________________ भीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / पदं 2 ] [73 गोक्खीर-हारवराणा उत्ताणय-छत्तसंठाणसंठिया सव्वज्जुण-सुवन्नमई अच्छा सराहा लराहा घट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरिया सउज्जोया पासाईया दरिसणिजा अभिरूवा पडिरूवा 5 / ईसीपभाराए णं पुढवीए सीधाए जोयणम्मि लोगंतो तस्स णं जोयणस्स जे से उवरिल्ले गाउए तस्स णं गाउयस्स जे से उवरिल्ले छब्भागे एत्थ णं सिद्धा भगवंतो साइया अपजवसिया अणेग-जाइ-जरा-मरण-जोणि-संसारकलंकलीभाव-पुणब्भव-गम्भवास--वसहीपवंच-समइक्कंता सासयमणागयद्धं कालं चिट्ठति, तत्थवि य ते अवेया अवेयणा निम्ममा असंगा य संसारविषमुक्का पएसनिव्वत्तसंगणा 6 / कहिं पडिहया सिद्धा, कहिं सिद्धा पइट्ठिया / कहिं बोंदि चइत्ता णं, कत्थ गंतूण सिज्झइ ? // 158 // अलोए पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पइट्ठिया / इहं बोंदि चइत्ता णं, तत्थ गंतूण सिज्मइ // 151 // दीहं वा हस्सं वा जं चरिमभवे हविज संठाणं / तत्तो तिभागहीणा सिद्धाणोगाहणा भणिया // 160 // जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयंमि / अासी य पदेसघणं तं संठाणं तहिं तस्स // 161 // तिन्नि सया तित्तीसा धणुत्तिभागो य होइ नायव्यो / एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया // 162 // चत्तारि य रयणीयो रयणी तिभागूणिया य बोद्भवा / एसा खलु सिद्धाणं मन्झिमयोगाहणा भणिया // 163 // एगा य होइ रयणी अट्ठव य अंगुलाई साहिया / एसा खलु सिद्राणं जहन्नयोगाहणा भणिया // 164 // योगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होंति परिहीणा / संठाण-मणित्थंथं (ग्रन्थाग्रं 1500) जरामरणविप्प मुकाणं / / 165 / / जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का। अन्नोऽनसमोगाढा पुटा सब्वेवि लोगंते // 166 // फुसइ अणंते सिद्धे सव्वपएसेहिं नियमसो सिद्धो / तेवि य असंखिजगुणा देसपएसेहिं जे पुट्ठा // 167 // असरीरा जीवघणा उवउत्ता दंसणे य नाणे य / सागार