________________ 210 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः षष्ठो विभागः अहवराणं अंगुल-तइयवग्गमूल-घणप्पमाणमेत्ताश्रो सेढीयो, सेसं तं चेव 15 // सूत्रं 180 // पराणवणाए भगवइए बारसमं सरीरपयं समत्तं // ___ // इति द्वादशमं पदम् // 12 // // अथ श्री परिणामाख्यं त्रयोदशं पदम् // कतिविधे णं भंते ! परिणामे पराणत्ते ?, गोयमा ! दुविहे परिणाम पन्नत्ते, तंजहा-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य॥ सूत्रं 181 // जीवपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दसविधे पन्नत्ते, तंजहागतिपरिणाम 1 इंदियपरिणामे 2 कसायपरिणामे 3 लेसापरिणामे 4 जोगपरिणामे 5 उपयोगपरिणामे 6 णाणपरिणामे 7 दंसणपरिणामे 8 चरित्तपरिणामे 1 वेदपरिणामे 10 // सूत्रं 182 // गतिपरिणामे णं भंते / कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविहे पन्नत्ते, तंजहा-नरयगतिपरिणामे तिरियगतिपरिणामे मणुयगतिपरिणामे देवगतिपरिणामे 1 / इंदियपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-सोतिंदियपरिणामे चक्खिदियपरिणामे घाणिदियपरिणाम जिभिदियपरिणामे फासिदियपरिणामे 2 / कसायपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! चउविधे पन्नत्ते, तंजहा-कोहकसायपरिणामे माणकसायपरिणामे मायाकसायपरिणामे लोभकसायपरिणामे 3 / लेस्सापरिणामेणं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! छविहे पन्नत्ते, तंजहा-कराहलेसापरिणामे नीललेसापरिणामे काउलेसापरिणामे तेउलेसापरिणामे पम्हलेसापरिणामे सुक्कलेसापरिणामे 4 / जोगपरिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! तिविधे पन्नत्ते, तंजहा–माजोगपरिणामे वइजोगपरिणामे कायजोगपरिणाम 5 / उवयोगपरिणामे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पत्नत्ते, तंजहा-सागारोवयोगपरिणामे य अणागारोवयोगपरिणामे य 6 / णाण