________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 1 ) [ 23 समावराण-जीवपराणवणा गणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-पुलाकिमिया कुच्छिकिमिया गंडूयलगा गोलोमा णेउरा सोमंगलगा वंसीमुहा सूइमुहा गोजलोया जलोया जालाउया संखा संखणगा घुल्ला खुल्ला गुलया खंधा वराडा सोतिया मुत्तिया कलुयावासा एगोवत्ता दुहयोवत्ता नंदियावत्ता संबुक्का माइवाहा सिप्पिसंपुडा चंदणा समुहलिक्खा 1 / जे यावन्ने तहप्पगारा, सब्वे ते संमुच्छिमा नपुंसगा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 2 / एएसि णं एवमाझ्याणं बेइंदियाणं पजत्तापजत्ताणं सत्त जाइ-कुलकोडि-जोणी-पमुह-सयसहस्सा भवंतीति मक्खायं 3 / सेत्तं बेइंदियसंसारसमावन्न-जीवपन्नवणा 4 // सू० २७॥से किं तं तेइंदिय-संसार-समावन्न. जीवपन्नवणा ?, तेइंदिय-संसार-समावन्न-जीवपन्नवणा अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-योवइया रोहिणिया कुथू पिपीलिया उद्दसगा उद्दहिया उक्कलिया उप्पाया उकडा उप्पडा तणहाराकट्टहारा मालुया पत्ताहारा तणबेंटिया पत्तबेटिया पुष्फटिया फलबेंटिया बीयबेटिया तेबुरण-मिजिया तयोसि(तउस)-मिंजिया कप्पासट्ठि-मिंजिया हिल्लिया झिल्लिया झिगिरा किंगिरिडा बाहुया लहुया सुभगा सोवत्थिया सुयबेटा इंदकाइया इंदगोवया तुरुतुबगा कुच्छ(कोत्थ)लवाहगा जूया हालाहला पिसुया सयवाझ्या गोम्ही हत्थिसोंडा 1 / जे यावन्ने तहप्पगारा, सव्वे ते समुच्छिमा नपुंसगा, ते समासयो दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगा य अपजत्तगा य 2 / एएसि णं एवमाइयाणं तेइंदियाणं पजत्तापजत्ताणं अट्ठ जाइ-कुलकोडि-जोणिप्पमुह-सयसहस्सा भवंतीति-मक्खायं 3 / सेत्तं तेइंदिय-संसार-समावन्न-जीवपन्नवणा 4 ॥सू० 28 // से किं तं चउरिदिय संसार-समावन्न-जीवपन्नवणा ?, 2 अणेगविहा पन्नत्ता, तंजहा-पंधिय पत्तिय मच्छिय मसगा कीडे तहा पयंगे य / ढेकुण कुक्कड कुक्कुह नंदावत्ते य सिंगिरडे // 111 // किराहपत्ता नीलपत्ता लोहियपत्ता हालिद्दपत्ता सुकिल्लपत्ता चित्तपक्खा विचित्तपक्खा अोहंजलिया जलचारिया