________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग सूत्रम् पदं 2 ] [57 सुवरणकुमाराणां पजत्तापजत्तागां ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, एत्थ णं बहवे सुवरणकुमारा देवा परिवति, वेणुदेवे य इत्थ सुवनिदे सुवन्नकुमारराया परिवसइ, सेसं जहा नागकुमाराणां 13 / कहि णं भंते ! उत्तरिलागां सुवन्नकुमाराणां देवाणं पजत्तापजत्ताणां ठाणा पन्नत्ता ?, कहि णं भंते ! उत्तरिल्ला सुवन्नकुमारा देवा परिवसंति ?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए जाव एत्थ णं उत्तरिल्लाणां सुवन्नकुमाराणां चउतीसं भवणावास-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं, ते णं भवणा जाव एत्थ णं बहवे उत्तरिल्ला सुवन्नकुमारा देवा परिवसंति महिड्डिया जाव विहरंति, वेणुदाली इत्थ सुवन्नकुमारिंदे सुवनकुमारराया परिवसइ महिड्डीए सेसं जहा नागकुमाराणां 14 / एवं जहा सुवन्नकुमारागां वत्तव्वया भणिया तहा सेसाणवि उदसराहं इंदागां भाणियवा 15 / नवरं भवणणाणत्तं इंदणाणत्तं वनणाणत्तं परिहाणणाणत्तं च इमाहिं गाहाहिं अणुगंतव्वं-चउसद्धिं असुराणं चुलसीतं चेव होति नागाणं। बावत्तरि सुवन्ने वाउकुमाराण छन्नउई // 138 // दीवदिसाउदहीणां विज्जुकुमारिंद-थणियमग्गीणां / छहंपि जुअलयागां बावत्तरिमो सयसहस्सा // 136 // चउतीसा चउयाला अट्टत्तीसं च सयसहस्साइं / पन्ना चत्तालीसा दाहिणयो हुंति भवणाई // 140 // तीसा चत्तालीसा चउतीसं चेव सयसहस्साई। छायाला छत्तीसा उत्तरो हुँति भवणाई // 141 // चउसट्ठी सट्ठी खलु छच्च सहस्साई असुरवजाणं / सामाणिया उ एए चउग्गुणा थायरक्खा उ // 142 // चमरे धरणे तह वेणुदेवे हरिकंत अग्गिसीहे य। पुन्ने जलकते या अमिय विलम्बे य घोसे य // 143 // बलि भूयाणंदे वेणुदालि हरिस्सहे अग्गिमाणव विसि? / जलपह तहऽमियवाहणे पभंजणे य महाघोसे // 144 // उत्तरिल्ला णं जाव विहरति / काला असुरकुमारा नागा उदही य पंडुरा दोवि / वरकणग-निहसगोरा हुंति सुवन्ना दिसा थणिया // 145 // उत्तत्त-कणगवन्ना विज्जू अग्गी य होति