________________ 142 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : षष्ठो विमागः नाणी 16 / जत्थ नाणा तत्थ अन्नाणा नत्थि जत्थ अन्नाणा तत्थ नाणा नस्थि, जत्थ दंसणा तत्थ णाणावि अन्नाणावि 17 / केवलनाणीणं भंते ! मणुस्साणं केवइया पन्जवा पन्नत्ता ?, गोयमा ! अणंता पजवा पन्नत्ता 18 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-केवलनाणीणं मणुस्साणं अणंता पजवा पनत्ता ?, गोयमा ! केवलनाणी मणूसे केवलनाणिस्स मासस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएसट्टयाए तुल्ले श्रोगाहणट्टयाए चउट्ठाणवडिए ठिईए तिट्ठाणवडिए वनगंधरसफासपजवेहिं छट्ठाणवडिए केवलनाणपज्जवेहिं केवसदसणपजवेहि य तुल्ले से एएगटेणं जाव पन्नत्ता 11 / एवं केवलदंसणीवि मासे भाणियव्वे 20 // सूत्रं 116 // वाणमंतरा जहा असुरकुमारा / एवं जोइसियवेमाणिया, नवरं सट्टाणे ठिईए तिट्टाणवडिए भाणियव्वे, सेत्तं जीवपजवा ॥सूत्रं 117 // अजीवपजवा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता ?,गोयमा! दुविहा पनत्ता, तंजहा-रूवियजीवपजवा य अरूविग्रजीवपज्जवा य 1 / अरूविग्रजीवपजवा णं भंते ! कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा! दसविहा पन्नत्ता, तंजहाधम्मस्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे धम्मत्थिकायस्स पएसा अहम्मस्थिकाए ग्रहम्नस्थिकायस्स देसे अहम्मत्थिकायस्स पएसा यागासस्थिकाए आग़ासस्थिकायस्स देसे अागासस्थिकायस्स पएसा श्रद्धासमए 2 // सू० 118 // रूविग्रजीवपजवा णं भंते ! कइविहा पन्नता ?, गोयमा ! चरविहा पन्नत्ता, तंजहाखंधा खंधदेसा खंधपएसा परमाणुपुग्गला 1 / ते णं भंते ! किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखेजा नो असंखेना अणंता 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ नो संखेजा नो असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! अणता परमाणुपुग्गला अणंता दुपएसिया खंधा जाव अणंता दसपएसिया खंधा अणंता संखिजपएसिया खंधा अणंता असंखिजपएसिया खंधा अणंता अणंतपएसिया खंधा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ ते णं नो संखिज्जा नो असंखिजा अणंता 3 // सू० 111 // परमाणुपोग्गलाणं