________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् / / पदं १५-उ० 2 ) केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! संखेजा, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! णस्थि 38 / सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं भंते ! सबट्टसिद्धगदेवत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ?, गोयमा ! णत्थि, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! संखिज्जा, केवइया पुरेवखडा ?, गोयमा ! णस्थि, दारं 11, 31 / कति णं भंते ! भाविंदिया, पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच भाविंदिया पन्नत्ता, तंजहा-सोतिदिए जाव फासिदिए 40 / नेरझ्याणं भंते ! कति भाविदिया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच भाविदिया पन्नत्ता, तंजहासोतिदिते जाव फासिदिते, एवं जस्स जइ इंदिया तस्स तइ भाणितव्वा, जाव वेमाणियाणं 41 / एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया भाविदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धेल्लगा ?, गोयमा ! पंच, केवइया पुरेक्खडा ?, गोयमा ! पंच वा दस वा एकारस वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं असुरकुमारस्मवि, नवरं पुरेक्खडा पंच वा छ वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, एवं जाव थणियकुमारस्सवि, एवं पुढविकाइय-याउकाइय-वणस्सइकाइयस्सवि, वेइंदिय-तेइंदिय--चउरिदियस्सवि, तेउकाइय-बाउकाइयस्सवि, एवं चेव, नवरं पुरेक्खडा छ वा सत्त वा संखेजा वा असंखेजा वा अणंता वा, पंचिदियतिरिक्खजोणियस्स जाव ईसाणस्स जहा असुरकुमारस्स, नवरं माणूसस्स पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ नस्थित्ति भाणियव्वं, सणंकुमार जाव गेवेजगस्स जहा नेरइयस्स, विजय-वेजयंत-जयंतअपराजितदेवस्स अतीता अणंता, बद्धेल्लगा पंच, पुरेक्खडा, पंच वा दस वा पराणरस वा संखेजा वा, सबट्टसिद्धगदेवस्स अतीता अणंता, बद्धलगा पंच, केवइया पुरेक्खडा ?, पंच 42 / नेरडयाणं भंते ! केवइया भाविदिया अतीता ?, गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ?, गोयमा ! असंखेज्जा, केवड्या पुरेक्खडा ?, गोयमा ! अणंता, एवं जहा दविदिएसु पोहत्तेणं दंडतो भणितो तहा भाविदिएसुवि पोहत्तेणं दंडतो भाणियव्यो, नबरं वण 30