नस्थि, चक्खुदसणपजवेहिं यवखुदंसणपजवेहिं य योहिदंसणपजवेहिं छट्टाणवडिए से एएण?णं जाव पन्नत्ता 15 / एवं उकोसोहिनाणीवि अजहन्नोकोसोहिनाणीवि एवं चेव, णवरं सट्ठाणे छट्ठाणवडिए, जहा आभिणिबोहियनाणी तहा मइयन्नाणी सुयअन्नाणी य, जहा योहिनाणी तहा विभंगनाणीवि, चवखुदंसणी अवखुदंसणी य जहा ग्राभिणिबोहियनाणी, योहिदंसणी जहा योहिनाणी, जत्थ नाणा तत्थ अन्नाणा नत्थि जत्थ अन्नाणा तत्थ नाणा नत्थि, जत्थ दंसणा तत्थ णाणावि अनाणावि अस्थित्ति भाणियव्वं 16 // सूत्रं 115 // जहन्नोगाहणगाणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइजहन्नोगाहणगाणं मणुस्साणं अणंता पजवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जहन्नोगाहणए मणूसे जहन्नोगाहणगस्स मणूसस्स दव्वट्टयाए तुल्ले पएसट्टयाए