________________ 302 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धु :: षष्ठो विभागः गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे असंखेजवासाउय-कम्मभूमगगम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! संखेजवासाउयकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मास-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे नो असंखेजवासाउयकम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मास-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे 17 / जति संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरे किं पजत्तयसंखेजवासाउय कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे अपजत्तगसंखेजबासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे ?, गोयमा ! पजतग-संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गम्भवक्कंतिय-मणूस-पंचिंदियवेउव्वियसरीरे नो अपजत्तग संखेजवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मणूसवेउब्बियसरीरे 18 / जइ देव-पंचिंदियवेउव्वियसरीरे किं भवणवासिदेव-पंचिं. दिय-वेउब्बियसरीरे जाव वेमाणियदेव-पंचिंदिय-उब्वियसरीरे ?, गोयमा ! भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्विय-सरीरेवि जाव वेमाणियदेव-पंचिंदिय-वेउव्दियसरीरेवि 11 / जइ भवणवासिदेव-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरे किं असुरकुमारभवणवासीदेव-पंचिंदिय-उबियसरीरे जाव थणियकुमारभवणवासीदेव-पंचिं. दिय-वेउब्वियसरीरे ?,गोयमा ! असुरकुमार-भवणवासीदेव जाव थणियकुमारभवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि 20 / जइ असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्धियसरीरे किं पजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदियवेउब्वियसरीरे अपजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउवियसरीरे ?, गोयमा ! पजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउव्वियसरीरेवि अपजत्तग-असुरकुमार-भवणवासीदेव-पंचिंदिय-वेउब्वियसरीरेवि 21 / एवं जाव थणियकुमाराणं दुगतो भेदो, एवं वाणमंतराणं अट्ठविहाणं जोतिसियाणं पंचविहाणं 22 / वेमाणिया दुविहा-कप्पोवगा कप्पातीता य, कप्पोवगा बारसविहा, तेसिपि एवं चेव दुहतो भेदो, कप्पातीता दुविहा गेवेजगा य अणुत्तरोववाइया य, गेवेजगा णवविहा अणुत्तरोववाइया