________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 1 ] यावना तहाविहा // 83 // सू० 24 // चक्कागं भजमाणस्स, गंठी चुन्नघणो भवे / पुढविसरिसेण भेएण, अणंतजीवं वियाणाहि // 84 // गूढसिरागं पत्तं सच्छीरं जं च होइ निच्छीरं। जंपि य पणट्टसन्धि अणंतजीवं वियाणाहि // 85 // पुष्पा जलया थलया य बिंटबद्धा य नालबद्धा य / संखिजमसंखिजा बोद्धव्वाऽणंतजीवा य // 86 // जे केइ नालियाबद्धा पुष्फा संखिजजीविया भणिया। निहुया अणंतजीवा जे यावन्ने तहाविहा // 87 // पउमुप्पलिणीकंदे अंतरकंदे तहेव भिल्ली य / एए अणंतजीवा एगो जीवो बिसमुणाले // 88 // पलंडू-लहसुणकंदे य, कंदली य कुसुंबए। एए परित्तजीवा, जे यावन्ने तहाविहा // 8 // पउमुप्पल-नलिणाणं, सुभग-सोगंधियाण य / अरविंद-कुंकणाणं, सयवत्तसहस्सपत्ताणं // 10 // बिटं बाहिरपत्ता य, कनिया चेव एगजीवस्स / अभितरगा पत्ता पत्तेयं केसरा मिजा॥११॥ वेणुनल इक्खुवाडिय समास(ममसा, गसमा, मसमा)इक्खू य इकडे रंडे / करकर सुठि विहंगू नणाण तह पव्वगाणं च // 12 // अच्छि पव्वं बलिमोडयो य ऐगस्स होति जीवस्स / पत्तेयं पत्ताई पुप्फाई अणेगजीवाइं // 13 // पूसफलं कालिंगं तु तउसेल वालुवालुकं। घोसाडय पडोलं तिंदूयं चेव तेंदूसं // 14 // बिटसमं सकडाहं एयाई हवंति एगजीवस्स / पत्तेयं पत्ताई सकेसरं केसरं मिजा // 15 // सप्फाए सज्झाए उव्वेहलिया य कुहण-कंदुक्के / एए अणंतजीवा कंदुक्के होइ भयणा उ॥ 16 // सू० 25 // बीए जोणिभूए जीवो वकमइ सो व अन्नो वा / जोवि य मूले जीवो सोऽवि य पत्ते पढमयाए // 17 // सव्वोऽवि किसलयो खलु उग्गममाणो अणंतत्रो भणियो / सो चेव विवढतो होइ परित्तो अणंतो वा // 18 // समयं कक्कंताणं समयं तेसि सरीरनिव्वत्ती। समयं प्राणुग्गहणं समयं ऊसासनीसासो // 11 // इक्कस्स उ जं गहणं बहूण साहारणाण तं चेव / जं बहुयाणं गहणं