________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् पदं 12 ] / / 205 असच्चामोसभासगाणं प्रभासगाण य कयरेशहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सच्चभासगा सच्चामोसभासगा असंखिजगुणा मोसभासगा असंखेजगुणा असच्चामोसभासगा असंखेजगुणा प्रभासगा अणंतगुणा // सूत्रं 175 // पराणवणाए भगवईए एकारसमं भासापदं समत्तं // ___ // इति एकादशमं पदम् // 11 // // अथ श्री शरीराख्यं द्वादशमं पदम् // कति णं भंते ! सरीरा पराणत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरा पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउव्विए श्राहारए तेयए कम्मए 1 / नेरइयाण भंते ! कति सरीरया पराणत्तो ?, गोयमा ! तयो सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-वेउविए तेयए कम्मए एवं असुरकुमाराणवि जाव थणियकुमाराणं 2 / पुढविकाइयाणं भंते ! कति सरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! तो सरीरया पन्नत्ता, तंजहाओरालिए तेयए कम्मए, एवं वाउकाइयवज्ज जाव चउरिंदियाणं 3 / वाउकाइयाणं भंते ! कति सरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! चत्तारि सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउव्विते तेयए कम्मए, एवं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणवि 4 / मणुस्साणं भंते ! कति सरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच सरीरया पन्नत्ता, तंजहा-थोरालिए वेउविते श्राहारए तेयए कम्मए, वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं, जहा नारगाणं 5 // सूत्रं 176 // केवइया णं भंते ! पोरालियसरीरया पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-बद्धिल्लया य मुकिल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं असंखेजा असंखेजाहिं उस्सप्पिणियोसप्षिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्ततो असंखेजा लोगा, तस्थ णं जे ते मुक्केल्लया ते णं अणंता अणंताहिं उस्सप्पिणियोसप्पिणीहिं अवहीरंति कालतो, खेत्तयो अणंता लोगा दव्वश्रो अभवसिद्धिएहितो मते ! कति सरीरयाउरकुमाराणवि जावा सरीरया पन्नता, तयाण भते /