________________ 272 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागः खलु सा पम्हलेसा तत्थगया श्रोसकइ, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव णो परिणमइ 8 // सूत्रं 231 // पराणवणाए भगवईए. लेसापदे पंचमुद्दे सो समत्तो॥ // इति सप्तदशम-पदे पञ्चम उद्देशकः // 17-5 // // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदशम-पदे षष्ठोद्देशकः // कति णं भंते ! लेसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ लेसा पन्नत्ता, तंजहाकराहलेसा जाव सुकलेसा 1 / मणुस्साणं भंते ! कइ लेसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! छ लेस्सायो पनत्तायो तंजहा-कराहलेसा जाव सुक्कलेसा 2 / मणुस्सी णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! छल्लेस्सागो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव सुका 3 / कम्मभूमय-मणुस्साणं भंते ! कइ लेसायो पनत्तायो ?, गोयमा ! छ लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव सुक्का, एवं कम्मभूमय-मणुस्सीणवि 4 / भरहेरवय-मणुस्साणं भवे ! कति लेसायो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! छलेस्सायो पत्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव सुक्का, एवं मणुस्सीणवि 5 / पुजविदेहे अवरविदेहे कम्मभूमय-मणुस्साणं भंते ! कइ लेस्सायो पनत्तायो ? गोयमा ! छ लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहां-कहा जाव सुक्का, एवं मणुस्सीणवि 6 / अकम्मभूमय-मणुस्साणं पुच्छा, गोयमा ! चत्तारि लेसायो पन्नत्तात्रो, तंजहा-कराहलेसा जाव तेउलेसा, एवं अकम्मभूमिगमणुस्सीणवि, एवं अंतरदीव-मणुस्साणं मणुस्सीणवि 7 / एवं हेमवय-एरनवयअकम्मभूभय-मणुस्साणं मस्सीण य कइ लेसाश्रो पन्नत्तायो?, गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव तेउलेसा | हरिवास-रम्मय-अकम्मयभूमय-मणुस्साणं मणुस्सीण य पुच्छा, गोयमा !चत्तारि लेस्सायो पत्नत्तायो, तंजहा-कराहा जाव तेउलेसा, देवकुरु-उत्तरकुरु-अकम्मभूमय-मणुस्सा एवं चेव, एतेसिं चेव मणुस्सीणं एवं चेव, धायइसंड-पुरिमद्धेवि एवं चेव, पच्छिमद्धेवि, एवं