________________ 274 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठी विभागः // अथ कायस्थितिनामक अष्टादशं पदम् // जीव 1 गइंदिय 2-3 काए 4 जोए 5 वेए 6 कसायलेसा 7-8 य / सम्मत्तणाणदंसण 1.10-11 संजय 12 उपयोग 13 श्राहारे 14 // 1 // भासगपरित्त 15-16, पजत्त 17 सुहूम 18 सन्नी 11 भवात्थि 20.21 चरिमे 22 य / एतेसिं तु पदाणं कायठिई होइ णायव्वा // 2 // 1 / जीवे णं भंते ! जीवेत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! सव्वद्धं / दारं 1, 2 / नेरइए णं भंते ! नेरइएत्ति कालश्रो केचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई 3 / तिरिक्खजोणिए णं भंते ! तिरिक्खजोणिएत्ति कालयो केच्चिरं होइ ?, गोयमा ! जहराणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं गणतं कालं अनंतायो उस्सप्पिणियोसप्पिणीयो कालतो खेत्तयो अणंता लोगा असंखेज-पोग्गल-परियट्टा ते पुग्गलपरियट्टा श्रावलियाए असंखिजइभागे 4 / तिरिक्खजोणिणी णं भंते ! तिरिक्खजोणिणित्ति कालयो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं तिन्नि पलियोवमाइं पुनकोडिपुहुत्त-मभहियाइं 5 / एवं मणुस्सेवि मणुस्सीवि एवं चेव 6 / देवे णं भंते ! देवत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहेव नेरइए 7 / देवी णं भंते ! देवित्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई उक्कोसेणं पणवन्नं पलियोवमाई 8 / सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालतो केवच्चिरं होइ ?, गोयमा ! सादिए अपज्जवसिए 1 / नेरइय-अपजत्तए णं भंते / नेरइय-अपजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जाव देवी अपज्जत्तिया 10 / नेरझ्यपजत्तए णं भंते ! नेरइयपजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं दस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई 11 / तिरिक्खजोणियपजत्तए णं भंते ! तिरिक्खजोणिय-पजत्तएत्ति कालतो केवचिरं होइ ?,