________________ 262 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विभागः केवतियं खेत्तं जाणइ ? केवतियं खेत्तं पासइ ?, गोयमा !, बहुतरागं खेत जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासइ दूरतरखेत्तं जाणइ दूरतरखेत्तं पासइ वितिमिरतरागं खेत्तं जाणइ वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ 3 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नीललेसे णं नेरइए कराहलेसं नेरइयं पणिहाय जाव विसुद्धतरागं खेत्तं जाणइ ? विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ ?, से जहा नामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिजायो भूमिभागायो पव्वयं दुरूहति दुरूहित्ता सव्वयो समंता समभिलोएजा तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाय सव्वयो समंता समभिलोएमाणे 2 बहुतरागं खेत्तं जाणइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नीललेस्से नेरइए कराहलेसं नेरइयं जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ 4 / काउलेस्से णं भंते ! नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाय अोहिणा सव्वत्रो समंता समभिलोएमाणे. 2 केवतियं खेत्तं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! बहुतरागं खेतं जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासइ जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासति 5 / से कणठेणं भंते ! एवं वुञ्चतिकाउलेस्से णं नेरइए जाव विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ ?, गोयमा ! से जहा नामए केइ पुरिसे बहुप्समरमणिजायो भूमिभागायो पव्वयं दुरूहइ 2 रुक्खं दुरूहति दुरूहित्ता दोवि पाए उच्चाविया (वइत्ता) सव्वयो समंता समभिलोएजा, तए णं से पुरिसे पव्वयगयं धरणितलगयं च पुरिसं पणिहाय सव्वयो समंता समभिलोएमाणे बहुतरागं खेत्तं जाणइ बहुतरागं खेत्तं पासइ जाव वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ विसुद्धतरागं खेनं पासइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइकाउलेस्से णं नेरइए नीललेस्सं नेरइयं पणिहाय तं चेव . जाव वितिमिरतरागं खेत्तं पासइ विसुद्धतरागं खेत्तं पासइ // सूत्रं 223 // कराहलेसे णं भंते ! जीवे कइसु नाणेसु होजा ?, गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चंउसु वा नाणेसु होजा, दोसु होमाणे श्राभिणिबोहियसुयनाणे होजा, तिसु होमाणे