________________ :22 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः समासश्रो तंपि इक्कस्स // 100 // साहारण-माहारो साहारण-माणपाणगहणं च। साहारणजीवाणं साहारणलवखणं एवं // 101 // जह अयगोलो धंतो जायो तत्त-तवणिज्ज-संकासो / सो अगणिपरिणयो निगोयजीवे तहा जाण // 102 // एगस्स दोराह तिराह व संखिजाण व न पासिउं सका। दीसंति सरीराइं निगोय-जीवाणऽणताणं // 10 3 // लोगागासपएसे निगोयजीवं ठवेहि इकिक्कं / एवं मविजमाणा हवंति लोगा अणंता उ॥ 104 // लोगागासपएसे परित्तजीवं ठवेहि इक्किक्कं / एवं मविजमाणा हवंति लोगा असंखिज्जा // 105 // पत्तेया पजत्ता पयरस्स असंखभागमित्ता उ। लोगाऽसंखाऽपजत्तयाण साहारणमणंता // 106 // एएहिं सरीरेहिं पञ्चक्खं ते परूविया जीवा। सुहमा आणागिज्झा चक्खुप्फासं न ते इंति // प्र० // 107 // १।जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपज्जत्तगा य, तत्थ णं जे ते अपजत्तगा ते णं असंपत्ता, तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा तेसि णं वन्नाएसेणं गंधाएसेणं रसाएसेणं फासाएसेणं सहस्सग्गसो विहाणाई, संखिजाई जोणिप्पमुह-सयसहस्साई, पजत्तगनीसाए अपजत्तगा वकमंति, जत्थ एगो तत्थ सिय संखिजा सिय असंखिज्जा सिय अणंता 2 / एएसि णं इमायो गाहारो घणुगंतव्वाश्रो, तंजहा-कंदा य कंदमूला य, रुक्खमूला इयावरे। गुच्छा य गुम्मवल्ली य, वेणुयाणि तणाणि य॥ 108 // पउमुप्पल संघाडे हढे य सेवाल किन्नए पणए। अवए य कच्छमाणी कंदुक्केगूणवीसइमे // 101 // तय छल्लि पदालेसु य, पत्तपुष्फफलेसु य / मूलग्ग-मज्झबीएसु, जोणी कस्सवि कित्तिया // 110 // सेत्तं साहारणसरीर-बायर-वणस्सइकाइया 3 / सेत्तं साहरणसरीरवणस्सइकाइया, सेत्तं बायर-वणस्सइकाइया; सेत्तं वणस्सइकाइया, सेत्तं एगिदिया 4 // सू० 26 // से किं तं बेइंदिय-संसारसमावरण-जीवपराणवणा ?, बेइंदिय-संसार