________________ श्रीमत्प्रज्ञापना-सूत्रम् :: पदं 1] महुर-रसपरिणतावि, फासयो गुरुय-फासपरिणतावि लहुय-फासपरिणतावि सीत-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणतावि गिद्ध-फासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणतावि तंस-मराठाणपरिणलावि चउरंग-सराठाणपरिणतावि अायत-सराठाणपरिणयावि 23, 20 / जे फासयो मउयफासपरिणता ते वराणो काल-वराणपरिणतावि नील-वगणपरिणतावि लोहिय-वराणपरिणतावि हालिद-वराणपरिणयावि सुकिल्ल-वराणपरिणयावि, गन्धयो सुन्भि-गन्धपरिणतावि दुन्भि-गन्धपरिणतावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणतावि महुर-रसपरिणतावि, फासयो गुरुय-फासपरिणयावि लहुय-फासपरिणयावि सीत-फासपरिणयावि उसिण-फासपरिणयावि गिद्धफासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणयावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणयावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सरागणपरिणयावि चउरंससराठाणपरिणयावि श्रायय-सराठाणपरिणयावि 23, 21 / जे फासयो गुरुय-फासपरिणता ते वराणयो काल-बराणपरिणतावि नील-वरणपरिणतावि लोहिय–वरणपरिणतावि हालिद-वराणपरिणतावि सुकिल्लवरणपरिणतावि, गन्धयो सुब्भि-गन्धपरिणतावि दुन्भि-गन्धपरिणतावि, रसयो तित्त-रसपरिणतावि कडुय-रसपरिणतावि कसाय-रसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणतावि महुर-रसपरिणतावि, फासयो कक्खड-फासपरिणतावि मउयफासपरिणतावि सीय-फासपरिणतावि उसिण-फासपरिणतावि गिद्ध-फासपरिणतावि लुक्ख-फासपरिणतावि, सराठाणयो परिमण्डल-सराठाणपरिणतावि वट्ट-सराठाणपरिणयावि तंस-सराठाणपरिणयावि चउरंस-सराठाणपरिणयावि पायय-सरााणपरिणयावि 23, 22 / जे फासो लहुय-फासपरिणता ते वगणो काल-वगणपरिणतावि नील-वरणपरिणयावि लोहिय तावि लुक्ख-यावि तंत्र-सटाण जे का