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________________ 72 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः सोहम्मीसाणसणंकुमार जाव धारण-अच्चुयकप्पा तिन्निअट्ठारसुत्तरे गेविजगविमाणावाससए वीइवइत्ता तेण परं. दूरंगया नीरया निम्मला वितिमिरा विसुद्धा पंचदिसि पंच अणुत्तरा महइमहालया महाविमाणा पन्नत्ता, तंजहाविजए वेजयंते जयंते अपराजिए सव्वट्ठसिद्धे, ते णं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा सराहा लराहा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरिया सउज्जोया पासाइया दरिसणिज्जा अभिरुवा, पडिरूवा, एस्थ णं अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं पजत्तापजत्ताणं ठाणा पन्नत्ता, तिसुवि लोगस्स असंखेजइभागे, तत्थ णं बहवे अणुत्तरोववाझ्या देवा परिवसंति, सव्वे समिड्डिया सव्वे समबला सव्वे समाणुभावा महासुक्खा अणिंदा अप्पेस्सा अपुरोहिया अहमिंदा नामं ते देवगणा पन्नत्ता समणाउसो! 14 ॥सू० 53 // कहि णं भंते ! सिद्धाणं ठगणा पत्नत्ता ? कहि णं भंते ! सिद्धा परिवसंति?, गोयमा ! सब्वट्ठसिद्धस्स महाविमाणस्स उवरिल्लायो थूभियग्गायो दुवालस जोयणे उड्ड अबाहाए एत्थ णं ईसीपभारा णामं पुढवी पन्नत्ता 1 / पणयालीसं जोयणसयसहस्साई यायामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साई दोनि य अउणापन्ने जोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पन्नत्ता, ईसिपब्भाराए णं पुढवीए बहुमझदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ट जोयणाई बाहल्लेणं पन्नत्ते 2 ।तो अणंतरं च णं मायाए मायाए पएसपरिहाणीए परिहायमाणी परिहायमाणी सव्वेसु चरमंतेसु मच्छियपत्तायो तणुययरी अंगुलस्स असंखेजइभागं बाहरुलेगां पत्नत्ता 3 / ईसीपभाराए णं पुढवीए दुवालस नामधिज्जा पन्नत्ता, तंजहाईसि इ वा ईसीपब्भारा इ वा तणू इ वा तणुतगणू इ वा सिद्धिति वा सिद्धालए वा मुत्तित्ति वा मुत्तालए इ वा लोयग्गेत्ति वा लोयग्ग-थूभियत्ति वा लोयग्ग-पडिवुझणा इ वा सव्वपाण-भूयजीवसत्त-सुहावहा इ वा 4 / ईसीपभारा णं पुढवी सेया संखदल-विमल-सोत्थिय-मुणाल-दगरय-तुसार
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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