________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं 3 ] [ 101 तिरियलोए असंखिज्जगुणा 2 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा तसकाइया पजत्तया तेलोक्के उडलोयतिरियलोए असंखिजगुणा होलोयतिरियलोए संखिजगुणा उडलोए संखिज्जगुणा ग्रहोलोए संखिज्जगुणा तिरियलोए असंखिज्जगुणा / दारं 24 ॥सू० 81 // एएसि णं भंते ! जीवाणं अाउयस्स कम्मस्स बंधगाणं यवंधगाणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं सुत्ताणं जागराणं समोहयाणं असमोहयाणं सायावेयगाणं असायावेयगाणं इंदिनोवउत्ताणं नोइंदिग्रोवउत्ताणं सागारोवउत्ताणं अणागारोवउत्ताण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा अाउयस्स कम्मस्स बंधगा 1 अपज्जत्तया संखेज्जगुणा 2 सुत्ता संखेज्जगुणा 3 समोहया संखेज्जगुणा 4 सायावेयगा संखेज्जगुणा 5 इंदियोवउत्ता संखेज्जगुणा 6 यणागारोवउत्ता संखेज्जगुणा 7 सागारोवउत्ता संखेज्जगुणा 8 नोइंदियोवउत्ता विसे साहिया 1 असायावेयगा विसेसाहिया 10 असमोहया विसेसाहिया 11 जागरा विसेसाहिया 12 पज्जत्तया विसेसाहिया 13 याउयस्स कम्मस्स प्रबंधया विसेसाहिया 14 / दारं 25 // सू० 10 // खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा पुग्गला तेलोक्के उडलोयतिरियलोए अणंतगुणा अहोलोयतिरियलोए विसेसाहिया तिरियलोए असंखिज्जगुणा उडलोए असंखिज्जगुणा ग्रहोलोए विसेसाहिया 1 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवा पुग्गला उट्ठदिसाए ग्रहेदिसाए विसेसाहिया उत्तरपुरच्छिमेणं दाहिणपञ्चस्थिमेण य दोवि तुल्ला असंखिज्जगुणा दाहिणपुरच्छिमेण उत्तरपञ्चत्थिमेण य दोवि तुल्ला विसेसाहिया पुरच्छिमेणं असंखिज्जगुणा पञ्चत्थिमेणं विसेसाहिया दाहिणेणं विसेसाहिया उत्तरेणं विसेसाहिया 2 / खित्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाइं दव्याई तेलोक्के उड्डलोयतिरियलोए अणंतगुणाई ग्रहोलोयतिरियलोए विसेसाहियाइं उडलोए असंखिज्जगुणाई ग्रहोलोए अणंतगुणाई तिरियलोए संखिज्जगुणाई 3 / दिसाणुवाएणं सव्वत्थोवाई