________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 31-32 ] [ 367 पोग्गलं श्रणंतपदेसियं खधं पासति न जाणति 5 // सूत्र 314 // पासणयापयं समत्तं // // इति त्रिंशत्तमं पदम् // 30 // // अथ संज्ञापरिणामाख्यं एकत्रिंशत्तमं पदम् // . जीवा णं भंते ! कि सरणी असरणी नोसरणीनोअसरणी ?, गोयमा ! जीवा सराणीवि असरणीवि नोसरणीनोसराणीवि 1 / नेरइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नेरइया सराणीवि असरणीवि नो नोसराणीनोअसराणी, एवं असुरकुमारा जाव थणियकुमारा 2 / पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! नो सरणी असराणी, नो नोसरणीनोंअमराणी, एवं बेइंदिय-तेइंदिय-चरिंदियावि, मणूसा जहा जीवा, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया वाणमंतरा य जहा नेरइया, जोतिसियवेमाणिया सरणी नो असगणी नो नोसराणीनोग्रसरणी 3 / सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा ! नो सराणी नो असराणी नोसरिणनोअसराणी,-नेरइयतिरियमणुया य वणयरगसुरा इ सराणी सराणी य / विगलिंदिया असरणी जोतिसवेमाणिया सराणी // 1 // सूत्रं 315 // पराणवणाए सगणीपयं समत्तं // // इति एकत्रिंशत्तमं पदम् // 31 // // अथ संयमयोगाख्यं द्वात्रिंशत्तमं पदम् // जीवा णं भंते ! किं संजया असंजया संजया 2 नोसंजयानोअसं. जयानोसंजया संजय ?, गोयमा ! जीवाणं संजयावि 1 असंजयावि 2 संजयासंजयावि 3 नोसंजयानोअसंजयानोसंजयासंजयावि 4, 1 / नेरइया णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! नेरइया नो संजया असंजया नोसंजयासंजया नो नोसंजयनोसंजयनोसंजयासंजया, एवं जाव चउरिंदि 2 | पंचिंदियतिरि