________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 22 / [ 315 अहवा सत्तविहबंधगा य अविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगा य 3 / एवं असुरकुमारावि जाव थणियकुमारा पुढवि-बाउ-तेउ-वाउ. वणप्फइकाइया, य, एए सव्वेवि जहा श्रोहिया जीवा, अवसेसा जहा नेरइया, एवं ते जीवेगिदियवजा तिगिण तिगिण भंगा सव्वत्थ भाणियब्वति, जाव मिच्छादसणसल्लेणं, एवं एगत्तपोहत्तिया छत्तीसं दंडगा होति 4 / // सूत्रं 281 // जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कति किरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं नेरइए जाव वेमाणिए 1 / जीवा णं भंते ! णाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कतिकिरिया ?, गोयमा ! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरियावि, एवं नेरइया निरंतरं जाव वेमाणिया, एवं दरिसणावरणीयं वेदणिज्ज मोहणिज्ज ग्राउयं नामं गोत्तं अंतराइयं च अट्ठविहकम्मपगडीतो भाणितव्वाश्रो, एगत्तपोहत्तिया सोलस दंडया भवंति 2 / जीवे णं भंते ! जीवातो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिह अकिरिए 3 / जीवे णं भंते ! नेरइयायो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए, एवं जाव थणियकुमारायो, पुढविकाइयातो पाउकाइयातो तेउकाइयातो वाउकाइयवणप्फइकाइय बेइंदिय-तेइंदिय-चरिंदिय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियमणुस्सातो जहा जीवातो, वाणमंतर-जोइसियवेमाणियातो जहा नेरझ्यातो 4 / जीवे णं भंते ! जीवेहिंतो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिते सिय अकिरिए 5 / जीवे णं भंते ! नेरइएहितो कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिते सिय अकिरिए, एवं जहेव पढमो दंडतो तहा एसोवि बितियो भाणितव्यो जाव वेमाणियत्ति 6 / जीवा णं भंते ! जीवातो कतिकिरिया ?, गोयमा ! सिय तिकिरियावि सिय चउकिरियावि सिय पंचकिरियावि सिय अकिरियावि 7 / जीवा णं