________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं. 25 / [ 347 श्राउयं कम्मं बंधमाणे कतिकम्मपगडियो बंधइ ?, गोयमा / नियमा अट्ट, एवं नेरइए जाव वेमाणिए एवं पुहुत्तेणवि 13 / णामगोयअंतराइयं बंधमाणे जीवे कतिकम्मपगडियो बंधइ ?, गोयमा ! जीवा णाणावरणिज्ज बंघमाणे जाहिं बंधति ताहिं भाणितव्यो, एवं नेरइएवि, जाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेणवि भाणियव्वं 14 // सूत्रं 211 // पराणवणाए भगवईए चउवीसतिमं पयं समत्तं // // इति चतुर्विंशतितमं पदम् // 24 // // अथ कर्मवेदाख्यं पञ्चविंशतितमं पदम् // कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पन्नत्तायो?, गोयमा ! अट्ट कम्मपगडीतो पराणत्तायो, तंजहा-णाणावरणिज्जं जाव यंतराइयं, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 1 / जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! नियमा अट्ट कम्मपगडीतो वेदेति,एवं नेरइए जाव वेमाणिए, एवं मुहुत्तेणवि, एवं वेदणिजवज्जं जाव अंतराइयं 2 / जीवे णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! सत्तविहवेदए वा अट्ठविहवेदए वा चउबिहवेदए वा, एवं मणूसेवि, सेसा नेरझ्याति एगत्तेण पुहुत्तेणवि नियमा अट्ठ कम्मपगडीयो वेदंति जाव वेमाणिया 3 / जीवा णं भंते ! वेदणिज्ज कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीतो वेदेति ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा अट्टविहवेदगा य चउविहवेदगा य अहवा अट्ठविहवेदगा य चउविहवेदगा य सत्तविहवेदगे य अहवा अट्ठविहवेदगा य चउविहवेदगा य सत्तविहवेदगा य 3, एवं मणूसावि भाणियव्वा 4 // सूत्रं 300 // पराणवणाए भगवईए कम्मवेदणाम पणवीसतिमं पयं समत्तं // // इति पञ्चविंशतितमं पदम् // 25 //