________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 17-5 ] [ 271 // अथ श्री लेश्याख्य-सप्तदशम-पदे पञ्चमोद्देशकः / / कइ णं भंते ! लेस्सायो पत्नत्तायो ?, गोयमा ! छ लेसायो पन्नत्तायो, तंजहा-कराहलेसा जाव सुकलेसा 1 / से नूणं भंते ! कराहलेस्सा नीललेसं पप्प तारूवत्ताए तावन्नत्ताए तागंधत्ताए तारसत्ताए ताफासत्ताए भुजो भुजो परिणमति, इत्तो थाढत्तं जहा चउत्थुद्देसए तहा भाणियव्वं जाव वेरुलियमणिदिट्ठतोत्ति 2 / से नूणं भंते ! कराहलेसा नीललेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव णो ताफासत्ताए भुजो भुजो परिणमइ ?, हंता गोयमा ! कराहलेसा नीललेस्सं पप्प णो तारूवत्ताए णो तावन्नत्ताए णो तागंधत्ताए णो तारसत्ताए णो ताफासत्ताए भुजो 2 परिणमति 3 / से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! श्रागारभावमायाए वा से सिया पलिभाग-भावमायाए वा से सिया कराहलेस्सा णं सा णो खलु सा नीललेसा तत्थगया श्रोसकइ उस्सकइ वा, से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुचइ कराहलेसा नीललेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति 4 / से नूणं भंते ! नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारुवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति ?, हंता गोयमा ! नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारुवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति ५।से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारुवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति ?, गोयमा ! श्रागारभावमायाए वा सिता पलिभागभावमायाए वा सिता नीललेस्सा णं सा णो खलु सा काउलेसा तत्थगया श्रोसकाइ उस्सकति वा, से एएणठेणं, गोयमा ! एवं वुच्चइ-नीललेसा काउलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति, एवं काउलेसा तेउलेसं पप्प तेउलेसा पम्हलेसं पप्प पम्हलेसा सुकलेसं पप्प. 6 / से नृणं भंते ! सुकलेसा पम्हलेसं पप्प णो तारूवत्ताए जाव परिणमति ?, हंता गोयमा ! सुक्कलेसा तं चेव 7 / से केणठेणं भंते ! एवं वुचति-सुकलेसा जाव णो परिणमति ?, गोयमा ! श्रागारभावमायाए वा जाव सुक्कलेस्सा णं सा णो