________________ 188] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / षष्ठो विभागा पएसिए असंखेजपएसिए अणंतपएसिए खंधे पुच्छा, गोयमा ! जहेव अट्ठपएसिए तहेव पत्तेयं भाणियव्वं 8 / परमाणुम्मि य तइयो पढमो तइयो य होति दुपएसे / पढमो तइयो नवमो एकारसमो य तिपएसे // 1 // पढमो तइयो नवमो दसमो एकारसो य बारसमो। भंगा चउप्पएसे तेवीसइमो य बोद्धब्बो // 2 // पढमो तइत्रो सत्तम-नवदस-इकारवार-तेरसमो। तेवीसचउबीसो पणवीसइमो य पंचमए // 3 // बिचउत्थ-पंचमुटुं पनरस सोलं च सत्तरद्वारं / वीसेकवीस बावीसगं च वज्जेज छट्टमि // 4 // बिचउत्थ-पंचछटुं पराणर सोलं च सत्तरद्वारं / बावीसइमविहूणा सत्तपदेसंमि खंधम्मि // 5 // बिचउत्थ पंचछ8 परणर सोलं च सत्तरद्वारं / एते वजिय भंगा सेसा सेसेसु खंधेसु // सूत्र 158 // कइ णं भंते ! संगणा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच संठाणा पन्नता, तंजहा-परिमंडले व? तसे चउरंसे आयते य 1 / परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं संखेजा असंखेजा अणंता ?, गोयमा ! नो संखिजा नो असंखेजा अणंता, एवं जाव पायता 2 / परिमंडले णं भंते ! संगणे कि संखेजपएसिए असंखेजपदेसिए अणंतपदेसिए ?, गोयमा ! सिय, संखेजपएसिए सिय असंखेजपएसिए सिय अणंतपदेसिए एवं जाव अायते 3 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे संखेजपएसिए कि संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ?, गोयमा ! संखेजपएसोगाढे नो असंखेज. पएसोगाढे नो अणंतपएसोगाढे, एवं जाव श्रायते 4 / परिमंडले णं भंते ! संठाणे असंखेजपएसिए कि संखेजपएसोगाढे असंखेज्जपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ?, गोयमा ! सिय संखेजपएसोगाढे सिय असंखेजपएसोगाढे नो अणंतपएसोगाढे, एवं जाव आयते 5 / परिमंडले णं भंते ! संगणे अणंतपएसिए कि संखेजपएसोगाढे असंखेजपएसोगाढे अणंतपएसोगाढे ?, गोयमा / सिय संखेजपएसोगाढे सिय असंखेजपएसोगाढे नो अणंतपए