________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् // पदं 17-3 ] [ 261 काउलेसे तेउकाइप कराहलेसेसु नीललेसेसु काउलेसेसु तेउकाइएसु उववज्जइ कराहलेसे नीललेसे काउलेसे उववट्टइ जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ ?, हंता गोयमा ! कराहलेसे नीललेसे काउलेसे तेउकाइए कराहलेसे नीललेसे काउलेसेसु तेउकाइएसु उववजइ सिय कराहलेसे उब्वट्टइ सिय नीललेसे उववट्टति सिय काउलेसे उववट्टइ सिय जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ, एवं वाउकाइय-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियावि भाणियव्वा 11 / से नूणं भंते ! कराहलेसे जाव सुकलेसे पंचेंदियतिरिक्खजोणिया कराहलेसेसु जाव सुकलेसेसु पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिएसु उववजइ ?, पुच्छा, हंता गोयमा !, कराहलेसे जाव सुकलेस्से पंचेंदियतिरिक्खजोणिए कराहलेसेसु जाव सुकलेसेसु पंचेंदियतिरिक्खजोणियेसु उवबजति सिय कराहलेसे उववट्टइ जाव सिय सुक्कलेस्से उववट्टइ सिय जल्लेसे उववजइ तल्लेसे उववट्टइ 12 / एवं मणूसेवि / वाणमंतरा जहा असुरकुमारा जोइसियवेमाणियावि, एवं चेव, नवरं जस्स जल्लेसा, दोराहवि चयणंति भाणियव्वं 13 // सूत्रं 222 // कराहलेसे णं भंते ! नेरइए कराहलेसं नेरइयं पणिहाए ओहिणा सव्वश्रो समंता समभिलोएमाणे केवतियं खेत्तं जाणइ ?, केवइयं खेत्तं पासइ ?, गोयमा !, णो बहुयं खेत्तं जाणइ णो बहुयं खेत्तं पासइ णो दूरं खेत्तं जाणइ णो दूरं खेत्तं पासइ इत्तरियमेव खित्तं जाणइ इत्तरियमेव खेत्तं पासइ 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ कराहलेसे णं नेरइए तं चेव जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ ?, गोयमा !, से जहा नामए केइ पुरिसे बहुसमरमणिज्जंसि भूमिभागसि ठिचा सव्वयो समंता समभिलोएजा; तए णं से पुरिसे धरणितलगयं पुरिसं पणिहाए सवयो समंता समभिलोएमाणे णो बहुयं खेत्तं जाव पासइ जाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ कराहलेसे णं नेरइए नाव इत्तरियमेव खेत्तं पासइ 2 / नीललेसे णं भंते ! नेरइए कराहलेसं नेरइयं पणिहाय प्रोहिणा सव्वश्रो समंता समभिलोएमाणे 2