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________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं ] [ 181 जोणी मीसिया जोणी ?, गोयमा ! नो सचित्ता जोणी अचित्ता जोणी नो मीसिया जोणी, एवं जाव थणियकुमाराणं 3 / पुढवीकाइयाणं भंते ! कि सचित्ता जोणि श्रचित्ता जोणी मीसिया जोणी ?, गोयमा ! सचित्ता जोणी अचित्ता जोणी मीसियावि जोणी, एवं जाव चउरिदियाणं 4 / समुच्छिमपंचेंदिय-तिरिवखजोणियाणं संमुच्छिममणुस्साण य एवं चेव 5 / गम्भवक्कंतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं गम्भवक्कतियमणुस्साण य नो सचित्ता नो अचित्ता मीसिया जोणी 6 / वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं 7 / एतेसि णं भंते ! जीवाणं सचित्तजोणीणं अचित्तजोणीणं मोसजोणीणं अजोणीण य कयरे 2 हिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मीसजोणिया अचित्तजोणिया असंखेजगुणा, अजोणिया अणंतगुणा, सचित्तजोणिया यणंतगुणा 7 // सूत्रं 151 // कइविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोणी पन्नत्ता, तंजहा-संवुडा जोणी वियडा जोणी संवुडवियडा जोणी 1 / नेरइयाणं भंते ! किं संवुडा जोणी वियडा जोणी संवुडवियडा जोणी ?, गोयमा ! संवुडजोणी, नो वियडजोणी नो संवुडवियडजोणी, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं 2 / बेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! नो संवुडजोणी वियडजोणी नो संवुडवियडजोणी 3 / एवं जाव चरिदियाणं 4 / समुच्छिम-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं संमुच्छिममणुस्साण य एवं चेच 5 / गम्भवक्कंतिय-पंचिंदिय-तिरिक्खजोणियाणं गम्भवक्कंतियमणुस्साण य नो संवुडा जोणी नो वियडा जोणी संवुडवियडा जोणी 6 / वाणमंतर-जोइसियवेमाणियाणं जहा नेरइयाणं 7 / एतेसि णं भंते ! जीवाणं संवुडजोणियागां वियडजोणियाणां संवुडवियडजोणियाणां अजोणियाण य कयरे 2 हितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा संवुडवियड-जोणिया वियडजोणिया असंखिज
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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