________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं १५-उ० 2 ) [ 227 तंजहा-दविदिया य भाविदिया य 1 / कति | भंते ! दबिदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! अट्ठ दबिदिया पन्नत्ता, तंजहा-दो सोत्ता दो नेत्ता दो घाणा जीहा फासे 2 / नेरइयाणं भंते ! कति दविदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! अट्ठ एते चेव, एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणवि 3 / पुढविकाइयाणं भंते ! कति दधिदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! एगे फामिदिए पन्नत्ते, एवं नाव वणस्सइकाइयाणं 4 / बेइंदियाणं भंते ! कति दबिंदिया पन्नत्ता ?, गोयमा! दो दबिंदिया पन्नत्ता, तंजहा-फासिदिए य जिभिदिए य 5 / तेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! चत्तारि दबिंदिया पन्नत्ता, तंजहा-दो घाणा जीहा फासे 6 / चरिंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! छ दविदिया पन्नत्ता, तंजहा-दो णेत्ता दो घाणा जीहा फासे, सेसाणं जहा नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं 7 | एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया दविदिया अतीता ?, गोयमा ! श्रणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! अट्ट, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! श्रट्ट वा सोल वा सत्तरस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा 8 / एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, अट्ट, केवइया पुरेक्खडा ?, अट्ठ वा नव वा सत्तरस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियव्वं 1 / एवं पुदविकाइया ग्राउकाइया वणस्सइकाइयावि, नवरं केवइया बद्धेल्लगत्ति पुच्छाए उत्तरं एक्के फासिंदियदविदिए 10 / एवं तेउकाइयवाउकाइयस्सवि, नवरं पुरेक्खडा नव वा दस वा 11 / एवं बेई. दियाणवि, णवरं बद्धेलगपुच्छाए दोगिण, एवं तेइंदियस्सवि, णवरं बद्धेलगा चत्तारि, एवं चउरिदियस्सवि नवरं बद्धलगा छ 12 / पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा वाणमंतरा जोइसियसोहम्मीसाणगदेवस्स जहा असुरकुमारस्स, नवरं मणूसस्स पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ णस्थि, जस्सस्थि अट्ट वा नव वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, सणंकुमार-माहिंद