________________ 182 ] / श्रीमदागमसुधासिन्धुः पप्ठो बिभागः गुणा अजोणिया अणंतगुणा संवुडजोणिया अणंतगुणा 8 // सूत्रं 152 // कइविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोणी पनत्ता, तंजहा-कुम्मुराणया संखावत्ता वंसीपत्ता 1 / कुम्मुराणया णं जोणी उत्तमपुरिसमाऊगां, कुम्मुराणयाए णं जोणीए उत्तमपुरिसा गब्भे वकमंति, तंजहाअरहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा 2 / संखावत्ता णं जोणी इत्थीरयणस्स, संखावत्ताए णं जोणीए बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमति विउक्कमति चयंति उवचयंति, नो चेव णं णिप्फज्जंति 3 / वंसीपत्ता णं जोणी पिहुजणस्स, . वसीपत्ताए णं जोणीए पिहुजमे गम्भे वकमंति 4 // सूत्रं 153 // पन्नवणाए नवमं जोणीपदं समत्तं // // इति नवमं पदम् // 9 // // अथ श्री चरमाख्यं दसमं पदम् // कति णं भंते ! पुढवीयो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! अट्ठ पुढवीयो पन्नत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा सकरप्पभा वालुयप्पभा पंकप्पभा धूमप्पभा तमप्पभा तमतमप्पभा ईसीपभारा 1 / इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी किं चरमा अचरमा चरमाई अवरमाई चरमंतपदेसा अचरमंतपदेसा ?, गायमा ! इमा णं रयणप्पभा पुढवी नो चरमा नो अचरमा नो चरमातिं नो अचरमाति नो चरमंतपदेसा नो अचरमंतपदेसा नियमा चरमं चरमाणि य चरमंतपदेसा य अचरमंतपदेसा य 2 / एवं जाव अधेसत्तमा पुढवी, सोहम्माती जाव अणुत्तरविमाणाणं, एवं चेव ईसीपभारावि, एवं चेव लोगेवि, एवं चेव अलोगेवि 3 // सूत्रं 154 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए अचरमस्स य चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दवट्टपएसट्टयाए कयरे 2 हितो अप्पा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए दवट्ठ