________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् : पदं 1 ] [ 37 केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया ?, अजोगि-केवलि-खीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पढमसमय-अजोगि-केवलिखीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया य अपढमसमय-अजोगि-केवलि-खीणकसायवीयराय-चरित्तारिया य, ग्रहवा चरिमसमय-अजोगि-केवलि-खीणकसायवीयराय-चरित्तारिया य अचरिमसमय-अजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयरायचरित्तारिया य, सेत्तं अजोगि-केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया, सेत्तं केवलि-खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया, सेत्तं खीणकसाय-वीयराय-चरित्तारिया सेत्तं वीयराय-चरित्तारिया 38 / अहवा चरित्तारिया पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-सामाइन-चरित्तारिया छेदोवट्ठावणीय-चरित्तारिया परिहारविसुद्धिचरित्तारिया सुहमसंपराय-चरित्तारिया अहक्खाय-चरित्तारिया य 31 / से किं तं सामाइय-चरित्तारिया ?, सामाइय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहाइत्तरिय सामाइयचरित्तारिया य श्रावकहिय-सामाइयचरित्तारिया य, सेत्तं सामाइयचरित्तारिया 40 / से किं तं छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया ?, छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–साइयार छेदोवठ्ठावणिय-चरित्तारिया य निरइयार-छेदोवट्ठावणिय-चरित्तारिया य, सेत्तं छेदोवठ्ठावणिय-चरित्तारिया 41 / से किं तं परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया ?, परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया दुविहा पनत्ता, तंजहा-निविस्समाण-परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया य निविट्ठकाइय-परिहारविसुद्धिय-चरित्तारिया य, सेत्तं परिहारविसुद्धियचरित्तारिया 42 / से किं तं सुहुमसंपराय-चरित्तारित्ता ?, सुहमसंपरायचरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा–संकिलिस्समाण-सुहुमसंपराय चरित्तारिया य विसुज्झमाण सुहुमसंपराय-चरित्तारिया य, सेत्तं सुहुमसंपरायचरित्तारिया 43 / से किं तं ग्रहक्खाय-चरित्तारिया ?, ग्रहक्खाय-चरित्तारिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-छउमत्थ-ग्रहक्खाय-चरित्तारिया य केवलिअहक्खाय-चरित्तारिया य, सेतं अहवखाय-चरित्तारिया 44 / सेत्तं