________________ 324 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः दंसणवत्तिया किरिया नो कजति 1 / मणूसस्स जहा जीवस्स 10 / वाणमंतरजोइसियवेमाणिया णं जहा नेरइयस्स 11 / एतासि णं भंते ! श्रारंभियाणं जाव मिच्छादसणवत्तियाण य कतरे 2 हिंतो अप्पा वा 4 ?, गोयमा ! सव्वत्थोवायो मिच्छादंसणवत्तियायो किरियायो, अपञ्चक्खाणकिरियायो विसेसाहियायो, परिग्गहियातो विसेसाहियात्रो, श्रारंभियातो किरियातो विसेसाहियायो, मायावत्तियातो विसेसाहियातो १२॥सूत्रं 287 // पराणवणाए भगवइए बावीसतिमं किरिया-पयं समत्तं // // इति द्वाविंशतितमं पदम् // 22 // . ॥अथ कर्मप्रकृतिनामके त्रयोविंशतितमे पदे प्रथमोद्देशकः॥ ___कति पगडी 1 कह बंधति 2 कइहिवि गणेहिं बंधए जीवो 3 / कति वेदेइ य पयडी 4 अणुभावो कइविहो कस्स 5 // 1 // कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पराणत्तायो, गोयमा ! अट्ट कम्मपगडीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-णाणावरणिज्जं 1 दंसणावरणिज्जं 2 वेदणिज्ज 3 मोहणिज्ज 4 ग्राउयं 5 नाम 6 गोयं 7 अंतराइयं 8, 1 / नेरझ्याणं भंते ! कइ कम्मपगडीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं 2 / 1 // सूत्रं 288 // कहराणं भंते ! जीवे अट्ठ कम्मपगडीतो बंधति ?, गोयमा ! नाणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं दरिसणावरणिज्ज कम्मं णियच्छति, दंसणावरणिजस्स कम्मस्स उदएणं दंसणमोहणिज्जं कम्मं णियच्छति, दंसणमोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं मिच्छत्तं नियच्छति, मिच्छत्तेणं उदिएणं गोयमा ! एवं खलु जीवो अट्ठ कम्मपगडीतो बंधति 1 / कहराणं भंते ! नेरइए अट्ठ कम्मपगडीश्रो बंधति ?, गोयमा ! एवं चेव, एवं जाव वेमाणिते 2 / कहरणं भंते ! जीवा अट्ट कम्मपगडीतो बंधति ? गोयंमा ! एवं चेव जाव वेमाणिया 3 // 2 // सूत्रं 281 // जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज