________________ श्रीमत्प्रज्ञापनोपाङ्ग-सूत्रम् :: पदं 13 ) [ 213 वराणपरिणामे 5 गंधपरिणामे 6 रसपरिणामे 7 फासपरिणामे 8 अगुरुलहुयपरिणामे 1 सहपरिणामे 10 // सूत्रं 184 // बंधणपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-णिद्धबंधणपरिणामे लुक्खबंधणपरिणामे य,-'समणिद्धयाए बंधो न होति समलुक्खयाएवि गा होति / वेमाय-णिद्धलुवखत्तणेण बंधो उ खंधाणं // 1 ॥णिद्धस्स णि ण दुयाहिएणं, लुक्खस्स लुक्खेण दुयाहिएणं / निद्धस्स लुक्खेण उवेइ बंधो, जहराणवज्जो विसमो समो वा // 2 // 1 / गतिपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-फुसमाण-गतिपरिणामे य अफुसमाण-गतिपरिणामे य, ग्रहवा दीहगइपरिणामे य हस्सगइपरिणामे य 2 / संठाणपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पराणत्ते, तंजहापरिमंडल-संठगणपरिणामे जाव आयत-संठाणपरिणामे 3 / भेदपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-खंडभेदपरिणामे जाव उकरियाभेदपरिणामे 4 / वराणपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविधे पन्नत्ते, तंजहा-कालवराणपरिणामे जाव सुकिलवराणपरिणामे 5 / गंधपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ता, तंजहा-सुब्भिगंधपरिणामे य दुन्भिगंधपरिणामे य 6 / रसपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-तित्तरसपरिणामे जाव महुररसपरिणामे 7 / फासपरिणामे णं भंते ! कतिविधे पन्नत्ते ?, गोयमा ! अविधे पन्नत्ते, तंजहा-कक्खडफासपरिणामे य जाव लुक्खफासपरिणामे य = / अगुरुलहुयपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! एगागारे पन्नत्ते 1 / सहपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सुब्भिसहपरिणामे य दुब्भिसहपरिणामे य 10 / सेत्तं अजीवपरिणामे य // सूत्रं 185 // पनवणाए भगवइए तेरसमं परिणामपदं समत्तं // // इति त्रयोदशमं पदम् // 13 //