________________ 268 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / षष्ठो विभागः गोयमा ! णो इणटठे समटठे. पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव जाव मणामयरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता 5 / सुक्कलेस्सा णं भंते ! केरिसिया शास्साएणं पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए गुले इ वा खंडे इ वा सकरा इ वा मच्छंडिया इ वा पप्पडमोदए इ वा भिसकंदए इ वा पुप्फुत्तरा इ वा पउमुत्तरा इ वा श्रादंसिया इ वा सिद्धत्थिया इ वा श्रागासफालितोवमा इ वा उयमा इ वा अणोवमा इ वा, भवेतारूवे ?, गोयमा ! णो इणठे समठे, सुक्लेस्सा एत्तो इट्टतरिया चे कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणामयरिया चेव श्रासाएणं पन्नत्ता 6 // सूत्रं 227 // कइ णं भंते ! लेस्सायो दुब्भिगंधारो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तो लेस्सायो दुभिगंधारो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेस्सा नीललेस्सा काउलेस्सा 1 / कइ णं भंते ! लेस्सायो सुब्भिगंधायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! तो लेस्सायो सुभिगंधायो पत्नत्तायो, तंजहा-तेउलेस्सा पम्हलेस्ता सुकलेस्सा 2 / एवं तयो अविसुद्धायो तो विसुद्धायो, तो अप्पसत्थायो तयो पसत्थाश्रो, तो संकिलिट्टायो तो असंकिलिट्ठायो, तो सीतलुक्खायो तश्रो निद्धराहायो, तत्रो दुग्गतिगामियायो तश्रो सुगतिगामियायो 3 // सूत्रं 228 // कराहलेस्सा णं भंते ! कतिविहं परिणाम परिणमति ?, गोंयमा ! तिविहं वा नवविहं वा सत्तावीसविहं वा एकासीतिविहं वा बेतेयालीसतविहं वा बहुयं वा बहुविहं वा परिणाम परिणमइ, एवं जाव सुकलेसा 1 / कराहलेसा णं भंते ! कतिपदेसिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंतपदेसिया पन्नत्ता, एवं जाव सुक्कलेसा 2 / कराहलेस्सा णं भंते ! कइपएसोगाढा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजपएसोगाढा पन्नत्ता, एवं जाव सुकलेस्सा 3 / कराहलेस्साए णं भंते ! केवतियायो वग्गणायो पन्नत्तायो ?. गोयमा ! अणंतायो वग्गणायो पन्नत्तायो, एवं जाव सुक्कलेस्साए 4 // सूत्रं 221 // केवतिया णं भंते ! कराहलेस्साणं गणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा कराहलेस्साणं गणा