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________________ 234 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: षष्ठो विभाग स्सइकाइयाणं बद्धेल्लगा अणंता 43 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया भाविंदिया अतीता ?, गोयमा ! श्रणंता, बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! पंच, पुरक्खडा कस्सवि अस्थि कस्सवि नत्थि, जस्स अत्थि पंच वा दस वा परणरस्स वा संखेज्जा वा असंखेजा वा अणंता वा 44 / एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणं, नवरं बद्धेल्लगा नत्थि, पुढविकाइयत्ते जाव बेइंदियत्ते जहा दबिंदिया, तेइंदियत्ते तहेव नवरं पुरेक्खडा तिरिण वा छ वा णव वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं चउरिंदियत्तेवि, नवरं पुरेक्खडा चत्तारि वा अट्ट वा बारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा 45 / एवं एए चेव गमा चत्तारि जाणेतब्वा जे चेव दविदिएसु, णवरं तइयगमे जाणितव्वा जस्स जइ इंदिया ते पुरेक्खडेसु मुणेतव्वा, चउत्थगमे जहेव दबिंदिया, जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवतिया भाविंदिया अतीता ?, गोयमा! नत्थि, बद्धलगा?,गोयमा ! संखिजा, पुरेक्खडा?,गोयमा ! णस्थि // सूत्रं 201 // पराणवणाए भगवतीए पनरसमं इंदियपयं समत्तं // बीयो उद्देसो समत्तो॥ " // इति पञ्चदशमपदे द्वितीय उद्देशकः // 15-2 // // अथ श्री प्रयोगाख्यं षोडशं पदम् // कतिविहे णं भंते ! पयोगे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पराणरसविहे पत्रोगे पन्नत्ते, तंजहा-सच्चमणप्पयोगे 1 असच्चमणप्पयोगे 2 सच्चामोसमणप्पयोगे 3 असच्चामोसमणप्पयोगे 4 एवं वइप्ययोगेवि चउहा 8 योरालियसरीरकायप्पयोगे 1 बोरालिय-मीस-सरीरकायप्पयोगे ? 0 वेउब्विय-सरीरकायप्पयोगे 11 वेउब्विय-मीस-सरीरकायप्पयोगे 12 याहारक-सरीरकायप्पयोगे 13 थाहारग-मीस-सरीरकायप्पयोगे 14 तेयाकम्मा-सरीरकायप्पश्रोगे 15 ॥सूत्रं २०२॥जीवाणं भंते ! कतिविधे पभोगे पराणते?,गोयमा ! पराणरसविधे,
SR No.004367
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages408
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size10 MB
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